Odisha State Board BSE Odisha 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 यह मेरा वतन (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 7 Hindi Solutions Chapter 2 यह मेरा वतन (कविता)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) हमारे देश का परिवेश कैसा है ?
उत्तर:
हमारे देश का परिवेश बहुत सुंदर है । ऊपर खुला आसमान है । यहाँ कोमल पवन बहता है । सुनहरी धूप के चमकने के कारण मौसम सुहावना होता है। रात के समय आसमान में चाँद और तारे चमकते रहते हैं ।
(ii) भारत की संतानों के क्या-क्या गुण है ?
उत्तर:
भारत की संतानें धैर्यवान, वीर और सुंदर हैं । उनके मन में जरा भी अभिमान नहीं है ।
(iii) हम किन-किन चीजों का दान देने चाहें ?
उत्तर:
हम शांति, मैत्री और प्यार का दान देने चाहें ।
(iv) दूसरे मानवों के साथ हमारा बर्ताव कैसा हो ?
उत्तर:
दूसरे मानवों के साथ हमारे व्यवहार में अपनापन होना चाहिए। पूरी दुनिया के लोगों को हमें अपने ही परिवार का एक सदस्य मानना चाहिए।
(v) खतरे में हम क्या करें ?
उत्तर:
यदि हमारे देश के गौरव पर खतरा मँडरा रहा हो तो हमें अपने प्राणों का बलिदान कर देना चाहिए ।
(vi) मातृभूमि के लिए हम क्या करें ?
उत्तर:
मातृभूमि के हित के लिए हमें बार-बार जन्म लेने अपने जीवन की कुर्बानी भी देनी पड़े तो हमें संकोच नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2.
(i) ‘भारत देश – मेरा वतन’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
‘भारत देश – मेरा वतन’ का अर्थ है – मेरा अपना देश भारत। यह पंक्ति देश के साथ गहरे लगाव का प्रतीक है । कवयित्री को यह कहते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है कि भारत उनका अपना देश है ।
(ii) ‘परवाह नहीं हो मान अपमान’ का तात्पर्य समझाइए।
उत्तर:
इस पंक्ति के माध्यम से कवयित्री भारत की संतानों को उनके कर्त्तव्य का स्मरण करा रही हैं । हमें अपना कर्त्तव्य हमेशा याद रखना चाहिए। कर्त्तव्य करते समय चाहे सम्मान मिले या अपमान इसकी जरा भी चिंता नहीं करनी चाहिए।
(iii) ‘निडर तत्पर अचल-चट्टान’ का मतलब क्या है?
उत्तर:
हमें निडर अर्थात् बिना डरे साहसपूर्वक अपना कार्य करते रहना चाहिए । जो व्यक्ति चट्टान की तरह अटल है यानी जिसका निश्चय दृढ़ है, जीवन में सफलता उसे ही मिलती है ।
प्रश्न 3.
शिक्षक प्रत्येक छात्र और छात्रा को मौखिक रूप से अपनी मातृभूमि भारतवर्ष की कुछ विशेषताएँ बताने को प्रेरित करें
उत्तर:
इस कार्य को शिक्षक छात्र-छात्राओं से स्वयं करवाएँ।
प्रश्न 4. भाषाकार्य :
विशेषण – संज्ञा
जैसे – मुक्त — गगन
ऐसे शब्दों को छाँटिए । नीचे लिखिए।
उत्तर:
- मृदुल – पवन
- सुनहरी – धूप
- वीर – जवान
- अचल – चट्टान
- अनमोल – प्राण
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए :
यह भारत देश है ।
हमारे मन में अभिमान नहीं है ।
भारत – एक देश का नाम है ।
देश – सभी देशों की जाति या वर्ग का नाम है ।
अभिमान – एक भाव का नाम है ।
नाम को बतानेवाले शब्द को संज्ञा कहते हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञा शब्दों को छाँटिए :
हम, हिमालय, गगन, शांति, पत्थर, सामने, नया, लकड़ी, राकेश, उजला ।
उत्तर:
संज्ञा शब्द -हिमालय, गगन, शांति, पत्थर, लकड़ी, राकेश ।
प्रश्न 7.
सही मिलान कीजिए :
मुक्त गगन है — अचल चट्टान
हम धीर वीर — अनमोल प्राण
न्योछावर कर दें — मृदुल पवन
निडर तत्पर — दिव्य संतान
उत्तर:
मुक्त गगन है — मृदुल पवन
हम धीर वीर — दिव्य संतान
न्योछावर कर दें — अनमोल प्राण
निडर तत्पर — अचल चट्टान
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
1. इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) हमारे देश का मौसम कैसा है ?
उत्तर:
ॠ्मारे देश का मौसम सुह्लवना है ।
(ii) किनके मन में तनिक भी अभिमान नहीं है ?
उत्तर:
भारत की संतानों के मन में तनिक भी अभिमान नहीं है।
(iii) ‘अचल चट्टान’ किसका प्रतीक है ? कविता के आधार पर समझाइए ।
उत्तर:
अचल चट्टान मानसिक दृढ़ता और बुलंद इरादे का प्रतीक है । कविता में कहा गया है कि भारत के लोग अचल चट्टान की तरह अपने कर्त्तव्य पथ पर अडिग हैं ।
(iv) कविता ‘यह मेरा वतन’ का मूलभाव अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता देशभक्ति की भावना पर आधारित है । उसमें भारत के परिवेश, भारत की संतानों के गुण और देशहित में बलिदान होने की उनकी भावना का वर्णन किया गया है । भारत के लोग पूरी दुनिया को अपना कुटुंब मानते है और दुनिया को शांति, मित्रता और प्रेम का दान देते हैं ।
2. कविता की निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए:
(i) हर मानव को अपना मान दुनिया को बना कुटुम्ब समान
उत्तर:
ऊपर लिखी पंक्तियों में कवयित्री ने भारत की संतानों से कहा है कि हरेक आदमी को अपूना मानो । यह भाव ही पूरी दुनिया को एक कुटुंब या परिवार बना देगा। इस प्रकार इन पंक्तियों में विश्ववंधुत्व की भावना पर बल दिया गया है ।
(ii) ‘निडर तत्पर अचल-चट्टान’ का मतलब क्या है?
उत्तर:
हमें निडर अर्थात् बिना डरे साहसपूर्वक अपना कार्य करते रहना चाहिए। जो व्यक्ति चट्टान की तरह अटल है यानी जिसका निश्चय दृढ़ है, जीवन में सफलता उसे ही मिलती है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प उत्तर पर (✓) का निशान लगाइए :
(i) भारत देश हमारा क्या है ?
(क) वर्तमान
(ख) वतन
(ग) परिवार
(घ) भविष्य
उत्तर:
(ख) वतन
(ii) कविता में भारत की संतानों के किन गुण का उल्लेख नहीं किया गया है ?
(क) धीरता
(ख) वीरता
(ग) गंभीरता
(घ) दिव्यता
उत्तर:
(ग) गंभीरता
(iii) हमें किसकी परवाह नहीं है ?
(क) धन की
(ख) मान-अपमान की
(ग) जीवन की
(घ) शांति की
उत्तर:
(ख) मान-अपमान की
(iv) हम हर मानब को क्या मानें ?
(क) प्रराया
(ख) गरीब
(ग) अमीर
(घ) अपना
उत्तर:
(घ) अपना
(v) देशवासी किसके हित बारंबार जिएँ और मरें ?
(क) मातृभूमि के
(ख) पड़ोसी वेन
(ग) पूरी दुनिया के
(घ) प्रकृति के
उत्तर:
(क) मातृभूमि के
4. दिए गए वाक्यों में संज्ञा शब्दों के नीचे रेखा खींचिए:
(i) भारत मेरा वतन है ।
(ii) हमारे देश की संतानें वीर हैं ।
(iii) पूरी दुनिया एक परिवार के समान है ।
(iv) मातृभूमि की सुरक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है ।
उत्तर:
(i) भारत मेरा वतन है ।
(ii) हमारे देश की संतानें वीर हैं ।
(iii) पूरी दुनिया एक परिवार के समान है ।
(iv) मातुभूमि की सुरक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है ।
5. बच्चो, संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बनानेवाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। जिन शब्दों की विशेषता बताई जाती है, उन्हें विशेष्य कहते हैं । जैसे ‘अचल चट्टान’ में ‘अचल’ विशेषण और ‘चट्टान’ विशेष्य है।
दिए गए वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य को छाँटकर लिखिए ।
(i) भारत एक विशाल देश है ।
(ii) हमारे वीर सिपाही युद्ध में डटे रहे ।
(iii) वह बालक ईमानदार है ।
(iv) शाम को मृदुल पवन बह रहा है ।
(v) उस तरफ गहरी खाई है ।
उत्तर:
विशेषण — विशेष्य
विशाल — देश
वीर — सिपाही
ईमानदार — बालक
मृदुल — पवन
गहरी — खाई
6. निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए :
बतन, मुकत, मैती, कुटूम्ब, प्रान
उत्तर:
वतन, मुक्त, मैत्री, कुटुम्ब, प्राण
1. मुक्त गगन है, मुदुल पवन
धूप सुनहरी सुहाना मौसम,
चमकता चाँद तारे चमचम
यह भारत देश, यह मेरा वतन !
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘यह मेरा वतन’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री स्मरप्रिया मिश्र ने हमारे देश भारत के प्रकृति प्रदत्त स्वरूप का वर्णन किया है ।
व्याख्या : कवयित्री कहती हैं कि हमारे देश का आसमान खुला है तथा यहाँ कोमल व मंद हवा बहती है । सुनहरी धूप होने के कारण मौसम सुहावना रहता है । रात में आसमान में चाँद और तारे चमकते हैं । ऐसा है हमार देश और यही मेरा वतन है ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଉକ୍ତ ପଦ୍ୟାଶ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ– ୨ ’ର ‘ୟହ ମେରା‘ ସ୍ଵତନ’ କବିତାରୁ ନିଆଯାଇଛି। ଏଥିରେ କବୟିତ୍ରୀ ସ୍ମରପ୍ରିୟା ମିଶ୍ର ଆମ ଦେଶ ଭାରତର ପ୍ରାକୃତିକ ରୂପର ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି ।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : କବୟିତ୍ରୀ କହିଛନ୍ତି ଯେ ଆମ ଦେଶର ଆକାଶ ଉନ୍ମୁକ୍ତ। ଏଠାରେ ଧୀର ପବନ ବହେ । ସୁନେଲି ଖରାରେ ଋତୁ ମନୋମୁଗ୍ଧକର। ରାତିରେ ଚନ୍ଦ୍ର ଓ ତାରା ଝଲସି ଉଠନ୍ତି । ଏହିଭଳି ଦେଶ ଭାରତ ମୋର ଜନ୍ମଭୂମି।
2. हम धीर वीर दिव्य संतान
नहीं मन में तनिक अभिमान,
परवाह नहीं मान अपमान
दें शांति मैत्री प्यार का दान ।
प्रसंग : प्रसुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘यह मेरा वतन’ से ली गई हैं । इन पंक्तियों में भारत के नागरिकों की विशेषताओं का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या : भारत के लोग धैर्यवान, वीर और दैवी गुणों से युक्त हैं । यहाँ के निवासियों में थोड़ा भी अभिमान नहीं है । उन्हें मान-अपमान की फिक्र भी नहीं है । हम लोग पूरी दुनिया को शांति, मित्रता और प्यार का दान दे रह हैं ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ’ର ‘ୟହ ମେରା ୱତନ’ କବିତାରୁ ଉଦ୍ଧୃତ ହୋଇଛି। ଏଥବରେ ଭାରତର ନାଗରିକଙ୍କ ବୈଶିଷ୍ଟ୍ୟ ବର୍ଣ୍ଣିତ ହୋଇଛି।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ଭାରତୀୟ ବ୍ୟକ୍ତି ଧୈର୍ଯ୍ୟବାନ, ବୀର ଓ ଦୈବୀ ଗୁଣସମ୍ପନ୍ନ। ସେମାନଙ୍କର ସାମାନ୍ୟ ଗର୍ବ ମଧ୍ୟ ନାହିଁ । ସେମାନେ ମାନ-ଅପମାନକୁ ଖାତିର କରନ୍ତି ନାହିଁ । ଆମେ ସମଗ୍ର ବିଶ୍ଵକୁ ଶାନ୍ତି, ମୈତ୍ରୀ ଓ ପ୍ରେମର ଦାନ କରି ଆସିଛୁ।
3. हर मानव को अपना मान
दुनिया को बना कुटुम्ब समान,
निडर तत्पर अचल चट्टान
बनाते चलें नये कीर्त्तिमान ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘यह मेरा वतन’ से ली गई हैं । इन पंक्तियों में भारत के लोगों के मैत्री-भाव और कर्मठता का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या : हमारे देश के लोग प्रत्येक मनुष्य को अपना मानते हैं, इसलिए उनके मन में यह भाव है कि पूरी दुनिया के लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं । हम लोग साहसी और अपने श्रम से॰त्पर रहने वाले हैं । हमारे अंदर चट्टान की सी दुढ़ता है । हम लोग नए-नए कीर्तिमान बना रह हैं । अर्थात् जीवन के हर क्षेत्र में हम लोग कामयाब हो रहे हैं ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ’ର ‘ୟହ ମେରା ୱତନ’ କବିତାରୁ ଉଦ୍ଧୃତ ହୋଇଛି। ଏଥିରେ ଭାରତୀୟଙ୍କ ମୈତ୍ରୀ ଭାବ ଓ କର୍ମଠତା ସମ୍ବନ୍ଧରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି ।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ଆମ ଦେଶର ବ୍ୟକ୍ତି ପ୍ରତ୍ୟେକ ମନୁଷ୍ୟକୁ ନିଜର ମନେ କରନ୍ତି । ସେଥପାଇଁ ସେମାନଙ୍କ ମନରେ ସମଗ୍ର ବିଶ୍ଵବାସୀଙ୍କୁ ଗୋଟିଏ ପରିବାରର ସଦସ୍ୟ ରୂପେ ମନେ କରିବାର ଭାବ ରହିଥାଏ। ଆମେ ସାହସୀ, ଶ୍ରମରେ ତତ୍ପର। ଆମ ମନ ଭିତରେ ପଥରଭଳି ଦୃଢ଼ତା ରହିଛି। ଆମେ ନୂଆ ନୂଆ କୀ’ମାନ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରୁଛୁ ଅର୍ଥାତ୍ ଜୀବନର ସବୁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଆମେ ସଫଳତା ଅର୍ଜନ କରୁଛୁ।
4. खतरे में हो’गर अपनी आन
न्योछावर कर दें अनमोल प्राण,
मातृभूमि के हित मेरे यार !
जीएँ हम मरें भी बारम्बार ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘यह मेरा वतन’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में देश के लोगों के मन में देशहित के लिए वलिदान होने की भावना प्रकट की गई है ।
व्याख्या : यदि किसी समय हमारे देश पर खतरा मँडरा रहा हो, या देश का मान-सम्मान दाँव पर लगा हुआ हो तो भारतवासी अपनी कीमती जानें देश के लिए कुर्बान कर देते हैं । कवयित्री कहती हैं कि अपने देश की भलाई के लिए बारबार जीना और मरना पड़े तो भी हमें स्वीकार है ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ’ର ‘ୟହ ମେରା ୱତନ’ କବିତାରୁ ଉଦ୍ଧୃତ ହୋଇଛି । ଦେଶବାସୀଙ୍କ ମନରେ ଥିବା ବଳିଦାନ-ଭାବନା ପ୍ରକାଶ କରାଯାଇଛି ।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ଯଦି କୌଣସି ସମୟରେ ଦେଶ ଉପରେ ବିପଦ ଘୋଟିଆସେ କିମ୍ବା ଦେଶର ସମ୍ମାନ ଉପରେ ଆ ଆସିବାର ଆଶଙ୍କା ଦେଖାଦିଏ, ତେବେ ଭାରତବାସୀ ସେମାନଙ୍କ ଅମୂଲ୍ୟ ଜୀବନକୁ ଦେଶ ପାଇଁ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିଦିଅନ୍ତି । କବୟିତ୍ରୀ ଲେଖୁଛନ୍ତି ଯେ ନିଜ ଦେଶମାତୃକାର କଲ୍ୟାଣ ପାଇଁ ବାରମ୍ବାର ଜନ୍ମ ନେବାକୁ ଓ ମୃତ୍ୟୁବରଣ କରିବାକୁ ପଡ଼ିଲେ ମଧ୍ୟ ତାହାକୁ ଆମେ ସହର୍ଷ ସ୍ଵୀକାର କରିଥାଉ।
शब्दार्थ :