Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Grammar अनुच्छेद Questions and Answers.
BSE Odisha Class 8 Hindi Grammar अनुच्छेद
1. बादशाहों के मरने के बाद ‘ममी’ बना दिया जाता था और उन्हें बड़ी-बड़ी मीनारों में रख दिया जाता था। उनके पास सोने और चाँदी के गहने, सजावट की चीजें और खाने की वस्तुएँ भी रख दी जाती थीं। लोगों का विचार था कि शायद मरने के बाद भी उन्हें खाने की आवश्यकता रहेगी। दो-तीन साल हुए कुछ लोगों ने इनमें एक मीनार के अंदर एक बादशाह की लाश पाई, जिसका नाम नूतन खामिन था। उसके पास बहुत से खूबसूरत और कीमती चीजें रखी हुई मिली।
प्रश्न :
(क) बादशाहों के मरने के बाद क्या बना दिया जाता था और उन्हें कहाँ रखा दिया जाता था ?
(ख) मीनारों के पास क्या-क्या वस्तुएँ रखी जाती थीं ?
(ग) लोगों का क्या विचार था?
(घ) दो-तीन साल हुए कुछ लोगों ने एक मीनार के अन्दर क्या पाई ?
(ङ) उस लाश का नाम क्या था और उसके पास क्या-क्या चीजें रखी हुई थीं ?
उत्तर :
(क) बादशाहों के मरने के बाद ‘ममी’ बना दिया जाता था और उन्हें बड़ी-बड़ी मीनारों में. रख दिया जाता था।
(ख) मीनारों के पास सोने और चाँदी के गहने, सजावट की चीजें और खाने की वस्तुएँ रखी जाती थीं।
(ग) लोगों का विचार था कि शायद मरने के बाद भी उन्हें खाने की आवश्यकता पड़ेगी।
(घ) दो-तीन साल हुए कुछ लोगों ने एक मीनार के अन्दर एक बादशाह की लाश पाई।
(ङ) उस लाश का नाम नूतन खामिन था और उसके पास बहुत से खूबसूरत और कीमती चीजें रखी हुई थीं।
2. बाबाजी भी मनुष्यथे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय भी अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर लाये और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे। एकाएक उचककर सवार हो गये। घोड़ा वायु-वेग से उड़ने लगा।उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू थाऔर जो वस्तु उसे पसंद आ जाए। उस पर अपना अधिकार समझता था। जातेजाते उसने कहा ‘”बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहनेदूँगा।’
प्रश्न :
(क) बाबाजी का हृदय क्यों अधीर हो गया?
(ख) घोड़ा किस तरह दौड़ने लगा ?
(ग) खड्गसिंह के हृदय पर क्यों साँप लोट गया ?
(घ) कौन डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए, वह क्या करता था?
(ङ) जाते-जाते खड्गसिंह ने क्या कहा ?
उत्तर :
(क) अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय भी अधीर हो गया।
(ख) घोड़ा वायु-वेग से उड़ने लगा।
(ग) घोड़े की चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(घ) खड्गसिंह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए, उस पर वह अपना अधिकार समझता था।
(ङ) जाते-जाते खड्गसिंह ने कहा, “बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रखने दूँगा’।
3. ऐसे सरल और मेहनती समाज में बिरसा मुंडा का जन्म सन 1875 में अगस्त माह में हुआ था। बिरसा के दादा का नाम लकारी था।। उनके पिता का नाम सुगाता था। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म झारखंड प्रदेश के एक आदिवासी गाँव चालकाद में हुआ था। बिरसा का बचपन अन्य साधारण बालकों की भाँति बीता। वे माता पिात के काम में हाथ बँटाते थे। कुछ समय बाद बिरसा को पढ़ने के लिए मामा के गाँव भेज दिया गया। बिरसा वहाँ दो वर्षों तक रहे। कुछ समय बाद उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया।
प्रश्न :
(क) बिरसा मुंडा का जन्म कब हुआ था?
(ख) बिरसा मुंडा के पिता का नाम क्या था?
(ग) बिरसा का बचपन किस तरह बीता ?
(घ) पढ़ने के लिए बिरसा को कहाँ भेज दिया गया ?
(ङ) वहाँ बिरसा कितने वर्षों तक रहे ?
उत्तर :
(क) बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में अगस्त माह में हुआ था।
(ख) बिरसा मुंडा के पिता का नाम सुगाता था।
(ग) बिरसा का बचपन अन्य साधारण बालकों की भाँति बीता।
(घ) पढ़ने के लिए बिरसा को मामा के गाँव भेज दिया गया।
(ङ) वहाँ बिरसा दो वर्षों तक रहे।
4. सरस्वती नदी के तटपर बहुत ही शान्त और पवित्र वातावरण में ऋषि दधीचि का आश्रम था। चारोंओर घने वृक्षों और लताओं से घिरे हुए कुंज थे। जिनमें भाँति-भाँति के पक्षी चहक रहे थे। फूलों पर भौरे गूंज रहे थे। हिंस्त्र पशुओं के साथ अहिंस्र पशु भी निर्भय से विचर रहे थे। ऋषि की करुणा और परोपकार के प्रभाव से पशु-पक्षी तक शत्रुता भूलकर परस्पर सौहार्द से रहते थे।
प्रश्न :
(क) दधीचि का आश्रम कहाँ पर था ?
(ख) आश्रम के चारोंओर क्या-क्या थे ?
(ग) वुंज में कौन चहक रहे थे ?
(घ) हिंस्त्र पशुओं के साथ और कौन विचर रहे थे ?
(ङ) किसके प्रभाव से पशु-पक्षी तक शत्रुता भूल गये थे ?
उत्तर :
(क) सरस्वती नदी के तटपर बहु शान्त और पवित्र वातावरण में दधीचि का आश्रम था।
(ख) आश्रम चारोंओर घने वृक्षों और लताओं से घिरे हुए कुंज थे।
(ग) वुंज में भाँति-भाँति के पक्षी चहक रहे थे।
(घ) हिंस्त्र पशुओं के साथ अहिंस्त्र पशु विचर रहे थे।
(ङ) ॠषि की करुणा और परोपकार के प्रभाव से पशु-पक्षी तक शत्रुता भूल गये थे।
5. मनुष्य अमृंत की संतान है। अपनी महानता के कारण वह सबसे श्रेष्ठ प्राणी के रूप में परिचित है। लेकिन आज वह अपना कर्त्तव्य भूल गया है। अपने कर्त्तव्य पर सचेतन होने केलिए कवि ने सलाह दी है। मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने केलिए संसार को स्वर्ग बनने केलिए यह कवि की चेतावनी है। कवि ने मनुष्य को फिर से महान बनने की प्रेरणा दी है।
प्रश्न :
(क) मनुष्य किसकी संतान है ?
(ख) किस के कारण वह सर्व श्रेष्ठ माना जाता है ?
(ग) आज मनुष्य क्या भूल गया है?
(घ) कवि की चेतावनी क्या है ?
(ङ) कवि ने मनुष्य को फिर से क्या बनने की प्रेरणा दी है ?
उत्तर :
(क) मनुष्य अमृत की संतान है।
(ख) अपनी महानता कारण वह सर्व श्रेष्ठ माना जाता है।
(ग) मनुष्य आज अपना कर्त्तव्य भूल गया है।
(घ) मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने केलिए, संसार को स्वर्ग बनाने केलिए यह कवि की चेतावनी है।
(ङ) कवि ने मनुष्य को फ़िर से महान बनने की प्रेरणा दी है।
6. हमारे वेचारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के, न हंस के। उन्हें पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने केलिए काक बनकर ही अवतीर्ण होना पड़ंता है। इतना ही नहीं हमारे दूरस्थ प्रियजनों को भी अपने आने का मधु संदेश इनके कर्कश स्वर में ही देना पड़ता है। दूसरी ओर हम कौवा और काँव-काँव करने को अवमानना के अर्थ में ही प्रयुक्त करते हैं।
प्रश्न :
(क) हमारे पुरखे किस-किस रूप में नहीं आ सकते हैं ?
(ख) हमारे पुरखे को क्या बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है ?
(ग) उन्हें किस पक्ष में हमसे कुछ पाने केलिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है ?
(घ) हमारे दूरस्थ प्रियजनों को अपने आने का मधु संदेश किस स्वर में देना पड़ता है ?
(ङ) हम कौवा और काँव-काँव करने को किस रूप में प्रयुक्त करते हैं ?
उत्तर :
(क) हमारे पुरखे गरुड़, मयूर या हंस के रूप में नहीं आ सकते हैं।
(ख) हमारे पुरखे को काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।
(ग) उन्हें पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने केलिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।
(घ) हमारे दूरस्थ प्रियजनों को अपने आने का मधु संदेश कर्कश स्वर में देना पड़ता है।
(ङ) हम कौवा और काँव-काँव करने को अवमानना के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
7. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन 1889 ई. को उत्तरप्रदेश के इलाहवाद के ‘आनंद भवन’ में हुआ था। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रतिष्ठित वकील थे, जिन्होंने अपने ज्ञान और तर्कशाख से बहुत नाम कमाया था। जवाहरलाल पर पाशःव्य सभ्यता का प्रभाव होते हुए भी उनका भारतीय सभ्यता और संस्कृति से बेहद प्यार था।
नेहरू जी ने इंग्लैंड के प्रसिद्ध ‘हैरो’ स्कूल में और उसके बाद ‘ट्रिनिटी कॉलेज’ में अध्ययन किया। सत्याग्रह आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें अनेक बार जेल जाना पड़ा। कांग्रेस के सभापति भी रहे। वे केवल कुशल राजनीतिज और अधिक परिश्रमी नहीं थे, बल्कि प्रभावशाली लेखक भी थे। उनकी आत्मकथा ‘मेरीकहानी’ विश्व इतिहास की झलक ‘भारत की खोज’, ‘पिता का पत्र पुत्री के नाम’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है।
प्रश्न :
(क) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?
(ख) नेहरू जी के पिता का नाम क्या था?
(ग) नेहरूजी ने कहाँ कहाँ अध्ययन किया था ?
(घ) नेहरूजी को क्यों जेल जाना पड़ा था?
(ङ) नेहरूजी की आत्मकथा पुस्तक का नाम क्या है ?
उत्तर :
(क) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन 1889 ई. उत्तरम्रदेश के इलाहावाद के ‘आनन्द भवन’ में हुआ था।
(ख) नेहरू जी के पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू था।
(ग) नेहरूजी ने इंग्लैंड के प्रसिद्ध ‘हैरो’ स्कूल में और उसके बाद ‘ट्रिनिटी कॉलेज’ में अध्ययन किया था।।
(घ) सत्याग्रह आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण नेहरूजी को अनेक बार जेल जाना पड़ा था।
(ङ) नेहरूजी की आत्मकथा पुस्तक का नाम ‘मेरीकहानी’ है।
8. सत्साहसी व्यक्ति में एक गुप्त शक्ति रहती है। जिसके बल से वह दूसरे मनुष्य को दु:ख से बचाने केलिए प्राण तक देने को प्रस्तुत हो जाता है। र्म, देश, जाति और परिवार वालों के ही लिए नहीं, अपितु, संकट में पड़े हुए अपरिचित व्यक्ति के सहायतार्थ भी उसी शक्ति की प्रेरणा से वह सकटों का सामना करने को तैयार हो जाता है। अपने पापों की वह लेशमात्र भी परवाह नहीं करता। हर प्रकार के क्लेशों को प्रसत्रतापूर्वक सहता है और स्वार्थ के विचारों को वह फटकने तक नहीं देता है। सत्साहस केलिए अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं है। सत्साहस दिखाने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में, पल-पल में आया करता है।
प्रश्न :
(क) सत्साहसी व्यक्ति गुप्त शक्ति के बल से क्या करता है ?
(ख) सत्साहसी व्यक्ति के सह्ययतार्थ भी उस शक्ति की प्रेरणा से संकटों का सामना करने को तैयार हो जाता है ?
(ग) सत्साहसी व्यक्ति संकटों के सामना करने केलिए किसी परवाह नहीं करता?
(घ) सत्साहस केलिए किसकी राह देखने की आवश्यकता नहीं है ?
(ङ) सत्साहस दिखाने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कब आता है ?
उत्तर :
(क) सत्साहसी व्यक्ति संकट में पड़े हुए सत्साहसी व्यक्ति गुप्त शक्ति के बल से दूसरे मनुष्य को दु:ख से बचाने केलिए प्राण देने को प्रस्तुत हो जाता है।
(ख) अपरिचित व्यक्ति के सहायतार्थ भी उस शक्ति की प्रेरणा से संकटों का सामना करने को तैयार हो जाता है।
(ग) सत्साहसी व्यक्ति संकटों के सामना करने केलिए अपने प्राणों का लेशमात्र भी परवाह नहीं करता।
(घ) सत्साहस केलिए अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं है।
(ङ) सत्साहस दिखाने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में पल-पल में आता है।
9. मधुबाबू क्रान्ति, विप्लव, सत्याग्रह, हड़ताल आदि में विश्वास नहीं करते थे। शान्तिपूर्वक गणतांत्रिक लड़ाई करते रहे। सन् १ १०३ ई. स्वी. में ‘उत्फल-सम्मिलनी’ बनायी। सभाएँ होती थीं। सबको साथ लेते थे। अधिकारियों, अंग्रेज अफसरों, वाइसराय को आवेदन, ज्ञापन, स्मारिका भेजते थे। अपने दावा पेश करते थे। तर्कसंगत लेखन, ओजस्वी भाषण, तथ्यपरक विवेचन, मर्मस्पर्शी कविताएँ उनके अस्त्र थे। उनकी देशप्रेम विषयक कविताएँ दिल को छूती हैं। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे। सबको समझाते थे। आखिरकार अंग्रेज शासक भी समझे। फैसला हुआ – ओड़िशा का अलग प्रान्त बने। लेकिन मान्त बनने से पहले ही आधुनिक उत्कल का यह निर्माता संसार से चल बसा।
प्रश्न :
(क) मधुबाबू किस-किस पर विश्वास नहीं करते थे ?
(ख) ‘ठक्कल-सम्मिलनी’ क्रब बनायी गई )
(ग) मधुबाबू किस-किस को आवेदन पत्र, ज्ञापन, स्मारिका भेजते थे?
(घ) मधूबाबू के अस्त्र क्या थे?
(ङ) मधुबाबू किसके खिलाफ आवाज उठाते थे ?
उत्तर :
(क) मधुबाबू क्रान्ति, विप्लव, सत्याग्रह, हड़ताल आदिं में विश्वास नहीं करते थे।
(ख) ‘उत्कल-सम्मिलनी’ सन् १९०३ में बनायी गई।
(ग) मधुबाबू अधिकारियों, अंग्रेज अफसरों, वाइसराय को आवेदन पत्र, ज्ञापन, स्मारिका भेजते थे।
(घ) तर्कसंगत लेखन, ओजस्वीनी भाषण, तथ्यपरक विवेचन, मर्मस्पर्शी कविताएँ मधूबाबू के अस्त्र थे।
(ङ) मधुवाबू अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे।
10. किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया ओर बोला – “महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात यहीं बैठना पड़ता।” युवक ने हँसकर कहा – “अब मुझे कुछ इनाम देते हो ?” किसान ने गंभीर भाव से कहा – “नारायण चाहेंगे दो दीवानी आपको ही मिलेगी।” युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में संदेह हुआ, कहीं ये सुजान सिंह तो नहीं है ? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही लगता है। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुस्कारकर बोला – “गहरे पानी में बैठने से मोती मिलता है।’
प्रश्न :
(क) किसान युवक के सामने खड़े होकर क्या बोला?
(ख) युवक ने हँसकर किसान से क्या कहा ?
(ग) गंभीर भाव से किसान ने क्या कहा ?
(घ) युवक के मन में क्या संदेह हुआ?
(ङ) किसान मुस्कराकर क्या बोला ?
उत्तर :
(क) किसान युवक के सामने खड़े होकर बोला – “महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात नहीं बैठना पड़ता।”
(ख) युवक ने हँसकर किसान से कहा – “अब मुझे कुछ इनाम देते हो ?”
(ग) गंभीर भाव से किसान ने कहा – “नारायण चाहेंगे दो दीवानी आपको ही मिलेगी।”
(घ) युवक के मन में संदेह हुआ, कहीं ये सुजान सिंह तो नहीं है।
(ङ) किसान मुस्कराकर बोला कि गहरे पानी में बैठने से मोती मिलता है।
अनुवाद
1. ତୁମର ନାମ କ’ଣ ?
तुम्हारा नाम क्या है ?
2. ମୁଁ ଉତ୍କଳମଣି ଉଚ୍ଚ ବିଦ୍ୟାଳୟରେ ପଢ଼େ।
मैं उत्कलमणि उच्च विद्यालय में पढ़ता / पढ़ती हूँ ।
3. ସେମାନେ କାଲି ପୁରୀ ଯିବେ ।
वे कल पुरी जायेंगे ।
4. ଆମ ଦେଶର ନାମ ଭାରତ ।
हमारे देश का नाम भारत है।
5. ତୁମ ବାପା କ’ଣ କରନ୍ତି ?
तुम्हारे पिताजी क्या करते हैं ?
6. ଗାଈଟି ଗଡ଼ିଆରେ ଚରୁଅଛି ।
गाय मैदान में चर रही हैं ।
7. ତୁମ ଭଉଣୀର ନାମ କ’ଣ ?
तुम्हारी बहन का नाम क्या है ?
8. ପୁରୀରେ ଜଗନ୍ନାଥଙ୍କ ମନ୍ଦିର ଅଛି।
पुरी में जगन्नाथ जी का मंदिर है।
9. ସେମାନେ କ’ଣ କଲେ ?
उन्होंने क्या किया ?
10. ପୁରୀ ନିକଟରେ ବଙ୍ଗୋପସାଗର ଅଛି।
पुरी के पास बंगोपसागर है।
11. ଆମେ ଅଷ୍ଟମ ଶ୍ରେଣୀରେ ପଢ଼ୁ ।
हम आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं।
12. ମୋ ମାଆ ଜଣେ ଭଲ ରୋଷେଇଆ ।
मेरी माँ एक अच्छी रसोइया है।
13. ମୋର ନାମ ସ୍ମୃତିରେଖା।
मेरा नाम स्मृतिरेखा है।
14. ସସ୍ମିତା ମୋର ପ୍ରିୟସାଥୀ ।
सस्मिता मेरी प्यारी सहेली / साथी है।
15. ଭୁବନେଶ୍ଵର ଓଡ଼ିଶାର ରାଜଧାନୀ।
भुवनेश्वर ओड़िशा की राजधानी है।
16. ମହାନଦୀ ଓଡ଼ିଶାର ବଡ଼ ନଦୀ।
महानदी आड़िशा की बड़ नदी है ।
17. ବାପା ରୁଟି ଖାଇଲେ ।
पिताजी ने रोटी खाई ।
18. ମାଳୀଟି ବଗିଣ୍ଡରେ କାମ କରୁଥିଲା ।
माली बगीचे में काम करता था ।
19. କୃଷକମାନ ବିଲରେ କାମ କରୁଛନ୍ତି ।
किसान खेत में काम कर रहे हैं।
20. ସୋମବାର ପରେ ମଙ୍ଗଳବାର ଆସେ।
मंगलवार आता है।
21. ଆପଣ କ’ଣ ଖାଇଲେ ?
आपने क्या खाया है ?
22. ସମୟ କାହାରିକୁ ଅପେକ୍ଷା କରେ ନାହିଁ ।
समय किसका इन्तजार नहीं करता ।
23. ପାରାଦ୍ଵୀପ ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ବନ୍ଦର।
पाराद्वीप एक बड़ा बंदर है।
24. ଛାତ ଉପରେ ତିନୋଟି ମାଙ୍କଡ଼ ବସିଛନ୍ତି।
छत पर तीन बंदर बैठे हैं।
25. ପଡ଼ିଆରେ ଦୁଇଟି ଗାଈ ଓ ଦୁଇଟି ବଳଦ ଚରୁଅଛନ୍ତି।
मैदान में दो गायें और दो बैल चर रहे हैं।
26. ପିଲାଟି ମାଛ ଖାଇଲା ନାହିଁ ।
बच्चे ने मछली नहीं खाई ।
27. ଶିକ୍ଷକ ଆମକୁ ପାଞ୍ଚୋଟି ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିଲା ।
शिक्षक ने हमसे पाँच प्रश्न पूछे।
28. ସାଗରର ଅନ୍ୟ ନାମ ରତ୍ନାକର।
सागर का दूसरा नाम रत्नाकर है।