BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 जननी जन्मभूमि

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 जननी जन्मभूमि Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Chapter 5 जननी जन्मभूमि

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଲଗ୍‌ଭଗ୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ପ୍ରାୟ ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) इस दुनिया को विचित्र क्यों कहा जाएगा?
(ଇସ୍ ଦୁନିୟା କୋ ବିଚିତ୍ରା କ୍ୟା କହା ଜାଏଗା ?)
उत्तर:
इस दुनिया को विचित्र कहा गया है क्योंकि यहाँ बड़े-बड़े पहाड़ है। घने जंगल हैं। कलकल करती नदियाँ बहती है। झरने झरते हैं। सागर गरजते हैं। भाँति-भाँति के पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नर-नारी है। भले-बुरे सब है। जड़-चेतन चर-अचर सब है। यह विविधता का भंड़ार है।

(ख) दुनिया बदलती है, इसके क्या प्रमाण हैं?
(ଦୁନିୟା ବଦଲତୀ ହୈ, ଇସ୍‌ କ୍ୟା ପ୍ରମାଣ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
यह दुनिया हर पल बदलती रहती हैं। ऋतुएँ बदलती हैं। मौसम कभी सुहावना होता है तो कभी डरावना, कभी जानलेवा, गर्मी तो कभी कड़ाके की सर्दी। कहाँ हरी भरी फसल नाचती है, वहाँ अकाल भी पड़ता है। आदमी कभी सुख-चैन से जीता है तो सभी दुःखी होता है। कहीं अमीरी है तो कहीं गरीबी। यह जिंदगी भी अजीब है। चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।

(ग) कलिंगा : साहसिका :- ऐसा क्यों कहा गया है?
(କଳିଙ୍ଗାଃ ସାହସିକାଃ ଐସା କ୍ୟା କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
“कलिंगा : साहसिकाः – का अर्थ है कलिंग के लोग साहसी होते है। क्योंकि कलिंग के सौनिकों ने विशाल मगध सेना के दाँत खट्टे कर दिए। कलिंग के लोगों ने सम्राट अशोक का डटकर मुकावला किया। अपनी जानें दी, मगर जमीने नहीं दी। इन लोगों से प्रचंड अशोक भी घबरा गया। वह धर्माशोक बन गया।

(घ) धर्माशोक ने क्या किया?
(ଧର୍ମାଶୋକ ନେ କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
अशोक कलिंग के सैनिकों के आगे घबरा गया। वह धर्माशोक बन गया। युद्ध छोड़ दिया तलवार फेंक दी। वे मानव-प्रेम और अहिंसा की नीति अपनाई। धौली के शिला लेख उसका बयान करते हैं।

(ङ) वीरत्व की कहानी आगे कैसे बढ़ी?
(ବୀରତ୍ଵ କୀ କହାନୀ ଆଗେ କୈସେ ବଢ଼ୀ ?)
उत्तर:
धौली के पहाड़ों पर जापानियों के हाथो बना नया बौद्धस्तूप उस गौरवशाली घटना की उदघोषणा करता है। वीरत्व की यह कहानी आगे बढती है। कलिंग सम्राट खारवेल मगध पर आक्रमण कर देते हैं। उसे पराजित करके कलिंग जिन को वापस ले जाते हैं। कलिंग के शौर्य की राह अमर कथा है।

(च) धउली के शिलालेख में क्या लिखा है?
(ଧଉଲୀ କେ ଶିଲାଲେଖ ମେଁ କ୍ୟା ଲିଖା ହୈ ?)
उत्तर:
धौली के शिलालेख में यह लिखा है कि कलिंग की सेना ने किस प्रकार सम्राट अशोक को युद्ध मे पराजित किया। दया नाम की नदी रक्त की धारा से लतपत हो गयी। इन लोगों के आगे प्रचंड़ अशोक भी घबरा गया । वह धर्माशोक बन गया। अशोक ने मानव – प्रेम और अहिंसा की नीति अपनाई।

(छ) ‘उत्कल’ का क्या अर्थ है?
(‘ଉତ୍କଲ’ କା କ୍ୟା ଅର୍ଥ ହୈ ?)
उत्तर:
उत्कल का अर्थ है ओड़िशा उत्कृष्ट कलाओं का देश हैं। कलाओं के क्षेत्र में ओड़िशा की एक अलग पहचान है। उत्कल के नाम से ओड़िशा को पूरी दुनिया में पहचाना जाता है।

(ज) ओड़िशा के मंदिर अजूबे क्यों हैं?
(ଓଡ଼ିଶା କେ ମନ୍ଦିର୍ ଅକୂବେ କେଁ ହେଁ ?)
उत्तर:
यहाँ ओड़िशा के भुवनेश्वर पुरी और कोणार्क के बड़े-बड़े मंदिर आज भी सिर उठाथे खड़े हैं। उन मंदिरों की भव्य और विशाल कला स्थापत्य से भरे छोटे-बड़े मंदिर सबको आकर्षित करते हैं। हजारों नारी मूर्तियों विभिन्न चेष्टाओं और भंगिमाओं से मुग्ध करनेवाली थे मूर्त्तियाँ। हाथी, घोड़े, पहिये, रत्नाकार मंदिर खूब विशाल और मनोहर होता है। नृत्य गाने के माहौल, द्वारपाल, दिक्पाल के पौरूष आदि ये सेब देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए जादू के नमूने और अजूबे हैं।

(झ) ओड़िशा के बनिये क्या करते थे?
(ଓଡ଼ିଶା କେ ବନିୟେ କ୍ୟା କରତେ ଥେ ?)
उत्तर:
ओड़िशा के बनिए छोट बड़े नाबों में व्यापार करने के लिए सुदूर पूर्वी द्वीपों में जाते थे और धनरत्नों से नौकाएँ भर-भर कर अपने देश लौटते थे। वे न तूफान से डरते थे न गहरे सागर से।

(ञ) मधुसूदन ने क्या किया?
(ମଧୁସୂଦନ ନେ କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
मधुसूदन का दिल ओड़िशा वासियों को देखकर भर आया। उन्होंने यहाँ के लोगों को जमाया। बोले – है उत्कल के सपूतों, उठो जागो। अपने पूराने गौरव को याद करो। तुम्हारे पूर्वजों ने गंगा से गोदावरी तक अपना राज्य फैलाया था। बह टूटकर बिखर गया। तुम दाने दाने के मोहताज हो गए। अब तो उठो करो या मरो।

(ट) मधुबाबू की पुकार सुनकर क्या हुआ?
(ମଧୁବାବୁ କୀ ପୁକାର୍ ସୁକର୍ କ୍ୟା ହୁଆ ?)
उत्तर:
मधुबाबू की पुकार सुनकर अप्रैल 1936 को स्वतंत्र ओड़िशा प्रेदश बना। नव निर्माण का बीड़ा उठाया।

(ठ) ओड़िशा ने कैसे प्रगति की?
(ଓଡ଼ିଶା ନେ କୈସେ ପ୍ରଗତି କୀ ?)
उत्तर:
मधुसूदन ने ओड़िशा के नवनिर्माण का बीड़ा उठाया। उत्कल विश्वविद्यालय स्थापित हुआ। अनेक स्कूल-कालेज खुले नई और नकनीकी शिक्षा का इंतजाम हुआ। इंजीनियरिंग और मेड़िकल कॉलेज खुले। हीराकुद बाँध बना। राउरकेला से लौहे का उत्पादन होने लगा। सुनाबेड़ा में हवाई जहाज बनने लगे। पाराद्वीप बंदरगाह ने नौवाणिज्य को बढ़ावा दिया। चाँदीपुर और बड़माल में देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्री बनने लगी।

(ड) ओड़िशा आज पीछे नहीं है, क्या प्रमाण है?
(ଓଡ଼ିଶା ଆଜ ପୀଛେ ନହୀ ହୈ, କ୍ୟା ପ୍ରମାଣ ହୈ ?)
उत्तर:
ओड़िशा आज किसी चीज में पीछे नहीं हैं। ओड़िशा में आज कई विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खुले, राउरकेला में लौहा इस्पात कारखाना खुला। सुनाबेड़ा में हवाई जहाज कारखाना और पाराद्वीप में नौवाणिज्य को बढ़ावा दिया। इसफा, नालको, जिंदल और वेदांत जैसी कंपनियाँ खुल गयी। चाँदीपुर और वडभाल मे देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्री बनने लगी।

(ढ) आजकल क्या-क्या नए उद्योग हो रहे हैं?
(ଆଜକଲ୍ କ୍ୟା-କ୍ୟା ନଏ ଉଦ୍ୟୋଗ୍ ହୋ ରହେ ହେଁ ?)
उत्तर:
आजकल ओड़िशा में इमफा, नालको, जिंदल और वेदांत जैसे बड़ी-बड़ी कंपनियों खुल गयी। राउरकेला में लोहा इस्पात कारखाना खुल गया। सुनाबेड़ा में हवाई जहाज बनने लगे। पाराद्वीप में बंदरगाह बन गया। चाँदिपुर और बड़माल में देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्री बनने लगी।

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2. इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଲଗ୍‌ଭଗ୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ପ୍ରାୟ ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) संसार निराला क्यों है?
(ସଂସାର ନିରାଲା କୈ ହୈ ?)
उत्तर:
यह संसार हर पल बदलता है। यह विविधता का भंडार है। इसलिए संसार निराला है।

(ख) संसार बदलता है, इसके क्या प्रमाण हैं?
( ସଂସାର ବଦଲତା ହୈ, ଇସ୍‌ କ୍ୟା ପ୍ରମାଣ ହେଁ ?)
उत्तर:
संसार बदलता है इसके प्रमाण हैं मौसम का बदलना, दिन और रात का परिवर्तन होना आदि।

(ग) आदमी के जीवन का क्या इतिहास है?
(ଆଦମୀ କେ ଜୀୱନ୍ କା କ୍ୟା ଇତିହାସ ହୈ ?)
उत्तर:
आदमी के जीवन का इतिहास है अदम्य जिज्ञासा। उसकी आशा-आकांक्षा, खुशी मन, सफलता-विफलता, आलस्य और चौकंसी का लेखा जोखा।

(घ) कलिंग की ख्याति क्यों बढ़ी?
(କଳିଙ୍ଗ କୀ ଖ୍ୟାତି କ୍ୟା ବଢ଼ୀ ?)
उत्तर:
कलिंग के वीरों ने जानें दीं, जमीन नहीं दी । अपनी बीरता के कारण वे इतिहास में अपना एक स्वंतत्र ख्याति रख दिए।

(ङ) धउली के शिलालेख क्या कहते हैं?
(ଧଉଲୀ କେ ଶିଳାଲେଖ୍ କ୍ୟା କହତେ ହୈ ?)
उत्तर:
धउली के शिलालेख कलिंग वीरों का इतिहास कहते हैं। प्रचण्ड अशोक किस प्रकार धर्मशोक बन गया उसके बोर में कहते हैं।

(च) बक्सि जगबंधु आदि ने क्या किया?
(ବକ୍ସି ଜଗବନ୍ଧୁ ଆଦି ନେ କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
बक्सी जगबंधु आदि ने अंग्रेजों को भी चैन से साँस लेने नहीं दिया।

(छ) कौन-सी मूर्तियाँ दुर्लभ हैं?
(କୌନ୍-ସୀ ମୂର୍ତ୍ତିୟାଁ ଦୁର୍ଲଭ୍ ହେଁ ?)
उत्तर:
ओड़िशा की भव्य और विशाल स्थापत्य की अनेक छोटे बड़े मंदिरों की विभिन्न चेष्टाओं और भंगिमाओं से मुग्ध करनेवाली मूर्तियाँ दुर्लभ हैं।

(ज) चिलिका की क्या खासियत है?
(ଚିଲିକା କୀ କ୍ୟା ଖାସିୟତ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
चिलिका की खासियत यह है कि वह उत्कल – लक्ष्मी की विलास सरोवर है।

(झ) मधसूदन ने क्या किया?
(ମଧୁସୂଦନ୍ ନେ କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
मधुसूदन ने उत्कल के सोए हुए सपूतों को जगाया और पुराने गौरव को याद करने को कहा।

(ञ) ओड़िशावासियों ने मधुसूदन की पुकार सुनकर क्या-क्या किया?
(ଓଡ଼ିଶାବାସିୟୌ ନେ ମଧୁସୂଦନ୍ କୀ ପୁକାର୍ ସୁନ୍‌କର୍ କ୍ୟା-କ୍ୟା କିୟା ?)
उत्तर:
ओड़िशावासियों ने मधुसूदन की पुकार सुनकर नव उत्कल निर्माण का बीड़ा उठाया।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्यों में दीजिए :
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଲଗ୍‌ଭଗ୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ପ୍ରାୟ ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) नीर क्षीर का विवेका किसके पास है?
(ନୀର୍ କ୍ଷୀର୍ କା ୱିକ୍ କିସ୍‌ ପାସ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
नीर क्षीर का विवेक हंस के पास है।
(ख) आज सुहाना मौसम है तो कल कैसा हो जाता है?
(ଆଜ୍‌ ସୁହାନା ମୌସମ୍ ହୈ ତୋ କଲ୍ କୈସା ହୋ ଜାତା ହୈ ?)
उत्तर:
आज सुहाना मौसम है तो कल डरावना हो जाता है।

(ग) आदमी के जीवन का इतिहास क्या है?
(ଆଦ୍‌ମୀ କେ ଜୀୱନ୍ କା ଇତିହାସ୍ କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
आदमी के जीवन का इतिहास उसकी अदम्य जिज्ञासा है।

(घ) प्रदेश के इतिहास में क्या-क्या होता है ?
(ପ୍ରଦେଶ୍ କେ ଇତିହାସ୍ ମେଁ କ୍ୟା-କ୍ୟା ହୋତା ହୈ ?)
उत्तर:
आशा-आकांक्षा, खुशी-गम, सफलता-विफलता, आलस्य और चौकसी का लेखाजोखा प्रदेश के इतिहास में होता है।

(ङ) कलिंगवासी किसके नेतृत्व में लड़े?
(କଳିଙ୍ଗୱାସୀ କିସ୍‌ ନେତୃତ୍ୱ ମେଁ ଲଡ଼େ ?)
उत्तर:
कलिंगवासी सम्राट खारबेल के नेतृत्व में लड़े।

(च) अशोक ने कौन-सी नीति अपनाई।
(ଅଶୋକ୍ ନେ କୌନ୍ ସୀ ନୀତି ଅପନାଈ ?)
उत्तर:
अशोक ने मानव प्रेम और धर्म की नीति अपनाई।

(छ) खण्डगिरि की गुफाएँ किसका यशोगान करती हैं?
(ଖଣ୍ଡଗିରୀ କୀ ଗୁଫାଏଁ କିସ୍‌ ୟଶୋଗାନ୍ କରତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
खण्डगिरी की गुफाएँ खारबेल का यशोगान करती है।

(ज) विदेशी पर्यटकों के लिए ये मंदिर कैसे हैं?
(ବିଦେଶୀ ପର୍ଯ୍ୟଟର୍କୋ କେ ଲିଏ ୟେ ମନ୍ଦିର୍ କୈସେ ହେଁ ?)
उत्तर:
विदेशी पर्यटकों के लिए ये मंदिर जादू के नमूने हैं।

(झ) यहाँ के साधव ( बनिये) नौकाओं में क्या भर-भर कर लौटते थे?
(ୟହାଁ କେ ସାଧ୍ୟ (ବନିୟେ) ନୌକାଓଁ ମେଁ କ୍ୟା ଭର୍-ଭର୍ କର୍ ଲୌଟତେ ଥେ ?)
उत्तर:
यहाँ के साधव नौकाओं में धन-रत्न भर-भरकर लौटते थे।

(ञ) स्वतन्त्र ओड़िशा प्रदेश कब बना?
(ସ୍ଵତନ୍ତ୍ର ଓଡ଼ିଶା ପ୍ରଦେଶ୍ କବ୍ ବନା?)
उत्तर:
स्वतंत्र ओड़िशा प्रदेश अप्रैल 1936 को बना।

(ट) देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्रियाँ कहाँ बनने लगीं?
(ଦେଶ୍ କେ ଲିଏ ଆଧୁନିକ୍ ରକ୍ଷା ସାମଗ୍ରିୟାଁ କହାଁ ବନନେ ଲର୍ଗୀ ?)
उत्तर:
देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्रियाँ चाँदीपुर और बड़माल में बनने लगीं।

(ठ) लोहे का उत्पादन कहाँ होने लगा?
(ଲୋହେ କା ଉତ୍ପାଦନ୍ କହାଁ ହୋନେ ଲଗା ?)
उत्तर:
लोहे का उत्पादन राउरकेला में होने लगा।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

इन मुहावरों के अर्थ समझिए :
(ଇନ୍ ମୁହାୱର୍ରୋ କେ ଅର୍ଥ ସମଝିଏ : )
(ଏହି ରୂଢ଼ିଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ଲେଖ : )
दाँत खट्टे करन
दिल दहलना
जान की बाजी लगाना
धावा बोलना
दिल भर आना
दाने दाने का मोहताज
उत्तर:
दाँत खट्टे करना – परास्त करना

दिल दहलना – कलेजा काँपना

जान की बाजी लगाना – जी तोड़ कोशिश करना

धावा बोलना – हमला करना

दिल भर आना – करुणा से द्रवित हो जानाअत्यंत दरिद्र होना

दाने दाने का मोहताज – कोई काम करने का भार लेना

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2. ऐसे शब्द बनाइए :
(ଐସେ ଶବ୍ଦ ବନାଇଏ : )
(ଏହିପରି ଶବ୍ଦ ଗଠନ କର : )
सिंचाई, चढ़ाई, खिंचाई, बड़ाई, कमाई

3. विलोम शब्द लिखिए:
(ୱିଲୋମ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ବିଲୋମ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
स्थावर …………….
जड़ ………………..
गुण ………………..
सर्दी ……………….
खुशी ………………
सुख ……………….
अँधेरा …………….
बढ़िया ……………
अहिंसा ……………..
खुशहाली ……………
उत्थान …………….
वीर ………………..
उत्तर:
स्थावर – अस्थावर

जड़ – चेतन

गुण – अवगुण

सर्दी गरमी

खुशी – गम/दु:खी

सुख – दु:ख

अँधेरा – उजाला

खुशहाली – बदहाली

उत्थान – पतन

बढ़िया – घटिया

वीर – कायर

युद्ध – शांति

अहिंसा – हिंसा

सजीव – निर्जीव

बड़ा – छोटा

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4. पर्यायवाची शब्द जानिये :
(ପର୍ଯ୍ୟାୟୱାଚୀ ଶବ୍ଦ ଜାନିୟେ : )
(ପର୍ଯ୍ୟାୟବାଚୀ ଶବ୍ଦ ଜାଣି : )
आदमी – मनुष्य, मानव
मौसम – ऋतु
प्राण – जान, जीवन
पन्ना – पृष्ठ
युद्ध – लड़ाई, जंग
अमूल्य – अनमोल, बहुमूल्य
जरिये – माध्यम से
द्वीप – टापू
प्रांत – प्रदेश, राज्य
पेशा – धंधा, जीविका, काम
नाव – नौका, नैया
किस्मत – भाग्य, तकदीर

5. निम्न शब्दों के लिंग बताइए :
(ନିମ୍ନ ଶର୍ଡୋ କେ ଲିଙ୍ଗ୍ ବତାଲଏ : )
(ନିମ୍ନ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର)।
संसार, पहाड़, नदी, पौधा, विवेक, दूध, पानी, गर्मी, सर्दी,, फसल, अनाज, दु:ख, दर्द, सूखा, अकाल, खुशहाली, चाँदनी, खुशी, गम, अमीरी, गरीबी, जीवन, जिन्दगी, सुहाना, अँधेरी, रात, दिन, मुकाबला, पन्ना, प्राण, जान, दीपक, इतिहास, सामाज्य, आजादी, बिजली, कारखाना, शिक्षा, नाम
उत्तर:
पुलिंग: संसार, विवेक, पानी, अनाज, सर्दी, अकाल, गम, पहाड़, पौधा, दूध, दु:ख, सूखा, जीवन, दिन, पन्ना, इतिहास, कारखाना, नाम, सुहाना, मुकाबला, प्राण, दीपक, सामाज्य.

स्रीलिंग: नदी, दर्द, सर्दी, चाँदनी, गरीबी, गर्मी, फसल, खुशहाली, खुशी, अमीरी, जिन्दगी, अँधेरी, जान, आजादी, बिजली, शिक्षा

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6. निम्न शब्दों के वचन बदलिए :
(ନିମ୍ନ ଶବ୍ଦା କେ ଚନ୍ ବଦଲିଏ : )
(ନିମ୍ନ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବଚନ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର ।)
नदियाँ, झरने, पौधे, पन्ने, बड़े, मुकाबला, जान, धारा, हाथी, घोड़ा, मूर्तियाँ, सुई, वस्तु, नाव, जहाज, दाना, बहन, भाई, देशवासी; सुविधा, कंपनी, चुनौती
उत्तर:
नदियाँ – नदी

पौधे – पौधा

बड़े – बड़ा

जान – जानें

हाथी – हाथी

मूर्तियाँ – मूर्ति

वस्तु – वस्तुएँ

जहाज – जहाज

बहन – बहनें

देशवासी – देशवासी

कंपनी – कंपनियाँ

झरने – झरना

पन्ने – पन्ना

मुकाबला – मुकाबले

धारा – धाराएँ

घोड़ा – घोड़े

सुई – सुइयाँ

नाव – नावें

दाना – दाने

भाई – भाई

सुविधा – सुविधाएँ

चुनौती – चुनौतियाँ

7. कोष्ठक में से सही क्रियापद चुनकर वाक्यों को पूरा कीजिए :
(କୋଷ୍ଠକ୍ ମେଁ ସେ ସହୀ କ୍ରିୟାପଦ୍ ଚୁକ୍‌କର୍ ୱର୍କୋ କୋ ପୂରା କୀଜିଏ : )
(ବନ୍ଧନୀ ମଧ୍ୟରୁ ଠିକ୍ କ୍ରିୟାପଦ ବାଛିକରି ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ପୂରଣ କର ।)
(क) कलकल करके नदियाँ …………………. । (बह रहा है, बहती हैं, खड़ी हैं, चलती हैं)
उत्तर:
बहती हैं

(ख) हंस ने दूध ………………… (पिया, पी, पी लिये, पीएगा)
उत्तर:
पिया

(ग) कलिंगवासियों ने जानें ……………………………. पर जमीन नहीं । (दी, दी, दिया, दिये)
उत्तर:
दीं, दी

(घ) अशोक ने युद्ध छोड़ शांति की नीति………………….. (अपनाया, अपनायी, अपनाये, अपनायी)
उत्तर:
अपनायी

(ङ) लोगों ने प्राण ……………………… । (दिये, दिया, दी, दीं)
उत्तर:
दिये

(च) मधुसूदन ने इतिहास ……………………… । (पढ़ा, पढ़े, पढ़ी, पढ़ीं)
उत्तर:
पढ़ा

(छ) अशोक ने वीरत्व की कहानी ………………………. । (सुना, सुनी, सुनीं, सुने)
उत्तर:
सुनी

(ज) पूर्वजों ने साम्राज्य ……………………. । (बनाया, बनाये)
उत्तर:
बनाया

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8. पाठ में से ऐसे वाक्यांश ढूँढ निकालिए :
(ପାଠ୍ ମେଁ ସେ ଐସେ ୱର୍ଯ୍ୟାଶ ପୁଂଢ଼ ନିକାଲିଏ : )
(ପାଠ ମଧ୍ୟରୁ ଏହିପରି ବାକ୍ୟାଶ ଖୋଜି ବାହାର କର : )
अच्छी शिक्षा मिली।
इस्पात कारखाना बसा।
प्रगति में तेजी आयी।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक की मदद लेकर कोशिश करें।

9. पाठ में से कुछ क्रिया पदों को छाँटकर उनके तीनों कालों के रूप लिखिए।
(ପାଠ୍ ମେଁ ସେ କୁଛ୍ କ୍ରିୟା ପଦୌ କୋ ନାଁଟକର୍‌ ଉକେ ତିନୌ କାରର୍ଡୋ କେ ରୂପ୍ ଲିଖିଏ : )
(ପାଠ ମଧ୍ୟରୁ କିଛି କ୍ରୟା ପଦକୁ ବାଛିକରି ସେଗୁଡ଼ିକର ତିନୋଟି ରୂପ ଲେଖ: )

वर्तमान भूत बहा भविष्य
बहती झरा बहेगा
झरते लिया झरेगा
लेता रहा लेगा
रहता लड़ा रहेगा
लड़ता रचा लड़ेगा
रचती दिया रचेगा
देता गया देगा
जाता भूत बहा जाएगा

10. पाठ में से सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं को छाँटिए।
(ପାଠ୍ ମେଁ ସେ ସକର୍ମକ୍ ଅକର୍ମକ୍ କ୍ରିୟାଓଁ କୋ ଛାଟିଏଁ ।)
(ପାଠ ମଧ୍ଯରୁ ସକର୍ମକ ଓ ଅକର୍ମକ କ୍ରିୟା ବାଛି କରି ଲେଖ ।)
उत्तर:
सकर्मक -चुनना, छोड़ना, मिलना, कहना, पीना, चाहना, रचना, करना, देना, देखना, सुनना। अकर्मक – बहना, जाना, उड़ना, डरना, होना, रहना, गरजना, जाना, डरना, लड़ना, सहना, चलना, घबराना, बढ़ना, लौटना, जलना, बुझना, टूटना, उठना।

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11. इन क्रियाओं के प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
(ଇନ୍ କ୍ରିୟାଓଁ କେ ପ୍ରେରଣାର୍ଥକ୍ ରୂପ୍ ଲିଖିଏ : )
(ଏହି କ୍ରିୟାଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରେରଣାର୍ଥକ ରୂପ ଲେଖ : )
डरना, बहना, पढ़ना, बनना, करना, मानना
उत्तर:
डरना – डराना/डरवाना
बहना – बहाना/बहवाना
पढ़ना – पढ़ाना/पढ़वाना
करना – कराना / करवाना
बनना – बनाना/बनवाना
मानना – मनाना/मनवाना

12. एस शब्द बनाइए:
(ଐସେ ଶବ୍ଦ ବନାଇଏ : )
(ଏହିପରି ଶବ୍ଦ ଗଠନ କର : )
सुहावना –
गौरवशाली –
तरंगमाल –
जिजीविषा –
उत्तर:
सुहावना – डरावना
तरंगमाल – फुलमाला
गौरवशाली – भाग्यशाली
जिजीविषा – जिजासा

Very Short & Objective Type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
कौन नया इतिहास रचती हैं?
उत्तर:
मुन्य की अदम्य जिज्ञासा नया झीतिहास रचती है।

प्रश्न 2.
गजपति सम्राट को किस उपाधि से विभूषित किया गया था?
उत्तर:
गजपति सम्राट को “गजपति गौड़ेश्वर नवकोटि कर्णाट कलबर्गेश्वर” की उपाधि से विभूषित किया गया।

प्रश्न 3.
ओड़िशा के विभिन्न नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ओडदेश, कंगोद, कोशल, कलिंग, उत्कल और औड़िशा।

प्रश्न 4.
ओड़िआ साधव समुद्री यात्रा के समय क्या कहते थे?
उत्तर:
ओड़िआ साधव समुद्रि यात्रा के समय कहते थे “आ का मा बै”।

प्रश्न 5.
कलिंग युद्ध का वर्णन कहाँ मिलता है?
उत्तर:
कलिंग युद्ध का वर्णन धौली के अशोकीय शिलालेख और जापानी बौद्धस्तूप में मिलता है।

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प्रश्न 6.
हंस की क्या विशेषता है?
उत्तर:
हंस दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है।

प्रश्न 7.
खण्डगिरी की गुफाएँ किसका यशोगान करती हैं?
उत्तर:
खण्डगिरी की गुफाएँ खारबेल का यशोगान करती है।

प्रश्न 8.
उत्कल के साधव नौकाओं में क्या भर-भर कर लौटते थे?
उत्तर:
उत्कल के साधव नौकाओं में धन-रत्न भर-भर कर लौटते थे।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।

प्रश्न 1.
कलिंग के सैनिकों ने किसका मुकावला किया?
उत्तर:
मगध की सेना का

प्रश्न 2.
स्वतंत्र ओड़िशा प्रदेश कब बना?
उत्तर:
अप्रेल 1936 को

प्रश्न 3.
किसकी अदम्य जिज्ञासा नया-नया इतिहास रचती है?
उत्तर:
मनुष्य की

प्रश्न 4.
पाठ के अनुसार देशप्रेमी संन्यासी कौन थे?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद

प्रश्न 5.
ओड्र देश का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
कोशल

प्रश्न 6.
धौली पहाड पर बौद्धस्तूप किसके हाथों बना है?
उत्तर:
जापानियों के

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प्रश्न 7.
उत्कल-लक्ष्मी का विलास-सरोवर किसे कहा जाता है?
उत्तर:
चिलिका को

प्रश्न 8.
ओड़िशा का और एक नाम क्या है?
उत्तर:
कलिंग

प्रश्न 9.
खण्डगिरि की गुफाएँ किसका यशोगान करती हैं?
उत्तर:
खारवेल

प्रश्न 10.
कलिंग युद्ध का वर्णन कहाँ मिलता है?
उत्तर:
अशोकीय शिलालेख

प्रश्न 11.
‘हे उत्कल के सपूतो !’ कहा है
उत्तर:
मधुसूदन ने

C. रिक्त स्थानों की पूर्त्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
उत्कृष्ट कलाओं का यह देश है
उत्तर:
उत्कल

प्रश्न 2.
सदियों के बाद ओड़िशा की किस्मत पलटी तो वह के रास्ते पर आया।
उत्तर:
प्रगति

प्रश्न 3.
मगध पर आक्रमण करने वाले कलिंग सम्राट थे।
उत्तर:
खारवेल

प्रश्न 4.
चाँदीपुर और बडमाल में देश के लिए आधुनिक बनने लगी।
उत्तर:
रक्षा सामग्री

प्रश्न 5.
मनुष्य की यह अदम्य नया-नया इतिहास रचती है।
उत्तर:
जिज्ञासा

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प्रश्न 6.
अशोक ने कलिंग-युद्ध के बाद छोड़ दिया।
उत्तर:
युद्ध

प्रश्न 7.
देश के लिए आधुनिक रक्षा सामग्री बनने लगी।
उत्तर:
चाँदीपुर और बड़माल

प्रश्न 8.
ओड़िआ साधव समुद्री यात्रा के समय कहते थे।
उत्तर:
“आ का मा भै”

प्रश्न 9.
ओड़िशा का प्राचीन नाम था।
उत्तर:
कंगोद

प्रश्न 10.
आज सुहावना मौसम है तो कल हो जाता है।
उत्तर:
डरावना

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
‘उत्कल’ का अर्थ उत्कृष्ट कलाओं का देश है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 2.
खारवेल ने मानवता और अहिंसा की नीति अपनाई।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 3.
प्रचण्ड अशोक धर्माशोक रूप में परिवर्तित हुआ।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 4.
‘दांत खट्टे करना’ का अर्थ जीतना है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 5.
नीर क्षीर का विवेक बिल्ली के पास है।
उत्तर:
ठिक्

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प्रश्न 6.
कलिंगवासी खारबेल के नेतृत्व में लड़े।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 7.
कलिंग युद्ध तीसरी शताब्दी में लड़ा गया था।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 8.
लोहे का उत्पादन राउरकेला से होने लगा।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 9.
खंड़गिरी की गुफाएँ अशोक का यशोगान करती है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 10.
मनुष्य अजीब प्राणी है।
उत्तर:
ठिक्

Multiple Chole Questions (mcqs) wiih Answers

सही उत्तर चुनिए: (MCQS)

1. कलिंग के सैनिकों ने किसका मुकावला किया?
(A) अकबर का
(B) मगध की सेना का
(C) गौड़ेश्वर का
(D) खारबेल का
उत्तर:
(B) मगध की सेना का

2. उत्कृष्ट कला
(A) भारत
(B) उत्कल
(C) मथुरा
(D) आगरा
उत्तर:
(B) उत्कल

3. सदियों के बाद ओड़िशा की किस्मत पलटी तो वह के रास्ते पर आया ।
(A) सुमति
(B) अवनति
(C) दुर्गति
(D) प्रगति
उत्तर:
(D) प्रगति

4. स्वतंत्र ओड़िशा प्रदेश कब बना?
(A) अप्रेल – 1936 को
(B) अगस्त – 1947 को
(C) सितम्बर 1949 को
(D) जनवरी 1950 को
उत्तर:
(A) अप्रेल – 1936 को

5. चाँदीपुर और बडमाल में देश के लिए आधुनिक बनने लगी।
(A) उत्कृष्ट कलाएँ
(B) सींग की कलाकृतियाँ
(C) तकनीकी शिक्षा
(D) रक्षा सामग्री
उत्तर:
(D) रक्षा सामग्री

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6. किसकी अदम्य जिझासा नया-नया इतिहास रचती है?
(A) मनुष्य की
(B) कर्लिंग की
(C) मगध की
(D) संन्यासी की
उत्तर:
(A) मनुष्य की

7. पाठ के अनुसार देशप्रेमी संन्यासी कौन थे?
(A) स्वामी चिन्मयानंद
(B) स्वामी दयानंद
(C) स्वामी सत्यानंद
(D) स्वामी विवेकानंद
उत्तर:
(D) स्वामी विवेकानंद

8. ओडिशा कब स्वतंत्र प्रदेश बना?
(A) 1936 को
(B) 1947 को
(C) 1942 को
(D) 1957 को
उत्तर:
(A) 1936 को

9. ओड्र देश का दूसरा नाम क्या है?
(A) बंगदेश
(B) कोशल
(C) कंगो
(D) मगध
उत्तर:
(B) कोशल

10. धौली पहाड पर बौद्धस्तूप किसके हाथों बना है?
(A) कलिंग सम्राट खारबेल के
(B) जापानियों के
(D) बक्सी जगबंधु के
(C) अंग्रेजों के नया-नया इतिहास रचती है।
उत्तर:
(B) जापानियों के

11. मनुष्य की यह अदम्य
(A) गरीबी
(B) आशा
(C) जिज्ञासा
(D) आकंक्षा
उत्तर:
(C) जिज्ञासा

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12. उत्कल-लक्ष्मी का विलास-सरोवर है:
(A) अंशुपा
(B) चिलिका
(C) महानदी
(D) बिंदु-सरोवर
उत्तर:
(B) चिलिका

13. मगध पर आक्रमण करने वाले कलिंग सम्राट थे:
(A) खारवेल
(B) कपिलेन्द्र देव
(C) अशोक
(D) कृष्णदेव राय
उत्तर:
(A) खारवेल

14. अशोक ने कलिंग-युद्ध के बाद …………….. छोड़ दिया।
(A) अहिंसा
(B) युद्ध
(C) राज्य का शासन
(D) मगध-सेना
उत्तर:
(B) युद्ध

15. ओड़िशा का एक नाम है:
(A) अंग
(B) बंग
(C) कलिंग
(D) जंग
उत्तर:
(C) कलिंग

16. स्वतन्त्र ओड़िशा प्रदेश कब बना?
(A) जनवरी १९३६
(B) मार्च १९३६
(C) अप्रैल १९३६
(D) मई १९३०
उत्तर:
(B) मार्च १९३६

17. खण्डगिरि की गुफाएँ किसका यशोगान करती हैं?
(A) महम्मद घोरी
(B) आऊरंगजेव
(C) खारवेल
(D) सम्राट अशोक
उत्तर:
(C) खारवेल

पाठ का सारांश

क्षण भंगुर संसार परिवर्त्तनशील है। मानव जीवन में सुख दुःख उत्थान पतन आते रहते है। मगर मनुष्य कष्टो से संघर्ष र प्रकृति को अपने वश में रखता है। प्रत्येक समाज, प्रदेश और देश का अपना इतिहास होता है। ओड़िशा का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। जिसमें आशा-निराशा, सुख-दुःख, सफलता-असफलता, आलस्य-चौकसी का वर्णन होता है। ओड़िशा का स्वर्णिम इतिहास रहा है। विभिन्न काल में ओड़िशा अलग अलग नाम से परिचित है यथा ओड्र, कलिंग, उत्कल, कंगोद् और कोशल। इसा पूर्व तीसरी शताब्दी में कलिंगवासी बहुत साहसी थे। इसा पूर्व 261 में मगध सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। कलिंगवासी बहुत बहादुरी से लड़े। उन्होंने मगध सम्राट अशोक की सेना का डटकर मुकाबाला किया। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लाखों की संख्या में शहीद हो गए। दया नदी की धारा खून से लाल हो गई।

इसको देखकर चण्डाशोक अशोक का हृदय बदल गया। उसने युद्ध त्याग कर अहिंसा का मार्ग पकड़ा। अशोक का नाम चण्डाशोक के बदले धर्मशोक से परिचित हो गया। अभी धौली के शिलालेख और बौद्धस्तूप इस घटना की उद्घोषणा करते हैं। इसके बाद कलिंग के सम्राट खारबेल ने मगध को पराजित किया तथा ‘कलिंग जिन’ को वापस लेकर आए। खण्डगिरी – उदयगिरी के शिलालेख खारवेल का यशोगान करते हैं। उत्कल का अर्थ है- उत्कृष्ट कलाओं का देश। उस कला में बना पुरी का जगन्नाथ मन्दिर, भुवनेश्वर का प्रभु लिंगराज मन्दिर और कोणार्क का सूर्य मन्दिर आज भी अपनी भव्यता और विशालता से संसार को चकित करता है। इनके अलवा श्रेष्ठ स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने है। इन सब में ओडिशा के गौरवमय अतीत को दर्शाते हाथी, घोड़े, पहिए, कमल, नृत्यंगनाएँ आदि की सुन्दर मूर्तियाँ है जो पर्यटकों पर जादू कर देते हैं। उस काल में उत्कल का उद्योग प्रगति पर था।

ओड़िशा के सूती और पाट के कपड़े, सोने-चाँदी के गहने, काँसे-पितल के वर्तन, सींग की कलाकृतियाँ विदेशी बाजार में आकर्षण का केन्द्र रही है। ओड़िसी चित्रकला, नृत्य और संगीत आज भी विश्व में लोकप्रिय हैं। ओड़िशा के वणिकों ने सुदूर पूर्वी द्वीपों में अपने समुद्री व्याप र का जाल फैला रखा था। वहाँ से नौकाएं भर-भरकर धन – रत्न लेकर आते थे। चिलिका झील तो सदा से लक्ष्मी का निवास रही है। वीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में महापुरुष मधुसूदन दास इस गौरब गाथा को पढ़कर रो पड़े। उन्होने उत्कलवासियाँ को जाग्रत किया। बक्सि जगबन्धु, सुरेन्द्र साए, चाखि खुण्टिआ, चक्रधर बिसोई, लक्ष्मण नायक आदि स्वतन्त्रता सेनानियों ने अंग्रेजों को नाको चने चबा दिए। अप्रेल 1936 में ओड़िशा स्वतन्त्र प्रदेश बना। इसके बाद नूतन ओड़िशा का नव निर्माण ज्ञानी नेताओं ने उठाया। अनेक स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, मेड़िकाल काँलेज और इंजिनियरिंग काँलेज स्थापित हुए। नई तकनीक शिक्षा लागू हुई। कुछ साल में सभी क्षेत्र में हजाराो सुयोग्य कर्मी तैयार हुए जिन्होंने ओड़िशा का सर्वागीण विकास किया। हमें भी इसके विकास में योगदान देना चाहिए।

ସାରାଂଶ:
ବିଚିତ୍ର ଓ ବିବିଧତାପୂର୍ଣ୍ଣ ସଂସାର ପରିବର୍ତ୍ତନଶୀଳ। ସଂସାରର ସର୍ବଶ୍ରେଷ୍ଠ ପ୍ରାଣୀ ମାନବ ଜୀବନରେ ସୁଖ-ଦୁଃଖ ଓ ଉତ୍ଥାନ-ପତନ ଆସେ। ମଣିଷ କଷ୍ଟ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଲଢ଼େ। କ୍ଷଣିକ ସୁଖ ପାଇଁ ସବୁପ୍ରକାର ଯନ୍ତ୍ରଣାକୁ ସହିନିଏ। ସେ ପ୍ରକୃତିକୁ ନିଜର ଆୟତ୍ତରେ ରଖୁବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକରେ। ମାନବ ଜୀବନର ସଂଘର୍ଷ, ଉତ୍ଥାନ-ପତନର କାହାଣୀ ହିଁ ତାହାର ଇତିହାସ ହୋଇ ରହିଛି। ପ୍ରତ୍ୟେକ ସମାଜ, ପ୍ରଦେଶ ଓ ଦେଶର ଇତିହାସ ରଚନା ହୋଇଛି, ଯେଉଁଥରେ ତାହାର ଆଶା- ନିରାଶା, ସୁଖ-ଦୁଃଖ, ସଫଳତା-ବିଫଳତା, ଆଳସ୍ୟ-ସତର୍କତାର ବିବରଣୀ ରହିଛି । ସେଥୁମଧ୍ୟରୁ ଓଡ଼ିଶାର ଗୌରବମୟ ଇତିହାସ ମଧ୍ୟ ଦେଖିବାକୁ ମିଳେ।

ଓଡ଼ିଶାର ନାମ ବିଭିନ୍ନ ସମୟରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ହୋଇ ଜନସମାଜରେ ଲୋକପ୍ରିୟ ହୋଇଛି । ତାହାର ପୂର୍ବନାମ ହେଉଛି ଓଡ୍ରଦେଶ, କଳିଙ୍ଗ, ଉତ୍କଳ, କଙ୍ଗୋଦ ଆଦି। ଖ୍ରୀ.ପୂ. ତୃତୀୟ ଶତାବ୍ଦୀରେ କଳିଙ୍ଗବାସୀ ଭାରୀ ସାହସୀ ଥିଲେ । ଖ୍ରୀ.ଅ. ୨୬୧ ରେ ମଗଧ ସମ୍ରାଟ ଅଶୋକ କଳିଙ୍ଗର ଧନରତ୍ନ ଦେଖ୍ ଆକ୍ରମଣ କରିଥିଲେ । କଳିଙ୍ଗବାସୀ ବୀରତ୍ଵର ସହ ଲଢ଼ିଲେ । ଏହି ଯୁଦ୍ଧରେ ଲକ୍ଷେ ଲୋକ ଜୀବନ ଉତ୍ସର୍ଗ କଲେ । କଳିଙ୍ଗବାସୀଙ୍କ ରକ୍ତରେ ଦୟାନଦୀ ରକ୍ତରଞ୍ଜିତ ହେଲା । ଅଶୋକ ଯୁଦ୍ଧ ତ୍ୟାଗ କରି ମାନବ ପ୍ରେମ ଓ ଅହିଂସା ନୀତିରେ ଚାଲିଲେ । ମୌଳିର ଶିଳାଲେଖ ଓ ବୌଦ୍ଧସ୍ତୂପ ବୀରତ୍ଵର ଜିନ’କୁ ଫେରାଇ ଆଣିଲେ । ଖଣ୍ଡଗିରି-ଉଦୟଗିରିର ଶିଳାଲେଖମାନ ଖାରବେଳଙ୍କର ଯଶୋଗାନ କରନ୍ତି । ଉତ୍କଳର ଅର୍ଥ ହେଉଛି ଉତ୍କୃଷ୍ଟତାର ଦେଶ । ସେ ସମୟରେ ନିର୍ମିତ ପୁରୀର ଜଗନ୍ନାଥ ମନ୍ଦିର, ଭୁବନେଶ୍ୱରର ଲିଙ୍ଗରାଜ ମନ୍ଦିର ଓ କୋଣାର୍କର ସୂର୍ଯ୍ୟ ମନ୍ଦିର ଗର୍ବରେ ମୁଣ୍ଡ ଟେକି ଛିଡ଼ା ହୋଇଛି । ଏହା ସାରା ବିଶ୍ଵକୁ ଚକିତ କରୁଛନ୍ତି । ଏମାନେ ଉତ୍କଳର ଉତ୍କୃଷ୍ଟ ସ୍ଥାପତ୍ୟ କଳାର ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ । ଭବ୍ୟ ମନ୍ଦିରମାନଙ୍କରେ ବିଭିନ୍ନ ଭଙ୍ଗିମାରେ ନାରୀମାନଙ୍କର ମନୋହର ମୂର୍ତ୍ତି, ହାତୀ, ଘୋଡ଼ା, ଚକ ଓ ପଦ୍ମଦ୍ଵାରା ସୁସଜ୍ଜିତ।

ସେ ସମୟରେ ଶିଳ୍ପ ଓ ବାଣିଜ୍ୟ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଉତ୍କଳର ପ୍ରସିଦ୍ଧି ଥିଲା । ସୂତା ଓ ପାଟବସ୍ତ୍ର, ସୁନା-ରୁପା ଅଳଙ୍କାର, କଂସା-ପିତଳ ବାସନ ଓ ସିଙ୍ଗର କଳାକୃତି ବିଶ୍ଵପ୍ରସିଦ୍ଧ । ଓଡ଼ିଶାର ସାଧବମାନେ ସୁଦୂର ଦ୍ୱୀପମାନଙ୍କରେ ବେପାର କରୁଥିଲେ । ସେମାନେ ସେଠାରୁ ବୋଇତ ଭର୍ତ୍ତି କରି ଧନ-ରତ୍ନ ଆଣୁଥିଲେ । ଚିଲିକା ହ୍ରଦ ଲକ୍ଷ୍ମୀଙ୍କର ବାସସ୍ଥଳୀ ରହିଆସିଛି । ଏହାଛଡ଼ା ଉତ୍କଳର ଚିତ୍ରକଳା, ଓଡ଼ିଶୀ ନୃତ୍ୟ ଓ ସଙ୍ଗୀତ ଆଜିପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲୋକପ୍ରିୟ ହୋଇରହିଛି । ବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ଆରମ୍ଭରେ ମଧୁସୂଦନ ଦାସ ଓଡ଼ିଶାର ଗୌରବଶାଳୀ ଇତିହାସ ପଢ଼ି କାନ୍ଦି ଉଠିଲେ । ସେ ଉତ୍କଳବାସୀଙ୍କୁ ସୁପ୍ତରୁ ଜାଗ୍ରତ କଲେ। ବକ୍ସି ଜଗବନ୍ଧୁ, ବୀର ସୁରେନ୍ଦ୍ର ସାଏ, ଚାଖ୍ ଖୁଣ୍ଟିଆ, ଚକ୍ରଧର ବିସୋଇ, ଲକ୍ଷ୍ମଣ ସ୍ଵତନ୍ତ୍ର ଉତ୍କଳ ପ୍ରଦେଶ ଗଠନ ହେଲା । ସ୍ବତନ୍ତ୍ର ଉତ୍କଳ ପ୍ରଦେଶର ସୁଧୀ ନେତାମାନେ ଓଡ଼ିଶାର ନବନିର୍ମାଣର ଦାୟିତ୍ଵ ବହନ କଲେ । ଏହାପରେ ବିଦ୍ୟାଳୟ, ମହାବିଦ୍ୟାଳୟ, ବିଶ୍ଵବିଦ୍ୟାଳୟ, ଇଞ୍ଜିନିୟରିଂ ଓ ମେଡ଼ିକାଲ କଲେଜ ସ୍ଥାପନ ହେଲା । ନୂତନ ପ୍ରଯୁକ୍ତି ଶିକ୍ଷା ପ୍ରଣୟନ କରାଗଲା । କିଛି ବର୍ଷରେ ସବୁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ହଜାର ହଜାର ସୁଯୋଗ୍ୟକର୍ମୀ ବାହାରିଲେ । ସେମାନଙ୍କଦ୍ୱାରା ଓଡ଼ିଶାର ସର୍ବାଙ୍ଗୀଣ

विण्यवस्तु

(i) यह दुनिया …………………… छोड़ देता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଏହି ସଂସାର ବଡ଼ ବିଚିତ୍ର। ଏଥରେ କ’ଣ କ’ଣ ନାହିଁ। ବଡ଼ ବଡ଼ ପାହାଡ଼, ଘଞ୍ଚ ଜଙ୍ଗଲ, କଳକଳ ଧ୍ଵନିରେ ନଦୀଗୁଡ଼ିକ ବହୁଅଛି। ଝରଣା ଝରୁଛି। ସାଗର ଗର୍ଜନ କରୁଛି। ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ଗଛ-ଲତା, ପଶୁ- ପକ୍ଷୀ, ନର-ନାରୀ ଅଛନ୍ତି। ଭଲ ମନ୍ଦ ମଧ୍ୟ ଅଛି। ତୁଳସୀ ଦାସ କହୁଛନ୍ତି ଈଶ୍ବର ଏ ସଂସାରରେ ନିର୍ଜୀବ, ସଜୀବ, ଗୁଣୀ ଭଣ୍ଡାର ଅଟେ । ଗୁଣୀ ବ୍ୟକ୍ତି ଗୁଣକୁ ବାଛନ୍ତି । ଯେପରି ହଂସ ଦୁଗ୍ଧ ପିଇଦିଏ, ପାଣିକୁ ଛାଡ଼ିଦିଏ।

(iii) यह मनुष्य ………………………. पतन की कहानी है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସଂସାର ପ୍ରତ୍ୟେକ ସମୟରେ ପରିବର୍ତ୍ତନଶୀଳ। ଋତୁ ବଦଳୁଛି। ଋତୁ କେବେ ସୁଖଦ କେବେ ଦୁଃଖଦ ହେଉଛି । କେବେ କଷ୍ଟଦାୟକ ଗରମ ତ କେବେ କଷ୍ଟଦାୟକ ଥଣ୍ଡା । ଯେଉଁଠି ପ୍ରଚୁର ଫସଲ ନାଚୁଛି, ସେଠାରେ ଦୁର୍ଭିକ୍ଷ ମଧ୍ୟ ପଡ଼େ । ମଣିଷ କେତେବେଳେ ସୁଖ ତ କେବେବେଳେ ଦୁଃଖରେ ବଞ୍ଚୁଛି । କେଉଁଠି ଧନୀ ତ କେଉଁଠି ଗରିବ । ଭଲ ଦିନ ଶୀଘ୍ର ଚାଲିଯାଉଛି । ଦୁଃଖର ଦିନ ଧୀରେ ଧୀରେ ଖସନ୍ତି । ଲୋକେ କହନ୍ତି ଏହି ଜୀବନ କ’ଣ ? ସୁଖର ଚାରିଦିନ ପରେ ପୁଣି ଦୁଃଖର ସମୟ ଆସିଯାଏ ।

(iii) यह मनुष्य …………………… पतन की कहानी है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଏହି ମନୁଷ୍ୟ ବିଚିତ୍ର ପ୍ରାଣୀ । ସେ ଅନ୍ଧାର ସାଙ୍ଗରେ ଲଢ଼େଇ କରେ, ଡରେ ନାହିଁ । ସେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଦୁଃଖ ଓ ଯନ୍ତ୍ରଣାକୁ ସହ୍ୟ କରେ । ଚାରି ଦିନର ସୁଖ ପାଇଁ ପ୍ରକୃତି ବିରୁଦ୍ଧରେ ସଂଗ୍ରାମ କରେ । ତାକୁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ କରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକରେ । ମଣିଷର ଏହି ପ୍ରବଳ ଜିଜ୍ଞାସା ନୂଆ-ନୂଆ ଇତିହାସ ଗଢ଼େ । ଏହା ତାହାର ଉତ୍‌ଥାନ ଓ ପତନର କାହାଣୀ ଅଟେ ।

(iv) इसलिए हर …………………………. प्रिय हुए हैं।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ତେଣୁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଲୋକର, ସମାଜର, ଦେଶର ବା ରାଜ୍ୟର ଅଲଗା ଇତିହାସ ରହିଛି । ଯେଉଁଥରେ ତାହାର ଆଶା-ଆକାଂକ୍ଷା, (ନିରାଶା), ସୁଖ-ଦୁଃଖ, ସଫଳତା-ବିଫଳତା, ଆଳସ୍ୟ-ସଚେତନତାର ବିବରଣୀ ରହିଛି ? ଆସନ୍ତୁ, ନିଜ ଜନ୍ମଭୂମି ଓଡ଼ିଶା ଇତିହାସର ଦୁଇ ପୃଷ୍ଠା ପଢ଼ିବା । ଓଡ୍ର ଦେଶ ବା ଓଡ଼ିଶାର କେତେକ ନାମ ମିଳେ । କଳିଙ୍ଗ, ଉତ୍କଳ, କଙ୍ଗୋଦ ଓ କୋଶଳ । ପ୍ରାୟ ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ନାମରେ କେତେକ ଅଞ୍ଚଳ କିମ୍ବା ସମୟରେ ଅଧୂକ ପ୍ରିୟ ହୋଇଥିଲା।

(v) इस इतिहास ………………………… अमर कथा है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଖ୍ରୀଷ୍ଟପୂର୍ବ ତୃତୀୟ ଶତାବ୍ଦୀରୁ ଏହାର ପ୍ରଥମ ପୃଷ୍ଠା ଆରମ୍ଭ । ଲେଖା ଅଛି କଳିଙ୍ଗବାସୀ ଭାରି ସାହସୀ । କଳିଙ୍ଗର ସୈନିକମାନେ ବିରାଟ ମଗଧର ସୈନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଯୁଦ୍ଧରେ ପରାସ୍ତ କଲେ । ମଗଧ ସମ୍ରାଟ ଅଶୋକଙ୍କର ସେନାବାହିନୀର ମୁକାବିଲା କଲେ । ଶହୀଦ ହେଲେ, ଜନ୍ମଭୂମିକୁ ରକ୍ଷା କଲେ । ଲକ୍ଷ-ଲକ୍ଷ ସଂଖ୍ୟାରେ ଜୀବନ ଉତ୍ସର୍ଗ କଲେ । ଲକ୍ଷେ ବନ୍ଦୀ ହେଲେ । ଦୟାନଦୀର ସ୍ରୋତ ରକ୍ତରେ ଲାଲ ହୋଇଗଲା । ରାଜା ବା ସେନାପତିର ନାମ ନଥିଲା । ମାନବ ପ୍ରେମ ଓ ଅହିଂସାର ନୀତି ଧାରଣ କଲେ । ଧଉଳି ଶିଳାଲେଖରେ ଅଶୋକଙ୍କ କୀର୍ତ୍ତି ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି । ବଢ଼ିଚାଲିଲା । କଳିଙ୍ଗ ସମ୍ରାଟ ଖାରବେଳ ମଗଧ ଆକ୍ରମଣ କରିଥିଲେ । ତାଙ୍କୁ ପରାଜିତ କରି ‘କଳିଙ୍ଗ ଜିନ’ ଫେରାଇ ଆଣିଲେ । ଖଣ୍ଡଗିରି-ଉଦୟଗିରିର ଶିଳାଲେଖ ଓ ଗୁମ୍ଫାମାନ ଖାରବେଳଙ୍କ ଯଶୋଗାନ କରନ୍ତି । ଏହା କଳିଙ୍ଗ ବୀରତ୍ଵର ଅମର କଥା।

(vi) साहसिकता का ………………………… नहीं सहा।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସାହସିକତାର ଏହି କ୍ରମ ଆଧୁନିକ ଯୁଗରେ ପୁଣି ସୁରେନ୍ଦ୍ର ସାଏ, ଚାଖ୍ ଖୁଣ୍ଟିଆ, ଚକ୍ରଧର ବିସୋଇ, ଲକ୍ଷ୍ମଣ ନାୟକ ଆଦି ସାହସୀ ଅର୍ଶ ସଶ। ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଛି । ବକ୍ସି ଜଗବନ୍ଧୁ, କଳିଙ୍ଗ ପୁତ୍ରମାନେ ଇଂରେଜମାନଙ୍କୁ ଆରାମରେ ବସିବାକୁ ଦେଇ ନ ଥିଲେ । ଏହି ସୁପୁତ୍ରମାନେ ଜୀବନ ଦେଇଦେଲେ କିନ୍ତୁ ଅନ୍ୟାୟ ସହି ନଥିଲେ । ଆଣିଲେ । ଖଣ୍ଡଗିରି-ଉଦୟଗିରିର ଶିଳାଲେଖ ଓ ଗୁମ୍ଫାମାନ ଖାରବେଳଙ୍କ ଯଶୋଗାନ କରନ୍ତି । ଏହା କଳିଙ୍ଗ ବୀରତ୍ଵର ଅମର କଥା ।

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(vii) इतिहास का ……………………….. पतन हो गया।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଅଧୁନା ଇତିହାସର ଅନ୍ୟ ପୃଷ୍ଠା ଦେଖ । ଉତ୍କୃଷ୍ଟ କଳାର ଦେଶ ଉତ୍କଳ l ଶତାବ୍ଦୀ ବିତିଗଲାଣି । ଭୁବନେଶ୍ଵର, ପୁରୀ ଓ କୋଣାର୍କର ବଡ଼ ବଡ଼ ମନ୍ଦିର ମୁଣ୍ଡ ଟେକି ଛିଡ଼ା ହୋଇଛନ୍ତି । ଏମାନେ ବିଶ୍ଵର ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ । ଭବ୍ୟ ଓ ସ୍ଥାପତ୍ୟ କଳାର ଅନେକ ଛୋଟ-ବଡ଼ ମନ୍ଦିର । ହଜାର ହଜାର ନାରୀ ମୂର୍ତ୍ତି । ବିଭିନ୍ନ ଭଙ୍ଗିମା ଶାରୀରିକ ମୁଦ୍ରା ମନମୁଗ୍ଧ କରନ୍ତି । ହାତୀ, ଘୋଡ଼ା, ଚକ, ପଦ୍ମ ରଥାକାର ମନ୍ଦିର । ବିରାଟ ଓ ମନୋହର ! ନୃତ୍ୟଗୀତର ପରିବେଶ ! ଦ୍ଵାରପାଳ, ଦିଗପାଳମାନଙ୍କର ପୁରୁଷତ୍ଵ । ଏଗୁଡ଼ିକ ସବୁ ଦେଶ-ବିଦେଶର ପର୍ଯ୍ୟଟକମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଯାଦୁର ନମୁନା ଅଟେ । ଓଡ଼ିଶାର ସୂତା ଓ ପାଟବସ୍ତ୍ର, ସୁନାରୁପାର ଅଳଙ୍କାର, କଂସା-ପିତଳର ବାସନ ଓ ଶିଙ୍ଗର କଳାକୃତିଗୁଡ଼ିକ ବିଦେଶୀ ବଜାରରେ ଆକର୍ଷଣର କେନ୍ଦ୍ର ରହି ଆସିଛି । ଓଡ଼ିଶୀ ଚିତ୍ରକଳା, ନୃତ୍ୟ ଓ ସଙ୍ଗୀତ ଆଜି ବିଦେଶରେ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଲୋକପ୍ରିୟ ହୋଇଛି । ଓଡ଼ିଆ ସାଧବ ଛୋଟ ବଡ଼ ବୋଇତରେ ସୁଦୂର ପୂର୍ବ ଦ୍ୱୀପମାନଙ୍କରେ ଯାଇ ବ୍ୟବସାୟ କରୁଥିଲେ। ମହାସମୁଦ୍ରର ତରଙ୍ଗମାଳାରେ ଯାଉଥିଲେ ଓ ଧନରତ୍ନ ବୋଇତରେ ଭରି ଆଣୁଥିଲେ । ତୋଫାନ ଓ ସମୁଦ୍ରକୁ ତାଙ୍କର ଭୟ ନଥିଲା । ସେମାନେ କହିଥିଲେ ‘ଆ କା ମା ଭୈ’ ! (ଆଶ୍ବିନ, କାର୍ତ୍ତିକ, ମାଘ, ବୈଶାଖ) ଆମର କାହାକୁ ଭୟ ନାହିଁ । ଚିଲିକା

(viii) बीसवीं शती ………………………… करो या मरो।”
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ଆରମ୍ଭରେ ମହାପୁରୁଷ ମଧୁସୂଦନ ଦାସ ଏହି ଇତିହାସ ପଢ଼ିଲେ । ତାଙ୍କ ହୃଦୟ କାନ୍ଦି ଉଠିଲା । ସେ ଶୋଇଥିବା (ଓଡ଼ିଶାବାସୀ)ଙ୍କୁ ଜାଗ୍ରତ କରି କହିଲେ ହେ ଉତ୍କଳର ସୁପୁତ୍ରମାନେ । ଜାଗ୍ରତ ହୁଅ । ନିଜର ପ୍ରାଚୀନ ଗୌରବକୁ ସ୍ମରଣ କର । ତୁମ ପୂର୍ବପୁରୁଷମାନେ ଗଙ୍ଗାଠାରୁ ଗୋଦାବରୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସାମ୍ରାଜ୍ୟ ସ୍ଥାପିତ କରିଥିଲେ । ଗଜପତି ଗୌଡ଼େଶ୍ଵର ନବକୋଟି କର୍ଣ୍ଣାଟ କଳବର୍ଗେଶ୍ଵରର ଉପାଧ୍ ମିଛ ହୋଇଯାଇଛି । ଆଜି ତୁମେ ଦରିଦ୍ର ହୋଇଗଲା । ଏବେ ଉଠ । କର ନଚେତ ମର ।

(ix) ओडिशावासियों ……………………… मिलने लगी है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଓଡ଼ିଶାବାସୀ ଏହି ଡାକାରା ଶୁଣିଲେ । ଏପ୍ରିଲ ୧୯୩୬ରେ ସ୍ଵତନ୍ତ୍ର ଓଡ଼ିଶା ରାଜ୍ୟ ଗଠନ ହେଲା । ଅନେକ ଜ୍ଞାନୀ ନେତା କାମରେ ଲାଗିଲେ । ନବନିର୍ମାଣର ଦାୟିତ୍ଵ ଗ୍ରହଣ କଲେ । ଉତ୍କଳ ବିଶ୍ଵବିଦ୍ୟାଳୟ ସ୍ଥାପିତ ହେଲା । ଅନେକ ବିଦ୍ୟାଳୟ ଓ ମହାବିଦ୍ୟାଳୟ ଖୋଲା ହେଲା । ନୂଆ ପ୍ରଯୁକ୍ତି ଶିକ୍ଷାର ପ୍ରଣୟନ ହେଲା। ଇଞ୍ଜିନିୟରିଂ ଓ ମେଡ଼ିକାଲ କଲେଜ ସ୍ଥାପନା ହେଲା । କିଛି ବର୍ଷରେ ହଜାର ହଜାର ଅମଲା-ଅଫିସର୍‌, ଶିକ୍ଷକ-ଅଧ୍ୟାପକ, ଇଞ୍ଜିନିୟରିଂ ଓ ଡାକ୍ତର ପ୍ରସ୍ତୁତ ହୋଇଗଲେ । ସେମାନେ ନିଜ ପ୍ରଦେଶ ତଥା ବାହାର ରାଜ୍ୟରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରି ସୁନାମ ଅର୍ଜନ କଲେ। ହୀରାକୁଦ ବନ୍ଧ ନିର୍ମାଣ ହେଲା । କ୍ଷେତରେ ଜଳସେଚନ ହେଲା। ଶସ୍ୟ ଉତ୍ପାଦନ ବଢ଼ିଲା । ରାଉରକେଲାରେ ଲୁହା ଉତ୍ପାଦନ ହେଲା । ସୁନାବେଡ଼ାରେ ଉଡ଼ାଜାହାଜ ତିଆରି ହେଲା । ପାରଦ୍ଵୀପ ବନ୍ଦରରୁ ବାଣିଜ୍ୟ ପ୍ରସାର ହେଲା । ଇମ୍ଫା, ନାଲକୋ, ଜିନ୍ଦଲ ଓ ବେଦାନ୍ତ ଭଳି ବଡ଼-ବଡ଼ କମ୍ପାନୀମାନେ ଖାଉଟି ଦ୍ରବ୍ୟ ଉତ୍ପାଦନ କଲେ । ଚାନ୍ଦିପୁର ଓ ବଡ଼ମାଳରେ ଦେଶପାଇଁ ଆଧୁନିକ ରକ୍ଷାସାମଗ୍ରୀ ତିଆରି ହେଲା । ଓଡ଼ିଶାରେ ସମସ୍ତ ଆଧୁନିକ ସୁବିଧା ଆଜି ମିଳୁଛି ।

(x) सदियों बाद …………………. बन सकेगा।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କେତେ ଶତାବ୍ଦୀ ପରେ ଓଡ଼ିଶାର ଭାଗ୍ୟ ବଦଳିଛି । ସେ ପ୍ରଗତି ପଥରେ ଚାଲିଛି । ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟମାନଙ୍କ ସହ ପାଦକୁ ପାଦ ମିଶାଇ ଚାଲୁଅଛି । ଦେଶର ଅଗ୍ରଗତିରେ ମଧ୍ୟ ତାହାର ଯୋଗଦାନ କମ୍ ନୁହେଁ । ଏହା ତାହାର ଉନ୍ନତିର ଲକ୍ଷଣ । ଆମେ ସମସ୍ତେ ଏଥିରୁ ଲାଭ ଉଠାଇବା ଉଚ୍ଚିତ । ନୂଆ କଳକାରଖାନାରେ ଅଂଶୀଦାରୀ ହେବା ଉଚିତ । ତେବେ ଓଡ଼ିଶାର ନୂତନ ଇତିହାସ ଗଢ଼ା ହେବା।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

अजीब – विचित्र (ବିଚିତ୍ର) ।

स्थावर – स्थिर रहनेवाले (ସ୍ଥିର ରହିବା ବ୍ୟକ୍ତି)

जड़ – लकड़ी पत्थर जैसे वस्तुएँ (ନିର୍ଜୀବ)

चेतन – जीव (ଜୀବିତ)।

फकीरी – गरीबी (ଦାରିଦ୍ର୍ୟ)।

जिज्ञाषा – जानने की इच्छा (ଜାଣିବାର ଇଚ୍ଛା) ।

गम – दु:ख (ଦୁଃଖ/ଶୋକ) ।

सिलसिला – कड़ी (କଡ଼ି/କ୍ରମ)

अजूबा – अश्चर्य-वस्तु (ଆଶୁର୍ଯ୍ୟା)

शौर्य – वीरत्व _(ବ।ରତ୍ବ)

तायाद – संख्या (ସିଂଖ୍ୟା)

चौकसी – दुरूस्त (ସତର୍କତା)

सिंचाई – फसलो में पानी देने की व्यवस्था ( ଜଳସଚେନ)

हंस का विवेक – गुण को ग्रहण करना और दोष को छोड़ना (ଗୁଣକୁ ଗ୍ରହଣ କରିବା ଏବଂ ଦୋଷକୁ ଛାଡ଼ି ଦେବା/ପରିତ୍ୟାଗ କରିବା) ।

दांत खट्टे करदेना – हरा देना (ପରାଜୟ କରିବା)

चार…रात – कुछ दिन सुख के फिर दु:ख (କିଛିଦିନର ସୁଖ ପରେ ପୁନଶ୍ଚ ଦୁଃଖ) ।

कलिंग जिन – वह मूल्यवान वस्तु जो मगध से लायी गयी थी।

आ का मा भै – ओड़िशा के बनिये समुंदर में बोहित छोड़ते वक्त यह नारा देते है। (ଓଡ଼ିଶାର ସାଧବମାନେ ସମୁଦ୍ରରେ ବୋଇତ ଛାଡ଼ିବା ସମୟରେ ଏହି ଧ୍ଵନି ଦେଉଥିଲେ ।)

विलास सरोवर – लक्ष्मीजी के बिलास का जलाशय अर्थात् चिलिका व्यापार का केन्द्र था, जहाँ धनरत्न आते थे। (ସୁଖ ଉପଭୋଗ କରୁଥିବା ସରୋବର, ଅର୍ଥାତ୍ ଚିଲିକା ବ୍ୟପାରର କେନ୍ଦ୍ର ଥିଲା ଯେଉଁଠି ଧନରତ୍ନ ଆସୁଥିଲା)।

निराला – विचित्र (ବିଚିତ୍ର)।

जंगम – चलने-फिरनेवाले (ଚଳ-ପ୍ରଚଳ କରିବା) ।

सुहावना – सुखकर (ଅଧିକାର) ।

खुशहाली – सुख का वक्त (ସୁଖଦ) ।

बदहाली – बुरा समय (ଖୁସିର ସମୟ) ।

पन्ना – पृष्ठ (ପୃଷ୍ଠା) ।

शौर्य – वीरत्व (ବୀରତ୍ୱ) ।

झील – बड़ा जलाशय (ଖରାପ ସମୟ) ।

आखिरकार – अंत में (ଶେଷରେ) ।

सपुत्र – सुपुत्र (ଉତ୍ତମ ପୁତ୍ର) ।

मोहताज – दूसरे पर आश्रित (ଅନ୍ୟ ଉପରେ ନିର୍ଭର) ।

किस्मत – भाग्य (ଭ।ଗ୍ୟ)।

दिल दहलना – डर जाना (ଡରିଯିବା)।

विचार-वोध 

यह निबंध हमारी जन्मभूमि ओड़िशा (उत्कल, कलिंग, कोशल आदि) के बारे में काफी जानकारी देता है। कलिंग के लोग बड़े बीर और साहसी होते थे। कलिंग की सेना ने सम्राट अशोक की सेना के साथ मुकाबला किया। बहुत लोग मारे गए। मध्यकाल में ओड़िशा के गजपति राजाओं ने गंगा से गोदावरी तक अपना राज्य फैलाया था। आज वह गौरव अतीत में डूब गया है। उत्कल भूमि मंदिर मूर्त्तियाँ बनाने की कला में मशहूर थी। यहाँ की चित्रकला तथा अन्य शिल्प कला देश-विदेश में प्रख्यात थी। आड़िशा का वर्त्तमान फिरसे उत्साहजनक हुआ। स्वतंत्रता के बाद यहाँ अनेक छोटे बड़े उद्योग तथा कारखानें स्तापित हुए। कई बंदरगाहों की स्तापना हुई है। यह प्रांत आज प्रगति के पथ पर चल रहा है।

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