BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 3 एक तिनका

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 3 एक तिनकाTextbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 3 एक तिनका

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो/तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ/ତିନି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) एक दिन कवि को क्या हो गया?
(ଏକ ଦିନ୍ କଵି କୋ କ୍ୟା ହୋ ଗୟା ?)
उ:
एक दिन कवि अपने घमण्ड में भरकर एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुंडेरे पर खड़े थे। ऐसे में कहीं दूर से एक छोटा-सा तिनका आकर उनकी आँख में गिर गया।

(ख) आँख में तिनका पड़ने पर घमंड़ी की क्या दशा हुई?
(ଆଁଖ୍ ମେଁ ତିନ୍‌କା ପଡ଼େନେ ପର୍ ଘମଣ୍ଡୀ କୀ କ୍ୟା ଦଶା ହୁଈ ?)
उ:
आँख में तिनका पड़ने पर कवि झुंझलाकर परेशान हो उठे। आँख जल रही थी और सूजन के कारण लाल भी हो गई थी। फलस्वरूप आँख जोर से दुखने लगी थी।

(ग) आँख में तिनका पड़ने पर लोग क्या करने लगे?
(ଆଁଖ୍ ମେଁ ତିନ୍‌କା ପଡ଼ନେ ପର୍ ଲୋଗ୍ କ୍ୟା କର୍‌ନେ ଲଗେ ?)
उ:
आँख में तिनका पड़ने पर लोग कपड़े की मूँठ देकर कवि की आँख को सेकने लगे कि शायद थोड़ा आराम मिल जाए पर नहीं। दर्द किसी तरह कम होने का नाम नहीं ले रहा था।

(घ) किसी तरह आँख से तिनका निकल गया तो कवि को क्या अनुभव हुआ?
(କିସୀ ତରହ ଆଁଖ୍ ସେ ତିନ୍‌ ନିକଲ୍ ଗୟା ତୋ କଵି କୋ କ୍ୟା ଅନୁଭବ ହୁଆ ?)
उ:
किसी तरह आँख से तिनका निकल गया तो कवि को अनुभव हुआ कि जैसे उनका विवेक उन्हों ताना मार रहा था। और साथ ही साथ कह रहा था – इतना अकड़ किसलिए। एक छोटा सा तिनका तुम्हारे अहंकार को तोड़ने में काफी है।

(ङ) एक तिनका कविता का मूल भाव क्या है?
(कछेका छा की। नृम बठ्ठ Q4 6@ ?)
उ:
‘एक तिनका’ कविता का मूल भाव है- कभी भी अपने को बड़ा मत समझो। ज्यादा घमण्ड करना ठीक नहीं हैं। एक छोटा-सा तिनका किसीका भी घमण्ड तोड़ सकता है। छोटी-छोटी चीजें भी हमारे जीवन को एकदम बदल सकती है।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 3 एक तिनका

2. अर्थ स्पष्ट कीजिए: थर्थ ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ : (ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କର : )
(क) घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
ଘର୍ମଣ୍ଡୋ ମେଁ ଭରା ଏଁଠା ହୁଆ,
ଏକ୍ ଦିନ୍ ଜବ୍ ଥା ମୁଣ୍ଡରେ ପର୍ ଖଡ଼ା।
उ:
घमंडो में …………………… पर खड़ा।
इस पंक्ति में कवि कह रहे हैं कि एक दिन वे घमण्ड से भरे एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुँडेरे पर खड़े थे।

(ख) मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन – सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
ମେଁ ଝିଝକ୍ ଉଠା, ହୁଆ ବେସୈନ୍-ସା।
ଲାଲ୍ ହୋକର୍ ଆଁଖ୍ ଭୀ ଦୁଗ୍‌ ଲଗୀ।
उ:
मैं झिझक …………………. दुखने लगी।
कवि कहते हैं कि अचानक कहीं दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और उनकी आँख में आ गिरा। इससे कवि झुंझलाकर परेशान हो उहे। उनकी अँख जल रही थी और लाल होकर दुखने भी लगी।

(ग) ऐंठता तू किस लिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
ଐଠତା ତୂ କିସ୍ ଲିଏ ଇତ୍‌ନା ରହା,
ଏକ୍ ତିନ୍‌ ହୈ ବହୁତ୍ ତେରେ ଲିଏ।
उ:
ऐंठता तू ………………….तेरे लिए।
इस अप्रत्याशित घटना से कबि ने जब छुटकारा पाया तो उनका विवेक जैसे उन्हे ताना मारता था। उन्होंने अनुभव किया जैसे उनका विवेक उनसे कह रहा था – इतना अकड़ क्यों दिखाता है। एक छोटा- सा तिनका तुम्हारे अहंकार को तोड़ने के लिए काफी है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍‌ ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାଜ୍ୟୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) ‘एक तिनका’ कविता के कवि का नाम क्या है?
(ଏକ ତିନ୍‌ କମ୍ପିତା କେ କବି କା ନାମ୍ କ୍ୟା ହୈ ?)
‘एक तिनका’ कविता के कवि का मान अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ है।

(ख) एक दिन कवि कहाँ खड़े थे?
(ଏକ୍ ଦିନ୍ କମ୍ପି କହାଁ ଖଡ଼େ ଥେ ?)
उ:
एक दिन कवि घमण्ड से भरे एकदम ऐंठे हुए से तनकर छत के मुँडेरे पर खड़े थे।

(ग) अचानक क्या हुआ?
(ଅଚାନକ୍ କ୍ୟା ହୁଆ ?)
उ:
अचानक कहीं दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और कवि की आखों में गिरा।

(घ) कौन दबें पाँव भागी?
(କୌନ୍ ଦର୍ବେ ପାଁୱ ଭାଗୀ ?)
उ:
घमण्ड दबे पाँव भागी।

(ङ) घमंडी के घमण्ड को दूर करने के लिए क्या बहुत है?
(ଘମଣ୍ଡୀ କେ ଘମଣ୍ଟ୍ କୋ ଦୂର୍ କର୍‌ନେ କେ ଲିଏ କ୍ୟା ବହୁତ୍ ହୈ ?)
उ:
घमण्डी के घमण्ड को दूर करने के लिए एक तिनका बहुत है।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए:
(ନୀଚେ ଦୀ ଗଈ କମ୍ପିତା କୀ ପଂକ୍ତିର୍ଲୋ କୋ ସାମାନ୍ୟ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ବଦଲିଏ।)
(ନିମ୍ନରେ ପ୍ରଦତ୍ତ କବିତାର ପଦଗୁଡ଼ିକୁ ସାମାନ୍ୟ ବାକ୍ୟରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର।)

जैसे- एक तिनका आँख में मेरी पड़ा – मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे – लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।

(क) एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा ………………..
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी …………………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी …………………..
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया …………………
(ङ) एक तिनका है बहुत तेरे लिए …………………
उत्तर:
(क) एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा – एक दिन जब मुँडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी – बेचारी ऐंठ दबे पावों भागी।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – जब तिनका किसी ढब से निकल गया।
(ङ) एक तिनका है बहुत तेरे लिए –  तेरे लिए एक तिनका बहुत है।

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2. निम्नलिखित शब्दों के बिलोम/विपरीत शब्द लिखिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦା କେ ବିଲୋମ୍/ବିପରୀତ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିଲୋମ/ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ।)
झिझक, बेचैन, दुःख, दुःखद, बहुत
उत्तर:
झिझक – बेझिझक
दुःखद – सुखद
बेचैन – चैन
दुःख – सुख
बहुत – कम

3. ‘किसे ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे- ‘धम से’ वाक्यांश है, लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ‘ढब से’ और ‘धम से’ वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। नीचे कुछ ध्वनिद्वारा क्रिया को सूचित करनेवाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिये गये हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-
( छपाक से, टपटप, सर्र से, फुरे से)
(ଛପାକ୍ ସେ, ଟପ୍‌ଟପ୍, ସର୍ଗ ସେ, ଫୁରେ ସେ)

(क) मेढक पानी में ……………… कूद गया।
(ख) नल बंद होने पर भी पानी की कुछ बूँदें …………….. चू गईं।
(ग) शोर होते ही चिड़िया ………………….. उड़ी।
(घ) मोटर साइकिल ………………… गई।
उत्तर:
(क) छपाक से
(ख) टपटप
(ग) फुर्र से
(घ) सर्र से

4. पाठ के आधार पर सही परसर्गों से शून्य स्थानों को भरिए:
(ପାଠ୍ କେ ଆଧାର ପର୍ ସହୀ ପରସଗୋଁ ସେ ଶୂନ୍ୟ ସ୍ଥାନୌ କୋ ଭରିଏ :
(ପାଠକୁ ଆଧାର କରି ଉପଯୁକ୍ତ ପରସର୍ଗଦ୍ଵାରା ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର ।)

(क) घमंडों ………………. भरा ऐंठा हुआ।
उत्तर:
में

(ख) एक दिनका आँख ………………. मेरी पड़ा
उत्तर:
में

(ग) आ अचानक दूर ………………. उड़ता हुआ।
उत्तर:
से

(घ) जब किसी ढब ……………….. निकल तिनका गया।
उत्तर:
से

(ङ) तब ‘समझ’ ……………….. यों मुझे ताने दिए।
उत्तर:
ने

Very Short & Objective type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
आँख में तिनका पड़ने पर कवि की मानसिक दशा क्या थी?
उत्तर:
आँख में तिनका पड़ने पर कवि का घमण्ड चूर हो गया और कवि बेचैन हो गए।

प्रश्न 2.
कवि को क्या समझ में आया?
उत्तर:
कवि को यह समझ में आया कि मनुष्य के घमण्ड को चूर करने के लिए एक तिनका ही काफी है।

प्रश्न 3.
कवि जब मुंडेर पर खड़ा था तब क्या हुआ?
उत्तर:
कवि जब मुंडेरे पर खड़ा था, तब अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका आकर उसकी आँख में गिर पड़ा।

प्रश्न 4.
कवि को कब आराम मिला?
उत्तर:
जब किसी उपाय से आँख से तिनका निकल गया, तब कवि को आराम मिला।

प्रश्न 5.
‘एक तिनका’ कविता का मूल भाव क्या है?
उत्तर:
‘एक तिनका’ कविता का मूल भाव है कि किसी को घमंड नहीं करना चाहिए, अंत में घमंडी को दुख ही मिलता है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।

प्रश्न 1.
जब तिनका आँख में पड़ा, तब कवि कहाँ खड़े थे?
उत्तर:
मुंड़ेरे पर

प्रश्न 2.
क्या विचार करके मृत्यु से नहीं डरना चाहिए?
उत्तर:
मर्त्य विचार कर

प्रश्न 3.
आँख से तिनका निकल जाने के बाद कवि को किसने ताने दिए?
उत्तर:
समझ ने

प्रश्न 4.
कवि की आँख में क्या आ पड़ा?
उत्तर:
एक तिनका

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प्रश्न 5.
तिनका का अर्थ क्या है?
उत्तर:
सूखी घास

प्रश्न 6.
‘एक तिनका’ कविता के कवि कौन है?
उत्तर:
अयोध्यासिंह उपाध्याय हरी औध

प्रश्न 7.
अचानक क्या हुआ?
उत्तर:
तिनका आखों में गिरा

प्रश्न 8.
आँख क्या होकर दुःखने लगी?
उत्तर:
लाल

प्रश्न 9.
ताना’ शब्द का सही अर्थ क्या है?
उत्तर:
उपहास

प्रश्न 10.
कवि मुंडेर पर क्य करते थे?
उत्तर:
खड़े थे

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
………………… दवे पाँव भागी।
उत्तर:
घमण्डी

प्रश्न 2.
‘एक तिनका’ कविता का मूल भाब ………………… है।
उत्तर:
अहंकार दूर करने की

प्रश्न 3.
कवि की ………………… दुखने लगी थी।
उत्तर:
आँख

प्रश्न 4.
कवि ……………. पर खड़े थे।
उत्तर:
मुंडेरे

प्रश्न 5.
ऐंठ वेचारी ………………. भागी।
उत्तर:
दवे पाँवो

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प्रश्न 6.
कवि को आँख में अचानक एक …………………. गिरा।
उत्तर:
तिनका

प्रश्न 7.
मुँठ का अर्थ है …………………।
उत्तर:
कपड़े का गुब्बारा

प्रश्न 8.
कवि के मन में ………………… भाव भरा था।
उत्तर:
गर्व

प्रश्न 9.
कवि को ………………… ने ताने दिए।
उत्तर:
समझा

प्रश्न 10.
………………. कवि मुँड़रे पर खड़े थे।
उत्तर:
एक दिन

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
मूँठ का अर्थ रुई का प्रलेप है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 2.
एक तिनका अहंकार तोड़ने को काफी है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 3.
‘एक तिनका’ कविता जिन्होंने लिखी है, वे प्रसादजी हैं।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 4.
आँख में तिनका गिरने से आँख का रंग लाल हो गया।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 5.
कवि के अहंकार को तोड़ ने के लिए एक तिनका काफी है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 6.
अकड़ के साथ कवि सड़क पर खड़े थे।
उत्तर:
भूल

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प्रश्न 7.
ऐंठ दवे पाँव भागी।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 8.
‘ताना’ का अर्थ हे नाचना और गाना।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 9.
कवि की मन में प्रेम भाव था।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 10.
ऐंठ को वेचारी कहा गया है।
उत्तर:
ठिक्

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQS)

1. जब तिनका आँख में पड़ा, तब कवि कहाँ खड़े थे?
(A) मुंड़ेरे पर
(B) बहुत दूरी पर
(C) तिनके के ऊपर
(D) कपड़े के ऊपर
उत्तर:
(A) मुंड़ेरे पर

2. क्या विचार करके मृत्यु से नहीं डरना चाहिए, क्योंकि तुम
(A) अमर्त्य हो
(B) सत्य हो
(C) असत्य हो
(D) मर्त्य हो
उत्तर:
(D) मर्त्य हो

3. कवि को किसने ताने दिए?
(A) अपनों ने
(B) समझ ने
(C) मन ने
(D) पत्नी ने
उत्तर:
(B) समझ ने

4. आँख से तिनका निकल जाने के बाद कवि को किसने ताने दिए?
(A) ऐंठ ने
(B) समझ ने
(C) पिताजी ने
(D) मित्रों ने
उत्तर:
(B) समझ ने

5. कवि की आँख में क्या आ पड़ा?
(A) एक कीड़ा
(B) एक कंकड़
(C) एक तिनका
(D) एक झंझट
उत्तर:
(C) एक तिनका

6. कौन दवे पाँव भागी?
(A) सुख
(B) दुःख
(C) शांति
(D) घमण्डी
उत्तर:
(D) घमण्डी

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7. तिनका का अर्थ क्या है?
(A) सूखी पत्र
(B) सूखी घास
(C) कीचड़
(D) काई
उत्तर:
(B) सूखी घास

8. ‘एक तिनका’ कविता के कवि कौन है?
(A) जयशंकरप्रसाद
(B) हरीवंशराय वच्चन
(C) सुदर्शन
(D) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरी औध
उत्तर:
(D) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरी औध

9. अचानक क्या हुआ?
(A) तिनका आखों में गिरा
(B) तिनका सर पर गिरा
(C) तिनका नाक में गिरा
(D) तिनका पाद पर गिरा
उत्तर:
(A) तिनका आखों में गिरा

10. एक दिन कबि कहाँ खड़े थे?
(A) मुँडेरे
(B) बरामदे
(C) दीवार
(D) मैदान
उत्तर:
(A) मुँडेरे

11. ‘एक तिनका’ कविता का मूल भाब क्या है?
(A) दुःख दूर करने की
(B) अहंकार दूर करने की
(C) सुख दूर करने की
(D) कलंक दूर करने की
उत्तर:
(B) अहंकार दूर करने की

12. मूँठ का अर्थ चुनिए
(A) रुई का प्रलेप
(B) सूखी घास
(C) मुछ
(D) कपड़े का गुव्बारा
उत्तर:
(D) कपड़े का गुव्बारा

13. कौन सा अंग दुखने लगा था?
(A) आँख
(B) नाक
(C) पैर
(D) कान
उत्तर:
(A) आँख

14. ‘ ताना’ शब्द का सही अर्थ छाँटिए
(A) सजा
(B) उपहास
(C) नाचना
(D) गाना
उत्तर:
(B) उपहास

15. एक तिनका क्या तोड़ने को काफी है?
(A) अहंकार
(B) शांति
(C) वैर
(D) सुख
उत्तर:
(A) अहंकार

16. ‘एक तिनका’ कविता जिन्होंने लिखी है, वे हैं
(A) हरिऔधजी
(B) प्रसादजी
(C) प्रेमचंदजी
(D) गुप्तजी
उत्तर:
(A) हरिऔधजी

17. कवि किस जगह पर खड़े थे?
(A). छत पर
(B) टेबिल पर
(C) मुंडेरे पर
(D) जमीन पर
उत्तर:
(C) मुंडेरे पर

18. कवि के साथ अचानक कैसी दुर्घटना घटी?
(A) सर पर पत्थर गिरा
(B) आँख में तिनका गिरा
(C) आँख में धूल गिरी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) आँख में तिनका गिरा

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19. आँख में तिनका गिरने से आँख का रंग हो गया
(A) काला
(B) सफेद
(C) गीला उत्तर
(D) लाल
उत्तर:
(D) लाल

यह कविता :
यह एक छोटी सी कविता है पर है बड़े काम की। छोटी छोटी चीजें ही हमारे जीवन को एकदम बदल देती हैं। मनुष्य को अपने पर बड़ा गर्व होता है। कवि कहते हैं वे एक दिन घमण्ड में भरकर एकदम ऐंठे हुए से तन कर छत के मुँडेरे पर खड़े थे। ऐसे में कहीं दूर से एक छोटा-सा तिनका आकर उनकी आँखों में गिरा। कवि झुंझलाकर परेशान हो उठे। आँख जल रही थी और लाल होकर दुखने भी लगी।

लेखक की ऐसी हालत देखकर लोग कपड़े की मुँठ देकर उनकी आँख को सेंकने लगे कि शायद थोड़ा आराम मिल जाए पर नहीं। दर्द किसी तरह कम नहीं हुआ। ऐसे में कवि की ऐंठ (घमण्ड ) मानों चुपचाप भाग गई थी। वे तो किसी भी तरह उस पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते थे। जब किसी तरह आँख से तिनका निकला तो मानो उनका विवेक उन्हें ताना मार रहा था। तू इतना अकड़ क्यों दिखाता है। एक छोटा-सा तिनका ही तेरे अहंकार को तोड़ने में काफी है।

ଏହି କବତ।:
ଦେଇଥାଏ। ମନୁଷ୍ୟର ନିଜ ଉପରେ ବଡ଼ ଗର୍ବ ଆସେ। କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ସେ ଦିନେ ଅହଂଭାବ ନେଇ ଆତ୍ମବଡ଼ିମା ସହ ଛାତ ଉପରେ ଛିଡ଼ା ହୋଇଥିଲେ। ଏହି ସମୟରେ କେଉଁ ଦୂରରୁ ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ ଶୁଖୁଲା ଘାସ ଖଣ୍ଡ ଉଡ଼ି ଆସି ତାଙ୍କ ଆଖୁରେ ପଡ଼ିଲା। କବି ବିରକ୍ତ ହେଲେ ଓ କଷ୍ଟ ମଧ୍ୟ ଅନୁଭବ କଲେ। ତାଙ୍କ ଆଖି ପୋଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା ଏବଂ ଲାଲ ପଡ଼ିଗଲା। ଲେଖକଙ୍କର ଏପରି ଅବସ୍ଥା ଦେଖୁ ପାଖରେ ଥ‌ିବା ଲୋକମାନେ କପଡ଼ା ପୁଡ଼ା କରି ତାଙ୍କ ଆଖରେ ସେକ ଦେବାକୁ ଲାଗିଲେ କାଳେ ଟିକେ ଆରାମ ମିଳିବ; କିନ୍ତୁ ଆରାମ ମିଳିଲା ନାହିଁ।

ବିନ୍ଧା ଛିଟିକା କୌଣସି ପ୍ରକାର କମିଲା ନାହିଁ। ଏପରି ଅବସ୍ଥାରେ କବିଙ୍କର ଆତ୍ମବଡ଼ିମା ଯେପରି ଚୁପ୍‌ଚାପ୍ କୁଆଡ଼େ ପଳାଇ ଯାଇଥିଲା। ସେ କୌଣସି ପ୍ରକାର ସେହି ପୀଡ଼ାରୁ ଆରାମ ପାଇବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ। କୌଣସି-ପ୍ରକାର ତାଙ୍କ ଆଖୁ ସେହି ଛୋଟିଆ ଘାସ ଖଣ୍ଡିକ ବାହାରିଗଲା। କିନ୍ତୁ ସେହି ଛୋଟିଆ ଘାସ ଖଣ୍ଡିକ ଯେମିତି ତାଙ୍କୁ ବିଦ୍ରୁପ କରୁଥିଲା। ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ ଘାସ ଖଣ୍ଡ ତାଙ୍କ ଅହଂକାରକୁ ଯେପରି ଭାଙ୍ଗିବାପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ, ସେ ଏହା ଅନୁଭବ କରୁଥିଲେ।

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
ମେଁ ଘର୍ମଣ୍ଡୋ ମେଁ ଭରା ଏଁଠା ହୁଆ,
ଏକ୍ ଦିନ୍ ଜବ୍ ଥା ମୁଁଡେରେ ପର୍ ଖଡ଼ା।
ଆ ଅଚାନକ୍ ଦୂର୍ ସେ ଉଡ଼ତା ହୁଆ,
ଏକ ତିନ୍‌ ଆଁଖ ମେଁ ମେରୀ ପଢ଼ା।

हिन्दी व्याख्या:
कवि कहते हैं कि एक दिन वे घमण्ड से भरे ऐंठे हुए तनकर छत के मुंडेरे पर खड़े थे। उसी समय कहीं दूर से अचानक एक तिनका उड़ता हुआ आया और उनकी आँख में आकर पड़ा।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ଏଠାରେ କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ଦିନେ ଅହଂଭାବ ନେଇ ଆତ୍ମବଡ଼ିମା ସହ ନିଜ ଛାତ ଉପରେ ଛିଡ଼ା ହୋଇଥିଲେ। ଠିକ୍ ଏହି ସମୟରେ କେଉଁ ଦୂରରୁ ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ ଶୁଖୁଲା ଘାସ ଖଣ୍ଡ ଉଡ଼ି ଆସି ତାଙ୍କ ଆଖ ରେ ପଡ଼ିଲ

मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी॥
ମେଁ ଝିଝକ୍ ଉଠା, ହୁଆ ବେସୈନ୍-ସା,
ଲାଲ୍ ହୋକର୍ ଆଁଖ୍ ଭି ଦୁଗ୍‌ନେ ଲଗୀ।
ମୁଁଠ ଦିନେ ଲୋଗ୍ କପ୍‌ଡ଼େ କୀ ଲଗେ,
ଐଠ୍ ବେଚାରୀ ଦବେ ପାଁର୍ଡୋ ଭାଗୀ।

हिन्दी व्याख्या:
कवि झुंझलाकर परेशान हो उठे। तिनके के पड़ने से उनकी आँख जल रही थी. और दुःखने भी लगी थी। सूजन के मारे उनकी आँखें लाल हो गई थीं। कवि की ऐसी हालत देखकर लोग कपड़े की मूँठ देकर उनकी आँख को सेंकने लगे कि शायद थोड़ा आराम मिल जाए। पर आराम नहीं मिला। दर्द किसी तरह कम होने का नाम नहीं ले रहा था। एसे में कवि का घमंड़ मानों चुपचाप भाग गया था। वे तो किसी भी प्रकार उस पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते थे।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବି ବିରକ୍ତ ହୋଇ ଉଠିଲେ ଓ କଷ୍ଟ ମଧ୍ୟ ଅନୁଭବ କଲେ। ଆଖୁ ପୋଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା ଓ ଧୀରେ ଧୀରେ ଲାଲ ପଡ଼ିଗଲା। ଏହି ଅବସ୍ଥା ଦେଖୁ ପାଖରେ ଥିବା ଲୋକମାନେ କପଡ଼ା ପୁଡ଼ା କରି ତାଙ୍କ ଆସ୍‌ରେ ସେକ ଦେଲେ କିନ୍ତୁ ଆରାମ ମିଳିଲା ନାହିଁ। କୌଣସି ପ୍ରକାର ଯନ୍ତ୍ରଣା (ବିନ୍ଧା ଛିଟିକା) କମିଲା ନାହିଁ। ଏପରି ସ୍ଥିତିରେ କବିଙ୍କର ଆତ୍ମବଡ଼ିମା ଚୁପ୍‌ଚାପ୍ କୁଆଡ଼େ ପଳାଇ ଯାଇଥିଲା। କିନ୍ତୁ କବି କୌଣସି ପ୍ରକାର ସେହି ପିଡ଼ାରୁ ଆରାମ ପାଇବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 3 एक तिनका

(iii) जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
ଜବ୍ କିସୀ ଢବ୍ ସେ ନିକଲ୍ ତିନ୍‌ ଗୟା,
ତବ୍ ‘ସମ’ ନେ ୟୈ ମୁଝେ ତାନେ ଦିଏ।
ଐଠତା ତୁ କିସ୍‌ଲିଏ ଇତ୍‌ ରହା,
ଏକ ତିନ୍‌ ହୈ ବହୁତ୍ ତେରେ ଲିଏ।

हिन्दी व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जब किसी तरह आँख से तिनका निकला तो मानो उनका विवेक उन्हे ताना मार रहा था। जैसे कह रहा था इतना अकड़ किसलिए दिखा रहे थे। एक छोटा सा तिनका तुम्हारा सारे अहंकार को तोड़ने में काफी है।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କୌଣସି ପ୍ରକାର କବିଙ୍କ ଚକ୍ଷୁରୁ ସେହି ଛୋଟିଆ ଘାସଖଣ୍ଡକ ବାହାରି ଗଲା କିନ୍ତୁ ସେହି ଛୋଟିଆ ଘାସଖଣ୍ଡକ ଯେମିତି ତାଙ୍କୁ ବିଦ୍ରୁପ କରୁଥିଲା। ସେ ଅନୁଭବ କରିଥିଲେ, ଛୋଟିଆ ଘାସଖଣ୍ଡକ ତାଙ୍କ ଅହଂକାରକୁ ଭାଙ୍ଗିବା ପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ।

तिनका – सूखी घास (ଶୁଖୁଲା ଘାସ)।
घमंड – गर्व, अहंकार (ଅହଂକାର, ଗର୍ବ)।
ऐंठा हुआ- अकड़ कर (ଜିଦ୍ କରି)।
मुंडेरे – दीवाल का सबसे ऊपर भाग जो छत के ऊपर रहता है। ଉପରିଭାଗ)।
अचानक – सहसा (ହଠାତ୍)।
झिझकना – हिचकिचाना (ଚିଡ଼ି ଉଠିବା)।
बेचैन – व्याकुल (ବ୍ୟାକୁଳ)।
दुखने – पीड़ा (କଷ୍ଟ)।
मूँठ – कपड़े का गुब्बारा जो आँख को सेंकता है। (ଚୁପ୍ଚାପ୍ )।
दबे पाँव – चुपचाप (ଢଙ୍ଗ)।
ढब – तरीका (ଉପହାସ )।
ताना – उपहास (କପଡ଼ା ପୁଡ଼ା ଆଖୁକୁ ସେକିବା ପାଇଁ)।

कवि परिचय

अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म उत्तर प्रदेश के अजमगढ़ जिले के निजामाबाद कस्वे में सन् 1865 में हुआ था। स्कूली शिक्षा समाप्त करके वे सरकारी नौकरी में लग गए। हिन्दी, संस्कृत और फारसी में उन्होंने अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। वे हिन्दू विश्वविद्यालय, वारणसी में अध्यापक भी रहे। है। हरिऔधजी खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवियों में हैं। उनकी भाषा सरल, मुहावरेदार और भावगर्भक हरिऔध की प्रमुख रचनाएँ हैं- प्रिय प्रवास, वैदेही वनवास, कर्मवीर, रसकलश, चोखे चौपदे, चुभते चौपदे, आदि।

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