BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) कृष्ण यशोदा से क्या शिकायत करते है और क्यों?
(କୃଷ୍ଣ ଯଶୋଦା ସେ କ୍ୟା ଶିକାୟତ୍ କରନେ ହୈ ଔର୍ କେଁ ?)
उत्तर:
कृष्ण यशोदा से यह शिकायत करते हैं कि- माँ! मुझे बलराम भैया चिढ़ाते हैं। वे कहते हैं कि मैं खरीद कर लाया गया हुँ। जसुमति ने तुम्हें जन्म नहीं दिया है। इसलिए मैं उनके साथ खेलने नहीं जाता।

(ख) बलराम कृष्ण से क्या पूछते हैं?
(ବଳରାମ କୃଷ୍ଣ ସେ କ୍ୟା ପୁଛତେ ହୈ ?)
उत्तर:
बलराम कृष्ण से पूछते हैं कि – कौन तेरे माता पिता हैं? नंद गोरे हैं और यशोदा गोरी हैं, क्यों काला है?

(ग) यशोदा किसकी कसम खाती हैं और क्या कहती हैं?
(ଯଶୋଦା କିସ୍‌ କସମ୍ ଖାତୀ ହୈ ଔର୍ କ୍ୟା କହତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
यशोदा गोधन की कसम खाती हैं और कहती हैं कि ‘मैं तेरी माता हूँ और तू मेरा पुत्र है। यह बलराम चुगलखोर है और जन्म से शरारती है।

(घ) चुटकी देकर ग्वाल-बालक क्यों नाचते हैं?
(ଚୁଟକୀ ଦେକର୍ ଗ୍ୱାଲା-ବାଳକ ଜ୍ୟୋ ନା ହେଁ ?)
उत्तर:
कृष्ण को बलराम के कहने पर कि नंद गोरे हैं, यशोदा गोरी हैं मगर तू काला क्यों है? तुझे माता यशोदा ने खरीद कर लाया है। यही सब बातें सुनकर कृष्ण को चिढ़ाने के लिए ग्वाल बालक चुटकी बजाकर नाचते हैं।

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2. निम्नलिखित पदों के अर्थ दो-तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପଦୌ କେ ଅର୍ଥ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ: )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ପଦଗୁଡ଼ିକରେ ଅର୍ଥ ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର: )

(क) पुनि-पुनि कहत कौन है माता, कौन है तुमरो तात।
(ପୁନି-ପୁନି କହତ କୌନ୍ ହୈ ମାତା, କୌନ୍ ହୈ ତୁମରେ ତାତ ।)
उत्तर:
कृष्ण की बाललीला का वर्णन करते हुए कवि ने उसका सुंदर वर्णन किया है। कृष्ण बलराम चिढ़ाने के लिए बारबार कहते हैं कि तुम्हारी माता कौन हैं और पिता कौन हैं? तुम बाबानंद और माता यशोदा के पुत्र नहीं हो। तुम्हें माता यशोदा ने खरीद कर लाया है।

(ख) सूर स्याम मोहि गोधन की सौं हौं माता तू पूत।
(ସୂର୍ ଶ୍ୟାମ ମୋହି ଗୋଧନ କୀ ସୌ ହେଁ ମାତା ତୂ ପୂତ ।)
उत्तर:
जब बालक कृष्ण के मुख पर यशोदा गुस्सा देखती है और कृष्ण के मुख से गुस्सैली वाणी सुनती हैं तो वह प्रसन्न हो जाती हैं। फिर कृष्ण से कहती हैं कि बलराम चुगलखोर है और शरारती है। वह गोधन की कसम खाकर कहती हैं कि कृष्ण ही उनका पुत्र है और वह कृष्ण की माता है।

(ग) तनक – तनक चरननि सौं, नाचत, मनहिं मनहिं रिझावत।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ପଦଗୁଡ଼ିକରେ ଅର୍ଥ ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର: )
उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने कहा है कि कृष्ण अपने आप कुछ गा रहे हैं। वे गाते-गाते अपने नन्हे चरणों से नाचते हैं और मन-ही-मन खुश हो रहे हैं।

(घ) कबहुँ चितै प्रतिबिम्ब खंभ में, लौनी – लिए खबावत।
(କବହୁ ଚିତୈ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ଖମ୍ବ ମେଁ, ଲୌନୀ-ଲିଏ ଖବାୱତ୍।)
उत्तर:
बालक कृष्ण घर के भीतर जाकर थोड़ा मक्खन हाथ में लेकर खाते हैं और कुछ मक्खन अपने मुँह पर भी लगा देते हैं। कभी खम्भे में अपना प्रतिबिंब देखकर उसे भी कुछ मक्खन खिलाते हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍- ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ । (ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) बाललीला (पद) के रचयिता कौन हैं?
(ବାଳଲୀଳା (ପଦ) କେ ରଚୟିତା କୌନ୍ ହୈ ।)
उत्तर:
बाललीला (पद) के रचयिता सूरदास हैं।

(ख) कौन कहते हैं कि तुझे मोलकर लाया गया है?
(କୌନ୍ କହତେ ହୈ କି ତୁଝେ ମୋଲ କର ଲାୟା ଗୟା ହୈ?)
उत्तर:
बलराम कहते हैं कि तुम्हें मोल कर लाया गया है।

(ग) बलराम पुनः पुनः क्या कहते हैं?
(ବଳରାମ ପୁନଃ ପୁନଃ କ୍ୟା କହତେ ହୈ ?)
उत्तर:
बलराम पुनः पुनः कहते हैं कि कौन तुम्हारी माता हैं और कौन तुम्हारे पिता हैं।

(घ) ग्वाल बालक किस तरह हँसते हैं?
(ସ୍ଵାଲେ ବାଳକ କିସ୍ ତରହ ହଁସତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
ग्वाल बालक चुटकी बजाकर नाचते हैं और हँसते हैं।

(ङ) माँ यशोदा ने किसे मारना सिखा है?
(ମାଁ ଯଶୋଦା ନେ କିସେ ମାର୍‌ନା ସିଖା ହୈ ?)
उत्तर:
माँ यशोदा ने कान्हा को मारना सीखा है।

(च) कौन दाऊ पर नहीं खीझती है?
(କୌନ୍ ଦାଊ ପର ନହୀ ଶୀଝାତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
माता यशोदा दाऊ पर नहीं खीझती हैं।

(छ) स्याम शरीर का अर्थ क्या है?
(ଶ୍ୟାମ୍ ଶରୀର କା ଅର୍ଥ କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
स्याम शरीर का अर्थ है ‘काला शरीर’ या श्याम मरंग का शरीर।

(ज) ‘जनमत ही को धूत’ का अर्थ क्या है?
(‘ଜନମତ୍‌ ହୀ କୋ ଧୂତ୍’ କା ଅର୍ଥ କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
‘जनमत ही को धूत’ का अर्थ है जन्म से शरारती।

(झ) माँ यशोदा किसकी सौगंध खाती हैं?
(ମାଁ ଯଶୋଦା କିସ୍‌ ସୌଗନ୍ଧା ଖାତି ହେଁ ?)
उत्तर:
माँ याशोदा गोधन की सौगंध खाती हैं।

(अ) कृष्ण किसे माखन खिलाते हैं?
(ମାଁ ଯଶୋଦା କିସ୍‌ ସୌଗନ୍ଧା ଖାତି ହେଁ ?)
उत्तर:
कृष्ण खंभे में अपने प्रतिबिंब को देखकर उसे माखन खिलाते हैं।

(ट) यशोमति क्या देखकर हर्षित हो जाती हैं?
(ଯଶୋମତି କ୍ୟା ଦେଖ୍କର୍ ହର୍ଷିତ୍ ହୋ ଜାତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
यशोमती कृष्ण की बाललीला को देखकर हर्षित हो जाती हैं।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ତତ୍‌ସମ ରୂପ ଲେଖ)
मोल, सौं, पूत, तनक, धूत, बाँह, मैया, खिझायो, गैयनि, कजरी
उत्तर:
मोल – मूल्य
पूत – पुत्र
धूत – दुष्ट
मैया – माता
गैयनि – गौ
सौं – शपथ
तनक – क्षुद्र
बाँह – हस्त
खिझायो – उपहास
कजरी – श्याम

प्रश्न  2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସମାନାର୍ଥୀ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
नित, चरन, कर, बाँह, रिस, तात, जात, बदन, स्याम, धूत, सौं, पूत, शरीर, खीझें, चबाई
उत्तर:
नित – हमेशा/सदैव
चरन – पैर / पाँव
कर – हाथ
बाँह – हाथ
रिस – गुस्सा
तात – पिता
जात – जन्म
बदन – मुँह / चेहरा
स्याम – काला
धूत – धूर्त / शरारती / दुष्ट
सौं – सौगंध/शपथ/कसम
पूत – पुत्र/तनय/बेटा
शरीर – काया/देह
खीझे – गुस्सा
चबाई – चुगलखोर/निंदक

Very Short & Objective type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न  1.
भक्तिकाल के सर्वश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि किसे माना जाता है?
उत्तर:
भक्तिकाल के सर्बश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि सूरदास को माना जाता है।

प्रश्न  2.
सूरदास की प्रमुख प्रामाणिक रचन क्या है?
उत्तर:
सूरदास के प्रमुख प्रामाणिक रचना ‘सूरसागर’ अमूल्य निधि है।

प्रश्न  3.
सूरदास के गुरु कौन थे?
उत्तर:
सूरदास के गुरु बल्लभायार्य थे।

प्रश्न 4.
यशोमति क्या देखकर हर्षित हो जाति है?
उत्तर:
यशोमति कृष्ण की बाललीला को देखकर हर्षित हो जाती है ।

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प्रश्न  5.
‘जनमत ही को धूत’ का अर्थ क्या है?
उत्तर:
‘जनमत ही को धूत’ का अर्थ है जन्म से शरारती।

प्रश्न  6.
श्रीकृष्ण अपने छोटे-छोटे पैरों से क्या करते हैं?
उत्तर:
श्रीकृष्ण अपने छोटे-छोटे पैरों से नाचते हैं।

प्रश्न  7.
श्रीकृष्ण बाँहें उठाकर क्या करते हैं?
उत्तर:
श्रीकृष्ण बाँहें उठाकर कजरी और धौली गायों को बुलाते हैं।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।

प्रश्न  1.
कौन कान्हा को बहुत खिझाता है?
उत्तर:
दाऊ

प्रश्न  2.
दाऊ के खिझाने से कान्हा के नाराज होने पर माँ क्या कहकर समझाती है?
उत्तर:
मैं माता तू पुत्र

प्रश्न  3.
कान्हा क्यों खेलने नहीं जाते?
उत्तर:
रिस के मारे

प्रश्न  4.
दाऊ किसको खिझाते हैं?
उत्तर:
कृष्ण को

प्रश्न  5.
यशोदा कृष्ण मुँह से क्या सुनकर खुश हो जाती हैं?
उत्तर:
शिकायत

प्रश्न  6.
ग्वाले किस तरह हँसते हैं?
उत्तर:
चुटकी बजाकर

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प्रश्न  7.
यशोमती क्या देखकर हर्षित हो जाती हैं?
उत्तर:
कृष्ण की बाललीला

प्रश्न  8.
माता यशोदा किसकी सौगंध खाती हैं?
उत्तर:
गोधन को

प्रश्न  9.
जो चुटकी बजाकर नाचते हैं, वे कौन हैं?
उत्तर:
ग्वाले

प्रश्न 10.
कौन जन्म से धूर्त हैं?
उत्तर:
बलभद्र

प्रश्न  11.
‘लौनी’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
मक्खन

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
…………………. दाऊ पर नहीं खीझती है।
उत्तर:
यशोदा

प्रश्न 2.
बालकृष्ण के हाथ में ………………… है।
उत्तर:
मक्खन

प्रश्न 3.
कृष्ण खंभे में ……………….. देखते हैं।
उत्तर:
प्रतिविम्ब

प्रश्न 4.
बाल कृष्ण ………………. हाथ उठाकर बुलाते हैं
उत्तर:
गायों को

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

प्रश्न 5.
………………. अपने आँगन में नाचते-गाते हैं।
उत्तर:
कृष्ण

प्रश्न 6.
कृष्ण ……………… माखन खिलाते हैं।
उत्तर:
प्रतिबिंब को

प्रश्न 7.
मैया मोहि दाउ बहुत दाउ बहुत खिझायो – इस पंक्ति में मोहि पद ……………….. के लिए प्रयोग हुआ है।
उत्तर:
कृष्ण

प्रश्न 8.
कृष्ण खलते समय अपने बदन पर ………………….. लगाते है।
उत्तर:
माखन

प्रश्न 9.
………………….. अपने आँगन में कछु गावत।
उत्तर:
हरी

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प्रश्न 10.
ग्वाले बालक ………………… बजाकर हँसते हैं।
उत्तर:
चुटकी

प्रश्न 11.
दूरी देखति …………………. यह लीला।
उत्तर:
जसुमति

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
सूरदास के गुरु वल्लभाचार्य थे।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 2.
बलराम कहते हैं कि ‘दाउहि कबहुँ न खीझै ‘?
उत्तर:
भूल

प्रश्न 3.
बलराम शरीर का रंग श्याम है
उत्तर:
भूल

प्रश्न 4.
यशोदा गोधन की कसम खाती हैं।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 5.
माता यशोदा गोपियों को मारना सीखा है।
उत्तर:
भूल

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प्रश्न 6.
मोहन की गुस्सैल वाणी सुनकर यशोमती प्रसन्न हो जाती है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 7.
‘गोरे नंद यशोदा गोरी, तू कत स्याम शरीर’ – इस पंक्ति के रचयिता कबीरदास हैं।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 8.
कृष्ण बीमारी के कारण खेलने नहीं जाते।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 9.
वलराम जन्म से चुगलखोर है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 10.
कृष्ण कजरी धौरी गायों को बुलाते हैं।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 11.
कृष्ण बाँह उठाकर नंद बाबा को बुलाते हैं।
उत्तर:
भूल

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQs)

1. कौन कान्हा को बहुत खिझाता है?
(A) दाऊ
(B) नन्द
(C) यशोदा
(D) ग्वाल बाल
उत्तर:
(A) दाऊ

2. दाऊ के खिझाने से कान्ह के नाराज होने पर माँ क्या कहकर समझाती है?
(A) बलभद्र मेरा पुत्र नहीं है
(B) मैं माता तू पुत्र
(C) मैं बहुत खुश हूँ
(D) तू नाराज न हो
उत्तर:
(B) मैं माता तू पुत्र

3. कान्ह क्यों खेलने नहीं जाते?
(A) दुःख के मारे
(B) रिस के मारे
(C) खुसी के मारे
(D) डर के मारे
उत्तर:
(B) रिस के मारे

4. दाऊ किसको खिझातें हैं?
(A) कृष्ण को
(B) ग्वालों को
(C) गोपियों को
(D) माता यशोदा को
उत्तर:
(A) कृष्ण को

5. यशोदा कृष्ण के मुँह से क्या सुनकर खुश हो जाती हैं?
(A) शिकायत
(B)खेलने न जाने की बात
(C) क्रोधपूर्ण बातें
(D) बलराम के चिढ़ाने की बात
उत्तर:
(A) शिकायत

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6. बाललीला (पद) के रचयिता कौन हैं?
(A) रामदास
(B) हरीदास
(C) सूरदास
(D) भक्तदास
उत्तर:
(C) सूरदास

7. वाले किस तरह हँसते हैं?
(A) चुटकी बजाकर
(B) गाना गाकर
(C) माखन खाकर
(D) तालियाँ बजाकर
उत्तर:
(A) चुटकी बजाकर

8. कौन दाऊ पर नहीं खीझती है?
(A) कृष्ण
(B) बलराम
(C) यशोदा
(D) बिजली कन्या
उत्तर:
(C) यशोदा

9. सूरदास के गुरु कौन थे?
(A) रामानन्द सागर
(B) वल्लभाचार्य
(C) रामकृष्ण परमहंस
(D) विवेकानन्द
उत्तर:
(B) वल्लभाचार्य

10. यशोमती क्या देखकर हर्षित हो जाती हैं?
(A) कृष्ण की बाललीला
(B) अर्जुन की विश्वरुप
(C) कृष्ण की गोपलीला
(D) बिजली कन्या के जन्म
उत्तर:
(A) कृष्ण की बाललीला

पद: (ପଦ)

1. मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायो।
मोसों कहत मोल को लीन्हों, तू जसुमति कब जायो॥
कहा कहौं एही रिस के मारे, खेलन हौं नहीं जात।
पुनि-पुनि कहत कौन है माता, कौन है तुमरो तात॥
गोरे नन्द, जसोदा गोरी, तू कत स्याम सरीर।
चुटकी दै दै हँसत ग्वाल सब, सिखै देते बलबीर॥
तू मोही को मारन सीखी, दाउहि कबहूँ न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातौं, जसुमति सुनि – सुनि रीझै॥
सुनहू कान्ह बलभद्र चबाई, जनमत ही को धूत।
सूर स्याम मोहि गोधन की सौं, हौं माता तू पूत॥

ମୈୟା ମୋହି ଦାଉ ବହୁତ ଖ୍ରୀୟୋ।
ମୋର୍ସ କହତ ମୋଲ୍ କୋ ଲୀକ୍ଷ୍ନୌ, ତୂ ଜସୁମତି କବ ଜାୟେ ॥
କହା କହାଁ ଏହୀ ରିସ କେ ମାତା, ମାରେ, ଖେଲନ ହେଁ ନହିଁ ଜାତ।
ପୁନି-ପୁନି କହତ କୌନ୍ ହୈ କୌନ ହି ତୁମରୋ ତାତ॥
ମାରେ, ଖେଲନ ହେଁ ନହିଁ ଜାତ। ମାତା, କୌନ ହି ତୁମରୋ ତାତ ॥
ଗୋରେ ନନ୍ଦ, ଜସୋଦା ଗୋରୀ, ତୂ କତ ସ୍ୟାମ ସରୀର।
ଚୁଟକୀ ଦୈ ଦୈ ହଁସତ ଗ୍ବାଲ ସବ, ସିଖି ଦେତେ ବଲବୀର॥
ତୂ ମୋହୀ କୋ ମାରନ ସୀଖୀ, ଦାଉହି କବହୁଁ ନ ଖୀର୍ଷେ।
ମୋହନ ମୁଖ ରିସ କୀ ୟେ ବାର୍ଡୋ, ଜସୁମିତ ସୁନି-ସୁନି ରୀର୍ଥେ ॥
ସୁନହ୍ନି କାହ୍ନ ବଲଭଦ୍ର ଚବାଈ, ଜନମତ ହୀ କୋ ଧୂତ।
ସୂର ସ୍ୟାମ ମୋହି ଗୋଧନ କୀ ସୌ, ହେଁ ମାତା ତୃ ପୂତ॥

हिन्दी व्याख्या: इस पद में कृष्ण की बाललीला का वर्णन है। बालक कृष्ण माँ यशोदा के पास शिकायत करते हैं, “माँ! मुझे बलराम भैया चिढ़ाते हैं। वे मुझे कहते हैं कि तुझे खरीद कर लिया गया है। जसुमति ने तुझे जन्म नहीं दिया है। इसलिए मैं उनके साथ खेलने नहीं जाता। वे बार-बार मुझे पूछते हैं कि कौन तेरी माता और कौन तेरे पिता हैं? और कहते हैं कि नंद गोरे हैं, यशोदा गोरी है, तू क्यों श्यामल/काला है। यह सुनकर मुझे चिढ़ाने के लिए ग्वाल बालक चुटकी बजाकर नाचते हैं।

बलराम भैया उन्हें सिखा देते हैं। तूने सिर्फ मुझे मारना सीखा है। बलराम भैया पर खीझती भी नहीं ।” मोहन के मुख पर गुस्सा देखकर और उनकी गुस्सैली वाणी सुनकर यशोमति प्रसन्न हो जाती हैं। माँ कहती है कि कान्हा सुन, यह बलराम चुगलखोर है, वह जन्म से शरारती है। मैं गोधन की कसम खाकर कहती हूँ कि मैं तेरी माता और तू मेरा पुत्र है।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଏହି ପଦରେ କୃଷ୍ଣଙ୍କର ବାଲ୍ୟଲୀଳାର ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଅଛି। କୃଷ୍ଣ ମାତା ଯଶୋଦା ପାଖରେ ଆପରି କରୁଛନ୍ତି କି ହେ ମାତା! ମୋତେ ବଳରାମ ଭାଇ ଚିଡ଼ାଉଛନ୍ତି। ମୋତେ କହୁଛନ୍ତି ତୋତେ କିଣିକରି ଅଣାଯାଇଅଛି। ମାତା ଯଶୋଦା ତୋତେ ଜନ୍ମ ଦେଇନାହାଁନ୍ତି। ଏଣୁ ମୁଁ ତାଙ୍କ ସହିତ ଖେଳିବାକୁ ଯାଉନାହିଁ। ସେ ବାରମ୍ବାର ମୋତେ ପଚାରୁଛନ୍ତି ତୋ’ ମାତା ପିତା କିଏ?

ନନ୍ଦ-ଯଶୋଦା ତ ଗୋରା, ତୁ କାହିଁକି କଳା ହେଲୁ? ଏହା ଶୁଣି ଗୋପାଳ ପିଲାମାନେ ମଧ୍ଯ ଚୁଟୁକି ମାରି ନାଚୁଛନ୍ତି। ବଳରାମ ଭାଇ ତାଙ୍କୁ ଶିଖାଉଛନ୍ତି। ତୁମେ କେବଳ ମୋତେ ମାରିବା ଜାଣିଛ ମାତା କହୁଛନ୍ତି: କୃଷ୍ଣ ଶୁଣ, ବଳରାମ ମିଛୁଆଟା ଏବଂ ଜନ୍ମରୁ ଦୁଷ୍ଟ। ମୁଁ ଗାଈର ଶପଥ ଖାଇ କହୁଛି ଯେ ତୁ ମୋର ପୁଅ ଏବଂ ମୁଁ ତୋ’ ର ମାଆ

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2. हरि अपने आँगन कछु गाबत।
तनक-तनक चरनन सौं नाचत, मनहिं – मनहिं रिझाबत ॥
बाँह उचाइ काजरी – धौरी, गौयनि टेरि बुलाबत।
कबहुँक बाबा नंद पुकारत, कबहुँक घर मैं आबत॥
माखन तनक आपने कर लै, तनक-बदन मैं नाबत।
कबहुँ चितौ प्रतिबिम्ब खंभ मैं, लौनी लिए खबावत॥
दुरि खति जसुमति यह लीला, हरष आनंद बढ़ावत।
सूर स्याम के बाल – चरित ये, तिन देखन मन भावत॥

ହରି ଅପନେ ଆଗନ କଛୁ ଗାବତ୍।
ତନକ-ତନକ ଚରନନ ସୌ ନାଚତ, ମନହିଁ-ମନହିଁ ରିଝାବତ ॥
ବାହ ଉଚାଇ କାଜରୀ-ଧୌରୀ, ଗୌୟନି ଟେରି ବୁଲାବତ।
କବର୍ଦ୍ଧକ ବାବା ନଂଦ ପୁକାରତ, କବଚ୍ଛୁକ ଘର ମେଁ ଆବତ॥
ମାଖନ ତନକ ଆପନେ କର ଲୈ, ତନକ-ବଦନ ମେଁ ନାବତ।
କବହୁଁ ଚିତୌ ପ୍ରିତବିମ୍ବ ଗଂଭ ମେଁ, ଲୌନୀ ଲିଏ ଖବାୱତ॥
ଦୁରି ଦେଖତି ଜସୁମତି ୟହ ଲୀଲା, ହରଷ ଆନଂଦ ବଢ଼ାୱତ।
ସୂର ସ୍ୟାମ କେ ବାଲ-ଚରିତ ଯେ, ନିତ ଦେଖତ ମନ ଭାବତ॥

हिन्दी व्याख्या: बालक कृष्ण घर के आंगन में अकेले खेल रहे हैं। उनका यह खेल सबके मन को मोह लेता है। यह वर्णन बहुत ही हृदयग्राही है। भगवान कृष्ण अपने आप कुछ गा रहे हैं। वे गाते-गाते नन्हें चरणों से नाचते भी हैं और मन-मन खुश हो रहे हैं। कभी वे हाथ उठाकर काली एवं सफेद गायों को बुलाते हैं, तो कभी नंद बाबा को पुकारते हैं। वे कभी घर के भीतर चले जाते हैं।

घर में जाकर थोड़ा मक्खन हाथ में लेकर खाते हैं, और थोड़ा-सा मुँह में लगा लेते हैं। माता यशोदा दूर से ही खड़ी होकर यह लीला देख रही हैं। और आनंदित हो रही हैं। सूरदास कह रहे हैं कि कन्हैया की यह बाललीला रोज-रोज देखने पर भी प्यारी लगती है। इससे मन तृप्त नहीं होता।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କୃଷ୍ଣ ଏକୁଟିଆ ଅଗଣାରେ ଖେଳୁଛନ୍ତି। ତାଙ୍କର ଏହି ଖେଳ ସମସ୍ତଙ୍କ ମନକୁ ମୋହିତ କରୁଅଛି। ଏହା ଅତ୍ୟନ୍ତ ହୃଦୟଗ୍ରାହୀ। କୃଷ୍ଣ ଆପଣା ଛାଏଁ କିଛି ଗୀତ ଗାଇ ଚାଲିଛନ୍ତି। ଗାଉ ଗାଉ ଛୋଟ ପାଦରେ ସେ ନାଚୁଛନ୍ତି ମଧ୍ୟ ଏବଂ ମଗ୍ନ ମଧ୍ୟ ହୋଇଯାଉଛନ୍ତି। କେତେବେଳେ ହାତଠାରି କାଳୀ ଓ ଧଳୀ ଗାଈଙ୍କୁ ଡାକୁଛନ୍ତି ତ କେତେବେଳେ ନନ୍ଦ ବାବାଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଡାକୁଛନ୍ତି।

କେତେବେଳେ ଘର ଭିତରକୁ ଚାଲିଯାଇ ଲହୁଣି ଖାଉଛନ୍ତି ତ ଲହୁଣି ହାତରେ ଧରି ନିଜ ମୁହଁରେ ବୋଳି ମଧ୍ୟ ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ଲାଗୁଛି। ଏତିକିରେ ମନର ତୃପ୍ତି ହେଉନାହିଁ। ଥାଇ ଏହା ଦେଖୁଛନ୍ତି ଏବଂ ଖୁସି ହେଉଛନ୍ତି। ସୁରଦାସ କହୁଛନ୍ତି ଯେ କୃଷ୍ଣଙ୍କର ଏହି ବାଲ୍ୟଲୀଳା ସବୁଦିନ ଦେଖୁଥିଲେ ମଧ୍ୟ ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ଲାଗୁଛି। ଏତିକିରେ ମନର ତୃପ୍ତି ହେଉନାହିଁ

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

मैया – माँ (ମା’)

दाऊ – बड़ा भाई बलराम (ବଡ଼ଭାଇ ବଳରାମ)

खिझायो – चिढ़ाया (ବଡ଼ଭାଇ ବଳରାମ)

कहत – कहते है (ଚିଡ଼ାଇଲେ)।

लीन्हों – लाया गया (କୁହନ୍ତି)।

जायो – जन्मा (ଅଣାଯାଇଅଛି)।

एही – यही (ଜନ୍ମ ହେବା)।

खेलन – खेलने (ଏହି)।

पुनि-पुनि – बारबार (ଖେଳିବାକୁ)।

तात – पिता (ବାରମ୍ବାର)।

सरीर – शरीर (ପିତା)।

चुटकी – अंगूठे और पास की अंगुली से बजाना (ଶରୀର)।

दै- देकर (ଦେଇକରି)।

ग्वाल – गोपाल (ଗୋପାଳ)।

बलवीर – बलराम (ବଳରାମ)।

मारन – मारना (ମାରିବା)।

दाउहि – बडे भाई से ( କଥା)।

बातें – बातें (ବଡ଼ଭାଇ)।

सुनहू – सुनकर (ଶୁଣି ଶୁଣି)।

चबाई – चुगलखोर (ମିଛକୁହା)।

धूत – शरारती (ବଦମାସ୍)।

गोधन – गायरूपी धन (ଗୋଧନ)।

मोहि – मुझे (ମୋତେ)।

मोसों – मुझसे (ମୋତେ)।

मोल – खरीद कर (କିଣି କରି)।

जसुमति – यशोदा (ଯଶୋଦା)।

कहैं – कहें (କହିବ)

रिंस – गुस्सा (ରାଗ)।

जात – जाएँ (ଯାଏ)।

तुमरो – तुम्हारा (ତୁମର)।

कत – क्यों (କାହିଁକି)।

स्याम – श्यामल (ଶ୍ୟାମଳ ରଙ୍ଗ)।

सिखै – सिखाने (ଲିବା)।

मोहि – मुझे (ଶିଖାନ୍ତି)।

सीखी – सीखना (ଶିଖିବ)।

कबहूँ – कभी (କେତେ)।

रीझै – प्रसन्न (ଖୁଡି ହେବ)।

कान्ह – कान्हा (କୃଷ୍ଟ)।

जनमत – जन्म (କନ୍ନ)।

पूत – पुत्र (ପୁତ୍ର)।

सौं – सौगंध (ଶପଥ)।

हरि – कृष्ण (କୃଷ୍ଣ)।

कछु – कुछ (କିଛି)।

तनक-तनक – नन्हें-नन्हें (ଛୋଟ ଛୋଟ)।

मनहिं-मनहिं – मन में (ମନେମନେ)।

बाँह – हाथ (ହାଥ)

काजरी – काली (କାଳ)

कबहुँक – कभी (କେବେ)

आवत – आते हैं (ଅପନ୍ତି)

तनक – कुछ (କିଛି)

लै – लेकर (ନେଇକରି)

नावत – लगाते (ଲଗାଇବ)

दुरि – दूर (ହର)

बढ़ावत – बढ़ाना (ଗଢାଇବା)

आँगन – (ଅଗଣା)।

गावत – गाना (ଚାଇବା)।

चरनन – चरण (ପ।ଦ)।

रिझावत – मगन (ମଗ୍ନ)

उचाइ – उठाकर (ହାପଠାରି)

धौ. – सफेद (ଧଳା)

पुकारत – पुकारते हैं (ପାରନ୍ତି)

माखन – मक्खन (ଲତୁଣି)

कर – हाथ (घाथ)। (ତ୍ୱାଥ)

बदन – मुँह (ପୁହିଁ)

खबावत – खिलाते हैं (ଖୁଆନି)

लिए – लेकर (ନେଇ)

भावत – अच्छा लगता (ଭଲ ଲାଗ)

कवि परिचय

भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि सूरदास हिन्दी के सूर्य जैसे तेजस्वी कवि हैं। उनका जन्म सन् 1478 में दिल्ली के निकट सीही गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे अंधे थे, पर मालूम पड़ता है कि वे जन्मांध नहीं थे। मथुरा और आगरा के बीच यमुना नदी के तटपर स्थित गऊघाट पर उन्होंने संगीत, काव्य और शास्त्र का अभ्यास किया और विनय के भाव से पदों की रचना की। आगे चलकर वे वल्लभाचार्य के शिष्य बन गये और ब्रज जाकर गोवर्धन के पास पारसोली नामक जगह पर अपना स्थायी निवास बनाकर पद लिखते रहे।

सूरदास मानव: मन के बड़े पारखी थे। वात्सल्य भाव के तो वे मर्मज्ञ थे। श्रीमद् भागवत महापुराण के आधार पर रचित उनका विशाल ग्रंथ ‘सूर सागर’ हिंदी की अमूल्य निधि है। ये बच्चों कें, माताओं के, साथियों के, नारी और पुरुषों के मनोभावों के पारंगम कवि थे।

यह पद : (ଏହି ପଦ)
प्रस्तुत पाठ में महाकवि सूरदास द्वारा रचित कृष्ण की बाललीला के दो पदों को रखा गया है। ये पद ‘सूरसागर’ से संकलित हैं।
ପ୍ରସ୍ତୁତ ପାଠରେ ମହାକବି ସୁରଦାସଙ୍କଦ୍ଵାରା ରଚିତ କୃଷ୍ଣଙ୍କର ବାଲ୍ୟଲୀଳାର ଦୁଇଟି ପଦ ରଖାଯାଇଅଛି। ଏହି ପଦ ‘ସୁର ସାଗର’ରୁ ସଙ୍କଳିତ ହୋଇଅଛି।

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