Odisha State Board BSE Odisha 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 सीखो (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 7 Hindi Solutions Chapter 6 सीखो (कविता)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) वृक्ष की झूकी डालियों से हमें क्या सीखना चाहिए।
उत्तर:
वृक्ष की झूकी डालियों से हमें सिर झुकाना यानी नम्र बनना सीखना चाहिए।
(ii) जगने की प्रेरणा हमें किससे मिलती है ?
उत्तर:
जगने की प्रेरणा हमें सूरज की किरणों से मिलती है।
(iii) लता और पेड़ क्या सिखाते हैं ?
उत्तर:
लताऔर पेड़ सबसे गले लगाना सिखाते हैं। अर्थात् ये हमें सबसे प्रेम एवं स्नेह प्रदर्शित करने की शिक्षा देते हैं ।
(iv) दीपक से हम क्या सीखते हैं ?
उत्तर:
दीपक से हम यथासंभव दूसरों के जीवन के दुख और अज्ञान रूपी अँधेरे को मिटाना सीखते हैं ।
(v) जलधारा से हमें क्या सीखना चाहिए ?
उत्तर:
जलधारा से हमें जीवन के मार्ग पर आगे बढ़ना सीखना चाहिए।
(vi) धुएँ से हम क्या सीखना है ?
उत्तर:
धुएँ से हम सदा ऊँचे उठना या उन्नति करना सीखेंगे।
(vii) सत्पुरुष और गुरु से हमें क्या सीखना है ?
उत्तर:
सत्पुरुष और गुरु से हमें चरित्र-निर्माण और उत्तम विद्या सीखनी है । सतपुरुष अपने उच्च चरित्र के माध्यम से दूसरों को चरित्रवान बनने की प्रेरणा देते हैं। इसी तरह गुरु के पास उत्तम विद्या होती है। बच्चों को अपने गुरु से श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
2. नीचे एक ओर सिखाने वालों के नाम और दूसरी ओर उनसे मिलने वाली सीखें दी गयी हैं । उनकी सही जोड़े बनाइए|
‘क’ — ‘ख’
धुआँ — सबकी सेवा करना
फूल — आगे बढ़ना
लता और पेड़ — ऊपर चढ़ना
भौरे — गले लगाना
सूरज की किरण — हँसना
दीपक — गाना
पृथ्वी — अंधेरा हरना
जलधारा — जगना और जगाना
उत्तर:
‘क’ — ‘ख’
धुआँ — ऊपर चढ़ना
फूल — हँसना
लता और पेड़ — गले लगाना
भौरे — गाना
सूरज की किरण — जगना और जगाना
दीपक — अंधेरा हरना
पृथ्वी — सब की सेवा करना
जलधारा — आगे बढ़ना
भाषा-कार्य :
3. नीचे दिए गए शब्दों को विपरीत अर्थवाले शब्दों के साथ मिलाइए :
शब्द — विपरीत अर्थ
अंधकार — नीचा
अज्ञान — असत्
जीवन — पराया
अपना — मृत्यु
सत् — प्रकाश
ऊँचा — ज्ञान
उत्तर:
शब्द — विपरीत अर्थ
अंधकार — प्रकाश
अज्ञान — ज्ञान
जीवन — मृत्यु
अपना — पराया
सत् — असत्
ऊँचा — नीचा
संज्ञा के बदले आनेवाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं, जैसे-
राम सातवीं कक्षा में पढ़ता है ।
वह रोज विद्यालय जाता है ।
‘वह’ सर्वनाम है जो संज्ञा ‘राम’ के बदले आया है ।
नीचे कुछ सर्वनाम दिये गये हैं :
मैं, हम, तू, आप, वह, यह, वे, ये, अपना, कौन,क्या, जो, कोई, आदि ।
अब हम सर्वनाम लगाकर वाक्य बनाना सीखें —
पुलिंग
मैं = काम करता हूँ। – कर रही हूँ ।
कर रहा था – करूँगा।
हम = काम करते हैं। – कर रहे हैं।
कर रहे थे – करेंगे ।
तू = काम करता है। – कर रहा था।
कर रहा है – करेगा।
तुम = काम करते हो। – कर रहे हो ।
कर रहे थे। – करोगे ।
वह = काम करता है| – कर रहा है।
कर रहा था। – करेगा।
वे = काम करते हैं। – कर रहे हैं।
कर रहे थे – करेंगे।
4. ऊपर के वाक्यों को स्त्रीलिंग में लिखिए ।
मैं = काम करती हूँ। – कर रही हूँ।
कर रहीं थी । – करूँगी।
हम = काम करती हैं। – कर रहीं हैं ।
कर रही थी| – करेंगी।
तू = काम करती है। – कर रही है ।
कर रही थी। – करेगी।
तुम = काम करती हो। – कर रही थी ।
कर रही हो। – करोगी।
वह = काम करती है । कर रही थी ।
कर रही है। – करेगी।
वे = काम करती हैं। – कर रही हैं।
कर रही थीं। – करेंगी।
5. वचन के अनुसार वाक्यों को बदलिए।
(i) तू पढ़ता है ।
उत्तर: तुम लोग पढ़ते हो ।
(ii) वे खायेंगे ।
उत्तर: वह खाएगा ।
(iii) मैं लिख रहा था ।
उत्तर: हम लिख रहे थे ।
(iv) वह बोलेगा ।
उत्तर: वे बोलेंगे।
(v) हम दौड़ेंगे ।
उत्तर: मैं दौडूँगा ।
6. नीचे दिये गये उदाहरण के अनुसार खाली जगह भरिए।
लिखना (खुद) लिखाना (किसी दूसरे के द्वारा)
पढ़ना उत्तर – पढ़ना
उत्तर:
हँसना – हँसाना
खेलना – खिलाना
करना – कराना
झूकना – झुकाना
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) फूलों से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
फूलों से हमें सदा हँसते-खिलखिलाते रहने की सीख मिलती है ।
(ii) धुएँ से हम क्या सीख सकते हैं ?
उत्तर:
धुआँ हमेशा ऊपर ही चढ़ता है । उससे हम भी जीवन में ऊँचा उठना या उन्नति करना सीख सकते हैं ।
(iii) जीवों की सच्ची सेवा करने की सीख हमें किससे मिलती है ?
उत्तर:
जीवों की सच्ची सेवा करने की सी ख हमें पृथ्वी से मिलती है ।
(iv) कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
कविता में प्रकृति एवं अन्य पदार्थों से विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी गई है । फूल, सूरज, लता, पेड़, दीपक, जलधारा, धुआँ आदि हमें जीवन के लिए उपयोगी सीख प्रदान करते हैं । बुद्धिमान मनुष्य उनसे सीख लेकर अपने जीवन को उन्नत बना सकता है ।
2. कविता की निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए:
दीपक से सीखो जितना हो
सके अँधेरा हरना
पृथ्वी से सीखो जीवों की
सच्ची सेवा करना ।
उत्तर:
ऊपर लिखी पंक्तियों में दीपक और पृथ्वी से मिलने वाली सीख का वर्णन किया गया है । दीपक की रोशनी अधिक दूर तक नहीं फैलती परंतु वह अँधरे को मिटाने की पूरी कोशिश करता है । उसी तरह हमें भी अपनी शक्ति भर दूसरों के जीवन में फैले अज्ञान रूपी अँधरे को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। पृथ्वी हमें जीवों की सच्ची सेवा करने की सीख देती है । यह सेवा के बदले किसी से कुछ नहीं माँगती। हमें भी पृथ्वी के समान बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प उत्तर पर (✓) का निशान लगाइए :
(i) हमेशा गाते-गुनगुनाते रहने की शिक्षा कौन देता है ?
(क) गायक
(ख) भौंरा
(ग) फूल
(घ) पहाड़
उत्तर:
(ग) फूल
(ii) लता और पेड़ हमें क्या सिखाते हैं ।
(क) आगे बढ़ना
(ख) हरा-भरा रहना
(ग) सेवा करना
(घ) सब को गले लगाना
उत्तर:
(घ) सब को गले लगाना
(iii) जलधारा से हम सीखते हैं –
(क) जीवन-पथ पर बढ़ना
(ख) शीतलता प्रदान करना
(ग) कभी नहीं रुकना
उत्तर:
(क) जीवन-पथ पर बढ़ना
(iv) कविता ‘सीखो’ के कवि है –
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) सोहन लाल द्विवेदी
(ग) गोपाल दास ‘नीरज’
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(ख) सोहन लाल द्विवेदी
4. दिए गए वाक्यों में से संज्ञा शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
तरु, शीश, लता, दीपक, गुरु, उत्तम
उत्तर:
- तरु – वृक्ष
- लता – बेल
- गुरु – शिक्षक
- शीश – मस्तक
- दीपक – दीया
- उत्तम – श्रेष्ठ
5. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
उत्तर:
- हँसना – रोना
- अँधेरा – उजाला
- जीवन – मृत्यु
- जगाना – सोना
- सच्ची – झूठी
- गुरु – शिष्य
6. संयुक्ताक्षरों वाले दो-दो शब्द लिखिए :
च + च = च्च
त् + त = त्त
द् + य = द्य
च् + छ = च्छ
उत्तर:
8. उदाहरण देखिए और लिखिए :
उदाहरण – जलधारा – जल की धारा
राजपुत्र – राजा का पुत्र
हिमालय – हिम (वर्फ) का आलय (घर)
वन्यप्राणी – वन के प्राणी
डाकगाड़ी – डाक की गाड़ी
राजमहल – राजा का महल
पाठ का सारांशः
फूलों से नित हँसना
सीखो भौंरों से नित गाना ।
तरु की झुकी डालियों से
नित सीखो शीश झुकाना ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’. की कविता ‘सीखो’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि द्विवेदी ने फूलों, भौंरों और पेड़ को झुकी डालियों से मिलनेवाले सीख के बारे में बताया है ।
व्याख्या : प्रकृति और प्रकृति के प्राणी अपने स्वभाव से हमें बहुत-सी सीख देते हैं । फूलों से हमें हमेशा हँसतेखिलखिलते रहने की सीख मिलती है । गुनगुनाते भौरे हमें सदा खुशी के गीत गाने की शिक्षा देते हैं । पैड़ की झूकी हुई डालियों से हम नम्र बनने की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ-୨’ର ‘ସୀଖୋ’ କବିତାରୁ ଗୃହୀତ। ଏଥରେ କବି ଦ୍ଵିବେଦୀ ଫୁଲ, ଭ୍ରମର ଓ ବୃକ୍ଷର ନଇଁ ପଡ଼ିଥିବା ଡାଳରୁ ମିଳୁଥିବା ଶିକ୍ଷା ବିଷୟରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ପ୍ରକୃତି ଓ ପ୍ରକୃତିର ଅନ୍ୟ ପ୍ରାଣୀ ସେମାନଙ୍କ ସ୍ଵଭାବ ଅନୁସାରେ ଆମକୁ ଅନେକ ଶିକ୍ଷା ପ୍ରଦାନ କରିଥା’ନ୍ତି । ଫୁଲଠାରୁ ଆମେ ସର୍ବଦା ହସି ହସି ରହିବାର ଶିକ୍ଷା ଲାଭ କରୁଛୁ। ଗୁଣୁଗୁଣୁ ହେଉଥିବା ଭ୍ରମର ଆମକୁ ସବୁବେଳେ ଖୁସିରେ ଗୀତ ଗାଇବା ପାଇଁ ଶିକ୍ଷା ପ୍ରଦାନ କରେ। ଗଛର ନଇଁ ପଡ଼ିଥିବା ଡାଳରୁ ଆମେ ନମ୍ର ହେବା ପାଇଁ ଶିକ୍ଷା ଗ୍ରହଣ କରିଥାଉ ।
सूरज की किरणों से सीखो
जगना और जगाना
लताऔर पेड़ों से सीखो
सब को गले लगाना ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘सीखो’ से ली गई है। इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि सूरज की किरणें, लता और पेड़ हमें किस तरह की सीख देते हैं ।
व्याख्या : सूरज की किरणें प्रतिदिन समय पर आकर लोगों को जग जाने का संदेश देती हैं । इसी तरह हमें भी अपनी उन्नति के साथ-साथ दूसरों की उन्नति के लिए प्रयास करना चाहिए। संसार के लोगों को जगाना हमारा कर्तव्य है । कवि लता और पेड़ों का उदाहरण देकर कहते हैं कि हमें दूसरों को गले लगाना चाहिए, अर्थात सबके साथ स्नेह प्रदर्शित करना चाहिए।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦଂଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ–୨’ର ‘ ସୀଖୋ’ କବିତାରୁ ଆନୀତ ହୋଇଛି । ଏଥରେ କବି ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି ଯେ ସୂର୍ଯ୍ୟର କିରଣ, ଲତା ଓ ବୃକ୍ଷ ଆମକୁ କେଉଁ ପ୍ରକାରର ଶିକ୍ଷା ପ୍ରଦାନ କରିଥା’ନ୍ତି।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ସୂର୍ଯ୍ୟକିରଣ ପ୍ରତିଦିନ ଠିକ୍ ସମୟରେ ଆସି ଲୋକଙ୍କୁ ଉଠିପଡ଼ିବାକୁ ବାର୍ତ୍ତା ଦେଉଛି । ଏହିପରି ଭାବେ ଆମେ ମଧ୍ୟ ନିଜର ଉନ୍ନତି ଅନ୍ୟର ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ଚେଷ୍ଟା କରିବା ଉଚିତ। ସଂସାରର ଲୋକଙ୍କୁ ଜାଗ୍ରତ କରିବା ଆମର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ । କବି ଲତା ଓ ବୃକ୍ଷର ଉଦାହରଣ ଦେଇ କହିଛନ୍ତି ଯେ ଆମେ ଅନ୍ୟକୁ ଆଲିଙ୍ଗନ କରିବା ଉଚିତ, ଅର୍ଥାତ୍ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ସ୍ନେହ ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିବା ଉଚିତ।
दीपक से सी खो जितना हो
सके अँधेरा हराना
पृथ्वी से सीखो जीवों की
सच्ची सेवा करना।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘सी खो’ से ली गई हैं । इन पंक्तियों में कवि ने दीपक और पृथ्वी को परोपकारी और मार्गदर्शक बताकर इनसे सीख लेने की प्रेरणा दी है ।
व्याख्या : छोटा-सा दीपक जलकर अपने चारों ओर के अंधकार को नष्ट कर देता है । दीपक की तरह ही हमें भी यथासंभव दूसरों के जीवन के अंधकार को दूर करने का प्रयास करना चाहिए । पृथ्वी सभी जीवों को आश्रय देती है और अपने साधनों से उनका पालन-पोषण करती है । पृथ्वी से सबक लेकर हमें उसकी तरह जीवों की सच्ची सेवा करने का संकल्प लेना चाहिए।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ– ୨ ’ର ‘ ସୀଖୋ’ କବିତାରୁ ଗୃହୀତ ହୋଇଛି । ଏଥରେ କବି ଦୀପ ଓ ପୃଥିବୀକୁ ପରୋପକାରୀ ଓ ମାର୍ଗଦର୍ଶକ ରୂପେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରି ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ଶିକ୍ଷା ଗ୍ରହଣ କରିବାକୁ ପ୍ରେରଣା ଦେଇଛନ୍ତି ।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ଛୋଟ ଦୀପଟିଏ ଜଳି ଜଳି ତା’ ପାଖରେ ଥବା ଅନ୍ଧଦାରକୁ ଦୂର କରିଦିଏ। ଦୀପଟି ଭଳି ଆମେ ମଧ୍ୟ ଯଥାସମ୍ଭବ ଅନ୍ୟର ଜୀବନରୁ ଅନ୍ଧକାର ଦୂର କରିବା ପାଇଁ ଚେଷ୍ଟା କରିବା ଉଚିତ । ପୃଥିବୀ ସମସ୍ତ ଜୀବଙ୍କୁ ଆଶ୍ରୟ ପ୍ରଦାନ କରୁଛି ଓ ନିଜ ସାଧନ ମୁତାବକ ସେମାନଙ୍କୁ ପାଳୁଛି, ପୋଷୁଛି । ପୃଥିବୀଠାରୁ ଶିକ୍ଷା ଗ୍ରହଣ କରି ଆମେ ସମସ୍ତ ଜୀବଙ୍କର ପ୍ରକୃତ ସେବାକରିବା ପାଇଁ ସଂକଳ୍ପବଦ୍ଧ ହେବା ଉଚିତ।
जलधारा से सीखो आगे
जीवन-पथ पर बढ़ना
और धुएँ से सीखो हरदम
ऊँचे ही पर चढ़ना ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘सीखो’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि सोहनलाल द्विवेदी जलधारा ओर धुएँ से मिलनेवाली सीख का वर्णन करते हैं ।
व्याख्या : कवि कहते हैं कि पानी की धारा कभी रुकती नहों, निरंतर आगे बढ़ती जाती है । जलधारा से जीवन पथ पर बढ़ते रहने की प्रेरणा लेनी चाहिए । हमें हार मान कर कभी रुकना नहीं चाहिए । धुओं की अपने स्वभाव से हमें सिखाया जाता है कि हम हमेशा ऊपर चढ़ते चले जाएँ अर्थात् जीवन में उन्नति करते चले जाएँ ।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ-୨’ର ‘ସୀଖୋ’ କବିତାରୁ ଉଦ୍ଧୃତ। ଏଥରେ କବି ସୋହନଲାଲ ଦ୍ବିବେଦୀ ଜଳଧାରା ଓ ଧୂଆଁଠାରୁ ମିଳୁଥିବା ଶିକ୍ଷା ବିଷୟରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି ।
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ଜଳଧାରା କେବେ ଅଟକି ଯାଏନି, ସେ ସବୁବେଳେ ଆଗକୁ ବଢ଼ି ଚଲିଥାଏ। ଜଳଧାରାଠାରୁ ଆମେ ଜୀବନ-ମାର୍ଗରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ି ଋଲିବାର ପ୍ରେରଣା ନେବା ଉଚିତ। ଆମେ ହାର୍ ସ୍ଵୀକାର କରି କେବେ ଅଟକି ଯିବା ନାହିଁ । ଧୂଆଁର ସ୍ଵଭାବରୁ ଆମକୁ ‘ଶିଖାଯାଏ ଯେ ଆମେ ସର୍ବଦା ଉପରକୁ ଚଢ଼ିବା ଅର୍ଥାତ୍ ଜୀବନରେ ଉନ୍ନତି କରି ଋଲିବା ।
सत्पुरुषों के जीवन से
सीखो चरित्र निज गढ़ना
अपने गुरु से सीखो बच्चो
उत्तम विद्या पढ़ना ।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मेरी हिन्दी पुस्तक-२’ की कविता ‘सीखो’ से ली गई हैं । इन पंक्तियों में कवि सदाचारी व योग्य व्यक्तियों तथा गुरुओं से मिलनेवाली सीख की जानकारी दी है ।
व्याख्या : सदाचारी एवं योग्य व्यक्तियों का चरित्र उत्तम होता है । इनसे सीख लेकर हमें अपने चरित्र को अच्छा बनाने की कोशिश करनी चाहिए । गुरु के पास श्रेष्ठ विद्या होती है। उनसे बच्चों को श्रेष्ठ विद्या ग्रहण करनी चाहिए।
ପ୍ରସଙ୍ଗ : ଶଂସିତ ପଦ୍ୟାଶ ଆମ ପାଠ୍ୟ ପୁସ୍ତକ ‘ମେରୀ ହିନ୍ଦୀ ପୁସ୍ତକ-୨’ର ‘ସୀଖୋ’ କବିତାରୁ ଗୃହୀତ। ଏଥିରେ କବି ସଦାପ୍ସରୀ, ଯୋଗ୍ୟ ବ୍ୟକ୍ତି ଓ ଗୁରୁଙ୍କଠାରୁ ମିଳିଥିବା ଶିକ୍ଷା ସମ୍ବନ୍ଧରେ ସୂଚନା ଦେଇଛନ୍ତି |
ବ୍ୟାଖ୍ୟା : ସଦାପ୍ସରୀ ଓ ଯୋଗ୍ୟ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ଚରିତ୍ର ଉତ୍ତମ ହୋଇଥାଏ। ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ଶିକ୍ଷା ଗ୍ରହଣ କରି ଆମେ ନିଜ ଚରିତ୍ରକୁ ଉତ୍ତମ କରିବା ପାଇଁ ଚେଷ୍ଟା କରିବା ଉଚିତ | ଗୁରୁଙ୍କ ପାଖରେ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ବିଦ୍ୟା ରହିଥାଏ। ପିଲାମାନେ ସେହି ଗୁରୁମାନଙ୍କଠାରୁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ବିଦ୍ୟା ଗ୍ରହଣ କରିବା ଉଚିତ।
शब्दार्थ :