Odisha State Board BSE Odisha 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 उत्कलमणि Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 7 Hindi Solutions Chapter 7 उत्कलमणि
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) अंग्रेज भारतीयों को संतुष्ट क्यों नहीं कर पाते थे?
उत्तर:
अंग्रेज अपनी भारतीय प्रजा के सुख-दुख का ध्यान नहीं रखते थे । वे भारतीयों के कष्टों के प्रति बेपरवाह रहते थे । इसलिए वे भारतीयों को संतुष्ट नहीं कर पाते थे ।
(ii) वन विद्यालय की स्थापना किन्होंने की ?
उत्तर:
वन-विद्यालय की स्थापना ओड़िशा के कुछ नवयुवकों ने की ।
(iii) वन विद्यालय में कि-किस विषय की शिक्षा दी जाती थी ?
उत्तर:
वन-विद्यालय में चरित्र-निर्माण और नैतिक शिक्षा के अलावा छात्रों को स्वरोजगार की शिक्षा दी जाती थी। उन्हें बढ़ई के काम, खेती के काम, चित्रकला, बुनाई आदि की शिक्षा के माध्यम से स्वाव्रलंबी बनाया जाताथा।
(iv) गोपबन्धु क्यों रो रहे थे ?
उत्तर:
रात भर की वर्षा के कारण निचले इलाकों में पानी भरने के कारण बाढ़ आने का खतरा हो गया था । बाढ़ के आने से लोगों के घरवार, खेत आदि तहसनहस हो गए होंगे।इस स्थिति में सरकार भी उनकी सहायता नहीं कर रही होगी । इन स्थितियों पर विचार करते हुए गोपबंधु की आँखो में आँसू आ गए थे ।
(v) उन्होंने सबसे क्या कहा ?
उत्तर:
उन्होंने सबसे गाँव-गाँव में जाकर लोगों की मदद करने के लिए कहा ।
(vi) वे किस प्रकार के नेता थे ?
उत्तर:
वे ओड़िशा के लोगों की पीड़ा, आशा-अभिलाषाओं को अंग्रेजों के सामने निर्भीकता से रखनेवाले नेता थे। गोपबंधु सच्चे देशभक्त और जन-जन के कल्याण के लिए समर्पित नेता थे ।
(vii) वे सर्वदा क्या कहते थे ?
उत्तर:
वे सर्वदा कहते थे कि मानव-जीवन की कसौटी कर्म है । जो अच्छा कर्म करता है, उसी का जीवन सफल है । वे देश के लिए बलिदान होना जीवन की सार्थकता समझते थे ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक एक वाक्य में दीजिए:
(i) हमारे देश पर किसका शासन था ?
उत्तर:
हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था ।
(ii) वन विद्यालय, के मुखिया कौन थे ?
उत्तर:
वन विद्यालय के मुखिया गोपबंधु दास थे ।
(iii) गोपबंधु का हृदय कैसा था ।
उत्तर:
गोपबंधु का हृदय बहुत कोमल था।
(iv) उनका जन्म कहाँ हुआ था ।
उत्तर:
उनका जन्म पुरी जिले के सुआण्डो गाँव में हुआ था।
(v) गोपबन्धु किस किस के पक्षधर थे ?
उत्तर:
गोपबन्धु लोक-कल्याण, देश-प्रेम, समर्पित सेवा और सत्य-अहिंसा नीति के पक्षधर थे ।
3. कोष्ठक में दिए गए शब्दों से सहीं शब्द चुनकर खाली जगह भरिए : (प्रश्न एवं उत्तर)
(सत्यवादी, १८७७, कर्म, उत्कलमणि, अंग्रेज)
(i) हमारे देश में अंग्रेज शासन करते थे ।
(ii) कुछ नवयुवकों ने साक्षिगोपाल में सत्यवादी वनविद्यालय बनाया था।
(iii) गोपबन्धु का जन्म १८७७ ई. में हुआ था।
(iv) मानव जीवन की कसौटी उसके कर्म हैं ।
(v) गोपबन्धु सचमुच उत्कलमणि हैं।
4. उदाहरण के अनुसार बदलिए :
उत्तर:
5. नीचे दिये गये वाक्यों के सही काल चुनिए :
(i) तब हमारे देश में अंग्रेज लोग शासन करते थे।
(ii) गोपबन्धु रो रहे थे ।
(iii) गोपबन्धु उनके मुखिया थे ।
(iv) मेरे देशवासी मेरी पीठ पर चढ़कर प्रगति करें।
उत्तर:
(i) भूतकाल
(ii) भूतकाल
(iii) भूत काल
(iv) भविष्य काल
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) शासक-वर्ग के लोगों का व्यवहार कैसा था?
उत्तर:
शासक-वर्ग के लोगों का व्यवहार अनुचित था। वे प्रजा के सुख-दुख से बेखबर और बेपरवाह रहते थे।
(ii) सत्यवादी वन-विद्यालय में कौन-कौन रहते थे? उनके मुखिया कौन थे ?
उत्तर:
सत्यवादी वन-विद्यालय में शिक्षक और छात्र-साथसाथ रहते थे। उनके मुखिया गोपबन्धु दास थे ।
(iii) रात के दो बजे सब जग क्यों गए ?
उत्तर:
रात के दो बजे किसी के सिसकने की आवाज सुनकर सब जग गए।
(iv) गोपबन्धु दास के आदर्श कौन थे ?
उत्तर:
धर्मपद और नचिकेता गोपबन्धु दास के आदर्श थे ।
2. निम्नलिखित कथनों के अर्थ स्पष्ट कीजिए :
(i) मानव-जीवन की कसौटी तो उसके कर्म हैं ।
उत्तर:
मानव-जीवन में कर्म का बहुत महत्व है। जिसका कर्म अच्छा होता है, उसी का जीवन सार्थक होता है। व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों से ही पता चलता है कि उसका जीवन सफल है या असफल।
(ii) स्वराज के पथ पर जितने गड्ढ़े हैं, वे सब मेरे अस्थि-मांस से पट जाएँ, मेरे देशवासी मेरी पीठ पर चढ़कर प्रगति करें
उत्तर:
ये शब्द उत्कलमणि गोपबन्धु दास ने कहे थे । उन्होंने अपना पूरा जीवन देशहित के कार्यों के लिए बलिदान कर दिया था। वे देश को आज़ाद कराने के मार्ग की बाधाओं को मिटाने के लिए बड़े-से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार थे। वे सभी प्रकार के कष्ट सहकर देशवासियों की उन्नति के लिए हमेशा प्रयत्न करत रहे।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) का निशान लगाइए :
(i) अंग्रेज लोग किसे संतुष्ट नहीं कर पाते थे ?
(क) महारानी को
(ख) अपने राजा को
(ग) भारत की जनता को
(घ) जमींदारों को
उत्तर:
(ग) भारत की जनता को
(ii) रात भर की वर्षा से कहाँ पानी भर आया होगा?
(क) निचले इलाकों में
(ख) ऊपरी इलाकों में
(ग) समुद्र में
उत्तर:
(क) निचले इलाकों में
(iii) गोपबन्धु का हृदय कैसा था ?
(क) भारी
(ख) भौंरा
(ग) कोमल
(घ) पहाड़
उत्तर:
(ग) कोमल
(iv) उत्कल के जन-जन के प्रिय नेता कौन थे ?
(क) पठाणी सामंत
(ख) गोपबन्धु
(ग) मधुसूदन राओ
(घ) नेताजी सुभाष चन्द्र बोष
उत्तर:
(ख) गोपबन्धु
भाषा-कार्य :
4. ‘अ’ और ‘प्र’ उपसर्ग वाले दो-दो शब्द लिखिए :
5. ‘ता’, ‘ईय’ और ‘इत’ प्रत्यय वाले वाले दो-दो शब्द लिखिए :
6. नए शब्द बनाइए :
उत्तर:
गोप + बन्धु = गोपबन्धु
उत्कल + मणि = उत्कलमणि
चित्र + कला = चित्रकला
स्व + राज = स्वराज
सत्य + वादी = सत्यवादी
धर्म + पद = धर्मपद
7. मोटे छपे शब्दों के लिंग बदलकर वाक्यों को फिर से लिखिए :
(i) शिक्षक कक्षा में आ गए हैं ।
(ii) वहाँ कुछ नवयुवक खड़े थे ।
(iii) वे एक निर्भिक नेता माने जाते हैं।
(iv) छात्र चित्रकला सीख रहे हैं ।
उत्तर:
(i) शिक्षिका कक्षा में आ गई हैं ।
(ii) वहाँ कुछ नवयुवतियाँ खड़ी थीं ।
(iii) वे एक निर्भीक नेत्री मानी जाती हैं ।
(iv) छात्रा चित्रकला सीख रही हैं ।
पाठ का सारांश
आज़ादी से पहले भारत पर अंग्रेजों का शासन था। शासक-वर्ग के लोग जनता के सुख-दुख से बेखबर रहते थे, इसलिए वे अंग्रेजो से बहुत परेशान थे ।
इसी काल में ओड़िशा के युवकों ने पुरी के निकट साक्षिगोपाल में सत्यवादी वन विद्यालय की स्थापना की थी। यहाँ शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण और नैतिक सेवा पर भी पूरा ध्यान दिया जाता था। छात्रों को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वरोजगार की शिक्षा दी जाती थी। गोपबंधु दास के नेतृत्व में शिक्षक और छात्र यहाँ साथ-साथ रहते थे ।
एक दिन रात भर वर्षा होती रही । रात के दो बजे किसी के सिसकने की आवाज सुनकर सभी जाग गए। उन्होंने देखा कि गोपबंधु रो रह हैं । वे निचले इलाकों में बाढ़ आने के कारण लोगों को होने वाले कष्टों के बारे में सोचकर दुखी हो रहे थे । उन्होंने वहाँ चलकर लोगों की मदद करने के लिए कहा। इससे पता चलता है कि उनका हृदय कितना विशाल और कोमल था ।
गोपबंधु दास लगभग ५० वर्ष तक जीवित रहे। उनका पूरा जीवन देश के लिए समर्पित था । उन्होंने बहुत निडर होकर अंग्रोजों के सामने आड़िशा के लोगों के दुख-दर्द रखे । वे भारतीय लोक सेवक मण्डल के सदस्य थे । उन्होंने समाचारपत्र ‘समाज’ का प्रकाशन और कोई पुस्तकों का लेखन किया । वे महान स्वतंत्रता सेनानी और देशसेवक थे । उत्कल के लोगों के प्रिय नेता होने के कारण वे उत्कलमणि कहलाते हैं।
ସାରାଂଶ
ସ୍ଵାଧୀନତା ପୂବରୁ ଭାରତକୁ ଇଂରେଜମାନେ ଶାସନ କରୁଥିଲେ। ଶାସନକର୍ତା ଲୋକଙ୍କ ସୁଖ-ଦୁଃଖ ବିଷୟରେ ଧାନ ଦେଉନଥିଲେ। ତେଣୁ ସେମାନେ ଇଂରେଜଙ୍କ ଯୋଗୁଁ ଉଦ୍ବିଗ୍ନ ଥିଲେ। ଏହି ସମୟରେ ଓଡ଼ିଶାର କେତେକ ନବଯୁକବ ପୁରୀ ନିକଟସ୍ଥ ସାକ୍ଷୀଗୋପାଳଠାରେ ସତ୍ୟବାଦୀ ବନ ବିଦ୍ୟାଳୟ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରିଥିଲେ । ଏଠାରେ ଶିକ୍ଷାଦାନ ସହିତ ଛାତ୍ରମାନଙ୍କର ଚରିତ୍ରଗଠନ ଓ ନୈତିକ ସେବା ଉପରେ ପୂର୍ଣ୍ଣ ଧ୍ୟାନ ଦିଆଯାଉଥିଲା । ଛାତ୍ରମାନଙ୍କୁ ସ୍ଵାବଲମ୍ବୀ କରିବା ପାଇଁ ସ୍ବ-ରୋଜଗାର ପାଇଁ ଶିକ୍ଷା ଦିଆଯାଉଥିଲା । ଏଠାରେ ଗୋପବନ୍ଧୁ ଦାସଙ୍କ ନେତୃତ୍ଵରେ ଶିକ୍ଷକ ଓ ଛାତ୍ରମାନେ ଏକାଠି ରହୁଥିଲେ। ଦିନେ ରାତିସାରା ବର୍ଷା ହେଲା । ରାତି ଦୁଇଟାବେଳେ କେହି କଇଁ କଇଁ ହୋଇ କାନ୍ଦୁଥିବାର ଶୁଣି ସମସ୍ତେ ନିଦରୁ ଉଠିପଡ଼ିଲେ। ସେମାନେ ଦେଖିଲେ ଯେ ଗୋପବନ୍ଧୁ କାନ୍ଦୁଛନ୍ତି।
ସେ ତଳିଆ ଅଞ୍ଚଳରେ ବନ୍ୟା ଆସିଲେ ଲୋକଙ୍କର ବଢ଼ିଯାଉଥିବା ଦୁଃଖ-ଦୁର୍ଦ୍ଦଶା ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତାକରି ଦୁଃଖୀ ହୋଇଯାଇଥିଲେ। ସେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ସେଠାକୁ ଯାଇ ଲୋକଙ୍କୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିବାକୁ କହିଲେ। ଏଥୁରୁ ତାଙ୍କର ହୃଦୟ କେତେ ବିଶାଳ ଓ କୋମଳ ଥୁଲା, ତା’ର ସୂଚନା ମିଳେ। ଗୋପବନ୍ଧୁ ପ୍ରାୟ ପଚାଶ ବର୍ଷ ବୟସ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଜୀବିତ ଥିଲେ। ତାଙ୍କର ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ଜୀବନ ଦେଶ ପାଇଁ ସମର୍ପିତ ଥିଲା। ସେ ନିର୍ଭିକ ଭାବରେ ଇଂରେଜମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଓଡ଼ିଶାର ଲୋକମାନଙ୍କର ଦୁଃଖ-ଦୁର୍ଦ୍ଦଶା ଉପସ୍ଥାପନ କରୁଥିଲେ। ସେ ଭାରତୀୟ ଲୋକସେବକ ମଣ୍ଡଳର ସଦସ୍ୟ ଥିଲେ। ସେ ଖବରକାଗଜ ‘ ସମାଜ’ ପ୍ରକାଶ କରୁଥିଲେ ଓ କେତେକ ପୁସ୍ତକ ରଚନା କରିଥିଲେ। ସେ ମହାନ୍ ସ୍ଵାଧୀନତା ସଂଗ୍ରାମୀ ଓ ଦେଶଭକ୍ତ ଥିଲେ। ଲୋକଙ୍କର ପ୍ରିୟ ‘ଉତ୍କଳମଣି’ କହନ୍ତି । ନେତା ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ଲୋକେ ତାଙ୍କୁ
शब्दार्थ :