BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

1. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

(क) पर्वत और सागर क्या-क्या कहते हैं ?
उत्तर:
पर्वत शीश उठाकर निर्भय से खड़े रहकर हमसे कहता है कि तुम भी ऊँचे बन जाओ ।अर्थात् यदि हम सिर ऊँचा रखेंगे, निर्भय से खड़े रहेंगे तो हम समाज में प्रतिष्ठित हो जाएँगे । सागर लहराकर हमसे कहता है कि तुम मन में गहराई लाओं । अर्थात् मन को उदार और विशाल कर दो ।

(ख) पृथ्वी और नभ का क्या कहना है ?
उत्तर:
पृथ्वी कहती है कि तुम्हारे सिर पर बहुत भार हो, पर तुम धैर्य ऩ छोड़ो । अर्थात् सिर पर अधिक उत्तरदायित्व आने पर भी न घबराकर हमें धैये रखना चाहिए। नभ कहता है कि तुम फैलकर सारा संसार ढक लो ।अर्थात् हमें हृदय को विस्तारित करके समग्र विश्च को प्रेम से वशीभूत कर लेना चाहिए ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

(ग) तरंग का संदेश क्या है ?
उत्तर:
तरंग हवा के हिंडोले में ऊपर -नीचे होकर हमें संदेश देती है कि हम अपने मन में अच्छे और सुखदायक मनोवेगों को भर लें । मन की भावनाएँ अच्छी और ऊँची होने पर हमारे कार्य भी अच्छे और ऊँचे होंगे । इन अच्छे कार्यों से हम महान बन जाएँगे ।

(घ) नभ क्या कहता है ?
उत्तर:
फैलकर सारे संसार को ढकने के लिए नभ कहता है।

(ङ) धैर्य न छोड़ने के लिए कौन कहती है ?
उत्तर:
धैर्य न छोड़ने के लिए पृथ्वी कहती है।

2. इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :

(क) पर्वत की ऊँचाई से हम क्या सीखें ?
उत्तर:
पर्वत की ऊँचाई से हम ऊँचा बनना सीखें ।

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(ख) मन में गहराई लाने का क्या मतलब है ?
उत्तर:
मन में गहराई लाने का मतलब है – मन में उदारता की भावना लाना ।

(ग) हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें धैर्य न छोड़ना चाहिए।

(घ) नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम क्या सीखें ?
उत्तर:
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम सीखें कि हम फैलकर सारे संसार को ढक लें । अर्थात् हम प्रेम की भावना फैलाकर विश्चवासियों को अपना बना लें ।

(ङ) मीठी-मीठी मृदुल उमंग का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है – हम मन में अच्छे, सुखद तथा कोमल मनोभाव्रों को भर लें ।

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3. (क) पंक्तियों को पूरा कीजिए ।
(i) पर्वत कहता ………… उठाकर ।
(ii) तुम भी ………… बन जाओ ।
(iii) नभ कहता है ………… इतना।
(iv) भर लो, भर लो ………… मन में ।
उत्तर:
(i) पर्वत कहता शीश उठाकर ।
(ii) तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
(iii) फैलो
(iv) अपने

4. इन पंक्तियों के अर्थ समझाइए ।

(i) नभ कहता है फैलो इतना बक लो तुम सारा संसार ।
उत्तर:
आकाश कहता है कि तुम इतना फैलो कि सारा संसार ढक जाए । अर्थात् हम अपने हृदय को प्रेम से इतना विशाल और विस्तारित कर दें कि सारे विश्चवासियों को अपना बना लें ।

(ii) भर लो, भर लो, अपने मन में मीठी – मीठी मृदुल उमंग ।
उत्तर:
हम अपने मेन में अच्छी, सुखप्रदायक कोमल भावनाएँ भर लें । इससे हमारे कार्य अच्छे होंगे, हमारे विचार ऊँचे होंगे । हम महान बन जाएँगे ।

5. ‘क’ स्तम्भ के शब्दों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के शब्दों को जोड़िए ।
BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) 1

भाषाकार्य

1. पर्यायवाची शब्द लिखिए :
पर्वत, मृदुल, सागर, नभ, पृथ्वी, संसार, सिर
उत्तर:

  • पर्वत- नभ
  • मृदुल- कोमल
  • सागर- समुद्र
  • नभ- आकाश
  • पृथ्वी – धरित्री
  • संसार – जगत
  • सिर – मस्तक

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2. विपरीतार्थक शब्द लिखिए :
उठाना, धैर्य, मृदुल, ढकना, गहरा, समझ
उत्तर:

  • उठाना – गिराना
  • धैर्य – अधैर्य
  • मृदुल — कठोर
  • ढकना – खोलना
  • गहरा – उथला
  • समझ – नासमझी

3. इन शब्दों को लगाकर वाक्य बनाइए :
लहर, सारा, भार, तरंग, उमंग
उत्तर:

  • लहर – एक लहर तट की ओर आई ।
  • सारा – सारा संसार सुखी बनेगा ।
  • भार – सिर पर भार संभालो ।
  • तरंग – समुद्र में तरंगें उठती हैं ।
  • उमंग – मन में नई उमंग है ।

परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
पर्वत क्या कहता है ?
उत्तर:
पर्वत कहता है कि तुम भी ऊँचे बन जाओ, अर्थात् महान बन जाओ।

प्रश्न 2.
शीश उठाकर कौन कहता है ?
उत्तर:
शीश उठाकर पर्वत कहता है ।

प्रश्न 3.
पर्वत की ऊँचाई से हम क्या सीखेंगे ?
उत्तर:
पर्वत की ऊँचाई से हम महान बनना सीखेंगे ।

प्रश्न 4.
शीश उठाने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
शीश उठाने का अर्थ है – साहसपूर्वक अविचालित खड़े रहना।

प्रश्न 5.
सागर लहराकर क्या कहता है ?
उत्तर:
सागर लहराकर कहता है कि हम मन में गहराई लाएँ।

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प्रश्न 6.
मन में गहराई लाने का क्या मतलब है ?
उत्तर:
मन में गहराई लाने का मतलब है – संकीर्ण भावना को छोड़कर मन में विशालता और उदारता की भावना लाना।

प्रश्न 7.
लहराने में कौन-सा भाव निहित है ?
उत्तर:
लहराने में खुशी का भाव ऩिहित है । हम उदार होंगे तो हमारे मन में खुशियों की लहरें उमडेंगी।

प्रश्न 8.
हमार सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमार सिर पर बोझ बढ़े तो हमें धैर्य न छोड़ना चाहिए और काम में लगे रहना चाहिए ।

प्रश्न 9.
पृथ्वी हमसे क्या कहती है ?
उत्तर:
पृथ्वी हमसे कहती है कि सिर पर कितना ही भार क्यों न हो, कभी भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए।

प्रश्न 10.
आकाश हमें क्या सीख देता है ?
उत्तर:
आकाश हमें सीख देता है कि हम इतना फैलें कि सारा संसार ढक लें।

प्रश्न 11.
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम क्या सीखें ?
उत्तर:
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम सीखें कि हम भी अपने हृदय को विशाल बना दें ।

प्रश्न 12.
संसार को ढक लेने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
संसार को ढक लेने का अर्थ है – अपने विशाल हुदय के प्रेम और उदारता से समग्र संसार में भाईचारे की प्रतिष्ठा करना।

प्रश्न 13.
हमारे लिए तरंग का संदेश क्या है ?
उत्तर:
हमारे लिए तरंग का संदेश यह है कि हम अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंगें भर लें ।

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प्रश्न 14.
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर:
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है – मन में कोमल भावनाएँ भरना। स्नेह, प्रेम, सद्भावना और भ्रातृत्व आदि भावों से हम सबको अपना बना लेंगे।

प्रश्न 15.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि हैं – सोहनलाल द्विवेदी ।

एक या वो शब्द में उत्तर वीजिए :

1. शीश उठाकर हमें कौन प्रेरणा दे रहा है ?
उत्तर: पर्वत

2. पर्वत हमें क्या बन जाने की प्रेरणा देता है ?
उत्तर: ऊँचे

3. सागर लहराकर हमसे क्या लाने को कहता है ?
उत्तर: मन में गहराई

4. पृथ्वी हमसे क्या न छोड़ने को कहता है ?
उत्तर: धैर्य

5. नभ क्या ठक लेने को कहता है ?
उत्तर: सारा संसार

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6. संसार को ढकने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: फैलना चाहिए

7. तरंग मन में क्या भरने को कहता है ?
उत्तर: मृदुल उमंग

8. हमें मृदुल-उमंग कहाँ भरना चाहिए ?
उत्तर: मन में

9. कौन कहता है कि सिर पर भार होने पर भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए ?
उत्तर: पृथ्वी

10. मन में गहराई लाने को कौन कहता है ?
उत्तर: सागर

11. ‘प्रकृति का संदेश’ के कवि कौन हैं ?
उत्तर: सोहन लाल त्रिवेदी

पंक्तियों के अर्थ एक-दो वाक्यों में समझाइए:

प्रश्न 1.
पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
उत्तर:
पर्वत शीश उठाकर हमसे कहता है कि हम भी साहसपूर्वक अडिंग रहें, और विपदाओं से लड़ें और महान बन जाएँ।

प्रश्न 2.
सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ ।
उत्तर:
सागर लहराकर कहता है कि हम मन में गह्नराई लाएँ, अर्थात् मन को उदार और विशाल कर दें ।

प्रश्न 3.
पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो, कितना ही हो सिर पर भार।
उत्तर:
पृथ्वी हमसे कहती है कि हमोर सिर पर कितना ही भार क्यों न हो, हम धैर्य न छोड़े, अर्थात् हम धैर्य न छोड़कर काम करते रहें ।

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प्रश्न 4.
नभ कहता है फैलो इतना उक लो तुम सारा संसार।
उत्तर:
आकाश हमसे कहता है कि हम संकीर्षता को छोड़कर अपने ह्दय को विशाल और उदार बना दें। प्रेम के द्वारा सारे संसार को अपना बना लेंगे ।

प्रश्न 5.
तरंग के उठने-गिरने और तरल होने का तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
तरंग के उठने-गिरने और तरल होने का तात्पर्य है कि तरंग खुशी से नाचती है और चंचल रहती है ।

प्रश्न 6.
भर लो, भर लो अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
उत्तर:
तरंग हमसे कहती है कि हम मन में मीठी और कोमल मनोभावों को भर लें ।

शून्यस्थान की पूर्ति कीजिए :

1. पर्वत कहता ………… उठाकर, तुम भी ………… बनजाओ।
2. ………… कहता लंहराकर मन में ………… लाओ ।
3. ………… कहती धैर्य न छोड़ो।
4. नभ कहता है ………… इतना, ढक लो तुम सारा ………… |
5. समझ रहे हो क्या कहती है, उठ-उड, गिर-गिर तरल ………… |
6. भर लो, भर लो, अपने ………… में, मीठी-मीठी ………… उमंग।
उत्तर:
1. शीश, ऊँचे
2. सागर, गहराई
3. पृथ्वी
4. फैलो, संसार
5. तरंग
6. मन, मृदुल

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उपयुक्त शब्द ले कर खाली जगह भरिए :

1. तुम मन ………… गहराई लाओ। (पर, में, से)
2. सिर ………… भार हो, लेकिन धैर्य न छोड़ो।(में, पर, से)
3. अपने मन ………… अंमग भर लो। (से, ने, में)
उत्तर:
1. में
2. पर
3. में

मे सही उत्तर चूनिए :

प्रश्न 1.
पर्वत हमसे कैसे कहता है ?
(A) लहराकर
(B) सीना तानकर
(C) शीश उठाकर
(D) चिल्ला-विल्लाकर
उत्तर:
(C) शीश उठाकर

प्रश्न 2.
ऊँचे बनने का अर्थ क्या है ?
(A) लम्बा हो जाना
(B) महान बनना
(C) बड़ा जो जाना
(D) अटल बनना
उत्तर:
(B) महान बनना

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प्रश्न 3.
हम कहाँ गहराई लाएँ ?
(A) मन में
(B) तन में
(C) समुद्र में
(D) लहर में
उत्तर:
(A) मन में

प्रश्न 4.
मन में गहराई लाने का अर्थ क्या है ?
(A) मन को गंभीर बनाना
(B) मन में संकीर्ण भावना रखना
(C) मन में उदारता और विशालता लाना
(D) मन को निर्मल बनाना
उत्तर:
(C) मन में उदारता और विशालता लाना

प्रश्न 5.
सागर में कौन-सा गुण पाया जाता है ?
(A) उच्च आकांक्षा
(B) मधुरता
(C) ऊँची कल्पना
(D) उदारता और महानता
उत्तर:
(D) उदारता और महानता

प्रश्न 6.
पृथ्वी क्या सीख देती है ?
(A) धैर्य रखने की
(B) विशाल होने की
(C) कष्ट सहने की
(D) हरा-भरा ह्रेने की
उत्तर:
(A) धैर्य रखने की

प्रश्न 7.
सिर पर भार होने का मतलब क्या है ?
(A) बोझ रहना
(B) काम का दायित्व रहना
(C) सिर में दर्द होना
(D) सिर झुक जाना
उत्तर:
(B) काम का दायित्व रहना

प्रश्न 8.
आसमान क्या करने को कहता है ?
(A) फैलने को
(B) नीला होने को
(C) अनंत होने को
(D) ऊपर रहने को
उत्तर:
(A) फैलने को

प्रश्न 9.
हम फैलकर क्या कर सकते हैं ?
(A) संसार को ढक सकते हैं
(B) बड़ा बन सकते हैं
(C) सर्वव्यापक बन सकते हैं
(D) गर्व कर सकते हैं
उत्तर:
(A) संसार को ढक सकते हैं

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प्रश्न 10.
संसार को न्ठक लेने का अर्थ क्या है ?
(A) किसी को ऊपर आने न देना
(B) धूप से बचाना
(C) सभी का दुख दूर करना
(D) सभी को आसरा देना
उत्तर:
(D) सभी को आसरा देना

प्रश्न 11.
तरेंगे कैसे आती हैं ?
(A) उठकर-गिरकर
(B) धीरे-धीरे
(C) घोर गर्जन करके
(D) मबल वेग से
उत्तर:
(A) उठकर-गिरकर

प्रश्न 12.
हमारी डंमगों कैसी होनी चाहिए ?
(A) महान और मुदुल
(B) मीठी और
(C) बहुत बड़ी
(D) मीठी और मृदुल
उत्तर:
(A) महान और मुदुल

प्रश्न 13.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि कौन हैं ?
(A) सोहनलाल द्विवेदी
(B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(A) सोहनलाल द्विवेदी

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प्रश्न 14.
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है :
(A) उत्साह, उल्लास भरना
(B) प्रेम भाव रखना
(C) साहस रखना
(D) अभिलाषा भरना
उत्तर:
(A) उत्साह, उल्लास भरना

प्रश्न 15.
हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
(A) बोझ कम कर दें
(B) बोझ उतार दें
(C) धैर्य रखें
(D) थोड़ी देर थकावट मिटाएँ
उत्तर:
(C) धैर्य रखें

प्रश्न 16.
नभ का फैलाव बहुत है उससे हम क्या सी कें ?
(A) सभी की मदद करें
(B) सभी को अपने वश में रखें
(C) सभी पर शासन करें
(D) अपना म्रभाव विस्तार करें
उत्तर:
(A) सभी की मदद करें

प्रश्न 17.
शीश उठाकर कौन कहता है ?
(A) लहर
(B) सागर
(C) आसमान
(D) पर्वत
उत्तर:
(D) पर्वत

प्रश्न 18.
महान बनने की प्रेरणा कौन देता है ?
(A) सागर
(B) पृथ्वी
(C) पर्वत
(D) तरंग
उत्तर:
(C) पर्वत

प्रश्न 19.
हम पर बहुत काम होने पर भी हम क्या न छोड़े ?
(A) धीरज
(B) बल
(C) अधिक काम
(D) संकट
उत्तर:
(A) धीरज

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प्रश्न 20.
कौन उठता गिरता रहता है ?
(A) हवा
(B) तरंग
(C) तरल सागर
(D) पृथ्वी
उत्तर:
(B) तरंग

प्रश्न 21.
मन में गहराई लाने की सीख किससे मिलती है ?
(A) सागर से
(B) आसमान से
(C) पर्वत से
(D) पृथ्वी से
उत्तर:
(A) सागर से

प्रश्न 22.
धैर्य रखने की शिक्षा कौन देता है ?
(A) सागर
(B) पृथ्वी
(C) उमंग
(D) नभ
उत्तर:
(B) पृथ्वी

प्रश्न 23.
मन में उमंग भरने की बात से क्या बोध होता है ?
(A) खुशियाँ प्राप्त करना
(B) नए-नए दुख छोड़ना
(C) नवीन विचार सोचना
(D) लहरें लाना
उत्तर:
(A) खुशियाँ प्राप्त करना

प्रश्न 24.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता में किसका उल्लेख नहीं हुआ है ?
(A) पर्वत
(B) झरना
(C) पृथ्वी
(D) सागर
उत्तर:
(B) झरना

प्रश्न 25.
संसार को ढकने का अर्थ क्या है ?
(A) विशाल-हृदय होना
(B) संसार के छिपा देना
(C) संकीर्ण-हृदय होना
(D) संसार में छिप जाना
उत्तर:
(A) विशाल-हृदय होना

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प्रश्न 26.
सारे संसार को बकने को कौन कहता है ?
(A) नभ
(B) तरंग
(C) सागर
(D) नदी
उत्तर:
(A) नभ

‘क’ स्तम्भ के पदों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के पदों का मिलान :

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पर्वत कहता शीश उठाकर मन में गहराई लाओ
2. सागर कहता है लहराकर मीठी-मीठी मृदुल उमंग
3. नभ कहता है फैलो इतना उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग
4. समझ रहे हो क्या कहती है ढक लो तुम सारा संसार
5. भर लो – भर लो अपने मन में तुम भी ऊँचे बन जाओ

उत्तर:

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ
2. सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ
3. नभ कहता है फैलो इतना ढक लो तुम सारा संसार
4. समझ रहे हो क्या कहती है उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग
5. भर लो – भर लो अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंग

३० शब्दों/दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
पर्वत से हम क्या सीखते हैं ?
उत्तर:
पर्वत अपनासिर ऊँचा उठाकर खड़ा है। वह हमको शिक्षा देता है कि हम किसी से न डरें। किसी विपत्ति के सामने झुक न जाएँ। हम साहस और वीरत्व के साथ सिर उठाकर रहें तो ऊँचे बन जाएँगे ।

प्रश्न 2.
सागर हमें क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर:
सागर बहुत गहरा है, विशाल है । सागर हमें शिक्षा देता है कि हम भी उसकी तरह अपने हृदय में गहराई लाएँ, विशालता लाएँ। अपने मन को उदार बनाएँ। संकीर्ण भावना छोड़ दें।

प्रश्न 3.
पृथ्वी से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
हम मिट्टी को खोदकर, चीरकर फसल उगाते हैं, जीते हैं । इस पर पृथ्वी क्रोध नहीं करती, धैर्यपूर्वक सारी पीड़ा सहती है । पृथ्वी से हमें सीख मिलती है कि, हम पर काम का कितना भी बड़ा बोझ क्यों न हो, हम सभी का मुकावला करें, धैर्य न बोड़ें ।

प्रश्न 4.
नभ हमें क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर:
नभने चारों ओर फैल कर सारे संसार को ढक लिया है । ऐसा करके वह हमें शिक्षा देता है कि हम अपने हृदय को सर्वव्यापी बना दें, विशाल बना दें मन में संकीर्णता का भावन लाएँ।

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प्रश्न 5.
तरंगों से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
समुद्र में तरंगें उठती हैं, गिरती हैं ।इस कार्य से वे अपने मन की खुशियाँ व्यक्त करती हैं, उसके इस कार्य से हमें सीखं मिलती है कि हम अपने मन में अच्छी भावनाएँ लाएँ; नई उमंग से काम करें और मन में उल्लासा रखें । दूसरों को उल्लसित करें।

कवि परिचय

सोहनलाल द्विवेदी का जन्म २ २फ़रवरी १ ९० ६ को हुआ था । काशी हिन्दू विश्चिद्यालय में इनकी पढ़ाई हुई थी । ये एम.ए.,एल.एल.बी थे तथा इन्हें संस्कृत का अच्छा ज्ञान था । इनमें प्राचीन संस्कृति और राष्ट्रीयता के प्रति सम्मान था । इनकी रचनाएँ- भैरवी, वासवदत्ता, कृपाल, पूजागीत, विषपान, बाल भारती, बाँसुरी, नेहरू चाचा, बच्चों के बापू आदि ।

कविता का भावबोध

प्रकृति मनुष्ट की चिर सहचरी है । मनुष्य प्रकृति के भिन्नभिन्न तत्वों – पर्वत, सागर, धरती, आकाश, तरंगों को देखकर खुश हो जाता है । ये तत्त्व मनुष्य के मन में अनेक भावों को जगाते हैं । मनुष्य उनसे प्रेरणा लेकर महान बन सकता है ।

शब्दार्थ :

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सारांश:

पर्वत कहता शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
सागर कहता है लहराकर
मन में गहराई लाओ ।

प्रकृति के विभिन्न तत्व हमें कुछ न-कुछ संदेश देते हैं । हम उनसे प्रेरणा लेकर महान बन सकते हैं। पर्वत सिर ऊँचा करके निर्भय खड़ा रहता है । वह हमें संदेश देता है कि हम यदि साहस पूर्वक खड़े रहेंगे, तब हमें समाज में प्रतिष्ठा और उच्च स्थान जरूर मिलेगा ।

सागर बहुत गहरा है । इसलिए वह खुशी से लहराता है । उसका संदेश है कि यदि हम मन में संकीर्ण भावनाएँ न रखकर उदारता की गहराई लाएँगे तो हम भी सदा खुश रह सकेंगे।

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पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार
नभ कहता है फैलो इतना
बक लो तुम सारा संसार।

धरती सवंसहा है । वह कभी धैर्य नहीं छोड़ती। वह संदेश देती है कि हमारे सिर पर बहुत से उत्तरदायित्व पड़ सकते हैं । पर हम विचलित नहीं होंगे। धैर्य नहीं छोड़ेंगे ।

आकाश का सीमाहीन विस्तार है । उसने संसार को ढंककर रखा है । उसका संदेश है कि हमारा हृदय संकीर्णता छोड़कर विस्तारित हो जाएगा तो हम सारे संसार को प्रेम से ढक लेंगे, अर्थात् विश-बंधुत्व की भौवना से हम सभी को अपना बना लेंगे ।

समझ रहे हो क्या कहती है
उठ-उठ, गिर-गिर तरल तरंग ?
भर लो, भर लो, अपने मन में
मीठी-मीठी मृदुल उमंग ।

समुद्र की चंचल तरंग हवा के झोंके में उठ-उठ गिर- गिर कर हमें यही संदेश देती है कि हम मन में अच्छे और सुखदायक कोमल मनोवेगों को भर लें । हमारी भावनाएँ अच्छी होंगी तो हमारे कार्य भी अच्छे होंगे ।अच्छे कार्य से हम महान बन जाएँगे ।

ଧୂ ସାରାଂଶ

ପ୍ରକୃତିର ବିଭିନ୍ନ ତତ୍ତ୍ଵ ଆମକୁ କୌଣସି ନା କୌଣସି ବାଆଁ ଦେଇଥାନ୍ତି । ଆମେ ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ପ୍ରେରଣା ଲାଭ କରି ମହାନ ହୋଇପାରିବା ।
ପର୍ବତ ମସ୍ତକ ଉପରକୁ ଉଠେଇ ନିର୍ଭୟରେ ଠିଆ ହୋଇ ରହିଥାଏ । ପର୍ବତର ଆମ ପାଇଁ ସନ୍ଦେଶ ହେଉଛି ଯେ ଯଦି ଆମେ ସାହସପୂର୍ବକ ଠିଆ ହୋଇ ରହିବା, ତେବେ ଆମକୁ ସମାଜରେ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ଓ ଉଚ୍ଚ ଆସନ ନିଶ୍ଚୟ ମିଳିବ ।

ସମୁଦ୍ର ବହୁତ ଗଭୀର । ସେଥ‌ିପାଇଁ ସେ ମହା ଆନନ୍ଦରେ ପବନରେ ତରଙ୍ଗାୟିତ ହେଉଥାଏ । ତା’ର ଆମ ପାଇଁ ବାର୍ତ୍ତା ହେଉଛି ଯେ ଯଦି ଆମେ ମନରେ ସଂକୀର୍ଷ ଭାବନା ନ ରଖି ଉଦାରତାର ଗଭୀରତା ନେଇ ଆସିବା, ତେବେ ଆମେ ମଧ୍ୟ ମହା ଆନନ୍ଦରେ ରହି ପାରିବା । ଧରିତ୍ରୀ ସର୍ବଂସହା । ସେ କେବେ ଧୈର୍ଯ୍ୟହରା ହୁଏ ନାହିଁ ତା’ର ବାଭାଁ ହେଉଛି ଆମ ମୁଣ୍ଡ ଉପରେ ଅନେକ ଦାୟିତ୍ଵ ଆସି ପଡ଼ିପାରେ । ଆମେ କିନ୍ତୁ ସେଥର ବିଚଳିତ ହେବା ନାହିଁ । କେବେ ମଧ୍ୟ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ହରାଇବା ନାହିଁ ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

ଆକାଶର ବିସ୍ତାର ସୀମାହୀନ । ସେ ସାରା ସଂସାରକୁ ଆଚ୍ଛାଦିତ କରି ରଖିଛି । ତା’ର ସନ୍ଦେଶ ହେଉଛି – ଆମ ହୃଦୟ ଯଦି ସଂକୀର୍ଷତା ଛାଡ଼ି ବିସ୍ତାରିତ ହୋଇଯିବ, ତେବେ ଆମେ ସମଗ୍ର ସଂସାରକୁ ପ୍ରେମରେ ଢାଙ୍କିଦେବା ଅର୍ଥାତ୍ ବିଶ୍ଵ ବନ୍ଧୁତ୍ଵ ଭାବନା ଦ୍ଵାରା ଆମେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଆପଣାର କରି ପାରିବା । ସମୁଦ୍ରର ଚଞ୍ଚଳ ତରଙ୍ଗ ପବନରେ ତଳ ଉପର ହୋଇ ଆମକୁ ବାହାଁ ଦେଉଛି ଯେ ଆମେ ମନରେ ଭଲ ଓ ସୁଖପ୍ରଦ କୋମଳ ମନୋଭାବଗୁଡ଼ିକ ଭରିଦେବା । ଆମ ମନୋଭାବ ଭଲ ହେଲେ ଆମର କାର୍ଯ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଭଲ ହେବ । ଭଲ କାମ କଲେ ଆମେ ସମାଜରେ ମହାନ ହୋଇ ପାରିବା ।

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