BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 6 काँटे कम-से-कम मत बोओ

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 6 काँटे कम-से-कम मत बोओ Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 6 काँटे कम-से-कम मत बोओ

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର ଦୋ-ତୀନ୍ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) मानव का जीवन प्रशान्त कैसे हो सकता है?
(ମାନ କା ଜୀୱନ୍ ପ୍ରଶାନ୍ତ୍ କୈସେ ହୋ ସକତା ହୈ ?)
उत्तर:
मानव का जीवन ममता की शीतल छाया में कटुता का दूर न करके प्रशान्त हो सकता है। सदैव दूसरों को स्नेह, प्रेम और ममता की शीतल छाया में रखना चाहिए। ईर्ष्या रूपी कटुता को स्पष्ट करना चाहिए।

(ख) दुनिया की रीति कौन-सी है?
(ଦୁନିୟା କୀ ରୀତି କୌନ୍-ସୀ ହୈ ?)
उत्तर:
इस संसार में सब कुछ शरीर को सहन करना पड़ता है। मन हमेशा बहन करता है। कहीं पर वह स्थिर नहीं रहता। यही दुनिया की रीति है।

(ग) मनुष्य को किसके बारे में सोचना नहीं चाहिए?
(ମନୁଷ୍ୟ କୋ କିସ୍‌ ବାରେ ମେଁ ସୋଚନା ନର୍ଜୀ ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
कठिनाइयों में किस तरह जीवन व्यतीत हुआ है उसके बारे में मनुष्य को सोचना नहीं चाहिए। अपने व्यक्तिगत दुःख तथा क्रोध से परिवेश को दुखित नहीं करना चाहिए।

(घ) साँसों के मुरदे न होने का आग्रह कवि ने क्यों किया है?
(ସାଁର୍ଡୋ କେ ମୁରଦେ ନ ହୋନେ କା ଆଗ୍ରହ କଵି ନେ କ୍ୟା କିୟା ହୈ ?)
उत्तर:
संकट चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, अपना विश्वास, धैर्य और साहस नहीं खोना चाहिए। अगर ऐसा न हुआ तो आदमी जिन्दा लाश बन कर रह जायेगा। इसलिए कवि ने साँसों के मुरदे न होने का आग्रह किया है।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀକିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) यदि फूल नहीं बो सकते तो क्या करना चाहिए?
(ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହେଁ ବୋ ସକତେ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे नहीं बोना चाहिए।

(ख) कौन-सी घाटी अगम होती है?
(କୌନ୍-ସୀ ଘାଟୀ ଅଗମ୍ ହୋତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
चेतना की घाटी अगम होती है।

(ग) किसको कमजोर कहा गया है?
(କିସ୍କୋ କମ୍ପୋର୍ କହା ଗୟା ହି ?)
उत्तर:
मानव के मन को कमजोर कहा गया है।

(घ) संकट में अगर मुस्करा न सको तो क्या करना चाहिए?
(ସଂକଟ୍ ମେଁ ଅଗର୍ ମୁସ୍କରା ନ ସକୋ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
संकट में अगर मुस्कुरा न सको तो भय से कातर नहीं होना चाहिए।

(ङ) चेतन किसे कहा गया है?
(ଚେତନ୍ କିସେ କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
सुख की अभिमानी मदिरा में जो जागता है, उसे चेतन कहा गया है।

(च) तुम अगर जाग नहीं सकते तो क्या करना चाहिए?
(ତୁମ୍ ଅଗର୍ ଜାର୍ ନହେଁ ସକତେ ତୋ କ୍ୟା କରନା ଚାହିଏ?)
उत्तर:
तुम अगर जाग नहीं सकते तो सेज बिछाकर सोना नहीं चाहिए।

(छ) क्या करने से संकट का वेग कम नहीं होता?
(ଜ୍ୟା କର୍‌ନେ ସେ ସଂକଟ୍ କା ବେଗ୍ କମ୍ ନର୍ଜୀ ହୋତା ?)
उत्तर:
सामने आये संकट को अनसुना और अचीह्ना कर देने से संकट का वेग कम नहीं होता।

(ज) संशय के सूक्ष्म कुहासे में क्या नहीं होता?
(ସଂଶୟ କେ ସୂକ୍ଷ୍ମ କୁହାସେ ହେଁ କ୍ୟା ନର୍ମୀ ହୋତା ?)
उत्तर:
संशय के सूक्ष्म कुहासे में क्षण भर के लिए विश्वास नहीं रमता।

(झ) किसमें भी पवन का जयघोष नहीं थमता?
(କିସ୍‌ ଭୀ ପୱନ୍ କା ଜୟଘୋଷ୍ ନହୀଁ ଥମତା?)
उत्तर:
बादलों की गड़गड़ाहट के बीच पवन का जयघोष नहीं थमता।

(ञ) अगर विश्वासों पर न बढ़ सको तो कम-से-कम क्या नहीं ढोना चाहिए?
(ଅଗର ବିଶ୍ଵାର୍ଥେ ପର୍ ନ ବଢୁ ସକୋ ତୋ କମ୍-ସେ-କମ୍ କ୍ୟା ନହଁ ଢୋନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
अगर हम विश्वासों पर न बढ़ सके तो कम-से-कम साँसों के मुरदे नहीं ढोना चाहिए।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए:
उत्तर:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର ଏକ୍-ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ : )

(क) प्रस्तुत कविता का कवि कौन है?
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କତା କା କଣ୍ଟି କୌନ୍ ହୈ ?)
उत्तर:
रामेश्वर शुक्ल अंचल

(ख) कम-से-कम क्या नहीं बोना चाहिए?
(କମ୍-ସେ-କମ୍ କ୍ୟା ନହୀ ବୋନା ଚାହିଏ ?)
उत्तर:
काँटे

(ग) चेतना की घाटी का स्वरूप कैसा है?
(ଚେତନା କୀ ଘାଟୀ କା ସ୍ଵରୂପ୍ କୈସା ହୈ ?)
उत्तर: अगम

(घ) मानव के मन को क्या माना गया है?
(ମାନବ୍ କେ ମନ୍ କୋ କ୍ୟା ମାନା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
कमजोर

(ङ) किसकी शीतल छाया में कटुता का शमन हो सकता है?
(କିସ୍‌ ଶୀତଲ୍ ଛାୟା ମେଁ କଟୁତା କା ଶମନ୍ ହୋ ସକ୍ତା ହୈ ?)
उत्तर:
ममता

(च) किसके धुल जाने से मुँदे नयन खुल जाते हैं?
(କିସ୍‌ ଧୂଲ୍ ଜାନେ ସେ ମୁଁଦେ ନୟନ୍ ଖୁଲ୍ ଜାତେ ହୈ?)
उत्तर:
ज्वालाएँ के।

(छ) किस पर विश्वास करना चाहिए?
(କିସ୍ ପର୍ ବିଶ୍ଵାସ୍ କର୍‌ନା ଚାହିଏ ? )
उत्तर:
सपने

(ज) सुख की कौन-सी मदिरा में जागने वाले को चेतन कहा गया है?
(ସୁଖ୍ କୀ କୌନ୍-ସୀ ମଦିରା ମେଁ ଜାଗନେ ୱାଲେ କୋ ଚେତନ କହା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
अभिमानी

(झ) संशय का कुहासा कैसा होता है?
(ସଂଶୟ କା କୁହାସା କୈସା ହୋତା ହୈ?)
उत्तर: सूक्ष्

(ञ) किसके मुर्दे ढोने के लिए मना किया गया है?
(କିସ୍‌ ମୁହେଁ ଜୋନେ କେ ଲିଏ ମନା କିମ୍ବା ଗୟା ହୈ ?)
उत्तर:
साँसों के

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4. निम्नलिखित अवतरणों के अर्थ स्पष्ट कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ଅବତରଣୋ କେ ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣଗୁଡ଼ିକର ଅର୍ଥ ସ୍ପଷ୍ଟ କର : )

(क) यदि फूल नहीं बो सकते तो
काँटे कम-से-कम मत बोओ ।
(ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହୀ ବୋ ସକତେ ତୋ)
(କାଁଟେ କମ୍-ସେ-କମ୍ ମତ ବୋଓ )।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अगर तुम किसी के रास्ते में फूल नहीं बिछा सकते तो काँटें भी मत बिछाओ। इसका अर्थ यह है कि अगर तुम किसी का उपकार नहीं कर सकते तो कम-से- कम अपकार मत करो।

(ख) ज्वालाएँ जब धूल जाती हैं
खुल- खुल जाते हैं मुँदे नयन।
ଜ୍ଵାଲାଏଁ ଜବ୍ ଧୂଲ୍ ଜାତୀ ହୈ
ଖୁଲ୍-ଖୁଲ୍ ଜାତେ ହୈ ମୁଁଦେ ନୟନ।
उत्तर:
इसमें कवि यह कहते हैं कि शान्ति और सौहार्द के सुखद स्पर्श से जीवन की ज्वालाए धूल जाती हैं।

(ग) है अगम चेतना की घाटी।
(ହି ଅଗମ୍ ଚେତନା କୀ ଘାଟୀ ।)
उत्तर:
अंचल कहते हैं कि चेतना की घाटी अगम होती है क्यों कि मानव का मन बहुत ही कमजोर होता है।

(घ) सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है चेतन।
ସୁଖ୍ କୀ ଅଭିମାନୀ ମଦିରା ମେଁ ଜୋ ଜାଗ ସକା, ୱହ ହୈ ଚେତନ।
उत्तर:
कवि के अनुसार जो व्यक्ति दुःख में भी जी सका, वही सच्चा चेतन प्राणी है। क्योंकि जीवन सुख-दुःख दोनो से बना है। इसी कारण कवि ने कहा है कि ‘सुख की अभिमानी मदिरा में जो जा सका, वह है चेतन’।

(ङ) यदि बढ़ न सको विश्वासों पर
साँसों के मुरदे मत ढोओ।
ୟଦି ବଢ଼ି ନ ସ ବିଶ୍ଵାସୌ ପର୍
ସାଁର୍ଡୋ କେ ମୁରଦେ ମତ୍ ଢୋଓ।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि संकट चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, अपना विश्वास, धैर्य और साहस कभी भी नहीं खोना चाहिए। ऐसा न होने पर आदमी एक जिंदा लाशा की तरह हो जाएगा।

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5. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(ରିକ୍ତ ସ୍ଥାନୌ କୀ ପୂର୍ତ୍ତି କୀଜିଏ : )
(ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର : )

(क) है अगम ……………… की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का ……………….।
उत्तर:
चेतना, मन

(ख) होकर निर्मलता में …………….. बहता प्राणों का ……………… पवन।
उत्तर:
प्रशान्त, क्षुब्ध

(ग) हर …………………… पर विश्वास करो, लो लगा चाँदनी का ……………………..
उत्तर:
सपने, चन्दन

(घ) ……………….. की अभिमानी मदिरा में जो …………………….. सका, वह है चेतन।
उत्तर:
सुख, जाग

(ङ) संशय के सूक्ष्म ……………….में ………………. नहीं क्षण भर रमता।
उत्तर:
कुहासे, विश्वास

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6. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्यों में से चुनकर लिखिए:
(ନିଚେ ଲିଖେ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦିୟେ ଗୟେ ବିକଛେଁ ମେଁ ସେ ଚୁନ୍‌କର୍ ଲିଖ୍ : )
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦିଆଯାଇଥ‌ିବା ବିକଳ୍ପ ଉତ୍ତର ମଧ୍ୟରୁ ବାଛି କରି ଲେଖ : )

(क) किसके घेरों में मारुत का जयघोष नहीं थमता?
(i) शत्रुओं के
(ii) मनुष्यों के
(iii) बादलों के
(iii) बादलों के
(iv) बिजली के
उत्तर:
(iii) बादलों के

(ख) किसमें बीते हुए जीवन को याद नहीं करना चाहिए?
(i) ज्वालाओं में
(ii) दुःख में
(ii) सुख में
(iv) विपत्ति में
उत्तर:
(i) ज्वालाओं में

(ग) मानव के मन को कहा गया है
(i) चंचल
(ii) कमजोर
(iii) चेतन
(iv) सजग
उत्तर:
(ii) कमजोर

(घ) सुख की अभिमानी मदिरा में जीनेवाले को कहा गया है
(i) शराबी
(ii) सुखी
(iii) घमण्डी
(iv) चेतन
उत्तर:
(iv) चेतन

(ङ) किसकी शीतल छाया में कटुता का शमन होता है?
(i) ममता की
(ii) पेड़ की
(iii) प्रेम की
(iv) घर की
उत्तर:
(i) ममता की

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. प्रयुक्त तुकवाले शब्द लिखिए:
(ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ପାଠ୍ ମେଁ ପ୍ରୟୁକ୍ତ ତୁକଲେ ଶବ୍ଦ ଲିଖୁଏ : )
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ପାଠରେ ଯତିପାତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
उदाहरण: नयन – पवन। ममता – कटुता।
(तुक = शब्दों के अंत के समान अंश, जैसे- ‘न’ और ‘ता’)
उत्तर:
मन – शमन,
चंदन – जीवन,
तन – मन,
जमता – कमता,
रमता – थमता,
ढोओ – बोओ,
सोओ – बोओ।

2. प्रस्तुत कविता में बहुत सारे विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କବିତା ମେଁ ବହୁତ୍ ସାରେ ବିଶେଷଣ ଶରେଁ କା ପ୍ରୟୋଗ ହୁଆ ହୈ ।)
(ପ୍ରସ୍ତୁତ କବିତାରେ ଅନେକଗୁଡ଼ିଏ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦର ପ୍ରୟୋଗ ହୋଇଅଛି ।)
जैसे- अगम, कमजोर, शीतल आदि।
इस तरह दूसरे विशेषण शब्दों को छाँटिए।
(ଇସ୍ ତରହ ଦୂସ୍‌ରେ ବିଶେଷଣ-ଶରେଁ କୋ ନାଁଟିଏ ।)
(ଏହିପରି ଅନ୍ୟ ବିଶେଷଣ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛି ଲେଖ ।)
उत्तर:
मुँदै, क्षुब्ध, अभिमानी, सूक्ष्म

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3. प्रस्तुत कविता में बहुत सारे विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ପାଠ୍ ମେଁ ‘ପ୍ରଶାନ୍ତ’ ଶବ୍ଦ ଆୟା ହୈ ।)
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ପାଠରେ ‘ପ୍ରଶାନ୍ତ’ ଶବ୍ଦ ଅଛି ।)

इस शब्द के पहले लगा हुआ अंश ‘प्र’ एक उपसर्ग है। यह अधिकता का सूचक है।
(ଇସ୍ ଶବ୍ଦ କେ ପହଲେ ଲଗା ହୁଆ ଅଂଶ ‘ପ୍ର’ ଏକ୍ ଉପସର୍ଗ ହୈ ୟହ ଅଧ୍ଵକତା କା ସୂଚକ ହୈ ।)
(ଏହି ଶବ୍ଦର ଆରମ୍ଭରେ ଲଗାଯାଇଥିବା ଅଂଶ ‘ପ୍ର’ ଏକ ଉପସର୍ଗ। ଏହା ଅଧ୍ଵକତାର ସୂଚକ ।)

जो शब्दांश किसी मूल शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ या भाव को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
(ଜୋ ଶତାଂଶ କିସୀ ମୂଳ ଶବ୍ଦ କେ ପହଲେ ଲଗ୍‌କର୍ ଉସକେ ଅର୍ଥ ୟା ଭାଙ୍ଗୁ କୋ ବଦଳ ଦେତେ ହେଁ, ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱ ଉପସର୍ଗ କହତେ ହୈ ।)
(ଯେଉଁ ଶତାଂଶ କୌଣସି ମୂଳ ଶବ୍ଦର ପୂର୍ବରୁ ଲାଗକରି ତାହାର ଅର୍ଥ ବା ଭାବକୁ ବଦଳାଇ ଦିଏ, ତାହାକୁ ‘ଉପସର୍ଗ’ କୁହାଯାଏ ।)

इस तरह के उपसर्ग-प्रयुक्त शब्दों की सूची तैयार कीजिए।
(ଇସ୍ ତରହ କେ ଉପସର୍ଗ-ପ୍ରଯୁକ୍ତ ଶର୍କୋ କୀ ସୂଚୀ ତୈୟାର କୀଜିଏ ।)
(ଏହିପରି ଉପସର୍ଗ ବ୍ୟବହୃତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ସୂଚୀ ପ୍ରସ୍ତୁତ କର ।)
उत्तर:
अगम, कमजोर, अभिमनी, संकल्प, अनसुना, अचीह्ना

Very Short & Objective Type Questions with Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘काँटे कम-से-कम मत बोओ का रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
रामेस्वर शुक्ल ‘अंचल’ काँटे कम-से-कम मत बोओ का रचयिता है।

प्रश्न 2.
कवि कैसे चन्दन लगाने को कह रहे हैं?
उत्तर:
कवि चाँदनी का चन्दन लगाने को कह रहे हैं।

प्रश्न 3.
संकल्प कैसे जागृत नहीं होता?
उत्तर:
पग पग पर शोर मचाने से संकल्प जागृत नहीं होता।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द / एक वाक्य में दिजिए।

प्रश्न 1.
भूलकर भी किसमें मदांध नहीं होना चाहिए?
उत्तर:

प्रश्न 2.
शोर मचाने पर मन में क्या नहीं जमता?
उत्तर:
संकल्प

प्रश्न 3.
हमें किस पर विश्वास करना चाहिए?
उत्तर:
हर सपने पर

प्रश्न 4.
हर सपने पर विश्वास करो और किसका चंदन लगा लो?
उत्तर:
चाँदनी का

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प्रश्न 5.
विश्वास क्षणभर कहाँ टिक नहीं सकता?
उत्तर:
संशय के कुहासे में

प्रश्न 6.
चेतना की घाटी कैसी होती है?
उत्तर:
अगम

प्रश्न 7.
कटुता का शमन किसमें हो जाता है?
उत्तर:
ममता की शीतल छाया म

प्रश्न 8.
‘काँटे कम-से-कम मत बोओ’ कविता के रचयिता कौन है?
उत्तर:
रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

प्रश्न 9.
संकट में अगर हम मुस्कारा न सके तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
भय से कातर नहीं होना चाहिए

प्रश्न 10.
अगर विश्वासों पर न बढ़ सको तो कम-से-कम क्या नहीं होना चाहिए?
उत्तर:
साँसों के मुंरदे

प्रश्न 11.
जीवन किससे बना है?
उत्तर:
सुख और दुःख दोनों से

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
यदि हम फूल नहीं वो सकते तो कमसे कम ……………….. मत वोओ।
उत्तर:
काँटे

प्रश्न 2.
सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह …………………. है।
उत्तर:
चेतन

प्रश्न 3.
…………………. करने से संकट का वेग कम नहीं होता। को अगमय कहा है।
उत्तर:
अनसुना

प्रश्न 4.
कवि ने ……………….. को अगमय कहा है।
उत्तर:
चेतना की घाटी

प्रश्न 5.
…………………… घेरों में मारुत का जयघोष नहीं थमता।
उत्तर:
वादलों के

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प्रश्न 6.
मानव के मन को ……………………. माना गया है।
उत्तर:
कमजोर

प्रश्न 7.
प्रेम के स्पर्श से ………………….. खुल जाते है।
उत्तर:
मुँदे नयन

प्रश्न 8.
……………………. पर विश्वास करना चाहिए।
उत्तर:
अपने संकल्प पर

प्रश्न 9.
संशय का कुहासा ……………………. होता है।
उत्तर:
सूक्षम

प्रश्न 10.
मदिरा का अर्थ है …………………….।
उत्तर:
नया

D. ठिक् या भूल लिखिए।

प्रश्न 1.
सुख की अभिमानी सी मदिरा में जागनेवाले को चेतन कहा गया है?
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 2.
कटुता का खुद की छाया शमन हो जाती है।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 3.
अगर तुम जाग नहीं सके, तो कमसेकम रोना नहीं चाहिए।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 4.
ज्वालाओं में बीते हुए जीवन को याद नहीं करना चाहिए।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 5.
अनसुना करने से विश्वास कम नहीं होता।
उत्तर:
भूल

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प्रश्न 6.
ममता की शीतल छाया में कटुता का शमन हो सकता है।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 7.
बादल के घेरों में मारूत का जयघोष नहीं थमता।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 8.
हवाएँ धूल जाने से मूँदे नयन खुल जाते हैं।
उत्तर:
भूल

प्रश्न 9.
कवि चाँदनी का चंदन लगाने को कह रहे हैं।
उत्तर:
ठिक्

प्रश्न 10.
कवि ने कुहासे की तुलना दुःख से की।
उत्तर:
भूल

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQS )

1. भूलकर भी किसमें मदांध नहीं होना चाहिए?
(A) तुच्छ वित्त में
(B) मत्त चित्त में
(C) अच्छे मित्र में
(D) दुष्ट संत में
उत्तर
:(A) तुच्छ वित्त में

2. शोर मचाने पर मन क्या नहीं जमता?
(A) संकल्प
(B) संकट
(C) अभिमान
(D) क्षुब्ध पवन
उत्तर:
(A) संकल्प

3. हमें किस पर विश्वास करना चाहिए?
(A) अपने दुश्मन पर
(B) हर सपने पर
(C) हर फूल पर
(D) चेतना की घाटी पर
उत्तर:
(B) हर सपने पर

4. हर सपने पर विश्वास करो और किसका चंदन लगा लो?
(A) मलय काठ का
(B) सफेद खडिया का
(C) चाँदनी का
(D) जन्मभूमि की मिट्टी का
उत्तर:
(C) चाँदनी का

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5. विश्वास क्षणभर कहाँ टिक नहीं सकता?
(A) संकट के वेग में
(B) बादलों के घेरों में
(C) मुरदों की साँसों में
(D) संशय के कुहासे में
उत्तर:
(D) संशय के कुहासे में

6. पग-पग पर शोर मचाने से मन में क्या नहीं जमता?
(A) विकल्प
(B) बादलों के घेरों में
(C) मुरदों की साँसों में
(D) संशय के कुहासे में
उत्तर:
(D) संशय के कुहासे में

7. चेतना की घाटी कैसी होती है?
(A) अगम
(B) साहस
(C) भय
(D) संकल्प
उत्तर:
(A) अगम

8. सुख की कौन-सी मदिरा में जागनेवाले को चेतन कहा गया है?
(A) अभिमानी
(B) मनमानी
(C) स्वच्छंद
(D) अहंकारी
उत्तर:
(A) अभिमानी

9. संशय का कुहासा कैसा होता है?
(A) तीक्षण
(B) सूक्ष्म
(C) अगम्य
(D) साँसों
उत्तर:
(B) सूक्ष्म

10. किसके धूलजाने से मूँद नयन खुल जाते हैं?
(A) मैल
(B) जल
(C) ज्वालाएँ
(D) आँसू
उत्तर:
(C) ज्वालाएँ

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11. कौन-सी घाटी अगम होती है?
(A) पहाड़ की घाटी
(B) संकट की घाटी
(C) चेतना की घाटी
(D) विवेचन की घाटी
उत्तर:
(C) चेतना की घाटी

12. कटुता को शमन करती है
(A) ममता के छाया
(B) धूप-छाया
(C) पड़े की छाया
(D) खुद की छाया
उत्तर:
(A) ममता के छाया

13. सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है
(A) मन
(B) विवेक
(C) तन
(D) चेतन
उत्तर:
(D) चेतन

14. अगर तुम जाग नहीं सके, तो कम-से-कम क्या नहीं करना चाहिए
(A) सोना नहीं चाहिए
(B) सोना चाहिए
(C) रोना चाहिए
(D) रोना नहीं चाहिए
उत्तर:
(A) सोना नहीं चाहिए

15. क्या करने से संकट का वेग कम नहीं होता?
(A) अवहेलना
(B) अनसुना
(C) संकल्प
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अनसुना

16. संशय के सुक्ष्म कुहासे में क्या नहीं रमता?
(A) विश्वास नहीं रमता
(B) आशा नहीं रमती
(C) कुहासे नहीं रमता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) विश्वास नहीं रमता

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17. अगर विश्वासों पर न बढ़ सको तो कम-से-कम क्या नहीं होना चाहिए?
(A) साँसों के मुरदे
(B) मलवे
(C) मुरदे
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) साँसों के मुरदे

18. कवि ने किसे अगम्य कहा है ?
(A) दुबलों को
(B) अभिमानी व्यक्ति को
(C) ईर्ष्यालु को
(D) मानव के मन को
उत्तर:
(D) मानव के मन को

यह कविता

प्रस्तुत कविता कवि की एक प्रगतिशील रचना है। कवि का आग्रह है कि आदमी स्वार्थी नहीं, परोपकारी बने। वह दुःख नहीं, सुख दे। सुख न दे सके तो कम-से-कम किसी को कष्ट न पहुँचाये। इसलिए कवि कहता है कि यदि तुम किसी के रास्ते पर फूल नहीं बो सकते तो कम-से-कम काँटें तो मत बोओ। अपने मन को अपने सुख-दुःख के चक्कर में डालकर छोटा न करो। दूसरों को स्नेह, प्रेम और ममता की शीतल छाया में रखो। ईर्ष्याी की कटुता समाप्त करो। क्योंकि शान्ति – सौहार्द के सुखद स्पर्श से जीवन की ज्वालाएँ बुझ जाती हैं।

अपने व्यक्तिगत दुःख तथा क्रोध से परिवेश को दुःखी मत करो। शान्ति फैलाओ। संकट के समय अगर मुस्करा न सको तो व्याकुल भी मत होओ। आशा के सपने देखो। पर जलो मत शान्ति से उसे पाने की चेष्टा करो। जो व्यक्ति दुःख में भी जी सका, वही सच्चा चेतन प्राणी है। क्योंकि जीवन सुख और दुःख दोनों से बना है। कवि ने ठीक ही कहा है कि ‘सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है चेतन’। जीवन को जागकर भोगो। सोकर उदासीन न हो जाओ। संकट से मुँह मोड़ना, संघर्ष न करना कायरता है। तुम दूसरों का हौंसला बढ़ाओ। धीरज बँधाओ। जैसे बादलों की गड़गड़ाहट के बीच पवन का जयघोष बन्द नहीं होता, वैसे संकट चाहे कितना गहरा हो; अपना विश्वास, धैर्य, साहस नहीं खोना चाहिए। नहीं तो आदमी जिन्दा लाश हो जाएगा।

ପ୍ରସ୍ତୁତ କବିତା କବିଙ୍କର ଏକ ପ୍ରଗତିଶୀଳ ରଚନା। କବି ଆଗ୍ରହ କରୁଛନ୍ତି ଯେ ମଣିଷ ସ୍ବାର୍ଥୀ ନ ହୋଇ ପରୋପକାରୀ ହେଉ। ସେ ଦୁଃଖ ନ ଦେଇ ସୁଖ ଦେଉ। ଯଦି ସୁଖ ନ ଦେଇ ପାରିବ ତାହାହେଲେ କାହାରିକୁ କଷ୍ଟ ନ ଦେଉ। ଏଣୁ କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ଯଦି ତୁମେ କାହାରି ରାସ୍ତାରେ ଫୁଲ ବିଛାଇ ନ ପାରୁଛ ନାହିଁ, କଣ୍ଟା ମୋଟେ ବିଛାଅ ନାହିଁ । ନିଜ ମନକୁ ନିଜର ସୁଖ-ଦୁଃଖ ରୂପୀ ଭଉଁରୀରେ ପକାଇ କେବେ ନିଜକୁ ଛୋଟ ମଣ ନାହିଁ। ଅନ୍ୟକୁ ସ୍ନେହ, ପ୍ରେମ ଓ ମମତାର ଶୀତଳ ସ୍ପର୍ଶରେ ରଖ। ଈର୍ଷାର କଟୁତାକୁ ସମାପ୍ତ କରିଦିଅ। ଯେହେତୁ ଶାନ୍ତି ସୌହାର୍ଘ୍ୟର ସୁଖଦ ସ୍ପର୍ଶଦ୍ବାରା ଜୀବନର ଜ୍ଵାଳାସବୁ ଲିଭିଯାଏ। ନିଜର ବ୍ୟକ୍ତିଗତ ଦୁଃଖ ତଥା

କ୍ରୋଧଦ୍ଵାରା ପରିବେଶକୁ ଦୁଃଖୀ କର ନାହିଁ। ଶାନ୍ତିର ପ୍ରଚାର କର। ବିପଦ ସମୟରେ ଯଦି ହସି ନ ପାରୁଛ ତାହାହେଲେ ବ୍ୟାକୁଳ ମଧ୍ୟ ହୁଅ ନାହିଁ। ଆଶାର ସ୍ଵପ୍ନ ଦେଖ। କିନ୍ତୁ ଈର୍ଷା କର ନାହିଁ। ଶାନ୍ତଦ୍ଵାରା ତାକୁ ପାଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକର। ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଦୁଃଖ ମଧ୍ଯରେ ବଞ୍ଚିପାରେ, ସେ ହିଁ ପ୍ରକୃତରେ ଚେତନ ପ୍ରାଣୀ। ହୋଇପାରିଛି, ସେ ହିଁ ଚେତନ। ଜୀବନକୁ ଜାଗ୍ରତ ହୋଇ ଉପଭୋଗ କର। ଶୋଇକରି ଉଦାସୀନ ହୁଅ ନାହିଁ। ବିପଦ ଦେଖ୍ ଦୂରେଇ ଯିବା, ସଂଘର୍ଷ ନ କରିବା ଭୀରୂତାର ଲକ୍ଷଣ। ତୁମେ ଅନ୍ୟକୁ ସାହସ ପ୍ରଦାନ କର। ଧୈର୍ଯ୍ୟ ଦିଅ। ଧୈର୍ଯ୍ୟ, ସାହସକୁ କେବେହେଲେ ଛାଡ଼ିବ ନାହିଁ। ଯଦି ସେ ସମୟରେ ଧୈର୍ଯ୍ୟଚ୍ୟୁତ ହେବ ତାହାହେଲେ ଜୀବିତ ଶବ ପରି ହୋଇଯିବ।

(i) यदि फूल नहीं बो सकते तो
काँटे कम से कम मत बोओ!
(?)
है अगम चेतना की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का मन;
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन!
ज्वालाएँ जब धुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मुँदे नयन
होकर निर्मलता में प्रशान्त बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन।
संकट में यदि मुस्का न सको भय से कातर हो मत रोओ!
यदि फूल नहीं बो सकते तो, काँटे कम से कम मत बोओ।

କୀ ଘାଟୀ,
ହୈ ଅଗମ୍ ଚତେନା କମ୍ପୋଜୋର୍ ବଡ଼ା ମାନ କା ମନ୍;
ମମତା କୀ ଶୀତଲ୍ ଛାୟା ମେଁ ହୋତା କଟୁତା କା ସ୍ଵୟଂ ଶମନ୍!
ଜ୍ଵାଲାଏଁ ଜବ୍ ଧୁଲ୍ ଜାତୀ ହୈ, ଖୁଲ୍-ଖୁଲ୍ ଜାତେ ହୈ ମୁଁଦେ ନୟନ୍।
ହୋକର୍ ନିର୍ମଲତା ମେଁ ପ୍ରଶାନ୍ତ ବହତା ପ୍ରାର୍ଥେ କା କ୍ଷୁବ୍ଧ ପୱନ୍।
ସଂକଟ୍ ମେଁ ଯଦି ମୁସ୍କା ନ ସକୋ ଭୟ ସେ କାତର ହୋ ମଡ୍ ରୋଓ!
ଯଦି ଫୁଲ୍ ନହୀ ବୋ ସକତେ ତୋ, କାଁଟେ କମ୍ ସେ

हिन्दी व्याख्या:
इसमें कब कहते हैं कि अगर तुम किसी के रास्ते में फूल नहीं बो सकते तो कम से कम काँटें मत बोओ। अपने मन को अपने सुख-दुःख के चक्कर में डालकर छोटा मत करो। दूसरों को स्नेह-प्रेम और ममता का शीतल छाया प्रदान करो। इर्ष्या की कटुता को समाप्त करो। क्योंकि शान्ति- सौहार्द के मुख्य स्पर्श से जीवन की ज्वालाएँ बुझ जाती है। अपने निजी जीवन के दुःख तथा क्रोध से परिवेश को दुःखी मत करो। शान्ति फैलाओ। संकट के समय अगर मुस्कुरा नहीं सकते तो भय से बिचलित मत ଶିଆଁ।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବି କହୁଛନ୍ତି ଯଦି ତୁମେ କାହା ରାସ୍ତାରେ ଫୁଲ ବିଛାଇ ପାରୁନାହଁ, ତେବେ କଣ୍ଟା ବିଛାଅ ନାହିଁ। ନିଜ ମନକୁ ନିଜର ସୁଖ-ଦୁଃଖ ରୂପି ଭଉଁରିରେ ପକାଇ କେବେ ନିଜକୁ ଛୋଟ ମଣ ନାହିଁ। ଅନ୍ୟକୁ ସ୍ନେହ-ପ୍ରେମ ଓ ମମତାର ଶିତଳ ସ୍ପର୍ଶରେ ରଖ। ଈର୍ଷାର କଟୁତାକୁ ସମାପ୍ତ କରିଦିଅ। ଯେହେତୁ ଶାନ୍ତି-ସୌହାର୍ଯ୍ୟର ସୁଖଦ ସ୍ପର୍ଶଦ୍ବାରା ଜୀବନର ଜ୍ଵାଳାସବୁ ଲିଭିଯାଏ। ନିଜର ବ୍ୟକ୍ତିଗତ ଦୁଃଖଦ୍ଵାରା ପରିବେଶକୁ ଦୁଃଖୀ କର ନାହିଁ। ଶାନ୍ତିର ପ୍ରଚାର କର। ବିପଦ ସମୟରେ ଯଦି ହସି ନ ପାରୁଛ ତେବେ ଭୟରେ ବିଚଳିତ ହୁଅ ନାହିଁ।

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 6 काँटे कम-से-कम मत बोओ

(ii) हर सपने पर बिश्वास करो, लो लगा चाँदनी का चन्दन,
मत याद करो, मत सोचो-ज्वाला में कैसे बीता जीवन,
इस दुनिया की है रीति यही सहता है तन, बहता है मन!
सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है चेतन!
इसमें तुम जाग नहीं सकते, तो सेज बिछाकर मत सोओ!
यदि फूल नहीं बो सकते तो, काँटे कम से कम मत बोओ!
(୨)
ହର୍ ସପନେ ପର୍ ବିଶ୍ଵାସ କରୋ, ଲୋ ଲଗା ଚାଁଦନୀ କା ଚନ୍ଦନ,
ମତ୍ ୟାଦ୍ କରୋ, ମତ୍ ସୋଚୋ-ଜ୍ବାଲା ମେଁ କୈସେ ବୀତା ଜୀୱନ୍,
ଇସ୍ ଦୁନିୟା କୀ ହୈ ରୀତି ୟହୀ- ସହତା ହୈ ତନ୍, ବହତା ହୈ ମନ୍!
ସୁଖ୍ କୀ ଅଭିମାନୀ ମଦିରା ମେଁ ଜୋ ଜାଗ୍ ସକା, ୱହ ହୈ ଚେତନ୍!
ଇସ୍‌ ତୁମ୍ ଜାର୍ ନହୀ ସକତେ, ତୋ ସେଜ୍ ବିଛାକର୍ ମତ୍ ସୋଓ!
ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହୀ ବୋ ସକତେ ତୋ, କାଁଟେ କମ୍ ସେ କମ୍ ମତ୍ ବୋଓ !

हिन्दी व्याख्या:
सपने देखो। हर सपने पर विश्वास करो। यह मत सोचो कि किन परिस्थितियों में तुम्हारा जीवन बीत रहा है। सबकुछ शान्ति से पाने की कोशिश करो। जो मनुष्य दुःख में भी जीता है, वही सच्चा चेतन प्राणी है। क्योंकि यह जीवन सुख – दुःख दोनों से बना है। इसलिए कवि ने ठीक ही कहा है कि ‘सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका, वह है चेतन। जीबन को जागकर उपभोग करो। सोकर उदासीन मत हो जाओ।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବି କହୁଛନ୍ତି ଆଶାର ସ୍ଵପ୍ନ ଦେଖ କିନ୍ତୁ ଈର୍ଷା କର ନାହିଁ। ଶାନ୍ତି, ସ୍ନେହ ଓ ପ୍ରେମଦ୍ଵାରା ତାକୁ ପାଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କର। ଯେଉଁ ମାନବ ଦୁଃଖ ମଧ୍ଯରେ ବଞ୍ଚିପାରେ, ସେ ହିଁ ପ୍ରକୃତରେ ଚେତନ ପ୍ରାଣୀ। ଜୀବନ ସୁଖ- ଦୁଃଖରେ ଗଢ଼ା। ତେଣୁ କବି ଠିକ୍ କହିଛନ୍ତି ଯେ ସୁଖର ଅଭିମାନୀ ମଦିରାରେ ଯିଏ ଜାଗ୍ରତ ହୋଇପାରିଛି। ସେ ହିଁ ଚେତନ, ଜୀବନକୁ ଜାଗ୍ରତ ହୋଇ ଉପଭୋଗ କର। ଶୋଇ କରି ଉଦାସୀନ ହୁଅ ନାହିଁ।

(iii) पग-पग पर शोर मचाने से मन में संकल्प नहीं जमता,
अनसुना अचीह्रा करने से संकट का बेग नहीं कमता,
संशय के सूक्ष्म कुहासे में बिश्वास नहीं क्षण भर रमता,
बादल के घेरों में भी तो जय घोष न मारुत का थमता।
यदि बढ़ न सको बिश्वासों पर साँसों के मुरदे मत ढोओ!
यदि फूल नहीं बो सकते तो, काँटे कम से कम मत बोओ!

ପଗ୍-ପଗ୍ ପର୍ ଶୋର୍ ମଚାନେ ସେ ମନ୍ ମେଁ ସଂକଳ୍ପ ନହିଁ ଜମ୍ତା,
ଅନସୁନା ଅଚୀହ୍ନା କରନେ ସେ ସଂକଟ୍ କା ବେଗ୍ ନହୀ କମତା,
ସଂଶୟ କେ ସୂକ୍ଷ୍ମ କୁହାସେ ମେଁ ବିଶ୍ଵାସ୍ ନହୀ କ୍ଷଣ୍ ଭର୍ ରମତା,
ବାଦଲ୍ କେ ଘେରୌ ମେଁ ଭୀ ତୋ ଜୟ ଘୋସ୍ ନ ମାରୁତ୍ କା ଥମତ।
ଯଦି ବଢ଼ି ନ ସ ବିଶ୍ଵାର୍ଡୋ ପର ସାଁର୍ଡୋ କେ ମୁରଦେ ମତ୍ ଜୋଓ!
ୟଦି ଫୁଲ୍ ନହୀ ବୋ ସକତେ ତୋ, କାଁଟେ କମ୍ ସେ କମ୍ ମତ୍ ବୋଓ!

हिन्दी व्याख्या:
कवि कहते हैं कि संकट से मुँह मोड़ना, संघर्ष न करना कायरता है। दूसरों का हौसला बुंलद करो। धीरज प्रदान करो। जैसे बादलों की गड़गड़ाहट के बीच पवन का जयघोष बन्द नहीं होता, उसीप्रकार संकट चाहे जितना गहरा क्यों न हो, अपना विश्वास, धैर्य और साहस को खोना नहीं चाहिए। वरना आदमी एक जिंदा लाश बनकर रह जाएगा।

ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
କବିଙ୍କ ମତରେ ବିପଦ ଦେଖ୍ ଦୂରେଇ ଯିବା, ସଂଘର୍ଷ ନ କରିବା ଭୀରୁତାର ଲକ୍ଷଣ। ତୁମେ ଅନ୍ୟକୁ ସାହସ ପ୍ରଦାନ କର। ଧୈର୍ଯ୍ୟ ଦିଅ। ଯେପରି ମେଘର ଗର୍ଜନ ମଧ୍ୟରେ ପବନର ଜୟଘୋଷ ବନ୍ଦ ହୁଏ ନାହିଁ, ଜୀବିତ ଶବ ପରି ହୋଇଯିବ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

बोओ – बोना (ପୋତିବା)।

चेतना – ज्ञान (ଜ୍ଞାନ)।

घाटी – पर्वतों के बीच का संकरा मार्ग (ପର୍ବତ ମଝିରେ ଥ‌ିବା ସଂକୀର୍ଣ୍ଣ ରାସ୍ତା)।

अगम – जहाँ कोई न जा सके (ପୋତିବା)।

मुस्कां – मुस्कान। (ହସିବା)।

रीति – नियम (ନିୟମ)।

अभिमानी- धमे (ଗର୍ବ)।

शमन – शान्ति (ଶାନ୍ତି)।

अनसुना – न सुनना (ନ ଶୁଣିବା)।

ज्वालाएँ – अग्निशिख (ଅଗ୍ନିଶିଖା)।

मुँदे – बंद (ସଂକଳ୍ପ)।

संकल्प – इरादा (ଅଧୀର)।

कातर – अधीर (ପ୍ରଥା)।

शारा मचाना – कोलाहल करना (ମଦ)।

मदिरा – शराब (ମଦ)।

कुहासे – कोहरे (କୁହୁଡ଼ି)।

जयघोष – जयजयकार (ଜୟଗାନ)।

संकट – विपदा (ସଂକଟ)।

संशय – संदेह (ସନ୍ଦେହ)।

कमजोर – दुर्बल (ଦୁର୍ବଳ)।

कटुता – कड़वापन (କଟୁତା)।

प्रशांत – शांत (ଶାନ୍ତ)।

अनसुना – अश्रुत (ଅଶୁତ)।

धुल – व्याकुल (ଧୋଇଯିବା)।

नयन – आँख (ଆଖୁ)।

क्षुब्ध – चन्द्र (ବ୍ଯାକୁଲ୍।

चाँदनी – किरण (ଚନ୍ଦ୍ର କିରଣ)।

तन – शरीर (ଶରୀର)।

सेज – बिछौना ବିଛଣା)।

मरुत – पवन (ପଚନ)।

मुरदे – लाश (ଶବ)।

अचीह्ना – अपरिचित (ଅଚିହ୍ନା)।

रमना – व्याहाहोना (ରହିବା)।

कवि परिचय

कवि रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ का जन्म सन् 1915 में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले उत्तरप्रदेश के किशनपुर गाँव में हुआ। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करके सरकारी नौकरी की। बाद में वे हिन्दी के प्रोफेसर हो गये ‘अंचल’ जी के पास अनुभव था और कल्पना शक्ति भी थी। इसलिए शुरू में उन्होंने सूक्ष्म मनोभावों पर लिखा। उनकी कविता में मानव और प्रकृति के सौन्दर्य, यौवन, स्नेह-प्रेम, दुःख-दर्द के सुन्दर और भावात्मक चित्र मिलते हैं। लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्होंने जीवन के वास्तव रूप को देखा। समाज में विषमता थी। अन्याय-अत्याचार, शोषण और असन्तोष था।

तव उन्होंने इनके बिरोध में आवाज उठाई; मानवता का पक्ष लिया, शोषितों की वकालत की। ‘अंचल’ जी छायावाद से प्रगतिवाद के दौर में आए। देश-प्रेम, राष्ट्रीयता, संस्कृति के गीत गाये। मनुष्य को सही तरह से जीना सिखाया। ‘अंचल’ जी ने उपन्यास, कहानी और निबंध भी लिखे। उनकी प्रमुख रचनाओं में से ‘अपराजिता’, ‘मधूलिका’, ‘लाल चूनर’, ‘किरण वेला’, ‘वर्षान्त के बादल’, ‘बिराम चिह्न’ आदि रचनाएँ लोक प्रिय हुईं।

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