BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

Odisha State Board  BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions  Poem 1(b) सूरदास के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନ। କେ ଉତ୍ତର ଦୋ-ତୀନ୍ ବାର୍କେ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ )।
(ତଳଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ ବା ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) ब्रजनारी माता यशोदा से कौन-सी शिकायतें करती हैं?
ବ୍ରଜନାରୀ ମାତା ୟଶୋଦା ସେ କୌନ୍-ସୀ ଶିକାୟର୍ତେ କରତୀ ହୈ ?
(ବ୍ରଜନାରୀ ମାତା ଯଶୋଦାକୁ କେଉଁ ଅଭିଯୋଗଗୁଡ଼ିକ କରିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
ब्रजनारी माता यशोदा से यह शिकायत करती है कि कृष्ण ने हमारा माखन खा लिया । दोपहर को घर सूना देखकर, खोज-खाजकर तेरा बेटा मेरे घर में घुस गया। उसने भण्डार घर का किवाड़ खोल दिया, घर में दूध, दही, माखन सबके सब साथियों को खिला दिया और नुकसान कर दिया।

(ख) बालकृष्ण की माखन चोरी का वर्णन कीजिए।
(ବାଲ୍ୟକୃଷ୍ଣ କୀ ମାଖନ-ଚୋରୀ କା ୱର୍ଣ୍ଣନ କୀଜିଏ) ।
(ଶିଶୁକୃଷ୍ଣଙ୍କ ମାଖନଚୋରୀ ବର୍ଣ୍ଣନା କର ।)
उत्तर:
बालकृष्ण दोपहर में, ब्रजभूमि की एक ग्वालिन के घर में घुस गया। उसने घर का दरवाजा खोल कर दूध, दही, माखन सब अपने साथियों को खिला दिया। फिर खाट पर चढ़कर शिक्या पर रखे हुए माखन को खा लिया और गिरा दिया।

(ग) ब्रजनारी ने माता यशोदा से यह क्यों कहा कि ‘पूत अनोखा जायो’? इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ବ୍ରଜନାରୀ ନେ ମାତା ୟଶୋଦା ସେ ୟହ କ୍ୟା କହା କି ‘ପୂତ ଅନୋଖା ଜାୟୋ’ ? ଇସ୍ କଥନ୍ କା ଆଶୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ ।
(ଗୋପନାରୀ ମାତା ଯଶୋଦାଙ୍କୁ ପୂତ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ଜନକ ରୂପ ବୋଲି କାହିଁକି କହିଛନ୍ତି ? ଏହି କଥାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)
उत्तर:
यहाँ ब्रजनारियाँ माखन चोर श्रीकृष्ण जी से बैचने हुई है, हर रोज कृष्णचन्द्र जी अपने अनोखा सा काम से उनको शतातें हैं। उन पर कोई भी गालियाँ शिकायत का असर न होने पर उह्नोंने माता यशोदा से यह कहती हैं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର ଏକ-ଏକ ବାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) कौन किससे शिकायत करता है?
(କୌନ୍ କିସ୍‌ ଶିକାୟତ କରତା ହୈ )?
(କିଏ କାହାକୁ ଅଭିଯୋଗ କରିଛି ?)
उत्तर:
ब्रजभूमि की एक ग्वालिन माता यशोदा से शिकायत करती है।

(ख) किस पर चढ़कर कृष्ण दही निकालते हैं?
କିସ୍‌ର ଚଢ଼େକର୍ କୃଷ୍ଣ ଦହୀ ନିକାଲ୍‌ ହେଁ ?
(କାହା ଉପରେ ଚଢ଼ି କୃଷ୍ଣ ଦହୀ ବାହାର କରୁଛି ?)
उत्तर:
खाट पर चढ़कर कृष्ण दही निकालते हैं।

(ग) ब्रजनारी ने किसे अनोखा कहा है?
(ବ୍ରଜନାରୀ ନେ କିସ୍ ଅନୋଖା କହା ହୈ ?
(ବ୍ରଜନାରୀ (ଗୋପନାରୀ) କାହାକୁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ କହିଛନ୍ତି ?
उत्तर:
ब्रजनारी ने कृष्ण को अनोखा कहा है।

(घ) ‘कौन रंग लाये’ का अर्थ क्या है?
(‘କୌନ୍ ରଂଗ୍ ଲାୟୋ’ କା ଅର୍ଥ କ୍ୟା ହୈ ?
(‘କେଉଁ ରଂଗ ଆଣିଲା’ର ଅର୍ଥ କ’ଣ ଅଟେ ?)
उत्तर:
कौन रंग लायों का अर्थ कौना सा रूप और अवतार है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों क उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ତ ପ୍ରଶ୍ନୋ ଳେ ଡତ୍ତର୍ ଏକ୍ – ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ ।)

(क) यहाँ लाल किसे कहा गया है?
ୟହାଁ ଲାଲ୍ କିସ୍ କହା ଗୟା ହୈ ?
(ଏଠାରେ ଲାଲ କାହାକୁ କୁହାଯାଇଛି)
उत्तर:
पुत्र कान्हा को

(ख) किस समय घर सूना था?
(କିସ୍ ସମୟ ଘର୍ ସୂନା ଥା)?
(କେଉଁ ସମୟ ଘର ଖାଲି ଥୁଲା ?)
उत्तर:
दोपहर के समय

(ग) प्रतिदिन किसकी हानि होती थी?
(ପ୍ରତିଦିନ୍ କିସ୍‌କୀ ହାନି ହୋତୀ ଥୀ )?
(ପ୍ରତିଦିନ କଣ କ୍ଷତି ହେଉଥିଲା ?)
उत्तर:
गोरस की

(घ) दही कहाँ रखा हुआ था?
(ଦହୀ କାହାଁ ରଖା ହୁଆ ଥା )?
(ଦହୀ କେଉଁଠାରେ ରଖା ହୋଇଥିଲା?)
उत्तर:
छींके पर

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

‘माखन’ एक संज्ञा पद है। इस तरह इस पद में जितने संज्ञा पद हैं। उन्हें छाँटकर लिखिए नीचे कुछ शब्द दिये जा रहे हैं जिनका वह रूप लिखिए जो आप समझते हैं।
(‘ମାଖନ’ ହିନ୍ଦି ଭାଷାରେ ଏକ ‘ସଂଜ୍ଞାପଦ’ ଅଟେ। ପଦ୍ୟ ମଧ୍ୟରେ ଏହିଭଳି ଯେତେଗୁଡ଼ିଏ ‘ସଂଜ୍ଞାପଦ’ ଅଛି ଖୋଜି ବାହାରକରି ଲେଖ ।)
उत्तर:
लाल, दिवस, घर, किवार, मंदिर, दूध, दही, खाट, मोहन, दिन, गोरस, ढोटा, रंग, ब्रजनारि, पूत। याद रखिए – किसी प्राणी, वस्तु या स्थान के नाम, गुण अथवा अवस्था को बतानेवाले शब्द को संज्ञा कहा जाता है।
(ମନେରଖ କୌଣସି ପ୍ରାଣୀ, ବସ୍ତୁ ବା ସ୍ଥାନର ନାମ, ଗୁଣ ଅଥବା ଅବସ୍ଥାକୁ ବୁଝାଉଥ‌ିବା ଶବ୍ଦକୁ ‘ସଂଜ୍ଞା’କୁହ।ଯାଏ।)

संज्ञा के पांच भेद है – (ସଂଜ୍ଞ। ପାଞ୍ଚ ପ୍ରକାର ଅଟେ।)
(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – राम, सीता, महानदी, कटक (ବ୍ୟକ୍ତି ବାଚକ ସଂଜ୍ଞା – ରାମ,ମାତ ମହାନତା ବଟକ )
(ख) जातिवाचक संज्ञा – मनुष्य, गाय, नदी, शहर(ବାତିବାଚକ ସଂଜ୍ଞା – ମନୁକ୍ଷ୍ୟ, ଗଈ, ନତା, ସହର)
(ग) भाववाचक संज्ञा – वीरता, सच्चाई, गरीबी (ସମୂହବାଚକ ସଂଜ୍ଞା – ମେଳା, ପରିବାର, ଗୁଚ୍ଛ)
(घ) समूहवाचक संज्ञा – मेला, गुच्छा, परिवार (ଦ୍ରବ୍ୟବାଚକ ସଂଜ୍ଞା – ସୁନା, ଲୁହା)

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2. निम्नलिखित शब्दों का पर्यायवाची (सम्मानार्थी) शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରତିଶବ୍ଦ (ସମାନାର୍ଥୀ) ଲେଖ ।)
लाल ………….
माखन …………
दिवस …………
पूत ……………
किवार ………..
अनोखा ……….
उत्तर:
लाल – पुत्र
माखन – मक्खन
दिवस – दिवा/वासर
पूत – पुत्र/सुत
किवार – किवाड़/दरवाजा
अनोखा – आश्चर्य

3. नीचे लिखे सही शब्द पर सही (√ ) का चिह्न लगाइए।
(ତଳେ ଥ‌ିବା ଠିକ୍ ଶବ୍ଦ ନିକଟରେ ଠିକ୍ (√ ) ଚିହ୍ନ ଦିଅ।
दिवस-दीवस, दहि-दही, हानि-हानी, नारि-नारी
उत्तर:
दिवस (√ ) – दीवस,
दहि – दही, (√ )
हानि (√ ) – हानी,
नारि – नारी (√ )

4. तुक मिलाइए।
(ଯତି ପାତ ମିଳା ଥା)
मेरी ……………… ………………
खायो …………… ……………….
गोरस ………….. ……………….
उत्तर:
मेरी – तेरी, केरी
खायो – आयो, लायो
गोरस – नीरस, सरस

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. दुपहर दिवस जानि घर सूनी, ढूँढि ढढोरि जाय ही आयो।
(ଦୁପହର ଦିବସ୍ ଜାନି ଘର୍ ସୂନୀ, ଚୂଢ଼ୀ ହଁଡ଼ୋରି ଜାୟ ହୀ ଆୟୋ ।)
उत्तर:
कवि कहते हैं कि दोपहर को घर सूना देखकर खोज – खाजकर तेरा बेटा मेरे घर में घुस गया। उसने भण्डार घर में दूध, दही, माखन सबके सब साथियों को खिला दिया।

2. दिन प्रति हानि होत गोरस की, यह ढोटा कौन रंग लायो।
(ଦିନ୍ ପ୍ରତି ହାନି ହୋତ୍ ଗୋରସ୍ କୀ, ୟହ ଜୋଟା କୌନ୍ ରଂଗ୍ ଲାୟୋ ।)
उत्तर:
सूरदास कहते हैं कि इस तरह प्रतिदिन गाय के दूध, दही, माखन आदि की हानी होती है। पता नहीं यहे लड़का कौन सा रंग या ढंग लाया है।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
भक्ति काल के सर्वश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि किसे माना जाता है?
उत्तर:
भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि सूरदास को माना जाता है।

प्रश्न 2.
सूरदास के गुरु कौन थे?
उत्तर:
सूरदास के गुरु बल्लभाचार्य थे।

प्रश्न 3.
सूरदास की प्रमुख प्रामाणिक रचना क्या है?
उत्तर:
सूरदास प्रमुख प्रमाणिक रचना ‘सूरसागर’ है।

प्रश्न 4.
कौन किससे शिकायत करता है?
उत्तर:
ब्रजभूमि की एक ग्वालिन माता यशोदा से शिकायत करती है।

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प्रश्न 5.
कृष्ण किसपर चढ़कर दही निकलाते हैं?
उत्तर:
कृष्ण खाट पर चढ़कर दही निकालते हैं।

प्रश्न 6.
ब्रजनारी ने किसे अनोखा कहा है?
उत्तर:
ब्रजनारी ने बालक कृष्ण को अनोखा कहा है।

प्रश्न 7.
दही कहाँ रखा हुआ था?
उत्तर:
दही छींका पर रखा हुआ था।

प्रश्न 8.
प्रतिदिन किसकी हानि होती थी?
उत्तर:
प्रतिदिन दूध, दही और माखन की हानि होती थी।

प्रश्न 9.
किस समय घर सूना था?
उत्तर:
दोपहर के समय घर सूना था।

प्रश्न 10.
इस कविता में लाल किसे कहा गया है?
उत्तर:
इस कविता में लाल बालक कृष्ण को कहा गया है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
सूरदास के पद में क्या वर्णन है?
उत्तर:
दधि-चोरी

प्रश्न 2.
“तेरो लाल मेरो माखन खायो” यह पंक्ति किस कवि की है?
उत्तर:
सूरदास

प्रश्न 3.
किस समय घर सूना था?
उत्तर:
दोपहर

प्रश्न 4.
ब्रजनारी ने किसे अनोखा कहा है?
उत्तर:
कृष्ण

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प्रश्न 5.
हरदिन किसकी हानि होती थी?
उत्तर:
दूध, दही, माखन

प्रश्न 6.
‘लाल’ का अर्थ क्या है?
उत्तर:
पुत्र कान्हा

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
‘सूरसागर’ ………………. की कृति है।
उत्तर:
सूरदास

प्रश्न 2.
………………. पर चढ़कर कृष्ण दही निकालते हैं।
उत्तर:
खाट

प्रश्न 3.
ब्रजनारी ने ……………….. से अनोखा कहा है।
उत्तर:
कृष्ण

प्रश्न 4.
प्रतिदिन ………………. की हानि होती है।
उत्तर:
कृष्ण

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प्रश्न 5.
माखन …………….. रखा हुआ था।
उत्तर:
छींके पर

प्रश्न 6.
‘”यह ढोटा कौन रंग लायो” – इस पंक्ति में ‘ढोटा’ शब्द का अर्थ ……………… है।
उत्तर:
पुत्र

प्रश्न 7.
‘छींके काढ़ि खाट चढ़ मोहन’- इस पंक्ति में ‘मोहन’ शब्द …………………. के लिए प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर:
कृष्ण

प्रश्न 8.
खाट पर चढ़कर कृष्ण …………………. निकालते थे।
उत्तर:
दही

प्रश्न 9.
सूरदास के गुरु है ……………..।
उत्तर:
बल्लभाचार्य

D. सही उत्तर चुनिए।

1. सूरदास का जन्म कब हुआ था?
(A) सन 1475 में
(B) सन 1478 में
(C) सन 1375 में
(D) सन 1378 में
उत्तर:
(B) सन 1478 में

2. सूरदास किसके भक्त थे?
(A) राम शक्त
(B) हनुमान भक्त
(C) कृष्ण भक्त
(D) शिव भक्त
उत्तर:
(C) कृष्ण भक्त

3. प्रतिदिन किसकी हानि होती थी?
(A) गोरस की
(B) तेल की
(C) पानी की
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) गोरस की

4. कृष्णजी ने कैसे दही निकालते थे?
(A) छींके पर चढ़कर
(B) सीढ़ीपर चढ़कर
(C) छत पर चढ़कर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) छींके पर चढ़कर

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5. यहाँ पर अनोखा किसे कहा गया है?
(A) राम को
(B) बलराम को
(C) श्याम को
(D) कृष्ण को
उत्तर:
(D) कृष्ण को

6. छींके पर क्या रखा हुआ था?
(A) दही
(B) सोना
(C) लड्डू
(D) तैल
उत्तर:
(A) दही

दोहे (ତେ।ହେ)

“तेरो लाल मेरी माखन खायो।
दुपहर दिबस जानि घर सूनी, ढूँढ़ि ढूँढ़ोरि जाय ही आयो।
खोल किवार सून मन्दिर में, दूध, दही सब माखन खबायो।
छीँकै काढ़ि खाट चढ़ मोहन, कछु खायो कछु लै ढरकायो।
दिन प्रति हानि होत गोरस की, यह ढोटा कौन रङ्ग लायो।
सूरदास कहति ब्रजनारि, पूत अनोखो जायो।”
(‘‘ତେରୋ ଲାଲ୍ ମେରୀ ମାଖନ୍ ଖାୟୋ ।
ଦୁପହର୍ ଦିବସ୍ ଜାନି ଘର୍ ସୂନୀ, ଚୂଢ଼ି ଢଡ଼ୋରି ଜାୟ ହୀ ଆୟୋ।
ଖୋଲ୍ କିୱାର ସୂନ୍ ମନ୍ଦିର୍ ମେଁ, ଦୁଧ, ଦହୀ ସବ୍ ମାଖନ୍ ଖବାୟୋ।
ସ୍ତ୍ରୀକୈ କାଢ଼ି ଖାଟ୍ ଚଢ଼ ମୋହନ, କଛୁ ଖାୟୋ କଛୁ ଲୈ ଢକାୟେ।
ଦିନ୍ ପ୍ରତି ହାନି ହୋଷ୍ ଗୋରସ୍ କୀ, ୟହ ଢୋଟା କୌନ୍ ରଙ୍ଗ୍ ଲାୟେ।
ସୂର୍‌ଦାସ୍ କହତି ବ୍ରଜନାରି, ପୂତ୍ ଅନୋଖୋ ଜାୟେ।’’)

हिन्दी व्याख्या:
बालक-कृष्ण की दधि-चोरी की लीला का वर्णन है। ब्रजभूमि की एक ग्वालिन माता यशोदा से शिकायत करती है कि तेरे लड़के ने हमारा माखन खा लिया। दोपहर को घर सूना देखकर, खोज- खाजकर तेरा बेटा मेरे घर में घुस गया। उसने सूने घर का किवाड़ खोल दिया और घर में जो कुछ दूध-दही- माखन रखा था, सब के सब साथियों को खिला दिया। खाट पर चढ़कर उसने छींके पर रखे हुए दही को खा लिया और कुछ गिरा दिया। इस प्रकार हर दिन दूध, दही, माखन का नुकसान होता है। पता नहीं, यह लड़का कौन-सा रंग या ढंग लाया है? तुमने तो एक अनोखे लड़के को जन्म दिया है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ;
କବି ସୂରଦାସ ଭଗବାନ ଶ୍ରୀକୃଷ୍ଣଙ୍କ ‘ବାଲ୍ୟଲୀଳା’ ପ୍ରସଙ୍ଗରେ ଏହି ପଦ୍ୟ ମାଧ୍ୟମରେ ବାଳକ ତ୍କଷ୍ଟ୍ରଙ୍କ ଦଧ୍ଚୋରି ଲୀଳା ବଶ୍ଣିନା କରିଛିନ୍ତ ମାତା ଯଶୋ ତାଙ୍କୁ ନିଜଟରେ ବ୍ରଜଭୂମି (ରୋପପୁର) ର ଜଣେ ଗଉଡୁର୍ଶି ମାତା ଅଭିଯୋଗ କରୁଛି, ‘ତୋ ପୁଅ ମୋର ସବୁ ଲବଣି ଖାଇଯାଇଛି । ଦ୍ବିପହରରେ କେହି ଘରେ ନଥ‌ିବା ବେଳେ ତୋ ପୁଅ ଖୋଜିଖୋଜି ଘରେ ପଶିଗଲା । ଘରେ କେହି ନଥ‌ିବାରୁ ସେ କବାଟ ଖୋଲି ଘରେ ପଶି ଯାହା ଦୁଧ, ଦହି, ଲବଣି ରଖୁଲି ସବୁ ତା’ ସାଙ୍ଗଙ୍କୁ ବାଣ୍ଟି ଖୁଆଇଦେଲା । ଖଟ ଉପରେ ଚଢ଼ି ଶିକାରେ ଥ‌ିବା ଦହି ଖାଇଦେଲା ଏବଂ ତଳେ ପକେଇଦେଲା । ଏହିଭଳି ପ୍ରତିଦିନ ଦୁଧ, ଦହି, ଲବଣି ସବୁ ନଷ୍ଟ ହେଉଛି । କୋଉ ରଙ୍ଗ ଢଙ୍ଗ ଏ ପୁଅ ଆଣିଛି କେଜାଣି ? ତୁ ତ ଏକ ବିଚିତ୍ର ପୁଅକୁ ଜନ୍ମ ଦେଇଛୁ ।’’

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 1(b) सूरदास के पद

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

लाल – पुत्र (घूथ)।

ढूँढ ढँढोरि – खोज-खाजकर (ଖେ ଖୋଜଖେ।ଜି କରି)।

किवार – किवाड़ या दरवाजा (କବାଟ)।

मँदिर – घर या निवास (ଘର)।

छींका – शिक्या (ଉଚ୍ଚସ୍ଥାନରୁ ରଶିଦ। ରା ଖାଦ୍ୟ ପଦାର୍ଥ ଓହଳାଯାଇ ରଖଯାଇଥାଏ।) ।

मोहन – कृष्ण (ଶିକା) (ଚ୍ଛ।ତରୁ ବା)।

ढरकायो – गिरा दिया (ତଳେ ପକାଇ ଦେଲା)।

गोरस – दूध/मठा/छाछ (କିହ୍ନୁ)।

ढोटा – पुत्र (ପୁଅ/ସୁତ)।

पूत – पुत्र (ପୂତ୍ରା)।

सून – सूना (ଖାଲି)।

अनोखा – आश्चर्यजनक ଆଶୂର୍ଯ୍ୟଜନକ ବା (ୟକର)।

कछु – (କିଛି।)।

दुपहर – (ଖରାବେଳା)।

कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।

सूरदास भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि हैं। उनका जन्म सन् 1478 में दिल्ली के निकट सीही नामक गाँव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे अंधे थे, पर लगता है-वे जन्म से अंधे नहीं थे। मथुरा और आगरा के बीच यमुना नदी के तट पर स्थित गऊघाट पर उन्होंने संगीत, काव्य और शास्त्र का अभ्यास किया और विनय के भाव से पदों की रचना की। आगे चलकर वे वल्लभाचार्य के शिष्य बन गये और ब्रज जाकर गोवर्धन के पास पारसोली नामक जगह पर अपना स्थायी निवास बनाकर पद लिखते रहे। सूरदास वात्सल्य रस के बड़े भावुक कवि थे।

ब्रजभाषा पर उनका पूरा अधिकार था। ‘सूरसागर’ उनकी प्रमुख प्रामाणिक रचना है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण की वाललीलाओं का वर्णन बहुत सुन्दर ढंग से किया है। कवि ने कृष्ण का पालने पर झूलना, घुटनों के बल पर चलना, चाँद के लिए मचलना, नहाते समय रूठ जाना, मक्खन की चोरी करना, मिट्टी खाना – आदि प्रसंगों का बड़ा मनमोहक वर्णन सहज – सुन्दर – सरस ढंग से किया है। श्रीकृष्ण की बाल लीला के प्रसंग में कवि ने माखन चोरी का सुन्दर चित्र अंकित किया है। गोपिकाओं के मन में यह अभिलाषा है कि बालक कृष्ण उनके घर आएँ, उनकी मटकी में हाथ डालकर माखन की चोरी करें कृष्ण भी उनकी अभिलाषा पूरी करते है। चोरी पकड़ी जाती है, माता यशोदा से शिकायत भी पहुँचती है।

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