Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(d) रहीम के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem1(d) रहीम के दोहे
प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) तरुवर और सरवर क्या करते हैं?
(ତରୁୱର୍ ଔର୍ ସର୍ବର୍ କ୍ୟା କର୍ତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
तरुवर और सरवर दोनों दूसरों का उपकार करते हैं। तरुवर अपने फल से दूसरों की भूख मिटाता है। सरवर अपने जल से दूसरों की प्यास बुझाता है। ये दोनों क्रमशः दूसरों के लिए फल और पानी की बचत करते हैं।
(ख) शिवि राजा ने क्यों मांस दान दिया?
(ଶିୱି ରାଜା ନେ କ୍ୟା ମାଂସ୍ ଦାନ୍ ଦିୟା ?)
उत्तर:
शिवि एक परोपकारी राजा थे। एक कबूतर की जान बचाने के बदले में राजा शिवि ने कबूतर के वजन के बराबर अपना मांस बाज पक्षी के माँगने पर दान में दिया।
(ग) छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए – क्यों?
(ଛୋଟୋ କୀ ଅହେଲନା ନହିଁ କର୍ନୀ ଚାହିଏ କୈ ?)
उत्तर:
छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि छोटे और बड़े दोनो का अलग-अलग महत्व होता है। इसके लिए कवि ने सुई और तलवार का उदाहरण दिया है। जो काम सुई कर सकती है वही काम तलवार नहीं कर सकती। इसलिए दोनों का आदर करना चाहिए।
(घ) ऋषि दधीचि ने किसलिए हाड़ या अस्थि दान दिया था?
(ଋଷି ଦଧୀଚି ନେ କିସ୍ଏ ହାଡ଼ ୟା`ଅସ୍ଥି ଦାନ ଦିୟା ଥା ?)
उत्तर:
ऋषि दधीचि ने संसार का उपकार करने के लिए और वृत्रासुर के आतंक से मनुष्य और देवताओं की रक्षा के लिए अपना अस्थि दान दिया था। क्योंकि दधीचि एक परोपकारी ऋषि थे। परोपकार के लिए उन्होंने आपना जीवन त्याग दिया था।
2. निम्नलिखित अवतरणों का आशय दो-तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅତରର୍ଡୋ କା ଆଶୟ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଆଶୟ ଦୁଇ-ତିନିଟି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)
(क) तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पिय हिं न पान।
(ତରୁୱର୍ ଫଲ୍ ନହିଁ ଖାତ୍ ହୈ, ସର୍ବର୍ ପିୟ ହିଁ ନ ପାନ୍ ।)
उत्तर:
पेड़ कभी भी अपना फल नहीं खाता है। सरोवर कभी भी अपना जल नहीं पीता है। ये दोनों दूसरों के हित के लिए फल और पानी की बचत करते हैं। फल से दूसरों की भूख मिटती है और पानी से प्यास बुझती है।
(ख) जहाँ काम आवै सुई, कहा करैं तरवारि
(କାମ ଆ ସୁଈ, କହା କରି ତରୱାରି)
उत्तर:
कवि रहीम के अनुसार अगर बड़े लोग आपके मित्र हैं तो छोटे लोगों को छोड़ मत दीजिए। समाज में दोनों का अलग-अलग महत्व होता है। कवि सुई और तलवार का उदाहरण देकर कहा है कि जहाँ छोटी सी सुई काम कर सकती है वहाँ तलवार काम नहीं कर सकती।
(ग) मांस दियो शिवि भूप ने, दीन्हों हाड़ दधीचि।
(ମାଂସ୍ ଦିୟୋ ଶିୱି ଭୂପ୍ ନେ, ଦୀର୍ଣ୍ଣୋ ହାଡ଼ ଦଧୀଚି ।)
उत्तर:
शिवि राजा ने परोपकार के लिए अपना मांस अपरिचित बाज को दे दिया। ऋषि दधीचि ने देवताओं की मदद के लिए अपनी अस्थी दान में दे दिया। इसमें दोनों को किसी लाभ की आशा नहीं थी, केवल परोपकार की भावना थी।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ବାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) तरुवर क्या नहीं खाता है?
(ତରୁୱର୍ କ୍ୟା ନହିଁ ଖାତା ହୈ ?)
उत्तर:
तरुवर फल नहीं खाता है।
(ख) सरवर क्या नहीं पीता है?
(ସର୍ୱର୍ କ୍ୟା ନହୀ ପୀତା ହୈ ?)
उत्तर:
सरवर पानी नहीं पीता है।
(ग) सुजान किसलिए संपत्ति का संचय करता है?
(ସୁଜାନ୍ କିସ୍ଏ ସଂପରି କା ସଂଚୟ କର୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
सुजान परोपकार के लिए संपत्ति का संचय करता है।
(घ) बड़े लोगो को देखकर लघु का क्या नहीं करना चाहिए?
(ବଡ଼େ ଲୋଗୋ କୋ ଦେଖ୍କର୍ ଲଘୁ କା କ୍ୟା ନହୀ କର୍ନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
बड़े लोगों को देखकर छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
(ङ) सुई की जगह अगर तलवार मिलजाए तो काम होगा या नहीं?
(ସୁଈ କୀ ଜଗହ ଅଗର୍ ତଲୱାର୍ ମିଯାଏ ତୋ କାମ୍ ହୋଗା ୟା ନହୀଁ ?)
उत्तर:
सुई की जगह अगर तलवार मिल जाए तो काम नहीं होगा।
(च) परोपकार करते समय क्या जरुरी नहीं है?
(ପରୋପକାର୍ କର୍ତେ ସମୟ କ୍ୟା ଜରୁରୀ ନହୀ ହୈ ?)
उत्तर:
परोपकार करते समय मित्रता जरुरी नहीं है।
(छ) शिवि भूप ने क्या दान दिया था?
(ଶିଵି ଭୂପ୍ ନେ କ୍ୟା ଦାନ୍ ଦିୟା ଥା ?)
उ:
शिवि भूप ने मांस दान दिया था।
(ज) किसने अपनी हहड्डियों का दान दिया था?
(କୀସ୍ ଅପନୀ ହଙ୍ଗିର୍ଲୋ କା ଦାନ୍ ଦିୟା ଥା ?)
उत्तर:
ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियों का दान दिया था।
भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)
1. नीचे लिखे शब्दों के खड़ीबोली- रूप लिखिए:
(ନୀଚେ ଲିଖେ ଶହେଁ। କେ ଖଡ଼ୀବୋଲୀ-ରୂପ୍ ଲିଖିଏ: )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଖଡ଼ୀବୋଲୀ ରୂପ ଲେଖ ।)
नहिं, सरवर, पिय, पान, तलवारि काज
उत्तर:
नहिं – नहीं
पिय – पी
तलवार – तलवार
सरवर – सरोवर
पान – पानी
काज – काम
2. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ୱିପରୀତ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
पर, हित, सुजान, बड़ा, लघु, उपकार
उत्तर:
पर – निज
सुजान – दुर्जन
लघु – गुरु
हित – अहित
बड़ा – छोटा
उपकार – अपकार
3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶହେଁ। କେ ସମାନାର୍ଥକ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସମାନାର୍ଥକ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
सरवर, तरु, पान, संपत्ति, सुजान, लघु, तलवारि, भूप, यारी, हाड़
उत्तर:
सरवर – तालाब
पान – पानी/जल
सुजान – सज्जन
तलवारि – तलवार/असि
यारी – दोस्ती/मित्रता
तरू – वृक्ष/पेड़
संपत्ति – धन/दौलत
लघु – क्षुद्र/छोटा
भूप – राजा/सम्राट
हाड़ – अस्थि
4. निम्नलिखित शब्दों के लिंग निर्णय कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ ନିର୍ଣ୍ଣୟ କର ।)
फल, संपत्ति, सुई, तलवार, मांस
उत्तर:
फल – पुंलिंग
संपत्ति – स्त्रीलिंग
सुई – स्त्रीलिंग
तलवार – स्त्रीलिंग
मांस – पुंलिंग
5. ‘को’ परसर्ग का प्रयोग करके पाँच वाक्य बनाइए।
(‘କୋ’ ପରସର୍ଗ କା ପ୍ରୟୋଗ୍ କର୍କେ ପାଞ୍ଚ୍ ବାକ୍ୟ ବନାଇଏ।)
(‘କୋ’ ପରସର୍ଗ ଲଗାଇ ପାଞ୍ଚଟି ବାକ୍ୟ ଗଠନ କର।)
जैसे – राम को किताब दो।
उत्तर:
- मुझको जाने दो।
- भिखारी को भिख दो।
- अर्चना को किताब लाकर दो।
- राकेश को कलम दो।
- राम ने श्याम को पुस्तक दी।
Very Short & Objective Type Questions with Answers
A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1.
रहिम का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
रहिम का पूरा नाम अव्दुल रहिम खानखान था।
प्रश्न 2.
रहिम कौन थे?
उत्तर:
रहिम का पूरा नाम अव्दुल रहिम खानखान था।
प्रश्न 3.
तलवार किस जगह काम में नहीं आ सकती?
उत्तर:
जिस जगह पर सुई काम में आती है वहाँ तलवार काम में नहीं आ सकती।
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।
प्रश्न 1.
बड़े को देखकर किसे नहीं डाल देना चाहिए?
उत्तर:
लघु को
प्रश्न 2.
रहीम के अनुसार दूसरों की भलाई के लिए सज्जन क्या करता है?
उत्तर:
संपत्ति संचय करता है
प्रश्न 3.
सज्जन संपत्ति का संचय क्यों करते हैं?
उत्तर:
परोपकार के लिए उ-शिवि ने
प्रश्न 4.
परोपकार के लिए किसने मांस का दान दिया था?
उत्तर:
शिवि ने
प्रश्न 5.
परोपकार करते समय क्या नहीं विचार करना चाहिए?
उत्तर:
दोस्त है या नहीं
प्रश्न 6.
वृत्रासुर जिस अस्त्र से मारा गया, उस अस्त्र का नाम क्या था?
उत्तर:
बज्र
प्रश्न 7.
सरोवर क्या पीता नहीं है?
उत्तर:
जल
प्रश्न 8.
परोपकार को कवि रहीम ने कैसा कार्य कहा है?
उत्तर:
महान
प्रश्न 9.
पेड़ क्या नहीं खाता है?
उत्तर:
फल
प्रश्न 10.
सुई की जगह क्या इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ?
उत्तर:
तलवार
C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
प्रश्न 1.
बड़े को पाकर लघु को ………………..
उत्तर:
नहीं त्यानना चाहिए
प्रश्न 2.
………………… की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
उत्तर:
छोटों की
प्रश्न 3.
कवि रहीम के अनुसार समाज में जिन दोनों का महत्व है वे…………………. हैं।
उत्तर:
बड़े-छोटे
प्रश्न 4.
राजा शिवि ने बाज की रक्षा के लिए ………………….. दिया था।
उत्तर:
मांस
प्रश्न 5.
सरोवर ………………… नहीं पीता है ?
उत्तर:
जल
प्रश्न 6.
………………….. से बने बज्र से वृत्रासुर मारा गया?
उत्तर:
हड़ी
प्रश्न 7.
सुजान ……………….. लिए संपत्ति का संचय करता है?
उत्तर:
परहित
प्रश्न 8.
‘जहाँ काम आवै सुई…………………’ इस अधूरी पंक्ति के कवि हैं।
उत्तर:
रहीम
प्रश्न 9.
ऋषि दधीचि ने जिसकी मृत्यु का कारण बना वह ………………….. था।
उत्तर:
वृत्रासुर
प्रश्न 10.
………………….. की सहायता करना परोपकार है।
उत्तर:
दूसरों
D. ठिक् या भूल लिखिए।
प्रश्न 1.
ऋषि दधीचि ने दान में हड्डी दिया था।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 2.
काश्यप परोपकारी ऋषि थे।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 3.
सुजान संपत्ति की बचत अपने लिए करते हैं।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 4.
राजा शिवि ने अपरिचित बाज पक्षी को दान में अपने शरीर का मांस दिया था
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 5.
परोपकार करते समय शत्रुता जरुरी नहीं है?
उत्तर:
भूल
प्रश्न 6.
दधीचि की हड्डियों से बज्र बना।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 7.
बड़ो की अवहेलना नहीं करना चाहिए।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 8.
पेड़ अपना फल दूसरों के लिए छोड़ देता है।
उत्तर:
ठिक्
प्रश्न 9.
परोपकार करते समय अपना पराया बिचार करना चाहिए।
उत्तर:
भूल
प्रश्न 10.
सरवर का अर्थ है नदी।
उत्तर:
भूल
Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers
सही उत्तर चुनिए : (MCQs)
1. बड़े को देखकर किसे नहीं डाल देना चाहिए?
(A) गुरु को
(B) मँझले को
(C) लघु को
(D) शिष्य को
उत्तर:
(C) लघु को
2. रहीम के अनुसार दूसरों की भलाई के लिए सज्जन क्या करता है?
(A) फल नहीं खाता है
(B) पानी नहीं पीता है
(C) संपत्ति संचय करता है
(D) मांस देता है
उत्तर:
(C) संपत्ति संचय करता है।
3. सज्जन संपत्ति का संचय क्यों करते हैं?
(A) भविष्यत् के लिए
(B) सुख-शांति के लिए
(C) दान-पुण्य के लिए
(D) परोपकार के लिए
उत्तर:
(D) परोपकार के लिए
4. परोपकार के लिए किसने मांस का दान दिया था?
(A) दधीचि ने
(B) पुरोचन ने
(C) शिवि ने
(D) राजा अजं ने
उत्तर:
(C) शिवि ने
5. इनमें से कौन भूप हैं?
(A) दधीचि
(B) शिवि
(C) वसिष्ठ
(D) बलराम
उत्तर:
(B) शिवि
6. ऋषि दधीचि ने दान में दिया था।
(A) हड्डी
(B) पसली
(C) हाथ
(D) अस्त्र
उत्तर:
(A) हड्डी
7. बड़े को पाकर लघु को ।
(A) देखना चाहिए
(B) छोड़ना चाहिए
(C) नहीं यानना चाहिए
(D) त्यागना चाहिए
उत्तर:
(C) नहीं यानना चाहिए
8. परोपकार करते समय क्या नहीं विचार करना चाहिए।
(A) दोस्त है या नहीं
(B) धनी है या गरीब
(C) पंडित है या मूर्ख
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) दोस्त है या नहीं
9. राजा शिवि ने अपरिचित बाज पक्षी को दान में दिया था।
(A) अपने शरीर का मांस
(B) अपने शरीर का खून
(C) अपने शरीर का अंश
(D) अपने शरीर की हहीड
उत्तर:
(A) अपने शरीर का मांस
10. परोपकारी ऋषि थे।
(A) वशिष्ट
(B) दधीचि
(C) बाल्मीकि
(D) काश्यप
उत्तर:
(B) दधीचि
11. वृत्रासुर जिस अस्त्र से मारा गया, उस अस्त्र का नाम था।
(A) ब्रह्म
(B) नाग
(C) बज्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) बज्र
12. किससे बने बज्र से वृत्रासुर मारा गया?
(A) लोहे
(B) पितल
(C) ताँबा
(D) हड्डी
उत्तर:
(D) हड्डी
13. ‘जहाँ काम आवै सुई…………….’ इस अधूरी पंक्ति के कवि हैं।
(A) कबीर
(B) तुलसी
(C) सूर
(D) रहीम
उत्तर:
(D) रहीम
14. किसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए?
(A) बड़ों की
(B) छोटों की
(C) परायों की
(D) दूध की
उत्तर:
(B) छोटों की
15. तरूवर खाता नहीं।
(A) पानी
(B) डाली
(C) फल
(D) जल
उत्तर:
(C) फल
16. सरोवर जो पीता नहीं है, वह है।
(A) जल
(B) दूध
(C) शरवत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) जल
17. सुजान संपत्ति की बचत करते हैं।
(A) अपने लिए
(B) घरवालों के लिए
(C) परोपकार के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) परोपकार के लिए
18. ‘कवि रहीम पर काज हित……………….’ इस अधूरी पंक्ति के रचयिता हैं।
(A) रहीम
(B) कबीर
(C) वृन्द
(D) तुलसी
उत्तर:
(A) रहीम
19. कवि रहीम के अनुसार समाज में जिन दोनों का महत्व है वे हैं।
(A) बड़े-छोटे
(B) छोटे-मोटे
(C) चाचा-भतीजा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बड़े-छोटे
20. परोपकार को कवि रहीम ने कैसा कार्य कहा है?
(A) बुरा
(B) गंदा
(C) खराब
(D) महान
उत्तर:
(D) महान
21. तलवार और सुई में से बड़ी है।
(A) सुई
(B) तलवार
(C) राक्षस
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) तलवार
22. वृत्रासुर था।
(A) मानव
(B) देवता
(C) दोनों
(D) पशु
उत्तर:
(C) दोनों
23. राजा शिवि ने बाज की रक्षा के लिए दिया था।
(A) पैसा
(B) प्रसाद
(C) मांस
(D) खाना
उत्तर:
(C) मांस
दोहे (ଦେ।ହେ )
(i) तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिय हिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित संपति संचहि सुजान॥
ତରୁୱର୍ ଫଲ୍ ନହୀ ଖାତ୍ ହୈ, ସରୱର୍ ପ୍ରିୟ ହିଁ ନ ପାନ୍।
କହି ରହୀମ୍ ପର୍ କାଜ୍ ହିତ ସଂପତି ସଂଚହି ସୁଜାନ୍ ॥
हिन्दी व्याख्या:
कवि रहीम कहते हैं कि पेड़ कभी अपना फल नहीं खाता। तालाब कभी अपना पानी नहीं पीता है। ये दोनों दूसरों के हित के लिए फल और पानी की बचत करते हैं। फल खाने से दूसरों भूख मिटती है। उसे आनन्द मिलता है। पानी पीने से प्यास मिटती है। सन्तोष होता है। ज्ञानी लोग की परोपकार एक महान कार्य है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଗଛ ନିଜ ଫଳ କେବେ ଖାଏ ନାହିଁ। ପୋଖରୀ କେବେ ତା’ ପାଣି ପିଏ ନାହିଁ। କାରଣ ଏ ଦୁହେଁ ପରର ଉପକାର କରିଥା’ନ୍ତି। ଫଳ ଖାଇବାଦ୍ଵାରା ଅନ୍ୟର ଭୋକ ମେଣ୍ଟେ, ପାଣି ପିଇବାଦ୍ଵାରା ଅନ୍ୟର ଶୋଷ ମେଣ୍ଟେ। ସନ୍ତୋଷ ମିଳିଥାଏ। ଜ୍ଞାନୀ ବ୍ୟକ୍ତି ହେଉଛନ୍ତି ସୁଚିନ୍ତକ। ଏଣୁ ସେ ଅନ୍ୟର ଉପକାର ପାଇଁ ସମ୍ପତ୍ତି ସଞ୍ଚୟ କରିଥା’ନ୍ତି। ଏହାଦ୍ଵାରା ପରର ଉପକାର ହୋଇଥାଏ। କାରଣ ପରୋପକାର ହେଉଛି ଏକ ମହତ୍ କାର୍ଯ୍ୟ।
(ii) रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आबै सुई कहा करै तलवारि॥
ରହିମନ୍ ଦେଖ୍ ବଡ଼େନ କୋ ଳଘୁ ନ ଦୀଜିଏ ଡାରି।
ଜହାଁ କାମ୍ ଆବୈ ସୁଈ କହା କରି ତଲୱାରି॥
हिन्दी व्याख्या: बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। कवि ने उदाहरण देकर कहा है कि जहाँ सुई का काम होता है वहाँ तलवार क्या कर सकती है? इसलिए कवि रहीम कहते हैं कि प्रत्येक वस्तु का अपने अपने स्थान पर महत्व होता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବି ରହିମ୍ଙ୍କ ଅନୁସାରେ ବଡ଼ ଲୋକଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ମିତ୍ରତା କର; କିନ୍ତୁ ଛୋଟମାନଙ୍କୁ କେବେ ଛାଡ଼ି ଦିଅ ନାହିଁ। ଏହି ସମାଜରେ ଉଭୟଙ୍କର ଅଲଗା ଅଲଗା ମହତ୍ତ୍ଵ ଅଛି। କବି ରହିମ୍ ଗୋଟିଏ ଉଦାହରଣ ଦେଇ କହିଛନ୍ତି ଯେ ଯେଉଁଠି ଛୁଞ୍ଚିର କାମ ଅଛି ସେଠି ଖଣ୍ଡାଦ୍ଵାରା କୌଣସି କାମ ହୋଇପାରିବ ନାହିଁ। ଛୁଞ୍ଚ ଓ ଖଣ୍ଡା ଉଭୟଙ୍କର କାମ ଅଲଗା। ଏଣୁ ଉଭୟଙ୍କୁ ଆଦର କରିବା ଦରକାର।
(iii) रहिमन पर उपकार के करत न यारी बीच।
मांस दिये शिवि भूप ने, दिन्हीं हाड़ दधीचि॥
ରହୀମନ୍ ପର୍ ଉପକାର୍ କେ କରତ୍ ନ ୟାରୀ ବୀଚ୍।
ମାଂସ ଦିୟେ ଶିୱି ଭୂପ ନେ, ଦିନ୍ଦୀ ହାଡ଼ ଦଧୀଚି ॥
हिन्दी व्याख्या:
कवि रहीम कहते हैं कि केवल जहाँ दोस्ती या मित्रता हो वहाँ उपकार नहीं किया जाता। परोपकार तो किसीके साथ भी किया जा सकता है। हम कहीं भी किसी भी स्थान पर दूसरों की मदद कर सकते हैं। जैसे, राजा शिवि ने अपना मांस अपरिचित बाज पक्षी को दे दिया। ऋषि दधीचि ने देवताओं की मदद के लिए अपनी हड्डियाँ दे दी; उस हड्डी से बज्र बना और देवताओं का शत्रु वृत्रासुर मारा गया। दोनों उदाहरणों से ( राजा शिवि और ऋषि दधीचि) किसी लाभ की आशा न थी, केवल परोपकार की भावना थी।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ :
କବି ରହିମ୍ କହୁଛନ୍ତି ଯେଉଁଠି ମିତ୍ରତା ଅଛି ସେଠି ଉପକାର କରାଯାଏ ନାହିଁ। ପରୋପକାର ଯେକୌଣସି ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ସହିତ କରାଯାଇ ପାରିବ। ଆମେ ଯେକୌଣସି ସମୟରେ ଯେକୌଣସି ଜାଗାରେ ଅନ୍ୟର ଉପକାର କରିପାରିବା। ଯେପରି ଶିବି ରାଜା ଗୋଟିଏ ଅପରିଚିତ ବାଜପକ୍ଷୀକୁ ନିଜର ମାଂସ ଦାନ କରିଦେଲେ। ଦଧୂ ଋଷି ଦେବତାଙ୍କ ମଙ୍ଗଳ ପାଇଁ ନିଜର ଅସ୍ଥି ଦାନ କରିଦେଲେ। ସେହି ଅସ୍ଥିରେ ବଜ୍ର ନାମକ ଅସ୍ତ୍ର ନିର୍ମାଣ କରି ବୃତ୍ରାସୁରକୁ ଦେବତାମାନେ ମାରିଥିଲେ। ଏଥିରେ ଦଧୂଙ୍କର କୌଣସି ସ୍ବାର୍ଥ ନଥିଲାବେଳେ ପରୋପକାରର ଭାବନା ନିହିତ ଥିଲା।
शिवि (ଶିତି)
पुराने जमाने में शिवि नामक एक राजा थे। वे बड़े रोपकारी थे। एकबार बाज पक्षी से डरकर एक कबूतर उनकी शरण में आई। राजा ने उसे शरण दे दी। उसको खाने वाला भूखा बाज उसके पीछे-पीछे आकर अपने आहार के लिए राजा से कबूतर माँगा। उसके बदले राजा शिवि ने उसे अच्छे खाद्य देने को कहा। पर बाज राजी नहीं हुआ। उसने राजा से कबूतर के बराबर मांस माँगा। अन्त में राजा ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपने शरीर से मांस काट कर भूखे बाज को दे दिया था। आखिरकार वे तराजू पर बैठ गए। अपना पूरा बलिदान कर दिया।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଶିବି ଜଣେ ପରୋପକାରୀ ରାଜା ଥିଲେ। ଥରେ ଗୋଟିଏ କପୋତ ବାଜପକ୍ଷୀ କବଳରୁ ନିଜକୁ ବଞ୍ଚାଇବାପାଇଁ ଆସି ତାଙ୍କର ଶରଣାପନ୍ନ ହେଲା। ରାଜା ତାକୁ ଶରଣ ଦେଲେ। ବାଜପକ୍ଷୀ ତା’ର ଖାଦ୍ୟ ପାଇଁ କପୋତଟିକୁ ଛାଡ଼ିବାକୁ କହିଲା। କିନ୍ତୁ ରାଜା ଏଥୁରେ ଅମଙ୍ଗ ହେଲେ ଓ ତା’ର ପ୍ରତିବଦଳରେ ନିଜ ମାଂସକୁ ବାଜପକ୍ଷୀକୁ ଖାଇବାପାଇଁ ଦାନ କରିଦେଲେ।
दधीचि (ବଧଟି)
दधीचि एक परोपकारी ऋषि थे। वे सरस्वती नदी के किनारे रहते थे। वृत्रासुर नामक एक बड़ा पराक्रमी राक्षस था। उससे मनुष्य क्या देवतागण भी डरते थे। उसके आतंक से स्वर्ग में हाहाकार मच गया। उनसे रक्षा पाने के लिए देवगण भगवान विष्णु के पास पहुँचे। भगवान विष्णु ने सलाह दी कि ऋषि दधीचि की अस्थियों से बज्र बनाया जायेगा। उसी बज्र से ही वृत्रासुर मारा जायेगा। भगवान विष्णु से परामर्श लेकर देवगण ऋषि दधीचि के आश्रम पहुँचे। ऋषि दधीचि ने देवगण का याथाचित आदर सत्कार किया। उनके शुभागमन का कारण पूछा। उनसे सारी बातें सुनकर ऋषि दधीचि ध्यान मुद्रा में बैठ गये। उनकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो गयी। उनकी अस्थियों से बज्र बनाया गया। उस बज्र से वृत्रासुर मारा गया। परोपकारी ऋषि दधीचि ने देवताओं की भलाई के लिए अपनी हड्डियाँ दे दी थीं।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଦଧୂ ଜଣେ ପରୋପକାରୀ ଋଷି ଥିଲେ। ସେ ସରସ୍ୱତୀ ନଦୀକୂଳରେ ରହୁଥିଲେ। ବୃତ୍ରାସୁର ହିଁ ଥରହର ହେଲା। ତା’ ଆତଙ୍କରୁ ରକ୍ଷା ପାଇବାପାଇଁ ଦେବତାମାନେ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ପାଖକୁ ଗଲେ। ଭଗବାନ୍ ବିଷ୍ଣୁ ପରାମର୍ଶ ଦେଲେ ଯେ ଋଷି ଦଧୂଙ୍କ ଅସ୍ଥିରୁ ବଜ୍ର ନାମକ ଅସ୍ତ୍ର ନିର୍ମାଣ କର। ସେଥ୍ରେ ହିଁ ବୃତ୍ରାସୁରର ମୃତ୍ୟୁ ହେବ। ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ପାଖରୁ ଦେବତାମାନେ ଯାଇ ଋଷି ଦଧୂଙ୍କ ଆଶ୍ରମରେ ପହଞ୍ଚିଲେ। ଋଷି ଦେବତାମାନଙ୍କୁ ସ୍ଵାଗତ କରିବା ସହ ଆସିବାର କାରଣ ପଚାରିଲେ। ସବୁକଥା ଶୁଣିସାରି ସେ ଧ୍ୟାନମୁଦ୍ରାରେ ବସିଗଲେ। ତାଙ୍କ ଆତ୍ମା ପରମାତ୍ମାରେ ଲୀନ ହୋଇଗଲା। ତାଙ୍କ
शबनार: (ଶରାର୍ଥି)
तरुवर – पेड़ (ଗଛ )।
सरवर – तालाब (ପୋଖରୀ)।
पान – पानी (ପାଣି)।
पर – दूसरा/अन्य (ପର/ଅନ୍ୟ)।
संचहि – एकत्रित करना (ସଂଗ୍ରହ କରିବା)
देखि – देखकर (ଦେଖିକରି)
लघु – छोटा (ଛୋଟ)।
आवै – आए (ଆସେ)।
कहा – कहाँ (ଙ୍କେଉଁଠି)।
यारी – दोस्ती (ମିତ୍ରତା)।
दिये – दिया (ଦେଲେ)।
भूप – राजा (ରାଜା)।
दधीचि – दधीचि ऋषि (ରକ୍ଷିକତି)।
खात – खाता (ଖାଏ)।
पिय – पीना (ପିଚ୍ଚବା )।
कहि – कहता
काज – काम (बाभ)।
सुजान – उत्तम लोग (କଢିବା )।
बड़ेन – बड़ा (ବଢ଼)।
डारि – डारना (ଛଡ଼ିତା)।
सुई – ईछ। (ଛଞ୍ଚି)।
तलवारि – तलवार (ଖଶ)।
बीच – मध्य (ମଧ୍ୟ)।
शिवि – राजा शिवि (ଣିଚି ରାଜା)।
दिन्ही – दिया (ଦେଲେ)।
कवि परिचय
रहीम का पूरानाम अब्दुर्रहीम खानखाना है। उनका जन्म सन् 1556 में हुआ था। वे अकबर के अभिभावक बैरम खाँ के पुत्र थे। शाही महल में उनका बचपन बीता। बाद में उन्हें गुजरात की सूबेदारी मिलीं। रहीम अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत और हिन्दी के अच्छे जानकार थे। वे हिन्दू संस्कृति और भक्ति-भावना से प्रभावित थे। उन्होंने दरबार का शाही ठाट देखा। वे बड़े पद पर काम करते थे। लेकिन उनमें गर्व का नाम न था। आम जनता के जीवन को देखा था।
रहीम एक सहृदय, स्माभिमानी, वीर और दानी व्यक्ति थे। साधारण मानव के प्रति उनके मन में बड़ा प्रेम था। उनके दोहों में अनुभूति की गहराई मिलती है। भक्ति, नीति, वैराग्य, शृंगार जैसी बातें उनकी रचनाओं में पायी जाती हैं। रहीम काव्य के कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें रत्नावली, रहीम विलास प्रामाणिक हैं।