Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 1(c) तुलसीदास के दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.
BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 1(c) तुलसीदास के दोहे
प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ତ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର ଦୋ – ତାନ୍ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) ‘बुवै सो लुनै निदान’ का तात्पर्य क्या है? पठित दोहे के आधार पर समझाइ।
(‘ବୁ ସୋ ଲୁନୈ ନିଦାନ’ କା ତାତ୍ପର୍ଯ୍ୟ କ୍ୟା ହୈ ? ପଠିତ ଦୋହେ କେ ଆଧାର ପର ସମଝାଇଏ) ।
(ବୁଣିବା ଓ ପ୍ରାପ୍ତ କରିବାର ତାତ୍ପର୍ଯ୍ୟ କ’ଣ ? ପଠିତ ଛନ୍ଦକୁ ଆଧାର କରି ବୁଝାଅ ।)
उत्तर:
मानव शरीर में पाप और पुण्य दो वीज हैं। वे अपने जीवन में जो कर्म करता, उसके अनुसार फल प्राप्त करता है। अच्छा कर्म से प्रशंसा और बुरा कर्म से निन्दा सुनना पड़ता है।
(ख) किन-किन लोगों की भलाई करने को अज्ञान कहा गया है?
(କିନ୍-କିନ୍ ଲୋଗୋଁ କୀ ଭଲାଈ କରନ୍ କୋ ଅଜ୍ଞାନ କହା ଗୟା ହୈ )?
(କେଉଁ-କେଉଁ ଲୋକମାନଙ୍କ ଭଲ କରିବାକୁ ଅଜ୍ଞତା କୁହାଯାଏ ?)
उत्तर:
जिस व्यक्ति की अनेक संताने हो, अनेक कामनाएँ हो और समयानुसार जिनके आचार व्यवहार बदलते हों, उन लोगों की भलाई करने को अज्ञान कहा गया है। और भी जान बुझकर गलती करनेवाले को उपदेश देना अज्ञानता का परिचय है
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ। କେ ଉତ୍ତର ଏକ-ଏକ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ତଳଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ ।)
(क) खेत किसे कहा गया है?
(ଖେତ୍ କିସ୍ କହା ଗୟା ହୈ ? )
(ଖେତ କାହାକୁ କୁହାଯାଏ ?)
उत्तर:
शरीर को
(ख) किसान कौन है?
(କିସାନ୍ କୌନ୍ ହୈ ? )
(କୃଷକ କିଏ ?)
उत्तर:
मन
(ग) पाप-पुण्य क्या हैं
(ପାପ-ପୁଣ୍ୟ କ୍ୟା ହୈ ?)
(ପାପ-ପୁଣ୍ୟ କ’ଣ ?)
उत्तर:
दो बीज
(घ) जिसकी अनेक संतान हों, उसकी भलाई चाहना क्या ह ?
(ଜିସ୍ କା ଆନେକ ସନ୍ତାନ ହେଁ, ଉସ୍ ଭଲାଈ ଚାହନା କ୍ୟା ହୈ ? (ଯାହାର ଅନେକ ସନ୍ତାନ, ତାହାର ଭଲ ଚାହିଁବା କ’ଣ ?)
उत्तर:
मूर्खता
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ତଳଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) मानव के शरीर को क्या कहा गया है?
(ତଳଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
उत्तर:
मानव के शरीर को कर्मक्षेत्र कहा गया है।
(ख) दो बीज कौन-कौन – से हैं?
(ଦୋ ବୀଜ୍ କୌନ୍-କୌନ୍ ସେ ହୈ ?)
(ଦୁଇଟି ବୀଜ କ’ଣ କ’ଣ ?)
उत्तर:
पाप और पुण्य दो बीज हैं।
(ग) बार-बार अपने आचार-व्यवहार को बदलनेवाले की भलाई चाहने को क्या कहा गया है?
(ବାର୍-ବାର୍ ଅପନେ ଆଚାର-ବ୍ୟବହାର କୋ ବଦନେ ବାଲେ କୀ ଭଲାଈ ଚାହନେ କୋ କ୍ୟା କହା ଗୟା ହୈ ?) (ବାରମ୍ବାର ନିଜର ସ୍ଵଭାବକୁ ବଦଳାଉ ଥିବା ଲୋକର ଭଲ ଚାହିଁବାକୁ କ’ଣ କହନ୍ତି ?)
उत्तर:
बार-बार अपने आचार-व्यवहार को बदलनेवालो की भलाई चाहने को मूर्खता कहा गया है।
भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)
1. निम्नलिखित शब्दों का समानार्थी शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରତିଶବ୍ଦ ବା ସମାନାର୍ଥକ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
काया, किसान, सुत, मनसा
किसान – कृषक
सुत – पुत्र
मनसा – मन
2. निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
पाप, अज्ञान, अपार
उत्तर:
पाप – पुण्य
अज्ञान – ज्ञान
अपार – कम/सीमित
3. निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए
तुलसि, किषान, पुन्य, सूत, रूचि
उत्तर:
तुलसि – तुलसी
किषान – किसान
पुन्य – पुण्य
सूत – सुत
रूचि – रुचि
4. इन शब्दों पर ध्यान दीजिए।
(ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକ ଉପରେ ଦୃଷ୍ଟି ଦିଅ ।)
काया, किसान, बीज, सुत
इन शब्दों से उनकी पूरी जाति का बोध होता है।
(ଏହି ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକରୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଜାତିକୁ ବୁଝାଯାଉଛି ।)
याद रखिए (ମନେରଖ)
जिस शब्द से पूरी जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
1. पाप-पुण्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।
(ପାପ-ପୁଣ୍ୟ ଦୋଉ ବୀଜ୍ ହେଁ, ବୁର୍ବେ ସୋ ଲୁନୈ ନିଦାନ୍ ।)
उत्तर:
कवि तुलसीदास जी कहते हैं कि पाप और पुण्य दो बीज है। जो जैसा बीज वोता है, वह उसी प्रकार फल प्राप्त करता है। मतलब यह है कि मनुष्य को कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है।
2. बहुसुत, बहुरुचि, बहुवचन, बहुअचार-व्यौहार।
इनको भलो मनाइबो, यह अज्ञान अपार॥
(ବହୁସୁତ୍, ବହୁରୁଚି, ବହୁବଚନ, ବହୁଅଚାର-ବୈହାର।
ଇନ୍ ଭଲୋ ମନାଇବୋ, ୟହ ଅଜ୍ଞାନ୍ ଅପାର୍ ।।)
उत्तर:
यहाँ तुलसी जी कहते हैं कि जान बुझकर गलती करनेवाले को परामर्श देना मुर्खता है। जिस व्यक्ति की अनेक संतानें हो, अनेक पसंद हो, अनेक वातें उनके दिमाग में आती हो, उन लोगों की भलाई करने को अज्ञान कहा गया है।
अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर
A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1.
हिंदी साहित्य के भक्ति-काल में किसका स्थान सर्बोपरि है?
उत्तर:
हिंदी साहित्य के भक्ति-काल में तुलसीदास का स्थान सर्वोपरि है।
प्रश्न 2.
तुलसीदास का जन्म कब हुआ?
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म सन् १५३२ में भाद्र शुक्ल एकादशी, मंगलवार को हुआ।
प्रश्न 3.
तुलसीदास के गुरु कौन थे?
उत्तर:
श्री नरहरि दास तुलसीदास के गुरु थे।
प्रश्न 4.
तुलसीदास को रामबोला नाम से क्यों पुकारा गया?
उत्तर:
जन्म लेते ही तुलसीदास ने राम-नाम का उच्चारण किया, इसलिए उन्हें ‘रामबोला’ नाम गया।
प्रश्न 5.
मानव का शरीर क्या है?
उत्तर:
मानव का शरीर कर्मक्षेत्र है।
प्रश्न 6.
दो बीज कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पाप और पुण्य दो बीज हैं।
प्रश्न 7.
तुलसीदास ने मानव के मन को किसके साथ तुलना की है?
उत्तर:
तुलसीदास ने मानव के मन को किसान के साथ तुलना की है
प्रश्न 8.
किसको उपदेश देना मूर्खता है?
उत्तर:
जानबुझकर गलती करनेवाले को उपदेश देना मूर्खता है।
प्रश्न 9.
जो जैसा बीज बोता है वैसा ही फल पाता है। इसका अर्थ क्या है?
उत्तर:
जो जैसा बीज बोता है, वैसा ही फल पाता है का अर्थ है – जो जैसा कर्म करता है, उसी के अनुसार उसे फल मिलता है।
प्रश्न 10.
जिसकी अनेक संतान हैं, उसकी भलाई चाहना क्या है?
उत्तर:
जिसकी अनेक संतान हों, उसकी भलाई चाहना मूर्खता है।
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।
प्रश्न 1.
पाप-पूण्य क्या है?
उत्तर:
दो बीज
प्रश्न 2.
‘तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान”- यह पंक्ति किस कवि की हैं?
उत्तर:
तुलसी दास
प्रश्न 3.
जिसकी कई संतानें हो, उसकी भलाई चाहना क्या है?
उत्तर:
मूर्खता
प्रश्न 4.
मानव के शरीर को क्या कहा गया है?
उत्तर:
कर्मक्षेत्र
प्रश्न 5.
यह मनुष्य का मन क्या है?
उत्तर:
किसान
प्रश्न 6.
खेत किसे कहा गया है?
उत्तर:शरीर
C. रिक्तस्थानों को भरिए।
प्रश्न 1.
तुलसीदास के गुरु …………….. थे?
उत्तर:
श्री नरहरी दास
प्रश्न 2.
जानबुझकर गलती करनेवाले को उपदेश देना …………….. है।
उत्तर:
मूर्खता
प्रश्न 3.
खेत …………… से कहा गया है।
उत्तर:
शरीर
प्रश्न 4.
किसान …………….. से कहा गया है।
उत्तर:
मन
प्रश्न 5.
तुलसीदास के अनुसार पाप-पुण्य ……………. हैं।
उत्तर:
बीज
प्रश्न 6.
दो बीज ………………… से हैं।
उत्तर:
पाप-पुण्य
प्रश्न 7.
यह मनुष्य का शरीर ………………….. है।
उत्तर:
खेत
प्रश्न 8.
मनुष्य के शरीर को ……………….. कहा गया है।
उत्तर:
कर्मक्षेत्र
प्रश्न 9.
जो बार-बार गलती करते हैं उसको ………………… नहीं देना चाहिए।
उत्तर:
उपदेश
D. सही उत्तर चुनिए।
1. यहाँ पर सुत किसे कहा गया है?
(A) पिता को
(B) संतान को
(C) पोती को
(D) लड़की को
उत्तर:
(B) संतान को
2. बार-बार अपने आचार-व्यवहार को बदलनेवाले की भलाई चाहने को क्या कहा गया है?
(A) मूर्खता
(B) ज्ञानी
(C) पंड़ित
(D) पापी
उत्तर:
(A) मूर्खता
3. दो बीज क्या है?
(A) सुख और दु:ख
(B) आचार और व्यवहार
(C) पाप और पुण्य
(D) कर्म और धर्म
उत्तर:
(C) पाप और पुण्य
4. मानव का मन क्या है?
(A) कर्मक्षेत्र
(B) बीज
(C) कृषि
(D) किसान
उत्तर:
(B) बीज
5. इनमें से कौन-सी रचना तुलसीदास जी की है?
(A) गीताजंलि
(B) गीतावली
(C) गीताग्रन्थ
(D) गीतगोविंद
उत्तर:
(B) गीतावली
6. तुलसीदास किन दो भाषा में काव्य-रचना करते रहे?
(A) अवधी तथा ब्रजभाषा
(B) हिंदी भाषा
(C) बंगला
(D) कन्नाटकी
उत्तर:
(A) अवधी तथा ब्रजभाषा
7. मानव का शरीर क्या है?
(A) भंड़ार
(B) रक्त का भंड़ार
(C) कर्मक्षेत्र
(D) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(C) कर्मक्षेत्र
8. वे किसमें लीन हो गये?
(A) राम-भक्ति में
(B) सीता भक्ति में
(C) हनुमान-भक्ति में
(D) रत्न भक्ति में
उत्तर:
(A) राम-भक्ति में
9. पत्नी के प्रेरणा से तुलसीदास अपना घर छोड़कर क्या हो गये?
(A) साधु
(B) बाबाजी
(C) वैरागी
(D) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(C) वैरागी
दोहे (ତେ।ହେ)
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप-पुण्य दोउ बीज हैं, वुवै सो लुनै निदान॥
(ତୁଲସୀ କାୟା ଖେତ୍ ହୈ, ମସା ଭୟୋ କିସାନ୍।
ପାପ୍-ପୁଣ୍ୟ ଦୋଉ ବୀଜ୍ ହେଁ, ବୁବୈ ସୋ ଲୁନୈ ନିଦାନ୍॥ )
हिन्दी व्याख्या:
मानव का शरीर कर्मक्षेत्र है। उसका मन किसान है। पाप और पुण्य दो बीज हैं। जो जैसा बीज बोता है, वह उसी प्रकार फल प्राप्त करता है। मतलब यह है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसी के अनुसार फल पाता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ତୁଳସୀଙ୍କ ମତ ଅନୁସାରେ ମାନବ ଶରୀର କର୍ମକ୍ଷେତ୍ର ଅଟେ । ତାହାର ମନ କୃଷକ ଅଟେ । ପାପ ଓ ପୁଣ୍ୟ ଦୁଇଟି ମଞ୍ଜି । ମନୁଷ୍ୟ ଜୀବନରେ ଯେଉଁ କର୍ମ କରିଥାଏ, ସେହିଭଳି ଫଳ ପ୍ରାପ୍ତି ହୋଇଥାଏ । ଭଲ କର୍ମ ପାଇଁ ସୁଫଳ ବା ସୁନାମ ମିଳିଥାଏ; କିନ୍ତୁ କୁକର୍ମ ପାଇଁ ନିନ୍ଦା ବା ଅପବାଦ ଶୁଣିବାକୁ ମିଳେ ।
बहुसुत, बहुरुचि, बहुवचन, बहु अचार ब्योहार।
इन्को भलो मनाइबो, यह अज्ञान अपार॥
(ବହୁସୁତ, ବହୁରୁଚି, ବହୁବଚନ୍, ବହୁ ଅଚାର୍-ବୌହାର୍ )।
(ଇନ୍ ଭଲୋ ମନାଇବୋ, ୟହ ଅଜ୍ଞାନ୍ ଅପାର୍ ।)
हिन्दी व्याख्या:
जान-बुझकर गलती करनेवाले को उपदेश देना मूर्खता है। जिस व्यक्ति की अनेक संतानें हों, अनेक कामनाएँ हों और समयानुसार जिनके आचार-व्यवहार बदलते हों; उन लोगों की भलाई चाहना मूर्खता है।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ତୁଳସୀଙ୍କ ମତ ଅନୁସାରେ ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କର ଅନେକ ସନ୍ତାନ, ଅନେକ କାମନା (ଇଚ୍ଛା) ଏବଂ ସମୟ ଅନୁସାରେ ଯାହାର ଚାଲିଚଳନ-ବ୍ୟବହାର ବଦଳିଯାଏ, ସେହି ବ୍ୟକ୍ତିମାନଙ୍କର ମଙ୍ଗଳ ଚାହିଁବା ମୂର୍ଖତା ଅଟେ।
शबनार: (ଶରାର୍ଥି)
काया – शरीर (ଶରୀର)।
मनसा – मन (ମନ)।
दोड – दो (ଦୁଇଟ)।
बुवै – बोता है (ବୁଶେ, ରୋପୁଣ କରେ)।
लुनै – प्राप्त करता है (ପ୍ରାପ୍ତ କରେ)।
बहुसुत – अनेक सन्तान (ଅନେକ ସନ୍ତ୍ର।ନ)।
बहुरुचि – अधिक कामना (ଅଧିକ ଇଚ୍ଛ। ବା ଆଗ୍ରହ )।
अपार – ज्यादा (ଅଧିକ)।
अचार-व्यौहार – आचार-व्यवहार (ଚାଲିଚଳନ/ ବ୍ୟବହାର)।
कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।
हिन्दी साहित्य के भक्ति-काल में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान सर्वोपरि है। तुलसीदास का जन्म सन् 1532 में भाद्र शुक्ल एकादशी, मंगलवार को हुआ। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था। जन्म लेते ही तुलसीदास ने राम-नाम का उच्चारण किया; इसीलिए उन्हें ‘रामबोला’ के नाम से भी पुकारा गया। तुलसीदास के गुरु श्री नरहरिदास थे। तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ। पत्नी की प्रेरणा से तुलसीदास अपना घर छोड़कर वैरागी हो गये।
वे काशी में रहे और सांसारिक विषय- वासनाओं को त्यागकर राम-भक्ति में लीन हो गये। वे अवधी तथा ब्रजभाषा में काव्य-रचना करते रहे। तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ हैं – रामचरितमानस, कवितावली, गीतावली, दोहावली, बरवै रामायण, रघुवराशलाका, जानकी- मंगल, श्रीरामलला नहछू, श्रीपार्वतीमंगल और विनय पत्रिका।