BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(c) तुलसीदास के दोहे

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 1(c) तुलसीदास के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 1(c) तुलसीदास के दोहे

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ।)

(क) कठोर वचन का क्यों परिहार करना चाहिए?
(କଠୋର୍ ବଚନ୍ କା ର୍ଯ୍ୟା ପରିହାର୍ କର୍‌ନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
कठोर वचन सबको दुःख पहुँचाता है। परिवेश को अशान्त कर देता है। कठोर वचन से दूसरों को पीड़ा पहुचती है इसलिए कठोर वचन को परिहार करके मीठे वचन बोलना चाहिए।

(ख) मीठे वचन से क्या लाभ होता है?
(ମୀଠ ବଚନ୍ ସେ କ୍ୟା ଲାଭ୍ ହୋତା ହୈ ?)
उत्तर:
मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं। मीठी वाणी से हम सबको अपने वश में कर सकते हैं। मीठी वाणी से चारों ओर शांति बनी रहती है। सबको सुख मिलता है।

(ग) सन्तोष धन के सामने कौन-कौन से धन धूरि के बराबर माने जाते हैं?
(ସନ୍ତୋଷ୍ ଧନ୍ କେ ସାମ୍‌ନେ କୌନ୍-କୌନ୍ ସେ ଧନ୍ ଧୂରି କେ ବରାବର୍ ମାନେ ଜାତେ ହୈ ?)
उत्तर:
सन्तोष धन के सामने गोधन, गजधन, बाजीधन, रतनधन आदि धन धूरि के बराबर माने जाते हैं। क्योंकि इस प्रकार के धन से सुख शांति नहीं मिलती। मन चिंतित रहता है।

(घ) रोष या गुस्से के समय क्या नहीं खोलना चाहिए और क्यों?
(ରୋଷ୍ ୟା ଗୁସ୍‌ କେ ସମୟ କ୍ୟା ନହୀ ଖୋଲ୍‌ନା ଚାହିଏ ଔର୍ କ୍ୟା?)
उत्तर:
रोष या गुस्से के समय जीभ नहीं खोलनी चाहिए। क्योंकि क्रोध में मनुष्य कड़वी बातें बोल जाता है। कड़वी बातें तलवार से भी अधिक घाव कर देती है।

(ङ) मीठे वचन की तुलना वशीकरण मन्त्र से क्यों की गई है?
(ମୀଠ ବଚନ୍ କୀ ତୁଲନା ବଶୀକରଣ୍ ମନ୍ତ୍ର ସେ କୈ କୀ ଗଈ ହୈ ?)
उत्तर:
मीठे वचन की तुलना वशीकरण मन्त्र से की गई है क्योंकि मीठे वचन से हम सबको अपने वश में कर सकते हैं। मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं, इससे सबको शांति और सुख मिलता हैं।

(च) हमें सोच विचार कर क्यों बोलना चाहिए?
(ହର୍ମେ ସୋଚ୍ ବିଚାର୍ କର୍ ଜ୍ୟୋ ବୋଲନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
हमें सोच विचार कर हमेशा बोलना चाहिए। क्योंकि क्रोध में मनुष्य कड़वी बातें बोल जाता है। ये कड़वी बातें तलवार से भी अधिक घाव करती है। इसका प्रहार सीधे हृदय और मन पर होता है। मधुर वचन का परिणाम मधुर होता है।

निम्नलिखित अवतरणों का आशय दो-तीन वाक्यों में स्पष्ट कीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରର୍ଡୋ କା ଆଶୟ ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ ।)
(ତଳଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଆଶୟ ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)

(क) तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँओर।
(ତୁସୀ ମୀଠେ ବଚନ୍ ତେ, ସୁଖ୍ ଉପଜତ୍ ଚହୁଁଓର ।)
उत्तर:
इस पंक्ति में तुलसीदास यह बतलाते हैं कि मीठ वचन से सबको सुख मिलता है। चारों ओर शांति बनी रहती है। मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं।

(ख) जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूरि समान।
(ଜବ୍ ଆୱେ ସନ୍ତୋଷ୍ ଧନ୍, ସବ୍ ଧନ୍ ଧୂରି ସମାନ୍ ।)
उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने यह कहा है कि सन्तोष धन के सामने सब धन धूल के समान है। क्योंकि इस प्रकार के धन से सुख शांति नहीं मिलती, मन चिंतित रहता है।

(ग) रोष न रसना खोलिए, बरु खोलिओ तलवारि।
(ରୋସ୍ ନ ରସ୍‌ନା ଖୋଲିଏ ବରୁ ଖୋଲିଓ ତଲବାରି ।)
उत्तर:
गुस्से में जीभ नहीं खोलनी चाहिए। क्योंकि गुस्से में मनुष्य आपे से बाहर हो जाता है और कड़वी बातें बोल जाता है। ये कड़वी बाते दिल और मन को घायल करके अधिक कष्ट देती है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।)
(ତଳଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) किससे चारों ओर सुख उपजता है?
(କିସ୍‌ ଚାର୍ରେ ଓର ସୁଖ୍ ଉପଚ୍ଚତା ହୈ ?)
उत्तर:
मीठे वचन से चारों ओर सुख उपजाता है।

(ख) वशीकरण का मंत्र क्या है?
(ବଶୀକରଣ୍ କା ମନ୍ତ୍ର କ୍ୟା ହୈ ?)
उत्तर:
मीठे वचन वशीकरण का मंत्र है।

(ग) हमें क्या परिहार करना या छोड़ना चाहिए?
(ହର୍ମେ କ୍ୟା ପରିହାର୍ କର୍‌ନା ୟା ଛାଡୁନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
हमें कटु वचन को परिहार करना या छोड़ना चाहिए।

(घ) कवि ने सन्तोष की तुलना किस से की है?
(କବି ନେ ସନ୍ତୋଷ୍ କୀ ତୁଲନା କିସ୍ ସେ କୀ ହୈ ?)
उत्तर:
कवि ने सन्तोष की तुलना धन से की है।

(ङ) कब रसना नहीं खोलनी चाहिए?
(କବ୍ ରସ୍‌ନା ନହୀ ଖୋଲ୍‌ନୀ ଚାହିଏ?)
उत्तर:
अधिक गुस्से में रसना नहीं खोलनी चाहिए।

(च) किस धन के सामने सारे धन तुच्छ माने जाते हैं ?
(କିସ୍ ଧନ୍ କେ ସାମ୍‌ ସାରେ ଧନ୍ ତୁଚ୍ଛ ମାନେ ଜାତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
संतोष धन के सामने सारे धन तुच्छ माने जाते हैं।

(छ) सन्तोष धन के सामने सब धन किसके समान होते हैं?
(ସନ୍ତୋଷ୍ ଧନ୍ କେ ସାମ୍‌ ସବ୍ ଧନ୍ କିସ୍କେ ସମାନ୍ ହୋତେ ହେଁ ?)
उत्तर:
सन्तोष धन के सामने सब धन धूल के समान होते हैं।

(ज) विचार करके वचन कहने से क्या होता है?
(ବିଚାର୍ କର୍‌କେ ବଚନ୍ କହନେ ସେ କ୍ୟା ହୋତା ହୈ ?)
उत्तर:
विचार करके वचन कहने से उसका परिणाम मधुर होता है।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए । ( 160 61 ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
मीठा, सुख, कठोर, छोड़ना, समान, खोलना
उत्तर:
मीठा – कड़वा/खट्टा
कठोर – मृदु/कोमल
समान – असमान
सुख – दुःख
छोड़ना – पकड़ना
खोलना – बंद करना

2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ସମାନାର୍ଥକ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସମାନାର୍ଥୀ ଶବ୍ଦ ଲେଖ )
वचन, सुख, कठोर, उपजना, गो, गज, बाजि
उत्तर:
वचन – वाणी/बात
कठोर – निर्दयी
गो – गाय/गऊ
सुख – आनन्द
उपजना – पैदा होना/जन्म होना
गज – हाथी

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रयोग से सार्थक वाक्य बनाइए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ପ୍ରୟୋଗ୍ ସେ ସାର୍ଥକ ବାକ୍ୟ ବନାଇଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରୟୋଗ କରି ସାର୍ଥକ ବାକ୍ୟ ଗଠନ କର।)
वसीकरण, कठोर, गोधन, सन्तोष, तलवार
उत्तर:
वसीकरण – मीठे वचन तो वशीकरण मंत्र के समान हैं।
कठोर – राहुल अत्यन्त कठोर स्वभाव का है।
गोधन – यशोदा गोधन की कसम खाकर कहती हैं कि कृष्ण ही उनका पुत्र है।
संन्तोष – सन्तोष रूपी धन के सामने बाकी सारा धन तुच्छ है।
तलवार – तलवार शरीर पर घाव करती है मगर कड़वी बातें दिल पर घाव कर देती हैं।

4. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଶବ୍ଦା କେ ଶୁଦ୍ଧ ରୂପ ଲିଖିଏ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଶୁଦ୍ଧ ରୂପ ଲେଖ।)
चहुँओर, वसीकरण, धूरि, तरवारि, परिनाम
उत्तर:
चहुँओर – चारों ओर
तरवारि – तलवार
वसीकरण – वशीकरण
धूरि – धूल/धूलि
परिनाम – परिणाम

5. निम्नलिखित शब्दों के साथ करण कारक ‘से’ चिह्न का प्रयोग करके वाक्य बनाइए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦା କେ ସାଥ୍ କରଣ୍ କାରକ୍ ‘ସେ’ ଚିହ୍ନ କା ପ୍ରୟୋଗ କର୍‌କେ ବାକ୍ୟ ବନାଇଏ)
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକ ସହିତ କରଣ କାରକ ‘ସେ’ ଚିହ୍ନର ପ୍ରୟୋଗ କରି ବାକ୍ୟ ଗଠନ କର )
वचन, मंत्र, धन, तलवार
उत्तर:
वचन – मीठे वचन से सबको सुख मिलता है।
मंत्र – वशीकरण मंत्र से सभी को वश में किया जा सकता है।
धन – धन से सुख नहीं मिलता।
तलवार – तलवार से मत खेलो।

Very Short & Objective type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. तुलसीदास का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के राजापुर में हुआ।

2. तुलसीदास के गुरु कौन थे?
उत्तर:
श्री नरहरि दास तुलसीदास के गुरु थे

3. तुलसी जी किस-किस भाषा में लिखते थे?
उत्तर:
तुलसी जी अवधी और ब्रजभाषा में लिखते थे।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द / एक पद में दीजिए।

1. संतोष-धन आ जाता है तो बाकी सब धन किसके समान हो जाते हैं?
उत्तर:
धूल के

2. किसका परिणाम हितकर होता है?
उत्तर:
वशीकरण का

3. तुलसी ने श्रेष्ठ धन किसे कहा है?
उत्तर:
संतोष

4. तुलसीदास क्या परिहार करने को कहते हैं?
उत्तर:
कठोर वचन

5. जो वाणी सुनने में मधुर लगती है, उसका परिणाम क्या होता है?
उत्तर:
हितकर

6. किस अवस्था में रसना नहीं खोलनी चाहिए?
उत्तर:
गुस्से के समय

7. कवि तुलसीदास के अनुसार वशीकरण मंत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर:
मीठी वाणी से सबको वश में करना

8. रोष के समय क्या नहीं खोलनी चाहिए ?
उत्तर:
रसना

9. हमे किस प्रकार की वाणी बोलनी चाहिए?
उत्तर:
मीठी

10. ‘परिनाम’ का अर्थ क्या है?
उत्तर:
परिणाम

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

1. विचार करके वचन बोलने से परिणाम ……………… होता है।
उत्तर:
हितकर

2. ………………… सी बात तलवार से अधिक घाव करती है।
उत्तर:
कड़वी

3. कड़वी बातें. ……………. घायल करती है।
उत्तर:
मन को

4. वशीकरण मंत्र ……………….. है।
उत्तर:
मधुर वाणी

5. तुलसी जी के गुरु ………………… है।
उत्तर:
रामानन्द

6. ………………… में रसना नहीं खोलनी चाहिए।
उत्तर:
अधिक गुस्से

7. तुलसी ने सन्तोष की तुलना …………………. से की है।
उत्तर:
धन

8. ………………. से चारों ओर सुख उपजता है।
उत्तर:
मिठे वचन

9. ………………. के सामने सारे धन तुछ माने जाते है।
उत्तर:
संन्तोष धन

10 ‘बरु’ का अर्थ है…………….. ।
उत्तर:
बल्कि

D. ठिक् या भूल लिखिए।

1. संतोष धन के आने से सारे धन धूल के समान हो जाते हैं।
उत्तर:
ठिक्

2. तुलसी के अनुसार विचार करके घूमना चाहिए।
उत्तर:
भूल

3. तलवार से रसना घातक होती है।
उत्तर:
ठिक्

4. चुटकुले चारों ओर सुख उपजाने में सहायक हैं।
उत्तर:
भूल

5. मीठे वचनों से सुख मिलता है।
उत्तर:
ठिक्

6. विचार करके कहानी कहना जरुरी है।
उत्तर:
भूल

7. ‘रामचरित मानस’ तुलसीदास ने लिखा है।
उत्तर:
भूल

8. बाजिधन के सामने सारे धन तुच्छ हैं
उत्तर:
ठिक्

9. ‘बाजी’ का अर्थ हाथी है।
उत्तर:
भूल

10. विनय पत्रिका तुलसीदास की रचना है।
उत्तर:
ठिक्

11. कवि ने संन्तोष की तुलना धन से की है।
उत्तर:
ठिक्

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQS)

1. संतोष-धन आ जाता है तो बाकी सब धन किसके समान हो जाते हैं?
(A) धूल के
(B) बाजि के
(C) रतन के
(D) प्राण के
उत्तर:
(A) धूल के

2. किसका परिणाम हितकर होता है?
(A) कटु वचन का
(B) रत्न-धन का
(C) वशीकरण का
(D) मधुर वचन का
उत्तर:
(C) वशीकरण का

3. तुलसी ने श्रेष्ठ धन किसे कहा है?
(A) रत्न-धन को
(B) राम – रत्न को
(C) संतोष-धन को
(D) सोने-चाँदीको
उत्तर:
(C) संतोष-धन को

4. तुलसीदास क्या परिहार करने को कहते हैं?
(A) कुसंग
(B) चिंत
(C) कामना
(D) कठोर वचन
उत्तर:
(D) कठोर वचन

5. जो वाणी सुनने में मधुर लगती है, उसका परिणाम क्या होता है?
(A) हितकर
(B) अहितकर
(C) भयानक
(D) खुशामद
उत्तर:
(A) हितकर

6. चहुँओर सुख उपजाता है।
(A) मीठे वचन से
(B) कटुवचन से
(C) अल्प वचन से
(D) धीमे वचन से
उत्तर:
(A) मीठे वचन से

7. तुलसीदास के अनुसार सबसे बड़ा धन है।
(A) गोधन
(B) गज धन
(C) संतोष धन
(D) रतन धन
उत्तर:
(C) संतोष धन

8. किस अवस्था में रसना नहीं खोलनी चाहिए।
(A) गुस्से के समय
(B) शान्ति के समय
(C) खाते समय
(D) राते समय
उत्तर:
(A) गुस्से के समय

दोहे (ଦୋହେ)

(i) तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँओर।
वसीकरण यह मंत्र है, परिहरु बचन कठोर॥
ତୁଲସୀ ମୀଠେ ବଚନ୍ ତେ, ସୁଖ୍ ଉପଜତ ଚହୁଁଓର।
ବସୀକରଣ ୟହ ମନ୍ତ୍ର ହୈ, ପରିହରୁ ବଚନ୍ କଠୋର୍॥

हिन्दी व्याख्या:
तुलसीदास कहते हैं कि मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं। मधुर वचन से हम सबको अपने वश में कर सकते हैं। मीठे वचन से चारों ओर शान्ति बनी रहती है। सबको सुख मिलता है। लेकिन कड़वी वाणी से सबको दुःख पहुँचता है। मीठे वचन तो वशीकरण मंत्र के समान है। इसलिए कड़वा वचन न बोलकर मीठे वचन बोलना चाहिए।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ମିଠା କଥା ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଭଲ ଲାଗେ। ମିଠା କଥା କହି ଆମେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଆପଣେଇ ପାରିବା। ମିଠା କଥାଦ୍ଵାରା ସବୁଆଡ଼େ ଶାନ୍ତି ଲାଗି ରହିଥାଏ। ସମସ୍ତଙ୍କୁ ସୁଖ ମିଳେ। କିନ୍ତୁ କଟୁକଥା ସମସ୍ତଙ୍କ ମନକୁ ଆଘାତ କରେ ଓ ଦୁଃଖ ଦିଏ। ମଧୁର ବଚନ ବଶୀକରଣ ମନ୍ତ୍ର ପରି। ଏଣୁ ଆମକୁ କଟୁ କଥା ନ କହି ମିଠା କଥା କହିବା ଦରକାର।

(ii) गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।
जब आवे सन्तोष धन सब धन धूरि समान॥
ଗୋଧନ୍, ଗଜଧନ୍, ବାଜିଧନ୍ ଔର୍ ରତନଧନ୍ ଖାନ୍।
ଜବ୍ ଆୱେ ସନ୍ତୋଷ୍ ଧନ୍, ସବ୍‌ ଧନ୍ ଧୂରି ସମାନ୍॥

हिन्दी व्याख्या :
कवि कहते हैं कि साधारणतः हमारी धारणा है कि जिसके पास पर्याप्त गाय-भैंस, हाथी और घोड़े होते हैं या धन रत्न आदि होते हैं, वह इस संसार में सबसे अधिक धनी है। लेकिन कवि के अनुसार ये सारे धन होते हुए भी अगर मन में सन्तोष नहीं है तो ये सबकुछ मूल्यहीन होता है। सन्तोष धन के सामने ये सब धन धूल के समान तुच्छ हैं। क्योंकि इस प्रकार के धन से सुख शान्ति नहीं मिलती। मन चिंतित रहता है।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ସାଧାରଣତଃ ଆମେ ଭାବିଥାଉ ଯେ ଯାହା ପାଖରେ ଗାଈ, ମଇଁଷି, ହାତୀ-ଘୋଡ଼ା ବା ଧନରତ୍ନ, ହୀରା-ମୋତି ଅଛି, ସେ ଜଣେ ବଡ଼ ଧନୀ ବ୍ୟକ୍ତି। କିନ୍ତୁ ତୁଳସୀ ଦାସଙ୍କ ଅନୁସାରେ ଏତେ ସବୁ ଧନ ଥାଇ ମଧ୍ୟ ଯଦି ତା’ମନରେ ଶାନ୍ତି ନାହିଁ ତାହାହେଲେ ସେ ଧନ ସବୁ ତା’ପାଇଁ ମୂଲ୍ୟହୀନ। ସନ୍ତୋଷ ରୂପୀ ଧନ ପାଖରେ ଏସବୁ ଧନରତ୍ନ ଧୂଳି ସଙ୍ଗେ ସମାନ ଓ ତୁଚ୍ଛ। ଏପରି ଧନ ସମ୍ପଦରେ ସୁଖ ଶାନ୍ତି ମିଳେ ନାହିଁ। ମନରେ ଚିନ୍ତା ଲାଗି ରହିଥାଏ।

(iii) रोष न रसना खोलिए, बरु खोलिओ तरबार।
सुनत मधुर परिनाम हित, बोलिओ बचन बिचारि॥
ରୋସ୍ ନ ରସନା ଖୋଲିଏ, ବରୁ ଖୋଲିଓ ତରବାରି।
ସୁନତ ମଧୁର୍ ପରିନାମ ହିତ, ବୋଲିଓ ବଚନ୍ ବିଚାରି॥

हिन्दी व्याख्या:
कवि तुलसीदास कहते हैं कि जब क्रोध अधिक हो तो जीभ नहीं खोलनी चाहिए। क्रोध में मनुष्य कड़वी बातें बोल जाता है। ये कड़वी बातें तलवार से भी अधिक घाव करती है। कड़वी बात का प्रहार सीधे दिल और दिमाग पर होता है। तलवार तो शरीर पर घाव करती है, लेकिन कड़वी बातें दिल और दिमाग को घायल करके अधिक कष्ट देती हैं।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ :
ଯେତେବେଳେ ରାଗ ଅଧ୍ବକ ବଢ଼ିଚାଲେ ସେତେବେଳେ ଜିଭକୁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ରଖିବାକୁ ପଡ଼ିବ। ରାଗରେ ମଣିଷ କଟୁ କଥା କହି ଚାଲିଥାଏ। ଏହି କଟୁ କଥା ଖଣ୍ଡାଠାରୁ ମଧ୍ୟ ଅଧିକ ଆଘାତ କରିଥାଏ। କଟୁ କଥାର ପ୍ରହାର ସିଧା ମନ ଓ ହୃଦୟ ଉପରେ ପଡ଼ିଥାଏ। ଖଣ୍ଡାର ଚୋଟରେ ଶରୀରରେ କ୍ଷତ ହୋଇଥାଏ। କିନ୍ତୁ କଟୁ କଥା ମନ ଓ ହୃଦୟକୁ ଆଘାତ କରେ ଏବଂ ଅଧିକ କଷ୍ଟ ଦିଏ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

मीठे – मीठा/मधुर (ମିଠା/ମଧୁର )।

उपजत – उपजना/पैदा होना (ଜନ୍ମହେବା/ଉପୁଜିବା)।

चहुँओर – चारों ओर (ଚାରିଆଡ଼େ)।

परिहरु – त्यागना/परित्याग करना (ତ୍ଯାଗ କରିବା)।

गोधन – गाय रूपी धन (ଗୋଧନ)।

बाजि – घोड़ा (ଘୋଡ଼ା)

ते – से/द्वारा (ଦ୍ଵାରା)।

वसीकरण – वशीभूत (ହାତି)।

गज – हाथी (ରତ୍ନ)।

रतन – रत्न (ବଶୀଭୂତ)।

खान – भंड़ार (ଭଣ୍ଡାର)।

धूरि – धूल यूरिकि)। (ଧୂଳି)।

रसना – जीभ (ଜିଭ)।

खोलिओ – खोले (ଖୋଲିବା)।

परिनाम – परिणाम (ପରିଣାମ)।

सुनत – सुनकर (ଶୁଣି)।

विचारि – विचार करके (ବିଚାର କରି)।

आवे – आए (ଆସେ)।

रोष – गुस्सा (ରାଗ)।

बरु – बल्कि ( ବରଂ)।

तरवारि – तलवार (ଖଣ୍ଡା)।

हित – मंगल (ହିତମଙ୍ଗଳ)।

बोलिअ – बोलो (କୁହ)।

कवि परिचय

भक्त कवि तुलसी दास का जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के राजापुर में हुआ था और देहांत सन् 1633 में। पितामाता के स्नेह से वंचित होकर बचपन में उनको बड़ा कष्ट उठाना पड़ा। सौभाग्य से गुरु नरहरिदास ने उनकी बड़ी मदद की। तुलसी रामभक्त थे और यौवन काल में ही साधु बन गये। रामानंद उनके गुरु थे। वे हिन्दी और संस्कृत के बड़े पंड़ित थे। उस समय मुगलों का शासन था। देश की सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियाँ अस्तव्यस्त थीं।

तुलसी दास ने रामचरित मानस लिखकर लोगों के सामने निष्कपट जीवन और आचरण का उदाहरण रखा। आज भी यह देश का अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ है। जन साधारण उसे बड़े चाव से पढ़ते हैं। दुःखी, निराश तथा भक्त लोगों को रामचरितमानस पढ़कर सुख शान्ति मिलती है। विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली आदि उनके अनेक ग्रंथ हैं। वे अवधी और ब्रजभाषा दोनों में लिखते थे।

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