Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 2 प्रियतम Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 2 प्रियतम
प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)
1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ଚ୍ଚନ୍ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଡର୍ତ୍ତର ଦୋ ତ।ନଚାଇେଁ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ଏହି ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) भगवान विष्णु किसे और क्यों अपना श्रेष्ठ भक्त मानते हैं?
ଭଗବାନ୍ ୱିଷ୍ଣୁ କିସ୍ ଔର୍ କ୍ୟା ଅପ୍ନା ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଭକ୍ତ ମାନତେ ହୈ ?
(ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁ କାହାକୁ ଓ କାହିଁକି ନିଜର ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଭକ୍ତ ମାନିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
भगवान विष्णु किसान को अपना श्रेष्ठ भक्त मानते हैं। किसान कर्म करते हुए तथा सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भी भगवान का नाम भूलता नहीं। कर्म ही ईश्वर है। कर्म को छोड़कर सिर्फ भगवान का नाम लेने से कोई आगे नहीं बढ़सकता।
(ख) नारदजी ने विष्णु से क्या सवाल किया और उसके उत्तर में विष्णु ने नारदजी को क्या करने को कहा?
(ନାରଦ୍ଜୀ ନେ ଵିଷ୍ଣୁ ସେ କ୍ୟା ସବାଲ୍ କିୟା ଔର୍ ଉସ୍ ଉତ୍ତର ମେଁ ଵିଷ୍ଣୁ ନେ ନାରଦ୍ କୁ କ୍ୟା କର୍ନେ କୋ କହା ?
ନାରଦ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କୁ କ’ଣ ପ୍ରଶ୍ନ କଲେ ଏବଂ ତାହାର ଉତ୍ତରରେ ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦକୁ କ’ଣ କରିବାକୁ କହିଲେ ?)
उत्तर:
नारदजी ने विष्णु से यह सवाल किया कि संसार में कौन तुम्हारा प्रिय और प्रधान भक्त है। भगवान विष्णु ने कहा एक सज्जन किसान ही प्राणों से प्रियतम है और विष्णु ने नारद जी को एक तैल-पूर्ण पात्र देकर कहा विश्व भ्रमण करें, पात्र से एक बूँद तैल गिरना नहीं चाहिए।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक बाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) नारदजी ने किससे सवाल किया?
ନାରଦ୍ ନେ କିସ୍ ସେ ସୱାଲ୍ କିୟା ?
उत्तर:
नारदजी ने भगवान विष्णु से सवाल किया।
(ख) विष्णुजी ने नारद को क्या उत्तर दिया?
ୱିଷ୍ଣୁଜୀ ନେ ନାରଦ୍ କୋ କ୍ୟା ଉତ୍ତର୍ ଦିୟା ?
(ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦଙ୍କୁ କ’ଣ ଉତ୍ତର ଦେଲେ ?)
उत्तर:
विष्णुजी ने नारद को यह उत्तर दिया कि एक सज्जन किसान प्राणों से प्रियतम है।
(ग) नारद ने किसकी परीक्षा लेने की बात कही?
(ନାରଦ ନେ କିସ୍ଵୀ ପରୀକ୍ଷା ଲେନେ କୀ ବାତ୍ କହୀ ?)
(ନାରଦ କାହାର ପରୀକ୍ଷା ନେବାପାଇଁ କହିଲେ ?)
उत्तर:
नारद ने भगवान विष्णुजी के श्रेष्ठ भक्त किसान की परीक्षा लेने की बात कहीं।
(घ) किसान ने कब-कब भगवान का नाम स्मरण किया?
(କିସାନ୍ ନେ କବ୍-କବ୍ ଭଗବାନ କା ନାମ୍ ସ୍ମରଣ କୟା ?)
(କୃଷକ କେଉଁ କେଉଁ ସମୟରେ ଭଗବାନଙ୍କ ନାମ ସ୍ମରଣ କଲା ?)
उत्तर:
किसान ने सुबह, शाम और दुपहर में भगवान का नाम स्मरण किया।
(ङ) नारदजी किस बात से चकरा गये?
ନାରଦ୍ଜୀ କିସ୍ ବାତ୍ ସେ ଚକରା ଗୟେ ?
(ନାରଦ କେଉଁ କଥାରେ ଚକିତ ହେଲେ ?)
उत्तर:
सिर्फ तीनवार नाम लेकर किसान भगवान का प्रिय बनगया इस बात को लेकर नारदजी चकित हो गए।
(च) तैलपूर्णपात्र लेकर नारदजी कहाँ गये?
ତୈଲ୍ପୂର୍ଣ ପାତ୍ର ଲେକର୍ ନାରଦଜୀ କାହାଁ ଗୟେ ?
(ତେଲପୂର୍ଣ୍ଣ ପାତ୍ର ନେଇ ନାରଦ କେଉଁଠାକୁ ଗଲେ ?)
उत्तर:
तैलपूर्ण पात्र लेकर नारदजी भूमण्डल भ्रमण करने गये।
(छ) विष्णु ने नारद जी को किस वात पर ध्यान देने को हा?
(ୱିଷ୍ଣୁ ନେ ନାରଦ୍ କୋ କିସ୍ ବାତ୍ ପର୍ ଧ୍ୟାନ୍ ଦେନେ କୋ କହା ?)
(ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦଙ୍କୁ କେଉଁ କଥାରେ ଦୃଷ୍ଟି ଦେବାକୁ କହିଲେ ?)
उत्तर:
विष्णु ने नारदजी को तैलपूर्ण पात्र से एक बूँद तैल नहीं गिरने पर ध्यान देने को कहा।
(ज) नारदजी को अपने पास बुलाकर विष्णु ने क्या कहा?
(ନାରଦକା କୋ ଅପନେ ପାସ୍ ଚୁଳାକର ୱିଷ୍ଣୁ ନେ କ୍ୟା କହା?)
(ନାରଦଙ୍କୁ ନିଜ ପାଖକୁ ଡକାଇ ବିଷ୍ଣୁ କ’ଣ କହିଲେ ?)
उत्तर:
नारदजी को अपने पास बुलाकर विष्णु ने यह कहा कि तैल पात्र लेकर कि जाते समय कितनी बार इष्ट का नाम लिया था।
(झ) विश्व पर्यटन के दौरान नारदजी ने कितने बार विष्णु का नाम लिया था ?
(ୱିଶ୍ୱ-ପର୍ଯ୍ୟଟନ କେ ଦୌରାନ୍ ନାରଦ୍ଜୀ ନେ କିତ୍ ବାର୍ ଵିଷ୍ଣୁ କା ନାମ୍ ଲିୟା ଥା ? )
(ବିଶ୍ଵଭ୍ରମଣ ସମୟରେ ନାରଦ କେତେଥର ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ନାମ ନେଇଥିଲେ ?)
उत्तर:
विश्व पर्यटन के दौरान नारदजी ने एक बार भी विष्णु का नाम नहीं लिया था।
(ञ) शंकित हृदय से नारद ने विष्णु से क्या कहा?
ଶଂକିତ୍ ହୃଦୟ ସେ ନାରଦ୍ ନେ ଵିଷ୍ଣୁ ସେ କ୍ୟା କହା ?
(ଶଙ୍କାକୁଳ ହୃଦୟରେ ନାରଦ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କୁ କ’ଣ କହିଲେ?)
उत्तर:
शंकित हृदय से नारद ने विष्णु से यह कहा कि वह कभी भगवान का नाम जप नहीं किया था।
(ट) विष्णु ने किसान को क्यों प्रियतम कहा?
ଵିଷ୍ଣୁ ନେ କିସାନ୍ କୋ ର୍କେ ପ୍ରିୟତମ କହା ?
(ବିଷ୍ଣୁ କୃଷକକୁ କାହିଁକି ପ୍ରିୟତମ କହିଲେ ?)
उत्तर:
विष्णु ने किसान को इसलिए प्रियतम कहा कि उसने अपना काम करते हुए भी भगवान का नाम लिया।
(ठ) नारदजी ने विष्णु की बात से लज्जित होकर क्या कहा?
(ନାରହଜା ନେ ୱ୍ୱଷ୍ଟୁକା ବାତ୍ ସେ ଲଜିତ୍ ହୋକର କ୍ୟା କହା?)
(ନାରଦ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ କଥାରେ ଲଜ୍ଜିତ ହୋଇ କ’ଣ କହିଲେ ?)
उत्तर:
नारदजी ने विष्णु की बात से लज्जित होकर सत्य कहा।
3. सही उत्तर चुनिए।
(ଠିକ୍ ଡତ୍ତର ବାଙ୍ଗ)
(क) किसान ने एक दिन में कितनी बार भगवान का नाम-स्मरण किया?
(i) चार
(ii) तीन
(iii) एक
उत्तर:
(ii) ती
(ख) विश्व पर्यटन करके नारदजी कहाँ लौटे?
(i) मर्त्यलोक
(ii) विष्णुलोक
(iii) पाताल लोक
उत्तर:
(ii) विष्णुलोक
(ग) योगिराज कौन हैं?
(i) किसान
(ii) नारद
(iii) विष्णु
उत्तर:
(ii) नारद
भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)
1. नीचे लिखे शब्दों के समानार्थे शब्द लिखिए
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରତିଶବ୍ଦ (ସମାନାର୍ଥୀ ଶବ୍ଦ) (ଲେଖ ।)
मृत्युलोक, दिवा, रात्री, प्रात, वैकुण्ठ
उत्तर:
मृत्युलोक – मर्त्यलोक
रात्री – रजनी
दिवा – दिवस
प्रातः – सुबह
वैकुण्ठ – स्वर्ग
2. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖିତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପର ତଶବ୍ଦ ଲେଖା)
प्रधान, रात्रि, प्रात: काल, आवश्यक, साधारण, उल्लास
उत्तर:
प्रधान – अप्रधान
प्रातः काल – शायंकाल
साधारण – असाधारण
रात्रि – दिवा
आवश्यक – अनावश्यक
उल्लास – विषाद
3. विशेष रूप से ध्यान दीजिए कि हिन्दी में केवल दो लिंग होते हैं। क्लीव लिंग या नपुंसक लिंग होता ही नहीं। इसलिए निम्नलिखित शब्दों में से कौन-सा शब्द पुंलिंग का और कौन- सा शब्द स्त्रीलिंग का है, बताइए।
(ବିଶେଷ ରୂପେ ଦୃଷ୍ଟି ଦିଅ କି ହିନ୍ଦୀରେ କେବଳ ଦୁଇଟି ଲିଙ୍ଗ ଅଛି । କ୍ଲବ ଲିଙ୍ଗ ବା ନଂପୁସକ ଲିଙ୍ଗ ବୋଲି କିଛି ନାହିଁ । ତେଣୁ ତଳଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରୁ କେଉଁ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକ ପୁଂଲିଙ୍ଗ ଓ କେଉଁ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକ ସ୍ତ୍ରୀଲିଙ୍ଗ, କୁହ ।)
भक्त, किसान, दरवाजा, विवाद, आज्ञा, स्मरण, परीक्षा, नाम, बूँद
पुंलिंग: भक्त , किसान, दरवाजा, विवाद, स्मरण, नाम
स्त्रीलिंग: आज्ञा, परीक्षा, बूँद
4. नारद ने कहा, ‘मैं उसकी परीक्षा लूँगा’। इस वाक्य में ‘लूंगा’ क्रिया है, जिससे भविष्यत काल की सूचना मिलती है। निम्न वाक्यों का काल निर्णय कीजिए।
(क) किसान शाम को घर लौटा।
उत्तर:
इस वाक्य में ‘लौटा’ क्रिया है, जिससे भुतकाल की सूचना मिलती है। ( भुतकाल )
(ख) कुत्ता भौंक रहा है।
उत्तर:
इस वाक्य में ‘रहा’ क्रिया है, जिससे वर्तमान काल की सूचना मिलती है। ( वर्तमान काल )
(ग) मेरे पिताजी कल दिल्ली जाएँगे।
उत्तर:
इस वाक्य में ‘जाएँगे’ क्रिया है, जिससे भविष्यत काल की सूचना मिलती है। (भविष्यत काल)
(घ) यहाँ का दृश्य दर्शक को आकृष्ट करता है।
उत्तर:
इस वाक्य में ‘करता’ क्रिया है, जिससे वर्त्तमान काल की सूचना मिलती है। ( वर्त्तमान काल )
(ङ) बुखार के कारण कल में स्कूल नहीं आ पाया।
उत्तर:
इस वाक्य में ‘पाया’ क्रिया है, जिससे अतीत काल की सूचना मिलती है। (भूतकाल )
5. इन्हें क्या कहते हैं लिखिए।
(क) जो खेती का काम करता है, वह है किसान।
(ख) जो कपड़ा बुनने का काम करता है, वह है…………………।
उत्तर:
बुणाकार/हंसि
(ग) जो रोगियों का इलाज करता है, वह है……………
उत्तर:
चिकित्सक, डॉक्टर
(घ) जो हमारे पास चिट्ठियाँ पहुँचाता है, वह है …………….
उत्तर:
डाकिया
गृह कार्य (ଗୃହ କାର୍ଯ୍ୟଯ)
1. अपने प्रिय दोस्त के बारे में वर्णन कीजिए तथा यह वताइए कि वह क्यों प्रिय है?
(ତୁମର ପ୍ରିୟ ସାଥୀଙ୍କ ସମ୍ପର୍କରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କର ତଥା ସେ କାହିଁକି ପ୍ରିୟ ଅଟନ୍ତି କୁହ ?)
उत्तर:
मेरे प्रिय दोस्त का नाम नारायण है। वह मुझे इसलिए प्रिय लगता है क्योंकि वह मुझसे ज्यादा धनो होने पर भी उससे कुछ भी पुछते समय या किसी विषय के बारे में त्यारी करते समय वह बिना किसी बाधा या रुकावट के मुझे सठीक सलाह देता है। मेरे मुसीबत के समय मेरे साथ रहता है। उसे किसी चीज का घमंड भी नहीं है। वह समय का सलाह देने के साथ सारे काम ठीक समय पर खुद भी करता है और मुझे भी अपने और काम पुरे करने का सुझाव देता है।
अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर
A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1.
‘प्रियतम’ कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
‘प्रियतम’ कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं।
प्रश्न 2.
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ किस युग के कवि थे?
उत्तर:
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावादी युग के कवि थे।
प्रश्न 3.
कवि ‘निराला’ की कविता में कौन-सी प्रेरणा निहित है?
उत्तर:
कवि निराला की कविता में जीवन-संग्राम में लड़ने की प्रेरणा निहित है।
प्रश्न 4.
‘प्रियतम’ कविता में कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर:
‘प्रियतम’ कविता में कवि कर्म ही ईश्वर है के बारे में संदेश देना चाहते हैं।
प्रश्न 5.
विष्णु ने नारद जी को किस बात पर ध्यान देने को कहा?
उत्तर:
विष्णु ने नारदजी को कहा कि तैलपूर्ण पात्र से एक बूँद तेल की नीचे न गिर जाए इस बात का ध्यान देना ।
प्रश्न 6.
हर एक व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
हर एक व्यक्ति को कर्म करना चाहिए।
प्रश्न 7.
नारद जी किसके पास गये?
उत्तर:
नारद जी विष्णु के पास गये।
प्रश्न 8.
विष्णुजी ने नारद को क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
विष्णुजी नारद को यह उत्तर दिया कि मर्त्यलोक में एक सज्जन किसान है जो उनके प्राणों से भी प्रियतम है।
प्रश्न 9.
नारद जी ने किसकी परीक्षा लेने की बात कही?
उत्तर:
नारद जी ने किसान की परीक्षा लेने की बात कही।
प्रश्न 10.
नारद जी ने किससे सवाल किया?
उत्तर:
नारद जी ने भगवान विष्णु से सवाल किया।
प्रश्न 11.
किसान ने भगवान का नाम एक दिन में कितनी बार स्मरण किया?
उत्तर:
किसान ने भगवान का नाम एक दिन में तीन बार लिया।
प्रश्न 12.
तैलपूर्ण पात्र लेकर नारद जी कहाँ गए?
उत्तर:
तैलपूर्ण पात्र लेकर नारद जी भूमण्डल की प्रदक्षिण करने के लिए गए।
प्रश्न 13.
विश्व – पर्यटन के दौरान नारद जी ने कितनी बार विष्णु का नाम लिया था?
उत्तर:
विश्य पर्यटन के दौरान नारदजी ने एक बार भी विष्णु का नाम नहीं लिया था।
प्रश्न 14.
विश्व – पर्यटन करके नारद जी कहाँ लौटे?
उत्तर:
विश्व पर्यटन करके नारद जी वैकुण्ठ लोक लौटे।
प्रश्न 15.
योगिराज किसे कहा गया है?
उत्तर:
योगिराज नारदजी को कहा गया है।
प्रश्न 16.
विष्णु ने किसको प्रियतम कहा है?
उत्तर:
विष्णु ने मर्त्यलोक में रहने वाले एक सज्जन किसान को प्रियतम कहा है।
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।
प्रश्न 1.
यह युक्ति किसकी है?
” तैल पात्र लेकर जाते समय कितनी बार इष्ट का नाम लिया था”।
उत्तर:
विष्णु
प्रश्न 2.
किसान ने कब-कब भगवान का नाम स्मरण किया?
उत्तर:
प्रातःकाल, दोपहर और शाम
प्रश्न 3.
विष्णु का प्रियतम कौन है?
उत्तर:
किसान
प्रश्न 4.
नारद को क्या कहा गया है?
उत्तर:
योगिराज
प्रश्न 5.
किसान किसका प्रियतम भक्त है?
उत्तर:
विष्णु
प्रश्न 6.
कैसे पात्र को लेकर नारदजी धरती घूमने के लिए गए?
उत्तर:
तैलपूर्ण पात्र
प्रश्न 7.
‘प्रियतम’ कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
सूर्यकान्त त्रिपाठी
प्रश्न 8.
विश्व – पर्यटन करके नारद जी कहाँ लौटे?
उत्तर:
विष्णु लोक
प्रश्न 9.
किसान ने एक दिन में कितनी बार भगवान का नाम-स्मरण किया?
उत्तर:
तीन बार
प्रश्न 10.
तैलपूर्ण पात्र लेकर नारदजी कहाँ गये?
उत्तर:
भूमण्डल
प्रश्न 11.
नारद ने किसकी परीक्षा लेने की बात कही?
उत्तर:
किसान
C. रिक्तस्थानों को भरिए।
प्रश्न 1.
विष्णु ने……………………को प्रियतम कहा है।
उत्तर:
किसान
प्रश्न 2.
हर व्यक्ति को …………….. करना चाहिए।
उत्तर:
कर्म
प्रश्न 3.
” एक सज्जन किसान प्राणों से प्रियतम है” ? यह युक्ति ……………….की है।
उत्तर:
बिष्णु
प्रश्न 4.
कविता ‘प्रियतम’ …………………. ने लिखी है।
उत्तर:
निराला
प्रश्न 5.
किसान ने दिन भर में ……………… बार भगवान का नाम – स्मरण किया।
उत्तर:
तीन
प्रश्न 6.
विश्व – पर्यटन करके नारदजी ……………………. लौटे।
उत्तर:
विष्णु लोक
प्रश्न 7.
योगिराज ………………… से कहा गया है।
उत्तर:
नारद
प्रश्न 8.
नारदजी ने ………………….. से सवाल किया।
उत्तर:
विष्णु
प्रश्न 9.
………………….. की परीक्षा लेने की बात नारद ने कही।
उत्तर:
किसान
प्रश्न 10.
नारदजी ने विश्व – पर्यटन के दौरान ………………… . बार विष्णु का नाम लिया था।
उत्तर:
एक बार भी नहीं
प्रश्न 11.
” नाम भी वह लेता है, इसी से है प्रियतम । ” – यह पंक्ति ……………… कवि की हैं।
उत्तर:
निराला
प्रश्न 12.
……………… करके नारदजी विष्णुलोक लौटे।
उत्तर:
विश्व-पर्यटन
प्रश्न 13.
किसान ने एक दिन में तीन बार ……………….. का नाम स्मरण किया।
उत्तर:
भगवान
प्रश्न 14.
……………………ने विष्णु की बात से लज्जित होकर कहा – ‘यह सत्य है’।
उत्तर:
नारदजी
प्रश्न 15.
‘नाम भी वह लेता है, इसी से है ……………………।
उत्तर:
प्रियतम
प्रश्न 16.
किसान की परीक्षा लेने की बात …………………… ने कही।
उत्तर:
नारद
प्रश्न 17.
नारदजी ने विष्णु की बात से लज्जित होकर ……………….. कहा।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 18.
योगिराज ने ……………….. से सवाल किया।
उत्तर:
विष्णु
प्रश्न 19.
‘प्रियतम’ कविता में कवि ……………….. संदेश देना चाहते हैं।
उत्तर:
कर्म ही ईश्वर है
D. सही उत्तर चुनिए।
1. योगिराज कौन हैं?
(A) किसान
(B) नारद
(C) विष्णु
(D) शिव
उत्तर:
(B) नारद
2. विश्व-पर्यटन करके नारद जी कहाँ लौटे?
(A) मर्त्यलोक
(B) विष्णुलोक
(C) पाताल लोक
(D) स्वर्ग लोक
उत्तर:
(B) विष्णुलोक
3. किसान ने एक दिन में कितनी बार भगवान का नाम स्मरण किया?
(A) चार
(B) तीन
(C) एक
(D) बार-बार
उत्तर:
(B) तीन
4. विश्व-पर्यटन के दौरान नारद जी ने कितनी बार विष्णु का नाम लिया था?
(A) दस बार
(B) एक बार भी नहीं
(C) तीन बार
(D) चार बार
उत्तर:
(B) एक बार भी नहीं
5. तैलपूर्ण पात्र लेकर नारद जी कहाँ गये?
(A) पृथ्वी का चक्कर लगाने
(B) स्वर्ग का चक्कर लगाने
(C) विष्णुलोक का चक्कर लगाने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पृथ्वी का चक्कर लगाने
6. किसान ने कितनी बार भगवान का नाम लिया?
(A) चार बार
(B) तीन बार
(C) पाँच बार
(D) छह बार
उत्तर:
(B) तीन बार
7. भगवान विष्णु का प्रिय शिष्य कौन है?
(A) नारद
(B) कार्तिक
(C) गणेश
(D) किसान
उत्तर:
(D) किसान
8. नारद जी ने भगवान विष्णु से जो सवाल किया वह सवाल क्या था?
(A) आपका प्रिय भक्त कौन है
(B) आका प्रिय स्थल कौन-सा है
(C) आपका नाम क्या है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) आपका प्रिय भक्त कौन है
9. नारद जी ने किससे सवाल किया?
(A) किसान से
(B) विष्णु से
(C) शिव से
(D) अपने आप से
उत्तर:
(B) विष्णु से
एक दिन बिष्णु के पास गये नारदजी, (ଏକ୍ ଦିନ ବିଷ୍ଣୁ କେ ପାସ୍ ଗୟେ ନାରଦ୍,)
पूछा, ‘मृत्युलोक में वह कौन है पुण्यश्लोक (ପୂଛା, ‘ମୃତ୍ୟୁଲୋକ୍ ମେଁ ୱହ କୌନ୍ ହୈ ପୁଣ୍ୟଶ୍ଳୋକ୍)
भक्त तुमहारा प्रधान’? (ଭକ୍ରି ତ୍ରମ୍ହହ।ରା ପ୍ରଧାନୀ)
बिष्णुजी ने कहा (କ୍ତ ତୁମ୍ହାରା ପ୍ରଧାନ୍’ ?)
‘एक सज्नन किसान है, प्राणों से प्रियतम।’ (‘ଏକ୍ ସଜ୍ଜନ୍ କିସାନ୍ ହୈ, ପ୍ରାର୍ଥୋ ସେ ପ୍ରିୟତମ୍ ।’)
नारद ने कहा, मैं उसकी परीक्षा लूँगा। (ନାରଦ୍ ନେ କହା, ‘ମୈ ଉସ୍ ପରୀକ୍ଷା ଲୁଗା’। )
हँसे बिष्णु सुनकर यह, कहा कि ‘ले सकते हो’। (ହଁସେ ବିଷ୍ଣୁ ସୁନ୍କର୍ ଯହ୍, କହା କି ‘ଲେ ସକତେ ହୋ’ ।)
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଦିନେ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ନିକଟକୁ ନାରଦ ଯାଇ ପଚାରିଲେ, ‘ସଂସାରରେ ଆପଣଙ୍କର ପ୍ରଧାନ ତଥା ପବିତ୍ରବନ୍ତ ଭକ୍ତ କିଏ ?’ ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁ ଉତ୍ତର ଦେଲେ ଯେ ‘ଜଣେ ଉତ୍ତମ କୃଷକ ତାଙ୍କର ପ୍ରାଣଠାରୁ ଅଧିକ ଆପଣାର’। ନାରଦ ତାଙ୍କର ପରୀକ୍ଷା ନେବାକୁ କହିଲେ। ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁ ଏହା ଶୁଣି ହସି ହସି କହିଲେ ପରୀକ୍ଷା ନେଇପାର ।
नारदजी चल दिये, पहुँचे भक्त के यहाँ,
देखा, हल जोत कर आया वह दुपहर को;
दरवाजे पहुँचकर रामजी का नाम लिया;
स्नान-भोजन करके, फिर चला गया काम पर
शाम को आया दरवाजे, फिर नाम लिया;
प्रातः काल चलते समय एक बार फिर
उसने मधुर नाम स्मरण किया।
ନାରଦ୍ଜୀ ଚଲ୍ ଦିୟେ, ପହୁଁଚେ ଭକ୍ତ କେ ୟହାଁ,
ଦେଖା, ହଲ୍ ଜୋତ୍ କର ଆୟା ୱହ ଦୁପହର୍ କୋ;
ଦରଜେ ପହୁଁଚ୍କର୍ ରାମ୍ଜୀ କା ନାମ୍ ଲିୟା;
ସ୍ନାନ୍-ଭୋଜନ୍ କର୍କେ, ଫିର୍ ଚଲା ଗୟା କାମ୍ ପର୍ ।
ଶାମ୍ କୋ ଆୟା ଦରୱାଜେ, ଫିର୍ ନାମ୍ ଲିୟା;
ପ୍ରାତଃକାଲ୍ ଚଲ୍ ସମୟ ଏକ୍ ବାର୍ ଫିର୍ ଉସ୍ନେ
ମଧୁର ନାମ୍ ସ୍ମରଣ୍ କିୟା ।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ନାରଦ ଭକ୍ତଙ୍କ ପାଖକୁ ଯାଇ ଦେଖିଲେ, ସେ (କୃଷକ) ଦୁପହର (ଖରାବେଳେ)କୁ ହଳ ଧରି ଘରକୁ ଫେରିଲା । ଘରେ ପହଞ୍ଚ୍ ପ୍ରଭୁ ରାମଙ୍କ ନାମ ନେଲା । ସ୍ନାନ-ଭୋଜନ ସାରି ପୁନର୍ବାର କାମକୁ ଚାଲିଗଲା । ସନ୍ଧ୍ୟା ସମୟରେ ଘରକୁ ଫେରି ପୁଣି ପ୍ରଭୁରାମଙ୍କ ନାମ ନେଲା । ପ୍ରାତଃକାଳରେ ପୁଣି ଥରେ ପ୍ରଭୁଙ୍କର ମଧୁର ନାମକୁ ସ୍ମରଣ କଲା ।
‘बस केवल तीन बार’ नारद चकरा गये।
दिवा-रात्रि जपते हैं, नाम ऋषि-मुनि लोग
किन्तु भगवान को किसान ही यह याद आया!
गये वे बिष्णुलोक, वोले भगवान से,
‘देखो किसान को,
दिन भर में तीन बार नाम उसने लिया है।’
‘ବସ୍ କେୱଲ୍ ତୀନ୍ ବାର୍’ ନାରଦ୍ ଚକ୍ରା ଗୟେ ।
ଦିଓ୍ବା-ରାତ୍ରି ଜୟତେ ହେଁ, ନାମ୍ ଋଷି-ମୁନି ଲୋଗ
କିନ୍ତୁ ଭଗୱାନ୍ କୋ କିସାନ୍ ହୀ ୟହ ୟାଦ୍ ଆୟା !
ଗୟେ ୱେ ବିଷ୍ଣୁଲୋକ, ବୋଲେ ଭଗବାନ୍ ସେ,
‘ଦେଖୋ କିସାନ୍ କୋ,
ଦିନ୍ ଭର୍ ମେଁ ତୀନ୍ ବାର୍ ନାମ୍ ଉସ୍ ଲିୟା ହୈ’ ।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଦିନରାତି ମୁନି ଋଷିମାନେ ଭଗବାନଙ୍କୁ ଧ୍ୟାନ କରୁଥିବାବେଳେ ମାତ୍ର ଦିନକୁ ତିନିଥର ପ୍ରଭୁଙ୍କ ନାମ ଜପି କୃଷକଟି ଏତେ ଆପଣାର ହୋଇଥିବାରୁ ନାରଦ ମହାରାଜ ବିସ୍ମିତ ହୋଇପଡ଼ିଲେ । ସେ ବିଷ୍ଣୁଲୋକ ଯାଇ ଭଗବାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ଦେଖନ୍ତୁ ପ୍ରଭୁ କୃଷକଟି ଦିନକୁ ମାତ୍ର ତିନି ଥର ନାମ ଜପ କରୁଛି ।
‘बोले बिष्णु ‘नारदजी’!
आवश्यक दूसरा काम एक आया है,
तुमहें छोड़कर कोई और नहीं कर सकता।
साधारण बिषय यह, बाद् को विवाद होगा,
तब तक यह आबश्यक कार्य पूरा कीजिये,
तैल-पूर्ण्ण पात्र यह लेकर,
प्रदक्षिण कर आइए भूमण्डल की
ध्यान रहे सबिशेष,
‘एक बूँद भी इससे तेल न गिरने पाए।’
‘ବୋଲେ ବିଷ୍ଣୁ ‘ନାରଦ୍’ !
ଆଶ୍ୟକ୍ ଦୂସ୍ରା କାମ୍ ଏକ୍ ଆୟା ହୈ,
ତୁମ୍ହେଁ ଛୋଡ଼କର୍ କୋଈ ଔର୍ ନହୀ କର୍ ସପ୍ତା ।
ସାଧାରଣ ବିଷୟ ୟହ, ବାଦ୍ କୋ ଵିଦ୍ ହୋଗା,
ତବ୍ ତକ୍ ୟହ ଆବଶ୍ୟକ୍ କାର୍ୟ୍ଯ ପୂରା କୀଜିୟେ,
ତୈଲ୍-ପୂର୍ଣ ପାତ୍ର ୟହ ଲେକର୍,
ପ୍ରଦକ୍ଷିଣ କର ଆଇଏ ଭୂମଣ୍ଡଲ୍ କୀ
ଧ୍ୟାନ ରହେ ସବିଶେଷ,
‘ଏକ୍ ବୃଦ୍ ଭୀ ଇସ୍ ସେ ତେଲ୍ ନ ଗିର୍ନେ ପାଏ
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ପ୍ରଭୁ ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦକୁ କହିଲେ ‘ହେ ନାରଦ ଏକ ଅନ୍ୟ ଜରୁରୀ ତେଲ୍ ନ ଗିନେ ପାଏ ।’ କାମ ଆସି ପହଞ୍ଚିଛି ଯାହାକୁ ତୁମ ବିନା କେହି କରିପାରିବେ ନାହିଁ । ଏହି ସାଧାରଣ ବିଷୟରେ ପରେ ତର୍କ ହେବ ମାତ୍ର ତାହା ପୂର୍ବରୁ ଏହି ଜରୁରୀ କାର୍ଯ୍ୟଟିକୁ ପୂରାକରି ଦିଅନ୍ତୁ । ଏହି ତୈଳପୂର୍ଣ୍ଣ ପାତ୍ରଟି ନେଇ ସାରା ବିଶ୍ଵ ବୁଲିଆସ। ଯେପରି ଧ୍ୟାନ ରଖୁଥିବ ଏଥିରୁ ର୍ବୁଦେ ହେଲେ ତେଲ ତଳେ ପଡ଼ିବ ନାହିଁ ।’’
लेकर चले नारदजी, आज्ञा पर धृतलक्ष्य।
एक बूँद तेल इस पात्र से गिरे नहीं।
योगिराज जलद ही
बिश्व-पर्यटंन करके लौटे बैकुण्ठ को।
तेल एक बूँद भी उस पात्र से गिरा नहीं।
उह्लास मन में भरा था यह सोचकर,
तेल का रहस्य एक अबगत होगा नया।
ଲେକର୍ ଚଲେ ନାରଦ୍, ଆଜ୍ଞା ପର୍ ଧୃତଲକ୍ଷ୍ୟ।
ଏକ ବୃଦ୍ ତେଲ୍ ଇସ୍ ପାତ୍ର ସେ ଗିରେ ନହୀ ।
ୟୋଗିରାଜ୍ ଜଦ୍ ହୀ
ବିଶ୍ୱ-ପର୍ଯଟନ କରକେ ଲୌଟେ ବୈକୁଣ୍ଠ କୋ ।
ତେଲ୍ ଏକ୍ ବୃଦ୍ ଭୀ ଉସ୍ ପାତ୍ର ସେ ଗିରା ନହିଁ ।
ଉଲ୍ଲାସ୍ ମନ୍ ମେଁ ଭରା ଥା ୟହ ସୋର୍ର୍,
ତେଲ୍ କା ରହସ୍ୟ ଏକ୍ ଅବଗତ୍ ହୋଗା ନୟା ।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ମହାତ୍ମା ନାରଦ ତୈଳପୂର୍ଣ ପାତ୍ରକୁ ଧରି ଏକଲୟରେ ଚାଲିଲେ ଯେପରିକି ବୁନ୍ଦେ ହେଲେ ତୈଳ ତଳେ ପଡ଼ିବ ନାହିଁ । ଖୁବ୍ ଶୀଘ୍ର ଯୋଗିରାଜ ଦେବଶ୍ରୀ ବିଶ୍ବ ପରିଭ୍ରମଣ କରି ବୈକୁଣ୍ଠପୁରକୁ ଫେରିଆସିଲେ । ପାତ୍ରରୁ ବୁନ୍ଦେ ହେଲେ ତେଲ ମଧ୍ଯ ତଳେ ପଡ଼ିଲା ନାହିଁ । ଖୁସି ମନରେ ନାରଦ ଭାବୁଥିଲେ ଯେ ଏହି ତେଲର ରହସ୍ୟ ଏକ ନବୀନ ତଥ୍ୟ ପ୍ରଦାନ ।
नारद को देखकर बिष्णु भगवान ने
बैठाया स्नेह से कहा,
‘बतलाओ पांत्र लेकर जाते समय कितनी बार
नाम इष्ट का लिया ?’
‘एक बीर भी नहीं,
शंकित हदय से कहा नारद ने बिष्णु से,
‘काम तुम्हारा ही था,
ध्यान उसीसे लगा, नाम फिर क्या लेता और’ ?
बिष्णु ने कहा, ‘नारद’ !
उस किसान का भी काम मेरा दिआ हुआ है,
उत्तरदायित्व कई लदे हैं एक साथ
सबको निभाता और काम करता हुआ,
नाम भी वह लेता है, इसी से है, प्रियतम।
नारद लज्जित हुए, कहा, ‘यह सत्य है ।’
ନାରଦ୍ କୋ ଦେଖକର୍ ବିଷ୍ଣୁ ଭଗବାନ୍ ନେ
ବୈଠାୟା ସ୍ନେହ ସେ କହା,
‘ବଲାଓ ପାତ୍ର ଲେକର୍ ଜାତେ ସମୟ କିନୀ ବାର୍
ନାମ୍ ଇଷ୍ଟ କା ଲିୟା ?’
ଏକ୍ ବାର୍ ଭୀ ନହିଁ,
ଶଂକିତ୍ ହୃଦୟ ସେ କହା ନାରଦ୍ ନେ ବିଷ୍ଣୁ ସେ,
‘କାମ୍ ତୁମ୍ହାରା ହୀ ଥା,
ଧ୍ୟାନ ଉସୀସେ ଲଗା, ନାମ୍ ଫିର୍ କ୍ୟା ଲେତା ଔର୍’ ?
ବିଷ୍ଣୁ ନେ କହା, ‘ନାରଦ୍’ !
ଉସ୍ କିସାନ୍ କା ଭୀ କାମ୍ ମେରା ଦିଆ ହୁଆ ହୈ,
ଉତ୍ତରଦାୟିତ୍ଵ କଈ ଲଦେ ହେଁ ଏକ୍ ସାଥ୍,
ସର୍ ନିଭାତା ଔର୍ କାମ କର୍ତା ହୁଆ,
ନାମ୍ ଭୀ ୱହ ଲେତା ହୈ, ଇସୀ ସେ ହୈ, ପ୍ରିୟତମ୍ ।
ନାରଦ୍ ଲଜିତ୍ ହୁଏ, କହା, ‘ୟହ ସତ୍ୟ ହୈ ।’
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦକୁ ଦେଖ୍ ପାଖରେ ଆଦରର ସହିତ ବସାଇ କହିଲେ, ତୈଳପୂର୍ଣ ପାତ୍ର ନେଇଯିବା ସମୟରେ କେତେଥର ଇଷ୍ଟଙ୍କ ନାମ ଜପିଛ କୁହ । ନାରଦ ଶଙ୍କା ସହିତ ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କୁ କହିଲେ ଯେ ସେ ଥରେ ବି ଭଗବାନଙ୍କ ନାମ ଜପି ନାହାଁନ୍ତି, କାରଣ ଭଗବାନଙ୍କ କାମରେ ସେ ଯାଇଥିଲେ ଯେଉଁଥିରେ କି ତାଙ୍କର ମନ ଧ୍ୟାନ ଲାଗି ରହିଥିଲା। ତେଣୁ ସେ ନାମ ଜପି ପାରିଲେ ନାହିଁ । ସର୍ବଶେଷରେ ଭଗବାନ ବିଷ୍ଣୁ ନାରଦକୁ କହିଲେ, ସେହି କୃଷକକୁ ମଧ୍ଯ ସେ କାମ ଦେଇଛନ୍ତି, ବହୁତ କିଛି ଦାୟିତ୍ୱ ତା’ ଉପରେ ନ୍ୟସ୍ତ କରିଛନ୍ତି, ଯାହା କୃଷକକୁ ପୂରା କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ସେଥିପାଇଁ ସେ ସର୍ବଶ୍ରେଷ୍ଠ ଭକ୍ତ । ପରିଶେଷରେ ନାରଦ ଲଜ୍ଜିତ ହୋଇ ଏହା ସତ୍ୟ ବୋଲି ସ୍ବୀକାର କରିଥିଲେ।
शबनार: (ଶରାର୍ଥି)
मृत्युलोक – पृथ्वी, संसार (ପୃଥିବୀ, ସଂସାର)
पुण्यश्लोक – पवित्र यश वा कीर्त्तिवाल (ପବିତ୍ର ଯଶ ବା ଖତି ସମ୍ପନ୍ନ ବ୍ୟକ୍ତି)
प्राणों से प्रियतम – जीवन से भी प्यारा। (ଜୀବନଠାରୁ ଅଧିକ ପ୍ରିୟା)
स्मरण – याद (ସ୍ମୃତି)
चकराना – हैरान होना, चकित होना (ବିସ୍ମିତ ହେବା)
दिवा-रात्रि – दिन-रात (ଦିନ ରାତି)
सविशेष – आवश्यक, जरूरी (ଆବଶ୍ୟକ)
तैलपूर्ण – तेल से भरा (ତେଲ ପୂର୍ଣ୍ଣ)
प्रदक्षिणा – चक्कर लगाना (ପରିକ୍ତିମା)
घृतलक्ष्य – लक्ष्य में लगा (ପରିକ୍ରମା କରିବା, ଏଠାରେ ବିଶ୍ବକୁ ଭ୍ରମଣ କରି ଆସିବା) ।
पर्यटन – यात्रा (ଯାତ୍ରା, ଏଠାରେ ଯୋଗିରାଜ ନାରଦଜୀଙ୍କ ବିଶ୍ବ ପରିଭ୍ରମଣକୁ ଯାତ୍ରା ରୂପେ
वैकुण्ठ – स्वर्ग। (ସ୍ଵର୍ଗ) ।
उल्लास – हर्ष। ହର୍ଷ ଆନନ୍ଦ
अवगत – मालूम होना (ଅବଗତ ହେବା) ।
इष्ट – अभिलाषित, वांछित (ବାଞ୍ଛିତ) ।
उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी (ଉତ୍ତରଦାୟିତ୍ଵ) ।
निभाना – पूरा करना (ଶେଷ କରିବା) ।
लज्जित – शर्मिन्दा। (ଲଜ୍ଜା, ସରମ ) ।
कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक नगर में सन् 1897 ई. में हुआ था। पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई। उनका जीवन अभावों और बिपत्तियों से पीड़ित रहा। लेकिन उन्होंने किसी बिपत्ती के सामने झुकना नहीं सीखा। हमेशा संघर्ष करते रहे। जिन्दगी भर गरीबी में दिन काटे। लेकिन बड़े दानी थे और बड़े स्वाभिमानी भी। वे हिन्दी, संस्कृत, बंगला आदि अनेक भाषाओं के पंडित थे। संगीत के अच्छे जानकार थे। वे छायावादी युग के कवि थे। उन्होंने मुक्त छन्द में कविता लिखना भी आरंभ किया।
प्राकृतिक दृश्यों, मानवीय भावों तथा भारतीय संस्कृति को अपने काव्यों का विषय बनाया। अन्याय, अत्याचार व संकीर्णता के प्रति सदा विद्रोही बने रहे। परंपरा से हटकर उन्होंने नूतनता को अपनाया। दीन-दुःखी – पीड़ित जनता के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। उनकी कविता में जीवन-संग्राम में लड़ने की प्रेरणा निहित है। एक दिन बिष्णु के पास गये नारदजी, पूछा, ‘मृत्युलोक में वह कौन है पुण्यश्लोक भक्त तुमहारा प्रधान’? बिष्णुजी ने कहा