BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(d) रहीम के दोहे

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(d) रहीम के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem1(d) रहीम के दोहे

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) तरुवर और सरवर क्या करते हैं?
(ତରୁୱର୍‌ ଔର୍ ସର୍‌ବର୍ କ୍ୟା କର୍‌ତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
तरुवर और सरवर दोनों दूसरों का उपकार करते हैं। तरुवर अपने फल से दूसरों की भूख मिटाता है। सरवर अपने जल से दूसरों की प्यास बुझाता है। ये दोनों क्रमशः दूसरों के लिए फल और पानी की बचत करते हैं।

(ख) शिवि राजा ने क्यों मांस दान दिया?
(ଶିୱି ରାଜା ନେ କ୍ୟା ମାଂସ୍ ଦାନ୍ ଦିୟା ?)
उत्तर:
शिवि एक परोपकारी राजा थे। एक कबूतर की जान बचाने के बदले में राजा शिवि ने कबूतर के वजन के बराबर अपना मांस बाज पक्षी के माँगने पर दान में दिया।

(ग) छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए – क्यों?
(ଛୋଟୋ କୀ ଅହେଲନା ନହିଁ କର୍‌ନୀ ଚାହିଏ କୈ ?)
उत्तर:
छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि छोटे और बड़े दोनो का अलग-अलग महत्व होता है। इसके लिए कवि ने सुई और तलवार का उदाहरण दिया है। जो काम सुई कर सकती है वही काम तलवार नहीं कर सकती। इसलिए दोनों का आदर करना चाहिए।

(घ) ऋषि दधीचि ने किसलिए हाड़ या अस्थि दान दिया था?
(ଋଷି ଦଧୀଚି ନେ କିସ୍‌ଏ ହାଡ଼ ୟା`ଅସ୍ଥି ଦାନ ଦିୟା ଥା ?)
उत्तर:
ऋषि दधीचि ने संसार का उपकार करने के लिए और वृत्रासुर के आतंक से मनुष्य और देवताओं की रक्षा के लिए अपना अस्थि दान दिया था। क्योंकि दधीचि एक परोपकारी ऋषि थे। परोपकार के लिए उन्होंने आपना जीवन त्याग दिया था।

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2. निम्नलिखित अवतरणों का आशय दो-तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅତରର୍ଡୋ କା ଆଶୟ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଆଶୟ ଦୁଇ-ତିନିଟି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)

(क) तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पिय हिं न पान।
(ତରୁୱର୍ ଫଲ୍ ନହିଁ ଖାତ୍ ହୈ, ସର୍‌ବର୍ ପିୟ ହିଁ ନ ପାନ୍ ।)
उत्तर:
पेड़ कभी भी अपना फल नहीं खाता है। सरोवर कभी भी अपना जल नहीं पीता है। ये दोनों दूसरों के हित के लिए फल और पानी की बचत करते हैं। फल से दूसरों की भूख मिटती है और पानी से प्यास बुझती है।

(ख) जहाँ काम आवै सुई, कहा करैं तरवारि
(କାମ ଆ ସୁଈ, କହା କରି ତରୱାରି)
उत्तर:
कवि रहीम के अनुसार अगर बड़े लोग आपके मित्र हैं तो छोटे लोगों को छोड़ मत दीजिए। समाज में दोनों का अलग-अलग महत्व होता है। कवि सुई और तलवार का उदाहरण देकर कहा है कि जहाँ छोटी सी सुई काम कर सकती है वहाँ तलवार काम नहीं कर सकती।

(ग) मांस दियो शिवि भूप ने, दीन्हों हाड़ दधीचि।
(ମାଂସ୍ ଦିୟୋ ଶିୱି ଭୂପ୍ ନେ, ଦୀର୍ଣ୍ଣୋ ହାଡ଼ ଦଧୀଚି ।)
उत्तर:
शिवि राजा ने परोपकार के लिए अपना मांस अपरिचित बाज को दे दिया। ऋषि दधीचि ने देवताओं की मदद के लिए अपनी अस्थी दान में दे दिया। इसमें दोनों को किसी लाभ की आशा नहीं थी, केवल परोपकार की भावना थी।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ବାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) तरुवर क्या नहीं खाता है?
(ତରୁୱର୍‌ କ୍ୟା ନହିଁ ଖାତା ହୈ ?)
उत्तर:
तरुवर फल नहीं खाता है।

(ख) सरवर क्या नहीं पीता है?
(ସର୍‌ୱର୍‌ କ୍ୟା ନହୀ ପୀତା ହୈ ?)
उत्तर:
सरवर पानी नहीं पीता है।

(ग) सुजान किसलिए संपत्ति का संचय करता है?
(ସୁଜାନ୍ କିସ୍‌ଏ ସଂପରି କା ସଂଚୟ କର୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
सुजान परोपकार के लिए संपत्ति का संचय करता है।

(घ) बड़े लोगो को देखकर लघु का क्या नहीं करना चाहिए?
(ବଡ଼େ ଲୋଗୋ କୋ ଦେଖ୍କର୍ ଲଘୁ କା କ୍ୟା ନହୀ କର୍‌ନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
बड़े लोगों को देखकर छोटों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।

(ङ) सुई की जगह अगर तलवार मिलजाए तो काम होगा या नहीं?
(ସୁଈ କୀ ଜଗହ ଅଗର୍ ତଲୱାର୍ ମିଯାଏ ତୋ କାମ୍ ହୋଗା ୟା ନହୀଁ ?)
उत्तर:
सुई की जगह अगर तलवार मिल जाए तो काम नहीं होगा।

(च) परोपकार करते समय क्या जरुरी नहीं है?
(ପରୋପକାର୍ କର୍‌ତେ ସମୟ କ୍ୟା ଜରୁରୀ ନହୀ ହୈ ?)
उत्तर:
परोपकार करते समय मित्रता जरुरी नहीं है।

(छ) शिवि भूप ने क्या दान दिया था?
(ଶିଵି ଭୂପ୍ ନେ କ୍ୟା ଦାନ୍ ଦିୟା ଥା ?)
उ:
शिवि भूप ने मांस दान दिया था।

(ज) किसने अपनी हहड्डियों का दान दिया था?
(କୀସ୍‌ ଅପନୀ ହଙ୍ଗିର୍ଲୋ କା ଦାନ୍ ଦିୟା ଥା ?)
उत्तर:
ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियों का दान दिया था।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. नीचे लिखे शब्दों के खड़ीबोली- रूप लिखिए:
(ନୀଚେ ଲିଖେ ଶହେଁ। କେ ଖଡ଼ୀବୋଲୀ-ରୂପ୍ ଲିଖିଏ: )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଖଡ଼ୀବୋଲୀ ରୂପ ଲେଖ ।)
नहिं, सरवर, पिय, पान, तलवारि काज
उत्तर:
नहिं – नहीं
पिय – पी
तलवार – तलवार
सरवर – सरोवर
पान – पानी
काज – काम

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2. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ୱିପରୀତ୍‌ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
पर, हित, सुजान, बड़ा, लघु, उपकार
उत्तर:
पर – निज
सुजान – दुर्जन
लघु – गुरु
हित – अहित
बड़ा – छोटा
उपकार – अपकार

3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶହେଁ। କେ ସମାନାର୍ଥକ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସମାନାର୍ଥକ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
सरवर, तरु, पान, संपत्ति, सुजान, लघु, तलवारि, भूप, यारी, हाड़
उत्तर:
सरवर – तालाब
पान – पानी/जल
सुजान – सज्जन
तलवारि – तलवार/असि
यारी – दोस्ती/मित्रता
तरू – वृक्ष/पेड़
संपत्ति – धन/दौलत
लघु – क्षुद्र/छोटा
भूप – राजा/सम्राट
हाड़ – अस्थि

4. निम्नलिखित शब्दों के लिंग निर्णय कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ ନିର୍ଣ୍ଣୟ କର ।)
फल, संपत्ति, सुई, तलवार, मांस
उत्तर:
फल – पुंलिंग
संपत्ति – स्त्रीलिंग
सुई – स्त्रीलिंग
तलवार – स्त्रीलिंग
मांस – पुंलिंग

5. ‘को’ परसर्ग का प्रयोग करके पाँच वाक्य बनाइए।
(‘କୋ’ ପରସର୍ଗ କା ପ୍ରୟୋଗ୍ କର୍‌କେ ପାଞ୍ଚ୍ ବାକ୍ୟ ବନାଇଏ।)
(‘କୋ’ ପରସର୍ଗ ଲଗାଇ ପାଞ୍ଚଟି ବାକ୍ୟ ଗଠନ କର।)
जैसे – राम को किताब दो।
उत्तर:

  1. मुझको जाने दो।
  2. भिखारी को भिख दो।
  3. अर्चना को किताब लाकर दो।
  4. राकेश को कलम दो।
  5. राम ने श्याम को पुस्तक दी।

Very Short & Objective Type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
रहिम का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
रहिम का पूरा नाम अव्दुल रहिम खानखान था।

प्रश्न 2.
रहिम कौन थे?
उत्तर:
रहिम का पूरा नाम अव्दुल रहिम खानखान था।

प्रश्न 3.
तलवार किस जगह काम में नहीं आ सकती?
उत्तर:
जिस जगह पर सुई काम में आती है वहाँ तलवार काम में नहीं आ सकती।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।

प्रश्न 1.
बड़े को देखकर किसे नहीं डाल देना चाहिए?
उत्तर:
लघु को

प्रश्न 2.
रहीम के अनुसार दूसरों की भलाई के लिए सज्जन क्या करता है?
उत्तर:
संपत्ति संचय करता है

प्रश्न 3.
सज्जन संपत्ति का संचय क्यों करते हैं?
उत्तर:
परोपकार के लिए उ-शिवि ने

प्रश्न 4.
परोपकार के लिए किसने मांस का दान दिया था?
उत्तर:
शिवि ने

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प्रश्न 5.
परोपकार करते समय क्या नहीं विचार करना चाहिए?
उत्तर:
दोस्त है या नहीं

प्रश्न 6.
वृत्रासुर जिस अस्त्र से मारा गया, उस अस्त्र का नाम क्या था?
उत्तर:
बज्र

प्रश्न 7.
सरोवर क्या पीता नहीं है?
उत्तर:
जल

प्रश्न 8.
परोपकार को कवि रहीम ने कैसा कार्य कहा है?
उत्तर:
महान

प्रश्न 9.
पेड़ क्या नहीं खाता है?
उत्तर:
फल

प्रश्न 10.
सुई की जगह क्या इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ?
उत्तर:
तलवार

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
बड़े को पाकर लघु को ………………..
उत्तर:
नहीं त्यानना चाहिए

प्रश्न 2.
………………… की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
उत्तर:
छोटों की

प्रश्न 3.
कवि रहीम के अनुसार समाज में जिन दोनों का महत्व है वे…………………. हैं।
उत्तर:
बड़े-छोटे

प्रश्न 4.
राजा शिवि ने बाज की रक्षा के लिए ………………….. दिया था।
उत्तर:
मांस

प्रश्न 5.
सरोवर ………………… नहीं पीता है ?
उत्तर:
जल

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प्रश्न 6.
………………….. से बने बज्र से वृत्रासुर मारा गया?
उत्तर:
हड़ी

प्रश्न 7.
सुजान ……………….. लिए संपत्ति का संचय करता है?
उत्तर:
परहित

प्रश्न 8.
‘जहाँ काम आवै सुई…………………’ इस अधूरी पंक्ति के कवि हैं।
उत्तर:
रहीम

प्रश्न 9.
ऋषि दधीचि ने जिसकी मृत्यु का कारण बना वह ………………….. था।
उत्तर:
वृत्रासुर

प्रश्न 10.
………………….. की सहायता करना परोपकार है।
उत्तर:
दूसरों

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
ऋषि दधीचि ने दान में हड्डी दिया था।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 2.
काश्यप परोपकारी ऋषि थे।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 3.
सुजान संपत्ति की बचत अपने लिए करते हैं।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 4.
राजा शिवि ने अपरिचित बाज पक्षी को दान में अपने शरीर का मांस दिया था
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 5.
परोपकार करते समय शत्रुता जरुरी नहीं है?
उत्तर:
भूल

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प्रश्न 6.
दधीचि की हड्डियों से बज्र बना।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 7.
बड़ो की अवहेलना नहीं करना चाहिए।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 8.
पेड़ अपना फल दूसरों के लिए छोड़ देता है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 9.
परोपकार करते समय अपना पराया बिचार करना चाहिए।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 10.
सरवर का अर्थ है नदी।
उत्तर:
भूल

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQs)

1. बड़े को देखकर किसे नहीं डाल देना चाहिए?
(A) गुरु को
(B) मँझले को
(C) लघु को
(D) शिष्य को
उत्तर:
(C) लघु को

2. रहीम के अनुसार दूसरों की भलाई के लिए सज्जन क्या करता है?
(A) फल नहीं खाता है
(B) पानी नहीं पीता है
(C) संपत्ति संचय करता है
(D) मांस देता है
उत्तर:
(C) संपत्ति संचय करता है।

3. सज्जन संपत्ति का संचय क्यों करते हैं?
(A) भविष्यत् के लिए
(B) सुख-शांति के लिए
(C) दान-पुण्य के लिए
(D) परोपकार के लिए
उत्तर:
(D) परोपकार के लिए

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4. परोपकार के लिए किसने मांस का दान दिया था?
(A) दधीचि ने
(B) पुरोचन ने
(C) शिवि ने
(D) राजा अजं ने
उत्तर:
(C) शिवि ने

5. इनमें से कौन भूप हैं?
(A) दधीचि
(B) शिवि
(C) वसिष्ठ
(D) बलराम
उत्तर:
(B) शिवि

6. ऋषि दधीचि ने दान में दिया था।
(A) हड्डी
(B) पसली
(C) हाथ
(D) अस्त्र
उत्तर:
(A) हड्डी

7. बड़े को पाकर लघु को ।
(A) देखना चाहिए
(B) छोड़ना चाहिए
(C) नहीं यानना चाहिए
(D) त्यागना चाहिए
उत्तर:
(C) नहीं यानना चाहिए

8. परोपकार करते समय क्या नहीं विचार करना चाहिए।
(A) दोस्त है या नहीं
(B) धनी है या गरीब
(C) पंडित है या मूर्ख
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) दोस्त है या नहीं

9. राजा शिवि ने अपरिचित बाज पक्षी को दान में दिया था।
(A) अपने शरीर का मांस
(B) अपने शरीर का खून
(C) अपने शरीर का अंश
(D) अपने शरीर की हहीड
उत्तर:
(A) अपने शरीर का मांस

10. परोपकारी ऋषि थे।
(A) वशिष्ट
(B) दधीचि
(C) बाल्मीकि
(D) काश्यप
उत्तर:
(B) दधीचि

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11. वृत्रासुर जिस अस्त्र से मारा गया, उस अस्त्र का नाम था।
(A) ब्रह्म
(B) नाग
(C) बज्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) बज्र

12. किससे बने बज्र से वृत्रासुर मारा गया?
(A) लोहे
(B) पितल
(C) ताँबा
(D) हड्डी
उत्तर:
(D) हड्डी

13. ‘जहाँ काम आवै सुई…………….’ इस अधूरी पंक्ति के कवि हैं।
(A) कबीर
(B) तुलसी
(C) सूर
(D) रहीम
उत्तर:
(D) रहीम

14. किसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए?
(A) बड़ों की
(B) छोटों की
(C) परायों की
(D) दूध की
उत्तर:
(B) छोटों की

15. तरूवर खाता नहीं।
(A) पानी
(B) डाली
(C) फल
(D) जल
उत्तर:
(C) फल

16. सरोवर जो पीता नहीं है, वह है।
(A) जल
(B) दूध
(C) शरवत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) जल

17. सुजान संपत्ति की बचत करते हैं।
(A) अपने लिए
(B) घरवालों के लिए
(C) परोपकार के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) परोपकार के लिए

18. ‘कवि रहीम पर काज हित……………….’ इस अधूरी पंक्ति के रचयिता हैं।
(A) रहीम
(B) कबीर
(C) वृन्द
(D) तुलसी
उत्तर:
(A) रहीम

19. कवि रहीम के अनुसार समाज में जिन दोनों का महत्व है वे हैं।
(A) बड़े-छोटे
(B) छोटे-मोटे
(C) चाचा-भतीजा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बड़े-छोटे

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20. परोपकार को कवि रहीम ने कैसा कार्य कहा है?
(A) बुरा
(B) गंदा
(C) खराब
(D) महान
उत्तर:
(D) महान

21. तलवार और सुई में से बड़ी है।
(A) सुई
(B) तलवार
(C) राक्षस
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) तलवार

22. वृत्रासुर था।
(A) मानव
(B) देवता
(C) दोनों
(D) पशु
उत्तर:
(C) दोनों

23. राजा शिवि ने बाज की रक्षा के लिए दिया था।
(A) पैसा
(B) प्रसाद
(C) मांस
(D) खाना
उत्तर:
(C) मांस

दोहे  (ଦେ।ହେ )

(i) तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिय हिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित संपति संचहि सुजान॥
ତରୁୱର୍ ଫଲ୍‌ ନହୀ ଖାତ୍ ହୈ, ସରୱର୍ ପ୍ରିୟ ହିଁ ନ ପାନ୍।
କହି ରହୀମ୍ ପର୍ କାଜ୍ ହିତ ସଂପତି ସଂଚହି ସୁଜାନ୍ ॥

हिन्दी व्याख्या:
कवि रहीम कहते हैं कि पेड़ कभी अपना फल नहीं खाता। तालाब कभी अपना पानी नहीं पीता है। ये दोनों दूसरों के हित के लिए फल और पानी की बचत करते हैं। फल खाने से दूसरों भूख मिटती है। उसे आनन्द मिलता है। पानी पीने से प्यास मिटती है। सन्तोष होता है। ज्ञानी लोग की परोपकार एक महान कार्य है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଗଛ ନିଜ ଫଳ କେବେ ଖାଏ ନାହିଁ। ପୋଖରୀ କେବେ ତା’ ପାଣି ପିଏ ନାହିଁ। କାରଣ ଏ ଦୁହେଁ ପରର ଉପକାର କରିଥା’ନ୍ତି। ଫଳ ଖାଇବାଦ୍ଵାରା ଅନ୍ୟର ଭୋକ ମେଣ୍ଟେ, ପାଣି ପିଇବାଦ୍ଵାରା ଅନ୍ୟର ଶୋଷ ମେଣ୍ଟେ। ସନ୍ତୋଷ ମିଳିଥାଏ। ଜ୍ଞାନୀ ବ୍ୟକ୍ତି ହେଉଛନ୍ତି ସୁଚିନ୍ତକ। ଏଣୁ ସେ ଅନ୍ୟର ଉପକାର ପାଇଁ ସମ୍ପତ୍ତି ସଞ୍ଚୟ କରିଥା’ନ୍ତି। ଏହାଦ୍ଵାରା ପରର ଉପକାର ହୋଇଥାଏ। କାରଣ ପରୋପକାର ହେଉଛି ଏକ ମହତ୍ କାର୍ଯ୍ୟ।

(ii) रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आबै सुई कहा करै तलवारि॥
ରହିମନ୍ ଦେଖ୍ ବଡ଼େନ କୋ ଳଘୁ ନ ଦୀଜିଏ ଡାରି।
ଜହାଁ କାମ୍ ଆବୈ ସୁଈ କହା କରି ତଲୱାରି॥

हिन्दी व्याख्या: बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। कवि ने उदाहरण देकर कहा है कि जहाँ सुई का काम होता है वहाँ तलवार क्या कर सकती है? इसलिए कवि रहीम कहते हैं कि प्रत्येक वस्तु का अपने अपने स्थान पर महत्व होता है।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବି ରହିମ୍‌ଙ୍କ ଅନୁସାରେ ବଡ଼ ଲୋକଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ମିତ୍ରତା କର; କିନ୍ତୁ ଛୋଟମାନଙ୍କୁ କେବେ ଛାଡ଼ି ଦିଅ ନାହିଁ। ଏହି ସମାଜରେ ଉଭୟଙ୍କର ଅଲଗା ଅଲଗା ମହତ୍ତ୍ଵ ଅଛି। କବି ରହିମ୍ ଗୋଟିଏ ଉଦାହରଣ ଦେଇ କହିଛନ୍ତି ଯେ ଯେଉଁଠି ଛୁଞ୍ଚିର କାମ ଅଛି ସେଠି ଖଣ୍ଡାଦ୍ଵାରା କୌଣସି କାମ ହୋଇପାରିବ ନାହିଁ। ଛୁଞ୍ଚ ଓ ଖଣ୍ଡା ଉଭୟଙ୍କର କାମ ଅଲଗା। ଏଣୁ ଉଭୟଙ୍କୁ ଆଦର କରିବା ଦରକାର।

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(iii) रहिमन पर उपकार के करत न यारी बीच।
मांस दिये शिवि भूप ने, दिन्हीं हाड़ दधीचि॥
ରହୀମନ୍ ପର୍ ଉପକାର୍ କେ କରତ୍ ନ ୟାରୀ ବୀଚ୍।
ମାଂସ ଦିୟେ ଶିୱି ଭୂପ ନେ, ଦିନ୍ଦୀ ହାଡ଼ ଦଧୀଚି ॥

हिन्दी व्याख्या:
कवि रहीम कहते हैं कि केवल जहाँ दोस्ती या मित्रता हो वहाँ उपकार नहीं किया जाता। परोपकार तो किसीके साथ भी किया जा सकता है। हम कहीं भी किसी भी स्थान पर दूसरों की मदद कर सकते हैं। जैसे, राजा शिवि ने अपना मांस अपरिचित बाज पक्षी को दे दिया। ऋषि दधीचि ने देवताओं की मदद के लिए अपनी हड्डियाँ दे दी; उस हड्डी से बज्र बना और देवताओं का शत्रु वृत्रासुर मारा गया। दोनों उदाहरणों से ( राजा शिवि और ऋषि दधीचि) किसी लाभ की आशा न थी, केवल परोपकार की भावना थी।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ :
କବି ରହିମ୍ କହୁଛନ୍ତି ଯେଉଁଠି ମିତ୍ରତା ଅଛି ସେଠି ଉପକାର କରାଯାଏ ନାହିଁ। ପରୋପକାର ଯେକୌଣସି ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ସହିତ କରାଯାଇ ପାରିବ। ଆମେ ଯେକୌଣସି ସମୟରେ ଯେକୌଣସି ଜାଗାରେ ଅନ୍ୟର ଉପକାର କରିପାରିବା। ଯେପରି ଶିବି ରାଜା ଗୋଟିଏ ଅପରିଚିତ ବାଜପକ୍ଷୀକୁ ନିଜର ମାଂସ ଦାନ କରିଦେଲେ। ଦଧୂ ଋଷି ଦେବତାଙ୍କ ମଙ୍ଗଳ ପାଇଁ ନିଜର ଅସ୍ଥି ଦାନ କରିଦେଲେ। ସେହି ଅସ୍ଥିରେ ବଜ୍ର ନାମକ ଅସ୍ତ୍ର ନିର୍ମାଣ କରି ବୃତ୍ରାସୁରକୁ ଦେବତାମାନେ ମାରିଥିଲେ। ଏଥିରେ ଦଧୂଙ୍କର କୌଣସି ସ୍ବାର୍ଥ ନଥିଲାବେଳେ ପରୋପକାରର ଭାବନା ନିହିତ ଥିଲା।

शिवि (ଶିତି)

पुराने जमाने में शिवि नामक एक राजा थे। वे बड़े रोपकारी थे। एकबार बाज पक्षी से डरकर एक कबूतर उनकी शरण में आई। राजा ने उसे शरण दे दी। उसको खाने वाला भूखा बाज उसके पीछे-पीछे आकर अपने आहार के लिए राजा से कबूतर माँगा। उसके बदले राजा शिवि ने उसे अच्छे खाद्य देने को कहा। पर बाज राजी नहीं हुआ। उसने राजा से कबूतर के बराबर मांस माँगा। अन्त में राजा ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपने शरीर से मांस काट कर भूखे बाज को दे दिया था। आखिरकार वे तराजू पर बैठ गए। अपना पूरा बलिदान कर दिया।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଶିବି ଜଣେ ପରୋପକାରୀ ରାଜା ଥିଲେ। ଥରେ ଗୋଟିଏ କପୋତ ବାଜପକ୍ଷୀ କବଳରୁ ନିଜକୁ ବଞ୍ଚାଇବାପାଇଁ ଆସି ତାଙ୍କର ଶରଣାପନ୍ନ ହେଲା। ରାଜା ତାକୁ ଶରଣ ଦେଲେ। ବାଜପକ୍ଷୀ ତା’ର ଖାଦ୍ୟ ପାଇଁ କପୋତଟିକୁ ଛାଡ଼ିବାକୁ କହିଲା। କିନ୍ତୁ ରାଜା ଏଥୁରେ ଅମଙ୍ଗ ହେଲେ ଓ ତା’ର ପ୍ରତିବଦଳରେ ନିଜ ମାଂସକୁ ବାଜପକ୍ଷୀକୁ ଖାଇବାପାଇଁ ଦାନ କରିଦେଲେ।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(d) रहीम के दोहे

दधीचि (ବଧଟି)

दधीचि एक परोपकारी ऋषि थे। वे सरस्वती नदी के किनारे रहते थे। वृत्रासुर नामक एक बड़ा पराक्रमी राक्षस था। उससे मनुष्य क्या देवतागण भी डरते थे। उसके आतंक से स्वर्ग में हाहाकार मच गया। उनसे रक्षा पाने के लिए देवगण भगवान विष्णु के पास पहुँचे। भगवान विष्णु ने सलाह दी कि ऋषि दधीचि की अस्थियों से बज्र बनाया जायेगा। उसी बज्र से ही वृत्रासुर मारा जायेगा। भगवान विष्णु से परामर्श लेकर देवगण ऋषि दधीचि के आश्रम पहुँचे। ऋषि दधीचि ने देवगण का याथाचित आदर सत्कार किया। उनके शुभागमन का कारण पूछा। उनसे सारी बातें सुनकर ऋषि दधीचि ध्यान मुद्रा में बैठ गये। उनकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो गयी। उनकी अस्थियों से बज्र बनाया गया। उस बज्र से वृत्रासुर मारा गया। परोपकारी ऋषि दधीचि ने देवताओं की भलाई के लिए अपनी हड्डियाँ दे दी थीं।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଦଧୂ ଜଣେ ପରୋପକାରୀ ଋଷି ଥିଲେ। ସେ ସରସ୍ୱତୀ ନଦୀକୂଳରେ ରହୁଥିଲେ। ବୃତ୍ରାସୁର ହିଁ ଥରହର ହେଲା। ତା’ ଆତଙ୍କରୁ ରକ୍ଷା ପାଇବାପାଇଁ ଦେବତାମାନେ ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ପାଖକୁ ଗଲେ। ଭଗବାନ୍ ବିଷ୍ଣୁ ପରାମର୍ଶ ଦେଲେ ଯେ ଋଷି ଦଧୂଙ୍କ ଅସ୍ଥିରୁ ବଜ୍ର ନାମକ ଅସ୍ତ୍ର ନିର୍ମାଣ କର। ସେଥ୍ରେ ହିଁ ବୃତ୍ରାସୁରର ମୃତ୍ୟୁ ହେବ। ବିଷ୍ଣୁଙ୍କ ପାଖରୁ ଦେବତାମାନେ ଯାଇ ଋଷି ଦଧୂଙ୍କ ଆଶ୍ରମରେ ପହଞ୍ଚିଲେ। ଋଷି ଦେବତାମାନଙ୍କୁ ସ୍ଵାଗତ କରିବା ସହ ଆସିବାର କାରଣ ପଚାରିଲେ। ସବୁକଥା ଶୁଣିସାରି ସେ ଧ୍ୟାନମୁଦ୍ରାରେ ବସିଗଲେ। ତାଙ୍କ ଆତ୍ମା ପରମାତ୍ମାରେ ଲୀନ ହୋଇଗଲା। ତାଙ୍କ

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

तरुवर – पेड़ (ଗଛ )।

सरवर – तालाब (ପୋଖରୀ)।

पान – पानी (ପାଣି)।

पर – दूसरा/अन्य (ପର/ଅନ୍ୟ)।

संचहि – एकत्रित करना (ସଂଗ୍ରହ କରିବା)

देखि – देखकर (ଦେଖିକରି)

लघु – छोटा (ଛୋଟ)।

आवै – आए (ଆସେ)।

कहा – कहाँ (ଙ୍କେଉଁଠି)।

यारी – दोस्ती (ମିତ୍ରତା)।

दिये – दिया (ଦେଲେ)।

भूप – राजा (ରାଜା)।

दधीचि – दधीचि ऋषि (ରକ୍ଷିକତି)।

खात – खाता (ଖାଏ)।

पिय – पीना (ପିଚ୍ଚବା )।

कहि – कहता

काज – काम (बाभ)।

सुजान – उत्तम लोग (କଢିବା )।

बड़ेन – बड़ा (ବଢ଼)।

डारि – डारना (ଛଡ଼ିତା)।

सुई – ईछ। (ଛଞ୍ଚି)।

तलवारि – तलवार (ଖଶ)।

बीच – मध्य (ମଧ୍ୟ)।

शिवि – राजा शिवि (ଣିଚି ରାଜା)।

दिन्ही – दिया (ଦେଲେ)।

कवि परिचय

रहीम का पूरानाम अब्दुर्रहीम खानखाना है। उनका जन्म सन् 1556 में हुआ था। वे अकबर के अभिभावक बैरम खाँ के पुत्र थे। शाही महल में उनका बचपन बीता। बाद में उन्हें गुजरात की सूबेदारी मिलीं। रहीम अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत और हिन्दी के अच्छे जानकार थे। वे हिन्दू संस्कृति और भक्ति-भावना से प्रभावित थे। उन्होंने दरबार का शाही ठाट देखा। वे बड़े पद पर काम करते थे। लेकिन उनमें गर्व का नाम न था। आम जनता के जीवन को देखा था।

रहीम एक सहृदय, स्माभिमानी, वीर और दानी व्यक्ति थे। साधारण मानव के प्रति उनके मन में बड़ा प्रेम था। उनके दोहों में अनुभूति की गहराई मिलती है। भक्ति, नीति, वैराग्य, शृंगार जैसी बातें उनकी रचनाओं में पायी जाती हैं। रहीम काव्य के कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें रत्नावली, रहीम विलास प्रामाणिक हैं।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

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BSE Odisha Class 10 Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

→ ଉପକ୍ରମ (Introduction) :

  • ‘‘ଜୀବନ ପ୍ରକ୍ରିୟା’ର ଗୁରୁତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ଣ ପ୍ରକ୍ରିୟା ହେଉଛି ପୋଷଣ । ଶରୀରର ଅଭିବୃଦ୍ଧି ଓ ବିଭିନ୍ନ କ୍ଷୟକ୍ଷତିର ପୂରଣ ପାଇଁ ଖାଦ୍ୟର ଆବଶ୍ୟକତା ରହିଛି ।

→ ପୋଷଣ (Nutrition) :

  • ଖାଦ୍ୟରୁ ଶକ୍ତି ନିର୍ଗତ ହୋଇଥାଏ । ଆବଶ୍ୟକ ଶକ୍ତି ଜୀବର ବାହ୍ୟ ପରିବେଶରୁ ଖାଦ୍ୟ ପରିବହନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ସମ୍ପାଦିତ ହୁଏ, ତାହାକୁ ପୋଷଣ କୁହାଯାଏ ।
  • ଖାଦ୍ୟରୁ ଶକ୍ତି ନିର୍ଗତ ହୋଇଥାଏ । ଆବଶ୍ୟକ ଶକ୍ତି ଜୀବର ବାହ୍ୟ ପରିବେଶରୁ ମିଳିଥାଏ । ଯେଉଁ ପ୍ରକ୍ରିୟାଦ୍ଵାରା ଜୀବର ବାହ୍ୟ ପରିବେଶରୁ ଅନ୍ତର୍ଦ୍ଦେଶକୁ  ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟ ପରିବହନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ସମ୍ପାଦିତ ହୁଏ, ତାହାକୁ ପୋଷଣ କୁହାଯାଏ।
  • ଶରୀରରେ ହେଉଥ‌ିବା ସମସ୍ତ ଜୈବରାସାୟନିକ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଯୋଗୁଁ ଜୀବନର ଧାରା ଅବ୍ୟାହତ ରହିଥାଏ ।
  • ଜୀବ ଶରୀରରେ ଶକ୍ତି ଆହରଣ ଓ ଉପାଦାନ ସଂଗ୍ରହ, ପୋଷଣ ମାଧ୍ୟମରେ ହୋଇଥାଏ ।
  • ସବୁଜ ଉଭିଦ ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ନିଜ ଖାଦ୍ୟ ନିଜେ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିଥାଏ ଓ ପରିବେଶରୁ ଆବଶ୍ୟକ ପୋଷକ ମଧ୍ୟ ଗ୍ରହଣ କରିଥାଏ ।
  • ପ୍ରାଣୀ ଓ ଅନ୍ୟସବୁ ଜୀବ ଖାଦ୍ୟ ପାଇଁ, ଉଭିଦ ଉପରେ ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷ ବା ପରୋକ୍ଷ ଭାବରେ ନିର୍ଭରଶୀଳ ଅଟନ୍ତି । ଉପାଦାନରେ ପରିଣତ ହୋଇ ସବୁ ଅଙ୍ଗ-ପ୍ରତ୍ୟଙ୍ଗରେ ଉପଲବ୍‌ଧ ହୋଇଥାଏ ।
  • ସରଳ ଖାଦ୍ୟର ଦହନ ଓ ଜାରଣ ଘଟି ଶକ୍ତି ମୋଚିତ ହୋଇଥାଏ ।
  • ଶକ୍ତିମୋଚନ ଏକ ତଥାକଥ୍ ଧ୍ୱଂସାତ୍ମକ ପ୍ରକ୍ରିୟା । ଏହା ‘ଅପଚୟ’ର ଉଦାହରଣ ।
  • ଖାଦ୍ୟରୁ ଶରୀର ଗଠନ ପାଇଁ ଆବଶ୍ୟକ ଉପାଦାନ ସୃଷ୍ଟିହେବା ଏକ ଗଠନମୂଳକ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଅଟେ । ଏହାକୁ ‘ଚୟ’ କୁହାଯାଏ । ଚୟ ଓ ଅପଚୟର ସମାହାର ହେଉଛି ‘ଚୟାପଚୟ’ (ଚୟାପଚୟ = ଚୟ + ଅପଚୟ) । ଏହା ଜୀବ ଶରୀରରେ ସବୁବେଳେ ଚାଲିଥାଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

→ ଖାଦ୍ୟର ପ୍ରକାରଭେଦ (Types of food) :

  • ରାସାୟନିକ ଗଠନ, କାର୍ଯ୍ୟ ଓ ଶକ୍ତି ପ୍ରଦାନକାରୀ ତଥା ଶରୀର ଗଠନକାରୀ କ୍ଷମତା ଉପରେ ନିର୍ଭରକରି ଖାଦ୍ୟକୁ ମୁଖ୍ୟତଃ 6 ଭାଗର ବିଭକ୍ତ କରାଯାଇଛି । ଯଥା – ଶ୍ଵେତସାର, ପୁଷ୍ଟିସାର, ସ୍ନେହସାର, ଧାତୁସାର, ଭିଟାମିନ୍ ଏବଂ ଜଳ ।

→ ଶ୍ଵେତସାର (Carbohydrates) :

  • ଆମେ ଖାଉଥ‌ିବା ଖାଦ୍ୟର ପ୍ରଧାନ ଶ୍ଵେତସାର ହେଉଛି ଶର୍କରା ଓ ମଣ୍ଡଦ ।
  • ଶ୍ଵେତସାରରୁ ଆମେ ସହଜରେ ଶକ୍ତି ଆହରଣ କରିଥାଉ ।
  • ଗୁ କୋଜି (C6 H8 O6)ରେ ରହିଛି କାର୍ବନ, ଉଦଜାନ ଏବଂ ଅମ୍ଳଜାନ ।
  • କୋଷୀୟ ଶ୍ୱସନ ବେଳେ ଗ୍ଲୁକୋଜର ଜାରଣ ଫଳରେ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଓ ଜଳ ସୃଷ୍ଟି ହେବା ସହିତ ଶକ୍ତି ନିର୍ଗତ ହୋଇଥାଏ ।
    CH2O + 6O2 → 6CO2 + 6HO + ଶକ୍ତି
  • ଏକ ଗ୍ରାମ୍ ଶ୍ଵେତସାରରୁ ପ୍ରାୟ 16 କିଲୋ ଜୁଲ (KJ) ଶକ୍ତି ନିର୍ଗତ ହୋଇଥାଏ ।

I. ଆଳୁ, ଭାତ ଓ ରୁଟିରେ ଥ‌ିବା ଶ୍ଵେତସାର ମଣ୍ଡଦ ଅଟେ ।
II. ଚିନି ଓ ଗୁଡ଼ରେ ଥ‌ିବା ଶ୍ଵେତସାର ସୁକ୍ରୋଜ ଅଟେ ।
III. ଫଳରସ ଓ ପନିପରିବାରେ ଥିବା ଶ୍ଵେତସାର ଗ୍ଲୁକୋଜ ଅଟେ ।

→ ପୁଷ୍ଟିସାର (Protein) :

  • ମାଛ, ମାଂସ, ଅଣ୍ଡାର ଧଳା ଅଂଶ, ଛେନା ଓ କ୍ଷୀର ପରି ପ୍ରାଣିଜ ଦ୍ରବ୍ୟ ଓ ଡାଲି ଜାତୀୟ ଶସ୍ୟ, ସୋୟାବିନ୍ ଆଦିରୁ ଆମେ ଉଭିଦଜାତ ପୁଷ୍ଟିସାର ପାଇଥାଉ ।
  • ବିଭିନ୍ନ କୋଷ ନିକଟରେ ପହଞ୍ଚାଏ । ଶରୀରର ବୃଦ୍ଧି, ନୂତନ କୋଷ ଓ ତନ୍ତୁ ଗଠନ ପାଇଁ ପୁଷ୍ଟିସାର ଏକାନ୍ତ ଆବଶ୍ୟକ ।

→ (Fats / Lipids) :

  • ମାଂସ, କ୍ଷୀର, ଛେନା, ଲହୁଣୀ, ଅଣ୍ଡାର ହଳଦିଆ ଅଂଶ ଓ ତେଲ, ଘିଅରେ ସ୍ନେହସାର ଜାତୀୟ ଖାଦ୍ୟ ରହିଥାଏ । ଶରୀରରେ ସ୍ନେହସାର ଚର୍ବି ଭାବରେ
  • ସଂଚିତ ହୋଇ ରହେ ଓ ଆବଶ୍ୟକ ସ୍ଥଳେ କୋଷୀୟ ଶ୍ଵାସନଦ୍ୱାରା ଏହାର ଜାରଣ ହୁଏ ଓ ଏହା ଶରୀରକୁ ଶକ୍ତି ଯୋଗାଇଥାଏ ।
  • ଚର୍ମତଳେ ଚର୍ବିର ଏକ ଆସ୍ତରଣ ରହିଥାଏ ଓ ଏହା ତାପ ଅପରିବାହୀ ହୋଇଥିବାରୁ ଶରୀରକୁ ଉଷୁମ ରଖିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିଥାଏ । କୋଷଝିଲ୍ଲୀ ଗଠନ ପାଇଁ ଓ ଶକ୍ତି ପାଇଁ ଏହାର ମୁଖ୍ୟ ଭୂମିକା ରହିଛି ।

→ ଧାତୁସାର (Minerals) :

  • ଶରୀର ଗଠନପାଇଁ ବିଭିନ୍ନ ଧରଣର ଧାତୁସାର ଯଥା-ଲୌହ (Fe), କ୍ୟାଲସିୟମ୍ (Ca), ଆୟୋଡ଼ିନ୍ (I), ଫସ୍‌ଫରସ୍ (P), ସୋଡ଼ିୟମ୍‌(Na), ପୋଟାସିୟମ୍ (K) ଆଦି ଆବଶ୍ୟକ ।
  • ଶରୀରର ଆୟନ ସନ୍ତୁଳନ (Ionic balance) ରକ୍ଷା କରିବାରେ ଧାତୁସାରର ପ୍ରମୁଖ ଭୂମିକା ରହିଥାଏ ।

ଶରୀରରେ ଦାନ୍ତ ଓ ହାଡ଼ର ଗଠନ ପାଇଁ କ୍ୟାଲସିୟମ୍ (Ca) ଓ ଲୋହିତ ରକ୍ତ କଣିକା (RBC)ରେ ଥିବା ହିମୋଗ୍ଲୋବିନ୍‌ର ଗଠନ ପାଇଁ ଲୌହ ଆବଶ୍ୟକ ହୋଇଥାଏ ।

→ ଭିଟାମିନ୍ (Vitamins) :

  • କୋଷରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ରାସାୟନିକ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଏନଜାଇମ୍ ସାହାଯ୍ୟରେ ହୋଇଥାଏ ।
  • ଭିଟାମିନ୍ ଅଭାବରୁ ଶରୀରରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ରୋଗ ହୋଇଥାଏ ।
  • ଭିଟାମିନ୍ ଅଭାବରୁ ଶରୀରରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ରୋଗ ହୋଇଥାଏ ।

→ ଜଳ (Water):

  • କୋଷରେ ଥ‌ିବା କୋଷରସ ବା କୋଷ ଜୀବକର ପ୍ରାୟ 70-୨୦ ଭାଗ ଜଳ ଅଟେ ।
  • କୋଷର ସ୍ଥିତି ଓ ଏଥରେ ହେଉଥ‌ିବା ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ପାଇଁ ଜଳ ଏକାନ୍ତ ଆବଶ୍ୟକ ।
  • ଝାଳ, ପରିସ୍ରା ଓ ନିଃଶ୍ବାସରେ ଶରୀରରୁ ଜଳ କ୍ଷୟ ହୋଇଥାଏ, ତାହାର ଭରଣା ପାଇଁ ପ୍ରତିଦିନ ପ୍ରାୟ 3 – 4 ଲିଟର ପାଣି ପିଇବା ଉଚିତ ।
  • ଶରୀରରେ ଜଳୀୟ ଅଂଶ କମିଗଲେ ଶରୀର ଅବଶ ହୋଇଯାଏ ଓ ବିଭିନ୍ନ ଅସୁସ୍ଥତା ଦେଖାଦିଏ ।
    BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 3

→ ପୋଷଣର ପ୍ରକାରଭେଦ (Types of Nutrition) :
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 4(Autotrophic nutrition):

  • ଯେଉଁ ଜୀବମାନେ ନିଜ ଖାଦ୍ୟ ନିଜେ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିପାରନ୍ତି, ସେମାନଙ୍କୁ ସ୍ଵଭୋଜୀ କୁହାଯାଏ ।
  • ପତ୍ରହରିତ୍‌ ଥ‌ିବା ସମସ୍ତ ଉଭିଦ ଓ ନୀଳ ହରିତ ଶୈବାଳ ସୁଭୋଜୀର ଉଦାହରଣ ଅଟନ୍ତି ।
  • ସେମାନେ ପରିବେଶରୁ କଞ୍ଚାମାଲ ଓ ଶକ୍ତି ବ୍ୟବହାର କରି ଆବଶ୍ୟକ କରୁଥିବା ସମସ୍ତ ପ୍ରକାର ଖାଦ୍ୟ ସେମାନଙ୍କ ଟିସୁ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରନ୍ତି ।
  • ଏମାନଙ୍କ ପୋଷଣକୁ ସ୍ବଭୋଜୀ ପୋଷଣ କୁହାଯାଏ । ଏହା ଦୁଇଟି ଉପାୟରେ ହୋଇଥାଏ । ଯଥା – ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ଓ ରସାୟଶ୍ଳେଷଣ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 5(Photosynthesis) :

  • ସବୁଜ ଉଭିଦ ଓ ନୀଳ ହରିତ୍ ଶୈବାଳ ସୂର୍ଯ୍ୟର ଆଲୋକ ଶକ୍ତିକୁ ଉପଯୋଗ କରି ସବୁଜକଣିକାର ଉପସ୍ଥିତିରେ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଓ ଜଳ ମଧ୍ୟରେ ସଂଯୋଗ ଘଟାଇ ଶ୍ଵେତସାର ଜାତୀୟ ଖାଦ୍ୟ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିଥା’ନ୍ତି । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ କୁହାଯାଏ ।
    BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 6

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 43 (Chemosynthesis):
ନାଇଟ୍ରେଟ୍ ପ୍ରସ୍ତୁତକାରୀ ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ଓ ଗନ୍ଧକ ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ପରି କେତେକ ରସାୟଶ୍ଳେଷଣ ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ଏକ ବିଶେଷ ଅଜୈବ ରାସାୟନିକ ପ୍ରକ୍ରିୟାରୁ ମିଳୁଥିବା ରାସାୟନିକ ଶକ୍ତି ସଂଗ୍ରହ କରିଥା’ନ୍ତି । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ରସାୟଶ୍ଳେଷଣ କୁହାଯାଏ ।
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 7

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 8 (Heterotrophic Nutrition) :

  • ଯେଉଁ ଜୀବମାନେ ନିଜ ଖାଦ୍ୟ ନିଜେ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିନପାରି ପୋଷଣ ପାଇଁ ଅନ୍ୟ ପ୍ରାଣୀ ବା ଉଭିଦ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରନ୍ତି ସେମାନଙ୍କୁ ପରଭୋଜୀ କୁହାଯାଏ।
  • ସମସ୍ତ ପ୍ରାଣୀ, ମଲାଙ୍ଗ, ନିର୍ମୂଳୀ, ରାଫ୍ଲେସିଆ ଆଦି ପରଜୀବୀ ଉଭିଦ, କବକ ଏବଂ ଅଧିକାଂଶ ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ପରଭୋଜୀ
  • ଏହି ଜୀବମାନଙ୍କ ପୋଷଣ ପ୍ରଣାଳୀକୁ ପରଭୋଜୀ ପୋଷଣ କୁହାଯାଏ ।

→ ପରଭୋଜୀ ପୋଷଣର ପ୍ରକାରଭେଦ :
ପରଭୋଜୀ ପୋଷଣ ମୁଖ୍ୟତଃ ଚାରିପ୍ରକାର ।
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 7

(i) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 9(Holozoic nutrition) :

  • ପରଜୀବୀୟ ପ୍ରାଣୀଙ୍କୁ ଛାଡ଼ି ଅନ୍ୟ ସମସ୍ତ ପ୍ରାଣୀ ଏହି ପ୍ରଣାଳୀରେ ଅନ୍ୟ ଉଦ୍ଭଦ ବା ପ୍ରାଣୀଙ୍କୁ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ଅଥବା ଆଂଶିକ ଭାବରେ ଖାଦ୍ୟରୂପେ ଗ୍ରହଣ କରିଥା’ନ୍ତି ।
  • ପରିପାକ ପରେ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟର ଆତ୍ମୀକରଣ ବା ଅନ୍ତର୍ଗହଣ ହୋଇଥାଏ ।
  • ଏହା ଶରୀର ଗଠନରେ ଓ ଶରୀରକୁ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ଷମ ରଖିବାରେ ସହାୟକ ହୋଇଥାଏ ।

(ii) ମୃତୋପଜୀବୀୟ ପୋଷଣ (Saprophytic nutrition) :

  • ଯେଉଁ ପରଭୋଜୀ, ମୃତ, ଗଳିତ, ପଚାସଢ଼ା ଉଭିଦ ବା ପ୍ରାଣୀରୁ ଖାଦ୍ୟ ସଂଗ୍ରହ କରି ନିଜ ପୁଷ୍ଟିସାଧନ କରିଥା’ନ୍ତି ସେମାନଙ୍କୁ ମୃତୋପଜୀବୀ କୁହାଯାଏ ।
  • ଏହି ଜୀବମାନେ କଠିନ ପଦାର୍ଥକୁ ଖାଦ୍ୟରୂପେ ଗ୍ରହଣ କରିପାରନ୍ତି ନାହିଁ ।
  • ସାଧାରଣତଃ ଖାଦ୍ୟ ଗ୍ରହଣବେଳେ ଏମାନେ ନିଜ ଶରୀରରୁ ପାଚକ ରସ କ୍ଷରଣ କରି, ଶରୀର ବାହାରେ ହିଁ ଜଟିଳ ଖାଦ୍ୟକୁ ସରଳ ଖାଦ୍ୟରେ ପରିଣତ କରି ଓ ପରେ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟକୁ ଶରୀର ମଧ୍ୟକୁ ଶୋଷଣ କରି ଶରୀର ଗଠନରେ
  • ଛତୁ ଜାତୀୟ କବକ, ଇଷ୍ଟ୍, ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ଆଦି ଜୀବମାନଙ୍କଠାରେ ଏହିପରି ପୋଷଣ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥାଏ ।

(iii) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 10 (Parasitic Nutrition) :

  • ଯେଉଁ ଜୀବମାନେ ଅନ୍ୟ ଜୀବନ୍ତ ଉଭିଦ ବା ପ୍ରାଣୀଙ୍କ ଶରୀର ଭିତରେ ବା ବାହାରେ ରହି ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ଖାଦ୍ୟ ସଂଗ୍ରହ କରି ନିଜର ପୁଷ୍ଟିସାଧନ କରନ୍ତି ସେମାନଙ୍କୁ ପରଜୀବୀ କୁହାଯାଏ ।
  • ପରଜୀବୀମାନେ ଭୋଜଦାତା ଉଭିଦ ବା ପ୍ରାଣୀଙ୍କଠାରୁ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟ ସିଧାସଳଖ ଗ୍ରହଣ କରି ନିଜର ପୁଷ୍ଟିସାଧନ କରିଥା’ନ୍ତି ।
  • ଭୋଜଦାତାର ଆଶ୍ରୟରେ ରହି ପରଜୀବୀମାନେ ସାଧାରଣତଃ ତାହାର ଅନିଷ୍ଟ କରିଥା’ନ୍ତି ।
  • ମଲାଙ୍ଗ, ନିର୍ମୂଳୀ, ରାଫ୍ଲେସିଆ ଆଦି ଉଭିଦ, ପ୍ଲାସ୍‌ଡ଼ିୟମ୍, ଉକୁଣୀ, ଜୋକ, କେତେକ କୃମି ପରି ପ୍ରାଣୀ ପରଜୀବୀ

କେତେକ ଭୋଜଦାତାର ଶରୀର ଭିତରେ ଅନ୍ତଃପରଜୀବୀ ଭାବେ ( ଉଦାହରଣ- ପ୍ଲାସ୍‌ମୋଡ଼ିୟମ୍) ଓ କେତେକ ଶରୀର ବାହାରେ ବାହ୍ୟପରଜୀବୀ ଭାବେ ( ଉଦାହରଣ – ଉକୁଣୀ) ରହିଥା’ନ୍ତି ।

(iv) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 11 (Symbiotic Nutrition) :

  • ବେଳେବେଳେ ଦୁଇଟି ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ଭିନ୍ନ ଜାତିର ପ୍ରାଣୀ, ଅଥବା ଉଭିଦ ଓ ପ୍ରାଣୀ ବା ପ୍ରାଣୀ ଓ ଅଣୁଜୀବ ବା ଉଭିଦ ଓ ଅଣୁଜୀବ ଏକାଠି ବାସ କରୁଥିବା ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ସହଜୀବୀତା କୁହାଯାଏ ।
  • ଏଥୁରେ କେହି କାହାରି କ୍ଷତି କରନ୍ତି ନାହିଁ, ବରଂ ସେମାନଙ୍କ ଭିତରେ ପୋଷଣର ଆଦାନ ପ୍ରଦାନ ମଧ୍ୟ ହୋଇଥାଏ । ଏହାକୁ ସହଜୀବୀୟ ପୋଷଣ କୁହାଯାଏ।
  • ଆମ ଅନ୍ତନଳୀରେ ସହଜୀବୀଭାବେ ରହୁଥ‌ିବା ଇସ୍‌ରିଚିଆ କୋଲାଇ ନାମକ ବ୍ୟାକ୍ଟେରିଆ ନିଜ ଶରୀରରେ ଭିଟାମିନ୍ (B12) (ସାୟନୋକୋବାଲାମିନ୍) ପ୍ରସ୍ତୁତ କରି ଆମକୁ ଯୋଗାଇଥାଏ । ତା’ ପରିବର୍ତ୍ତେ ଆମ ଅନ୍ତନଳୀର ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟଗ୍ରହଣ କରି ନିଜର ପ୍ରତିପାଳନ କରିଥାଏ ।
  • BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 44

→ ଖାଦ୍ୟାଭାସକୁ ଆଧାର କରି ମୁଖ୍ୟତଃ ତିନି ଜାତିର ପ୍ରାଣୀ ଅଛନ୍ତି ।
(a) ଶାକାହାରୀ – ଉଭିଦ ବା ଉଭିଦଜାତ ପଦାର୍ଥ ଭକ୍ଷଣ କରୁଥିବା ପ୍ରାଣୀ ।
(b) ମାଂସାହାରୀ – ଅନ୍ୟ ପ୍ରାଣୀ ବା ପ୍ରାଣିଜ ପଦାର୍ଥକୁ ଭକ୍ଷଣ କରୁଥିବା ପ୍ରାଣୀ ।
(c) ସର୍ବାହାରୀ – ଖାଦ୍ୟରେ ବାଛବିଚାର ନ କରି ଯାହା ଖାଦ୍ୟୋପଯୋଗୀ ତାହା ଭକ୍ଷଣ କରୁଥିବା ପ୍ରାଣୀ । ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 5(Photosynthesis) :

  • ସବୁଜ ଉଭିଦ ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ଶ୍ଵେତସାର ଜାତୀୟ ଖାଦ୍ୟ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିଥା’ନ୍ତି । ଏହି ଶ୍ଵେତସାର ଜାତୀୟ ଖାଦ୍ୟ ଜୀବଜଗତର ସବୁ ଜୀବଙ୍କ ପାଇଁ ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷ ବା ପରୋକ୍ଷ ଖାଦ୍ୟ ଅଟେ ।
  • ଯେଉଁ ପ୍ରକ୍ରିୟାଦ୍ଵାରା ସବୁଜ ଉଭିଦ ସବୁଜକଣା ବା କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ଦୃଶ୍ୟମାନ ଆଲୋକ ଶକ୍ତିକୁ ରାସାୟନିକ ଶକ୍ତିରେ ରୂପାନ୍ତରିତ କରିବା ସହିତ ପରିବେଶରୁ ଗ୍ରହଣ କରିଥିବା ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଓ ଜଳକୁ ଉପଯୋଗ କରି ସରଳ ଶର୍କରା ତିଆରି କରିଥାଏ, ତାହା ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଅଟେ ।

→ ଆଧାର ଓ ସଂସ୍ଥା:

  • ପ୍ରତ୍ୟେକ ପ୍ରକ୍ରିୟା ପାଇଁ ଏକ ଆଧାର ଓ ସଂସ୍ଥା ଆବଶ୍ୟକ ହୋଇଥାଏ ।
  • ସବୁଜ ଉଦ୍ଭଦରେ ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ପାଇଁ ବ୍ୟବହୃତ ଆଧାର ସବୁଜ ପତ୍ର ଅଟେ । ସବୁଜ ପତ୍ରର ପୃଷ୍ଠରେ ଥ‌ିବା ଛୋଟ ଛୋଟ ରନ୍ଧ୍ରଗୁଡ଼ିକୁ ସ୍ତୋମ୍ ବା ଷ୍ଟୋମାଟା କୁହାଯାଏ । ଏହି ସ୍ତୋମ୍ ଦେଇ ପରିବେଶ ଓ ପତ୍ର ମଧ୍ୟରେ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଓ ଜଳୀୟବାଷ୍ପର ବିନିମୟ ଘଟେ । ସବୁଜପତ୍ରର ଅନ୍ତଃଗଠନ ସବୁଜ ରଙ୍ଗଯୁକ୍ତ ପାଲିସେଡ଼୍ ଓ ସ୍ପଞ୍ଜି ପାରେନ୍‌କାଇମା ଟିସୁଦ୍ୱାରା ହୋଇଥାଏ । ପତ୍ର ଭିତରେ ଥ‌ିବା ଏହି ଦୁଇ ପ୍ରକାର ପାରେନ୍‌କାଇମା ଟିସୁର କୋଷ ଭିତରେ କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟ ନାମକ ଅଙ୍ଗିକା ରହିଥାଏ । କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟରେ ଥ‌ିବା ରସକୁ ବ୍ୟୋମା କୁହାଯାଏ ।
  • ଥାଇଲାକଏଡ଼ ଦୀର୍ଘ ସରୁ ଚେପଟା ଥଳି ସଦୃଶ । ଥଳିର ଭିତର ସ୍ଥାନକୁ ମ୍ୟୁମେନ କୁହାଯାଏ । କେତେକ ସ୍ଥାନରେ ଛୋଟ ଥାଇଲାକଏଡ଼ ଥାକ ଥାକ ହୋଇ ସଜ୍ଜିତ ହୋଇ ରହିଥା’ନ୍ତି । ଏଭଳି ଥାକକୁ ଗ୍ରାନା କୁହାଯାଏ ।

→ ଆଧାର :
1. ସବୁଜ ପତ୍ରରେ ଥ‌ିବା ସ୍ତୋମ
2. ସବୁଜ ରଙ୍ଗଯୁକ୍ତ ପାଲିସେଡ଼ ଓ ସ୍ପଞ୍ଜି ପାରେନ୍‌କାଇମା ।
3. କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟ

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

→ କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟ :

  • ବ୍ୟୋମା (ରସ)ରେ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ଥାଏ ।
  • ଦ୍ୱସ୍ତରୀୟ ଥାଇଲାକଏଡ୍.
  • ଭିତର ଙ୍ଗାନ ଲୁମେନ୍‌
  • ଥାକକୁ ଗ୍ରାନା କହନ୍ତି ।

ଥାଇଲାକଏଡ଼ର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଝିଲ୍ଲୀ ସ୍ତରରେ କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍, ପ୍ରୋଟିନ୍ ଓ ଲିପିଡ଼ର ବିଭିନ୍ନ ବୃହତ୍ ଅଣୁ ସଜେଇ ହୋଇ ରହିଥା’ନ୍ତି । ଏହିଭଳି ଗଠନଯୁକ୍ତ ଥାଇଲାକଏଡ଼ ଓ କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟର ଷ୍ଟ୍ରୋମା ରସ ‘ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ସଂସ୍ଥା’ ସୃଷ୍ଟି କରିଥା’ନ୍ତି ।

→ ପ୍ରକ୍ରିୟା :

  • ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ଜାଣିବାପାଇଁ ବିଭିନ୍ନ ପରୀକ୍ଷା କରାଯାଇଛି ।
  • ପ୍ରଥମ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ 1905 ମସିହାରେ ଫ୍ରେଡ଼ରିକ୍ ବ୍ଲାକ୍‌ମ୍ୟାନ୍ (Frederick Blackman) ଜଣାଇଥିଲେ ।
  • ଗୋଟିଏ ସହ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଦୃଶ୍ୟମାନ ଆଲୋକ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ । ଏହାକୁ ଆଲୋକ ପ୍ରକ୍ରିୟା କୁହାଯାଏ । ଅନ୍ୟଟି ଆଲୋକ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରିନଥାଏ । ଏହାକୁ ଅନ୍ଧକାର ପ୍ରକ୍ରିୟା କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 13

  • ଆସୁଥ‌ିବା ହାଇଡ୍ରୋଜେନ୍‌ଦ୍ୱାରା ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ବିଜାରିତ ହୁଏ ଓ ସରଳ ଶର୍କରା ସଂଶ୍ଳେଷିତ ହେବା ସହିତ ଅମ୍ଳଜାନ ନିର୍ଗତ ହେବା ଦର୍ଶାଯାଇଥିଲା । ଏହା 1931 ମସିହରେ ଫନ୍‌ ନିଲ୍‌ଙ୍କଦ୍ବାରା ପରିକଳ୍ପନା କରାଯାଇଥିଲା । ରବର୍ଟ ହିଲ୍ 1937 ମସିହାରେ ଉନ୍ନତମାନର ପରୀକ୍ଷଣ ମାଧ୍ୟମରେ ପରିକଳ୍ପନାଟିକୁ ପ୍ରମାଣିତ କରିଥିଲେ । କ୍ଲୋରୋପ୍ଲାଷ୍ଟ କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ଆଲୋକ ଶକ୍ତିକୁ ବ୍ୟବହାର କରି ଗ୍ଲୁକୋଜ ସଂଶ୍ଳେଷଣ କରିଥାଏ । ଏହା ପାଇଁ 6 ଟି ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ (CO2) ଓ 12 ଟି ଜଳ (H2O) ଅଣୁ ବ୍ୟବହୃତ ହୁଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 14

→ ଆଲୋକ ପ୍ରକ୍ରିୟା

  • ଆଲୋକ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଦୃଶ୍ୟମାନ ଆଲୋକ ଉପସ୍ଥିତିରେ ଥାଇଲାକଏଡ୍ ଝିଲ୍ଲୀରେ ସଂଗଠିତ ହୁଏ ।
  • ପ୍ରଥମ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଝିଲ୍ଲୀରେ ସଜ୍ଜିତ କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍ ଅଣୁଗୁଡ଼ିକର ସମଷ୍ଟି ଆଲୋକ ଶକ୍ତି ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି ।
  • ପର୍ଯ୍ୟାୟକ୍ରମେ ଅନ୍ୟାନ୍ୟ କ୍ଲୋରୋଫିଲକୁ ଶକ୍ତି ସ୍ଥାନାନ୍ତରିତ କରିଥା’ନ୍ତି ।
  • କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍‌କୁ ଆଲୋକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା କେନ୍ଦ୍ର ବା Photosystem I କୁ P700 କୁହାଯାଏ ।
  • କ୍ଲୋରୋଫିଲ୍‌ରୁ ଅଧ‌ିକ ଶକ୍ତି ସମ୍ପନ୍ନ ଅସ୍ଥିର ଇଲେକଟ୍ରନ୍ ବାହାରି ଆସେ ।
  • ଇଲେକ୍ସନ୍ ବିଭିନ୍ନ ବାହକ ଅଣୁ ମାଧ୍ୟମରେ ଗତିକରି ଏକ ଗ୍ରାହକ ଅଣୁ ପାଖରେ ପହଞ୍ଚେ ।
  • ଶେଷ ଗ୍ରାହକ ଅଣୁକୁ ସହକାରକ କୁହାଯାଏ ।
  • ନିକୋଟିନାମାଇଡ୍ ଏଡ଼େନାଇନନ୍ ଡାଇନ୍ୟୁକ୍ଲିଟାଇଡ଼ ଫସ୍‌ଫେଟ୍ ବା NADP+ ଇଲେକଟ୍ରନ୍ ଗ୍ରହଣ କରି ବିଜାରିତ NADPH ରେ ପରିଣତ ହୁଏ ।
    ଦ୍ୱିତୀୟ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଇଲେକ୍ସନ୍ ଶୂନ୍ୟତାକୁ ପୂରଣ କରିବାପାଇଁ ଆଲୋକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା କେନ୍ଦ୍ର P680 ବା Photosystem II କେନ୍ଦ୍ରରୁ ଇଲେକଟ୍ରନ୍ ଆସିଥାଏ ।
  • ଏହାଦ୍ଵାରା ଥାଇଲାକଏଡ ପରିବେଶରେ ଜଳ ଅଣୁର ଆଲୋକ ବିଶ୍ଳେଷଣ ହୁଏ । ଫଳରେ e, H+, Q, ନିର୍ଗତ ହୁଏ ।
  • ଥାଇଲାକଏଡ ମଧ୍ଯସ୍ଥିତ ଲ୍ୟୁମେନରେ ପ୍ରୋଟନ ଜମା ହୁଏ ।
  • ଏହାଦ୍ୱାରା ସୃଷ୍ଟ ଅବକ୍ରମ ବଳକୁ ଉପଯୋଗ କରି ADP ଅଧ‌ିକ ଶକ୍ତି ସମ୍ପନ୍ନ ATP ରେ ପରିଣତ ହୁଏ ।
  • NADPH ଓ ATP ଉଭୟ ମିଶି ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ଶକ୍ତି ଗଠନ କରନ୍ତି ।

→ ଅନ୍ଧକାର ପ୍ରକ୍ରିୟା

  • ଆଲୋକ ଉପରେ ଅନ୍ଧକାର ପ୍ରକ୍ରିୟା ନିର୍ଭର କରିନଥାଏ ।
  • ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ସ୍ତୋମ୍ ଦେଇ ଷ୍ଟୋମାରସରେ ଦ୍ରବୀଭୂତ ହୁଏ ।
  • ବ୍ୟୋମା ରସରେ 5-କାର୍ବନ ଯୁକ୍ତ ଏକ ଗ୍ରାହକ ଅଣୁ ଆଲୋକଶ୍ଳେଷଣ ଶକ୍ତି ବ୍ୟବହାର କରି ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ବିବନ୍ଧିତ କରାଏ । ଜୈବିକ କ୍ରିୟା ଦ୍ବାରା 3-କାର୍ବନ ଯୁକ୍ତ ଶର୍କରା ତିଆରି ହୁଏ ।
  • ଗ୍ରାହନ ଅଣୁକୁ ରାଇବୋଲୋଜ୍ ବିସ୍‌ଫସ୍‌ଫେଟ୍ ବା RUBP ଓ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍କୁ ରାଇବୋଲୋଜ୍ ବିସ୍‌ଫସଫେଟ୍ ରୁବିସ୍କୋ କୁହାଯାଏ ।
  • ରୁବିସ୍କୋର ଭୂମିକା ଗୁରୁତ୍ବପୂର୍ଣ୍ଣ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 46
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 15

  • ଏହି ଅନ୍ଧକାର ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ମେଲଭିନ୍ କେଲଭିନ୍‌ଙ୍କ ନାମାନୁସାରେ କେଲଭିନ୍‌ ଚକ୍ର କୁହାଯାଏ ।
  • ପ୍ରଥମ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଗ୍ରାହକ ଅଣୁ ସହ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳର ବିବନ୍ଧନ ହୁଏ ।
  • ଦ୍ଵିତୀୟ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଗ୍ଲୁକୋଜର ସଂଶ୍ଳେଷଣ ହୁଏ ।
  • ତୃତୀୟ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଗ୍ରାହକ ଅଣୁର ପୁନରୁତ୍ପାଦନ ହୁଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 16(Digestive System of Man)

  • ଆମେ ଖାଉଥ‌ିବା ଖାଦ୍ୟ ସମୂହ ସିଧାସଳଖ ଖାଦ୍ୟରେ ପରିଣତ ହୁଏ ଓ ଶେଷରେ ରକ୍ତରେ ମିଶି ଥାଏ । ଏହାକୁ ହଜମ (ପରିପାକ) ବା ଜୀର୍ଣ୍ଣ ହେବା କହିଥାଉ । ଅଦରକାରୀ ଅଂଶ ମଳ ରୂପେ ଶରୀରରୁ ନିଷ୍କାସିତ ହୋଇଥାଏ । ଆମର ପାକତନ୍ତ୍ର ପାକନଳୀ ଓ ପାକଗ୍ରନ୍ଥିକୁ ନେଇ ଗଠିତ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 17(Alimentary Canal)

  • ପାକନଳୀ ପାଟିରୁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇ ମଳଦ୍ଵାରରେ ଶେଷ ହୋଇଥାଏ ।
  • ପାକନଳୀର ଗଠନ ଓ କାର୍ଯ୍ୟ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରି ଏହାକୁ ବିଭିନ୍ନ ଅଂଶରେ ଭାଗ ଗ୍ରସନୀ, ନିଗଳ ବା ଗ୍ରାସନଳୀ, ପାକସ୍ଥଳୀ, କ୍ଷୁଦ୍ରାନ୍ତ୍ର, ବୃହଦନ୍ତ୍ର, ମଳାଶୟ ଓ ମଳଦ୍ଵାର ।

ପାକନଳୀ ଦେଖିବାକୁ ଗୋଟିଏ ଲମ୍ବ ଟ୍ୟୁବ୍ ପରି । ଏହାର କାନ୍ଥ ବର୍ତ୍ତୁଳ ବା ଚକ୍ରାକୃତି ପେଶୀ ଓ ଲମ୍ବ ଭାବରେ ବିସ୍ତୃତ ବା ଅନୁଦୈର୍ଘ୍ୟ ପେଶୀଦ୍ଵାରା ଗଠିତ ହୋଇଥାଏ । ଏହି ଦୁଇ ପ୍ରକାର ପେଶୀର ସଂକୋଚନ ଓ ଶିଳନ ଫଳରେ କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 45

(i) ପାଟି (Mouth) :

  • ଏହା ଚଳନଶୀଳ ଓଠଦ୍ୱାରା ପରିବେଷ୍ଟିତ ।
  • ଏହା ଖାଦ୍ୟର ଅନ୍ତର୍ଗହଣ ପାଇଁ ଉଦ୍ଦିଷ୍ଟ ।
  • ଏହା ମୁଖଗହ୍ଵରକୁ ଖୋଲି ରହିଛି ।

(ii) ମୁଖଗହ୍ଵର (Buccal Cavity) :

  • ପାଟି ଭିତରକୁ ରହିଥାଏ ମୁଖଗହ୍ଵର ।
  • ମୁଖଗହ୍ଵରର ଦୁଇ ପଟେ ଗାଲ; ଉପରେ ତାଳୁ ଓ
  • ତଳେ ଜିଭ ରହିଥାଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

(a) ଦାନ୍ତ (Tooth):

  • ଉଠେ ଓ ଛଅ ବର୍ଷ ବେଳକୁ ଉକ୍ତ ଦାନ୍ତ ଝଡ଼ିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କରେ । ଏହି ସ୍ଥାନରେ ସ୍ଥାୟୀ ଦାନ୍ତ ଉଠେ । ବୟସ୍କ ଲୋକର ତଳ ଓ ଉପର ମାଢ଼ିରେ 32ଟି (16ଟି ଲେଖାଏଁ) ଦାନ୍ତ ଥାଏ । ପ୍ରତି ମାଢ଼ିରେ 4ଟି କର୍ଜନ ଦାନ୍ତ, 2 ଟି ଛେଦକ ବା ଶ୍ଵାନଦାନ୍ତ Canine), 4 ଟି ଚର୍ବଣ ଦାନ୍ତ ଓ ଟି ପେଷଣ ଦାନ୍ତ ରହିଅଛି।
  • ଖାଦ୍ୟାଭ୍ୟାସ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରି ଆମର ଦାନ୍ତ 4 ପ୍ରକାରର ହୋଇଥାଏ ।

(b) && (Tongue) :

  • ମୁଖଗହ୍ଵରର ଉପରେ ତାଳୁ ଓ ତଳେ ମୋଟା, ମାଂସଳ ଜିଭ ରହିଥାଏ । ଏଥ‌ିରେ ତିନି ପ୍ରକାର ସ୍ବାଦମୁକୂଳ ରହିଥାଏ ।

କାର୍ଯ୍ୟ :

  • ଚର୍ବଣବେଳେ ଏହା ଖାଦ୍ୟକୁ ଦାନ୍ତ ନିକଟରେ ପହଞ୍ଚାଇଥାଏ ।
  • ଏହା ଖାଦ୍ୟକୁ ଲାଳ ସହିତ ମିଶାଇଥାଏ ।
  • ଖାଦ୍ୟକୁ ଗିଳିବାରେ ସହାୟତା କରିଥାଏ ।
  • ଏହା ମିଠା, ଖଟା, ପିତା ଓ ଲୁଣିଆ ଆଦି ସ୍ଵାଦ ବାରିଥାଏ ।
  • ଏହା କଥା କହିବାରେ ସହାୟତା କରିଥାଏ ।

(iii) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 22 (Pharynx and Oesophagus) :

  • ନାସାପଥ ଓ ମୁଖଗହ୍ଵର ମିଶି ଗ୍ରସନୀ ତିଆରି ହୋଇଛି । ଏହା ଉଭୟ ଖାଦ୍ୟ ଓ ଶ୍ୱାସ ବାୟୁ ଯିବାପାଇଁ ଏକ ସାଧାରଣ ପଥ ।
  • ଏହାର ଶେଷମୁଣ୍ଡରେ ଦୁଇଟି ଦ୍ଵାର ରହିଛି । ଗୋଟିଏ ଦ୍ଵାର ଖୋଲିଛି ଶ୍ଵାସନଳୀ ଭିତରକୁ, ଅନ୍ୟଟି ଖୋଲିଛି ଖାଦ୍ୟନଳୀ ମଧ୍ୟକୁ ।
  • ଖାଦ୍ୟନଳୀର ଦ୍ଵାରକୁ ଗଲେଟ୍ ଓ ଶ୍ଵାସନଳୀର ଦ୍ଵାରକୁ ଗ୍ଲଟିସ୍ କୁହାଯାଏ । ଶ୍ଵାସନଳୀର ଦ୍ଵାରରେ ଏକ ତରୁଣାସ୍ଥିର ପ୍ଲେଟ ରହିଛି । ଏହି ପ୍ଲେଟ୍‌କୁ ଅଧ୍ୱଜିହ୍ଵା ବା ଏପିକ୍ଲଟିସ୍ କୁହାଯାଏ ।
  • ପ୍ରବେଶ କରିଥାଏ ।
  • ଗ୍ରାସନଳୀ ବେକ ମଧ୍ୟ ଦେଇ ତଳ ଆଡ଼କୁ ଗତି କରିଛି ଏବଂ ମଧ୍ୟଚ୍ଛଦାକୁ ଭେଦ କରି ପାକସ୍ଥଳୀକୁ ଖୋଲିଛି ।
  • କାର୍ଯ୍ୟ : ଏହା ମଧ୍ୟଦେଇ ପେରିଷ୍ଟାଲ୍‌ସିସ୍‌ରା ଖାଦ୍ୟ ଆପେ ଆପେ ପାକସ୍ଥଳୀ ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରବେଶ କରେ । ଏଠାରେ ଖାଦ୍ୟର କୌଣସି ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୁଏ ନାହିଁ ।

(iv) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 23 (Stomach) :

  • ଏହା ମୋଟା, ମାଂସଳ ଓ ‘J’ ଆକୃତିର ଏକ ଥଳୀ ଅଟେ ଏବଂ ଏହା ଉଦର ଗହ୍ଵରର ଉପର ଅଂଶର ବାମପଟେ ରହିଥାଏ ।
  • ଏହାର ଉପର ଅଂଶ ଚଉଡ଼ା ଓ ତଳ ଅଂଶ କମ୍ ଓସାରିଆ ।
  • ଏହାର ଉପର ଅଂଶ ହୃତ୍‌ପିଣ୍ଡ ନିକଟରେ ଥ‌ିବାରୁ ସେହି ଅଂଶକୁ କାର୍ଡିଆକ୍ ଷ୍ଟୋମାକ୍ ଓ ତଳ ଅଂଶକୁ ପାଇଲୋରିକ୍ ଷ୍ଟୋମାକ୍ କୁହାଯାଏ ।
  • ଏହାର ମାଂସଳ କାନ୍ଥ ଖାଦ୍ୟକୁ ପାଚକରସ ସହିତ ମିଶିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରେ ।
  • ଅର୍ଦ୍ଧଜୀର୍ଣ୍ଣ ଖାଦ୍ୟ ଅଳ୍ପ ଅଳ୍ପ ପରିମାଣରେ କ୍ଷୁଦ୍ରାନ୍ତ ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରବେଶ କରେ ।

(v) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 24 (Small Intestine) :

  • ଏହା ପ୍ରାୟ 6 ମିଟର ଦୀର୍ଘ, ସରୁ ଓ କୁଣ୍ଡଳାକାର ନଳୀ ଅଟେ ।
  • ଏହାର ପ୍ରଥମ ଅଂଶକୁ ଗ୍ରହଣୀ, ମଧ୍ୟବର୍ତୀ ଅଂଶକୁ ଯେଯୁନମ୍ ଓ ଶେଷ ଅଂଶକୁ ଇଲିୟମ୍ କୁହାଯାଏ ।
  • କାର୍ଯ୍ୟ : ଏଠାରେ ପରିପାକ କ୍ରିୟା ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥାଏ ଏବଂ ପରିପାକ ହୋଇଥ‌ିବା ଖାଦ୍ୟର ଅବଶୋଷଣ ବା ଆତ୍ମୀକରଣ ଘଟିଥାଏ ।

(vi) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 25 (Large Intestine) :

  • ଏହା କ୍ଷୁଦ୍ରାନ୍ତଠାରୁ ଛୋଟ ଓ ପ୍ରଶସ୍ତ ଅଟେ ।
  • ଏହା ସିକମ୍, କୋଲନ୍ ଓ ମଳାଶୟ ରେ ବିଭକ୍ତ ହୋଇଥାଏ ।
  • କାର୍ଯ୍ୟ : ଏଠାରେ ଅଜୀର୍ଣ୍ଣ ଖାଦ୍ୟ ମଳରେ ପରିଣତ ହୋଇଥାଏ ।

(vii) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 28

  • ଏହା ବୃହଦନ୍ତ୍ରର ଶେଷ ଆଡ଼କୁ ଅବସ୍ଥିତ ଏବଂ ଏହାର ଶେଷ ଭାଗରେ ଥ‌ିବା ଛିଦ୍ରକୁ ମଳଦ୍ଵାର କୁହାଯାଏ ।
  • କାର୍ଯ୍ୟ : ମଳାଶୟରେ ମଳ କିଛି ସମୟ ପାଇଁ ଗଚ୍ଛିତ ରହେ ଏବଂ ମଳଦ୍ଵାର ଦେଇ ନିଷ୍କାସିତ ହୁଏ ।

→ ପାକଗ୍ରନ୍ଥି (Digestive Glands) :

  • ଖାଦ୍ୟକୁ ସରଳୀକୃତ କରିବା ପାଇଁ ପାକନଳୀ ମଧ୍ଯରେ ଅନେକଗୁଡ଼ିଏ ପାକଗ୍ରନ୍ଥି ଅଛି । ଯଥା –

(i) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 29 (Salivary Glands) :

  • ମନୁଷ୍ୟର 3 ଯୋଡ଼ା ଲାଳଗ୍ରନ୍ଥି ରହିଛି ଏବଂ ଏହାର ବାହିକା (ducts)ଗୁଡ଼ିକ ମୁଖଗହ୍ଵର ମଧ୍ୟକୁ ଖୋଲି ରହିଥାଏ ।
  • ଏହି ଗ୍ରନ୍ଥିରୁ କ୍ଷରିତ ଲାଳ ଖାଦ୍ୟକୁ ପିଚ୍ଛିଳ ଓ ମଣ୍ଡପରି କରିଦିଏ ।
  • ଲାଳରେ ଥିବା ପାଚକ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍‌କୁ ଟାୟାଲିନ୍ (Ptyalin) ବା ସାଲାଇଭାରି ଆମାଇଲେଜ୍ କୁହାଯାଏ ।

(ii) ଜଠର ଗ୍ରନ୍ଥି (Gastric Glands) :

  • ଏହି ଗ୍ରନ୍ଥିରୁ କ୍ଷରିତ ହେଉଥ‌ିବା ରସକୁ ପାଚକ ରସ କୁହାଯାଏ । ଏଥିରେ ଲବଣାମ୍ଳ (HCl) ସହିତ ପେପସିନ୍ ଓ ଲାଇପେଜ୍ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ରହିଛି ।
  • ଏଗୁଡ଼ିକ ପାଚକ ରସ (Gastric juice) ଓ ଲବଣାମ୍ଳ (HCI) କ୍ଷରଣ କରିଥା’ନ୍ତି ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

(iii) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 30 (Liver) :

  • ଏହା ଶରୀରର ବୃହତ୍ତମ ଗ୍ରନ୍ଥି ଏବଂ ଏହା ଉଦର ଗହ୍ଵରର ଉପରିଭାଗର ଡାହାଣପାର୍ଶ୍ଵରେ ଅବସ୍ଥିତ । ଏହାର ବର୍ଣ୍ଣ ଲୋହିତ ବାଦାମୀ ।
  • ଏହା ପିତ୍ତ ରସ କ୍ଷରଣ କରେ ।

(iv) ଅଗ୍ନ୍ୟାଶୟ (Pancreas) :

  • ଏହା ଏକ ମିଶ୍ରିତ ଗ୍ରନ୍ଥି ।
  • ଏହା ମଧ୍ଯ ଖାଦ୍ୟନଳୀ ବାହାରେ ରହିଛି । ଏଥୁରୁ ଉଭୟ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ଓ ହରମୋନ୍ କ୍ଷରିତ ହୁଏ । ଅଗ୍ନ୍ୟାଶୟ ରସରେ ଆମାଇଲେଜ, ଲାଇପେଜ୍ ଏବଂ ପ୍ରୋଟିଏଜ୍ ପରି ଖାଦ୍ୟ ହଜମକାରୀ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ରହିଛନ୍ତି ।

→ ଆନ୍ତ୍ରିକ ଗ୍ରନ୍ଥି (Intestinal gland) :

  • କ୍ଷୁଦ୍ରାନ୍ତ୍ରରେ ଥ‌ିବା ଆନ୍ତ୍ରିକ ଗ୍ରନ୍ଥିଗୁଡ଼ିକରୁ ଆର୍ଥିକ ରସ କ୍ଷରିତ ହୁଏ । ଏହି ରସରେ ଥ‌ିବା ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ହଜମକ୍ରିୟା ଶେଷ କରନ୍ତି ।

→ ପାଚନ କ୍ରିୟା (Digestion) :

  • ଆମେ ଖାଉଥ‌ିବା ଖାଦ୍ୟରେ ଶ୍ଵେତସାର, ସ୍ନେହସାର, ପୁଷ୍ଟିସାର, ଭିଟାମିନ୍, ଧାତବ ଲବଣ ଓ ଜଳ ରହିଥାଏ । ଖାଦ୍ୟ ହଜମର ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକ୍ରିୟାଗୁନିକ
  • ହେଲା : ଖାଦ୍ୟ ଗ୍ରହଣ, ପାକକ୍ରିୟା, ଅବଶୋଷଣ, ଆତ୍ମୀକରଣ ଓ ମଳତ୍ୟାଗ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 32
(A) ମୁଖଗହ୍ଵର (Buccal Cavity) :

  • ଏଠାରେ ଖାଦ୍ୟ ଚର୍ବିତ ଓ ପେଷିତ ହେବା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଟାୟାଲିନ୍‌ର କାର୍ଯ୍ୟକାରିତା ହାର ବୃଦ୍ଧି କରେ ।
  • ଖାଦ୍ୟରେ ଲାଳ ମିଶିବାଦ୍ୱାରା ଟାୟାଲିନ୍ ପ୍ରାୟ 30-40 ଭାଗ ମଣ୍ଡଦ (Starch)କୁ ମାଲ୍‌ଟୋଜ୍ (Maltose)ରେ ପରିଣତ କରେ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 33

(B) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 34 (Stomach) :
ଭାଙ୍ଗି ଅତି ସୂକ୍ଷ୍ମଖଣ୍ଡରେ ପରିଣତ ହୁଏ । ପାକସ୍ଥଳୀରୁ ନିସୃତ ପାଚକ ରସ ଖାଦ୍ୟ ସହିତ ମିଶି ଏହାକୁ ଏକ ପ୍ରକାର ତରଳ ମଣ୍ଡ ବା ଚାଇମରେ ପରିଣତ କରେ । ଲବଣାମ୍ଳ (HCl) ପାକମଣ୍ଡକୁ ଅମ୍ଳାତ୍ମକ କରିବା ସହିତ ଜୀବାଣୁ ନାଶ କରେ । ପାଚକରସରେ ଦୁଇ ପ୍ରକାର ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ଥାଏ – ପେପ୍‌ସିନ୍ ଓ ଲାଇପେଜ୍ । ପେପ୍‌ସିନ୍ ଲବଣାମ୍ଳ ମାଧ୍ୟମରେ ସକ୍ରିୟ ହୁଏ ଓ ପ୍ରୋଟିନ୍ ଖାଦ୍ୟକୁ ପ୍ରୋଟିଓଜେସ୍ ଓ ପେପ୍‌ନ୍‌ରେ ପରିଣତ କରେ ।
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 35

(C) ଗ୍ରହଣୀ :
କ୍ଷୁଦ୍ରାନ୍ତର ଗ୍ରହଣୀଠାରେ ଯକୃତରୁ କ୍ଷରିତ ପିତ୍ତ ଓ ଅଗ୍ନ୍ୟାଶୟରୁ କ୍ଷରିତ ଅଗ୍ନ୍ୟାଶୟ ରସ ଖାଦ୍ୟରେ ଆସି ମିଶେ । ପିତ୍ତରେ ଥ‌ିବା ପିତ୍ତ ଲବଣ ଖାଦ୍ୟର ଅମ୍ଳତ୍ଵ ଦୂର କରେ ଓ ସ୍ନେହସାର ଜାତୀୟ ଖାଦ୍ୟର ଅବଦ୍ରବୀକରଣ ବା ଇମଲ୍ଟିଫିକେସନ୍ (Emulsification) କରାଇଥାଏ ।
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 36
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 37

(D) ଜେଜୁନମ୍ ଓ ଇଲିୟମ୍ :
ଏହି ସ୍ଥାନରେ ସମସ୍ତ ଖାଦ୍ୟର ହଜମ ପ୍ରକ୍ରିୟା ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥାଏ । ଜେଜୁନମ୍ ଓ ଇଲିୟମ୍‌ରୁ କ୍ଷରିତ ଆର୍ଥିକ ରସରେ ରହିଥ‌ିବା ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ଏନଜାଇମ୍ ହଜମ ହୋଇନଥୁବା ଅବଶିଷ୍ଟ ଖାଦ୍ୟକୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ ହଜମ କରିଥା’ନ୍ତି । ଏଠାରେ ହେଉଥ‌ିବା ହଜମ ପ୍ରକ୍ରିୟାଟି :
BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 38

(E) ବୃହଦନ୍ତ୍ର :
ଖାଦ୍ୟ ବୃହଦନ୍ତ୍ରଠାରେ ପହଞ୍ଚିଲା ବେଳକୁ ଏହା ହଜମ ହୋଇ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟରେ ପରିଣତ ହୋଇଥାଏ ।

(v) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 39 (Absorption) :
ସମସ୍ତ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟ, ଭିଟାମିନ୍, ଧାତବ ଲବଣ ଓ ଜଳ ଇତ୍ୟାଦି ଆହାରନଳୀର କାନ୍ଥ ବାଟ ଦେଇ ରକ୍ତ ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରବେଶ କରିବା ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ଅବଶୋଷଣ କୁହାଯାଏ । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟା ନିଷ୍କ୍ରିୟ ଅବଶୋଷଣ ଓ ସକ୍ରିୟ ଅବଶୋଷଣଦ୍ୱାରା ହୋଇଥାଏ ।

(vi) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 40 (Assimilation) :

  • ଅବଶୋଷଣ ପରେ ସରଳୀକୃତ ଖାଦ୍ୟ ରକ୍ତଦ୍ୱାରା ବାହିତ ହୋଇ ଯକୃତରେ ପହଞ୍ଚେ । ଯକୃତରୁ ଏହା ଶରୀରର ବିଭିନ୍ନ ଅଂଶରେ ପହଞ୍ଚିଥାଏ ଏବଂ ଶକ୍ତିମୋଚନ ଓ ଅନ୍ୟ କାର୍ଯ୍ୟରେ ନିୟୋଜିତ ହୋଇଥାଏ । ଖାଦ୍ୟର ଏହି ବିନିଯୋଗ
  • ଅଧିକାଂଶ ଏମିନୋ ଅମ୍ଳ ପୁଷ୍ଟିସାର ସଂଶ୍ଳେଷଣରେ ବ୍ୟବହୃତ ହୁଏ ଯାହାକି ଶରୀର ବୃଦ୍ଧି ଓ ଟିସୁର ପୁନଃନିର୍ମାଣରେ ସହାୟକ ହୁଏ । ବଳକା ଏମିନୋ ଅମ୍ଳ ଯକୃତରେ ୟୁରିଆରେ ପରିଣତ ହୁଏ ।

BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ

(vii) BSE Odisha 10th Class Life Science Notes Chapter 1 ପୋଷଣ 41 (Egestion) :
ଏକକାଳୀନ ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଘଟଣାବଳୀଦ୍ଵାରା ମଳ ନିଷ୍କାସନ ହୋଇଥାଏ ।

  • ମଳଦ୍ଵାର ଚାରିପଟେ ରହିଥ‌ିବା ସଂକୋଚନ ପେଶୀର ଶିଥୁଳନ,
  • ମଳାଶୟ ପେଶୀର ସଂକୋଚନ,
  • ଉଦରପେଶୀ ଓ ମଧ୍ଯଚ୍ଛଦାର ସଂକୋଚନ ସହିତ ସାମୟିକ ଶ୍ଵାସ ବିରାମ ।

ମାଂସ ହଜମ କରୁଥିବା ଏନଜାଇମ୍ ଆମ ପାକସ୍ଥଳୀକୁ ହଜମ କରିପାରେ ନାହିଁ କାରଣ :

  • ପୁଷ୍ଟିସାର ହଜମ କରୁଥିବା ପ୍ରୋଟିଏଜ୍ ଜାତୀୟ ଏନଜାଇମ୍ ନିଷ୍କ୍ରିୟ ଅବସ୍ଥାରେ କ୍ଷରିତ ହୋଇଥାଏ । ପାକସ୍ଥଳୀର ଅମ୍ଳୀୟ ପରିବେଶରେ ଏହା ସକ୍ରିୟ ହୁଏ ଓ ପାକସ୍ଥଳୀରେ ଖାଦ୍ୟ ପହଞ୍ଚିଲେ ସାଧାରଣତଃ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ କ୍ଷରଣ
  • ଆମ ପାକସ୍ଥଳୀରେ ଅନେକ ଶ୍ଳେଷ୍ମକ ବା ମ୍ୟୁକସ୍ ଗ୍ରନ୍ଥି ରହିଛି । ସେଥୁରୁ କ୍ଷରିତ ମ୍ୟୁକସ୍ ଅମ୍ଳୀୟ ପରିବେଶ ତଥା ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ ପ୍ରଭାବରୁ ପାକସ୍ଥଳୀକୁ ରକ୍ଷାକରେ ।
  • ପାକସ୍ଥଳୀର କୋଷମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଥ‌ିବା ନିବିଡ଼ ବନ୍ଧନ ଯୋଗୁଁ ସହଜରେ ପେପ୍‌ସିନ୍ ପାକସ୍ଥଳୀ କାନ୍ଥ ଭିତରକୁ ଟିସୁ କ୍ଷୟ କରିପାରେ ନାହିଁ ।
  • ଏଥ୍ ସହିତ ପାକସ୍ଥଳୀର କୋଷ ପ୍ରତି ଦୁଇ ବା ତିନିଦିନ ବ୍ୟବଧାନରେ ନୂଆ କୋଷଦ୍ଵାରା ପୁନଃସ୍ଥାପିତ ହୁଅନ୍ତି । ଏଥ୍ ଯୋଗୁଁ ଆମ ପାକସ୍ଥଳୀ ପେପ୍‌ସିନ୍ ଏନ୍‌ଜାଇମ୍ଵାରା ହଜମ ହୁଏନାହିଁ ।