Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 1(e) गिरधर की कुंडलियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 1(e) गिरधर की कुंडलियाँ
प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)
1. दो-तीन बाक्यों में उत्तर दीजिए:
(ଦୋ-ତୀନ୍ ବାକେଁ ମେଁ ଉତ୍ତର୍ ଦୀଜିଏ )।
(ଦୁଇ – ତିନୋଟି ବାହାରେ ଡତ୍ତର ତିଥ)
(क) बिना सोच और विचार के काम करने से क्या नतीजा होता है ?
ବିନା ସୋଚ୍ ଔର୍ ବିଚାର୍ କେ କାମ୍ କରନେ ସେ କ୍ୟା ନତୀଜା ହୋତା ହୈ ?
(ବିନା ଚିନ୍ତା ଓ ବିଚାରରେ କାମ କରିବାଦ୍ୱାରା କ’ଣ ପରିଣାମ ହେବ ?)
उत्तर:
बिना सोच और विचार के काम करने से काम बिगड़जाता है। उसे बाद में पछताना पड़ता है। संसार में वह हँसी का पात्र बनता है। मानसिक रूप से अशान्ति, खान-पान और मान-सम्मान अच्छे नहीं लगने के साथ मूल्यवान समय बवीद हो जाता है।
2. एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए:
(ଏକ୍ଯା ୟ ଦୋ ବାକେଁ ମେଁ ଡତ୍ତର୍ ବାଜଏ)।
(ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଉତ୍ତର ଦିଅ : )
(क) कौन पीछे पछताता है?
(କୌନ୍ ପିଛେ ପଛେତତା ହୈ ?)
(କିଏ ପଛରେ ଅନୁତାପ କରେ ?)
उत्तर:
जो व्यक्ति बिना सोच विचार से काम में लग जाता है, वह बाद में पछताता है।
(ख) जगत में किसकी हँसी होती है?
(ଜଗତ୍ ମେଁ କିସ୍ ହଁସୀ ହୋତୀ ହୈ ?)
(ସଂସାରରେ (କିଏ ସେ) କାହାକୁ ହସରେ ଉଡ଼ାନ୍ତି ?)
उत्तर:
जिस आदमी का काम बिगड़ जाता उसकी जगत में हँसी
(ग) कौन अपना काम बिगाड़ता है?
(କୌନ୍ ଅପ୍ନା କାମ୍ ବିଗାଡ଼ତା ହୈ ?)
(କିଏ ନିଜର କାମ ବିଗାଡ଼େ । ବ୍ୟତିକ୍ରମ କରେ ?)
उत्तर:
बिना सोच विचार के काम करने वाला व्यक्ति अपना काम बिगाड़ता है।
(घ) क्या टालने पर नहीं टलता?
(କ୍ୟା ଟାଲ୍ନେ ପର୍ ନେହୀ ଟଲ୍ ?)
(କ’ଣ ଦୂର କଲେ ମଧ୍ୟ ଦୂର ହୁଏ ନାହିଁ ?)
उत्तर:
दुःख टालने पर नहीं टलत।
(ङ) मन में कौन-सी वात खटकती रहती है?
(ମନ୍ ହେଁ କୌନ୍-ସୀ ବାତ୍ ଖତୀ ରହତୀ ହୈ ?)
(ମନରେ କେଉଁ କଥା ଖରାପ ଲାଗୁଛି ?)
उत्तर:
मन में असफलता की बात खटकती रहती है। इसलिए कि मन में हमेशा अशान्ति रहने के कारण कोई कार्य सफल नहीं होता।
खालीस्थान भरिए : (ଶୂନ୍ୟ ସ୍ଥାନ ପୁରାଣ କର:)
(क) जग में होत हँसाय, …………………… न पावै।
उत्तर:
चित में चैन
(ख) ………………… बिगारै आपनो, ………………… में होत हँसाय।
उत्तर:
काम, जग
(ग) ………………… राग रँग मनहिं न भावै।
उत्तर:
खान-पान सनमान
भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)
1. नीचे लिखे शब्दों से वाक्य बनाइए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକରେ ବାକ୍ୟ ଗଠନ କର ।)
जग, चैन, खान-पान, दुःख
उत्तर:
जंग- इस जग में अनेक दयालु हैं।
चैन- माली ने चैन की साँस ली।
खान-पान – खान-पान और मान-सम्मान उसे अच्छे नहीं लगते।
दुःख : – दुःख को दूर करने के सारे प्रयत्न बेकार हो जाते हैं।
2. दिये गये उदाहरणों की तरह पाठ से दूसरे तुकान्त शब्दों को छाँटिए:
(ଡଦ।ହରଣରେ ଦିଆଯ।ଇଥ୍ବା ଶବ୍ଦଭଳି ପାଠ ମଧ୍ୟରୁ ଅନ୍ୟ ପଦ ପଡୁଥିବା ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛ)
उदाहरण : पछताय, हँसाय
उत्तर:
पावै, भावै, टारे, बिचारे
3. ‘खान-पान’ का अर्थ है ‘खान’ और ‘पान’। इसी प्रकार और पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
मान – सम्मान
भलि – भाँति
गुरु – शिष्य
भोग – विलास
जीवन – मरण
गृहकार्य : (ଘରକାମ)
(क) क्या आप विचार किये बिना कार्य करके उसका नतीजा भोग चुके हैं? जीवन की एक ऐसी घटना का वर्णन कीजिए।
(ତୁମେ କ’ଣ ବିନା ବିଚାରରେ କିଛି କାମ କରି ତାହାର ଫଳ ଭୋଗ କରୁଛ କି ?)
(ଜୀବନରେ ଘଟିଥିବା ଏହିଭଳି ଏକ ଘଟଣାର ବର୍ଣ୍ଣନା କର ।)
उत्तर:
हाँ, मैं बिना विचार किये कार्य करने का नतीजा भोग चुका हूँ। ऐसे ही एक बार मैंने बिना तैयारी और बेगैर योजना के परीक्षा दी थी। जिसका परिणाम यह हुआ कि परीक्षा में मेरे नम्बर कम आए और बाद की आँए ऊँची कक्षा की पढ़ाई समझने में मुझे कई दिक्कतें आने लगी। इसलिए मैंने अब से यह तय किया है कि परीक्षा शुरू होने के पहले पुरे सोच-विचार और पुरी योजना के साथ पढ़ाई करूँगा। जिससे परीक्षा मुझे कोई बोझ या भारी शरकम या कड़ी परीक्षा न लगे।
(ପିଲାମାନେ ନିଜେ ଶ୍ରେଣୀଗୃହରେ ଏହିଭଳି ଘଟଣା ବର୍ଣ୍ଣନା କରିବେ ।)
(ख) पठित कुंडलिया की आवृत्ति कीजिए और इसे याद रखिए।
(ପଠିତ କୁଣ୍ଡଲିୟାକୁ ଆବୃତ୍ତି କର ଏବଂ ଏହାକୁ ମନେରଖ ।)
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
1. बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछताया।
उत्तर:
कवि गिरिधर कहते है कि प्रत्येक व्यक्ति कार्य शुरू करने से पहले उसके बारे में सोच विचार कर लेना जरुरत है। जो व्यक्ति विना सोच विचार के काम करने से काम बिगड़ जाता है उसे बाद में पछताना पड़ता है।
2. खान-पान सनमान, राग रंग मनहिं न भावै।
(ଖାନ୍-ପାନ୍ ସନମାନ୍, ରାଗ୍ ରଙ୍ଗ୍ ମନହିଁ ନ ଭାୱେ ।)
उत्तर:
यहाँ कवि गिरिधर कहते है कि व्यक्ति का खान-पान और मान-सम्मान उसे अच्छे नहीं लगते है। पर्बपर्बीणी, मागंलिक कार्यक्रम, उत्सव, विवाह आदि में उसे नीरास लगने लगते है। वे मानसिक रूप से बेचैन रहता है।
अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर
A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1.
गिरिधर कविराय किस रूप में सुपरिचित हैं?
उत्तर:
गिरिधर कविराय रीतिकाल के प्रसिद्ध नीतिकाव्यकार के रूप में सुपरिचित हैं।
प्रश्न 2.
गिरिधर की कुंडलियों में क्या कही गई हैं?
उत्तर:
गिरिधर की कुंडलियों में दैनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी बातें कही गई हैं।
प्रश्न 3.
गिरिधर की कुंडलियाँ क्यों ज्यादा लोकप्रिय हुई?
उत्तर:
सीधी-सादी तथा सरल भाषा में रचित होने के कारण गिरिधर की कुंडलियाँ ज्यादा लोकप्रिय हुई।
प्रश्न 4.
हर व्यक्ति को किस प्रकार काम करना चाहिए?
उत्तर:
हर व्यक्ति को सोच समझकर काम करना चाहिए।
प्रश्न 5.
कौन पीछे पछताता है?
उत्तर:
जो व्यक्ति बिना सोच विचार के काम से लग जाता है वह पीछे पछताता है।
प्रश्न 6.
संसार में कौन हँसी का पात्र बनता है?
उत्तर:
बिना सोच विचार के काम करनेवाला व्यक्ति संसार में हँसी का पात्र बनता है।
प्रश्न 7.
कौन अपना काम बिगाड़ता है?
उत्तर:
जो व्यक्ति बिना सोच विचार के काम करता है वह अपना काम बिगाड़ता है।
प्रश्न 8.
क्या टालने पर नहीं टलता?
उत्तर:
दुःख टालने पर नहीं टलता।
प्रश्न 9.
मन में कौन सी बात खटकती रहती है?
उत्तर:
बिना सोच विचार के मैंने यह काम क्यों किया यही बात मन में खटकती रहती है।
प्रश्न 10.
भली-भाँति क्या सोच विचार कर लेना चाहिए?
उत्तर:
जीवन में कोई भी काम करने से पहले भली-भाँति सोच विचार कर लेना चाहिए।
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।
प्रश्न 1.
कुंड़लिया में क्या कहा गया है?
उत्तर:
दैनिक जीवन के लिए
प्रश्न 2.
‘कुंड़लिया’ किसकी रचना है?
उत्तर:
गिरिधर कविराय
प्रश्न 3.
‘खटकत है’ का अर्थ क्या है?
उत्तर:
बुरा लगता है
प्रश्न 4.
जीवन में असफल हो जाने पर मन में कौन-सी बात चिंता का कारण बनी रहती है?
उत्तर:
मैंने यह काम क्यों किया।
प्रश्न 5.
हर व्यक्ति को किस प्रकार काम करना चाहिए?
उत्तर:
सोच समझकर
C. रिक्तस्थानों को भरिए।
प्रश्न 1.
गिरिधर की कुंड़लिया ………………. भाषा में लिखी है।
उत्तर:
अवधी
प्रश्न 2.
”बिना बिचारे जो करै, सो पीछे पछताय'”- यह पंक्ति ……………….. कवि की है।
उत्तर:
गिरिधर कविराय
प्रश्न 3.
टालने पर ……………….. नहीं टलता।
उत्तर:
दु:ख
प्रश्न 4.
मन में ………………. सी बात खटकती रहती है।
उत्तर:
मैनेयह काम क्योंक्यिय
प्रश्न 5.
असफलता की बात …………….. खटकती है।
उत्तर:
मन
प्रश्न 6.
………………. टालने पर नहीं टलता।
उत्तर:
दु:ख
D. सही उत्तर चुनिए।
1. ‘कुंडलिया’ के कवि हैं
(A) गिरिधर कविराय
(B) कबीर
(C) रहीम
(D) तुलसी
उत्तर:
(A) गिरिधर कविराय
2. कौन अपना काम बिगड़ता है?
(A) काम चौर
(B) आलसी
(C) सज्जन
(D) बिाना सोच-बिचार से काम करनेवाला
उत्तर:
(D) बिाना सोच-बिचार से काम करनेवाला
3. जगत में किसकी हँसी होती है?
(A) सोच-विचार से काम न करनेवाले की
(B) विचार से काम करनेवाले की
(C) काम को चोरी करनेवाले की
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सोच-विचार से काम न करनेवाले की
4. कौन पीछे पछताता है?
(A) सोच-विचार के काम करनेवाला
(B) बदमासी से काम लेने वाला
(C) बिना सोच-विचार के काम करने वाला
(D) इनमेंम से कोई नहीं
उत्तर:
(C) बिना सोच-विचार के काम करने वाला
5. क्या टालने पर नहीं टलता?
(A) दु:ख
(B) कष्ट
(C) सुख
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) दु:ख
6. मन में कौन-सी बात खटकती है?
(A) सफलता की बात
(B) असफलता की बात
(C) बुराई
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) असफलता की बात
7. कब राग-रंग की अच्छा नहीं लगता?
(A) जब जग हँसाय होते हैं
(B) जब गाली पड़ती है
(C) जब अच्छा खाना मिलता है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) जब जग हँसाय होते हैं
दोहे (ତେ।ହେ)
बिना बिचारे जो करै, से पाछे पछताय।
काम बिगारै आपनो, जग में होत् हँसाय॥
(ବିନା ବିଚାରେ ଢୋ କରେ, ସେ ପାଛେ ପଛତାୟ ।
କାମ୍ ବିଗାରେ ଆପ୍, ଜଗ୍ ମେଁ ହୋତ୍ ହଁସାୟ ॥)
हिन्दी व्याख्या:
कवि का यह कहना है कि हर व्यक्ति को सोच विचार करके काम करना चाहिए। जो बिना सोच विचार के काम करता है उसे बाद में पछताना पड़ता है। क्योंकि उसका काम बिगड़ जाता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବିଙ୍କ ମତରେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବ୍ୟକ୍ତି ବିଚାର କରି କାମ କରିବା ଉଚିତ । ଯିଏ ବିନା ବିଚାରରେ କାମ କରେ ସେ ପଛରେ ଅନୁତାପ କରେ କାରଣ ତାଙ୍କ କାମ ବିଗିଡ଼ିଯାଏ । ସେ ଦୁନିଆରେ ହାସ୍ୟାସ୍ପଦ ହୁଏ । ଲୋକେ ମଜାରେ ପରିହାସ କରି ହସନ୍ତି ।
जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावे।
खान्- पान् सनमान, राग रँग मनहिं न भावै॥
(ଜଗ୍ ମେଁ ହୋତ୍ ହଁସାୟ, ଚିତ୍ତ ମେଁ ଚୈନ୍ ନ ପାୱେ।
ଖାନ୍-ପାନ୍ ସନମାନ୍, ରାଗ୍ ରିଗ୍ ମହିଁ ନ ଭାୱେ ॥)
हिन्दी व्याख्या:
संसार में वह हँसी का पात्र बनता है। मानसिक रूप से बेचैन रहता है। खान-पान और मान-सम्मान उसे अच्छे नहीं लगते। मनोविनोद के सारे साधन फीके लगते हैं।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସଂସାରରେ ଥଟ୍ଟା ଉପହାସ ପାଉଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ମାନସିକ ସ୍ତରରେ ଶାନ୍ତି ପାଏ ନାହିଁ । ଖାଇବା- ପିଇବା ଏବଂ ମାନସମ୍ମାନ ଭଲ ଲାଗେ ନାହିଁ । ମନୋରଞ୍ଜନର ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ମନ ଲାଗେ ନାହିଁ ।
कह गिरिधर कविराय, दुःख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय माँहि, कियो जो बिना बिचारे॥
(କହ୍ ଗିରିଧର୍ କବିରାୟ, ଦୁଃଖ୍ କଛୁ ଟରତ୍ ନ ଟାରେ।
ଖଟକତ୍ ହୈ ଜିୟ ମାଁହି, କିୟୋ ଜୋ ବିନା ବିଚାରେ ॥)
हिन्दी व्याख्या:
दुःख को दूर करने के सारे प्रयत्न बेकार हो जाते हैं। मूल्यवान समय बर्बाद हो जाता है। बार-बार यह बात उसके मन को व्यथित करती है कि बिना सोचे और विचारे मैंने यह काम क्यों किया? अतएव जीवन में कोई भी काम करने से पहले हमें भली-भाँति सोच विचार कर लेना चाहिए ताकि बाद में पछताना न पड़े।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବିଙ୍କ ମତରେ ଦୁଃଖକୁ ଦୂର କରିବାର ସମସ୍ତ ଚେଷ୍ଟା ବେକାର ହୋଇଯାଏ, ମୂଲ୍ୟବାନ୍ ସମୟ ନଷ୍ଟ ହୋଇଯାଏ । ବାରମ୍ବାର ଏହି କଥା ମନକୁ ବ୍ୟର୍ଥାତ କରେ, ବିନା ବିଚାରରେ କାହିଁକି କଲି ? ଜୀବନରେ କୌଣସି କାମ କରିବା ପୂର୍ବରୁ ପ୍ରଥମରୁ ଭଲ ଭାବରେ ବିଚାର କରି କାର୍ଯ୍ୟକଲେ ପଛରେ ଅନୁତାପ କରିବାକୁ ପଡ଼େନାହିଁ।
शबनार: (ଶରାର୍ଥି)
पाछे – पीछे, बाद में (ପଛରେ ପରେ)
बिगारै – बिगाड़ना (ବିଗାଡିଦେବା)
आपनो – अपना (ନିଜର)
होत – होना (ହେବା)
हँसाय – हँसी, मजाक (ଅଟ୍ଟା ପରିହାସ)
चित्त – मन (ମନ)
चैन – आराम (ଅ।ରାମ)
पान – पीना (ପିଇବା)
राग – गीत-संगीत (ଗୀତ – ସଙ୍ଗୀତ)
भावै – पसंद आना (ପସନ୍ଦ ହେବା)
कछु – कुछ (କିଛି)
टरत – टलना, हटना, दूर होना (ଟଳିଯିବା ହଟିବା ହର,ହେବ।)
टारे – टालना (ଚାଳିତ ତେବ)
खटकत – बुरा लगना (ଖରାପ ଲାଗିବା)
जिय – हृदय, मन (ହୃଦଯ, ମନ)
माँहि – बीच में (ମଧ୍ୟରେ)
कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।
गिरिधर कविराय के जीवन के बारे में प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। शिवसिंह सेंगर ने इनका जन्मकाल सन् 1713 ई. बताया है। लोग इन्हें अवध का निवासी मानते हैं। कविराय नाम से ऐसा लगता है कि वे जाति के भाट थे। जो भी हो, गिरिधर कविराय रीतिकाल के प्रसिद्ध नीतिकाव्यकार के रूप में सुपरिचित हैं। उनकी कुंडलियाँ विख्यात हैं और उत्तर भारत की जनता में खूब प्रचलित हैं। इनमें दैनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी बातें कही गई हैं। सीधी-सादी तथा सरल भाषा में रचित होने के कारण ये ज्यादा लोकप्रिय हुईं। कुछ विद्वानों का मानना है कि ‘साईं’ शब्दावली कुंडलियाँ गिरिधर की पत्नी की रची हुई हैं। गिरिधर की कुंडलियाँ अधिकतर अवधी भाषा में ही मिलती हैं