BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 4 चाँद का झंगोला

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 4 चाँद का झंगोला Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi Solutions Poem 4 चाँद का झंगोला

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ ୱାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖୂତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) एक दिन चाँद क्या हठ करने लगा?
(ଏକ ଦିନ୍ ଚୌଦ୍ କ୍ୟା ହଠ୍ କର୍‌ନେ ଲଗା ?)
उत्तर:
एक दिन चाँद अपनी माँ से हठ करने लगा कि माँ, मुझे ऊन का एक मोटा झिंगोला सिलवा दो। ठंड के कारण मुझे अपनी यात्रा पूरी करने में असुविधा होती है। मैं जाड़े से बचना चाहता हूँ।

(ख) बिना झिंगोले से चाँद को क्या कष्ट होता है?
(ବିନା ଝିଗୋଲେ ସେ ଚୌଦ୍ କୋ କ୍ୟା କଷ୍ଟ୍ ହୋତା ହୈ ?)
उत्तर:
बिना झिंगोले से चाँद को रात में सरदी से काँपना पड़ता है। ठिठुर ठिठुर कर उसे अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ती है।

(ग) माँ जाड़े से नहीं, पर किससे डरती है?
(ମାଁ ଜାଡ଼େ ସେ ନର୍ଜୀ, ପର୍ କିସ୍‌ ଡର୍‌ତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
माँ जाड़े से नहीं, लेकिन जादू-टोने से डरती है कारण बेटे की सुन्दरता पर मोहित होकर उसे कोई जादू-टोना न कर दे। इसलिए वह भगवान से अपने बेटे के कुशल क्षम चाहती है।

(घ) माँ चाँद के लिए झिंगोला क्यों नहीं बना पाती?
(ମାଁ ଚୌଦ୍ କେ ଲିଏ ଝିଗୋଲା କ୍ୟା ନହିଁ ବନା ପାତୀ ?)
उत्तर:
माँ चाँद के लिए झिंगोल नहीं बना पाती। क्योंकि वह चाँद को कभी भी एक ही नाप में देख नहीं पाती। क़भी चाँद एक ऊँगली चौड़ा हो जाता है तो कभी एक फूट मोटा। किसी दिन बड़ा हो जाता है तो किसी दिन छोटा।

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2. अर्थ स्पष्ट कीजिए: (ଅର୍ଥି ଲକ୍ଷ କର)
(क) हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से वह बोला, सिलवा दो माँ, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
(ହଠ୍ କର୍ ବୈଠା ଚୌଦ୍ ଏକ୍ ଦିନ୍ ମାତା ସେ ୱହ ବୋଲା, ସିଲୱା ଦୋ ମାଁ, ମୁଝେ ଊନ୍ କା ମୋଟା ଏକ୍ ଝିଗୋଲା)।
उत्तर:
हठ कर बैठा ………………………. एक झिंगोला॥
एक दिन चाँद अपनी माँ से ऊन का एक मोटा झिंगोला सिलवा देने की जिद करता है।

(ख) बच्चे की सुन बात कहा, माता ने, “अरे सलोने!
कुशल करे भगवान, लगे मत, तुझको जादू-टोने।
ବଢେ କୀ ସୁନ୍ ବାତ୍ କହା, ମାତା ନେ, ‘ଅରେ ସଲୋନେ!
କୁଶଳ କରେ ଭଗବାନ୍, ଲଗେ ମତ, ତୁଝେ ଜାଦୁ-ଟୋନେ।
उत्तर:
बच्चे की सुन ……………… तुझपर जादू-टोना
बच्चे की हठ भरी बातें सुनकर माँ कहती है कि मेरे प्यारे बेटे! भगवान करें तुझे किसी की नजर न लगे। कोई तुझपर जादू-टोना न कर पाए।

(ग) कभी एक उँगल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।
କଭୀ ଏକ୍ ଉଁଗଲ୍ ଭର୍ ଚୌଡ଼ା, କଭୀ ଏକ୍ ଫୁଟ୍ ମୋଟା,
ବଡ଼ା କିସୀ ଦିନ୍ ହୋ ଜାତା ହୈ, ଔର୍ କିସୀ ଦିନ୍ ଛୋଟା।
उत्तर:
कभी एक उँगल किसी ……………. दिन छोटा।
माँ चाँद से कहती है कि कभी तुम एक उँगली चौड़ा हो जाते हो तो एक फुट मोटा हो जाते हो। किसी दिन बड़ा हो जाते हो तो किसी दिन छोटा हो जाते हो।

(घ) अब तू ही यह बता, नाप तेरी किस रोज लिवाए,
सीदें एक झिंगोला जो, हर रोज बदन में आए ?”
ଅବ୍ ତୁ ହୀ ଯହ ବତା, ନାପ ତେରୀ କିସ୍ ରୋଜ୍ ଲିୱାଏ,
ସୀ ହେଁ ଏକ୍ ଝିଗୋଲା ଜୋ, ହର୍ ରୋଜ୍ ବଦନ୍ ମେଁ ଆଏ ?”
उत्तर:
बचे की सुन ………………… तुझको जादू-टोने
माँ चाँद से कहती है कि तू ही मुझे बता दे मैं तुम्हारे लिए किस नाप से एक झिंगोला सिलवा दूँ ताकि हर रोज तुम उसे पहन सको।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର ଏକ୍-ଏକ୍ ୱାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ : )
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) एक दिन चाँद ने माँ से क्या कहा?
(ଏକ୍ ଦିନ୍ ର୍ତାଦ୍ ନେ ମାଁ ସେ କ୍ୟା କହା ?)
उत्तर:
एक दनि चाँद ने माँ से कहा कि उसके लिए ऊन का एक मोटा सा झिंगोला सिला दे।

(ख) रात भर किस तरह की हवा चलती है।
(ରାଡ୍ ଭର୍ କିସ୍ ତରହ କୀ ହ ଚଲ୍‌ ହୈ ।)
उत्तर:
रात भर सन-सन हवा चलती है।

(ग) जोड़े में वह किस तरह मरता है?
(ଜୋଡ଼େ ମେଁ ୱହ କିସ୍ ତରହ ମର୍‌ତା ହୈ ?)
उत्तर:
जाड़े में वह सरदी से मरता है।

(घ) चाँद किस तरह यात्रा पूरी करता है?
(ଚୌଦ୍ କିସ୍ ତରହ ୟାତ୍ରା ପୂରୀ କର୍‌ତା ହୈ ?)
उत्तर:
चाँद ठिठुर-ठिठुरकर यात्रा पूरी करता है।

(ङ) यदि झिंगोला न मिले तो फिर चाँद क्या लेना चाहता है?
(ୟଦି ଝୋଗୋଲା ନ ମିଲେ ତୋ ଫିର୍ ଚୌଦ୍ କ୍ୟା ଲେନା ଚାହତା ହୈ ?)
उत्तर:
यदि झिंगोला न मिले तो फिर चाँद भाड़े में एक कुरता लेना चाहता है।

(च) चाँद कभी कभी माँ को कितना चौड़ा दिखाई देता है?
(ଚୌଦ୍ କଭୀ କଭୀ ମାଁ କୋ କିନା ଚୌଡ଼ା ଦିଖାଈ ଦେତା ହୈ ?)
उत्तर:
चाँद कभी कभी माँ को एक उँगल चौड़ा दिखाई देता है।

(छ) चाँद कितना मोटा दिखाई देता है?
(ର୍ବାଦ୍ କିନା ମୋଟା ଦିଖାଈ ଦେତା ହୈ ?)
उत्तर:
चाँद एक फूट मोटा दिखाई देता है।

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(ज) ऐसा कौन सा दिन होता है जब चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता?
(ଐସା କୌନ୍ ସା ଦିନ୍ ହୋତା ହୈ ଜବ୍ ର୍ବାଦ୍ ବିଲକୁଲ୍ ନହୀ ଦିଖାଈ ଦେତା ?)
उत्तर:
अमावास्या की तिथि में चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता।

(झ) चाँद का झिंगोले के लिए नाप लेना क्यों संभव नहीं है?
(ଚୌଦ୍ କା ଲିଂଗୋଲେ କେ ଲିଏ ନାପ୍ ଲେନା କ୍ୟା ସଂଭ ନହିଁ ହୈ ?)
उत्तर:
चाँद कभी भी एक ही आकार में नहीं होता है। इसलिए चाँद के झिंगोले के लिए नाप लेना संभव नहीं।

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत/ विलोम शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶକେଁ କେ ବିପରୀତ/ବିଲୋମ୍ ଶବ୍ଦ ଲିଖିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ବିଲୋମ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
कुशल, जाड़ा, ठीक, मोटा, घटता
उत्तर:
कुशल- अकुशल, जाड़ा- गरमी, ठीक-भूल, मोटा-पतला, घटता-बढ़ता

2. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶକେଁ କେ ବଚ୍ଚନ ବଦଲିଏ)
(ନିମ୍ନଲିଖତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବଚନ ପରିବର୍ତ୍ତନ କର : )
हवा, वह, माता, बच्चा, भाड़ा, बड़ा, बात, दिन, ह।
उत्तर:
हवा – हवाएँ
माता – माताएँ
वह – वे
बच्चा – बच्चे
भाड़ा – भाड़े
बड़ा – बड़े
बात – बातें
दिन – दिन
यह – ये

Very Short & Objective Type Questions With Answers

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. ‘चाँद का झिंगोला’ कविता के कवि कौन है?
उत्तर:
चाँद का झिंगोला’ कविता के कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ है।

2. माँ किस बात से डरती है?
उत्तर:
माँ इस बात से डरती है कि चाँद कभी भी एक नाप में नहीं दिखाई देता है।

3. किसी दिन चाँद ऐसा विचित्र सा क्या करता है?
उत्तर:
किसी दिन चाँद किसी को भी आँखों से दिखाई ही नहीं पड़ता है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पद में दीजिए।

1. चाँद कभी-कभी कितना मोटा हो जाता है?
उत्तर:
एक फुट

2. चाँद माँ से क्या माँगता है?
उत्तर:
ऊन का झिंगोला

3. चाँद अपने लिए झिंगोला कब चाहता है?
उत्तर:
जाडे के मौसम में

4. चाँद किससे बचने के लिए माँ से झिंगोला सिलवा देने के लिए कहता है?
उत्तर:
जोड़े से

5. चाँद कभी-कभी कितना चौड़ा हो जाता है?
उत्तर:
एक उँगली भर

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6. कौन एक नाप में कभी नहीं रहता है?
उत्तर:
चांद

7. ‘चाँद का झिंगोला’ कविता के कवि कौन है?
उत्तर:
रामधारी सिंह ‘दिनकर’

8. चाँद किस तरह यात्रा पूरी करता है?
उत्तर:
ठिठुर-ठिठुर कर

9. एक दिन चाँद ने माँ से क्या कहा?
उत्तर:
झिंगोला सिलवाने के लिए

10. चाँद अपने लिए कैसा झिंगोला चाहता है?
उत्तर:
ऊन का

C. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

1. ………………….. के दिन चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता।
उत्तर:
अमावया

2. चाँद ………………….. भाड़े पर लाने को माँ से कहता है।
उत्तर:
कुरता

3. घटते घटते चाँद एकदिन ऐसा हो जाता है कि वह ……………………।
उत्तर:
दिखाई नहीं देता

4. चाँद …………………… सफर करता है।
उत्तर:
आसमान का

5. …………………….. रोज घटता-बढ़ता है।
उत्तर:
चाँद

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6. रात भर ………………… तरह की हवा चल रही थी।
उत्तर:
सन – सन

7. ‘अरे सलोने ?’ – इस शब्द …………………… प्रयोग हुआ है।
उत्तर:
चाँद के लिए

8. जाड़े में चांद …………………. से मरता है।
उत्तर:
सरदी

9. ‘सफर’ का अर्थ है…………………।
उत्तर:
यात्रा

10. चाँद आसमान का सफर ………………………… मौसम में कर रहा था।
उत्तर:
जाड़े

D. ठिक् या भूल लिखिए।

1. जोड़े में चाँद सरदी से मरता है?
उत्तर:
ठिक्

2. चाँद को नजर लग जाने का डर माँ को है।
उत्तर:
भूल

3. सलोने शब्द का अर्थ असुन्दर है।
उत्तर:
भूल

4. चाँद अपनी माता से ऊन का एक झिंगोला माँग रहा था।
उत्तर:
ठिक्

5. चाँद के लिए माँ झिंगला इसलिए बना नहीं पा रही थी, क्योंकि – वह हमेशा एक नाप का नहीं रहता।
उत्तर:
ठिक्

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6. चाँद झिंगोले के बदले में एक पतलून माँगा।
उत्तर:
भूल

7. चाँद आसमान का सफर जाढ़े मौसम में कर रहा था।
उत्तर:
ठिक्

8. चाँद दूध-सा गोरा दिखाई देता है।
उत्तर:
ठिक्

9. चाँद गर्मी से परेशान होकर यात्रा पूरी करता है।
उत्तर:
भूल

Multiple Choice Questions (mcqs) with Answers

सही उत्तर चुनिए : (MCQs)

1. चाँद कभी – कभी कितना मोटा हो जाता है?
(A) एक हाथ
(B) एक गज
(C) एक अंगुल
(D) एक फुट
उत्तर:
(D) एक फुट

2. चाँद माँ से क्या माँगता है?
(A) रुई का झिंगोला
(B) एक फुट का झिंगोला
(C) ऊन का झिंगोला
(D) उंगली भर चौडा झिंगोला
उत्तर:
(C) ऊन का झिंगोला

3. चाँद अपने लिए झिंगोला कब चाहता है?
(A) जाडे के मौसम में चाँद किससे बचने के लिए माँ से हिंगोला सिलवा देने के लिए कहता है?
(B) गर्मी के दिनों में
(C) बरसात में
(D) ऊन मिलने के समय में
उत्तर:
(A) जाडे के मौसम में चाँद किससे बचने के लिए माँ से हिंगोला सिलवा देने के लिए कहता है?

4. चाँद किससे बचने के लिए माँ से हिंगोला सिलवा देने के लिए कहता है?
(A) हवा से
(B) जोड़े से
(C) आसमान से
(D) भगवान से
उत्तर:
(B) जोड़े से

5. चाँद कभी-कभी कितना चौड़ा हो जाता है?
(A) एक फुट भर
(B) एक उँगली भर
(C) एक हाथ भर
(D) एक इंच भर
उत्तर:
(B) एक उँगली भर

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6. जोड़े में चाँद किस तरह मरता है?
(A) गरम
(B) शरर्मी
(C) सरदी
(D) जखमी
उत्तर:
(C) सरदी

7. चाँद कितना मोटा दिखाई देता है?
(A) एक फूट
(B) दो फूट
(C) तिन फूट
(D) चार फूट
उत्तर:
(A) एक फूट

8. माँ किस बात से डरती है?
(A) कड़वी वात से
(B) एक नाप में नहीं दिखाई देने से
(C) अमावास्या में गायब होने से
(D) एक नाम में रहने से
(B) एक नाप में नहीं दिखाई देने से

9. चाँद किस तरह यात्रा पूरी करता है?
(A) ठिठुर-ठिठुर
(B) हौले-हौले
(C) जल्दी-जल्दी
(D) सावधानी से
उत्तर:
(A) ठिठुर-ठिठुर

10. कौन – सा दिन चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता?
(A) पूर्णिमा
(B) संक्रान्ति
(C) अमावास्या
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अमावास्या

11. चाँद कभी-कभी माँ को कितना चौड़ा दिखाई देता है?
(A) चार अंगुली
(B) दो अंगुली
(C) तीन अंगुली
(D) एक अंगुली
उत्तर:
(D) एक अंगुली

12. सलोने शब्द का अर्थ पहचानिए
(A) कुच्छित
(B) सुन्दर
(C) असुन्दर
(D) आसमा
उत्तर:
(B) सुन्दर

13. ऐसी कौन-सी तिथि है, जिस तिथि में चाँद गायब हो जाता, वह तिथि है
(A) पूर्णिमा
(B) एकदशी
(C) अमावास
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पूर्णिमा

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14. चाँद क्या भाड़े पर लाने को माँ से कहता है?
(A) झिंगोला
(B) कोट
(C) ऊनी चादर
(D) कुरता
उत्तर:
(D) कुरता

15. चाँद को क्या लग जाने का डर माँ को है?
(A) जादू-टोने
(B) ठंड़
(C) लू
(D) नजर
उत्तर:
(A) जादू-टोने

16. चाँद अपने लिए झिंगोला चाहता है जो
(A) सूती का हो
(B) ऊन का हो
(C) पशम का हो
(D) चमड़े का हो
उत्तर:
(B) ऊन का हो

17. चाँद झिंगोला चाहता है क्योंकि मौसम था
(A) बारिश का
(B) गर्मी का
(C) जाड़े का
(D) वसन्त का
उत्तर:
(C) जाड़े का

18. घटते घटते चाँद एकदिन ऐसा हो जाता है कि वह
(A) पतला हो जाता है
(B) दुःखी हो जाता है
(C) दिखाई नहीं देता
(D) ठिठूरता रहता है
उत्तर:
(C) दिखाई नहीं देता

यह कविता
बच्चे दिन-व-दिन बढ़ते हैं। इसलिए उनकी पोशाक बड़ी साइज की बना ली जाती है। लेकिन चाँद घटता घटता अमावस के दिन दिखाई नहीं देता। वह चाहता है कि उसके लिए एक झिंगोला या कुर्ती सिलवा दिया जाय। माँ पूछती है, बेटा, किस नाप का बनाया जाय? जिसे तू रोज-रोज पहन सके? इसमें एक मज़ाक और व्यंग्य है। सदा अस्थिर के लिए कुछ नहीं किया जा सकता।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ପିଲାମାନେ ଦିନକୁ ଦିନ ବଢ଼ିଚାଲନ୍ତି। ତେଣୁକରି ତାଙ୍କ ପୋଷାକ ବଡ଼ ସାଇଜର ତିଆରି କରା ହୋଇଥାଏ। କିନ୍ତୁ ଜହ୍ନ କମି କମି ଅମାବାସ୍ୟା ଦିନ ଦେଖାଯାଏ ନାହିଁ। ତା’ର ଇଚ୍ଛା ତା’ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ଗୋଟିଏ ଜାମା ସିଲାଇ କରାଯାଉ। ମା’ ପଚାରିଛନ୍ତି ପୁଅ, କେଉଁ ସାଇଜର ଜାମା ତିଆରି କରାହେବ? ଯାହାକୁ ତୁ ପ୍ରତିଦିନ ପିନ୍ଧି ପାରିବୁ। ଏହି କବିତାରେ କିଛି ଥଟ୍ଟା ଓ ପରିହାସ ମଧ୍ୟ ଅଛି। ସବୁବେଳେ ଅସ୍ଥିର ପାଇଁ କିଛି କରାଯାଇ ପାରିବ ନାହିଁ।

(i) हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से वह बोला,
“सिलबा दो माँ, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
सन-सन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह, यात्रा पूरी करता हूँ।
आसमान का सफर और यह, मौसम है जाड़े का”
न हो अगर तो लादो कुरता ही कोई भाड़े का।
” बच्चे की सुन बात कहा माता ने, “अरे सलोने।

ହଠ୍ କର ବୈଠା ର୍ବାଦ ଏକ ଦିନ୍, ମାତା ସେ ୱହ ବୋଲା,
‘‘ସିଲବା ଦୋ ଗାଁ, ମୁଝେ ଊନ୍ କା, ମୋଟା ଏକ୍ ଝିଲା।
ସନ୍-ସନ୍ ଚଲ୍‌ ହଓ୍ବା ରାଡ୍ ଭର୍, ଜାଡ଼େ ସେ ମର୍‌ତା
ଠିଠୁର୍-ଠିଠୁର୍ କର୍ କିସୀ ତରହ, ଯାତ୍ରା ପୂରୀ କର୍‌ତା ହୁଁ।
ଆସମାନ୍ କା ସଫର୍ ଔର୍ ୟହ, ମୌସମ୍ ହୈ ଜାଡ଼େ କା’’
ନ ହୋ ଅଗର୍ ତୋ ଲା ଦୋ କୁର୍‌ତା ହୀ କୋଈ ଭାଡ଼େ କା।’
ବଢେ କୀ ସୁନ ବାତ କହା ମାତା ନେ, ‘ଅରେ ସଲୋନେ।

हिन्दी व्याख्या:
इन पक्तियों में कवि ने वर्णना किया है कि एक दिन चाँद अपनी माँ से हठ करता है कि ऊन का एक मोटा सा झिंगोला सिला दो। क्योंकि जब रात में सन-सन करके जोरो हवा चलती है, तो मैं जाड़े से काँपता रहता हूँ। सरदी से ठिठुरता हुआ किसी प्रकार मैं अपनी यात्रा को पूरी करता हूँ। एक तो आसमान में सफर करना पड़ता है उस पर यह जाड़े का मौसम है। अगर तुम मेरे लिए एक झिंगोलों नहीं ला सकती तो किराए पर मेरे लिए एक कुरता ही लाकर दे दो ताकि किसी तरह मैं जाड़े से अपनी रक्षा सँ।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ :
କବି କହୁଛନ୍ତି ଦିନେ ଜହ୍ନ ତା’ ମା’ ପାଖରେ ଜିଦ୍ କରୁଅଛି କି ତା’ ପାଇଁ ପଶମ (ଉଲ୍)ର ଗୋଟିଏ ମୋଟା ପୋଷାକ ତିଆରି କରିବା ପାଇଁ। ଶୀତଦିନ ରାତିରେ ଯେତେବେଳେ ଥଣ୍ଡା ପବନ ଜୋର୍‌ରେ ବହିବାକୁ ଲାଗୁଛି ମୁଁ ଶୀତରେ ଥରିବାକୁ ଲାଗୁଛି । ଶୀତରେ ଥରି ଥରି ମୁଁ କୌଣସି ପ୍ରକାର ମୋ’ ଯାତ୍ରା ଶେଷ କରୁଛି। ଆକାଶରେ ଯାତ୍ରା କରିବାକୁ ପଡ଼ୁଛି ପୁଣି ଶୀତ ରାତିରେ। ତେଣୁ ତୁ ମୋ ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ପୋଷାକ ତିଆରି କରିଦେ। ଯଦି ତିଆରି ନ କରିପାରୁଛୁ ତାହାହେଲେ ଭଡ଼ାରେ ହେଉ ପଛକେ ମୋ’ ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ପୋଷାକ ଆଣି ଦେ ମୁଁ ଯେପରି ଶୀତରୁ ରକ୍ଷା ପାଇ ପାରିବି।

(ii) कुशल करे भगवान, लगें मत, तुझको जादु-टोने।
जाड़े कि तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ।
एक नाप में कभी नहीं, तुझको देखा करती हूँ।
कभी एक ऊँगली भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है किसी दिन छोटा।

କୁଶଲ୍ କରେ ଭଗୱାନ୍, ଲଗେ ମତ୍, ତୁଝେ ଜାଦୁ-ଟୋନେ
ଜାଡ଼େ କି ତୋ ବାତ୍ ଠିକ୍ ହୈ, ପର ମେଁ ତୋ ଡତୀ ହୁଁ,
ଏକ୍ସ୍ ନାପ୍ ମେଁ କଭୀ ନହୀଁ, ତୁ ଦେଖା କର୍‌ତୀ ହୁଁ।
କଭୀ ଏକ ଉଁଗଲୀ ଭର୍ ଚୌଡ଼ା, କଭୀ ଏକ ଫୁଟ୍ ମୋଟା,
ବଡ଼ା କିସୀ ଦିନ୍ ହୋ ଜାତା ହୈ, ଔର କିସୀ ଦିନ୍ ଛୋଟା।

हिन्दी व्याख्या:
बच्चे की बात सुन कर माता कहती है कि बेटे। भगवान करे तुझको किसी की नजर न लगे, कोई तुझपर जादू-टोना न कर पाए। जाड़े की तो बात ठीक है लेकिन मुझे एक ही बात खटकती है। क्योंकि मैं तुझे एक नाप (साइज) में कभी भी नहीं देख पाती हूँ। कभी तुम एक उँगली चौड़ा हो जाते हो तो कभी एक फुट मोटा हो जाते हो। किसी दिन बड़े हो जाते हो तो किसी दिन छोटे।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ପିଲାଟିର କଥା ଶୁଣି ମାଆ କହୁଛି ଅରେ ପୁଅ ! ଭଗବାନ୍ କରନ୍ତୁ ଯେପରି କାହାରି ଦୃଷ୍ଟି ତୋ’ ଉପରେ ନ ପଡୁ। ତୋତେ ଯେପରି କେହି ଗୁଣି ଗାରେଡ଼ି ନ କରନ୍ତୁ। ଶୀତ ଦିନ କଥା ତ ଠିକ୍। କିନ୍ତୁ ମୋର ଗୋଟିଏ ଚିନ୍ତା। ମୁଁ ତୋତେ କେବେହେଲେ ଗୋଟିଏ ଆକାର (ସାଇଜ୍)ରେ ଦେଖୁନାହିଁ। କେତେବେଳେ ତୁ ଆଙ୍ଗୁଳିଏ ଚଉଡ଼ା ହେଇଯାଉଛୁ ତ କେତେବେଳେ ଫୁଟେ ମୋଟା ହୋଇଯାଉଛୁ। କେଉଁ ଦିନ ବଡ଼ ହୋଇଯାଉଛୁ ତ କେଉଁ ଦିନ

BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions Poem 4 चाँद का झंगोला

(iii) घटा-बढ़ता रोज, किसी दिन, ऐसा भी करता है,
नहीं किसीकी आँखो का, तु दिखलाई पड़ता है।
अब तू ही यह बता, नाप तेरी किस रोज लिवाएँ,
सी दें एक झिंगोला जो, हर रोज बदन में आए?”

ଘଟତା-ବଢ଼ତା ରୋଜ୍, କିସୀ ଦିନ୍, ଐସା ଭୀ କରତା ହୈ,
ନଦୀ କିସୀକୀ ଆର୍ଡୋ କା, ତୁ ଦିଖଲାଈ ପଡ଼ତା ହୈ ।
ଅବ୍ ତୂ ହୀ ୟହ ବତା, ନାପ୍ ତେରୀ କିସ୍ ରୋଜ ଲିଓ୍ବାଏଁ,
ସୀ ହେଁ ଏକ ଲିଂଗୋଲା ଜୋ, ହର୍ ରୋଜ୍ ବଦନ୍ ମେଁ ଆଏ ??’

हिन्दी व्याख्या:
तुम्हारा रोज का घटना बढ़ना और किसी दिन ओझल हो पाना ये बातें मेरी समझ में कुछ नहीं आता। अब तू ही मुझे बता दे कि मैं तुम्हारा कौन सा नाप लेकर तेरे लिए एक झिंगोला सिला दूँ ताकि हर रोज तू उसे पहन सेक।
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ:
ତୋର ପ୍ରତିଦିନ ବଢ଼ିବା କମିବା ଓ କେଉଁ ଦିନ ଅଦୃଶ୍ୟ ହୋଇଯିବା କଥା ମୁଁ କିଛି ବୁଝିପାରୁ ନାହିଁ। ତୁ ମୋତେ କହ, ମୁଁ ତୋ’ ପାଇଁ କେଉଁ ସାଇଜର ଜାମା ତିଆରି କରିବି ଯାହାକୁ ତୁ ପ୍ରତିଦିନ ପିନ୍ଧି ପାରିବୁ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

झिंगोला – छोटे बच्चे का कमीज या कुरता (ଛୋଟପିଲାଙ୍କ ଜାମା)।
हठ – जिद (ଜିଦ୍)।
ऊन – भेड़ बकरी के रोएँ (ପଶମ)।
नाप – माप ପଶମ)।
आसमान – आकाश (ମାପ)।
मौसम – ऋतु (ଋତୁ)।
सलोने – सुंदर (ସୁନ୍ଦର)।
घटना – कम होना (କମିବା)।
बदन – शरीर (ଶରୀର)।
उँगल – उँगली (ଆଙ୍ଗୁଳିଏ)।
सिलवा दो – बना दो जाड़ा (ଶୀତ)।
ठिठुर-ठिठुर कर – काँप कर (ଥରିଥରି)।
सफर – यात्रा (ଯାତ୍ରା)।
भाड़ा – किराया (ଭଡ଼ା)।
जादू-टोना – (ଗୁଣିଗାରେଡ଼ି)।
रोज – प्रतिदिन (ପ୍ରତିଦିନ)।
कुशल – मंगल (ମଙ୍ଗଳ)।
लिवाएँ – लेना (ନେବା)।

कवि परिचय

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म 30 सितम्बर, सन् 1908 को सिमरिया घाट, मुंगेर ( बिहार ) हुआ। छात्रावस्था में ही ‘दिनकर’ का ओजस्वी कवि-रूप सामने आ गया। ‘दिनकर’ राष्ट्रीय भावधारा के प्रमुख कवि रहे। उन्हें शौर्य और वीरता का कवि माना जाता है।

‘दिनकर’ जी की बहुमुखी प्रतिभा का विस्तार गद्य और पद्य दोनों में हुआ है। उनके काव्य ग्रंथों प्रमुख हैं- रेणुका, हँकार, रसवंती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, हारे को हरिनाम, बापू, दिल्ली इत्यादि। गद्य ग्रंथों में प्रमुख हैं- देश – विदेश, मेरी यात्राएँ, अर्द्ध-नारीश्वर, मिट्टी की ओर, रेती के फूल, संस्कृति के चार अध्याय इत्याद। ‘दिनकर’ जी राज्य सभा के सम्मानित सदस्य रहे। भारत सरकार ने उनको ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया। उन्हें ‘उर्वशी’ महाकाव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।

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