BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
( ତିନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ।)
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ।)

(क) साँच या सत्य के बारे में कबीर ने क्या कहा है?
(ସାଁଚ ୟା ସତ୍ୟ କେ ବାରେ ମେଁ କବୀର ନେ କ୍ୟା କହା ହୈ ?)
उत्तर:
साँच या सत्य के बारे में कबीर ने कहा है कि: सत्य हमेशा महान होता है। सत्य के समान इस संसार मे कोई तपस्या या ज्ञान नहीं है। जो सत्यवादी होता है, उसका हृदय निर्मल होता है और भगवान का निवास उसके हृदय में होता है। समाज में उसका आदर होता है।

(ख) बुराई करनेवालों की भलाई क्यों करनी चाहिए?
(ବୁରାଈ କରନେବାଲୈ କି ଭଲାଈ କୈ କରନୀ ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
बुराई करनेवालों की भलाई इसलिए करनी चाहिए क्योंकि भलाई करने पर बुराई करनेवालों को अच्छा फल मिलता और उनकी बुराई का उन्हें बुरा फल मिलता है। परिणाम स्वरूप वे अपनी करनी पर लज्जित होते हैं और खुद को सुधारने की चेष्टा करते हैं।

(ग) धीरे – धीरे सबकुछ कैसे होता है इसके लिए कवि ने कौन सा -उदाहरण दिया है?
(ଧୀରେ-ଧୀରେ ସବୁକୁଛ୍ କୈସେ ହୋତା ହୈ: ଇସ୍କେ ଲିଏ କବି ନେ କୌନ୍ ସା ଉଦାହରଣ)
उत्तर:
माली के सौ घड़ा पानी सींचने पर भी किसी भी पेड़ में समय से पहले फल नहीं लगते। इसके लिए ऋतु की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। उसी प्रकार धीरे धीरे सबकुछ करना चाहिए और उसके लिए धैर्य की आवश्यकता है। कवि ने यही उदाहरण देकर कहा है।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे

2. निम्नलिखित पदों के अर्थ दो-तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ପଦୌ କେ ଅର୍ଥ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ?)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ପଦଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର।)

(क) जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप।
(ଜାକେ ହିରଦୈ ସାଁଚ୍ ହୈ, ତାକେ ହିରଦୈ ଆପ୍ ।)
उत्तर:
जिसके हृदय में सत्य का निवास है अर्थात् जो हमेशा सत्य बोलता है।, उसका हृदय निर्मल और पाप रहित होता है। कवि के अनुसार उसी व्यक्ति के निर्मल हृदय में भगवान विराजमान करते हैं।

(ख) जो तोको काँटा बुबै ताहि बोय तू फूल।
(ଜୋ ତୋକୋ କାଁଟା ବୁବୈ ତାହି ବୋୟ ତୁ ଫୁଲ୍ ।)
उत्तर:
कवि के अनुसार जो तुम्हारे रास्ते में काँटा बोता है, अर्थात् तुम्हारी बुराई करता है, तुम उसके रास्ते में फूल बिछा दो अर्थात् उसकी भलाई करो। परिणामस्वरूप तुम्हारी अच्छाई से उसे अच्छा फल तो मिलेगा ही और उसकी बुराई से भी उसे बुरा फल मिलेगा। इससे प्रमाणित होता है कि अच्छा काम करने वालों को अच्छा फल मिलता है और बुरे काम करनेवालों को बुरा फल मिलता है।

(ग) माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।
(ମାଲୀ ସ୍ତ୍ରୀଚେ ସୌ ଘଡ଼ା, ଋତୁ ଆଏ ଫଲ୍ ହୋୟ।)
उत्तर:
कबीरदास कहते हैं कि माली के सौ घड़ा पानी सींचने पर भी किसी भी पेड़ में समय के पहले फल नहीं लगते, उसे ऋतु या समय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। अर्थात् कोई भी काम समयानुसार ही होता है। समय से पहले कोई काम नहीं होता।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) किसके बराबर तप नहीं है?
(କିସ୍‌ ବରାବର ତପ୍ ନର୍ଜୀ ହୈ ?)
उत्तर:
सच के बराबर तप नहीं है।

(ख) झूठ के बराबर क्या नहीं है?
(ଝୁଠ୍ କେ ବରାବର କ୍ୟା ନହୀ ହୈ ?)
उत्तर:
झूठ के बराबर पाप नहीं है।

(ग) जिसके हृदय में साँच है, उसके हृदय में कौन होते हैं?
(ଜିସ୍‌ ହୃଦୟ ମେଁ ସୌଚ୍ ହୈ, ଉତ୍ସକେ ହୃଦୟ ମେଁ କୌନ୍ ହୋତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
जिसके हृदय में साँच है, उसके हृदय में आप अर्थात् भगवान विराजमान होते हैं।

(घ) झूठ की तुलना किसके साथ की गई है?
(ଝୁଠ୍ କୀ ତୁଲନା କିସ୍କେ ସାଥ୍ କୀ ଗଈ ହୈ ?)
उत्तर:
झूठ की तुलना पाप के साथ की गई है।

(ङ) साँच की तुलना किसके साथ की गई है?
(ସଁଚ୍ କୀ ତୁଲନା କିସ୍‌ ସାଥ୍ କୀ ଗଈ ହୈ ?)
उत्तर:
साँच की तुलना तप के साथ की गई है।

(च) जो तेरे रास्ते पर काँटा बोता है, तुझे उसके लिए क्या करना चाहिए?
(ଜୋ ତେରେ ରାସ୍ପେପର୍ କାଁଟା ବୋତା ହୈ, ତୁଝେ ଉସ୍କେ ଲିଏ କ୍ୟା)
उत्तर:
जो तेरे रास्ते पर काँटा बोता है, तुझे उसके लिए फूल बिछाना चाहिए।

(छ) पेड़ में कब फल लगते हैं?
(ପେଡ଼୍ ମେଁ କବ୍ ଫଲ୍ ଲଗ୍‌ ହେଁ ?)
उत्तर:
पेड़ में वक्त आने पर फल लगते हैं।

(ज) कौन सौ घड़े पानी सींचता है?
(କୌନ୍ ସୌ ଘଡ଼େ ପାନୀ ସୀତା ହୈ ?)
उत्तर:
माली सौ घड़े पानी सींचता है।

(झ) इन दोहों के रचयिता कौन हैं?
(ଇନ୍ ଦୋର୍ଡୋ କେ ରଚୟିତା କୌନ୍ ହେଁ ?)
उत्तर:
इन दोहों के रचयिता कबीरदास हैं।

(ञ) प्रथम दोहे में ‘आप’ शब्द का क्या अर्थ है?
(ପ୍ରଥମ ଦୋହ ମେଁ ‘ଆପ୍’ ଶବ୍ଦ କା କ୍ୟା ଅର୍ଥ ହୈ ?)
उत्तर:
प्रथम दोहे में ‘आप’ शब्द का अर्थ ईश्वर है।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत या बिलोम शब्द लिखिए :
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ (ବିଲୋମ) ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
साँच, पाप, बुरा, धीर, काँटा
उत्तर:
साँच – झूठ
धीर – अधीर
पाप – पुण्य
काँटा – फूल
बुरा – भला

2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुन कर लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସମାନାର୍ଥୀ ଶବ୍ଦ ବନ୍ଧନୀ ମଧ୍ଯରୁ ବାଛିକରି ଲେଖ: )
बराबर, झूठ, पाप, हृदय, फूल, घड़ा, ऋतु
( मौसम, समान, कलुष, दिल, पुष्प, घट)
उत्तर:
बराबर – समान
हृदय – दिल
झूठ – मिथ्या
फूल – पुष्प
पाप – कलुष
घड़ा – घट

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3. निम्नलिखित शब्दों के बचन बदलिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବଚନ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର: )
पाप, फूल, फल, माली, घड़ा, काँटा, ऋतु
उत्तर:
पाप – पाप
माली – माली
ऋतु – ऋतुएँ।
फूल – फूल
घड़ा – घड़े
फल – फल
काँटा – काँटे

4. इन शब्दों के खड़ीबोली रूप लिखिए:
(ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଖଢ଼ୀବୋଲୀ ରୂପ ଲେଖ : )
साँच, जाके, हिरदै, तोको, बुबै, बाको, होय
उत्तर:
साँच – सच
तोको – तुझको
जाके – जिसके
हिरदै – हृदय
बुबै – बोए
बाको – उसको
होय – होता।

Very Short & Objective Type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
संत कबीरदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
संत कबीरदास का जन्म काशी के एक हिन्दु-परिवार में सन् 1398 में हुआ था।

प्रश्न 2.
कबीरदास क्यों दुःखी हुए?
उत्तर:
समाज में व्याप्त बुराई को देखकर कबीरदास दुःखी हुए।

प्रश्न 3.
कबीर की भाषा क्या है?
उत्तर:
कबीर की भाषा मिश्रीत खड़ीबोली है।

प्रश्न 4.
कबीर की बाणी कौन सी ग्रंथ में संगृहित हुआ?
उत्तर:
कबीर की बाणी ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में संगृहित हुआ।

प्रश्न 5.
कबीरदास के गुरु कौन थे?
उत्तर:
कबीरदास के गुरु रामानन्द स्वामी थे।

प्रश्न 6.
सब कुछ किस प्रकार होता है?
उत्तर:
सब कुछ धीरे-धीरे समय पर होता है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द / एक पद में दीजिए।

प्रश्न 1.
माली के सौ घड़े पानी सींचने पर भी फल कब आता है?
उत्तर:
ऋतु आने पर

प्रश्न 2.
किसके बराबर तप नहीं है?
उत्तर:
सच

प्रश्न 3.
जो हमारे रास्ते पर काँटा बोता है, हम उसके रास्ते पर क्या बोएँगे?
उत्तर:
आप (भगवान)

प्रश्न 4.
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै कौन है?
उत्तर:
फूल

प्रश्न 5.
काँटा बोनेवाले के लिए काँटा क्या बन जाता है?
उत्तर:
त्रिशूल

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प्रश्न 6.
कबीर की वाणी कौन सी ग्रंथ में संगृहित हुआ?
उत्तर:
बीजक

प्रश्न 7.
झूठ के बराबर क्या नहीं है?
उत्तर:
पाप

प्रश्न 8.
कबीर दास क्यों दुःखी हुए?
उत्तर:
बुराई देखकर

प्रश्न 9.
सब कुछ किस प्रकार होता है?
उत्तर:
ग्वाले

प्रश्न 10.
जो तेरे रास्ते पर काँटा बोता है, तुझे उसके लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
फूल बिछाना

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
साँच बराबर तप नहीं। इस अधुरी पंक्ति के रचयिता हैं ……………….।
उत्तर:
कबीर

प्रश्न 2.
जिसके हृदय में साँच हैं, उसके हृदय में ………………… होते हैं।
उत्तर:
भगवान

प्रश्न 3.
सत्यवादी के हृदय में …………………. रहते हैं।
उत्तर:
ईश्वर

प्रश्न 4.
सत्यवादी का आदर ……………… होता है।
उत्तर:
समाज में

प्रश्न 5.
अच्छे फल पाने के लिए ……………… करना चाहिए।
उत्तर:
अच्छा काम

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प्रश्न 6.
जाके ………………. साँच है, ताके हिरदै आप।
उत्तर:
हिरदै

प्रश्न 7.
………………… सौ घड़ा पानी सींचता है?
उत्तर:
माली

प्रश्न 8.
‘तोकु’ शब्द का अर्थ है ……………………।
उत्तर:
तुझको

प्रश्न 9.
कवीरदासजी मन को …………………… धारण करने का उपदेश देते है।
उत्तर:
धीरज

प्रश्न 10.
पेड़ में फल आते है।
उत्तर:
ऋतु आने पर

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
चपरासी सौ घड़े पानी सींचता है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 2.
साँच की तुलना सत्य के साथ की गई है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 3.
पाप के साथ झूठ की तुलना की गई है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 4.
पानी देने पर पेड़ में फल आते हैं।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 5.
अच्छे काम करनेवालों को अच्छा फल मिलता है।
उत्तर:
ठिक्

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प्रश्न 6.
सब कुछ धीरे-धीरे होता है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 7.
‘तोकु फूल को फूल है ……………….. यह अधुरी पंक्ति के रचयिता रहीम है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 8.
निर्मल हृदय में आनंद विराजता है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 9.
झूठ की तुलना पाप के साथ की गई है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 10.
कबीर की बाणी बीजक ग्रंथ में संगृहित हुआ है।
उत्तर:
ठिक्

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQS )

1. माली के सौ घड़े पानी सींचने पर भी फल कब आता है?
(A) वर्षा होने पर
(B) जाड़े में
(C) ऋतु आने पर
(D) कभी नहीं
उत्तर:
(C) ऋतु आने पर

2. किसके बराबर तप नहीं है ?
(A) न्याय
(B) प्रेम
(C) साधना
(D) सच
उत्तर:
(D) सच

3. जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै कौन है ?
(A) आप
(B) मैं
(C) वे
(D) तुम
उत्तर:
(A) आप

4. जो हमारे रास्ते पर काँटा बोता है, हम उसके रास्ते पर क्या बोएँगे ?
(A) फूल
(B) त्रिशूल
(C) दो काँटे
(D) चन्दन का पौधा
उत्तर:
(A) फूल

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5. काँटा बोनेवाले के लिए काँटा क्या बन जाता है?
(A) पंच शूल
(B) फूल
(C) भाला
(D) त्रिशूल
उत्तर:
(D) त्रिशूल

6. किसके बराबर तप नहीं हैं?
(A) पाप
(B) मिथ्या
(C) सच
(D) धन
उत्तर:
(C) सच

7. कौन सौ घड़े पानी सींचता है?
(A) नौकर
(B) मालिक
(C) चपरासी
(D) माली
उत्तर:
(D) माली

8. कबीर की वाणी कौन सी ग्रंथ में संगृहित हुआ?
(A) बीजक
(B) मेघदूत
(C) गोदान
(D) कामायनी
उत्तर:
(A) बीजक

दोहों को समझें (ଦୋହେଁ କୋ ସମସ୍ତେ)

1. सच हमेशा महान होता है। सच के समान इस संसार में तपस्या या ज्ञान नहीं है। उसी प्रकार झूठ के समान कोई पाप नहीं है। इसलिए कबीरदास कहते हैं कि जिसका हृदय निर्मल होता है, जो हमेशा सच बोलता है, उसके हृदय में स्वयं भगवान रहते हैं। अर्थात् सच बोलनेवाले को भगवान के दर्शन मिलते हैं। समाज में उसका आदर होता है। झूठ बोलनेवाले पापी का समाज में निरादार होता है।
ସତ୍ୟ ସବୁବେଳେ ମହାନ୍। ସତ୍ୟ ପରି ଏହି ସଂସାରରେ କୌଣସି ଜ୍ଞାନ କିମ୍ବା ତପସ୍ୟା ନାହିଁ। ମିଛ ପରି ଆଉ କୌଣସି ପାପ ନାହିଁ। କବୀରଙ୍କ ଅନୁସାରେ– ଯିଏ ସବୁବେଳେ ସତ କୁହେ, ତା’ର ହୃଦୟ ନିର୍ମଳ ରୁହେ। ତା’ ହୃଦୟରେ ଭଗବାନ୍ ରୁହନ୍ତି, ଅର୍ଥାତ୍ ସତ କହୁଥ‌ିବା ଲୋକଙ୍କୁ ଭଗବାନଙ୍କ ସାନ୍ନିଧ୍ଵ ମିଳେ। ସମାଜରେ ତାଙ୍କୁ ଆଦର ମିଳେ। ମିଛ କହୁଥିବା ଲୋକ ପାପୀ ସଙ୍ଗେ ସମାନ ହୋଇଥାଏ। ସମାଜରେ ସମସ୍ତେ ତାଙ୍କୁ ଘୃଣା

2. कबीरदास कहते हैं: जो तुम्हारे रास्ते में काँटा बोता है अर्थात् तुम्हारी बुराई करता है, तुम उसके रास्ते में फूल बिछा दो अर्थात् उसकी भलाई करो। परिणाम यह होगा कि तुम्हारी अच्छाई से तुम्हें अच्छा फल मिलेगा और उसकी बुराई के लिए उसे बुरा फल मिलेगा। इसका अर्थ है कि अच्छा काम करने पर अच्छा का फल मिलता है और बुरा काम करने से बुरा का फल मिलता है।
ବିଛାଇ ଦିଅ। ଅର୍ଥାତ୍ ଯିଏ ତୁମର କ୍ଷତି କରୁଛନ୍ତି ତୁମେ ତାଙ୍କର ଉପକାର କର। ପରିଣାମ ସ୍ଵରୂପ ତୁମ ଭଲ କର୍ମଦ୍ଵାରା ତୁମେ ଭଲ ଫଳ ପାଇବ ଏବଂ ତା’ର କୁକର୍ମଦ୍ଵାରା ତାକୁ ଖରାପ ଫଳ ମିଳିବ। ଭଲ କାମ କଲେ ସବୁବେଳେ ଭଲ ହୋଇଥାଏ ଏବଂ ଖରାପ କାମ କଲେ ସବୁବେଳେ ଖରାପ ଫଳ ଭୋଗ କରିବାକୁ ପଡ଼ିଥାଏ।

3. कबीरदास कहते हैं कि प्रत्येक कार्य समयानुसार धीरे-धीरे होता है। हर कार्य के लिए धैर्य की आवश्यकता है। इसके लिए कबीरदास ने माली और पानी का उदाहरण देकर कहते हैं कि जिसप्रकार माली के सौ घड़ा पानी सींचने पर भी पेड़ में समय आने पर ही फल-फूल आते हैं। अर्थात् ऋतु आने पर ही पेड़ फलता फूलता है। उसी प्रकार हर कार्य समयानुसार धीरे-धीरे होता है और उसका फल उपयुक्त समय पर ही मिलता है।
କବୀରଦାସଙ୍କ ଅନୁସାରେ ପ୍ରତ୍ୟେକ କାର୍ଯ୍ୟ ଧୀରେ ଧୀରେ ଓ ସମୟାନୁସାରେ ହୋଇଥାଏ। ଏଥିପାଇଁ ଧୈର୍ଯ୍ୟର ଆବଶ୍ୟକତା ହୋଇଥାଏ। ଯେପରି ମାଳୀ ଶହେ ମାଠିଆ ପାଣି ଛିଞ୍ଚିଲେ ମଧ୍ୟ ବୃକ୍ଷରେ ଫୁଲ-ଫଳ ତା’ର ଉପଯୁକ୍ତ ସମୟ ଆସିଲା ପରେ ହିଁ ଧରିଥାଏ। ସେହିପରି ପ୍ରତ୍ୟେକ କାର୍ଯ୍ୟର ଫଳ ତା’ର ଉପଯୁକ୍ତ ସମୟ ଆସିଲା ପରେ ହିଁ ମିଳିଥାଏ।

दोहे  (ଦେ।ହେ )

(i) साँच बराबर तप नहीं, झुठ बराबर पाप।
जाके हिरदै, साँच है, ताके हिरदै आप।।
ସାଁଚ୍ ବରାବର ତପ୍ ନର୍ଜୀ, ଝୁଠୁ ବରାବର ପାପ୍ ।
ଜାକେ ହିରଦୈ, ସାଁଚ୍ ହୈ, ତାକେ ହିରଦୈ ଆପ୍ ।।

हिन्दी व्याख्या:
कबीरदास कहते हैं कि संसार में सत्य के समान तपस्या या ज्ञान नहीं है। झूठ या मिथ्या के समान पाप या बुरा काम नहीं है। जिसके हृदय में सत्य का निवास है, जो हमेशा सच बोलता है, उसका हृदय पाप रहित और निर्मल होता है। भगवान उसके निर्मल हृदय में वास करते हैं। सत्यवादी को ही भगवान के दर्शन मिलते हैं।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସର୍ବଦା ପରି ପାପ ନାହିଁ । ସତ୍ୟ କହନ୍ତି; ତାଙ୍କ ହୃଦୟ ପାପମୁକ୍ତ ଭଗବାନ ଦର୍ଶନ ଦେଇଥା’ନ୍ତି । କବୀର ଦାସଙ୍କ କହିବା ଅନୁଯାୟୀ ସଂସାରରେ ସତ୍ୟ ପରି ତପସ୍ୟା ବା ଜ୍ଞାନ ନାହିଁ । ମିଥ୍ୟା ମହାନ୍ ବା ଶ୍ରେଷ୍ଠ । ଯାହା ହୃଦୟରେ ସତ୍ୟ ବିରାଜମାନ କରିଛି, ଯିଏ ସର୍ବଦା ସତ୍ୟ

(ii) जो तोको काँटा बुबै ताहि बोय तू फूल।
तोकु फूल को फूल है, बाको है तिरसूल॥
ଜୋ ତୋକୋ କାଁଟା ବୁବୈ ତାହି ବୋୟ ତୁ ଫୁଲ୍ ।
ତୋକୁ ଫୁଲ୍ କୋ ଫୁଲ୍ ହୈ, ବାକୋ ହୈ ତିରସ୍କୁଲ୍ ॥

हिन्दी व्याख्या:
कबीरदास कहते हैं कि जो मनुष्य तुम्हारे रास्ते में काँटा बोता है, इसके रास्ते पर तुम फूल बिछा दो। तुम्हारे अहित करने वाले मनुष्य का भी तुम्हें हित करना चाहिए। क्योंकि इससे तुम्हें तो सुख या आनंद मिलेगा, जबकि उसको दुःख या कष्ट मिलेगा। अहित करने वाले को हमेशा दुःख ही सहन करना पड़ता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବୀରଙ୍କ ମତରେ ଯେଉଁ ଲୋକ ତୁମ ଚଲାପଥରେ କଣ୍ଟା ପକାଇ ଦେଉଛି, ତୁମେ ତାଙ୍କ ପଥରେ ଫୁଲ ପକାଇଦିଅ । ତୁମର ଅହିତ ଚିନ୍ତା କରୁଥିବା ଲୋକର ହିତ ଚିନ୍ତା କରିବା ଉଚିତ । ଏଥୁରେ ତୁମେ ସୁଖ ବା ଆନନ୍ଦ ପାଇବ କିନ୍ତୁ ତାକୁ ଦୁଃଖ ବା କଷ୍ଟ ମିଳିବ । ଅର୍ଥାତ୍ ଅନ୍ୟକୁ ବିପଦରେ ପକାଉଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିକୁ ସର୍ବଦା ଦୁଃଖ ସହିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ତେଣୁ ଭଲ କାମ କର, ଭଲ ଫଳ ଉପଭୋଗ କରିବ।

(iii) धीरे-धीरे रे मना, धीरे-धीरे सब कुछ होय।
माली सीचें सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।
ଧୀରେ-ଧୀରେ ରେ ମନା, ଧୀରେ-ଧୀରେ ସବ୍ କୁଛ୍ ହୋୟ।
ମାଲୀ ସୀଚେଁ ସୌ ଘଡ଼ା, ଋତୁ ଆଏ ଫଲ୍ ହୋୟ।।

हिन्दी व्याख्या:
कबीरदास का कहना है कि हर काम धीरे-धीरे होता है। उसके लिए धैर्य की आवश्यकता है। कवि उसके लिए उदाहरण देकर कहते हैं कि माली के सौ घड़ा पानी सींचने पर भी कुछ लाभ नहीं होता, समय आने पर ही पेड़ में फल आते हैं। उसके पहले नहीं आते। इसलिए हर काम के लिए समय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବୀରଙ୍କ ମତରେ ପ୍ରତ୍ୟେକ କାର୍ଯ୍ୟ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ସମୟ ଅନୁସାରେ ସମାପ୍ତ ହୋଇଥାଏ। ଏଥ‌ିପାଇଁ ଅଧୈର୍ଯ୍ୟ ନ ହୋଇ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ରଖୁବା ଉଚିତ। ଯେପରି ମାଳୀର ଶହେ ମାଠିଆ ପାଣି ଛିଞ୍ଚିଲେ ମଧ୍ୟ ବୃକ୍ଷରେ ଫୁଲ- ଫଳ ସମୟ ନ ଆସିବା ପୂର୍ବରୁ ହୋଇନଥାଏ। ସମୟ ଆସିଲା ପରେ ହିଁ ବୃକ୍ଷରେ ଫୁଲ-ଫଳ ଆସିଥାଏ। ଠିକ୍ ସେହିପରି ପ୍ରତ୍ୟେକ କାର୍ଯ୍ୟର ଫଳ ତା’ର ଉପଯୁକ୍ତ ସମୟ ଆସିଲା ପରେ ହିଁ ମିଳିଥାଏ। ତେଣୁ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ପ୍ରତ୍ୟେକ କାମ ପାଇଁ ପ୍ରତୀକ୍ଷା କରିବା ଉଚିତ।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

साँच – सत्य (ସତ୍ୟ )।

तप – तपस्या (ତପସ୍ୟା)।

जाके – जिसके (ଯାହାର)।

हिरदै – हृदय (ହୃଦୟ)।

तोको – तुझको (ତୁମକୁ)।

ताहि – उसे (ତା’ର)।

तोकु – तुझको (ପତାର)।

तिरसूल – त्रिशूल (ତ୍ରିଶୂଳ)।

होय – होता है (ହୁଏ)।

घड़ा – कुंभ (ମାଠିଆ)।

बराबर – समान (ସମାନ)।

झूठ – मिथ्या (ମିଛ)।

ताके – उसके (ତାହାର)।

आप – भगवान (ଭଗବାନ୍)।

बुबै – बोता है (ବୁଣେ)।

बोय – बो (ବୁଣ)।

बाको – उसको (ତାକୁ)।

मना – मन (ମନ)।

सींचे – सींचना (ଛିଞ୍ଚିବା)।

ऋतु – समय (ସମୟ)।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(a) कबीरदास के दोहे

कवि परिचय

कबीरदास का जन्म सन् 1398 में काशी में हुआ था। कहा जाता है कि वे एक तालाब के किनारे मिले। एक जुलाहा दंपति ने उनका पालन पोषण किया। वे कपड़ा बुनने का काम करते थे। ज्यादा पढ़े- लिखे नहीं थे, लेकिन बड़े अनुभवी थे। बुद्धि, विवेक से काम लेते थे। बहुत बातें जानते थे। वे सभी धर्मों को बराबर मानते थे। वे ईश्वर के निर्गुण, निराकार रूप को मानते थे। उस समय धर्म और समाज में बड़ी गड़बड़ी थी। कबीर ने अपनी वाणी से उसे दूर करने का प्रयास किया। लोगों में जाति-पाति, ऊँच-नीच का भेद भाव था। विभिन्न धर्मों के अनुयायी आपस में झगड़ते थे।

बाह्य आडंबर, अंधविश्वास फैल गया था। कबीर जाति भेद, मूर्ति पूजा, बाहरी आडंबर आदि का विरोध करते थे। वे कहते थे कि सब मनुष्य बराबर हैं। वे बाहरी धार्मिक कर्म काण्ड की अपेक्षा भक्तिभाव पर बल देते थे। वे तीर्थ व्रत, जप-तप, मूर्त्ति पूजा आदि बाहरी काम छोड़ सच्चे दिल से भगवान की भक्ति करने को कहते थे। वे सदाचार, सच्चाई, भाईचारे, धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार करते थे। कबीर का व्यक्तित्व सादा -सीधा पर बड़ा प्रभावशाली था। उनकी वाणियों को उनके शिष्यों ने ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में संगृहीत किया। उनकी भाषा मिश्रित खड़ीबोली है, जो उस समय जन समाज में प्रचलित थी। वे अपने गुरु रामानंद स्वामी का बड़ा आदर करते थे।

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