Odisha State Board BSE Odisha 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 अपना-अपना काम करो Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 7 Hindi Solutions Chapter 3 अपना-अपना काम करो
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) आदमी ने क्या सोचा ?
उत्तर:
आदमी ने सोचा कि अभी मौसम अच्छा है, जल्दी से कामनिपटा लूँगा ।
(ii) उसने क्या पहना था ?
उत्तर:
उसने कमर में धोती बाँधी थी। बदन पर कुर्ता पहना था और गले में गमछा लपेट लिया था ।
(iii) सूरज और हवा में क्यों झगड़ा हुआ ?
उत्तर:
सूरज और हवा दोनों अपने को बड़ा बता रहे थे। सूरज का कहना था कि मेरे बिना संसार मर जाएगा। हवा कह रही थी कि मेरे न होने पर संसार साँस नहीं ले पाएगा। दोनों एक दूसरे के दोष भी ढूँढ़ रहे थे। इसलिए दोनों में झगड़ा होनेलगा।
(iv) सूरज ने हवा से क्या कहा ?
उत्तर:
सूरज ने हवा से कहा कि तुम्हारी तो ठाट निराली है, कभी धीर चलती हो तो कभी तेज। कभी तो एकदम चूप हो जाती हो, जरा भी हिलती-डुलती नहीं हो। इस तरह तुम सबको परेशान क्यों करती रहती हो ?
(v) पथिक ने उन्हें क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
पथिक ने उनसे कहा कि तुम अपनी हैसियत को समझो। इस संसार में कोई छोटा या बड़ा नहीं है । हम सिर और पाँव में से किसी को छोटा या बड़ा नहीं कह सकते क्योंकि सिर से हम सोचते हैं, तथा पाँव से चलते हैं । इसलिए आपस में झगड़ा बंद करके अपना-अपना काम करो।
(vi) हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमें न तो अपने ऊपर घमंड करना चाहिए और न ही दूसरों के दोष़ ढूँढ़ने चाहिए। बस अपना-अपना काम ईमानदारी से करते रहना चाहिए । हमें याद रखना कि इस संसार में वही बड़ा है जो दूसरों को परेशान नहीं करता है ।
2. इन प्रश्नों के उत्तर एक एक वाक्य में दीजिए :
(i) आदमी कहाँ जा रहा था ?
उत्तर:
आदमी पासवाले गाँव में जरूरी काम निपटाने जा रहा था।
(ii) वह किसे देखकर खुश हुआ ?
उत्तर:
वह सूरज के लाल-लाल से गोले को देखकर खुश हुआ ।
(iii) कौन झगड़ा सुन रहा था ?
उत्तर:
सूरज और हवा दोनों का झगड़ा पथिक सुन रहा था।
(iv) गुस्से में हवा की हालत कैसी हो रही थी ?
उत्तर:
गुस्से में हवा सनसना रही थी।
(v) तैश में आकर सूरज कैसा हो गया ?
उत्तर:
तैश में आकर सूरज बहुत गरम हो गया।
(vi) वे पथिक से क्या पूछते हैं ?
उत्तर:
वे पथिक से पूछते हैं कि दोनों में से कौन अच्छा है और कौन बड़ा है ।
(vii) कौन सबसे अच्छा होता है ?
उत्तर:
जो किसी को भी नहीं सताता, वह सबसे अच्छा होता है ।
3. कोष्ठक में से सही शब्द सुनकर भरिए ।
(आपस्म में, दुनिया, सिर, सुहाना-सा, लाल-लालसा, औकात)
(i) ………… सवेरा ।
(ii) सूरज और हवा ………… झगड़ रहे थे ।
(iii) ………… सा सूरज का गोला।
(iv) इतना तपते हो कि ………… तप जाती है ।
(v) पथिक ने कहा, “तुम अपनी-अपनी ………… समझो।”
(vi) चलने के लिए पाँव चाहिए और सोचने को ………… I
उत्तर:
(i) सुहाना-सा
(ii) आपस में
(iii) लाल-लाल-सा
(iv) दुनिया
(v) औकात
(vi) सिर
भाषा-कार्य :
संज्ञा की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं।
जैसे – लाल सूरज । सूरज संज्ञा है । लाल उसकी विशेषता बताते है ।
4. नीचे कुछ विशेषण और कुछ संज्ञाएँ एक साथ आये हैं। उन्हें अलग-अलग कीजिए :
अच्छी, हवा, काफी, खुशी, मंद, पवन, अपना काम, थोड़ी, दूर, लाल गोला
उत्तर:
विशेषण — संज्ञा
अच्छी — हवा
काफी — खुशी
मंद — पवन
अपना — काम
थोड़ी — दूर
लाल — गोला
5. ‘क’ स्तम्भ के शब्दों को ‘ख’ स्तम्भ के पर्यायवाची शब्दों के साथ मिलान कीजिए :
‘क’ स्तम्भ — ‘ख’ स्तम्भ
तैश — योग्यता
जरूरी — आश्चर्यजनक
औकात — बहुत
निराली — आवश्यक
काफी — गुस्सा
उत्तर:
‘क’ स्तम्भ — ‘ख’ स्तम्भ
तैश — गुस्सा
जरूरी — आवश्यक
औकात — योग्यता
निराली — आश्चर्यजनक
काफी — बहुत
6. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
तैश, परेशान, दुनिया, काफी, निराली, औकात, खुश
उत्तर:
तैश – निधि की जली-कटी बातें सुनकर अनुराधा तैश में आ गई।
परेशान – वे लोग अपनी गरीबी से परेशान हैं ।
दुनिया – इस दुनिया में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है।
काफी – यात्री के पास काफी सामान था ।
निराली – इन्द्र धनुष की छटा बहुत निराली थी ।
औकात – अपनी औकात में रह्मोगे तो हमेशा खुश रहोगे।
खुश – परीक्षा में प्रथम आने पर अनीता बहुत खुश हो रही थी।
7. निम्नलिखित शब्दों की मात्रागत अशुद्धियों को सुधार कर लिखिए :
सुरज, शांस, परेसान, तूम, खूस
उत्तर:
- सुरज – सूरज शांस – साँस
- परेसान – परेशान तूम – तुम
- खूस – खुश तूम – तुम
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) आदमी घर सै कब निकला ?
उत्तर:
आदमी सबेरे-सबेरे ही घर से निकला। उस समय मौसम बहुत अच्छा था।
(ii) ‘लेकिन उसे तो चलना ही था न !’ इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
यह कथन आदमी की लगन को दर्शाता है । वह लाल-लाल सूरज को देखकर खुश हो रहा था, . परंतु उसे अपना काम पूरा करना था। अतः वह चल पड़ा।
(iii) हवा को सूरज में कौन-सा दोष नज़र आया ?
उत्तर:
हवा को सूरज का बहुत तपना अखरता था। सूरज के अधिक तपने के कारण लोग उसके जल्दी डूबने की इच्छा करने लगते हैं ।
(iv) आप कैसे कह सकते हैं सिर और पाँव में से कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है ।
उत्तर:
सिर से हम सोचते हैं और पाँव से चलते हैं । हरेक काम का अपना-अपना महत्व है । इसलिए दोनों में से कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है ।
2. सही कथनों के सामने (✓) का और गलत कथनों के सामने (✗) का निशान लगाइए :
(i) आदमी जरूरी काम से शहर जा रहा था । (✗)
(ii) वह तेजी से डग भरता हुआ चल रहा था । (✓)
(iii) मंद पवन के चलने से आदमी को खुशी नहीं हो रही थी। (✗)
(iv) सूरज सोच रहा ता कि संसार उसके बिना मर जाएगा। (✓)
(v) सूरज को हवा की ठाट निराली लग रही थी (✓)
(v) आदमी ने सूरज और हवा के झगड़े का निपटारा नहीं किया । (✗)
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प उत्तर पर (✓) का निशान लगाइए :
(i) आदमी घर से किस समय निकला ।
(क) शाम को
(ख) सुबह
(ग) दोपहर को
(घ) रात को
उत्तर:
(ख) सुबह
(ii) आपस में कौन झगड़ रह थे ?
(क) हवा और पवन
(ख) नदी और समुद्र
(ग) सूरंज और हवा
(घ) सूरज और बादल
उत्तर:
(क) सूरज के
(iii) किसके तपने से दुनिया तप जाती है ?
(क) सूरज के
(ख) हवा के
(ग) पहाड़ के
(घ) पानी के
उत्तर:
(क) सूरज के
(iv) सोचने का काम कौन करता है ?
(क) सिर
(ख) आदमी
(ग) जानवर
(घ) वैज्ञानिक
उत्तर:
(क) सिर
(v) सबसे अच्छा कौन होता है ?
(क) किसान
(ख) चित्रकार
(ग) धीरे-धीरे चलने वाला
(घ) किसी को न सताने वाला
उत्तर:
(घ) किसी को न सताने वाला
भाषा-कार्य :
4. दिए गए वाक्यों के रिक्त स्थानों में सही कारकचिह्न भरिए।
ने, का, में, से, कर
(i) वह पढ़ाई ………… होशियार था।
(ii) एक आदमी ………… उसे सड़क ………… पढ़ते देखा ।
(iii) एक गाँव ………… एक किसान रहता था।
(iv) रमेश घर ………… निकल पड़ा।
(v) तानसेन ………… संगीत आज भी अमर है ।
(vi) वहाँ राजा ………… सिपाही आ धमका ।
उत्तर:
(i) में
(ii) ने, पर
(iii) में
(iv) से
(v) का
(vi) का
5. दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:
दिन, घर, आदमी, पथिक, दुनिया, पाँव
उत्तर:
- दिन – दिवस, घर
- घर – गृह, सदन
- आदमी – मनुष्य, नर
- पथिक- यात्री, बटोही
- दुनिया – संसार, जग
- पाँव – पग, पैर
6. शब्दों को उनके अर्थ से मिलाइए :
जरूरी — मार्ग
फौरन — क्रोध
रास्ता — आवश्यक
खुश — प्रात:
गुस्सा — प्रसन्न
सवेरा — तुरंत
उत्तर:
जरूरी — आवश्यक
फौरन — तुरंत
रास्ता — मार्ग
खुश — प्रसन्न
गुस्सा — क्रोध
सवेरा — प्रात:
पाठ का सारांश:
एक दिन सवेरे एक आदमी पासवाले गाँव में जरूरी काम निपटाने घर से निकला। मौसम अच्छा था वह लंबे-लंबे डग भरते हुए चला। कमर में धोती बाँधी, कुर्ता पहना और गले में गामछा लपेटा ।
सुहावनी हवा चल रही थी। जल्दी ही पूरव दिशा में सूरज निकल आया । आदमी खुश होकर अपनी राह चला जा रहा था । इतने में आदमी को ऐसा लगा कि सूरज और हवा आपस में झगड़ रहे हैं । सूरज ने कहा कि मेरे बिना संसार मर जाता । हवा कह रही थी कि मेरे बिना तो साँस लेना ही कठिन हो जाता। सूरूज ने हवा पर कभी तेज तो कभी धीमा चलकर सब को परेशान करने का आरोप लगाया । हवा ने सूरज पर संसार को तपा देने का दोष लगाया ।
पथिक उनकी बातें सुनते हुए अपनी राह चला जा रहा था। इधर हवा गुस्से में सनसना रही थी और सूरज भी क्रोध में काफी गर्म हो गया था । दोनों ने पथिक से पूछकर इसका फैसला करना तय किया कि दोनों में से कौन बड़ा है ।
पथिक ने दोनों की बातें सुनकर कहा – “संसार में छोटा-बड़ा कोई नहीं है । सबकी अपनी अपनी अहमियत है । कोई यह नहीं कह सकता कि पाँव बड़ा या सिर । इसलिए झगड़ा छोड़कर अपना-अपना काम करो । संसार में वही बड़ा है जो किसी को परेशान नहीं करता है । दोनों ने पथिक का कहना माना। फिर वे खुश होकर अपने-अपने रास्ते पर चल पड़े ।
ସାରାଂଶ:
ଦିନେ ଜଣେ ଲୋକ ପାଖ ଗାଁରେ ଥିବା ଗୋଟିଏ ଜରୁରୀ କାମରେ ଘର ବାହାରିପଡ଼ିଲା। ପାଗ ଭଲ ଥିଲା। ସେ ଲମ୍ବା-ଲମ୍ବା ପାଦ ପକେ ଆଗକୁ ଋଲିଲା। ସେ ଧୋତୀ ପିନ୍ଧିଥିଲା, କୁ । ପିନ୍ଧିଥିଲା, ବେକରେ ଗାମୁଛା ପକାଇଥଲା। ବଢ଼ିଆ ପବନ ବହୁଥିଲା । ଶୀଘ୍ର ପୂର୍ବ ଦିଗରୁ ସୂର୍ଯ୍ୟ ବି ଉଇଁ ଆସିଲା। ଲୋକଟି ମନଖୁସିରେ ବାଟ ଋଲୁଥିଲା। ଏତିକିବେଳେ ଲୋକଟି ଅନୁଭବ କଲା, ସତେ ଯେପରି ସୂର୍ଯ୍ୟ ଓ ପବନ ନିଜ ନିଜ ଭିତରେ କଳି କରୁଛନ୍ତି । ସୂର୍ଯ୍ୟ କହିଲା ଯେ ମୋ ବିନା ସଂସାର ମରିଯାଆନ୍ତା।
ପବନ କହୁଥିଲା ଯେ ମୋ ବିନା ନିଃଶ୍ୱାସ-ପ୍ରଶ୍ଵାସ ନେବା କଷ୍ଟକର ହୋଇପଡ଼ନ୍ତା। ପବନ କେତେବେଳେ ଜୋରରେ ବହେ, ତ କେତେବେଳେ ଧୀର ଗତିରେ ବହି ସମସ୍ତଙ୍କୁ ବ୍ୟସ୍ତ କରିଦେଉଛି ବୋଲି ସୂର୍ଯ୍ୟ ତା’ ଉପରେ ଦୋଷାରୋପ କଲା। ସୂର୍ଯ୍ୟ ସଂସାରକୁ ଉ ପ୍ତ କରିଦେଉଛି ବୋଲି ପବନ ତାକୁ ଦୋଷ ଦେଲା। ବାଟୋଇଟି ସେମାନଙ୍କ କଥା ଶୁଣି ଶୁଣି ବାଟ ଋଲୁଥିଲା।
ଏଷର ପବନ ରାଗରେ ସାଇଁ ସାଇଁ ବହୁଥୁଲା ତ ତେଣେ ସୂର୍ଯ୍ୟ ବି ରାଗରେ ବହୁତ ଗରମ ହୋଇଯାଇଥିଲା। ସେମାନେ ଦୁହେଁ ସ୍ଥିର କଲେ ଯେ ବାଟୋଇକୁ ପଚାରି ଗୋଟିଏ ନିଷ୍ପ କରିନେବେ ଯେ ସେ ଦୁହିଁଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ବଡ଼ କିଏ। ବାଟୋଇଟି ଦୁହିଁଙ୍କ କଥା ଶୁଣି କହିଲା – ‘ସଂସାରରେ କେହି ଛୋଟ-ବଡ଼ ନୁହନ୍ତି, ସମସ୍ତଙ୍କର ନିଜ-ନିଜର ସୀମା ଅଛି। କେହି କହିପାରିବେନି କି ପାଦ ବଡ଼ କି ମୁଣ୍ଡ ବଡ଼ । ତେଣୁ କଳି ତକରାଳ ଛାଡ଼ି ନିଜ ନିଜ କାମ କର। ଯିଏ ଅନ୍ୟକୁ ହଇରାଣ କରେ ନାହିଁ, ସେ ହିଁ ଦୁନିଆରେ ବଡ଼।’’ ଦୁହେଁ ବାଟୋଇଟିର କଥା ମାନିଲେ ଓ ଖୁସି ହୋଇ ନିଜ ନିଜର କାମରେ ବାହାରିପଡ଼ିଲେ।
शब्दार्थ :