Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 देशप्रेमी संन्यासी Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 देशप्रेमी संन्यासी
प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए :
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାଜ୍ୟୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) हम संन्यासी किसे कहते हैं?
(ହମ୍ ସଂନ୍ୟାସୀ କିସେ କହତେ ହୈ ?)
उत्तर:
संसार में कुछ ऐसे लोग होते है जो अपनी इच्छा से घर-बार छोड़ देते हैं, सुख के साधनों का त्याग कर देते हैं। गरीबी में जीते हैं। संसार को माया जंजाल समझते हैं। ये लोग अपनी परवाह छोड़कर देश के लोगों को जाग्रत करने मे लय जाते हैं। देश तथा सेवा कार्य में लग जाते हैं। ऐसे लोगों को संन्यासी कहते हैं।
(ख) विवेकानन्द का व्यक्तित्व कैसा था? (द्या था?)
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द संन्यासी थे। देखने में बहुत सुंदर, बड़े ज्ञानी और पंडित थे। वे स्वभाव से सरल, विनयी और मधुर भाषी थे तथा बहुत ही प्रतिभाशाली थे। वे देशप्रेमी थे।
(ग) विवेकानन्द ने देशवासियों को क्या कहकर ललकारा?
(ୱେକାନନ୍ଦ୍ ନେ ଦେଶସିୟାଁ କୋ କ୍ୟା କହକର୍ ଲଲ୍କାରା ?)
उत्तर:
विवेकानन्द ने देशवासियों को ललकारते हुए कहा, “मेरे प्यारे देशवासियो! उठो, जागो। जीवन का वरदान स्वतंन्त्रता है मेरा भाई है। भारत मेरा जीवन। उसे प्राप्त करो। गर्व से कहो कि मैं भारतीय हूँ। हर भारतीय है। मेरा प्राण है। भारत के देवता मेरा भरण पोषण करते हैं। भारत मेरे बचपन का हिडोला है, मेरे यौवन का आनंद लोक है और मेरे बुढ़ापे का बैकुंठ है।”
(घ) अमेरीका की धर्मसभा में स्वामीजी ने अपने भाषण में किस बात को प्रतिपादित किया?
(ଅମେରୀକା କୀ ଧର୍ମସଭା ମେଁ ସ୍ଵାମୀଜୀ ନେ ଅପ୍ ଭାଷଣ ମେଁ କିସ୍ ବାତ୍ କୋ ପ୍ରତିପାଦିତ କିୟା ?)
उत्तर:
अमेरीका की धर्मसभा में स्वामीजी ने अपने भाषण में अत्यंत मर्मस्पर्शी वाणी में भारत के धर्म, आचार-विचार, ऋषि-मुनियों के चिंतन, आध्यात्मिक दृष्टिकोण का महत्व प्रतिपादित किया। अपने सुंदर, सरल, अर्थपूर्ण अंग्रेजी भाषण द्वारा सबके दिलों को अभिभूत कर दिया।
(ङ) स्वामीजी ने इंग्लैण्ड के लोगों को कैसे प्रभावित किया?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ନେ ଇଂଗ୍ରେଣ୍ଡ କେ ଲୋଗୋଁ କୋ କୈସେ ପ୍ରଭାବିତ କିୟା ?)
उत्तर:
स्वामीजीने इंग्लैण्ड के लोगों को अपनी विद्वत्ता से प्रभावित किया। वे भी मान गए कि भारत में गरीबी भले ही हो, लेकिन वह ऊँचे विचारों और चिंतन के धनी हैं, अगुवा हैं।
(च) स्वामीजी ने अपनी अनुयायियों को किन-किन कामों में लगाया?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ନେ ଅପୂନୀ ଅନୁୟାୟିର୍ଲୋ କୋ କିନ୍-କିନ୍ କାର୍ପୋ ମେଁ ଲଗାୟା ?)
उत्तर:
स्वामीजी ने अपने असंख्य अनुयायियों को मानव सेवा, ज्ञान सेवा, ज्ञान तथा धर्म-प्रचार में लगाया। रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे। उन्हीं के नाम से रामकृष्ण मिशन बनाया। आज भी देश-विदेश में उनकी अनेक संस्थाएँ जनता की सेवा में उटी हुई हैं।
(छ) 1857 के बाद हमारे देश के लोग किस स्थिति में थे?
(୧୮୫୭ କେ ବାଦ୍ ହମାରେ ଦେଶ୍ କେ ଲୋଗ୍ କିସ୍ ସ୍ଥିତି ମେଁ ଥେ ?)
उत्तर:
1857 के बाद हमारे देश के लोग एक बार कोशिश करके पराजित हो गए थे। इस ईस्वी के बाद लोग निराशा, आलस्य और कर्महीनता में डूबे हुए थे।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ: )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) भारत कब पराधीन था?
(ଭାରତ୍ କବ୍ ପରାଧୀନ୍ ଥା ?)
उत्तर:
कई सालों पहले भारत पराधीन था।
(ख) जीवन का वरदान क्या है?
( ଜୀବନ୍ କା ଓରଦାନ୍ କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
जीवन का वरदान स्वतंत्रता है।
(ग) अंग्रेज क्या मान गये?
(ଅଂଗ୍ରେଜ୍ କ୍ୟା ମାନ୍ ଗୟେ ?)
उत्तर:
अंग्रेज मान गये कि भारत में गरीबी भले ही हो, लेकिन वे ऊँचे विचारों और चिंतन के धनी और अगुवा हैं।
(घ) देश को आजाद करने में किनका योगदान रहा?
(ଦେଶ୍ କୋ ଆଜାଦ୍ କରନେ ମେଁ କିନ୍ ୟୋଗଦାନ୍ ରହା ?)
उत्तर:
देश को आजाद करने में संन्यासियों का बड़ा योगदान रहा।
(ङ) कौन रामकृष्ण परमहंस के उपयुक्त शिष्य थे?
(କୌନ୍ ରାମକୃଷ୍ଣ ପରମହଂସ୍ କେ ଉପୟୁକ୍ତ ଶିଷ୍ୟ ଥେ ?)
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस के उपयुक्त शिष्य थे।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द / एक वाक्य में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀକିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦ ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) धर्म सभा कहाँ हो रही थी?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ଇଂଲିଶ୍ ମେଁ କର୍ତକ୍ ରହେ ?)
उत्तर:
अमेरीका में
(ख) देशप्रेमी संन्यासी कौन हैं?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ କେ ଅନୁସାର୍ ହମାରା ଭରଣ୍ ପୋଷଣ୍ଢ କୌନ୍ କର୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द
(ग) स्वामीजी इंलैण्ड में कबतक रहे?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ କେ ଗୁରୁ କୌନ୍ ଥେ ?)
उत्तर:
एक साल तक
(घ) स्वामीजी के अनुसार हमारा भरण पोषण कौन करता है?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ କେ ଅନୁସାର୍ ହମାରା ଭରଣ୍ ପୋଷଣ୍ କୌନ୍ କର୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
भारत के देवता
(ङ) स्वामीजी के गुरु कौन थे?
( ସ୍ଵାମୀଜୀ ବୁଢ଼ାପେ କା ବୈକୁଣ୍ଠ କିସେ ମା ହେଁ ?)
उत्तर:
रामकृष्ण परमहंस
(च) सालों पहले भारत में किसका शासन चलता था?
(ସାଲୌ ପହଲେ ଭାରତ ମେଁ କିସ୍ ଶାସନ ଚର୍ଚ୍ଚା
उत्तर:
अंग्रेजों का
(छ) स्वामीजी बुढापे का बैकुण्ठ किसे मानते हैं?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ବୁଢ଼ାପେ କା ବୈକୁଣ୍ଠ କିସେ ମା ହେଁ ?)
उत्तर:
भारत को
(ज) स्वामीजी के बचपन का हिण्डोला कौन था?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ନେ କିସେ ଜୀୱନ୍ କା ବରଦାନ୍ ସମଝା ?)
उत्तर:
भारत
(झ) प्रत्येक भारतीय स्वामीजी के लिए क्या था?
(ପ୍ରତ୍ୟେକ୍ ଭାରତୀୟ ସ୍ଵାମୀଜୀ କେ ଲିଏ କ୍ୟା ଥା ?)
उत्तर:
भाई
(ञ) स्वामीजी ने किसे जीवन का बरदान समझा?
(ସ୍ଵାମୀଜୀ ନେ କିସେ ଜୀୱନ୍ କା ବରଦାନ୍ ସମଝା ?)
उत्तर:
स्वतंत्रता
भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)
1. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बताइए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ତ ଶର୍କୋ କେ ଲିଂଗ ବତାଇଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ ନିର୍ଣ୍ଣୟ କର । )
वाणी, विद्वान, अंग्रेजी, दृष्टिकोण, आजादी, देश, संन्यासी, गरीबी, निराशा, आनन्द, बुढ़ापा
उत्तर:
वाणी – स्रीलिंग
अंग्रेजी – स्रीलिंग
आजादी – स्रीलिंग
संन्यासी – पुंलिंग
विद्वान – पुंलिंग
दृष्टिकोण – पुंलिंग
देश – पुंलिंग
गरीबी – स्रीलिंग
निराशा – स्रीलिंग
आनन्द – पुंलिंग
बुढ़ापा – पुंलिंग
2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦା କେ ପର୍ଯ୍ୟାୟବାଚୀ ଶବ୍ଦ ଲିଖୁଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପର୍ଯ୍ୟାୟବାଚୀ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
विद्वान, आजाद, साल, मानव, व्याकुल, इच्छा
उत्तर:
विद्वान – पण्डित
साल – वर्ष
व्याकुल – व्यग्र
आजाद – स्वतंत्र
मानव – मनुष्य
इच्छा – चाह
3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ୱାର୍କୋ କୋ ଶୁଦ୍ଧ କରକେ ଲିଖୁଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ଶୁଦ୍ଧ କରି ଲେଖ ।)
(क) सालों पहले का बात है।
उत्तर:
सलों पहले की बात है।
(ख) रामकृष्ण परमहंस विवेकानन्द का गुरु थे।
उत्तर:
रामकृष्ण परमहंस विवेकानन्द के गुरु थे।
(ग) देश में रामकृष्ण मिशन का अनेक संस्थाएँ हैं।
उत्तर:
देश में रामकृष्ण मिशन की अनेक संस्थाएँ हैं।
(घ) गर्व में कहो की में भारतीय हूँ।
उत्तर:
गर्व से कहो कि मैं भारतीय हूँ।
(ङ) भारत मेरी जीवन है।
उत्तर:
भारत मेरा जीवन है।
4. निम्नलिखित में से विशेषण पद छाँटकर लिखिए :
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ମେଁ ସେ ୱିଶେଷଣ୍ଢ ପଦ୍ ଛାକର୍ ଲିଖୁଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତରୁ ବିଶେଷଣ ପଦକୁ ଅଲଗା କର ।)
(क) मेरे प्यारा देश वासियो!
उत्तर:
प्यारे
(ख) यहाँ अंग्रेजों का कड़ा शासन चलता था।
उत्तर:
कड़ा
(ग) भारत मेरे बचपन का हिंडोला है।
उत्तर:
मेरे
(घ) मेरे यौवन का आनंद लोक है।
उत्तर:
मेरे
(ङ) भारत मेरे बचपन का बैकुण्ठ है।
उत्तर:
मेरे
5. निम्नलिखित वाक्यों में विराम चिह्न लगाइए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଔରାମ୍ ଚିହ୍ନ ଲଗାଇଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ବିରାମ ଚିହ୍ନ ଲଗାଅ ।)
(क) मेरे प्यारे देशवासियो उठो जागो।
उत्तर:
मेरे प्यारे देशवासियो! उठो, जागो।
(ख) निराशा आलस्य और कर्महीनता में डुबे हुए थे।
उत्तर:
निराशा, आलस्य और कर्महीनता में डुबे हुए थे।
(ग) उनकी सुन्दर सरल अर्थपूर्ण अंग्रेजी भाषण ने सबके दिलों को अभिभूत कर दिया।
उत्तर:
उनकी सुंदर, सरल, अर्थपूर्ण अंग्रेजी भाषण ने सबके दिल को अभिभूत कर दिया।
(घ) स्वामीजी ने असंख्य अनुयायियों को मानव सेवा ज्ञान तथा धर्म प्रचार में लगाया।
उत्तर:
स्वामीजी ने अंसख्य अनुयायियों को मानव-सेवा, ज्ञान तथा धर्म प्रचार में लगाया।
अभ्यास- कार्य
(i) ऐसे कुछ अन्य महापुरुषों की जीवनी पढ़कर उनके व्यक्तित्व और कृत्तित्व के बारे में जानिए
(ଏହିପରି କିଛି ଅନ୍ୟ ମହାପୁରୁଷମାନଙ୍କର ଜୀବନୀ ପଢ଼ି ସେମାନଙ୍କର ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵ ଏବଂ କୃତିତ୍ଵ ବିଷୟରେ ଜାଣ ।)
(ii) इस विषय को कम-से-कम दो बार पढ़िए।
(ଏହି ବିଷୟକୁ ଅତି କମ୍ରେ ଦୁଇଥର ପଢ଼ ।)
Very Short & Objective Type Questions with Answers
A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1.
साधारणत: लोग किस कार्य में जुटे रहते हैं?
उत्तर:
साधारणतः लोग धन कमाने में जुटे रहते हैं।
प्रश्न 2.
विवेकानन्द ने अपने गुरु के नाम से क्या बनाया?
उत्तर:
विवेकानन्द ने अपने गुरु के नाम से रामकृष्ण मिशन बनाया।
प्रश्न 3.
सन्यासी संसार को क्या समझते हैं?
उत्तर:
सन्यासी संसार को माया का जंजाल समझते हैं।
प्रश्न 4.
विवेकानन्द के अनुसार हमारा भरण पोषण कौन करता है?
उत्तर:
विवेकानन्द के अनुसार हमारा भरण पोषण भारत के देबता हो करता है।
प्रश्न 5.
धर्म सभा कहाँ हो रही थी?
उत्तर:
अमेरिका में धर्म सभा हो रही थी।
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द / एक पद में दीजिए।
प्रश्न 1.
‘रामकृष्ण मिशन’ को किसने स्थापित किया?
उत्तर:
विवेकानन्द
प्रश्न 2.
संन्यासी लोग किसमें जीते हैं?
उत्तर:
गरीबी में
प्रश्न 3.
जीवन का वरदान क्या है?
उत्तर:
स्वतंत्रता
प्रश्न 4.
धर्म-सभा कहाँ हो रही थी?
उत्तर:
अमेरीका में
प्रश्न 5.
संन्यासी संसार को क्या समझते हैं?
उत्तर:
माया का जंजाल
प्रश्न 6.
संन्यासी किसका त्याग कर देते हैं?
उत्तर:
सुख के साधनों का
प्रश्न 7.
भारतीयों को बुढ़ापे का वैकुंठ किसे मानना चाहिए?
उत्तर:
भारत को
प्रश्न 8.
भारत के देवता हमारा क्या करते है?
उत्तर:
भरण-पोषण
प्रश्न 9.
विवेकानन्द के गुरु कौन थे?
उत्तर:
रामकृष्ण परमहंस
प्रश्न 10.
स्वामीजी इंलैंड में कब तक रहे?
उत्तर:
एक साल
C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
प्रश्न 1.
हम गर्व से कहें ……………… भारत मेरे बचपन का है।
उत्तर:
हिंड़ोला
प्रश्न 2.
भारतीय लोग अंग्रेजों के शासन से मुक्त होने के लिए ……………………. में कोशिश करके पराजित हो गए थे।
उत्तर:
1857
प्रश्न 3.
आज भी देश-विदेश में स्वामीजी की अनेक संस्थाएँ ………………… कर रही हैं।
उत्तर:
जनता की सेवा
प्रश्न 4.
विवेकानन्द बुढ़ापे का बैकुण्ठ ………………….. को मानते हैं।
उत्तर:
भारत
प्रश्न 5.
विवेकानंद हर भारतीय को ……………………. मानते हैं।
उत्तर:
भाई
प्रश्न 6.
देश्रेमी संन्यासी ………………….. थे।
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द
प्रश्न 7.
स्वामीजी ने अपने गुरु के नाम से ………………… बनायी।
उत्तर:
रामकृष्ण मिशन
प्रश्न 8.
स्वामीजी ने इंग्लैण्ड के लोगों को अपनी ……………… से प्रभावित किया।
उत्तर:
विद्वता
प्रश्न 9.
विवेकानंद के अनुसार ………………….. उनका भारण-पोषण करते हैं।
उत्तर:
भारतीय देवता
प्रश्न 10.
भारतीय ऊँचे विचारों और चिंतन के धनी हैं …………………….. हैं।
उत्तर:
अगुवा
D. ठिक् या भूल लिखिए।
प्रश्न 1.
स्वामीजी इंलैण्ड में एक महीने तक रहे।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 2.
विवेकानन्द जगत को पराधीनता का बन्धन समझते हैं।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 3.
प्रत्येक भारतीय स्वामीजी के लिए भाई थे।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 4.
विवेकानंद ने अमेरीका में हिन्दी भाषा में भाषण दिया था।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 5.
जो संसार को माया का जंजाल समझते हैं, उन्हें संन्यासी कहते हैं।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 6.
हमारे देश को आजाद करने में संन्यासियों का योगदान रहा।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 7.
अंग्रेजी विद्वानों को स्वामीजी ने धन से प्रभावित किया।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 8.
भारत के मालिक अंग्रेजों को कहा गया है।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 9.
परिश्रमी लोग अपनी इच्छा से घरबार छोड़ देते हैं।
उत्तर:
भूल
Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers
सही उत्तर चुनिए : (MCQs)
1. ‘रामकृष्ण मिशन’ को किसने स्थापित किया?
(A) रामकृष्ण परमहंस ने
(B) रामकृष्ण के शिष्यों ने
(C) विवेकानन्द ने
(D) सरकार ने
उत्तर:
(C) विवेकानन्द ने
2. संन्यासी लोग किसमें जीते हैं?
(A) सुख में
(B) गरीबी में
(C) माया में
(D) विलास में
उत्तर:
(B) गरीबी में
3. हम गर्व से कहें – भारत मेरे बचपन का है।
(A) हिंड़ोला
(B) आनन्द-लोक
(C) प्राण
(D) वैकुंठ
उत्तर:
(A) हिंड़ोला
4. जीवन का वरदान क्या है?
(A) सुख
(B) स्वतंत्रता
(C) मौज-मस्ती
(D) अपनों की सेवा
उत्तर:
(B) स्वतंत्रता
5. धर्म-सभा कहाँ हो रही थी?
(A) इंग्लैंड में
(B) जापान में
(C) भारत में
(D) अमेरीका में
उत्तर:
(D) अमेरीका में
6. संन्यासी संसार को क्या समझते हैं?
(A) सुख का साधन
(B) बेहद प्यार
(C) माया का जंजाल
(D) बहुत सुंदर
उत्तर:
(C) माया का जंजाल
7. संन्यासी किसका त्याग कर देते हैं?
(A) कर्म के साधनों का
(B) सत्य के बंधन का
(C) सुख के साधनों का
(D) घरबार-सुख-संतोष का
उत्तर:
(C) सुख के साधनों का
8. जीवन का वरदान है।
(A) स्वतंत्रता
(B) निर्भयता
(C) पराधीनता
(D) स्वराज्य
उत्तर:
(A) स्वतंत्रता
9. भारतीय लोग अंग्रेजों के शासन से मुक्त होने के लिए में कोशिश करके पराजित हो गए थे।
(A) 1857
(B) 1917
(C) 1947
(D) 1942
उत्तर:
(A) 1857
10. भारतीयों को बुढ़ापे का वैकुंठ किसे मानना चाहिए?
(A) विष्णुलोक को
(B) भारत को
(C) स्वर्ग को
(D) आनंदलोक को
उत्तर:
(B) भारत को
11. जीवन का वरदान क्या है?
(A) संघर्ष
(B) स्वतंत्रता
(C) सौंदर्य
(D) प्रेम
उत्तर:
(B) स्वतंत्रता
12. जीवन का वरदान क्या है?
(A) विद्या
(B) स्वतंत्रता
(C) सम्मान
(D) धन
उत्तर:
(B) स्वतंत्रता
13. भारत के देवता हमारा करते है:
(A) कल्याण
(B) भाग्य-निर्माण
(C) भरण-पोषण
(D) धार्मिक भाव को विकसित
उत्तर:
14. आज भी देश-विदेश में स्वामी जी की अनेक संस्थाएँ कर रही हैं।
(A) जनता को संगठित
(B) निरक्षरता दूर
(C) जनता की सेवा
(D) फल-फूल
उत्तर:
(C) जनता की सेवा
पाठ का सारांश
मानब सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। दुनिया में ज्यादातर लोग धन कमाने और सुख के पीछे भागते है। पर कुछ लोग मायामोह संसार को झूठा और झंझट समझकर घर-परिवार को त्याग देते है। जिन्दगी भर गरीबी में जीते हैं। स्वामी विवेकानन्द मातृभूमि को अपार प्रेम करने वाले संन्यासी थे। वे देखने में सुन्दर, ज्ञानी, प्रतिभाशाली, सरल और मिष्टभाषी थे। 1857 में भारतवासियों ने आजादी की पहली लड़ाई लड़ी पर सफल नहीं हुए। परिणाम स्वरूप भारतवासी निराश और कर्म हीन हो गए। स्वामी विवेकानन्द ने अपनी ओजस्वी वाणी से देशवासियों को जगाया और उनके मन में देश के प्रति स्वाभिमान का भाव भर दिया।
एक बार अमेरीका के चिकागो शहर में बृहत विश्व धर्म सभा हुई। स्वामीजी सभा में हृदयस्पर्शी भाषा में भारत के धर्म, रीति-रिवाज, चिन्तन, दर्शन आदि के महत्व को समझाया। उनके भाषण ने सबका दिल जीता लिया। स्वामीजी इंग्लैड में रहते समय वहाँ के विद्धानों को अपने विचारों से प्रभावित कर दिया। उन्होंने मान लिया कि भारत गरीब होने पर भी ऊँचे विचारों के धनी है। अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनके शिष्य मानव सेबा और धर्म प्रचार और प्रसार में लगे हैं। भारत के नाम को संसार में प्रसिद्ध कराने वाला ऐसा दूसरा संन्यासी नहीं। भारत को जगाकर उसे आजाद करने में ऐसे गृहत्यागीयों का बहुत योगदान रहा।
ସାରାଂଶ:
ଅର୍ଥସର୍ବସ୍ବ ଦୁନିଆରେ ଅଧିକାଂଶ ଲୋକେ ଧନ ଓ ସୁଖ ପଛରେ ପାଗଳ। କିନ୍ତୁ ସଂସାରରେ ଏଭଳି ଅନେକ ଲୋକ ଅଛନ୍ତି ଯେଉଁମାନେ ସର୍ବସ୍ଵ ତ୍ୟାଗ କରି ଦେଇଛନ୍ତି ଓ ଦରିଦ୍ର ହୋଇ ଜୀବନ ନିର୍ବାହ କରିଛନ୍ତି। ଠିକ୍ ସେହିପରି ସ୍ଵାମୀ ବିବେକାନନ୍ଦ ମାତୃଭୂମିକୁ ଅପାର ପ୍ରେମ କରୁଥିବା ଜଣେ ଗୃହତ୍ୟାଗୀ ସନ୍ନ୍ୟାସୀ ଥିଲେ। ସେ ଦେଖିବାକୁ ଅତୀବ ସୁନ୍ଦର, ଜ୍ଞାନୀ, ପ୍ରତିଭାଶାଳୀ, ସରଳ, ବିନୟୀ ଓ ମଧୁରଭାଷୀ ଥିଲେ। ୧୮୫୭ ଖ୍ରୀ.ଅ.ରେ ଭାରତର ପ୍ରଥମ ସ୍ଵାଧୀନତା ସଂଗ୍ରାମ ହୋଇଥିଲା; କିନ୍ତୁ ତାହା ସଫଳ ନ ହେବାରୁ ଭାରତୀୟମାନଙ୍କ ମନରେ ନିରାଶ ଓ ଅକର୍ମଣ୍ୟର ଭାବ ଜାଗ୍ରତ ହୋଇଥିଲା। ଠିକ୍ ଏହି ସମୟରେ ସ୍ଵାମୀ ବିବେକାନନ୍ଦ ନିଜର ଓଜସ୍ଵୀ ବାଣୀଦ୍ଵାରା ଦେଶବାସୀଙ୍କୁ ଜାଗ୍ରତ କଲେ ଓ ସେମାନଙ୍କ ହୃଦୟରେ ଦେଶ ପାଇଁ ଅଭିମାନ ଭରିଦେଲେ।
ଥରେ ଆମେରିକାର ଚିକାଗୋ ସହରରେ ବିଶ୍ଵଧର୍ମସଭାର ଆୟୋଜନ ହୋଇଥିଲା। ଆମ ଦେଶରୁ ସ୍ୱାମୀ ବିବେକାନନ୍ଦ ପ୍ରଭାବଶାଳୀ ମଧୁର ଭାଷଣ ଦେଲେ। ସେ ଭାରତର ଧର୍ମ, ଚଳଣି ଓ ଦର୍ଶନର ଗୁରୁତ୍ଵକୁ ପ୍ରତିପାଦନ କରିଥିଲେ। ସେ ସେଠାକାର ଲୋକମାନେ ସ୍ଵୀକାର କରିନେଲେ ଯେ ଭାରତ ଉଚ୍ଚ ଚିନ୍ତନରେ ଅଗ୍ରଣୀ। କେହି ସନ୍ନ୍ୟାସୀ ନାହଁନ୍ତ। ଭାରତକୁ ଜାଗ୍ରତ କରି ସ୍ଵାଧୀନ କରାଇବାରେ ଏଭଳି ସନ୍ନ୍ୟାସୀମାନଙ୍କ ବହୁତ ଯୋଗଦାନ ରହିଛ। ସ୍ଵାମୀଜୀଙ୍କ ପୂଜ୍ୟ ଗୁରୁ ରାମକୃଷ୍ଣ ପରମହଂସଙ୍କ ନାମରେ ସେ ରାମକୃଷ୍ଣ ମିଶନ ସ୍ଥାପନ କଲେ। ତାଙ୍କର ଶିଷ୍ୟମାନେ ଧର୍ମ ପ୍ରଚାର ଓ ମାନବ ସେବାରେ ଲାଗିଛନ୍ତି। ଭାରତର ନାମକୁ ସମଗ୍ର ବିଶ୍ବରେ ବିଖ୍ୟାତ କରିଥିବା ସ୍ଵାମୀଜୀଙ୍କ ପରି ଅନ୍ୟ କେହି ସନ୍ନ୍ୟାସୀ ନାହଁନ୍ତି। ଭାରତକୁ ଜାଗ୍ରତ କରି ସ୍ବାଧୀନ କରାଇବାରେ ଏଭଳି ସନ୍ନ୍ୟାସୀମାନଙ୍କ ବହୁତ ଯୋଗଦାନ ରହିଛି।
विषयवस्तु:
(i) हम देखते ………………….. प्रतिभाशाली।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଆମେ ଦେଖୁ କେତେକ ଲୋକ ଧନ ଉପର୍ଜନରେ ଲାଗି ରହିଛନ୍ତି। କେତେ ଲୋକ ସୁଖ ଭୋଗିବାରେ ବ୍ୟାକୁଳ ରହିଛନ୍ତି। କିଛି ଏପରି ଅଛନ୍ତି ଯାହାଙ୍କୁ ସନ୍ନ୍ୟାସୀ କୁହାଯାଏ। ସେ ଲୋକ ନିଜ ଇଚ୍ଛାରେ ଘରଦ୍ଵାର ତ୍ୟାଗ କରିଛନ୍ତି। ସୁଖର ସାଧନକୁ ପରିତ୍ୟାଗ କରି ଦେଇଛନ୍ତି। ଦୀନ-ଦରିଦ୍ର ପରି ବଞ୍ଚୁଛନ୍ତି। ସଂସାରକୁ ମାୟାର ଝଞ୍ଜଟ ବୁଝିଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ଯେ ଏପରି କେତେକ ଲୋକ ନିଜ ମାତୃଭୂମିକୁ ଅପାର ପ୍ରେମ କରୁଥିଲେ। ସ୍ଵାମୀ ବିବେକାନନ୍ଦ ଏପରି ସନ୍ୟାସୀ ଥିଲେ। ସେ ଦେଖିବାକୁ ଅତି ସୁନ୍ଦର, ବଡ଼ ଜ୍ଞାନୀ ଓ ପଣ୍ଡିତ, ସରଳ, ବିନୟୀ ଓ ମଧୁରଭାଷୀ କିନ୍ତୁ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ପ୍ରତିଭାଶାଳୀ।
(ii) सालों पहले …………………. बैकुंठ है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ବର୍ଷ ବର୍ଷ ପୂର୍ବର କଥା। ଭାରତ ପରାଧୀନ ଥିଲା। ଏଠାରେ ଇଂରେଜଙ୍କର ଶାସନ ଚାଲୁଥିଲା। ୧୮୫୭ ଖ୍ରୀ.ଅ.ରେ ଲୋକେ ଯୁଦ୍ଧ କରି ପରାଜିତ ହୋଇଥିଲେ। ନିରାଶା, ଆଳସ୍ୟ ଓ ଅକର୍ମଣ୍ୟ ହୋଇ ପଡ଼ିଥିଲେ। ଏହି ସମୟରେ ସ୍ଵାମୀଜୀ ନିଜର ଦେଶବାସୀମାନଙ୍କୁ କହିଲେ ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀ! ଜାଗ୍ରତ ହୁଅ। ସ୍ଵାଧୀନତା ଜୀବନର ବରଦାନ। ତାକୁ ପ୍ରାପ୍ତ କର ଗର୍ବରେ କୁହ ମୁଁ ଭାରତୀୟ ଅଟେ। ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟ ମୋର ଭାଇ ଅଟନ୍ତି। ଭାରତ ମୋର ଜୀବନ ଓ ପ୍ରାଣକେନ୍ଦ୍ର ଅଟେ। ଭାରତର ଦେବତା ମୋର ଭରଣ ପୋଷଣ କରୁଛନ୍ତି। ଭାରତ ମୋ ବାଲ୍ୟକାଳର ଝୁଲଣା, ମୋ ଯୌବନର ଆନନ୍ଦାଲୋକ ଓ ମୋ ବାର୍ଦ୍ଧକ୍ୟର ବୈକୁଣ୍ଠ।
(iii) एक बार ………………….. कर दिया।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସ୍ଵାମୀଜୀ ଥରେ ଆମେରିକା ଯାଇଥିଲେ। ସେଠାରେ ବଡ଼ ଧର୍ମସଭାର ଆୟୋଜନ କରାଯାଇଥିଲା। ସେ ବଡ଼ ହୃଦୟସ୍ପର୍ଶୀ ଭାଷାରେ ଭାରତର ଧର୍ମ, ପ୍ରଥା, ମୁନିଋଷିଙ୍କ ଚିନ୍ତନ, ଦର୍ଶନ ଆଦିର ମହତ୍ତ୍ଵକୁ ବୁଝାଇଥିଲେ। ସ୍ଵାମୀଜୀଙ୍କ ସୁନ୍ଦର, ସରଳ ଓ ଅର୍ଥପୂର୍ଣ ଇଂରାଜୀ ଭାଷଣ ସମସ୍ତଙ୍କ ମନକୁ ମୋହିତ କରିଦେଇଥିଲା।
(iv) स्वामीजी एक …………………. अगुवा है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସ୍ବାମୀଜୀ ବର୍ଷେ ଇଂଲଣ୍ଡରେ ରହିଲେ। ସେଠାରେ ଭାରତର ମାଲିକ (ଶାସକ) ଇଂଲଣ୍ଡର ବିଦ୍ଵାନମାନଙ୍କୁ ନିଜର ପାଣ୍ଡିତ୍ୟଦ୍ଵାରା ପ୍ରଭାବିତ କଲେ। ସେମାନେ ସ୍ଵୀକାର କଲେ ଯେ ଭାରତ ଗରିବ ହେଲେ ମଧ୍ୟ ଉଚ୍ଚ ଚିନ୍ତନରେ ଅଗ୍ରଣୀ।
(v) स्वामीजी ने ………………… योगदान रहा।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସ୍ୱାମୀଜୀଙ୍କର ଅସଂଖ୍ୟ ଅନୁଗାମୀ (ଶିଷ୍ୟ) ମାନବ ସେବା ଓ ଧର୍ମ ପ୍ରଚାରରେ ଲାଗିପଡ଼ିଲେ। ତାଙ୍କର ଗୁରୁ ରାମକୃଷ୍ଣ ପରମହଂସ ଥିଲେ। ତାଙ୍କ ନାମରେ ସେ ରାମକୃଷ୍ଣ ମିଶନ ସ୍ଥାପନ କଲେ। ବର୍ତ୍ତମାନ ଏହାର ସ୍ଵାମୀଜୀଙ୍କ ଭଳି ଅନ୍ୟ କେହି ସନ୍ନ୍ୟାସୀ ଦେଖାଯାଆନ୍ତି ନାହିଁ । ଭାରତକୁ ଜାଗ୍ରତ କରି ସ୍ଵାଧୀନ କରାଇବାରେ ଏପରି ସନ୍ନ୍ୟାସୀମାନଙ୍କ ବହୁତ ଯୋଗଦାନ ରହିଛି।
शबनार: (ଶରାର୍ଥି)
मिष्टभाषी – मधुर भाषी (ମୃଦୁଭାଷୀ/ମିଷ୍ଟବକ୍ତା)।
हिंड़ोला – झूला (ଝୁଲଣ)।
जंजाल – झंझट (ଝଞ୍ଜଟ)।
बैकुण्ठ – स्वर्ग (ସ୍ଵର୍ଗ)।
भरणपोषण – अन्नवस्त्र देना ( ଅନ୍ନବସ୍ତ୍ର ଦେବା/ଭରଣପୋଷଣ)।
अभिभूत – मोहित, द्रवित (ମୋହିତ, ଦ୍ରବିତ)।
संन्यासी – गृह त्यागी साधु (ଗୃହତ୍ୟାଗୀ ସାଧୁ)।
रोशन करनां – प्रसिद्ध करना (ବିଖ୍ୟାତ କରିବା)।
विचार-बोध (ବିଚାରବେ।ଧ)
स्वामी विवेकानन्द भारत माता के विरल सुपुत्र थे। उन्होंने अपनी प्रचंड प्रतिभा, गंभीर ज्ञान और असाधारण वांकुशक्ति द्वारा विदेशों में भारतीय दर्शन, वेद-वेदांत का महत्त्व प्रमाणित किया। स्वामीजी ने अमेरीका और इंग्लैंड के विद्वानों को समझा दिया कि हिंदू धर्म सहनशील और मानवीय है। उसमें संकीर्णता या कट्टरता नहीं है। उन्होंने देश के लोगों को भी जगाया, सेवा का कार्य किया और कराया भी। देश का नाम उजागर किया। वे संन्यासी थे। सदा के लिए नमस्य भी।
स्वामीजी ने भारतीयों को सुखभोग त्यागकर सादा -सीधा जीवन बीताने को कहा। सदा कर्म-तत्पर रहने, निराशा और आलस्य को छोड़ने को उत्साहित किया। सदैव जाग्रत रहने के लिए अपने भाषण में आह्वान किया था। भारत हमारा सिरमौर है। इसे भारतीय को भूलना नहीं चाहिए। स्वामीजी ने अमेरीका और इंलैंण्ड जैसे समृद्धिशाली देशों में जाकर भारतीय ज्ञान का, दार्शनिक विचारों का अपने वक्तव्य के जरिये प्रचार-प्रसार किया।
रामकृष्ण परमहंस के वे उपयुक्त शिष्य थे। आज देश भर में तथा विदेशों में इनकी अनेक संस्थाएँ भारतीय संस्कृति और दर्शन के प्रचार-प्रसार में लगी हैं। देश-विदेश में भारत के नाम को रोशन करने वाला संन्यासी और कोई नहीं स्वामी विवेकानंद ही हैं जिनका स्मरण आज देश-विदेशों में लोग कर रहे है।