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BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions  Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ? Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ଇନ୍ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ଡ଼ୀନ୍ ବାକ୍ୟା ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ଏହି ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) कवि दुःख से न घबराने को क्यों कहते हैं ?
(କବି ଦୁଃଖ୍ ସେ ନ ଘବ୍‌ରାନେ କୋ କେଁ କହ ହେଁ (କବି ଦୁଃଖରେ ନ ଡରିବାକୁ (ବ୍ୟତିବ୍ୟସ୍ତ ନ ହେବାକୁ) କାହିଁକି କହିଛନ୍ତି ।)
उत्तर:
कवि के मत से दुःख से डरने से, रोने- चीखने से दुःख दूर नहीं होता मगर दुःख के बाद सुख आएगा और दुःख सर्वदा नहीं रह सकता। जीवन में दुःख होने के कारण हम सव कर्मतत्पर बने रहते है। दुःख पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करना जरुरी है।

(ख) इस कविता का संदेश क्या है- समझाइए।
(ଏହି କବିତାର ବାର୍ତ୍ତା କ’ଣ ଅଟେ – ବୁଝାଅ)
(ଇସ୍ କବିତା କା ସଂଦେଶ କ୍ୟା ହୈ – ସମଝାଇଏ ।
उत्तर:
इस कविता का संदेश यह है कि मानव जीवन में दुःख ज्यादा और सुख बहुत कम होता है। दुःख से डरने से दुःख दूर नहीं होता बरं दुःख से लड़ना सही रास्ता है। इसलिए दुःख को बुरी चीज न मानकर मुक्ति का मार्ग मानना चाहिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्द वाक्यों में दीजिए।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्द वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା )

(क) कवि ने मुक्ति का बंधन किसे माना है?
(କବି ନେ ମୁକ୍ତି କା ବଂଧନ୍ କିସ୍ ମାନା ହୈ ?)
(କବି ମୁକ୍ତିର ବଂଧନ କାହାକୁ ମାନିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवि ने मुक्ति का बंधन दुःख को माना है।

(ख) जीवन के लम्बे पथ पर कौन साथ-साथ चलते हैं?
(ଜୀବନ୍ କେ ଲୟେ ପଥ୍ ପର୍ କୌନ୍ ସାଥ୍‌-ସାଥ୍ ଚଲତେ ହୈ ?)
(ଜୀବନର ଲମ୍ବା ରାସ୍ତାରେ କିଏ ସାଥ୍‌ରେ ଚାଲିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
जीवन के लम्बे पथ पर सुख और दुःख साथ-साथ चलते हैं।

(ग) जीवन की मंजिल तक कौन जाता है?
(ଜୀବନ୍ କୀ ମଂଜିଲ୍ ତକ୍ କୌନ୍ ଜାତା ହୈ ?)
(ଜୀବନର ଲକ୍ଷ୍ୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କିଏ ଯାଇଛି ?)
उत्तर:
जीवन की मंजिल तक दुःख जाता है।

(घ) जीवन में हलचल कौन लाता है?
(ଜୀବନ୍ ମେଁ ହଲ୍‌ଚଲ୍ କୌନ୍ ଲାତା ହୈ ?)
(ଜୀବନରେ ଏପଟସେପଟ (ଅସ୍ଥିରତା) କିଏ ଆଣିଛି ?)
उत्तर:
दुःख मन की दुर्बलता जीवन में हलचल लाता है।

(ङ) जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन निकलाता है?
(ଜଲ୍‌ ଜ୍ଵାଲା ମେଁ ଜଲ୍‌କର୍ କ୍ୟା ଲାଲ୍ ବନ୍ ନିକଲ୍‌ତା ହୈ ?)
(ଜଳନ୍ତା ଅଗ୍ନିଶିଖାରେ କିଏ ଜଳି ଲାଲ୍ ହୋଇ ବାହାରୁଛି ?)
उत्तर:
जलती ज्वाला में जलकर लोहा लाल बन निकलता है। लेकिन यहाँ पर मानव-जीवन में दुःख रूपी संघर्ष के कारण व्यक्तित्व का उत्कर्ष प्रतिपादित होता है।

(च) कवि ने किसे धन्यवाद देने को कहा है?
(କବି କାହାକୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବାକୁ କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवि ने दुःख देने वाले व्यक्ति को धन्यवाद देने को कहा इसलिए कि दुःख से ही सुख का मार्ग उन्मुक्त होता है।

(छ) दुःख कब सुख बन जाता है।
(ଦୁଃଖ୍ କବ୍ ସୁଖ ବନ୍ ଜାତା ହୈ ?)
(ଦୁଃଖ କେବେ ସୁଖରେ ପରିଣତ ହୋଇଯାଏ ?)
उत्तर:
दुःख से न डरने से सुख बन जाता है।

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3. पंक्तियाँ पूरा कीजिए:
(क) जीवन के………………. सुख दुःख चलते साथ-साथ तब
उत्तर:
लम्बे पथ पर जब

(ख) दुःख जीवन में करता…………………. वह मन की …………… केवल।
उत्तर:
हलचल, दुर्बलता

(ग) जलती ……………….. में जलकर ही ……………………. लाल निकल आता है।
उत्तर:
ज्वाला, लोहा

(घ) एक समय है जब ……………… ही क्या! ……………….. भी साथ न दे पाता है।
उत्तर:
सुख, दुःख

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4. सही अर्थ चुनिए: (ଠିକ୍ ଅର୍ଥ ବାଛ)
(क) प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
(i) सुख
(ii) दुःख
(iii) आनन्द
उत्तर:
(ii) दुःख

(ख) किसमें जलकर ही लोहा लाल निकल आता है?
उत्तर:
(i) दुःख में
(ii) सुख में
(iii) जलती ज्वाला में
उत्तर:
(iii) जलती ज्वाला में

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. विपरीत अर्थवाले शब्द लिखिए:
(ବିପରାତ ଅର୍ଥ ବୁଝାଉଥବା ଶବ୍ଦ ଲେଖା::)
उत्तर:
कठिन:, बंधन:, दुर्बलताः, दुःख :, मुक्ति:, हार:
कठिन : सरल
दुर्बलता : सबलता
मुक्ति : बन्दी
बंधन : मुक्त
दुःख : सुख
हार : जीत

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2. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(ଏହିଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାକ୍ୟରେ ଚ୍ୟବହାର କର)
परीक्षा, समय, मंजिल, बंधन
उत्तर:
परीक्षा- कल हमारी परीक्षा होगी।
समय – हमारे लिए कीमती चीज समय है।
मंजिल – जीवन की मंजिल तक दुःख जाता है।
बंधन – यह संसार मायामोह बंधन में जुड़े हुए है।

3. लिंग वताइए: ( ଲିଙ୍ଗ କୁହ )
लोहा, आग, हार, ज्वाला, पथ, दुःख
उत्तर:
लोहा – पुंलिंग
ज्वाला – स्त्रीलिंग
आग – स्त्रीलिंग
हार – पुंलिंग
पथ – पुंलिंग
दुःख – पुंलिंग

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4. बहुवचन रूप लिखिए:
(ବହୁ ବଚନ ରୂପ ଲେଖ;:)
एक, परीक्षा, सपना, मंजिल
उत्तर:
एक: अनेक
परीक्षा : परीक्षाएँ
सपना : सपने
मंजिल : मंजिलें

5. ‘जीवन के लम्बे पथ पर जब’ ……………. में ‘पथ’ संज्ञा है और ‘लम्बे’ विशेषण है जिससे पथ की लम्बाई सूचित हुई है। निम्न वाक्यों में विशेषणों को रेखांकित कीजिए :
(क) कोयल की आवाज …………………… होती है।
उत्तर:
कोयल की आवाज सुरीली होती है।

(ग) हमें …………….. जनता की सेवा करनी चाहिए
उत्तर:
मुझे पाँच रूपये चाहिए।

(ख) मुझे …………….. रूपये चाहिए।
उत्तर:
हमें गरीब जनता की सेवा करनी चाहिए।

(घ) रमेश …………….. छात्र है।
उत्तर:
रमेश एक मेधावी छात्र है।

गृहकार्य:

1. अपने जीवन में आये दुःख के क्षण का वर्णन कीजिए।
2. इस कविता को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर :
मुझे आज भी याद है जब छोटा था तब मेरी माँ बहुत बीमार थी। वह उन दिनों अंतिम साँसे गिन रही थी। और एक दिन अचानक वह वावा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चली जाती है। अंतिम समय में जब माँ को श्मशान ले जाया जा रहा था उस समय मुझे लगा कि अब माँ घर में आज के नहीं देगी उस समय में बहुत दुःखी हुआ था।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए

प्रश्न 1.
‘साथी ! दुःख से घबराता है?’ कविता किसने लिखा है?
उत्तर:
‘साथी ! दुःख से घबराता है?’ कविता को गोपालदास ‘नीरज’ ने लिखा है।

प्रश्न 2.
कवि ‘नीरज’ का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
कवि नीरज का जन्म सन् १९२६ ई. से पुरावली, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ।

प्रश्न 3.
‘नीरज’ ने इस कविता में किस बात की सलाह दी है?
उत्तर:
‘नीरज’ ने इस कविता में दुःख से न डरने की सलाह दी है।

प्रश्न 4.
दुःख कब सुख बन जाता है?
उत्तर:
न डरने से दुःख सुख बन जाता है।

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प्रश्न 5.
दुःख किसके जीवन में ज्यादा होता है?
उत्तर:
दुःख मानव-जीवन में ज्यादा होता है।

प्रश्न 6.
सही रास्ता क्या है?
उत्तर:
दुःख से लड़ना सही रास्ता है।

प्रश्न 7.
हम सब कर्म तत्पर क्यों बने रहते हैं?
उत्तर:
जीवन में दुःख होने के कारण हम सब कर्म तत्पर बने रहते हैं।

प्रश्न 8.
कवि नीरज के अनुसार दुःख को क्या मानना चाहिए?
उत्तर:
कवि नीरज के अनुसार दुःख को मुक्ति का मार्ग मानना चाहिए।

प्रश्न 9.
जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन जाता है?
उत्तर:
जलती ज्वाला जलकर लोहा लाल बन जाता है।

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प्रश्न 10.
प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
उत्तर:
प्रबल परीक्षा का क्षण दुःख है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
जीवन के लम्बे पथ पर कौन साथ-साथ चलते हैं?
उत्तर:
सुख और दुःख

प्रश्न 2.
किसमें जलकर ही लोहा लाल निकल आता है?
उत्तर:
जलती ज्वाला

प्रश्न 3.
जीवन को मंजिल तक कौन ले जाता है?
उत्तर:
दुःख

प्रश्न 4.
कवि ने किसे धन्यवाद देने को कहा है?
उत्तर:
जिसने हमें दुःख के सपने दिए

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प्रश्न 5.
जलती ज्वाला में जलकर लोहा क्या बन निकल आता है?
उत्तर:
लाल

प्रश्न 6.
मनुष्य की दुर्बलता जीवन में क्या लाती है?
उत्तर:
हलचल

प्रश्न 7.
जीवन में हलचल कौन लाता है?
उत्तर:
दुःख

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
दु:ख
उत्तर:
मानब जीवन

प्रश्न 2.
कवि ने मुक्ति का बंधन से माना है।
उत्तर:
दु:ख

प्रश्न 3.
हम सब कर्मतत्पर बने रहते हैं।
उत्तर:
जीवन में दु:ख होने के

प्रश्न 4.
“साथी ! दु:ख से घबराता है ?”‘ यह कविता ने लिखी है
उत्तर:
गोपालदास

प्रश्न 5.
प्रबल परीक्षा का क्षण है।
उत्तर:
दु:ख

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प्रश्न 6.
हलचल जीवन में लाता है।
उत्तर:
दु:ख

प्रश्न 7.
जलती ज्वाला में जलकर लाल बन निकलता है।
उत्तर:
लोहा

प्रश्न 8.
को धन्यवाद देना चाहिए।
उत्तर:
दु:ख देने वाले का

प्रश्न 9.
कवि के अनुसार दु:ख का बंधन है।
उत्तर:
मुक्ति

प्रश्न 10.
सुख और दु:ख जीवन के पथ पर साथ-साथ चलते हैं।
उत्तर:
लबै

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प्रश्न 11.
दु:ख के समय मनुष्य की होती है।
उत्तर:
परीक्षा

D. सही उत्तर चुनिए।

1. साथी ! दु:ख से घवराता है? कविता के कवि कौन है?
(A) कबीरदास
(B) सूर दास
(C) गोपाल दास
(D) तुलसी दास
उत्तर:
(C) गोपाल दास

2. प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
(A) सुख
(B) दु:ख
(C) आनंद
(D) चेष्टा
उत्तर:
(B) दु:ख

3. दुर्बलता का अर्थ क्या है?
(A) कमजोरी
(B) काँटा
(C) भारी
(D) कष्ट
उत्तर:
(A) कमजोरी

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4. दु:ख पर क्या प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं?
(A) विजय
(B) पराजय
(C) डर
(D) हलचल
उत्तर:
(A) विजय

5. जीवन में क्या होने के कारण हम कर्मतत्पर बनते हैं?
(A) हलचल
(B) दु:ख
(C) घृणा
(D) कर्म
उत्तर:
(B) दु:ख

6. कवि का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(A) उत्तरप्रदेश
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) महम प्रदेश
(D) केरल
उत्तर:
(A) उत्तरप्रदेश

7. ‘साथी ! दु:ख से घवराता है’ कविता में कवि अपने साथी को किस से न डरने की सलाह देता है?
(A) दु:ख
(B) सुख
(C) कष्ट
(D) आनंद
उत्तर:
(A) दु:ख

8. ‘जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन निकलता है?
(A) सीसा
(B) लोहा
(C) पथर
(D) पायल
उत्तर:
(B) लोहा

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9. कवि का जन्म कब हुआ था?
(A) सन् 1925 ई. में
(B) सन् 2006 ई. में
(C) सन् 1927 ई. में
(D) सन् 1926 ई. में
उत्तर:
(D) सन् 1926 ई. में

10. दु:ख के बाद क्या आएगा?
(A) प्रेम
(B) मरण
(C) सुख
(D) डर
उत्तर:
(C) सुख

दोहे (ତେ।ହେ)

साथी ! दुःख से घबराता है?
दुःख ही कठिन मुक्ति का बन्धन,
दुःख ही प्रबल परीक्षा का क्षण,
दुःख से हार गया जो मानब,
वह क्या मानब कहलाता है ?
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍‌ରାତା ହୈ ?
ଦୁଃଖ୍ ହୀ କଠିନ୍ ମୁକ୍ତି କା ବନ୍ଧନ୍,
ଦୁଃଖ୍ ହୀ ପ୍ରବଲ୍‌ ପରୀକ୍ଷା କା କ୍ଷଣ୍ଢ,
ଦୁଃଖ ସେ ହାର୍ ଗୟା ଜୋ ମାନବ,
ୱହ୍ କ୍ୟା ମାନବ୍ କହିଲାତା ହୈ ?
ଅନୁବାଦ ;
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଡର ନାହିଁ । ଦୁଃଖ ହିଁ କଠିନ ମୁକ୍ତିର ବନ୍ଧନ ଏବଂ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ପରୀକ୍ଷାର ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଅଟେ।

साथी ! दुःख से घबराता है ?
जीवन के लम्बे पथ पर जब
सुख – दुःख चलते साथ-साथ तब
सुख पिछे रह जाया करता दुःख ही मञ्जिल
तक जाता है ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଜୀୱନ୍ କେ ଲମ୍ବେ ପଥ୍ ପର୍ ଜବ୍
ସୁଖ୍-ଦୁଃଖ୍ ଚଲ୍‌ ସାଥ୍‌-ସାଥ୍ ତବ୍
ସୁଖ୍ ପିଛେ ରହ୍ ଜାୟା କର୍‌ତା ଦୁଃଖ୍ ହୀ ମଞ୍ଜିଲ୍
ତକ୍ ଜାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ:
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଭୟ କର ନାହିଁ । ଏହି ଲମ୍ବା ଜୀବନ ପଥରେ ସୁଖ, ଦୁଃଖ ସମତାଳରେ ଚାଲିଥା’ନ୍ତି; ମାତ୍ର ସୁଖକୁ ପଛରେ ପକାଇ ଦୁଃଖ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅର୍ଥାତ୍ ଅନ୍ତିମ ଅବସ୍ଥା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସାଥ୍‌ରେ ରହିଥାଏ ।

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साथी! दु:ख से घबराता है?
दुःख जीवन में करता हलचल,
वह मनकी दुर्बलता केवल,
दुःख को यदि मान न तू तो दुःख ही फिर
सुख बन जाता है।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଦୁଃଖ ଜୀୱନ୍ ମେଁ କର୍‌ତା ହଲ୍‌ଚଲ୍,
ୱହ ମନ୍‌କୀ ଦୁର୍ବଲ୍‌ କେଲ୍,
ଦୁଃଖ୍ କୋ ୟଦି ମାନ୍ ନ ତୂ ତୋ ଦୁଃଖ ହୀ ଫିର୍
ସୁଖ୍ ବନ୍ ଜାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ:
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଭୟ କର ନାହିଁ । ଏହି ଲମ୍ବା ଜୀବନ ପଥରେ ସୁଖ, ଦୁଃଖ ସମତାଳରେ ଚାଲିଥା’ନ୍ତି; ମାତ୍ର ସୁଖକୁ ପଛରେ ପକାଇ ଦୁଃଖ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅର୍ଥାତ୍ ଅନ୍ତିମ ଅବସ୍ଥା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସାଥ୍‌ରେ ରହିଥାଏ ।

साथी ! दु:ख से घबराता है ?
पथ में शूल बिछे तो क्या चल
पथ में आग जी तो क्या जल
जलती ज्वाला में जलकर ही लोहा लाल
निकल आता है ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍‌ରାତା ହୈ ?
ପଥ୍ ମେଁ ଶୁଲ୍ ବିଛେ ତୋ କ୍ୟା ଚଲ୍
ପଥ୍ ମେଁ ଆର୍ ଜୀ ତୋ କ୍ୟା ଜଲ୍
ଜଲ୍‌ ଜ୍ବାଲା ମେଁ ଜଲ୍‌କର୍ ହୀ ଲୋହା ଲାଲ୍
ନିକଲ୍ ଆତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ :
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ କାହିଁକି ଡରୁଛ, ଜୀବନ ପଥରେ ଅନେକ କଣ୍ଟା ସଦୃଶ ବିପଦ ଆସିଥାଏ । ତାକୁ ଅତିକ୍ରମ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ଯେପରିକି କଳାରଙ୍ଗର ଲୁହା ଜଡ଼ିତ ଏ ଜୀବନ ସୁଖମୟ ହୋଇଥାଏ ।

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साथी ! दु: से घबराता है ?
धन्यबाद दो उसको जिसने
दिए तुझे दु:ख के तो सपने
एक समय है जब सुख ही क्या! दु:ख भी
साथ न दे पाता है।
साथी ! दुःख से घबंराता है।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଧନ୍ୟବାଦ୍ ଦୋ ଉସ୍କୋ ଜିସ୍‌
ଦିଏ ତୁଝେ ଦୁଃଖ୍ କେ ତୋ ସପନେ,
ଏକ୍ ସମୟ ହୈ ଜବ୍ ସୁଖ ହୀ କ୍ୟା ! ଦୁଃଖ୍ ଭୀ
ସାଥ୍ ନ ଦେ ପାତା ହୈ ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବରାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ :
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଡର ନାହିଁ, କାରଣ ମଣିଷ ଜୀବନ ଦୁଃଖ ରୂପକ ସଂଘର୍ଷରେ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵର ପରାକାଷ୍ଠା ପ୍ରତିପାଦନ କରିଥାଏ । ତେଣୁ ଦୁଃଖ ଦେଉଥିବା ଲୋକଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ । ଏହି ଦୁଃଖରୁ ହିଁ ମୁକ୍ତିର ମାର୍ଗ ସୁଗମ ହୋଇଥାଏ । ଏପରି ସମୟ ଆସେ ଯେତେବେଳେ ସୁଖ ବା ଦୁଃଖ କେହି ସାଥ୍‌ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

मुक्ति – आजादी, स्वतंत्रता (ସ୍ଵାଧୀନ, ସ୍ଵାଧୀନତା ) ।

प्रबल – बड़ा, भारी, प्रचंड ( ଭାରୀ, ପ୍ରଚଣ୍ଡ ) ।

क्षण – घड़ी, पल, वक् (ସମୟ, ସମୟର ଏକ ମୁହୂର୍ତ୍ତକୁ ୩୯ କୁହାଯାଏ, ପର୍ଶୀ ଶବ୍ଦର ପ୍ରୟୋଗ ପୂର୍ବରୁ ଚାଲୁଥିଲା, ଏକ ଏକ ଘଡ଼ି ୩ ଘଣ୍ଟା ସହିତ ସମାନ) ।

मंजिल – लक्ष्य (ଲକ୍ଷ୍ୟ) ।

हलचल – हिलने-डोलने की क्रिया या भाव (ଦୋଳାୟମାନ ହେବା, ଆଲୋଡ଼ିତ ହେବା) ।

दुर्बलता – कमजोरी (କଣ୍ଟା, ପ୍ରତିବନ୍ଧକ) ।

शूल – काँटा (କମ୍‌ର, ଦୁର୍ବଳ) ।

ज्वाला – अग्निशिखा, लौ, लपट (ଅଗ୍ନିଶିଖା) ।

कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।

गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म पुरावली, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश) में सन् 1926 ई. में हुआ। बचपन में ही उनके पिता चल बसे। इसलिए ‘नीरज’ ने अपनी चेष्टा से पढ़ा। एम.ए. किया। फिर नौकरी की। अपने को बनाया। ‘संघर्ष’, ‘विभावरी’, ‘नीरज की पाती’, ‘प्राणगीत’, ‘दो गीत’, ‘मुक्तावली’, ‘दर्द दिया है’, ‘बादर बरस गयो’ आदि ‘नीरज’ के लोकप्रिय काव्य संग्रह हैं। ‘नीरज’ के गीतों में जीवन के सहज अनुभव अभिव्यक्त हुए हैं। इसलिए वे सब के मन को छू पाते हैं। गीत गाए जाते हैं तो और भी सरस होते हैं।

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