Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
(क) पक्षी और बादल को कवि ने भगवान के डाकिए क्यों कहा ?
उत्तर:
हम अपने से दूर रहनेवालों की कुशल-मंगल की सूत्रना चिट्ठियों से जानते हैं । डाकिया घर-घर घूमकर चिट्ठियाँ पहुँचाता है । उसी प्रकार भगवान अपनी सृष्टि के कोने -कोने में अपनी चिट्ठियाँ पक्षी और बादल द्वारा पहुँचाते हैं । इसलिए कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहा है ।
(ख) पक्षी और बादल भगवान के लिए क्या-क्या करते हैं?
उत्तर:
भगवान के लिए पक्षी सुगंध की चिट्ठी और बादल भाप की चिट्ठी ले जाते हैं। एक देश की सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर आकर तिरती है । पक्षी उसे दूसरे देश में पहुँचाते हैं । बादल एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है ।
(ग) इस कविता के माध्यम से कवि हमें क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर:
कवि संदेश देना चाहते हैं कि भगवान उपनी सृष्टि के कोने -कोने में खुशहाली चाहते हैं । पक्षी और बादल देश की सीमा पार करके सभी का कल्याण करते हैं । हम देश के दायरे में रहकर, संकीर्ण- विचार रखते हैं । हम उदार होंगे तो विश्च में भाईचारा फैलेगा, शांति आएगी ।
2. निम्नलिखित पदों के अर्थ समझाइए ।
(क) मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेढ़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।
उत्तर:
पक्षी और बादल भगवान की जो चिट्ठियाँ लाते हैं, उनको हम पढ़ नहीं पाते, मगर उनको पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं, समझ पाते हैं । अर्थात् प्रकृति के तत्वों में उदार विचार होने पर वे भगवान के संदेश की जगत- कल्याण – भावना को समझ सकते हैं ।
(ख) और एक देश का भाष
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।
उत्तर:
बादल भगवान का डाकिया है । वह एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में चला जाता है और वहाँ पानी बनकर बरसता है. । वह परोपकार करता है, सभी को जीवन-दान देता है, खुशी बाँटता है । सभी देशों को समान मानता है । वह अपना – पराया भाव नहीं रखता । और सभी का कल्याण कर देता है ।
3. एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए।
(क) भगवान के डाकिए कहाँ से कहाँ तक जाते हैं ?
उत्तर: भगवान के डाकिए एक देश से दूसरे देश तक जाते हैं ।
(ख) हम क्या आँकते हैं ?
उत्तर: हम आँकते है कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।
(ग) सौरभ कहाँ तिरता है ?
उत्तर: सौरभ पक्षियों की पाँखों पर तिरता है ।
(घ) एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर: एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है ।
4. एक शब्द में उत्तर दीजिए।
(क) पक्षी के अलावा भगवान का डाकिया और कौन है ?
उत्तर: बादल
(ख) पेढ़, पौधे, पानी क्या बाँचते हैं ?
उत्तर: चिट्ठियाँ
(ग) भाप जमीन पर क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर: पानी
5. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए ।
(क) भगवान के डाकिए हैं –
(i) पानी और आग
(ii) पक्षी और बादल
(iii) पक्षी और पानी.
(iv) बादल और हवा
उत्तर:
(ii) पक्षी और बादल
(ख) एक देश की धरती दूसरे देश को भेजती है –
(i) पानी
(ii) हवा
(iii) सुगंध
(iv) भाप
उत्तर:
(iii) सुगंध
(ग) भगवान के डाकिए’ क्या लाते हैं?
(i) मिठाई
(ii) चिट्ठी
(iii) पुस्तक
(iv) समाचार पत्र
उत्तर:
(ii) चिट्ठी
(घ) जो दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है, वह एक देश का क्या होता है ?
(i) भाप
(ii) बादल
(iii) बर्फ
(iv) धुआँ
उत्तर:
(i) भाप
भाषाकार्य
उदाहरणों के आधार पर –
1. वचन बदलिए :
- चिट्ठी – चिट्ठियाँ
- पक्षी – पक्षी
- नारी – नारियाँ
- नदी – नदियाँ
- लीची – लीचियाँ
- पक्षी – पक्षी
- भाई – भाई
- मुनि – मुनि
- अतिथि – अतिथी
2. खाली जगहों पर उपयुक्त परसर्ग भरिए।
(क) वह दूसरे देश ………… पानी बनकर गिरता है ।
उत्तर: में
(ख) ये भगवान ………… डाकिए है ।
उत्तर: के
(ग) वे एक महादेश ………… दूसरे महादेश को जानते हैं।
उत्तर: से
(घ) ये भगवान ………… डाकिए है ।
उत्तर: के
परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
भगवान के डाकिए कौन हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए पक्षी और बादल हैं ।
प्रश्न 2.
भगवान के डाकिए कहाँ से कहाँ तक जाते हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए एक महादेश से दूसरे महादेश जाते हैं ।
प्रश्न 3.
भगवान के डाकिए क्या लाते हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए चिट्ठियाँ लाते हैं।
प्रश्न 4.
पक्षी और बादल द्वार लाई गई चिट्ठियाँ कौन बाँचते हैं?
उत्तर:
पक्षी और बादल द्वार लाई गई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं ।
प्रश्न 5.
हम क्या आँकते हैं ?
उत्तर:
हम आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
प्रश्न 6.
सौरभ किसमें तैरता है ?
उत्तर:
सौरभ हवा में तैरता है।
प्रश्न 7.
सौरभ कहाँ तिरता है ?
उत्तर:
सौरभ पिक्षयों की पाँखों पर तिरता है ।
प्रश्न 8.
एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है?
उत्तर:
एक देश’का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।
प्रश्न 9.
‘भगवान के डाकिए’ के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
‘भगवान के डाकिए’ के कवि हैं – रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
भगवान के डाकिए कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
पक्षी और बादल ।
प्रश्न 2.
वे कहाँ जाते हैं ?
उत्तर:
दूसरे महादेश में ।
प्रश्न 3.
वे क्या लाते हैं ?
उत्तर:
वे चिटठियाँ लाते हैं ।
प्रश्न 4.
वे किसकी चिट्ठियाँ लाते हैं ?
उत्तर:
वे भगवान की चिट्ठियाँ लाते हैं।
प्रश्न 5.
हम क्या पढ़ नहीं पाते ?
उत्तर:
भगवान की चिट्ठियाँ ।
प्रश्न 6.
भगवान की चिट्ठियाँ क्नौन पढ़ पाते हैं ?
उत्तर:
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़।
प्रश्न 7.
एक देश की धरती दूसरे देश के क्या भेजती है ?
उत्तर:
सुगंध
प्रश्न 8.
सौरभ कहाँ पर तिरता है ?
उत्तर:
पक्षियों की पाँखों पर।
प्रश्न 9.
एक देश का भाष दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर:
पानी
प्रश्न 10.
दूसरे देश्र में कौन पानी बनकर गिरता है ?
उत्तर:
एक देश का भाप ।
शून्यस्थान की पूर्ति कीजिए :
1. पक्षी और ………… ये भगवान के डाकिए हैं ।
2. जो एक महादेश से दूसरे ………… को जाते हैं।
3. मगर उनकी लाई ………… पेड़, पौधे ………… और पहाड़ बाँचते हैं।
4. एक देश की धरती दूसरे देश को ………… भेजती है।
5. और वह ………… हवा में तैरते हुए पंक्षियों की पाँखों पर
………… है।
6. एक देश का भाप दूसरे देश में ………… बनकर गिरता है।
उत्तर:
1. बादल
2. मंहादेश
3. चिट्ठियाँ, पानी
4. सुगंध.
5. सौरभ, तिरता
6. पानी
शून्यस्थान पर सही परसर्ग भरिए :
1. ये भगवान ………… डाकिए हैं। (का, के, की)
2. ये एक महादेश ………… दूसरे देश को जाते हैं। (न, पर, से)
3. एक देश ………… धरती सुमंध भेजती है। (का, के, की)
4. वह सौरभ हवा ………… तैरती है। (स, को, में)
5. सौरभ पंक्षियों ………… पाँखों पर तिरता है। (का, के, की)
6. भाप दूसरे देश ………… पानी बनकर गिरता है। (में, पर, केलिए)
उत्तर:
1. के
2. से
3. की
4. में
5. की
6. में
सही उत्तर चूनिए :
प्रश्न 1.
भगवान ने पक्षी को क्या काम दिया है ?
(A) सलाह देने का
(B) चिट्ठी ले जाने का
(C) आसमान में उड़ने का
(D) घोंसला बनाने का
उत्तर:
(B) चिट्ठी ले जाने का
प्रश्न 2.
पक्षी और बादल कहाँ जाते हैं ?
(A) आसमान में बहुत दूर
(B) एक देश से पड़ोसी देश में
(C) भगवान उन्हें जहाँ भेजते हैं
(D) एक महादेश से दूसरे महादेश तक
उत्तर:
(D) एक महादेश से दूसरे महादेश तक
प्रश्न 3.
हम भगवान की चिट्ठीयों को क्यों समझ नहीं पाते ?
(A) हम उन्हें पढ़ नहीं पाते
(B) हम चिट्ठी देख नहीं पाते
(C) उनकी भाषा कठिन है
(D) हम कोशिश नहीं करते
उत्तर:
(A) हम उन्हें पढ़ नहीं पाते
प्रश्न 4.
भगवान की चिट्ठियाँ कौन पढ़ पाते हैं ?
(A) पेड़-पौधे
(B) जंगल-झरने
(C) पशु-पक्षी
(D) बादल-पक्षी
उत्तर:
(A) पेड़-पौधे
प्रश्न 5.
एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंघ भेजती है, इसकी कल्पना कौन करता है ?
(A) बादल
(B) पशु-पक्षी
(C) पेड़-पौधे
(D) मनुष्य
उत्तर:
(D) मनुष्य
प्रश्न 6.
एक देश-की धरती का सौरभ कहाँ तैरता है ?
(A) पक्षियों में
(B) हवा में
(C) बादल में
(D) पानी में
उत्तर:
(B) हवा में
प्रश्न 7.
सौरभ हवा में तैरता हुआ कहाँ पहुँचता है ?
(A) पक्षियों की पाँखों पर
(B) बादलों की गोद में
(C) पानी के स्रोत में
(D) पहाड़ की चोटी पर
उत्तर:
(A) पक्षियों की पाँखों पर
प्रश्न 8.
एक देश की धरती की सुगंध किसका प्रतीक है ?
(A) सद्भावना और खुशहाली
(B) वीरत्व का
(C) सहनशीलता का
(D) शरणागति का
उत्तर:
(A) सद्भावना और खुशहाली
प्रश्न 9.
पक्षियों की पाँख पर क्या तिरता है ?
(A) सौभाग्य
(B) सौरभ
(C) चिट्ठियाँ
(D) भाप
उत्तर:
(B) सौरभ
प्रश्न 10.
दूसरे देश में पानी बनकर क्या गिरता है ?
(A) एक देश की बर्फ
(B) एक देश की सुगंध
(C) एक देश की ओस
(D) एक देश का भाप
उत्तर:
(D) एक देश का भाप
प्रश्न 11.
देश-देश के बीच बनी सीमा किसे रोक नहीं पाती?
(A) बादल को
(B) पहाड़ को
(C) चिट्ठियों को
(D) भाईचारे को
उत्तर:
(A) बादल को
प्रश्न 12.
पक्षी के अलावा भगवान का डाकिया और कौन है ?
(A) पशु
(B) पहाड़
(C) पानी
(D) बादल
उत्तर:
(D) बादल
प्रश्न 13.
पेढ़, पौधे, पानी और पहाड़ क्या बाँचते हैं ?
(A) हमारी चिट्ठियाँ
(B) भगवान की चिट्ठियाँ
(C) धरती की सुगंध
(D) भगवान की लिखित भाषा
उत्तर:
(B) भगवान की चिट्ठियाँ
प्रश्न 14.
भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरकर क्या करता है?
(A) अपने देश की रक्षा
(B) बाढ़ से नुकसान
(C) बदला लेता है
(D) उनकी मदद
उत्तर:
(D) उनकी मदद
प्रश्न 15.
देश-देश के बीच सीमा किसने बाँध दी ?
(A) हमलोगों ने
(B) भगवान ने
(C) पक्षी और बादल ने
(D) पेड़-पौधों ने
उत्तर:
(A) हमलोगों ने
प्रश्न 16.
भगवान नेक डाकिए हमें क्यां मनोभाव रखने को सिखाते हैं ?
(A) दूसरे माँगें ता हम दें
(B) देश अलग हैं तो हम अलग हैं
(C) अपने देश को सुखी देखें
(D) सारा विश्व एक है
उत्तर:
(D) सारा विश्व एक है
प्रश्न 17.
दूसरे देश को सुगंध भेजने का अर्थ क्या है ?
(A) संदेश भेजना
(B) अपना हाल बताना
(C) स्नेह, सौहार्द भेजना
(D) दूसरे का हाल पूछना
उत्तर:
(C) स्नेह, सौहार्द भेजना
प्रश्न 18.
भगवान के डाकिए हैं –
(A) बादल और सुगंध
(B) पक्षी और पानी
(C) देश और महादेश
(D) पक्षी और बादल
उत्तर:
(D) पक्षी और बादल
प्रश्न 19.
‘डाकिया’ का अर्थ है :
(A) डाक लाने वाला
(B) बुलाने वाला
(C) चिट्ठी भेजनेवाला
(D) जल्दी जाने वाला
उत्तर:
(A) डाक लाने वाला
प्रश्न 20.
एक देश से क्या दूसरे देश में जाता है ?
(A) पाँख
(B) भाप
(C) चिट्ठी
(D) ताप
उत्तर:
(B) भाप
प्रश्न 21.
एक देश की धरती दूसरे देश को क्या भेजती है ?
(A) सुगंध
(B) पानी
(C) सौगंध
(D) बादल
उत्तर:
(A) सुगंध
प्रश्न 22.
सौरभ कहाँ तिरता है ?
(A) पाँखों पर
(B) आसमान में
(C) बादल में
(D) हवा में
उत्तर:
(A) पाँखों पर
प्रश्न 23.
‘भगवान के डाकिए’ कविता के कवि कौन है ?
(A) सुभद्रा कुमारी चौहान
(B) मैथिली शरण गुप्त
(C) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(D) सोहनलाल द्विवेदी
उत्तर:
(C) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
‘क’ स्तम्भ के पवों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के पवों का मिलान
‘क’ स्तम्भ | ‘ख’ स्तम्भ |
1. पक्षी और बादल | पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं |
2. मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ | पक्षियों की पाँखों पर तिरता है |
3. एक देश की धरती | दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है |
4. वह सौरभ हवा में तैरते हुए | ये भगवान के डाकिए हैं |
5. एक देश का भाप | दूसरे देश को सुगंध भेजती है |
उत्तर:
‘क’ स्तम्भ | ‘ख’ स्तम्भ |
1. पक्षी और बादल | ये भगवान के डाकिए हैं |
2. मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ | पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं |
3. एक देश की धरती | दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है |
4. वह सौरभ हवा में तैरते हुए | पक्षियों की पाँखों पर तिरता है |
5. एक देश का भाप | दूसरे देश को सुगंध भेजती है |
शब्दों/वो-तीन वाक्यों में उत्तर वीक्षिए :
प्रश्न 1.
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के ज्ञाकिए क्यों कहा ?
उत्तर:
पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे भगवान की चिट्ठियाँ लेकर एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं । हम मनुष्य चिट्ठियों का संदेश समझ नहीं पाते, पर म्रकृति के तत्व – पेड़ – पौधे, पानी और पहाड़ इन्हें पढ़ पाते हैं समझ पाते हैं, क्योंकि वे परोपकारी हैं ।
प्रश्न 2.
पक्षी और बादल भगवान के लिए क्या क्या काम करते हैं ?
उत्तर:
पक्षी एक देश की धरती की सुगंध अपनी पाँखों पर लेकर दूसरे देश में पहुँचा देता है । यह सुगंध सद्भावनाएँ हैं, कुशल – मंगल की सूचना हैं । बादल एक देश के भाप को लेकर दूसरे देश में जाता है और पानी बनकर बरसता है । वह परोपकार की भावना से दूसरे देश को जीवन दान देता है|
प्रश्न 3.
हम पक्षी से क्या सीख लेंगे ?
उत्तर:
पक्षी एक देश की सुगंध दूसरे देश में बाँटता है । यह सुगंध भाईचारा है, प्यार है, सहानुभूति है, कुशल समाचार है । वह देश की सीमा रेखा की परवाह नहीं करता, या देशों को अपना पराया नहीं मानता ।
प्रश्न 4.
बादल हमें क्या सीख देता है ?
उत्तर:
बादल एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में पानी के रूप में बरसता है। वह परोपकारी है, दूसरों की आवश्यकता पूरी करता हैं ।हम ऐसे कार्य करने के लिए पक्षी और बादल से सीख लेंगे 1
पंक्तियों के अर्थ एक-वो वाक्यों में समझाइए:
प्रश्न 1.
पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं ।
उत्तर:
कवि मानते हैं कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे भगवान से समाचार लेकर एक महादेश से दूसरे महादेश में जाते हैं।
प्रश्न 2.
हम तो समझ नहीं पाते हैं –
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।
उत्तर:
भगवान के डाकिए फक्षी आर बादल भगवान से जो चिट्ठियाँ लाते हैं उसको हम जैसे स्वार्थी और देश की सीमा के बंधन में पड़े लोग समझ नहीं पाते। लेकिन उन चिट्ठियों में जो विश्वबंधुत्व और प्रेम का समाचार है, उसे पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ आदि प्रकृति के तत्व समझ पाते हैं ।
प्रश्न 3.
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।
उत्तर:
हम केवल अनुमान लगाते हैं कि एक देश की मिट्टी दूसरे को शांति प्रेम और भाईचारे की सुगंध भेजती है ।
प्रश्न 4.
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है ।
उत्तर:
एक देश की मिट्टी के द्वारादूसरे देश में भेजा गया सुख-शांति, प्रेम-सौहार्द का सौरभ पहले हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँख पर पहुँचकर वहीं तिरता है, फिर पक्षी उसे दूसरे देश में पहुँचा देते हैं ।
प्रश्न 5. और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।
उत्तर:
एक देश का भाप जब ऊपर उठकर बादल बन जाता है, तब वह अपने देश की सीमा के संकीर्ण भाव से ग्रेंस्त न होकर उदार बन जाता है और दूसरे देश में जाकर पानी बनकर बरसता है। वह अपना-पराया भेद-भाव छोड़कर सभी का कल्याण करता है।
कवि परिचय
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म ३० सितम्बर १९०८ ई. को बिहार के सिमरिया ग्राम में हुआ था । आपने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की । आप भागलपुर विश्चविद्यालय में उपकुलपति रहे, राज्यसभा के मनोनित सदस्य रहे, पद्मभूषण उपाधि से अंलकृत हुए। उनको अर्वशी पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलाथा । २४ अप्रैल १९७४ को आपका देहावसान हो गया ।
- आपकी रचनाएँ – काव्यग्रंथ – रेणुका, हुँकार, रसवंती, कुरक्षेत्र, उर्वशी, बापू, रशिमरथी
- गद्यग्रंथ – संस्कृति के चार अध्याय, शुद्ध कविता की खोज
कविता का भावबोध
कवि रामधारी सिंह दिनकर पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हैं । भगवान की सृष्टि में पक्षी और बादल कहीं भी पहुँच सकते हैं । वे लोगों को कुशल-मंगल की सूचना देते हैं । देश या महादेश का बंधन उनके लिए अर्थहीन है । पक्षी एक महादेश से दूसरे महादेश में जो संदेश पहुँचाते हैं, उसे सृष्टि के तत्त्व पढ़ पाते हैं, पर मनुष्य पढ़ नहीं पाता । मनुष्य केवल अंदाजा लगाता है कि एक देश का सौरभ पक्षी के माध्यम से दूसरे देश में पहुँचता है और एक देश का भाप दूसरे देश में बादल बनकर बरसता है ।
शब्दार्थ:
सप्रसंग व्याख्या
पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्रियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।
प्रसंग
यहाँ कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ प्रकृति के तत्त्वों के माध्यम से मनुष्य के मन में विभवंधुत्व का भाव जगाना चाहते हैं ।
व्याख्या
कवि पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हैं। वे एक महादेश से कुशल-मंगल, सुख-दुःख, हर्ष-विषाद के समाचार लेकर, दूसरे महादेश में पहुँचा देते हैं। वे देश महादेश का बंधन और सीमा नहीं मानते । वे विधबंधुत्व के संदेश का प्रचार करते हैं । हम स्वार्थ और संकीर्णता से मुक्त नहीं हो पाते । इसलिए उनके संदेश को समझ नहीं पाते ।
पक्षियों की लाई गई चिट्ठियों के संदेश को सृष्टि के तत्त्व-पेड़-पौधे, पानी-पहाड़ सभी पढ़ पाते हैं समझ पाते हैं । सृष्टि को एक न मानकर देश-महादेशों में बाँटने वाले हम अपने दृष्टिकोण को उदार नहीं बना पाते । परिणाम-स्वरूप विशबंधुत्व उत्पन्न नहीं हो पाता ।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता हैं ।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।
प्रसंग
कवि प्रतिपादित करना चाहते हैं कि प्रकृति के तत्त्वों में अपना – पराया भाव नहीं है । लेकिन हम उनसे प्रेरणा न लेकर स्वार्थी और अहंकारी बन गए हैं ।
व्याख्या
हम अंदाजा लगाते हैं कि एक देश की जमीन दूसरे देश को सुगंध भेजती है । यह सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर आ पहुँचती है और वहीं तिरती है । फिर वही सुगंध पक्षी दूसरे महादेश में पहुँचा देते हैं ।अर्थात् एक देश की जमीन दूसरे देश को सुख-शांति और प्रेम-मैत्री का संदेश पक्षी के द्वारा भेजती है । लेकिन हम अपने को देश के दायरे से मुक्त नहीं कर पाते, स्वार्थ और अहंकार से मुक्त नहीं हो पाते, मित्रता, उदारता और सहानुभूति का हाथ बढ़ा नहीं पाते ।
एक देश का भाप संकीर्ण भावना से ग्रस्त होकर अपने को उसी देश की सीमा में नहीं बाँधता । वह उदार होकर दूसरे देश में बादल हो कर बरसता है। जीवन-दान देता है। बादल उसे पराया देश नहीं मानता । सभी का कल्याण करना उसका धर्म है । हम में वही चेतना उत्पन्न होनी चाहिए ।
सारांश
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने ‘भगवान के डाकिए’ कविता में पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानकर सिद्ध कर दिया कि भगवान की सुंदर सुष्टि में उनके लिए कोई पराया नहीं है । सब उनके प्रिय हैं । वे सभी का कुशल-मंगल चाहते हैं । वे यही संदेश अपने डाकियों – पक्षी और बादल के माध्यम से सृष्टि की हर जगह पहुँचा देना चाहते हैं ।
भगवान का एक डाकिया पक्षी एक महादेश से दूसरे देश में चिट्ठियाँ ले जाता है । उन चिट्ठियों में जो संदेश होता है उसे हम समझ नहीं पाते । लेकिन भगवान की सूष्टि के दूसरे तत्त्व पेड़पौधे, पानी-पहाड़ आदि उसे पढ़ पाते हैं और समझ जाते हैं ।
अर्थात् स्टिष्टि के ये तत्व खुद उदार, नि:स्वार्थपर, परोपकारी, सुख-शांति प्रदायक, कल्याणकारक और परदु :खकातर होने से भगवान की चिट्ठियों को पढ़ पाते हैं और समझ पाते हैं ।
लेकिन हम अनुदार, स्वार्थाध, वैरभावयुक्त, अहंकारी, अमंगलकारी, विवेकहीन और दूसरों की सुख-शांति छीननेवाले हैं । इसलिए हम भगवान के संदेश को समझ नहीं पाते ।
हम केवल अनुमान लगाते हैं कि एक देश की जमीन दूसरे देश को पक्षी के द्वारा खुशहाली की सुगंध भेजती है । यह सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षी की पाँखों पर आकर ठहर जाती है । पक्षी उसे दूसरे देश की जमीन पर पहुँचा देता है ।
लेकिन हम देश के नाम पर जमीन अपनी – पराई के रूप में बाँट द्रेते हैं, आपस में झगड़ते हैं और एक दूसरे का दुश्मन बन जाते हैं।
बादल भी भगवान का डाकिया है । वेह अपना पराया भाव मन से दूर करके, सभी को अपना मानता है । वह एक देश का भाप लेकर बादल बनता है । वह उसी देश में अपने को बाँधकर नहीं रखता । वह बादल दूसरे देश में पहुँच जाता है और वहीं पानी बनकर बरसता है। पराया देश मानकर उसे पानी न देने का विचार उसके मन में नहीं आता । वह समभाव रखता है । सभी का कल्याण चाहता है ।
लेकिन हम देश की सीमा से अपेने को मुक्त नहीं कर पाते; दूसरे का कल्याण करने की उदारता मन में नहीं ला पाते; भगवान के संदेश को समझ नहीं पाते । यदि हम पक्षी द्वारा लाई गई सुगंध की चिट्ठी और बादल द्वारा लाई गई भाप की चिट्ठी में लिखे भगवान के संदेश को समझ सकेंगे, तब समग्र सृष्टि में खुशहाली छा जाएगी ।
ସାରାଂଶ
କବି ରାମଧାରୀ ସିଂହ ‘ଦିନକର’ ‘ଭଗବାନ କେ ଡାକିଏ’ କବିତାର ପକ୍ଷୀ ଓ ବାଦଲକୁ ଭଗବାନଙ୍କ ଡାକ ପିଅନ (ବାଭାଁ ବାହାକ) ଭାବେ ଗ୍ରହଣ କରି ପ୍ରତିପାଦିତ କରିଛନ୍ତି ଯେ ଭଗବାନଙ୍କର ସୁନ୍ଦର ସୃଷ୍ଟିରେ ତାଙ୍କ ପାଇଁ କେହି ପର ନୁହନ୍ତି । ଏହି ସନ୍ଦେଶ ସେ ତାଙ୍କ ଡାକ ପିଅନ (ବାର୍ତ୍ତାବାହକ) ପକ୍ଷୀ ଓ ମେଘ ମାଧ୍ୟମରେ ସୃଷ୍ଟିର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ପହଞ୍ଚାଇବାକୁ ଚାହିଁଛନ୍ତି ।
ଭଗବାନଙ୍କର ଜଣେ ବାର୍ତ୍ତାବାହକ ପକ୍ଷୀ ଗୋଟିଏ ମହାଦେଶରୁ ଆଉ ଗୋଟିଏ ମହାଦେଶକୁ ଚିଠି ନେଇଯାଏ । ସେ ଚିଠିଗୁଡ଼ିକରେ ଯେଉଁ ବାଆଁ ଥାଏ, ତାକୁ ଆମେ ବୁଝିପାରୁ ନାହୁଁ । କିନ୍ତୁ ଭଗବାନଙ୍କ ସୃଷ୍ଟିର ଅନ୍ୟ ତତ୍ତ୍ଵଗୁଡ଼ିକ (ଗଛ, ଲତା, ଜଳ, ପାହାଡ଼) ଆଦି ସେ ବାଆଁ ପଢ଼ି ପାରନ୍ତି, ବୁଝିପାରନ୍ତି ।
ଅର୍ଥାତ୍ ସୃଷ୍ଟିର ଏହି ତତ୍ତ୍ଵଗୁଡ଼ିକ ନିଜେ ଉଦାର, ନିଃସ୍ୱାର୍ଥପର, ପରୋପକାରୀ, ସୁଖ-ଶାନ୍ତି ପ୍ରଦାୟକ, କଲ୍ୟାଣକାରକ ଓ ‘ପରଦୁଃଖ କାତର ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ସେମାନେ ଭଗବାନଙ୍କର ଚିଠିଗୁଡ଼ିକ ପଢ଼ି ପାରନ୍ତି ଓ ବୁଝି ପାରନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ଆମେ ଅନୁଦାର, ସ୍ଵାର୍ଥପର, ବୈର ଭାବାପନ୍ନ, ଅହଂକାରୀ, ପ୍ରର ଅମଙ୍ଗଳକାରୀ, ବିବେକହୀନ ଓ ଅନ୍ୟର ସୁଖ . ଶାନ୍ତି ଅପହାରକ ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ଭଗବାନଙ୍କର ଚିଠିଗୁଡ଼ିକର ବାଆଁ ଆମେ ବୁଝିବାକୁ ସମର୍ଥ ନୋହୁଁ ।
ଆମେ କେବଳ ଅନୁମାନ କରୁ ଯେ ଗୋଟିଏ ଦେଶର ଭୂମି ଅନ୍ୟ ଦେଶକୁ ଏହି ପକ୍ଷୀ ମାଧ୍ୟମରେ ସୁଖ-ଶାନ୍ତର ମୁଗନ୍ଧ ପ୍ରେରଣ କରୁଛି । ଏହି ସୁଗନ୍ଧ ପବନରେ ଭାସି ଭାସି ଆସି ପକ୍ଷୀର ପର ଉପରେ ଭାସମାନ ଅବସ୍ଥାରେ ଅଟକି ଯାଏ । ପକ୍ଷୀ ତାକୁ ଅନ୍ୟ ଦେଶର ଭୂମି ଉପରେ ପହଞ୍ଚାଇଦିଏ ।
କିନ୍ତୁ ଆମେ ଦେଶ ନାଁରେ ଭୂମିକୁ ନିଜ-ପର ଭାବରେ ବାଣ୍ଟି ଦେଉ । ନିଜ ନିଜ ଭିତରେ ଝଗଡ଼ା କରୁ । ପରସ୍ପରର ଶତ୍ରୁ ହୋଇଯାଉ । ମେଘ ମଧ୍ଯ ଭଗବାନଙ୍କର ଗୋଟିଏ ବାଆଁବାହକ । ସେ ମନରୁ ନିଜ ପର ଭାବ ଦୂର କରି ସମସ୍ତଙ୍କୁ ନିଜର ବୋଲି ମନେକରେ । ସେ ଗୋଟିଏ ଦେଶର ଜଳୀୟବାଷ୍ପ ନେଇ ମେଘ ହୋଇଯାଏ ଓ ସେ ନିଜକୁ କେବଳ ସେହି ଦେଶ ମଧ୍ୟରେ ବାନ୍ଧି ରଖେ ନାହିଁ । ସେ ମେଘ ରୂପରେ ଅନ୍ୟ ଦେଶକୁ ଭାସିଯାଏ ଓ ସେଠାରେ ଜଳ ରୂପରେ ବର୍ଷା କରିଦିଏ । ସେ ପର ଦେଶ ଭାବି ତାକୁ ଜଳଦାନ ନ କରିବା
ବିଚାର ମନରେ ଆଣେ ନାହିଁ । ସେ ସମ ଭାବ ପୋଷଣ କରେ । ସମସ୍ତଙ୍କର ମଙ୍ଗଳକାମନା କରେ । ଆମେ କିନ୍ତୁ ଦେଶର ସୀମା ମଧ୍ଯରୁ ମୁକ୍ତ ହୋଇପାରୁ ନାହୁଁ । ଅନ୍ୟର ମଙ୍ଗଳକାମନା କରିବା ଉଦାର ବିଚାର ଆମ ମନକୁ ଆସେ ନାହିଁ । ଆମେ ଭଗବାନଙ୍କ ବାର୍ତ୍ତା ବୁଝିବାକୁ ଅସମର୍ଥ । ଆମେ ଯଦି ପକ୍ଷୀ ଆଣୁଥୁବା ସୁଗନ୍ଧର ଚିଠି ଓ ମେଘ ଆଣୁଥୁବା ଜଳୀୟ ବାଷ୍ପର ଚିଠିରେ ଲେଖାଥିବା ଭଗବାନଙ୍କ ବାଆଁ ବୁଝି ପାରନ୍ତୁ, ତେବେ ସମଗ୍ର ସୃଷ୍ଟିରେ ସୁଖ-ଶାନ୍ତ ବିରାଜମାନ ହୁଅନ୍ତା ।