BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र)Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र)

1. इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) रानी मौसी कौन-सा गाना सिखाती थी ?
उत्तर:
चन्दा मामा दूर के
पूए पकाए नूर के
आप खाए थाली में
हम को दिया प्याली में

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(ख) मौसी हमें क्या बताती थी?
उत्तर:
मौसी हमें बताती थीं कि चन्द्रमा सब के मामा हैं।

(ग) संसार के लोग क्यों खुश हुए?
उत्तर:
भारत का चन्द्रयान चन्द्रमा में जाकर तस्वीरें खींचता था। इससे पत्ता चला कि चाँद में जल है। भारतीय वैज्ञानिकों की इस खोज से संसार के लोग खुश हुए।

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2. निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए ।

(क) निशीथ पत्र किसे लिख रहा है ?
उत्तर:
निशीथ अपनी बहन अंजना के पास पत्र लिख रहा है।

(ख) निशीथ और अंजना की खुशी का कारण क्या था?
उत्तर:
चमचमाता चाँद को देखकर निशीथ और अंजना खुश होते थे।

(ग) सारा दुनिया क्यों खिल उठी थी?
उत्तर:
सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर पाँव रखा था तो सारा दुनिया खिल उठीथी ।

(घ) निशीथ पत्र के बदले क्या करने को कहता है ?
उत्तर:
निशीथ पत्र के बदले टेलीफोन पर बाता करने को कहता है।

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4. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए ।

(क) क्या देखकर पुरानी बात याद आ गई ?
(i) सूर्य को
(ii) पूनम के चाँद को
(iii) मौसी को
(iv) अंजना को
उत्तर:
(iii) पूनम के चाँद का

(ख) हमें छत पर ले जाती थी । कौन ?
(i) माँ
(ii) बहन
(iii) बड़े भाई
(iv) रानी मौसी
उत्तर:
(iv) रानी मौसी

(ग) किसने चन्द्रमा पर सबसे पहले पाँव रखा था?
(i) नील आर्मस्ट्रांग
(ii) सी.वी. रमन
(iii) स्वामीनाथन
(iv) नेलसन मैंडला
उत्तर:
नील आर्मस्ट्रांग

(घ) अमेरीका की किस संस्था ने चन्द्रमा में विस्फोट कराया?
(i) स्पेश संस्था
(ii) नासा
(iii) यू.एन.ओ.
(iv) स्पेश कमीशन
उत्तर:
(ii) नासा

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(ङ) अंजना किसकी बहन है ?
(i) रमेश
(ii) गोपाल
(iii) चंदामामा
(iv) निशीथ
उत्तर:
(iv) निशीथ

भाषाकार्य

1. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
सैर, तस्वीर, पूए, यात्रा, चाँद, टेलीफोन, प्रसन्न, खोज
उत्तर:

  • सैर – मैं रोज सौर करता हूँ।
  • तस्वीर – वह अच्छी तस्वीर बनाती है।
  • पूए – चाँद पूए पकाता है।
  • यात्रा – चाँद रात में यात्रा करता है।
  • चाँद – आकाश में चाँद आ गए हैं।
  • टेलीफोन-, वह टेलीफोन पर बात कर रही है।
  • प्रसन्न – मैं बहुत प्रसत्र हूँ।
  • खोज – वैज्ञानिकों ने अनेक खोज की है।

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2. ‘क’ स्तम्भ के विशेषणों के साथ ‘ख’ स्तंभ के विशेष्यों (संज्ञाओं) का मिलान कीजिए ।
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ

  • भोले – बात
  • भारतीय – दुनिया
  • सारी – चाँद
  • पुरानी – लोग
  • चमचमाता – बच्चे

उत्तर:
‘क’ स्तम्भ – ‘ख’ स्तम्भ

  • भोले – बच्चे
  • भारतीय – लोग
  • सारी – दुनिया
  • पुरानी – बात
  • चमचमाता – चाँद

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3. निम्नलिखित वाक्यों के खाली स्थानों में कोष्ठक में से सही सर्वनाम चुनकर भरिए ।

(क) ………… इसलिए यह पत्र लिख रहा हूँ । (में, हम)
उत्तर: में

(ख) चंदामामा ने ………… को प्याली में दिया । ( वह, हम )
उत्तर: हम

(ग) ………… ने थाली में खाए । ( तू, आप )
उत्तर: आप

(घ) ………… प्रमाणित हुआ कि चन्द्रमा में जल है। ( आप, यह )
उत्तर: यह

(ङ) आशा है, ………… प्रसन्न होगी । ( मैं, तुम )
उत्तर: तुम

(ङ) तुमने एक कहानी लिखी ।
उत्तर: तुम एक कहानी लिखोगे ।

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5. खाली जगहों पर सही परसर्ग कोष्ठक में से चुनकर भरिए।
(की, में, के, ने, पर)

(क) पूनम ………… चाँद को देखकर एक पुरानी बाद याद आ गई ।
उत्तर: के

(ख) उस समय चाँद ………… जाना सपना था।
उत्तर: पर

(ग) चन्द्रमा ………… कई यात्राएँ हो चूकी हैं ।
उत्तर: पर

(घ) नासा ………… चन्द्रमा पर विस्फोट कराया।
उत्तर:  ने

(ङ) आपने पूए थाली ………… खाए ।
उत्तर:  में

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याद रखें :
इस पाठ में जो सर्वनाम आए हैं, वे हैं –
हम, हमें, वह, यह, आप, तुम्हें, तुम – ये सब पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।

पुरुषुवाचक सर्वनाम के तीन भेद है –
(१) उत्तम पुरुष – मैं, हम
(२) मध्यम पुरुष – तु, तुम / आप
(३) अन्य पुरुष – वह, यह, वे, ये

परसर्ग के संयोग से सर्वनाम के मूल-रूप में परिवर्तन हो जाता है, जैसे –

  • मैं + को = मुझे, मुझको
  • मैं + रा = मेरा
  • हम + को = हमें, हमको
  • हम + रा = हमारा
  • तू + को = तुझे, तुझको
  • तुम + को = तुम्हें, तुमको
  • वेह + को = उन्हें, उनको
  • मैं + ने = मैंने
  • वह + ने = उसने
  • यह + ने = इसने
  • वेह + ने = उन्होने
  • वह + को = उसे, उसको
  • आप + ने = आपने

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परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
‘मैं चाँद से बोल रहा हैं’, पाठ में कौन पत्र लिख रहा है?
उत्तर:
‘में चाँद से बोल रहा हूँ’, पाठ में निशीथ पत्र लिख रहा है।

प्रश्न 2.
पत्र लिखने के दिन कौन-सी तिथि थी ?
उत्तर:
पत्र लिखने के दिन पूर्णिमा की तिथि थी।

प्रश्न 3.
निशीध किसे पत्र लिख रहा है ?
उत्तर:
निशीथ अपनी बहन अंजना को पत्र लिख रहा है ।

प्रश्न 4.
निशीथ को पुरानी बात कैसे याद आई ?
उत्तर:
पुनम के चाँद को देखकर निशीथ को पुरानी बात याद आई।

प्रश्न 5.
निशीथ और अंजना जब छोटे थे, तब उन्हें कौन छत पर ले जाती थी ?
उत्तर:
निशीथ और अंज़ना जब छोटे थे, तब उन्हें रानी मौसी द्छत पर ले जाती थीं।

प्रश्न 6.
रानी मौसी छत पर बच्चों को क्या दिंखाती थीं ?
उत्तर:
रानी मौसी छ पर बच्चों को चमचमाता चाँद दिखाती थी।

प्रश्न 7.
रानी मौसी बच्चों को कौन-सा गाना सिखाती थीं ?
उत्तर:
रानी मौसी बच्चों को गाना सिखाती थीं –
” चंदा मामा दूर के पूए पकाए नूर के
आप खाए थाली में हम को दिया प्याली में ।”

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प्रश्न 8.
रानी मौसी बच्चों को जो गीत सिखाती थीं, उसका अर्थ क्या है ?
उत्तर:
रानी मौसी बच्चों को जो गीत सिखाती थीं, उसका अर्थ हैं – दूर के चंदा मामा ने ज्योति के पूए पकाकर खुद थाली में खाया और हमें प्याली में दिया।

प्रश्न 9.
भोले-भाले बच्चे रानी मौसी की कौन-सी बात मान लेते थे ?
उत्तर:
भोले-भाले बच्चे रांनी मौसी की यह बात मान लेते थे कि चन्द्रमा सबका मामा है; तथा माता लक्ष्मी और मामा चन्द्रमा एक साथ सागर से निकले थे ।

प्रश्न 10.
सबसे पहले चन्द्रमा पर किसने पाँव रखा था ?
उत्तर:
सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर पाँव रखा था।

प्रश्न 11.
भारत के चन्द्रयान ने क्या किया है ?
उत्तर:
भारत के चन्द्रयान ने चन्द्रमा में जाकर तस्वरें खींची हैं।

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प्रश्न 12.
भारत के चन्द्रयान ने चन्द्रमा की जो तस्वीरें खींचीं, उनसे क्या पता चला ?
उत्तर: भारत के चन्द्रयान ने चन्द्रमा की जो तस्वीरें खींचीं, उनसे पता चला कि चन्द्रमा में जल हैं।

प्रश्न 13.
‘नासा’ संस्था किस देश की है ?
उत्तर:
‘नासा’ संस्था अमेरीका देश की है ।

प्रश्न 14.
‘नासा’ ने चन्द्रमा में क्या किया ?
उत्तर:
‘नासा’ ने चन्द्रमा में एक विस्फोट कराया।

प्रश्न 15.
चाँद पर अमेरीका ने जो विस्फोट कराया, उससे क्या प्रमाणित हुआ ?
उत्तर:
चाँद परअमेरीका ने जो विस्फोट कराया उससे प्रमापित हुआ कि चन्द्रमा में जल है।

प्रश्न 16.
निशीथ कब कहेगा कि मैं चाँद से बोल रहा हैं ?
उत्तर:
जब आदमी चन्द्रमा से धरती के लोगों से टेलीफोन पर बात करेगा तब निशीथ भी कहेगा कि मैं चाँद से बोल रहा हूँ।

प्रश्न 17.
निशीथ कहाँ जाने की कल्पना करता है ?
उत्तर:
निशीथ चन्द्रमा पर जाने की कल्पना करता है।

प्रश्न 18.
निशीथ के विचार से समाचार पाने का मजा किसमें अधिक है ?
उत्तर:
निशीथ के विचार से समाचार पाने का मजा पत्र में अधिक है।

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प्रश्न 19.
अंजना के भाई का नाम क्या है ?
उत्तर:
अंजना के भाई का नाम निशीथ है ।

मातृभाषा में अनुवाद कीजिए :

प्रश्न 1.
पूनम के चाँद को देखकर एक पुरानी बात याद आ गई।
उत्तर:
ପୂର୍ଣ୍ଣମୀର ଚାନ୍ଦ ଦେଖୁ ଗୋଟିଏ ପୁରୁଣା କଥା ମନେପଡ଼ିଗଲା ।

प्रश्न 2.
तब हम दोनों छोटे थे।
उत्तर:
ସେତେବେଳେ ଆମେ ଦୁହେଁ ଛୋଟ ଥିଲୁ।

प्रश्न 3.
रानी मौसी हमें छत पर ले जाती थीं।
उत्तर:
ରାଣୀ ମାଉସୀ ଆମକୁ ଛାତ ଉପରକୁ ନେଇଯାଉଥିଲେ।

प्रश्न 4.
वहाँ चमचमाता चाँद देख हम कितने खुश होते थे !
उत्तर:
ସେଠାରେ ଉଜ୍ଜ୍ବଳ ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଦେଖୁ ଆମେ କେତେ ଖୁସିହେଉ ନଥୁଲୁ !

प्रश्न 5.
चँदा मामा दूर के पूए पकाए नूर के ।
उत्तर:
ଦୂରରେ ଥ‌ିବା ଜହ୍ନମାମୁଁ ଆଲୁଅର ମିଠା ପୁରି ତିଆରିକଲେ ।

प्रश्न 6.
आप खाए थाली में, हम को दिया प्याली में।
उत्तर:
ସେ ନିଜେ ଥାଳିରେ ଖାଇଲେ, ଆମକୁ ଗିନାରେ ଦେଲେ ।

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प्रश्न 7.
हम भी कैसे भोले थे कि उनकी बात मान लेते थे ।
उत्तर:
ଆମେ ବି କେତେ ସାଧାସିଧା ଥିଲୁ ଯେ ତାଙ୍କ କଥାକୁ ମାନିନେଉଥୁଲୁ।

प्रश्न 8.
आजकल तो लोग चन्द्रमा की सैर कर आते हैं।
उत्तर:
ଆଜିକାଲି ତ ଲୋକେ ଚନ୍ଦ୍ରମାରେ ଭ୍ରମଣ କରି ଆସୁଛନ୍ତି ।

प्रश्न 9.
तुम्हें याद होगा जब सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर पाँव रखा था तो सारी दुनिया खिल उठी थी।
उत्तर:
ତୁମର ମନେଥିବ ଯେତେବେଳେ ସର୍ବପ୍ରଥମେ ନୀଲ ଆର୍ମଷ୍ଟ୍ରଙ୍ଗ ଚନ୍ଦ୍ରପୃଷ୍ଠରେ ପାଦ ରଖୁଥିଲେ, ସେତେବେଳେ ସାରାଦୁନିଆ ଖୁସିହୋଇ ଯାଇଥିଲା।

प्रश्न 10.
कुछ दिन पहले भारत का चन्द्रयान चन्द्रमा में जाकर तस्वीरें खींचता था।
उत्तर:
କିଛିଦିନ ପୂର୍ବେ ଭାରତର ଚନ୍ଦ୍ରଯାନ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ଯାଇ ଫଟୋ ଉଠାଉଥିଲା ।

प्रश्न 11.
उन तस्वरों से पता चला कि चाँद में जल है।
उत्तर:
ସେହି ଫଟୋଗୁଡ଼ିକରୁ ଜଣାପଡ଼ିଲା ଯେ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ଜଳ ଅଛି ।

प्रश्न 12.
दुनिया के लोग चाँद पर जाने की तैयारी करने लगे हैं।
उत्तर:
ଦୁନିଆର ଲୋକେ ଚନ୍ଦ୍ରପୃଷ୍ଠକୁ ଯିବା ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତି । କରିବାକୁ ଲାଗିଛନ୍ତି ।

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प्रश्न 13.
लेकिन पत्र का मजा कुछ अलग है न !
उत्तर:
କିନ୍ତୁ ପତ୍ରର ମଜା ଆଉ କିଛି ଅଲଗା ନା !

मे सही उत्तर चूनिए :

प्रश्न 1.
निशीय अपनी बहन अंजना को कब चिट्ठी लिखता है?
(A) अमावस को
(B) पूर्णिमा के दिन में
(C) बड़ा हो जाने के बाद
(D) पूर्णिमा की रात को
उत्तर:
(D) पूर्णिमा की रात को

प्रश्न 2.
निशीथ अंजना को क्यों पत्र लिखता है ?
(A) पुरानी बात याद आ जाने से
(B) अंजना की बाल याद आजाने से
(C) चाँद को देखने से
(D) चौंद पर जाने के लिए
उत्तर:
(A) पुरानी बात याद आ जाने से

प्रश्न 3.
चाँद मामा किसके पूए पकाते हैं ?
(A) कपूर के
(B) चूर के
(C) मैदे के
(D) नूर के
उत्तर:
(D) नूर के

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प्रश्न 4.
सागर से मामा चन्द्रमा के साथ और कौन निकला था?
(A) माता सरस्वती
(B) माता जानकी
(C) माता लक्ष्मी
(D) चेतक घोड़ा
उत्तर:
(C) माता लक्ष्मी

प्रश्न 5.
किसने चन्द्रमा पर पहले पाँव रखा था ?
(A) स्टीब स्मिथ ने
(B) राकेश शर्मा ने
(C) टॉम क्रूस ने
(D) नील आर्मस्ट्रांग ने
उत्तर:
(D) नील आर्मस्ट्रांग ने

प्रश्न 6.
भारत ने चन्द्रमा को क्या भेजा था ?
(A) लूनार
(B) चन्द्रयान
(C) नासा
(D) आपोलो
उत्तर:
(B) चन्द्रयान

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प्रश्न 7.
कैसे पता चल कि चन्द्रमा में जल है ?
(A) चन्द्रयान के विस्फोट से
(B) नासा की तस्वीरों से
(C) पुराण-शास्वों से
(D) नासा के विस्फाट से
उत्तर:
(D) नासा के विस्फाट से

प्रश्न 8.
नासा संस्था कहाँ है ?
(A) अमेरीका में
(B) भारत में
(C) रूस में
(D) चीन में
उत्तर:
(A) अमेरीका में

प्रश्न 9.
चौंद से बोल रहा हैं – यह बोलने की कल्पना कौन करता है ?
(A) निशीय
(B) भारत
(C) अंजना
(D) अमेरीका
उत्तर:
(A) निशीय

प्रश्न 10.
रानी मौसी बताती थीं कि चन्द्रमा सबके मामा हैं, और हम उनकी बात मान लेते थे, क्योंकि –
(A) हमें रानी मौसी बहुत प्यार करती थीं।
(B) हम उनसे डरते थे।
(C) हम बहुत भोले थे।
(D) रानी मौसी पुराप जानती धीं।
उत्तर:
(C) हम बहुत भोले थे।

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प्रश्न 11.
भारतीय वैज्ञानिकों पर संसार के लोग खुश हुए, क्योंकि-
(A) उन्होंने ‘नासा’ संस्था द्वारा विस्फोट कराया।
(B) उन्होंने खोज की कि चन्द्रमा में जल है।
(C) उन्होंने चन्द्रमा को चन्द्रयान भेजा था।
(D) वे बहुत शांत स्वभाव के थे ।
उत्तर:
(B) उन्होंने खोज की कि चन्द्रमा में जल है।

शून्यस्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. ………… के चाँद को देखकर एक पुरानी वात याद आ गई।
उत्तर: पूनम

2. ………… मौसी हमें छत पर ले जाती थीं।
उत्तर: रानी

3. चँदा मामा दूर के ………… पकाए नूर के ।
उत्तर: पूए

4. आप खाए थाली में हमको दिया ………… में।
उत्तर: प्याली

5. ………… सबके मामा है।
उत्तर: चन्द्रमा

6. माता ………… और मामा चन्द्रमा एक साथ सागर से निकले थे।
उत्तर: लक्ष्मी

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7. हम भी कैसे ………… थे कि उनकी बात मान लेते थे।
उत्तर: भोले

8. सबसे पहले ………… ने चन्द्रमा पर पाँव रखा था।
उत्तर: नील आर्मस्ट्यांग

9. भारत का ………… चन्द्रमा में जाकर तस्वीरें खींचता था।
उत्तर: चन्द्रयान

10. अमेरीका की ………… संस्था ने चन्द्रमा पर एक विस्फोट कराया।
उत्तर: नासा

11. तस्वीरों से पता लगा कि चाँद में ………… है।
उत्तर: जल

12. पत्र का ………… कुछ अलग है ।
उत्तर: मजा

उपयुक्त शब्द ले कर खाली जगह भरिए :

1. पूनम ………… चाँद को देखकर पुरानी बात याद आ गई। (के, को, ने)
उत्तर: के

2. हमको दिया प्याली ………… (को, से, में)
उत्तर: में

3. चन्द्रमा सब ………… मामा हैं। (का, के, को)
उत्तर: के

4. दोनों एक साथ सागर ………… निकले थे। (में, से, ने)
उत्तर:से

5. हम उन ………… बात मान लेते थे। (की, का, को)
उत्तर: की

6. उस समय चाँद ………… जाना सपना था। (में, पर, का)
उत्तर: पर

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7. आर्मस्ट्रांग ………… चन्द्रमा पर पाँव रखा था। (ने, को, केलिए)
उत्तर: ने

8. चन्द्रमा ………… कई यात्राएँ हो चुकी हैं। (का, के, की)
उत्तर: की

9. चाँद ………… जल है।'(को, में, केलिए)
उत्तर: में

10. इस खोज ………… संसार के लोग खुश हुए। (के, से, ने)
उत्तर: से

11. नासा संस्था ………… चन्द्रमा में विस्फोट कराया। (ने, को, पर)
उत्तर: ने

12. लोग चाँद ………… जाने की तैयारी करने लगे हैं। (ने, पर, में)
उत्तर: पर

13. आदमी लोगों से टेलीफोन ………… बात करें। (से, पर, में)
उत्तर: पर

14. मैं चाँद ………… बोल रहा हूँ। (में, से, पर)
उत्तर: से

15. पत्र ………… मजा कुछ अलग है। (का, के, की)
उत्तर: का

वर्तनी शुद्ध कीजिए

1. पुर्णिमा
2. प्यालि
3. सस्विर
4. आमेरिका
5. कहुँगा
6. बिस्फोट
7. तैयारि
8. टेलिफोन
9. निशिथ
10. प्रसन
उत्तर:
1. पूर्णिमा
2. प्याली
3. तस्वीर
4. अमेरिका
5. कहूँगा
6. विस्फोट
7. तैयारी
8. टेलीफोन
9. निशीथ
10. प्रसत्र

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का वाक्यों को शुद्ध कीजिए :

1. पूनम का चाँद को देखकर एक पुरानी बात याद आ गई ।
2. तब हम दोनों छोटा थे ।
3. चन्द्रमा सबका मामा हैं ।
4. हम उनका बात मान लेते थे।
5. लोग चन्द्रमा का सैर कर आते हैं ।
6. सारा दुनिया खिल उठा था।
7. उन तस्वीर से पता लगा।
8. लोग चाँद पर जाने का तैयारी करने लगे हैं ।
9. मैं चाँद से बोल रहा है ।
10. पत्र की मजा कुछ अलग है।
उत्तर:
1. पूनम के चाँद को देखकर एक पुरानी बात याद आ गई ।
2. तब हम दोनों छोटे थे ।
3. चन्द्रमा सबके मामा हैं।
4. हम उनकी बात मान लेते थे।
5. लोग चन्द्रमा की सैर कर आते हैं ।
6. सारी दुनिया खिल उठी थी।
7. उन तस्वारों से पता लगा।
8. लोग चाँद पर जाने की तैयारी करने लगे हैं ।
9. में चाँद से बोल रहा हूँ।
10. पत्र का मजा कुछ अलग है।

लिंग बदलिए

  • मौसी – मौसा
  • मामा – मामी

बचन बदलिए

  • बहन – बहनें
  • धाली – धालियाँ
  • माता – माताएँ
  • सैर – सैरे
  • तस्वीर – तस्वीरें
  • तैयारी – तैयारियाँ
  • पत्र – पत्र
  • प्याली – प्यालियाँ
  • मामा – मामा
  • यात्रा – यात्राएँ
  • खोज – खोजें
  • आशा – आशाएँ

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क अव्ययों से रिक्त स्थान भरिए

1. ………… पूर्णिमा है।
2. ………… यह पत्र लिख रह्मा हूँ।
3. ………… हम दोनों खोटे थे।
4. उस ………… चन्द्रमा की कई यात्राएँ हो चुकी हैं।
5. ………… मैं तुम्हें पत्र ………… टेलीफोन से बात करूँगा।
6. ………… पन्न का मजा कुछ अलग है ………… !
उत्तर:
1. आज
2. इसलिए
3. तब
4. के बाद
5. तब, नहीं
6. लेकिन, न

शब्दों/दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
निशीथ पत्र किसे और क्यों लिख रहा है ?
उत्तर:
निशीथ को पूनम का चाँद देखकर एक पुरानी बातं याद आ गई। वह बात थी – रानी मौसी उुन्हें बचपन में छत पर ले जाकर गाना सिखाती और चौंद दिखाती थीं। निरीथ यह बात बहन अंजना को याद दिलाने पत्र लिख रहा है ।

प्रश्न 2.
रानी मौसी कौन-सा गाना सिखाती थी ?
उत्तर:
निशीध और अंजना जब छोटे थे तब रानी मौसी उन्हें छत पर ले जाकर चमचमाता चौंद दिखाकर खुश कर देती थी और उन्हें गाना सिखाती थीं 1 वह गाना था – चंदा मामा दूर के, पूए पकाए नूर के, आप खाए थाली में, हमको दिया प्याली में ।

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प्रश्न 3.
रानी मौसी चाँद के बारे में बच्चों को क्या बताती थीं ?
उत्तर:
रानी मौसी चाँद के वारे में बच्चें को बताती थीं कि चाँद सबके मामा हैं । माता लक्ष्मी और मामा चन्द्रमा एक साथ सागर से निकले थे । गीत में भी वे सिखाती थी कि चंदा मामा ने नूर के पूए पकाकर खुद थाली में खाया और हमें प्याली में दिया ।

प्रश्न 4.
अमेरीका को चन्द्रमा पर क्या क्या सफलताएँ मिली हैं ?
उत्तर:
अमेरीका के नील आर्मस्ट्रंग ने पहले चन्द्रमा पर पाँव रखा था। अमेरीका के नासा संस्था ने चन्द्रमा पर एक विस्फोट कराया । इससे प्रमाणित हुआ कि चन्द्रमा पर जल है ।

प्रश्न 5.
भारतीय वैज्ञानिकों ने चन्द्रमा के संबंध में क्या खोज की है ?
उत्तर:
भारतीय वैज्ञानिकों ने चन्द्रमा को चन्द्रयान भेजा था । इस चन्द्रयान ने चन्द्रमा पर जाकर तस्वीर खींची । उन तस्वीरों से पता चला कि चाँद में जल है ।

प्रश्न 6.
‘मैं चाँद से बोल रहा हूँ’ – यह कौन कहता है ?
उत्तर:
में चाँद से वोल रह्म हूँ – यह बात निशीथ अपने पत्र में कहता है । वह कल्पना करता है कि वह दिन दूर नहीं जब आदमी चन्द्रमा से धरती के लोगों से टेलीफोन पर बात करेगा । उस समय वह पत्र न लिखकर अंजना से टेलीफोन से कहेगा – मैं चाँद से बोल रहा हूँ ।

प्रश्न 7.
लोंगों की चाँद पर जाने की तैयारी देखकर निशीथ क्या कल्पना करता है?
उत्तर:
लोंयों की चाँद पर जाने की तैयारी देखकर निशीथ कल्पना करता है – वह दिन दूर नहीं जब आदमी चन्द्रमा से धरती के लोगों से टेलीफोन पर बात करे।

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विचारबोध

पत्र -शैली में लिखित इस पाठ में चन्द्रमा के बारे में लोगों की धारणा पहले क्या थी और आज की स्थिति में कैसे बदल गई है, उस पर प्रकाश डाला गया है। पहले की धारणा अंध-विशास पर आधारित थी और आज की धारणा वैज्ञानिक सत्य पर आधारित है। बच्चों में वैज्ञानिक चेतना उत्पन्न करना इस पाठ का उद्देश्य है ।

शब्दार्थ:

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र) 1

सारांश

निशीथ अपनी बहन अंजना को चाँद के संबंध में एक चिट्ठी लिखता है । इसमें उसने चाँद के संबंध में पुराने लोगों की धारणा, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान, आधुनिक युग के परिवर्तित दृष्टिकोण और आगामी दिनों की काल्पनिक उपलब्धि के बारे में सुन्दर ढंग से वर्णन किया है ।

निशीथ को आसमान में पूर्णिमा का चाँद देखकर एक पुरानी बात यादआ गई। रानी मौसी उन्हें बचपन में छत पर ले जाकर चमकता चाँद दिखाती थीं । वे चाँद देखकर खुश हो जाते थे । रानी मौसी उन्हें गीत सिखाती थीं कि दूर के चंदा मामा ज्योति के पूए पकाकर खुद थाली में खाते थे और हमें प्याली में देते थे । वे और भी बताती थीं कि माता लक्ष्मी और मामा चंद्रमा एक साथ सागर से निकले थे । हम भोलेपन में उसे सच मान लेते थे ।

लेकिन अब समय बदल गया है । लोग चाँद पर जाने लगे हैं । नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर पहले पाँव रखा था । उस दिन विश्च के सब लोग खुश हुए।अब तक चन्द्रमा की कई यात्राएँ हो चुकी हैं । भारत के चन्द्र यान ने भी चंद्रमा पर पहुँचकर कुछ तस्वीरें खींचीं । उन तस्वीरों से पता चला कि चंद्रमा में जल है । इसके बाद अमेरिका की संस्था नासा ने चन्द्रमा पर विस्फोट कराकर प्रमाणित कर दिया कि चन्द्रमा में जल है। अब विश्ष के लोग चन्द्रमा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र)

निशीथ कल्पना करता है कि एक समय आएगा, जब वह चंद्रमा पर रह रहा होगा और पृथ्वी पर रहने वाली अपनी बहन से टेलीफोन पर बातचीत करते समय पहले बोलेगा मैं चाँद से बोल रहा हूँ।पर उसे चिट्ठी का मजा कुछ अलग लगता है।

ସାରାଂଶ:

ନିଶୀଥ ତା’ ଭଉଣୀ ଅଞ୍ଜନାକୁ ଚନ୍ଦ୍ର ବିଷୟରେ ଗୋଟିଏ ଚିଠି ଲେଖିଛି । ସେଥ‌ିରେ ସେ ଚନ୍ଦ୍ର ବିଷୟରେ ଆଗକାଳିଆ ଲୋକଙ୍କର ଧାରଣା, ଆଧୁନିକ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଆବିଷ୍କାର, ଆଧୁନିକ ଯୁଗର ପରିବର୍ତିତ ଦୃଷ୍ଟିକୋଣ ଏବଂ ଆଗାମୀ ଦିନମାନଙ୍କରେ ହେବାକୁ ଥିବା କାଳ୍ପନିକ ଉପଲବ୍ଧି ବିଷୟରେ ସୁନ୍ଦର ଭାବରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛି । ଆକାଶରେ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ରାତିର ଚନ୍ଦ୍ର ଦେଖି ନିଶୀଥର ଗୋଟିଏ ପୁରୁଣା କଥା ମନେ ପଡ଼ିଗଲା । ରାଣୀ ମାଉସୀ ସେମାନଙ୍କୁ ଛାତ ଉପରକୁ ନେଇ ଉଜ୍ଜ୍ଵଳ ଚନ୍ଦ୍ର ଦେଖାଉଥିଲେ ।

ସେମାନେ ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଦେଖି ବହୁତ ଖୁସି ହୋଇ ଯାଉଥିଲେ । ରାଣୀ ମାଉସୀ ସେମାନଙ୍କୁ ଚନ୍ଦ୍ର ବିଷୟରେ ଗୀତ ଶିଖାଉଥିଲେ ଯାହାର ଅର୍ଥ ଥିଲା – ଦୂରରେ ଥ‌ିବା ଜହ୍ନମାମୁଁ ଆଲୁଅର ମିଠାପୁରି ତିଆରି କରି ନିଜେ ଥାଳିରେ ଖାଉଥିଲେ ଓ ଆମକୁ ଗିନାରେ ଖାଇବାକୁ ଦେଉଥଲେ । ସେ ଏହା ମଧ୍ୟ କହୁଥିଲେ ଯେ ମା’ଲକ୍ଷ୍ମୀ ଓ ଜହ୍ନମାମୁଁ ଏକାବେଳକେ ସମୁଦ୍ରରୁ ବାହାରିଥିଲେ । ଆମେ ମଧ୍ୟ ସରଳତା ଯୋଗୁଁ ସେ କଥାକୁ ସତ ବୋଲି ମାନି ନେଉଥଲୁ ।

କିନ୍ତୁ ଏବେ ସମୟ ବଦଳି ଯାଇଛି । ଲୋକେ ଚନ୍ଦ୍ର ପୃଷ୍ଠକୁ ଯିବାରେ ଲାଗିଛନ୍ତି । ନୀଲ୍ ଆର୍ମଷ୍ଟ୍ରଙ୍ଗ ଚନ୍ଦ୍ର ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ପ୍ରଥମେ ପାଦ ପକାଇଥିଲେ । ସେଦିନ ବିଶ୍ବର ସବୁ ଲୋକ ଖୁସି ହୋଇଥିଲେ । ବର୍ତ୍ତମାନ ସୁଦ୍ଧା ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଅନେକ ଥର ଯାତ୍ରା କରାଯାଇ ସାରିଲାଣି । ଭାରତର ଚନ୍ଦ୍ରଯାନ ମଧ୍ଯ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ପହଞ୍ଚି ଅନେକ ଫଟୋଚିତ୍ର ଉତ୍ତୋଳନ କରିଛି । ସେହି ଫଟୋଚିତ୍ରରୁ ଜଣା ପଡ଼ିଲା ଯେ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ଜଳ ଅଛି । ତା’ପରେ ଆମେରିକାର ସଂସ୍ଥା ନାସା ପକ୍ଷରୁ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ବିସ୍ଫୋରଣ କରାଯାଇ ପ୍ରମାଣିତ କରିଦିଆଗଲା ଯେ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ଜଳ ଅଛି । ଏବେ ବିଶ୍ଵବାସୀ ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଯାତ୍ରା କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତି ଚଳାଇଛନ୍ତି |

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं चाँद से बोल रहा हूँ (पत्र)

ନିଶୀଥ କଳ୍ପନା କରିଛି ଯେ ଏପରି ଏକ ସମୟ ଆସିବ, ଯେତେବେଳେ ସେ ଚନ୍ଦ୍ରପୃଷ୍ଠରେ ଅବସ୍ଥାନ କରୁଥୁବ ଓ ପୃଥ‌ିବୀ ପୃଷ୍ଠରେ ରହୁଥ‌ିବା ତା’ ଭଉଣୀ ସହିତ ସେ ଟେଲିଫୋନ୍‌ରେ କଥାବାର୍ତ୍ତା ହେଉଥ‌ିବା ସମୟରେ ପ୍ରଥମେ କହିବ – ମୁଁ ଚନ୍ଦ୍ରରୁ କହୁଛି । ତଥାପି ତା’ ମତରେ ଚିଠିର ମଜା ନିଆରା ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

(क) पक्षी और बादल को कवि ने भगवान के डाकिए क्यों कहा ?
उत्तर:
हम अपने से दूर रहनेवालों की कुशल-मंगल की सूत्रना चिट्ठियों से जानते हैं । डाकिया घर-घर घूमकर चिट्ठियाँ पहुँचाता है । उसी प्रकार भगवान अपनी सृष्टि के कोने -कोने में अपनी चिट्ठियाँ पक्षी और बादल द्वारा पहुँचाते हैं । इसलिए कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहा है ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

(ख) पक्षी और बादल भगवान के लिए क्या-क्या करते हैं?
उत्तर:
भगवान के लिए पक्षी सुगंध की चिट्ठी और बादल भाप की चिट्ठी ले जाते हैं। एक देश की सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर आकर तिरती है । पक्षी उसे दूसरे देश में पहुँचाते हैं । बादल एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है ।

(ग) इस कविता के माध्यम से कवि हमें क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर:
कवि संदेश देना चाहते हैं कि भगवान उपनी सृष्टि के कोने -कोने में खुशहाली चाहते हैं । पक्षी और बादल देश की सीमा पार करके सभी का कल्याण करते हैं । हम देश के दायरे में रहकर, संकीर्ण- विचार रखते हैं । हम उदार होंगे तो विश्च में भाईचारा फैलेगा, शांति आएगी ।

2. निम्नलिखित पदों के अर्थ समझाइए ।

(क) मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेढ़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।
उत्तर:
पक्षी और बादल भगवान की जो चिट्ठियाँ लाते हैं, उनको हम पढ़ नहीं पाते, मगर उनको पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं, समझ पाते हैं । अर्थात् प्रकृति के तत्वों में उदार विचार होने पर वे भगवान के संदेश की जगत- कल्याण – भावना को समझ सकते हैं ।

(ख) और एक देश का भाष
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।
उत्तर:
बादल भगवान का डाकिया है । वह एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में चला जाता है और वहाँ पानी बनकर बरसता है. । वह परोपकार करता है, सभी को जीवन-दान देता है, खुशी बाँटता है । सभी देशों को समान मानता है । वह अपना – पराया भाव नहीं रखता । और सभी का कल्याण कर देता है ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

3. एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए।

(क) भगवान के डाकिए कहाँ से कहाँ तक जाते हैं ?
उत्तर: भगवान के डाकिए एक देश से दूसरे देश तक जाते हैं ।

(ख) हम क्या आँकते हैं ?
उत्तर: हम आँकते है कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।

(ग) सौरभ कहाँ तिरता है ?
उत्तर: सौरभ पक्षियों की पाँखों पर तिरता है ।

(घ) एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर: एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है ।

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए।

(क) पक्षी के अलावा भगवान का डाकिया और कौन है ?
उत्तर: बादल

(ख) पेढ़, पौधे, पानी क्या बाँचते हैं ?
उत्तर: चिट्ठियाँ

(ग) भाप जमीन पर क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर: पानी

5. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए ।

(क) भगवान के डाकिए हैं –
(i) पानी और आग
(ii) पक्षी और बादल
(iii) पक्षी और पानी.
(iv) बादल और हवा
उत्तर:
(ii) पक्षी और बादल

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

(ख) एक देश की धरती दूसरे देश को भेजती है –
(i) पानी
(ii) हवा
(iii) सुगंध
(iv) भाप
उत्तर:
(iii) सुगंध

(ग) भगवान के डाकिए’ क्या लाते हैं?
(i) मिठाई
(ii) चिट्ठी
(iii) पुस्तक
(iv) समाचार पत्र
उत्तर:
(ii) चिट्ठी

(घ) जो दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है, वह एक देश का क्या होता है ?
(i) भाप
(ii) बादल
(iii) बर्फ
(iv) धुआँ
उत्तर:
(i) भाप

भाषाकार्य

उदाहरणों के आधार पर –
1. वचन बदलिए :

  • चिट्ठी – चिट्ठियाँ
  • पक्षी – पक्षी
  • नारी – नारियाँ
  • नदी – नदियाँ
  • लीची – लीचियाँ
  • पक्षी – पक्षी
  • भाई – भाई
  • मुनि – मुनि
  • अतिथि – अतिथी

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

2. खाली जगहों पर उपयुक्त परसर्ग भरिए।

(क) वह दूसरे देश ………… पानी बनकर गिरता है ।
उत्तर: में

(ख) ये भगवान ………… डाकिए है ।
उत्तर: के

(ग) वे एक महादेश ………… दूसरे महादेश को जानते हैं।
उत्तर: से

(घ) ये भगवान ………… डाकिए है ।
उत्तर: के

परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
भगवान के डाकिए कौन हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए पक्षी और बादल हैं ।

प्रश्न 2.
भगवान के डाकिए कहाँ से कहाँ तक जाते हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए एक महादेश से दूसरे महादेश जाते हैं ।

प्रश्न 3.
भगवान के डाकिए क्या लाते हैं ?
उत्तर:
भगवान के डाकिए चिट्ठियाँ लाते हैं।

प्रश्न 4.
पक्षी और बादल द्वार लाई गई चिट्ठियाँ कौन बाँचते हैं?
उत्तर:
पक्षी और बादल द्वार लाई गई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं ।

प्रश्न 5.
हम क्या आँकते हैं ?
उत्तर:
हम आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

प्रश्न 6.
सौरभ किसमें तैरता है ?
उत्तर:
सौरभ हवा में तैरता है।

प्रश्न 7.
सौरभ कहाँ तिरता है ?
उत्तर:
सौरभ पिक्षयों की पाँखों पर तिरता है ।

प्रश्न 8.
एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है?
उत्तर:
एक देश’का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

प्रश्न 9.
‘भगवान के डाकिए’ के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
‘भगवान के डाकिए’ के कवि हैं – रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
भगवान के डाकिए कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
पक्षी और बादल ।

प्रश्न 2.
वे कहाँ जाते हैं ?
उत्तर:
दूसरे महादेश में ।

प्रश्न 3.
वे क्या लाते हैं ?
उत्तर:
वे चिटठियाँ लाते हैं ।

प्रश्न 4.
वे किसकी चिट्ठियाँ लाते हैं ?
उत्तर:
वे भगवान की चिट्ठियाँ लाते हैं।

प्रश्न 5.
हम क्या पढ़ नहीं पाते ?
उत्तर:
भगवान की चिट्ठियाँ ।

प्रश्न 6.
भगवान की चिट्ठियाँ क्नौन पढ़ पाते हैं ?
उत्तर:
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़।

प्रश्न 7.
एक देश की धरती दूसरे देश के क्या भेजती है ?
उत्तर:
सुगंध

प्रश्न 8.
सौरभ कहाँ पर तिरता है ?
उत्तर:
पक्षियों की पाँखों पर।

प्रश्न 9.
एक देश का भाष दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर:
पानी

प्रश्न 10.
दूसरे देश्र में कौन पानी बनकर गिरता है ?
उत्तर:
एक देश का भाप ।

शून्यस्थान की पूर्ति कीजिए :

1. पक्षी और ………… ये भगवान के डाकिए हैं ।
2. जो एक महादेश से दूसरे ………… को जाते हैं।
3. मगर उनकी लाई ………… पेड़, पौधे ………… और पहाड़ बाँचते हैं।
4. एक देश की धरती दूसरे देश को ………… भेजती है।
5. और वह ………… हवा में तैरते हुए पंक्षियों की पाँखों पर
………… है।
6. एक देश का भाप दूसरे देश में ………… बनकर गिरता है।
उत्तर:
1. बादल
2. मंहादेश
3. चिट्ठियाँ, पानी
4. सुगंध.
5. सौरभ, तिरता
6. पानी

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शून्यस्थान पर सही परसर्ग भरिए :

1. ये भगवान ………… डाकिए हैं। (का, के, की)
2. ये एक महादेश ………… दूसरे देश को जाते हैं। (न, पर, से)
3. एक देश ………… धरती सुमंध भेजती है। (का, के, की)
4. वह सौरभ हवा ………… तैरती है। (स, को, में)
5. सौरभ पंक्षियों ………… पाँखों पर तिरता है। (का, के, की)
6. भाप दूसरे देश ………… पानी बनकर गिरता है। (में, पर, केलिए)
उत्तर:
1. के
2. से
3. की
4. में
5. की
6. में

सही उत्तर चूनिए :

प्रश्न 1.
भगवान ने पक्षी को क्या काम दिया है ?
(A) सलाह देने का
(B) चिट्ठी ले जाने का
(C) आसमान में उड़ने का
(D) घोंसला बनाने का
उत्तर:
(B) चिट्ठी ले जाने का

प्रश्न 2.
पक्षी और बादल कहाँ जाते हैं ?
(A) आसमान में बहुत दूर
(B) एक देश से पड़ोसी देश में
(C) भगवान उन्हें जहाँ भेजते हैं
(D) एक महादेश से दूसरे महादेश तक
उत्तर:
(D) एक महादेश से दूसरे महादेश तक

प्रश्न 3.
हम भगवान की चिट्ठीयों को क्यों समझ नहीं पाते ?
(A) हम उन्हें पढ़ नहीं पाते
(B) हम चिट्ठी देख नहीं पाते
(C) उनकी भाषा कठिन है
(D) हम कोशिश नहीं करते
उत्तर:
(A) हम उन्हें पढ़ नहीं पाते

प्रश्न 4.
भगवान की चिट्ठियाँ कौन पढ़ पाते हैं ?
(A) पेड़-पौधे
(B) जंगल-झरने
(C) पशु-पक्षी
(D) बादल-पक्षी
उत्तर:
(A) पेड़-पौधे

प्रश्न 5.
एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंघ भेजती है, इसकी कल्पना कौन करता है ?
(A) बादल
(B) पशु-पक्षी
(C) पेड़-पौधे
(D) मनुष्य
उत्तर:
(D) मनुष्य

प्रश्न 6.
एक देश-की धरती का सौरभ कहाँ तैरता है ?
(A) पक्षियों में
(B) हवा में
(C) बादल में
(D) पानी में
उत्तर:
(B) हवा में

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प्रश्न 7.
सौरभ हवा में तैरता हुआ कहाँ पहुँचता है ?
(A) पक्षियों की पाँखों पर
(B) बादलों की गोद में
(C) पानी के स्रोत में
(D) पहाड़ की चोटी पर
उत्तर:
(A) पक्षियों की पाँखों पर

प्रश्न 8.
एक देश की धरती की सुगंध किसका प्रतीक है ?
(A) सद्भावना और खुशहाली
(B) वीरत्व का
(C) सहनशीलता का
(D) शरणागति का
उत्तर:
(A) सद्भावना और खुशहाली

प्रश्न 9.
पक्षियों की पाँख पर क्या तिरता है ?
(A) सौभाग्य
(B) सौरभ
(C) चिट्ठियाँ
(D) भाप
उत्तर:
(B) सौरभ

प्रश्न 10.
दूसरे देश में पानी बनकर क्या गिरता है ?
(A) एक देश की बर्फ
(B) एक देश की सुगंध
(C) एक देश की ओस
(D) एक देश का भाप
उत्तर:
(D) एक देश का भाप

प्रश्न 11.
देश-देश के बीच बनी सीमा किसे रोक नहीं पाती?
(A) बादल को
(B) पहाड़ को
(C) चिट्ठियों को
(D) भाईचारे को
उत्तर:
(A) बादल को

प्रश्न 12.
पक्षी के अलावा भगवान का डाकिया और कौन है ?
(A) पशु
(B) पहाड़
(C) पानी
(D) बादल
उत्तर:
(D) बादल

प्रश्न 13.
पेढ़, पौधे, पानी और पहाड़ क्या बाँचते हैं ?
(A) हमारी चिट्ठियाँ
(B) भगवान की चिट्ठियाँ
(C) धरती की सुगंध
(D) भगवान की लिखित भाषा
उत्तर:
(B) भगवान की चिट्ठियाँ

प्रश्न 14.
भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरकर क्या करता है?
(A) अपने देश की रक्षा
(B) बाढ़ से नुकसान
(C) बदला लेता है
(D) उनकी मदद
उत्तर:
(D) उनकी मदद

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प्रश्न 15.
देश-देश के बीच सीमा किसने बाँध दी ?
(A) हमलोगों ने
(B) भगवान ने
(C) पक्षी और बादल ने
(D) पेड़-पौधों ने
उत्तर:
(A) हमलोगों ने

प्रश्न 16.
भगवान नेक डाकिए हमें क्यां मनोभाव रखने को सिखाते हैं ?
(A) दूसरे माँगें ता हम दें
(B) देश अलग हैं तो हम अलग हैं
(C) अपने देश को सुखी देखें
(D) सारा विश्व एक है
उत्तर:
(D) सारा विश्व एक है

प्रश्न 17.
दूसरे देश को सुगंध भेजने का अर्थ क्या है ?
(A) संदेश भेजना
(B) अपना हाल बताना
(C) स्नेह, सौहार्द भेजना
(D) दूसरे का हाल पूछना
उत्तर:
(C) स्नेह, सौहार्द भेजना

प्रश्न 18.
भगवान के डाकिए हैं –
(A) बादल और सुगंध
(B) पक्षी और पानी
(C) देश और महादेश
(D) पक्षी और बादल
उत्तर:
(D) पक्षी और बादल

प्रश्न 19.
‘डाकिया’ का अर्थ है :
(A) डाक लाने वाला
(B) बुलाने वाला
(C) चिट्ठी भेजनेवाला
(D) जल्दी जाने वाला
उत्तर:
(A) डाक लाने वाला

प्रश्न 20.
एक देश से क्या दूसरे देश में जाता है ?
(A) पाँख
(B) भाप
(C) चिट्ठी
(D) ताप
उत्तर:
(B) भाप

प्रश्न 21.
एक देश की धरती दूसरे देश को क्या भेजती है ?
(A) सुगंध
(B) पानी
(C) सौगंध
(D) बादल
उत्तर:
(A) सुगंध

प्रश्न 22.
सौरभ कहाँ तिरता है ?
(A) पाँखों पर
(B) आसमान में
(C) बादल में
(D) हवा में
उत्तर:
(A) पाँखों पर

प्रश्न 23.
‘भगवान के डाकिए’ कविता के कवि कौन है ?
(A) सुभद्रा कुमारी चौहान
(B) मैथिली शरण गुप्त
(C) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(D) सोहनलाल द्विवेदी
उत्तर:
(C) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

‘क’ स्तम्भ के पवों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के पवों का मिलान 

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पक्षी और बादल पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं
2. मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पक्षियों की पाँखों पर तिरता है
3. एक देश की धरती दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है
4. वह सौरभ हवा में तैरते हुए ये भगवान के डाकिए हैं
5. एक देश का भाप दूसरे देश को सुगंध भेजती है

उत्तर:

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पक्षी और बादल ये भगवान के डाकिए हैं
2. मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं
3. एक देश की धरती दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है
4. वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है
5. एक देश का भाप दूसरे देश को सुगंध भेजती है


शब्दों/वो-तीन वाक्यों में उत्तर वीक्षिए :

प्रश्न 1.
कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के ज्ञाकिए क्यों कहा ?
उत्तर:
पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे भगवान की चिट्ठियाँ लेकर एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं । हम मनुष्य चिट्ठियों का संदेश समझ नहीं पाते, पर म्रकृति के तत्व – पेड़ – पौधे, पानी और पहाड़ इन्हें पढ़ पाते हैं समझ पाते हैं, क्योंकि वे परोपकारी हैं ।

प्रश्न 2.
पक्षी और बादल भगवान के लिए क्या क्या काम करते हैं ?
उत्तर:
पक्षी एक देश की धरती की सुगंध अपनी पाँखों पर लेकर दूसरे देश में पहुँचा देता है । यह सुगंध सद्भावनाएँ हैं, कुशल – मंगल की सूचना हैं । बादल एक देश के भाप को लेकर दूसरे देश में जाता है और पानी बनकर बरसता है । वह परोपकार की भावना से दूसरे देश को जीवन दान देता है|

प्रश्न 3.
हम पक्षी से क्या सीख लेंगे ?
उत्तर:
पक्षी एक देश की सुगंध दूसरे देश में बाँटता है । यह सुगंध भाईचारा है, प्यार है, सहानुभूति है, कुशल समाचार है । वह देश की सीमा रेखा की परवाह नहीं करता, या देशों को अपना पराया नहीं मानता ।

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प्रश्न 4.
बादल हमें क्या सीख देता है ?
उत्तर:
बादल एक देश का भाप लेकर दूसरे देश में पानी के रूप में बरसता है। वह परोपकारी है, दूसरों की आवश्यकता पूरी करता हैं ।हम ऐसे कार्य करने के लिए पक्षी और बादल से सीख लेंगे 1

पंक्तियों के अर्थ एक-वो वाक्यों में समझाइए:

प्रश्न 1.
पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं ।
उत्तर:
कवि मानते हैं कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे भगवान से समाचार लेकर एक महादेश से दूसरे महादेश में जाते हैं।

प्रश्न 2.
हम तो समझ नहीं पाते हैं –
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।
उत्तर:
भगवान के डाकिए फक्षी आर बादल भगवान से जो चिट्ठियाँ लाते हैं उसको हम जैसे स्वार्थी और देश की सीमा के बंधन में पड़े लोग समझ नहीं पाते। लेकिन उन चिट्ठियों में जो विश्वबंधुत्व और प्रेम का समाचार है, उसे पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ आदि प्रकृति के तत्व समझ पाते हैं ।

प्रश्न 3.
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।
उत्तर:
हम केवल अनुमान लगाते हैं कि एक देश की मिट्टी दूसरे को शांति प्रेम और भाईचारे की सुगंध भेजती है ।

प्रश्न 4.
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है ।
उत्तर:
एक देश की मिट्टी के द्वारादूसरे देश में भेजा गया सुख-शांति, प्रेम-सौहार्द का सौरभ पहले हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँख पर पहुँचकर वहीं तिरता है, फिर पक्षी उसे दूसरे देश में पहुँचा देते हैं ।

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प्रश्न 5. और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।
उत्तर:
एक देश का भाप जब ऊपर उठकर बादल बन जाता है, तब वह अपने देश की सीमा के संकीर्ण भाव से ग्रेंस्त न होकर उदार बन जाता है और दूसरे देश में जाकर पानी बनकर बरसता है। वह अपना-पराया भेद-भाव छोड़कर सभी का कल्याण करता है।

कवि परिचय

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म ३० सितम्बर १९०८ ई. को बिहार के सिमरिया ग्राम में हुआ था । आपने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की । आप भागलपुर विश्चविद्यालय में उपकुलपति रहे, राज्यसभा के मनोनित सदस्य रहे, पद्मभूषण उपाधि से अंलकृत हुए। उनको अर्वशी पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलाथा । २४ अप्रैल १९७४ को आपका देहावसान हो गया ।

  • आपकी रचनाएँ – काव्यग्रंथ – रेणुका, हुँकार, रसवंती, कुरक्षेत्र, उर्वशी, बापू, रशिमरथी
  • गद्यग्रंथ – संस्कृति के चार अध्याय, शुद्ध कविता की खोज

कविता का भावबोध

कवि रामधारी सिंह दिनकर पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हैं । भगवान की सृष्टि में पक्षी और बादल कहीं भी पहुँच सकते हैं । वे लोगों को कुशल-मंगल की सूचना देते हैं । देश या महादेश का बंधन उनके लिए अर्थहीन है । पक्षी एक महादेश से दूसरे महादेश में जो संदेश पहुँचाते हैं, उसे सृष्टि के तत्त्व पढ़ पाते हैं, पर मनुष्य पढ़ नहीं पाता । मनुष्य केवल अंदाजा लगाता है कि एक देश का सौरभ पक्षी के माध्यम से दूसरे देश में पहुँचता है और एक देश का भाप दूसरे देश में बादल बनकर बरसता है ।

शब्दार्थ:

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) 3

सप्रसंग व्याख्या

पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्रियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

प्रसंग
यहाँ कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ प्रकृति के तत्त्वों के माध्यम से मनुष्य के मन में विभवंधुत्व का भाव जगाना चाहते हैं ।

व्याख्या
कवि पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानते हैं। वे एक महादेश से कुशल-मंगल, सुख-दुःख, हर्ष-विषाद के समाचार लेकर, दूसरे महादेश में पहुँचा देते हैं। वे देश महादेश का बंधन और सीमा नहीं मानते । वे विधबंधुत्व के संदेश का प्रचार करते हैं । हम स्वार्थ और संकीर्णता से मुक्त नहीं हो पाते । इसलिए उनके संदेश को समझ नहीं पाते ।

पक्षियों की लाई गई चिट्ठियों के संदेश को सृष्टि के तत्त्व-पेड़-पौधे, पानी-पहाड़ सभी पढ़ पाते हैं समझ पाते हैं । सृष्टि को एक न मानकर देश-महादेशों में बाँटने वाले हम अपने दृष्टिकोण को उदार नहीं बना पाते । परिणाम-स्वरूप विशबंधुत्व उत्पन्न नहीं हो पाता ।

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है ।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता हैं ।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है ।

प्रसंग

कवि प्रतिपादित करना चाहते हैं कि प्रकृति के तत्त्वों में अपना – पराया भाव नहीं है । लेकिन हम उनसे प्रेरणा न लेकर स्वार्थी और अहंकारी बन गए हैं ।

व्याख्या

हम अंदाजा लगाते हैं कि एक देश की जमीन दूसरे देश को सुगंध भेजती है । यह सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर आ पहुँचती है और वहीं तिरती है । फिर वही सुगंध पक्षी दूसरे महादेश में पहुँचा देते हैं ।अर्थात् एक देश की जमीन दूसरे देश को सुख-शांति और प्रेम-मैत्री का संदेश पक्षी के द्वारा भेजती है । लेकिन हम अपने को देश के दायरे से मुक्त नहीं कर पाते, स्वार्थ और अहंकार से मुक्त नहीं हो पाते, मित्रता, उदारता और सहानुभूति का हाथ बढ़ा नहीं पाते ।

एक देश का भाप संकीर्ण भावना से ग्रस्त होकर अपने को उसी देश की सीमा में नहीं बाँधता । वह उदार होकर दूसरे देश में बादल हो कर बरसता है। जीवन-दान देता है। बादल उसे पराया देश नहीं मानता । सभी का कल्याण करना उसका धर्म है । हम में वही चेतना उत्पन्न होनी चाहिए ।

सारांश

कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने ‘भगवान के डाकिए’ कविता में पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए मानकर सिद्ध कर दिया कि भगवान की सुंदर सुष्टि में उनके लिए कोई पराया नहीं है । सब उनके प्रिय हैं । वे सभी का कुशल-मंगल चाहते हैं । वे यही संदेश अपने डाकियों – पक्षी और बादल के माध्यम से सृष्टि की हर जगह पहुँचा देना चाहते हैं ।

भगवान का एक डाकिया पक्षी एक महादेश से दूसरे देश में चिट्ठियाँ ले जाता है । उन चिट्ठियों में जो संदेश होता है उसे हम समझ नहीं पाते । लेकिन भगवान की सूष्टि के दूसरे तत्त्व पेड़पौधे, पानी-पहाड़ आदि उसे पढ़ पाते हैं और समझ जाते हैं ।

अर्थात् स्टिष्टि के ये तत्व खुद उदार, नि:स्वार्थपर, परोपकारी, सुख-शांति प्रदायक, कल्याणकारक और परदु :खकातर होने से भगवान की चिट्ठियों को पढ़ पाते हैं और समझ पाते हैं ।

लेकिन हम अनुदार, स्वार्थाध, वैरभावयुक्त, अहंकारी, अमंगलकारी, विवेकहीन और दूसरों की सुख-शांति छीननेवाले हैं । इसलिए हम भगवान के संदेश को समझ नहीं पाते ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

हम केवल अनुमान लगाते हैं कि एक देश की जमीन दूसरे देश को पक्षी के द्वारा खुशहाली की सुगंध भेजती है । यह सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षी की पाँखों पर आकर ठहर जाती है । पक्षी उसे दूसरे देश की जमीन पर पहुँचा देता है ।

लेकिन हम देश के नाम पर जमीन अपनी – पराई के रूप में बाँट द्रेते हैं, आपस में झगड़ते हैं और एक दूसरे का दुश्मन बन जाते हैं।

बादल भी भगवान का डाकिया है । वेह अपना पराया भाव मन से दूर करके, सभी को अपना मानता है । वह एक देश का भाप लेकर बादल बनता है । वह उसी देश में अपने को बाँधकर नहीं रखता । वह बादल दूसरे देश में पहुँच जाता है और वहीं पानी बनकर बरसता है। पराया देश मानकर उसे पानी न देने का विचार उसके मन में नहीं आता । वह समभाव रखता है । सभी का कल्याण चाहता है ।

लेकिन हम देश की सीमा से अपेने को मुक्त नहीं कर पाते; दूसरे का कल्याण करने की उदारता मन में नहीं ला पाते; भगवान के संदेश को समझ नहीं पाते । यदि हम पक्षी द्वारा लाई गई सुगंध की चिट्ठी और बादल द्वारा लाई गई भाप की चिट्ठी में लिखे भगवान के संदेश को समझ सकेंगे, तब समग्र सृष्टि में खुशहाली छा जाएगी ।

ସାରାଂଶ

କବି ରାମଧାରୀ ସିଂହ ‘ଦିନକର’ ‘ଭଗବାନ କେ ଡାକିଏ’ କବିତାର ପକ୍ଷୀ ଓ ବାଦଲକୁ ଭଗବାନଙ୍କ ଡାକ ପିଅନ (ବାଭାଁ ବାହାକ) ଭାବେ ଗ୍ରହଣ କରି ପ୍ରତିପାଦିତ କରିଛନ୍ତି ଯେ ଭଗବାନଙ୍କର ସୁନ୍ଦର ସୃଷ୍ଟିରେ ତାଙ୍କ ପାଇଁ କେହି ପର ନୁହନ୍ତି । ଏହି ସନ୍ଦେଶ ସେ ତାଙ୍କ ଡାକ ପିଅନ (ବାର୍ତ୍ତାବାହକ) ପକ୍ଷୀ ଓ ମେଘ ମାଧ୍ୟମରେ ସୃଷ୍ଟିର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ପହଞ୍ଚାଇବାକୁ ଚାହିଁଛନ୍ତି ।

ଭଗବାନଙ୍କର ଜଣେ ବାର୍ତ୍ତାବାହକ ପକ୍ଷୀ ଗୋଟିଏ ମହାଦେଶରୁ ଆଉ ଗୋଟିଏ ମହାଦେଶକୁ ଚିଠି ନେଇଯାଏ । ସେ ଚିଠିଗୁଡ଼ିକରେ ଯେଉଁ ବାଆଁ ଥାଏ, ତାକୁ ଆମେ ବୁଝିପାରୁ ନାହୁଁ । କିନ୍ତୁ ଭଗବାନଙ୍କ ସୃଷ୍ଟିର ଅନ୍ୟ ତତ୍ତ୍ଵଗୁଡ଼ିକ (ଗଛ, ଲତା, ଜଳ, ପାହାଡ଼) ଆଦି ସେ ବାଆଁ ପଢ଼ି ପାରନ୍ତି, ବୁଝିପାରନ୍ତି ।

ଅର୍ଥାତ୍ ସୃଷ୍ଟିର ଏହି ତତ୍ତ୍ଵଗୁଡ଼ିକ ନିଜେ ଉଦାର, ନିଃସ୍ୱାର୍ଥପର, ପରୋପକାରୀ, ସୁଖ-ଶାନ୍ତି ପ୍ରଦାୟକ, କଲ୍ୟାଣକାରକ ଓ ‘ପରଦୁଃଖ କାତର ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ସେମାନେ ଭଗବାନଙ୍କର ଚିଠିଗୁଡ଼ିକ ପଢ଼ି ପାରନ୍ତି ଓ ବୁଝି ପାରନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ଆମେ ଅନୁଦାର, ସ୍ଵାର୍ଥପର, ବୈର ଭାବାପନ୍ନ, ଅହଂକାରୀ, ପ୍‌ରର ଅମଙ୍ଗଳକାରୀ, ବିବେକହୀନ ଓ ଅନ୍ୟର ସୁଖ . ଶାନ୍ତି ଅପହାରକ ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ଭଗବାନଙ୍କର ଚିଠିଗୁଡ଼ିକର ବାଆଁ ଆମେ ବୁଝିବାକୁ ସମର୍ଥ ନୋହୁଁ ।

ଆମେ କେବଳ ଅନୁମାନ କରୁ ଯେ ଗୋଟିଏ ଦେଶର ଭୂମି ଅନ୍ୟ ଦେଶକୁ ଏହି ପକ୍ଷୀ ମାଧ୍ୟମରେ ସୁଖ-ଶାନ୍ତର ମୁଗନ୍ଧ ପ୍ରେରଣ କରୁଛି । ଏହି ସୁଗନ୍ଧ ପବନରେ ଭାସି ଭାସି ଆସି ପକ୍ଷୀର ପର ଉପରେ ଭାସମାନ ଅବସ୍ଥାରେ ଅଟକି ଯାଏ । ପକ୍ଷୀ ତାକୁ ଅନ୍ୟ ଦେଶର ଭୂମି ଉପରେ ପହଞ୍ଚାଇଦିଏ ।

କିନ୍ତୁ ଆମେ ଦେଶ ନାଁରେ ଭୂମିକୁ ନିଜ-ପର ଭାବରେ ବାଣ୍ଟି ଦେଉ । ନିଜ ନିଜ ଭିତରେ ଝଗଡ଼ା କରୁ । ପରସ୍ପରର ଶତ୍ରୁ ହୋଇଯାଉ । ମେଘ ମଧ୍ଯ ଭଗବାନଙ୍କର ଗୋଟିଏ ବାଆଁବାହକ । ସେ ମନରୁ ନିଜ ପର ଭାବ ଦୂର କରି ସମସ୍ତଙ୍କୁ ନିଜର ବୋଲି ମନେକରେ । ସେ ଗୋଟିଏ ଦେଶର ଜଳୀୟବାଷ୍ପ ନେଇ ମେଘ ହୋଇଯାଏ ଓ ସେ ନିଜକୁ କେବଳ ସେହି ଦେଶ ମଧ୍ୟରେ ବାନ୍ଧି ରଖେ ନାହିଁ । ସେ ମେଘ ରୂପରେ ଅନ୍ୟ ଦେଶକୁ ଭାସିଯାଏ ଓ ସେଠାରେ ଜଳ ରୂପରେ ବର୍ଷା କରିଦିଏ । ସେ ପର ଦେଶ ଭାବି ତାକୁ ଜଳଦାନ ନ କରିବା

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 8 भगवान के डाकिए (कविता)

ବିଚାର ମନରେ ଆଣେ ନାହିଁ । ସେ ସମ ଭାବ ପୋଷଣ କରେ । ସମସ୍ତଙ୍କର ମଙ୍ଗଳକାମନା କରେ । ଆମେ କିନ୍ତୁ ଦେଶର ସୀମା ମଧ୍ଯରୁ ମୁକ୍ତ ହୋଇପାରୁ ନାହୁଁ । ଅନ୍ୟର ମଙ୍ଗଳକାମନା କରିବା ଉଦାର ବିଚାର ଆମ ମନକୁ ଆସେ ନାହିଁ । ଆମେ ଭଗବାନଙ୍କ ବାର୍ତ୍ତା ବୁଝିବାକୁ ଅସମର୍ଥ । ଆମେ ଯଦି ପକ୍ଷୀ ଆଣୁଥୁବା ସୁଗନ୍ଧର ଚିଠି ଓ ମେଘ ଆଣୁଥୁବା ଜଳୀୟ ବାଷ୍ପର ଚିଠିରେ ଲେଖାଥିବା ଭଗବାନଙ୍କ ବାଆଁ ବୁଝି ପାରନ୍ତୁ, ତେବେ ସମଗ୍ର ସୃଷ୍ଟିରେ ସୁଖ-ଶାନ୍ତ ବିରାଜମାନ ହୁଅନ୍ତା ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

1. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

(क) पर्वत और सागर क्या-क्या कहते हैं ?
उत्तर:
पर्वत शीश उठाकर निर्भय से खड़े रहकर हमसे कहता है कि तुम भी ऊँचे बन जाओ ।अर्थात् यदि हम सिर ऊँचा रखेंगे, निर्भय से खड़े रहेंगे तो हम समाज में प्रतिष्ठित हो जाएँगे । सागर लहराकर हमसे कहता है कि तुम मन में गहराई लाओं । अर्थात् मन को उदार और विशाल कर दो ।

(ख) पृथ्वी और नभ का क्या कहना है ?
उत्तर:
पृथ्वी कहती है कि तुम्हारे सिर पर बहुत भार हो, पर तुम धैर्य ऩ छोड़ो । अर्थात् सिर पर अधिक उत्तरदायित्व आने पर भी न घबराकर हमें धैये रखना चाहिए। नभ कहता है कि तुम फैलकर सारा संसार ढक लो ।अर्थात् हमें हृदय को विस्तारित करके समग्र विश्च को प्रेम से वशीभूत कर लेना चाहिए ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

(ग) तरंग का संदेश क्या है ?
उत्तर:
तरंग हवा के हिंडोले में ऊपर -नीचे होकर हमें संदेश देती है कि हम अपने मन में अच्छे और सुखदायक मनोवेगों को भर लें । मन की भावनाएँ अच्छी और ऊँची होने पर हमारे कार्य भी अच्छे और ऊँचे होंगे । इन अच्छे कार्यों से हम महान बन जाएँगे ।

(घ) नभ क्या कहता है ?
उत्तर:
फैलकर सारे संसार को ढकने के लिए नभ कहता है।

(ङ) धैर्य न छोड़ने के लिए कौन कहती है ?
उत्तर:
धैर्य न छोड़ने के लिए पृथ्वी कहती है।

2. इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :

(क) पर्वत की ऊँचाई से हम क्या सीखें ?
उत्तर:
पर्वत की ऊँचाई से हम ऊँचा बनना सीखें ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

(ख) मन में गहराई लाने का क्या मतलब है ?
उत्तर:
मन में गहराई लाने का मतलब है – मन में उदारता की भावना लाना ।

(ग) हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें धैर्य न छोड़ना चाहिए।

(घ) नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम क्या सीखें ?
उत्तर:
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम सीखें कि हम फैलकर सारे संसार को ढक लें । अर्थात् हम प्रेम की भावना फैलाकर विश्चवासियों को अपना बना लें ।

(ङ) मीठी-मीठी मृदुल उमंग का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है – हम मन में अच्छे, सुखद तथा कोमल मनोभाव्रों को भर लें ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

3. (क) पंक्तियों को पूरा कीजिए ।
(i) पर्वत कहता ………… उठाकर ।
(ii) तुम भी ………… बन जाओ ।
(iii) नभ कहता है ………… इतना।
(iv) भर लो, भर लो ………… मन में ।
उत्तर:
(i) पर्वत कहता शीश उठाकर ।
(ii) तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
(iii) फैलो
(iv) अपने

4. इन पंक्तियों के अर्थ समझाइए ।

(i) नभ कहता है फैलो इतना बक लो तुम सारा संसार ।
उत्तर:
आकाश कहता है कि तुम इतना फैलो कि सारा संसार ढक जाए । अर्थात् हम अपने हृदय को प्रेम से इतना विशाल और विस्तारित कर दें कि सारे विश्चवासियों को अपना बना लें ।

(ii) भर लो, भर लो, अपने मन में मीठी – मीठी मृदुल उमंग ।
उत्तर:
हम अपने मेन में अच्छी, सुखप्रदायक कोमल भावनाएँ भर लें । इससे हमारे कार्य अच्छे होंगे, हमारे विचार ऊँचे होंगे । हम महान बन जाएँगे ।

5. ‘क’ स्तम्भ के शब्दों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के शब्दों को जोड़िए ।
BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) 1

भाषाकार्य

1. पर्यायवाची शब्द लिखिए :
पर्वत, मृदुल, सागर, नभ, पृथ्वी, संसार, सिर
उत्तर:

  • पर्वत- नभ
  • मृदुल- कोमल
  • सागर- समुद्र
  • नभ- आकाश
  • पृथ्वी – धरित्री
  • संसार – जगत
  • सिर – मस्तक

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

2. विपरीतार्थक शब्द लिखिए :
उठाना, धैर्य, मृदुल, ढकना, गहरा, समझ
उत्तर:

  • उठाना – गिराना
  • धैर्य – अधैर्य
  • मृदुल — कठोर
  • ढकना – खोलना
  • गहरा – उथला
  • समझ – नासमझी

3. इन शब्दों को लगाकर वाक्य बनाइए :
लहर, सारा, भार, तरंग, उमंग
उत्तर:

  • लहर – एक लहर तट की ओर आई ।
  • सारा – सारा संसार सुखी बनेगा ।
  • भार – सिर पर भार संभालो ।
  • तरंग – समुद्र में तरंगें उठती हैं ।
  • उमंग – मन में नई उमंग है ।

परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
पर्वत क्या कहता है ?
उत्तर:
पर्वत कहता है कि तुम भी ऊँचे बन जाओ, अर्थात् महान बन जाओ।

प्रश्न 2.
शीश उठाकर कौन कहता है ?
उत्तर:
शीश उठाकर पर्वत कहता है ।

प्रश्न 3.
पर्वत की ऊँचाई से हम क्या सीखेंगे ?
उत्तर:
पर्वत की ऊँचाई से हम महान बनना सीखेंगे ।

प्रश्न 4.
शीश उठाने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
शीश उठाने का अर्थ है – साहसपूर्वक अविचालित खड़े रहना।

प्रश्न 5.
सागर लहराकर क्या कहता है ?
उत्तर:
सागर लहराकर कहता है कि हम मन में गहराई लाएँ।

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प्रश्न 6.
मन में गहराई लाने का क्या मतलब है ?
उत्तर:
मन में गहराई लाने का मतलब है – संकीर्ण भावना को छोड़कर मन में विशालता और उदारता की भावना लाना।

प्रश्न 7.
लहराने में कौन-सा भाव निहित है ?
उत्तर:
लहराने में खुशी का भाव ऩिहित है । हम उदार होंगे तो हमारे मन में खुशियों की लहरें उमडेंगी।

प्रश्न 8.
हमार सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
हमार सिर पर बोझ बढ़े तो हमें धैर्य न छोड़ना चाहिए और काम में लगे रहना चाहिए ।

प्रश्न 9.
पृथ्वी हमसे क्या कहती है ?
उत्तर:
पृथ्वी हमसे कहती है कि सिर पर कितना ही भार क्यों न हो, कभी भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए।

प्रश्न 10.
आकाश हमें क्या सीख देता है ?
उत्तर:
आकाश हमें सीख देता है कि हम इतना फैलें कि सारा संसार ढक लें।

प्रश्न 11.
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम क्या सीखें ?
उत्तर:
नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम सीखें कि हम भी अपने हृदय को विशाल बना दें ।

प्रश्न 12.
संसार को ढक लेने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
संसार को ढक लेने का अर्थ है – अपने विशाल हुदय के प्रेम और उदारता से समग्र संसार में भाईचारे की प्रतिष्ठा करना।

प्रश्न 13.
हमारे लिए तरंग का संदेश क्या है ?
उत्तर:
हमारे लिए तरंग का संदेश यह है कि हम अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंगें भर लें ।

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प्रश्न 14.
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर:
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है – मन में कोमल भावनाएँ भरना। स्नेह, प्रेम, सद्भावना और भ्रातृत्व आदि भावों से हम सबको अपना बना लेंगे।

प्रश्न 15.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि हैं – सोहनलाल द्विवेदी ।

एक या वो शब्द में उत्तर वीजिए :

1. शीश उठाकर हमें कौन प्रेरणा दे रहा है ?
उत्तर: पर्वत

2. पर्वत हमें क्या बन जाने की प्रेरणा देता है ?
उत्तर: ऊँचे

3. सागर लहराकर हमसे क्या लाने को कहता है ?
उत्तर: मन में गहराई

4. पृथ्वी हमसे क्या न छोड़ने को कहता है ?
उत्तर: धैर्य

5. नभ क्या ठक लेने को कहता है ?
उत्तर: सारा संसार

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6. संसार को ढकने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: फैलना चाहिए

7. तरंग मन में क्या भरने को कहता है ?
उत्तर: मृदुल उमंग

8. हमें मृदुल-उमंग कहाँ भरना चाहिए ?
उत्तर: मन में

9. कौन कहता है कि सिर पर भार होने पर भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए ?
उत्तर: पृथ्वी

10. मन में गहराई लाने को कौन कहता है ?
उत्तर: सागर

11. ‘प्रकृति का संदेश’ के कवि कौन हैं ?
उत्तर: सोहन लाल त्रिवेदी

पंक्तियों के अर्थ एक-दो वाक्यों में समझाइए:

प्रश्न 1.
पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
उत्तर:
पर्वत शीश उठाकर हमसे कहता है कि हम भी साहसपूर्वक अडिंग रहें, और विपदाओं से लड़ें और महान बन जाएँ।

प्रश्न 2.
सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ ।
उत्तर:
सागर लहराकर कहता है कि हम मन में गह्नराई लाएँ, अर्थात् मन को उदार और विशाल कर दें ।

प्रश्न 3.
पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो, कितना ही हो सिर पर भार।
उत्तर:
पृथ्वी हमसे कहती है कि हमोर सिर पर कितना ही भार क्यों न हो, हम धैर्य न छोड़े, अर्थात् हम धैर्य न छोड़कर काम करते रहें ।

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प्रश्न 4.
नभ कहता है फैलो इतना उक लो तुम सारा संसार।
उत्तर:
आकाश हमसे कहता है कि हम संकीर्षता को छोड़कर अपने ह्दय को विशाल और उदार बना दें। प्रेम के द्वारा सारे संसार को अपना बना लेंगे ।

प्रश्न 5.
तरंग के उठने-गिरने और तरल होने का तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
तरंग के उठने-गिरने और तरल होने का तात्पर्य है कि तरंग खुशी से नाचती है और चंचल रहती है ।

प्रश्न 6.
भर लो, भर लो अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
उत्तर:
तरंग हमसे कहती है कि हम मन में मीठी और कोमल मनोभावों को भर लें ।

शून्यस्थान की पूर्ति कीजिए :

1. पर्वत कहता ………… उठाकर, तुम भी ………… बनजाओ।
2. ………… कहता लंहराकर मन में ………… लाओ ।
3. ………… कहती धैर्य न छोड़ो।
4. नभ कहता है ………… इतना, ढक लो तुम सारा ………… |
5. समझ रहे हो क्या कहती है, उठ-उड, गिर-गिर तरल ………… |
6. भर लो, भर लो, अपने ………… में, मीठी-मीठी ………… उमंग।
उत्तर:
1. शीश, ऊँचे
2. सागर, गहराई
3. पृथ्वी
4. फैलो, संसार
5. तरंग
6. मन, मृदुल

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

उपयुक्त शब्द ले कर खाली जगह भरिए :

1. तुम मन ………… गहराई लाओ। (पर, में, से)
2. सिर ………… भार हो, लेकिन धैर्य न छोड़ो।(में, पर, से)
3. अपने मन ………… अंमग भर लो। (से, ने, में)
उत्तर:
1. में
2. पर
3. में

मे सही उत्तर चूनिए :

प्रश्न 1.
पर्वत हमसे कैसे कहता है ?
(A) लहराकर
(B) सीना तानकर
(C) शीश उठाकर
(D) चिल्ला-विल्लाकर
उत्तर:
(C) शीश उठाकर

प्रश्न 2.
ऊँचे बनने का अर्थ क्या है ?
(A) लम्बा हो जाना
(B) महान बनना
(C) बड़ा जो जाना
(D) अटल बनना
उत्तर:
(B) महान बनना

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प्रश्न 3.
हम कहाँ गहराई लाएँ ?
(A) मन में
(B) तन में
(C) समुद्र में
(D) लहर में
उत्तर:
(A) मन में

प्रश्न 4.
मन में गहराई लाने का अर्थ क्या है ?
(A) मन को गंभीर बनाना
(B) मन में संकीर्ण भावना रखना
(C) मन में उदारता और विशालता लाना
(D) मन को निर्मल बनाना
उत्तर:
(C) मन में उदारता और विशालता लाना

प्रश्न 5.
सागर में कौन-सा गुण पाया जाता है ?
(A) उच्च आकांक्षा
(B) मधुरता
(C) ऊँची कल्पना
(D) उदारता और महानता
उत्तर:
(D) उदारता और महानता

प्रश्न 6.
पृथ्वी क्या सीख देती है ?
(A) धैर्य रखने की
(B) विशाल होने की
(C) कष्ट सहने की
(D) हरा-भरा ह्रेने की
उत्तर:
(A) धैर्य रखने की

प्रश्न 7.
सिर पर भार होने का मतलब क्या है ?
(A) बोझ रहना
(B) काम का दायित्व रहना
(C) सिर में दर्द होना
(D) सिर झुक जाना
उत्तर:
(B) काम का दायित्व रहना

प्रश्न 8.
आसमान क्या करने को कहता है ?
(A) फैलने को
(B) नीला होने को
(C) अनंत होने को
(D) ऊपर रहने को
उत्तर:
(A) फैलने को

प्रश्न 9.
हम फैलकर क्या कर सकते हैं ?
(A) संसार को ढक सकते हैं
(B) बड़ा बन सकते हैं
(C) सर्वव्यापक बन सकते हैं
(D) गर्व कर सकते हैं
उत्तर:
(A) संसार को ढक सकते हैं

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

प्रश्न 10.
संसार को न्ठक लेने का अर्थ क्या है ?
(A) किसी को ऊपर आने न देना
(B) धूप से बचाना
(C) सभी का दुख दूर करना
(D) सभी को आसरा देना
उत्तर:
(D) सभी को आसरा देना

प्रश्न 11.
तरेंगे कैसे आती हैं ?
(A) उठकर-गिरकर
(B) धीरे-धीरे
(C) घोर गर्जन करके
(D) मबल वेग से
उत्तर:
(A) उठकर-गिरकर

प्रश्न 12.
हमारी डंमगों कैसी होनी चाहिए ?
(A) महान और मुदुल
(B) मीठी और
(C) बहुत बड़ी
(D) मीठी और मृदुल
उत्तर:
(A) महान और मुदुल

प्रश्न 13.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता के कवि कौन हैं ?
(A) सोहनलाल द्विवेदी
(B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(A) सोहनलाल द्विवेदी

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प्रश्न 14.
मन में मृदुल उमंग भरने का तात्पर्य है :
(A) उत्साह, उल्लास भरना
(B) प्रेम भाव रखना
(C) साहस रखना
(D) अभिलाषा भरना
उत्तर:
(A) उत्साह, उल्लास भरना

प्रश्न 15.
हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए ?
(A) बोझ कम कर दें
(B) बोझ उतार दें
(C) धैर्य रखें
(D) थोड़ी देर थकावट मिटाएँ
उत्तर:
(C) धैर्य रखें

प्रश्न 16.
नभ का फैलाव बहुत है उससे हम क्या सी कें ?
(A) सभी की मदद करें
(B) सभी को अपने वश में रखें
(C) सभी पर शासन करें
(D) अपना म्रभाव विस्तार करें
उत्तर:
(A) सभी की मदद करें

प्रश्न 17.
शीश उठाकर कौन कहता है ?
(A) लहर
(B) सागर
(C) आसमान
(D) पर्वत
उत्तर:
(D) पर्वत

प्रश्न 18.
महान बनने की प्रेरणा कौन देता है ?
(A) सागर
(B) पृथ्वी
(C) पर्वत
(D) तरंग
उत्तर:
(C) पर्वत

प्रश्न 19.
हम पर बहुत काम होने पर भी हम क्या न छोड़े ?
(A) धीरज
(B) बल
(C) अधिक काम
(D) संकट
उत्तर:
(A) धीरज

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प्रश्न 20.
कौन उठता गिरता रहता है ?
(A) हवा
(B) तरंग
(C) तरल सागर
(D) पृथ्वी
उत्तर:
(B) तरंग

प्रश्न 21.
मन में गहराई लाने की सीख किससे मिलती है ?
(A) सागर से
(B) आसमान से
(C) पर्वत से
(D) पृथ्वी से
उत्तर:
(A) सागर से

प्रश्न 22.
धैर्य रखने की शिक्षा कौन देता है ?
(A) सागर
(B) पृथ्वी
(C) उमंग
(D) नभ
उत्तर:
(B) पृथ्वी

प्रश्न 23.
मन में उमंग भरने की बात से क्या बोध होता है ?
(A) खुशियाँ प्राप्त करना
(B) नए-नए दुख छोड़ना
(C) नवीन विचार सोचना
(D) लहरें लाना
उत्तर:
(A) खुशियाँ प्राप्त करना

प्रश्न 24.
‘प्रकृति का संदेश’ कविता में किसका उल्लेख नहीं हुआ है ?
(A) पर्वत
(B) झरना
(C) पृथ्वी
(D) सागर
उत्तर:
(B) झरना

प्रश्न 25.
संसार को ढकने का अर्थ क्या है ?
(A) विशाल-हृदय होना
(B) संसार के छिपा देना
(C) संकीर्ण-हृदय होना
(D) संसार में छिप जाना
उत्तर:
(A) विशाल-हृदय होना

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प्रश्न 26.
सारे संसार को बकने को कौन कहता है ?
(A) नभ
(B) तरंग
(C) सागर
(D) नदी
उत्तर:
(A) नभ

‘क’ स्तम्भ के पदों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के पदों का मिलान :

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पर्वत कहता शीश उठाकर मन में गहराई लाओ
2. सागर कहता है लहराकर मीठी-मीठी मृदुल उमंग
3. नभ कहता है फैलो इतना उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग
4. समझ रहे हो क्या कहती है ढक लो तुम सारा संसार
5. भर लो – भर लो अपने मन में तुम भी ऊँचे बन जाओ

उत्तर:

‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
1. पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ
2. सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ
3. नभ कहता है फैलो इतना ढक लो तुम सारा संसार
4. समझ रहे हो क्या कहती है उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग
5. भर लो – भर लो अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंग

३० शब्दों/दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
पर्वत से हम क्या सीखते हैं ?
उत्तर:
पर्वत अपनासिर ऊँचा उठाकर खड़ा है। वह हमको शिक्षा देता है कि हम किसी से न डरें। किसी विपत्ति के सामने झुक न जाएँ। हम साहस और वीरत्व के साथ सिर उठाकर रहें तो ऊँचे बन जाएँगे ।

प्रश्न 2.
सागर हमें क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर:
सागर बहुत गहरा है, विशाल है । सागर हमें शिक्षा देता है कि हम भी उसकी तरह अपने हृदय में गहराई लाएँ, विशालता लाएँ। अपने मन को उदार बनाएँ। संकीर्ण भावना छोड़ दें।

प्रश्न 3.
पृथ्वी से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
हम मिट्टी को खोदकर, चीरकर फसल उगाते हैं, जीते हैं । इस पर पृथ्वी क्रोध नहीं करती, धैर्यपूर्वक सारी पीड़ा सहती है । पृथ्वी से हमें सीख मिलती है कि, हम पर काम का कितना भी बड़ा बोझ क्यों न हो, हम सभी का मुकावला करें, धैर्य न बोड़ें ।

प्रश्न 4.
नभ हमें क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर:
नभने चारों ओर फैल कर सारे संसार को ढक लिया है । ऐसा करके वह हमें शिक्षा देता है कि हम अपने हृदय को सर्वव्यापी बना दें, विशाल बना दें मन में संकीर्णता का भावन लाएँ।

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प्रश्न 5.
तरंगों से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
समुद्र में तरंगें उठती हैं, गिरती हैं ।इस कार्य से वे अपने मन की खुशियाँ व्यक्त करती हैं, उसके इस कार्य से हमें सीखं मिलती है कि हम अपने मन में अच्छी भावनाएँ लाएँ; नई उमंग से काम करें और मन में उल्लासा रखें । दूसरों को उल्लसित करें।

कवि परिचय

सोहनलाल द्विवेदी का जन्म २ २फ़रवरी १ ९० ६ को हुआ था । काशी हिन्दू विश्चिद्यालय में इनकी पढ़ाई हुई थी । ये एम.ए.,एल.एल.बी थे तथा इन्हें संस्कृत का अच्छा ज्ञान था । इनमें प्राचीन संस्कृति और राष्ट्रीयता के प्रति सम्मान था । इनकी रचनाएँ- भैरवी, वासवदत्ता, कृपाल, पूजागीत, विषपान, बाल भारती, बाँसुरी, नेहरू चाचा, बच्चों के बापू आदि ।

कविता का भावबोध

प्रकृति मनुष्ट की चिर सहचरी है । मनुष्य प्रकृति के भिन्नभिन्न तत्वों – पर्वत, सागर, धरती, आकाश, तरंगों को देखकर खुश हो जाता है । ये तत्त्व मनुष्य के मन में अनेक भावों को जगाते हैं । मनुष्य उनसे प्रेरणा लेकर महान बन सकता है ।

शब्दार्थ :

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता) 2

सारांश:

पर्वत कहता शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ ।
सागर कहता है लहराकर
मन में गहराई लाओ ।

प्रकृति के विभिन्न तत्व हमें कुछ न-कुछ संदेश देते हैं । हम उनसे प्रेरणा लेकर महान बन सकते हैं। पर्वत सिर ऊँचा करके निर्भय खड़ा रहता है । वह हमें संदेश देता है कि हम यदि साहस पूर्वक खड़े रहेंगे, तब हमें समाज में प्रतिष्ठा और उच्च स्थान जरूर मिलेगा ।

सागर बहुत गहरा है । इसलिए वह खुशी से लहराता है । उसका संदेश है कि यदि हम मन में संकीर्ण भावनाएँ न रखकर उदारता की गहराई लाएँगे तो हम भी सदा खुश रह सकेंगे।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार
नभ कहता है फैलो इतना
बक लो तुम सारा संसार।

धरती सवंसहा है । वह कभी धैर्य नहीं छोड़ती। वह संदेश देती है कि हमारे सिर पर बहुत से उत्तरदायित्व पड़ सकते हैं । पर हम विचलित नहीं होंगे। धैर्य नहीं छोड़ेंगे ।

आकाश का सीमाहीन विस्तार है । उसने संसार को ढंककर रखा है । उसका संदेश है कि हमारा हृदय संकीर्णता छोड़कर विस्तारित हो जाएगा तो हम सारे संसार को प्रेम से ढक लेंगे, अर्थात् विश-बंधुत्व की भौवना से हम सभी को अपना बना लेंगे ।

समझ रहे हो क्या कहती है
उठ-उठ, गिर-गिर तरल तरंग ?
भर लो, भर लो, अपने मन में
मीठी-मीठी मृदुल उमंग ।

समुद्र की चंचल तरंग हवा के झोंके में उठ-उठ गिर- गिर कर हमें यही संदेश देती है कि हम मन में अच्छे और सुखदायक कोमल मनोवेगों को भर लें । हमारी भावनाएँ अच्छी होंगी तो हमारे कार्य भी अच्छे होंगे ।अच्छे कार्य से हम महान बन जाएँगे ।

ଧୂ ସାରାଂଶ

ପ୍ରକୃତିର ବିଭିନ୍ନ ତତ୍ତ୍ଵ ଆମକୁ କୌଣସି ନା କୌଣସି ବାଆଁ ଦେଇଥାନ୍ତି । ଆମେ ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ପ୍ରେରଣା ଲାଭ କରି ମହାନ ହୋଇପାରିବା ।
ପର୍ବତ ମସ୍ତକ ଉପରକୁ ଉଠେଇ ନିର୍ଭୟରେ ଠିଆ ହୋଇ ରହିଥାଏ । ପର୍ବତର ଆମ ପାଇଁ ସନ୍ଦେଶ ହେଉଛି ଯେ ଯଦି ଆମେ ସାହସପୂର୍ବକ ଠିଆ ହୋଇ ରହିବା, ତେବେ ଆମକୁ ସମାଜରେ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ଓ ଉଚ୍ଚ ଆସନ ନିଶ୍ଚୟ ମିଳିବ ।

ସମୁଦ୍ର ବହୁତ ଗଭୀର । ସେଥ‌ିପାଇଁ ସେ ମହା ଆନନ୍ଦରେ ପବନରେ ତରଙ୍ଗାୟିତ ହେଉଥାଏ । ତା’ର ଆମ ପାଇଁ ବାର୍ତ୍ତା ହେଉଛି ଯେ ଯଦି ଆମେ ମନରେ ସଂକୀର୍ଷ ଭାବନା ନ ରଖି ଉଦାରତାର ଗଭୀରତା ନେଇ ଆସିବା, ତେବେ ଆମେ ମଧ୍ୟ ମହା ଆନନ୍ଦରେ ରହି ପାରିବା । ଧରିତ୍ରୀ ସର୍ବଂସହା । ସେ କେବେ ଧୈର୍ଯ୍ୟହରା ହୁଏ ନାହିଁ ତା’ର ବାଭାଁ ହେଉଛି ଆମ ମୁଣ୍ଡ ଉପରେ ଅନେକ ଦାୟିତ୍ଵ ଆସି ପଡ଼ିପାରେ । ଆମେ କିନ୍ତୁ ସେଥର ବିଚଳିତ ହେବା ନାହିଁ । କେବେ ମଧ୍ୟ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ହରାଇବା ନାହିଁ ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 7 प्रकृति का संदेश (कविता)

ଆକାଶର ବିସ୍ତାର ସୀମାହୀନ । ସେ ସାରା ସଂସାରକୁ ଆଚ୍ଛାଦିତ କରି ରଖିଛି । ତା’ର ସନ୍ଦେଶ ହେଉଛି – ଆମ ହୃଦୟ ଯଦି ସଂକୀର୍ଷତା ଛାଡ଼ି ବିସ୍ତାରିତ ହୋଇଯିବ, ତେବେ ଆମେ ସମଗ୍ର ସଂସାରକୁ ପ୍ରେମରେ ଢାଙ୍କିଦେବା ଅର୍ଥାତ୍ ବିଶ୍ଵ ବନ୍ଧୁତ୍ଵ ଭାବନା ଦ୍ଵାରା ଆମେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଆପଣାର କରି ପାରିବା । ସମୁଦ୍ରର ଚଞ୍ଚଳ ତରଙ୍ଗ ପବନରେ ତଳ ଉପର ହୋଇ ଆମକୁ ବାହାଁ ଦେଉଛି ଯେ ଆମେ ମନରେ ଭଲ ଓ ସୁଖପ୍ରଦ କୋମଳ ମନୋଭାବଗୁଡ଼ିକ ଭରିଦେବା । ଆମ ମନୋଭାବ ଭଲ ହେଲେ ଆମର କାର୍ଯ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଭଲ ହେବ । ଭଲ କାମ କଲେ ଆମେ ସମାଜରେ ମହାନ ହୋଇ ପାରିବା ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

(क) राणा प्रताप सवेरा होते ही क्या करते थे ?
उत्तर:
राणा प्रताप सवेराहोते ही कवच पहनकर हाथ में तलवार लेकर निकल पड़ते थे । बादशाह अकबर की फौज से उनका मुकावला कहीं न-कहीं हो जाता था । अकबर राणा को कब्जे में लाना चाहता था । राणा प्रताप ने उससे मेवाड़ मुक्त करने की प्रतिज्ञा की थी ।

(ख) चेतक के रूप-गुणों का वर्णन कीजिए ?
उत्तर:
घोड़ा चेतक महाराणा प्रताप का लड़ाई के मैदान में प्राणप्यारा साथी था। उसका रंग चमचमाता काला था । शरीर गठा हुआ था। वह किसी वीर से कम नथा । वह जैसे युद्ध विद्या जानता था । दुश्मन की चाल पहचानता था, उछलकर दुश्मन का वार व्यर्थ करता था । कई बार राणा की जान बचाई थी ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

(ग) हल्दीयाटी में हुए युद्ध का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के मुट्ठी भर सैनिक और शाहजादा सलीम के नेतृत्व में आई विशाल मुगल सेना के बीच घमासान लड़ाई हुई । युद्ध में सलीम का हाथी मारा गया, लेकिन वह बच गया ।महाराणा प्रताप ने अपनी तलवार से मुगल सैनिकों को मार गिराया । महाराणा के सिर पर मुकुट देखकर मुगल सौनिकों ने उन्हें घेर लिया, पर वे नहीं हटे ।

(घ) युद्ध में प्रताप ने क्या किया ?
उत्तर:
युद्ध में प्रताप ने अनंगिनत मुगल सौनिकों को मार गिराया । उनका मुकुट देखकर मुगल सैनिकों ने उनको घेर लिया । राणा अकेले पड़ गए। उनको कई चोटें आई, पर वे पीछे नहीं हटे । चेतक उन्हें युद्ध भूमि से ले जाते समय उन्होंने चेतक को रोकना चाहा । लोग उन्हें भगोड़ा न समझें इसलिए वे भागना नहीं चाहते थे ।

(ङ) चेतक प्रताप को लेकर कैसे भागा ?
उत्तर:
चेतक बहुत होशियार घोड़ा था । उसने भाँप लिया था राणा जख्मी हो गए हैं। वह मान्ना की बात सुन कर राणा को लेकर तेजी से भागा । राणा का हुक्म नहीं माना । उसे राणा को बचानाथा । दौड़ते – दौड़ते हाँफ़ने लगा। लड़खड़ाया, फिर उछला, नाला कूदकर पार किया पर धड़ाम् से गिरा और दम तोड़ दिए ।

(च) राणा चेतक की मौत से क्यों दु:खी हुए ?
उत्तर:
चेतक लड़ाई के मैदान में राणा का प्राण-प्यारा साथी था। वह दुश्मन की चाल समझता था। वह ऐन वक्त पर उछलकर दुश्मन का बार व्यर्थ कर देता था। कई बार राणा की जान बचाई थी । हल्दीघाटी से ले आकर उसने राणा को बचाया। राजपूती शान बचाई । उसकी छाती में तलवार भोंक दी गई थी। उसकी मौत हो गई तो राणा रोने लगे और शक्ति से कहा किमैं चेतक के बिना जी नहीं सकता ।

(छ) चेतक का नाम क्यों अमर हुआ ?
उत्तर:
चेतक एक विचक्षण घोड़ा था । लड़ाई के मैदान में वह राणा प्रताप का प्राण प्यारा साथी था; दुश्मन की चाल पहचानता था; उछलकर दुश्मन का वार व्यर्थ कर देता था । उसने कई बार राणा की जान बंचाई । हल्दीघाटी से राणा को ले आकर बचाया । राजपूती शान बचाई । अपनी वीरता, समझदारी और वफादारी के लिए उसका नाम अमर हो गया ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

(ज) आज चेतक की मूर्त्तियाँ कहाँ – कहाँ मिलती हैं ?
उत्तर:
आज राजस्थान के चौके-चौराहे, रास्ते, भवन- सब पर चेतक की मूर्त्तियाँ मिल जाती हैं ।

(क्ञ) शक्ति सिंह को किसे और क्या शिक्षा मिली ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप का छोटा भाई शक्ति सिंह मुगलों के पक्ष में था । हल्दीघाटी युद्ध भूमि से चेतक राणा को लेकर भागा । शक्ति सिंह उनके पीछे-पीछे आकर उनके पास पहुँचा । उसने पहले मात्रा का मातृभूमि – प्रेम और वीरता देखी, अब चेतक का बलिदांन देखा । इन दोनों से उसे मातृभूमि – प्रेम की शिक्षा मिली ।

2. इन प्रश्नों का जवाब एक या दो वाक्यों में दीजिए ।

(क) राणा प्रताप का जीवन कैसा था ?
उत्तर:
राणा प्रताप का जीवन ही रणक्षेत्र था ।

(ख) लड़ाई में राणा का साथी कौन था ?
उत्तर:
लड़ाई में राणा का साथी चेतक था ।

(ग) चेतक युद्ध के मैदान में क्या करता था ?
उत्तर:
चेतक युद्ध के मैदान में उछल कर दुश्मन का वार व्यर्थ कर देता था। वह राणा की जान भी बचाता था ।

(घ) चेतक देखने में कैसा था ?
उत्तर:
चेतक का रंग चमचमाता काला था, शरीर गठा हुआ था।

(ङ) घोड़े का होशियार होना क्यों जरूरी है ?
उत्तर:
घुड़सवार के लिए उसके घोड़े का होशियार होना बहुत जरूरी है, क्योंकि वह अपने मालिक को ऐन वक्त पर बचा सकता है ।

(च) राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई तो उसने क्या जवाब दिया ?
उत्तर:
राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई तो चेतक ने कान फड़फड़ाए ।

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(छ) झाला वीर ने मुकुट अपने सिर पर क्यों रखा ?
उत्तर:
मुकुट को देख मोगल फौजी राणा पर हमला करते थे । राणा को वे पहचान न सकें, इसलिए झाला वीर ने मुकुट अपने सिर पर रखा ।

(ज) प्रताप की तलवार फसल काट रही थी – इसका मतलब क्या है ?
उत्तर:
प्रताप बड़ी तेजी से अनगिनत मुगल सौनिकों को मार गिराते थे ।

(झ) मान्ना ने प्रताप से चले जाने को क्यों कहा ?
उत्तर:
मान्ना ने प्रताप के गहरे घाव देखकर उनसे चले जाने को कहा, क्योंकि वे जीवित रहेंगे तो लड़ाई चलती रहेगी ।

(ज) राणा चेतक को क्यों रोक रहे थे ?
उत्तर:
लोग राणा को भगोड़ा न समझें इसलिए राणा चेतक को रोक रहे थे ।

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(ट) चेतक क्यों भागा ?
उत्तर:
चेतक महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए उनको लेकर भागा ।

(ठ) चेतक क्यों गिर पड़ा ?
उत्तर:
चेतक की छाती में तलवार भोंक दी गई थी। घाव से खून बह रहा था । वह हाँफ़ने लगा था । शक्तिहींन होकर वह गिर पड़ा ।

(ड) शक्ति सिंह प्रताप के पाँव क्यों पड़ा ?
उत्तर:
शक्ति सिंह ने अपनी आँखों से मात्रा का मातृभूमि प्रेम और वीरता तथा चेतक की प्रभु-भक्ति और बलिदान देखा तो उसने अपनी गलती समझी और माफी माँगकर प्रताप के पाँव पड़ा ।

3. सही विकल्प चुनकर लिखिए।

(क) महाराणा प्रताप का साथी कौन था?
(i) ज्ञान
(ii) संग्राम
(iii) पूजा
(iv) वार्तालाप
उत्तर:
(ii) संग्राम

(ख) प्रताप ने कहा – “प्राण दूँगा पर मुक्त करूँगा”, किससे ?
(i) चेतक
(ii) दुश्मन
(iii) मेवाड़
(iv) शक्ति सिंह
उत्तर:
(iii) मेवाड़

(ग) चेतक ने क्या फड़फड़ाए ?
(i) हाथ
(ii) पूँछ
(iii) कान
(iv) पीठ
उत्तर:
(iii) कान

(घ) सलीम का क्या मारा गया ?
(i) घोड़ा
(ii) कुत्ता
(iii) चेतक
(iv) हाथी
उत्तर:
(iv) हाथी

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

(ङ) कौन प्रताप के पाँवों पर गिरा?
(i) सलीम
(ii) अकबर
(iii) शक्ति सिंह
(iv) चेतक
उत्तर:
(ii) शक्तिसिंह

भाषा ज्ञान

1. इन शब्दों के लिंग बताइए –

युद्ध, जंग, लड़ाई, संग्राम, जीवन, सैनिक, कवच, तलवार, मुकाबला, कब्जा, जान, फ़ौज, सेना, प्रतिज्ञा, देह, शरीर, हालत, पीठ, गर्दन, जीभं, पूँछ, जीत, हार,
गली, पहाड़ी, घाटी, फसले, आँधी, आवाज, जय, चोट, छाती, धारा, आँख, काम, मूर्ति, वीरता, वफादारी, समझ, समझदारी ।
उत्तर:
BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)9

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

2. वचन बदलिए –
घोड़ा, आदमी, लड़ाई, आँख, कान, घाव, कवच
उत्तर:
BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)10.

3. समानार्थी शब्द लिखिए ।
युद्ध, प्रतिज्ञा, फौज, जान, छाती, वक्त, घाव
उत्तर:
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4. ‘क’ विभाग के विशेषण शब्दों को ‘ख़’ विभाग के संज्ञा शब्दों से जोड़िए।
‘क’ विभाग — ‘ख’ विभाग
खाली — चाल
गठा हुआ — वक्त
हरा — सैनिक
ऐन — शरीर
विशाल — वार
मेरी — फौज
अनगिनत — गर्दन
बादशाही — सेना
उत्तर:
‘क’ विभाग — ‘ख’ विभाग
खाली– वार
गठा हुआ — शरीर
हर — चाल
ऐन — वक्त
विशाल — सेना
मेरी — गर्दन
अनगिनत — सैनिक
बादशाही — फौज

5. इन वाक्यों में एक-एक सर्वनाम है, उनको छाँटकर लिखिए।
(क) उन पर कई चोटें आईं ।
उत्तर: उन

(ख) आप रहेंगे तो लड़ाई चलती रहेगी ।
उत्तर: आप

(ग) मैं काफी हूँ।
उत्तर: मैं

(घ) उन्होंने बड़ी फुर्ती से हमला किया ।
उत्तर: उन्होंने

(ङ) वह बेतहाशा भागा ।
उत्तर: वह

6. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञाओं को छाँटिए ।
लड़ाई, खाली, लोहा, दुश्मन, खुश, घोड़ा, मूर्ति, वीरता, बोला, के साथ, उनके, हुक्म, गठा, प्यारा, प्राण, भाई, गर्दन, मेरी ।
उत्तर:
दुश्मन, घोड़ा, मूर्ति, वीरता, प्राण, भाई, गर्दन

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7. कोष्ठक में से सही परसर्ग चुनकर शून्य स्थान भरिए। (ने, को, से, के लिए, में )
(क) प्रताप ………… प्रतिज्ञा की थी ।
उत्तर:  ने

(ख) वह किसी वीर ………… कम न था ।
उत्तर: से

(ग) रण ………… उसने राजा की जान बचाई थी।
उत्तर: में

(घ) वह राणा ………… लेकर बेतहाशा भागा।
उत्तर:  को

(ङ) में भी वतन ………… जान दूँगा ।
उत्तर: के लिए

जानिए :
इन वाक्यों को देखिए। कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति लगी है तो वाक्य कैसे बदल जाते हैं। क्रिया कर्ता के अनुसार नहीं चलती । ‘ने’ विभक्ति भूतकाल में ही प्रयुक्त होती है ।
जैसे –
उत्तर:
राणा ने प्रतिज्ञा की थी ।
उन्होंने फुर्त्ती से हमला किया ।
उसने राणा की जान बचाई ।
चेतक ने दम तोड़ दिए।
राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई।
चेतक ने मेरी आँखें खोल दीं ।
मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी ।

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– इन विशेष कथनों को (मुहावरों को) शिक्षक समझा दें –
लोहा लेना, जान बचाना, पीठ थपथपाना, दम तोड़ देना
उत्तर:
लोहा लेना – लड़ाई करना ।
जान घचाना – प्राण रक्षा करना ।
पीठ थपथपाना – प्यार जताना ।
दम तोड़ देना – प्राण त्याग करना ।

परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
संग्राम किसका साथी था ?
उत्तर:
संग्राम महाराणा प्रताप का साथी था।

प्रश्न 2.
राणा प्रताप का जीवन कैसा था ?
उत्तर:
राणा प्रताप का जीवन रणक्षेत्र था।

प्रश्न 3.
किसका जीवन रणक्षेत्र था ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप का जीवन रणक्षेत्र था।

प्रश्न 4.
महाराणा के वीर सैनिक किससे नहीं छरते थे ?
उत्तर:
महाराणा के वीर सैनिक संग्राम से नहीं डरते थे ।

प्रश्न 5.
सवेरा होते ही महाराणा प्रताप क्या करते थे ?
उत्तर:
सवेरा होते ही महाराणा प्रताप कवच पहनकर, हाथ में तलवार लेकर निकल पड़ते थे ।

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प्रश्न 6.
महाराणा प्रताप का किससे मुकावला हो जाता था ?
उत्तर:
महाराणा मताप का अकबर बादशाह की फैज से मुकाबला हो जाता था।

प्रश्न 7.
अकबर किसको अपने कब्दे में करना चाहते थे ?
उत्तर:
अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
प्रताप ने क्या प्रतिज्ञा की थी ?
उत्तर:
प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी – प्राण दूँगा पर मेवाड़ को मुक्त करूँगा।

प्रश्न 9.
कौन लड़ाई के मैदान में राणा का प्रापा प्यारा साथी था?
उत्तर:
घोड़ा चेतक लड़ाई के मैदान में राणा का प्राणप्यारा साथी था।

प्रश्न 10.
चेतक का रंग कैसा था?
उत्तर:
चेतक का रंग चमचमाता श्याम था।

प्रश्न 11.
युद्ध के मैदान में चेतक क्या पहचान लेता था ?
उत्तर:
युद्ध के मैदान में चेतक दुश्मन की हर चाल को पहचान लेता था।

प्रश्न 12.
चेतक युद्ध के मैदान में क्या करता था ?
उत्तर:
चेतक युद्ध के मैदान में ऐन वक्त पर ऐसा उछलता कि दुश्मन का वार खाली जाता।

प्रश्न 13.
रण में चेतक ने राणा का क्या उपकार किया था?
उत्तर:
रण में चेतक ने कई बार राणा की जान बचाई थी ।

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प्रश्न 14.
चेतक कब बहुत खुश हो जाता था ?
उत्तर:
चेतक तब बहुत खुश हो जाता था, जब राणा उस पर सवार हो जाते थे ।

प्रश्न 15.
घोड़े का होशियार होना किसके लिए जरूरी है ?
उत्तर:
घोड़े का होशियार होना घुड़सवार के लिए जरूरी है।

प्रश्न 16.
राणा लड़ाई के लिए कहाँ जा रहे थे ?
उत्तर:
राणा लड़ाई के लिए हल्दीघाटी की सैकरी गली में जा रहे थे।

प्रश्न 17.
राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई तो उसने क्या जवाब दिया ?
उत्तर:
राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई तो उसने अपने कान फड़फड़ाए।

प्रश्न 18.
राणा ने चेतक को पुचकारा तो चेतक क्या करने लगा?
उत्तर:
राणा ने चेतक को पुचकारा तो चेतक पूँछ हिलाने लगा।

प्रश्न 19.
चेतक जैसे हिनहिनाकर क्या बोल रहा था ?
उत्तर:
चेतक जैसे हिनहिनाकर बोल रहा था – राणा! मैं तो तुम्हें लेने को हर दम तैयार हूँ।

प्रश्न 20.
कितने सैनिक लेकर राणा हल्दीयाटी में उतरे ?
उत्तर:
अपनी मुट्ठी भर सैनिक लेकर राणा हल्दीघाटी में उतरे।

प्रश्न 21.
राणा ने हल्दीघाटी में माथे पर क्या लगाया ?
उत्तर:
राणा ने हल्दीघाटी में माथे पर चुटकी भर धूल लगाई।

प्रश्न 22.
राणा जब मातृभूमि को प्रणाम कर रहे थे, तब क्या हुआ ?
उत्तर:
राणा जब मातृभूमि को प्रणाम कर रहे थे, तब मुगलिया फौज टिड्डियों भी भाँति आ धमकी ।

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प्रश्न 23.
कौन मुगलिया फौज लेकर जंग जीतने आया था ?
उत्तर:
शाहजादा सलीम मुगलिया फौज लेकर जंग जीतने आया था।

प्रश्न 24.
शाहजादा सलीम ने हल्दीघाटी में पहुँचकर क्या किया?
उत्तर:
शाहजादा सलीम ने हल्दीघाटी में पहुँचकर बड़ी फुर्ती से हमला किया।

प्रश्न 25.
युद्ध में किसका हाथी मारा गया ?
उत्तर:
युद्ध में सलीम का हाथी मारा गया।

प्रश्न 26.
मुगलिया फौज राणा पर कैसे टूट पड़ी ?
उत्तर:
मुगलिया फौज राणा पर आँधी-सी टूट पड़ी ।

प्रश्न 27.
क्या देखकर मुगलिया फौजी राणा पर हमला करते थे?
उत्तर:
राणा के सिर पर मुकुट देखकर मुगलियां फौजी राणा पर हमला करते थे ।

प्रश्न 28.
किसने राणा प्रताप की बुरी हालत देखी ?
उत्तर:
झाला वीर मान्ना ने दूर से राणा प्रताप की बुरी हालत देखी।

प्रश्न 29.
झाला वीर ने राणा की तरफ झपटकर क्या किया ?
उत्तर:
झाला वीर ने राणा’ की तरफ झपटकर पीछे से उनका मुकुट छीन कर अपने सिर पर रखा ।

प्रश्न 30.
झाला वीर ने राणा का मुकुट अपने सिर पर क्यों रखा?
उत्तर:
झाला वीर ने राणा का मुकुट अपने सिर पर रखा क्योंकि इससे मुगलिया सैनिक राणा को पहचान नहीं सकेंगे और राणा की जान बच जाएगी।

प्रश्न 31.
माना ने राणा से क्या अनुरोध किया ?
उत्तर:
मान्ना ने राणा से अनुरोध किया कि आप अपनी जान बचाइए, आप रहेंगे तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी।

प्रश्न 32.
किसने कहा कि में मुगलिया फौज के लिए काफी हूँ?
उत्तर:
झाला वीर मात्रा ने कहा कि मैं मुगलिया फौज के लिए काफी हूँ।

प्रश्न 33.
चेतक पहले क्या भाँप चुका था ?
उत्तर:
चेतक पहले भाँप चुका था कि राणा जखी हो गए हैं।

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प्रश्न 34.
चेतक ने राणा को बचाने के लिए क्या किया ?
उत्तर:
चेतक ने राणा को बचाने के लिए राणा को लेकर झाइ-झखाड़ों में बेतहाशा भागा ।

प्रश्न 35.
चेतक क्यों भागा ?
उत्तर:
चेतक राणा को बचाने के लिए भागा।

प्रश्न 36.
चेतक जब राणा को लेकर भाग रहा था, तब राणा क्या चिल्ला उठे ?
उत्तर:
चेतक जब राणा को लेकर भाग रहा था, तब राणा चिल्ला उठे – चेतक ! लोग मुझे भगोड़ा समझेंगे, रुक जा।

प्रश्न 37.
राणा चेतक को क्यों रोक रहे थे ?
उत्तर:
राणा लड़ाई का मैदान छोड़कर भागना नहीं चाहते थे, इसलिए वे चेतक को रोक रहे थे।

प्रश्न 38.
चेतक ने नाला कैसे पार किया ?
उत्तर:
चेतक ने कूदकर नाला पार किया।

प्रश्न 39.
चेतक कब गिर पड़ा ?
उत्तर:
कूदकर सामने का नाला पार करके चेतक गिर पड़ा।

प्रश्न 40.
चेतक क्यों गिर पढ़ा ?
उत्तर:
चेतक की छाती में तलवार भाँक दी गई थी और घाव से खून की धारा बह रही थी, इसलिए वह शक्तिहीन होकर गिर पड़ा।

प्रश्न 41.
राणा प्रताप क्यों रोने लगे ?
उत्तर:
राणा प्रताप ने जब देखा कि चेतक की छाती में तलवार भोंक की गई है, और उससे खून की धारा बह रही है, तब वे रोने लगे।

प्रश्न 42.
राणा के भाई का नाम क्या था ?
उत्तर:
राणा के भाई का नाम शक्ति सिंह था ।

प्रश्न 43.
शक्ति सिंह किसके साथ था?
उत्तर:
शक्ति सिंह मुगलों के साथ था ।

प्रश्न 44.
शक्ति सिंह ने राणा को भागते हुए देखकर क्या किया?
उत्तर:
शक्ति सिंह ने राणा को भागते हुए देखकर उनका पीछा करके फौरन वहाँ पहुँचा गया, जहाँ चेतक ने दम तोड़ दिए थे।

प्रश्न 45.
शक्ति सिंह को देखकर राणा ने क्या कहा ?
उत्तर:
शक्ति सिंह को देखकर राणा ने कहा, “आ जा शक्ति, मेरी गर्दन उड़ा दे, अपने चेतक के बिना में जी नहीं सकता।”

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प्रश्न 46.
शक्ति सिंह ने राणा प्रताप की बात सुनकर क्या किया?
उत्तर:
शक्ति सिंह ने राणा प्रताप की बात सुनकर उनके पाँव पर गिरा ।

प्रश्न 47.
शक्ति सिंह प्रताप के पाँव क्यों पड़ा ?
उत्तर:
झाला और चेतक ने शक्ति सिंह की आँखें खोल दीं, इसलिए वह प्रताप के पाँव पड़ा।

प्रश्न 48.
अपनी गलती समझने के बाद शक्ति सिंह ने क्या करने को कहा ?
उत्तर:
अपनी गलती समझे के बाद शक्ति सिंह ने वतन के लिए जान देना चाहा।

प्रश्न 49.
चेतक का नाम क्यों अमर हो गया ?
उत्तर:
अपनी वीरता, समझदारी और वफादारी के लिए चेतक का नाम अमर हो गया ।

प्रश्न 50.
चेतक ने क्या-क्या बचाया ?
उत्तर:
चेतक ने प्रताप की जान बचाई, राजपूती शान बचाई।

प्रश्न 51.
आज भी चेतक की मूर्तियाँ कहाँ-कहाँ खड़ी हैं ?
उत्तर:
आज भी चेतक की मूर्तियाँ राजस्थान के चौके-चौराहे, रास्ते, भवन सब पर खड़ी हैं ।

मे एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
संग्राम किसका साथी था ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप का

प्रश्न 2.
लड़ाई में जाने से पहले महाराणा प्रताप क्या पहन लेते थे ?
उत्तर:
कवच

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प्रश्न 3.
कौन राणा को अपने कब में करना चाहता था ?
उत्तर:
अकबर

प्रश्न 4.
राणा ने किसे मुक्त करने की प्रतिज्ञा की थी ?
उत्तर:
मेवाड़ को

प्रश्न 5.
लड़ाई के मैदान में राणा का प्राणप्यारा साथी कौन था ?
उत्तर:
घोड़ा चेतक।

प्रश्न 6.
चेत्रक का रंग कैसा था ?
उत्तर:
काला

प्रश्न 7.
चेतक का क्या करने से दुश्मन का वार खाली जाता था?
उत्तर:
ऐन वक्त पर उछलने से

प्रश्न 8.
राणा किस की संकरी पहाड़ी गली में लड़ने निकले ?
उत्तर:
हल्दीघाटी की

प्रश्न 9.
हल्दीघाटी की लंड़ाई में उतरते समय राणा ने माथे पर क्या लगाया ?
उत्तर:
चुटकी भर धूल ।

प्रश्न 10.
राणा से लड़कर जंग जीतने कौन आया था ?
उत्तर:
शाहजादा सलीम

प्रश्न 11.
युद्ध में किसका हाथी मारा गया।
उत्तर:
सलीम का

प्रश्न 12.
क्या देखकर मुगल फौजी राणा पर हमला करते थे ?
उत्तर:
उनके सिर पर मुकुट

प्रश्न 13.
किसने राणा के सिर से मुकुट छीन लिया ?
उत्तर:
मान्ना ने

प्रश्न 14.
क्या पार करके चेतक गिर पड़ा ?
उत्तर:
नाला

प्रश्न 15.
चेतक के शरीर के किस स्थल से खून बह रहा था ?
उत्तर:
छाती से

प्रश्न 16.
मुगलों के साथ रहनेवाले राणा के भाई का नाम क्या था?
उत्तर:
शक्ति सिंह

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प्रश्न 17.
शक्ति सिंह ने किससे कहा-मुझे माफ कर दो ।
उत्तर:
राणा प्रताप से

प्रश्न 18.
शक्ति सिंह की आँखें किन्होंने खोल दीं ?
उत्तर:
झाला और चेतक ने

प्रश्न 19.
किसने राणा की जान बचाई थी ?
उत्तर:
चेतक ने

प्रश्न 20.
आज कहाँ के चौके-चौराहों पर चेतक की मूर्तियाँ खड़ी हैं ?
उत्तर:
राजस्थान के

मातृभाषा में अनुवाद कीजिए :

प्रश्न 1.
संग्राम महाराणा प्रताप का साथी था ।
उत्तर:
ସଂଗ୍ରାମ ମହାରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କର ସାଥୀ ଥିଲା।

प्रश्न 2.
न तो वे कभी संग्राम से डरते थे, न उनके वीर सैनिक भी ।
उत्तर:
ନା ତ ସେ କେବେ ସଂଗ୍ରାମକୁ ଡରୁଥିଲେ, ନା ତାଙ୍କ ବୀର ସୈନିକ ମଧ୍ୟ ।

प्रश्न 3.
सवेरा हुआ नहीं कि वे कवच पहनकर, हाथ में तलवार लेकर निकल पड़ते थे ।
उत्तर:
ସକାଳ ନ ହେଉଣୁ ସେ କବଚ ପିନ୍ଧି ହାତରେ ଖଣ୍ଡା ଧରି ବାହାରିପଡ଼ୁଥଲେ।

प्रश्न 4.
अकबर बादशाह की फौज से कहीं-न-कहीं मुकाबला हो जाता था ।
उत्तर:
ବାଦଶାହ ଆକବରଙ୍କ ସେନା ସହିତ କେଉଁଠି ନା କେଉଁଠି

प्रश्न 5.
अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहता था ।
उत्तर:
ଆକବର ରାଣାଙ୍କୁ ତାଙ୍କ ଅଧୀନକୁ ନେଇ ନେବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ।

प्रश्न 6.
प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी- प्राण दूँगा; पर मेवाड़ को मुक्त करूँगा ।
उत्तर:
ପ୍ରତାପ ପ୍ରତିଜ୍ଞା କରିଥିଲେ – ପ୍ରାଣ ଦେବି; କିନ୍ତୁ ମେଣ୍ଢାରକୁ ମୁକ୍ତ କରିବି ।

प्रश्न 7.
लड़ाई के मैदान में राणा का प्राणप्यारा साथी था उनका घोड़ा चेतक ।
उत्तर:
ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ରାଣାଙ୍କର ପ୍ରାଣପ୍ରିୟ ସାଥୀ ଥୁଲା – ତାଙ୍କ ଘୋଡ଼ା ଚେତକ ।

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प्रश्न 8.
चमचमाता श्याम रंग, गठा हुआ शरीर ।
उत्तर:
ହଳଦୀଘାଟୀର ସଂକୀର୍ଣ୍ଣ ପାହାଡ଼ିଆ ଗଳି (ରାସ୍ତା) ।

प्रश्न 9.
वह भी जैसे युद्धविद्या जानता था ।
उत्तर:
ସେ ମଧ୍ଯ ସତେଯେପରି ଯୁଦ୍ଧବିଦ୍ୟା ଜାଣିଥିଲା ।

प्रश्न 10.
ସ୍ତମ୍ଭ ହିଁ ଆମ ଗାଁ ଅଣୁ ଗ ମିଶା ଥ ।
उत्तर:
ଶତ୍ରୁର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଚାଲ (କୌଶଳକୁ) ୟେ ଜାଣିପାରୁଥିଲା।

प्रश्न 11.
ऐन वक्त पर ऐसा उछलता कि दुश्मन का वार खाली
उत्तर:
(ସେ) ଠିକ୍ ସମୟରେ ଏପରି ଡେଇଁପଡ଼ୁଥିଲା ଯେ ଶତ୍ରୁର ଆକ୍ରମଣ ନିଷ୍ଫଳ ହୋଇଯାଉଥିଲା ।

प्रश्न 12.
रण में उसने कई बार राणा की जान बचाई थी ।
उत्तर:
ରଣକ୍ଷେତ୍ରରେ ସେ ଅନେକଥର ରାଣାଙ୍କ ପ୍ରାଣରକ୍ଷା କରିଥିଲା ।

प्रश्न 13.
घुड़सवार के लिए उसके घोड़े का हाशियार होना बहुत जरूरी है ।
उत्तर:
ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ପାଇଁ ତା’ ଅଶ୍ଵ ବୁଦ୍ଧିମାନ୍ ହେବା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଆବଶ୍ୟକ ।

प्रश्न 14.
हल्दीघाटी की सँकटी पहाड़ी गली ।
उत्तर:
ଦୀପ୍ତିମାନ କଳାରଙ୍ଗ, ସୁଗଠିତ ଶରୀର।

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प्रश्न 15.
विशाल मुगल सेना का यहीं आसानी से सामना किया जा सकता जा सकता है ।
उत्तर:
ବିଶାଳ ମୋଗଲ ସୈନ୍ୟବାହିନୀକୁ ଏହିଠାରେ ହିଁ ସହଜରେ ସମ୍ମୁଖୀନ (ସାମନା) କରାଯାଇପାରିବ ।

प्रश्न 16.
वैसे तो वे पहले कई बार बादशाही फौज से लोहा ले चुके थे ।
उत्तर:
ସେପରି ତ ସେ ଆଗରୁ ଅନେକଥର ବାଦଶାହଙ୍କ ସୈନ୍ୟବାହିନୀ ସହିତ ଯୁଦ୍ଧ କରିସାରିଥିଲେ।

प्रश्न 17.
मगर आज की लड़ाई तो हर हालत में जीतनी होगी ।
उत्तर:
କିନ୍ତୁ ଆଜିର ଯୁଦ୍ଧକୁ ତ ଯେ କୌଣସି ଉପାୟରେ ଜିଣିବାକୁ ପଡ଼ିବ।

प्रश्न 18.
मुगल राजपूती शौर्य की शान देखें ।
उत्तर:
ମୋଗଲ ରାଜପୁତାମାନଙ୍କ ପରାକ୍ରମର ଶକ୍ତି ଦେଖନ୍ତୁ ।

प्रश्न 19.
राणा ने चेतक की पीठ थपथपाई ।
उत्तर:
ରାଣା ଚେତକର ପିଠିକୁ ଥାପୁଡ଼େଇଦେଲେ।

प्रश्न 20.
राणा ने पुचकारा तो वह पूँछ हिलाने लगा ।
उत्तर:
ରାଣା ସ୍ନେହରେ ଚୁ-ଚୁ କଲେ ତ ସେ ଲାଞ୍ଜ ହଲାଇବାକୁ ଲାଗିଲା ।

प्रश्न 21.
मैं तो तुम्हें लेने को हरदम तैयार हूँ.
उत्तर:
ମୁଁ ତ ତୁମକୁ ନେବାପାଇଁ ସଦାସର୍ବଦା ପ୍ରସ୍ତୁତ ଅଛି ।

प्रश्न 22.
अपनी मुट्ठी भर सैनिक लेकर राणा हल्दीघाटी में उतरे।
उत्तर:
ନିଜର ସୀମିତ ସୈନିକଙ୍କୁ ନେଇ ରାଣା ହଳଦୀଘାଟିରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ।

प्रश्न 23.
(उन्होंने) माथे पर चुटकी भर धूल लगाई ।
उत्तर:
(ସେ) ଟିପେ ଧୂଳି ନେଇ ମସ୍ତକରେ ଲଗାଇଲେ ।

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प्रश्न 24.
मुग़लिया फौज टिड्डियों की भॉति आ धमकी ।
उत्तर:
ମୋଗଲ ସୈନ୍ୟଦଳ ପଙ୍ଗପାଳ ଦଳ ଭଳି ଆସି ପହଞ୍ଚିଗଲେ।

प्रश्न 25.
राणा ने देखा-शाहजादा सलीम जंग जीतने आया है ।
उत्तर:
ରାଣା ଦେଖ‌ିଲେ ରାଜକୁମାର ସଲୀମ ଯୁଦ୍ଧରେ ଜିଣିବା ପାଇଁ ଆସିଛନ୍ତି ।

प्रश्न 26.
उन्होंने बड़ी फुर्ती से हमला किया ।
उत्तर:
ସେ ଖୁବ୍ ଶୀଘ୍ର ଆକ୍ରମଣ କରିଦେଲେ।

प्रश्न 27.
उसकी फौज राणा पर आँधी-सी टूट पड़ी ।
उत्तर:
ତାଙ୍କ ସୈନ୍ୟବାହିନୀ ରାଣାଙ୍କଉପରେ ଝଡ଼ ଭଳି ଆକ୍ରମଣ କରିଦେଲେ ।

प्रश्न 28.
प्रताप की तलवार मानों फसल काटने लगी।
उत्तर:
ପ୍ରତାପଙ୍କ ଖଣ୍ଡା ସତେଯେପରି ଫସଲ କାଟିଲା ଭଳି ଲାଗିଲା।

प्रश्न 29.
मुकुट को देख फौजी उन पर हमला करते थे ।
उत्तर:
ମୁକୁଟ ଦେଖୁ ସୈନ୍ୟମାନେ ତାଙ୍କ ଉପରେ ଆକ୍ରମଣ କରୁଥିଲେ ।

प्रश्न 30.
राणा अकेले पड़ गए।
उत्तर:
ରାଣା ଏକୁଟିଆ ପଡ଼ିଗଲେ (ହୋଇଗଲେ)।

प्रश्न 31.
उन पर कई चोटें आईं ।
उत्तर:
ତାଙ୍କ ଦେହରେ ଅନେକ ଆଘାତ ଲାଗିଲା।

प्रश्न 32.
दूर से झाला वीर मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी।
उत्तर:
ଦୂରରୁ ଝାଲା ବୀର ମାନ୍ନା ପ୍ରତାପଙ୍କର ଏହି ଖରାପ ଅବସ୍ଥା ଦେଖ‌ିଲେ ।

प्रश्न 33.
वह उनकी तरफ झपटा।
उत्तर:
ସେ ତାଙ୍କ ଆଡ଼କୁ ଜୋରରେ ମାଡ଼ିଆସିଲେ।

प्रश्न 34.
आवाज गूँज उठी।
उत्तर:
ଶବ୍ଦ ପ୍ରତିଧ୍ଵନିତ ହେଲା

प्रश्न 35.
मान्ना ने पीछे से मुकुट छीनकर अपने सिर पर रखा ।
उत्तर:
ମାନ୍ନା ପଛପଟୁ ମୁକୁଟ ଛଡ଼େଇ ନେଇ ନିଜ ମୁଣ୍ଡ ଉପରେ ରଖିଲେ ।

प्रश्न 36.
आपके घाव गहरे है ।
उत्तर:
ଆପଣଙ୍କ କ୍ଷତ ବହୁତ ଗଭୀର ହୋଇଛି।

प्रश्न 37.
आप रहेंगे तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी।
उत्तर:
ଆପଣ ରହିଲେ ଆମ ଯୁଦ୍ଧ ଚାଲୁରହିବ।

प्रश्न 38.
अभी मैं इनके लिए काफी हैं।
उत्तर:
ଏବେ ମୁଁ ଏମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ ।

प्रश्न 39.
चेतक तो पहले भाँप चुका था कि राणा जख्मी हो गए हैं।
उत्तर:
ଚେତକ ତ ପ୍ରଥମରୁ ଅନୁମାନ କରିସାରିଥିଲା ଯେ ରାଣା ’ଆଘାତପ୍ରାପ୍ତ ହୋଇଯାଇଛନ୍ତି ।

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प्रश्न 40.
अब वह राणा को लेकर बेतहाशा भागा ।
उत्तर:
ଏବେ ସେ ରାଣାକୁ ନେଇ ଖୁବ୍ ଜୋରରେ ଧାଇଁଲା ।

प्रश्न 41.
झाड़-इंखाड़ों में तेजी से भागना तो उसका खेल था ।
उत्तर:
କଣ୍ଟାବୁଦା ଭିତରେ ଜୋରରେ ଦୌଡ଼ିବା ତ ତା’ପାଇଁ ଖେଳ ଥିଲା ।

प्रश्न 42.
आज वह ऐसा कूद रहा था, जैसे कभी नहीं कूदा ।
उत्तर:
ଆଜି ସେ ଏପରି ଡେଉଁଥୁଲା, ଯେପରିକି କେବେହେଲେ ଡେଇଁନଥିଲା ।

प्रश्न 43.
लोग मुझे भगोड़ा समझेंगे।
उत्तर:
ଲୋକେ ମୋତେ ପଳାତକ ଭାବିବେ

प्रश्न 44.
इधर चेतक हाँफने लगा ।
उत्तर:
ଏପଟେ ଚେତକ ଧଇଁସଇଁ ହେବାକୁ ଲାଗିଲା ।

प्रश्न 45.
वह लड़खड़ाया ।
उत्तर:
ତା’ ପାଦ ଟଳମଳ ହେଲା।

प्रश्न 46.
सामने नाला था, उसे कूदकर पार किया, फिर धड़ाम से गिरा ।
उत्तर:
ଆଗରେ ନାଳ ଥୁଲା, ତାକୁ ଡେଇଁପଡ଼ି ପାର ହୋଇଗଲା ପୁଣି ହଠାତ୍ ତଳେ ପଡ଼ିଗଲା ।

प्रश्न  47.
राणा ने देखा, उसकी छाती में तलवार भोंक दी गई है।
उत्तर:
ରାଣା ଦେଖ‌ିଲେ, ତା’ ଛାତିରେ ଖଣ୍ଡା ଭୁସି ଦିଆଯାଇଛି।

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प्रश्न  48.
खून की धारा बह रही है ।
उत्तर:
ରକ୍ତର ଧାରା ବହିଚାଲିଛି।

प्रश्न  49.
उनके सामने ही चेतक ने दम तोड़ दिए ।
उत्तर:
ତାଙ୍କ ଆଗରେ ହିଁ ଚେତକ ପ୍ରାଣତ୍ୟାଗ କଲା ।

प्रश्न  50.
उसने सारा माजरा देखा ।
उत्तर:
ସେ ସବୁ ଘଟଣା ଦେଖିଲା।

प्रश्न  51.
राणा का पीछा करके फौरन आ पहुँचा ।
उत्तर:
ରାଣାଙ୍କ ଅନୁଧାବନ କରି ଶୀଘ୍ର ଆସି ପହଞ୍ଚିଗଲା ।

प्रश्न  52.
(तू) मेरी गर्दन उड़ा दे ।
उत्तर:
ତୁ ମୋ ବେକ କାଟିଦେ ।

प्रश्न  53.
शक्ति प्रताप के पाँवों पर गिरा ।
उत्तर:
ଶକ୍ତି ପ୍ରତାପଙ୍କ ପାଦତଳେ ପଡ଼ିଗଲା ।

प्रश्न  54.
मुक्षे माफ कर दो ।
उत्तर:
ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦିଅ ।

प्रश्न 55.
झाला और चेतक ने मेरी आँखें खोल दीं ।
उत्तर:
ଝାଲା ଓ ଚେତକ ମୋ ଆଖୁ ଖୋଲିଦେଲେ

प्रश्न 56.
मैं भी वतन के लिए ही जान दूँगा ।
उत्तर:
ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଦେଶ ପାଇଁ ହିଁ ଜୀବନ ଦେବି

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प्रश्न 57.
दोनों फूट-फूट कर रोने लगे ।
उत्तर:
ଦୁହେଁ କଇଁକଇଁ ହୋଇ କାନ୍ଦିବାକୁ ଲାଗିଲେ।

प्रश्न 58.
अपनी वीरता समझदारी और बफादारी के लिए चेतक नाम अमर हो गया ।
उत्तर:
ନିଜ ବୀରତ୍ଵ, ବୁଦ୍ଧିମତ୍ତା ଓ କୃତଜ୍ଞତା ପାଇଁ ଚେତକ ନାମ ଅମର ହୋଇଗଲା ।

प्रश्न 59.
उसने प्रताप की जान बचाई,राजपूती शान बचाई ।
उत्तर:
ସେ ପ୍ରତାପଙ୍କ ଜୀବନ ରକ୍ଷାକଲା, ରାଜପୁତ ଜାତିର ସମ୍ମାନ ରକ୍ଷାକଲା ।

प्रश्न 60.
(उसने)खुद प्राण दे दिए ।
उत्तर:
(ସେ) ନିଜେ ପ୍ରାଣବଳି ଦେଇଦେଲା ।

मे सही उत्तर चूनिए :

प्रश्न 1.
राणा का प्राण-प्यारा साथी कौन था ?
(A) संग्राम
(B) हल्दीघाटी
(C) मेवाड़
(D) घोड़ा चेतक
उत्तर:
(D) घोड़ा चेतक

प्रश्न 2.
महाराणा प्रताप का जीवन क्या था ?
(A) हल्दी घाटी
(B) रणक्षेत्र
(C) संकरी पहाड़ी
(D) अपने वीर सैनिक
उत्तर:
(B) रणक्षेत्र

प्रश्न 3.
अकबर किसे कबे में लाना चाहता था ?
(A) मेवाड़ को
(B) हल्दीघाटी को
(C) राणा को
(D) सलीम को
उत्तर:
(C) राणा को

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प्रश्न 4.
प्रताप की प्रतिज्ञा क्या थी ?
(A) मेवाड़ को मुक्त करना
(B) अकबर से लड़ना
(C) घोड़े चेतक को न छोड़ना
(D) सलीम को हराना
उत्तर:
(A) मेवाड़ को मुक्त करना

प्रश्न 5.
चेतक किस रंग का घोड़ा था ?
(A) श्याम
(B) श्वेत
(C) लाल
(D) चितकबरा
उत्तर:
(A) श्याम

प्रश्न 6.
वह भी जैसे युद्ध-विद्या जानता था – ‘वह’ किसके लिये आया है ?
(A) शाहजादा सलीम
(B) राणा के सैनिक
(C) मह्नराणा प्रताप
(D) घोड़ा चेतक
उत्तर:
(D) घोड़ा चेतक

प्रश्न 7.
चेतक क्या पहचान लेता था ?
(A) अपने मालिक का आदेश
(B) हल्दीघाटी का मार्ग
(C) ऐनवक्त पर उछलना
(D) दुशमन की चाल
उत्तर:
(D) दुशमन की चाल

प्रश्न 8.
चेतक ऐन वक्त पर उछल पढ़ने का परिणाम क्या होता था?
(A) दुशमन भाग जाते थे
(B) राणा प्रताप बच जाते थे
(C) दुश्मन का वार खाली हो जाता था
(D) मुगल-सेना हार जाती थी
उत्तर:
(C) दुश्मन का वार खाली हो जाता था

प्रश्न 9.
चेतक अपनी पूँछ क्यों हिलाने लगा ?
(A) राणा ने पुचकारा
(B) राणा ने चेतक की पीठ थप्थपाइ
(C) कान फड़फड़ाने से
(D) महाराणा प्रताप की आवाज सुनकर
उत्तर:
(A) राणा ने पुचकारा

प्रश्न 10.
चेतक हिनहुनिाकर क्या बता रहा था ?
(A) मैं तुम्हें लेने तैयार हूँ
(B) मैं बहुत थक गया हूँ
(C) मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
(D) मैं तुम्हारे लिए प्राण दे दूँगा
उत्तर:
(A) मैं तुम्हें लेने तैयार हूँ

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प्रश्न 11.
युद्ध करने से पहले राणा ने माथे पर क्या लगाया ?
(A) कवच
(B) मेवाड़ की धूल
(C) मुकुट
(D) हल्दीघाटी की धूल
उत्तर:
(D) हल्दीघाटी की धूल

प्रश्न 12.
मुगलिया फौज के पहुँच जाने के समय राणा क्या करते थे?
(A) सैन्य-संचालन
(B) मातृभूमि को प्रणाम करते थे
(C) संकरी पहाड़ी गली पार होते थे
(D) मातृभूमि की धूल को देखते थे
उत्तर:
(B) मातृभूमि को प्रणाम करते थे

प्रश्न 13.
मुगलिया फौज किस की भाँति आ पहुँची ?
(A) ज्वाला की भाँति
(B) तूफान की भाँति
(C) उनचास पवन की भाँति
(D) टिड्डियों की भाँति
उत्तर:
(D) टिड्डियों की भाँति

प्रश्न 14.
जंग जीतने कौन’आया था ?
(A) शाहजादा सलीम
(B) महाराणा प्रताप
(C) सम्राट अकबर
(D) शक्ति सिंह
उत्तर:
(A) शाहजादा सलीम

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प्रश्न 15.
सलीम की फौज राणा पर कैसे टूट पड़ी ?
(A) तूफान-सी
(B) आँधी-सी
(C) कुत्तों-सी
(D) आग-सी
उत्तर:
(B) आँधी-सी

प्रश्न 16.
मुगल फौजी राणा पर हमला करने में कैसे समर्थ होते शे?
(A) युद्ध क्षेत्र में चेतक को देखकर
(B) राणा को सेनापति जानकर
(C) राणा के सिर पर मुकुट देखकर
(D) सैन्यों से पूछकर
उत्तर:
(C) राणा के सिर पर मुकुट देखकर

प्रश्न 17.
चोटें खाए राणा प्रताप की बुरी हालत किसने देखी?
(A) शाहजादा सलीम ने
(B) झाला वीर मान्रा ने
(C) मुगल सैनिकों ने
(D) शक्ति सिंह ने
उत्तर:
(B) झाला वीर मान्रा ने

प्रश्न 18.
महाराणा का मुकुट किसने छीन लिया ?
(A) झाला वीर मान्रा ने
(B) शाहजादा सलीम ने
(C) सैनिकों ने
(D) मुगलों ने
उत्तर:
(A) झाला वीर मान्रा ने

प्रश्न 19.
अभी मै इनके लिए काफी हैं। कौन किसके लिए काफी है ?
(A) झालावीर मान्ना मुगलों के लिए
(B) राणा प्रताप सलीम के लिए
(C) शक्ति सिंह राणा के लिए
(D) शक्ति सिंह मुगलों के लिए
उत्तर:
(A) झालावीर मान्ना मुगलों के लिए

प्रश्न 20.
लोग मुझे भगोड़ा समझेंगे । यह किसने कहा ?
(A) राषा मताप ने
(B) झाला वीर मान्ना ने
(C) शाहजादा सलीम
(D) शक्ति सिंह ने
उत्तर:
(A) राषा मताप ने

प्रश्न 21.
चेतक कहाँ गिर पड़ा ?
(A) नाले के पास
(B) झाड़-झंखाड़ों में,
(C) जहाँ उसे तलवार भोंक दी गई थी
(D) युद्ध के मैदान में
उत्तर:
(A) नाले के पास

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प्रश्न 22.
राणा प्रताप क्यों रोने लगे ?
(A) चेतक के मर जाने से
(B) चेतक की छाती से खून की धारा बहने से
(C) चेतक के गिर पड़ने से
(D) शक्ति सिंह के मुगलों के साथ रहने से
उत्तर:
(B) चेतक की छाती से खून की धारा बहने से

प्रश्न 23.
युद्ध-क्षेत्र से राणा का पीछा किसने किया ?
(A) झाला वीर मान्ना ने
(B) शाहजादा सलीम ने
(C) शक्ति सिंह ने
(D) मुगल सैनिक ने
उत्तर:
(C) शक्ति सिंह ने

प्रश्न 24.
झाला और चेतक ने किसकी आँखें खोल दीं ?
(A) सलीम की
(B) मान्ना ने
(C) शक्ति सिंह की
(D) राणा प्रताप की
उत्तर:
(C) शक्ति सिंह की

प्रश्न 25.
शक्तिसिंह के मन में अंत में कौन-सा भाव जगा?
(A) चेतक के प्रति प्रेम
(B) देशप्रेम
(C) वीरत्व
(D) देशद्रोह
उत्तर:
(B) देशप्रेम

प्रश्न 26.
इनमें से कौन-सा चेतक में नहीं था ?
(A) वफादारी
(B) समझदारी
(C) वीरता
(D) दौड़ने में शिथिलता
उत्तर:
(D) दौड़ने में शिथिलता

प्रश्न 27.
कहाँ के चौके-चौराहों पर चेतक की मूर्त्तियाँ खड़ी हैं?
(A) गुजरात
(B) महाराष्ट्र
(C) राजस्थान
(D) पंजाब
उत्तर:
(C) राजस्थान

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प्रश्न 28.
अकबर बादशाह की फौज से महाराजा प्रताप का मुकाबला हो जाता था, क्योंकि –
(A) राणा सवेरा होते ही कवच पहन और हाथ में तलवार लेकर निकल पड़ते थे
(B) युद्ध के मैदान में लड़ना महाराणा प्रताप की शौकथी
(C) अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहता था
(D) अकबर वीर से लड़ना चाहता था
उत्तर:
(C) अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहता था

प्रश्न 29.
चेतक घोड़ा किसी वीर से कम न था, क्योंकि –
(A) वह साहसी और स्वामी-भक्त था
(B) वह दुश्मन की हर चाल को पहचान लेता था
(C) लड़ाई के मैदान में वह राणा का प्राणप्यारा साथी था
(D) वह वीरों के साथ रहता था
उत्तर:
(B) वह दुश्मन की हर चाल को पहचान लेता था

प्रश्न 30.
झाला वीर मान्ना ने महाराणा प्रताप के पीछे से उनका मुकुट छीनकर अपने सिर पर रखा, क्योंकि –
(A) उनके मुकुट को देखकर मुगल फौजी उन पर हमला करते थे
(B) मुकुट मुगल लेना चाहते थे
(C) झाला-बीर मान्ना को मुकुट पहनने की इच्छा हुई
(D) मुकुट के कारण महाराणा प्रताप वार से बच जाते था
उत्तर:
(A) उनके मुकुट को देखकर मुगल फौजी उन पर हमला करते थे

प्रश्न 31.
चेतक राणा को युद्ध के मैदान से लेकर भागा, क्योंकि-
(A) झाला वीर मान्ना ने उससे ऐसा करने को कहा
(B) वह भाँप चुका था कि राणा जख्मी हो गए हैं और उनको बचाना है
(C) राणा ने उसे भागने का संकेत दिया
(D) राणा ने उसे रोकना नहीं चाहा
उत्तर:
(D) राणा ने उसे रोकना नहीं चाहा

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प्रश्न 32.
प्रताप रोने लगे, क्योंकि –
(A) चेतक की छाती में तलवार भोंक दी गई थी और उससे खून की धारा बह रही थी
(B) चेतक नाला पार न कर सका और गिर पड़ा
(C) उनको भय था कि पीब्छे से मुगल सैनिक आकर पहुँच जाएँगे
(D) वे युद्ध में हार गए थे
उत्तर:
(A) चेतक की छाती में तलवार भोंक दी गई थी और उससे खून की धारा बह रही थी

प्रश्न 33.
शक्ति सिंह ने कहा, “मैं भी वतन के लिए ही जान दूँगा’ , क्योंकि –
(A) वह मुगलों के साथ था
(B) झाला और चेतक ने उसकी आँखें खोल दी थीं
(C) राणा चेतक की मौत हो जाने से रो रहे थे
(D) वह प्रताप का भाई था
उत्तर:
(B) झाला और चेतक ने उसकी आँखें खोल दी थीं

प्रश्न 34.
आज भी राजस्थान के चौके-चौराहे, रास्ते, भवन सब पर चेतक की मूर्तियाँ खड़ी हैं, क्योंकि –
(A) चेतक ने राजपूती शान बचाई थी
(B) सरकार ने विभिन्न पशुओं की मूर्तियाँ चौराहों पर स्थापित करने का निर्णय लिया था
(C) मूर्तिकार घोड़े की मूर्ति बनाना जानते थे
(D) वह बहुत होशियार था
उत्तर:
(A) चेतक ने राजपूती शान बचाई थी

मे शून्यस्थानों की पूर्ति कीजिए

1. संग्राम महाराणा प्रताप का ………… था।
उत्तर: साथी

2. महाराणा प्रताप का जीवन ही ………… था।
उत्तर: रणक्षेत्र

3. ………… राणा को अपने कबे में करना चाहता था।
उत्तर: अकबर

4. प्रताप ने प्रतिक्षा की थी, प्राण दूँगा, पर ………… को मुक्त करूँगा।
उत्तर: मेवाड़

5. चेतक घोड़ा किसी ………… से कम नथा।
उत्तर: वीर

6. चेतक दुश्मन की हर ………… को पहचान लेता था।
उत्तर: चाल

7. उसने वक्त पर ऐसा उछलता कि दुश्मन का ………… खाली जाता।
उत्तर: वार

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8. घुड़सवार के लिए उसके घोड़े का ………… होना बहुत जरूरी है।
उत्तर: होशियार

9. वे पहले कई बार बादशाही फौज से ………… ले चुके थे।
उत्तर: लोहा

10. मुगल राजपुती ………… की शान देखें ।
उत्तर: शौर्य

11. राणा ने चेतक की पीठ ………… |
उत्तर: थपथपाई

12. चेतक ने कान ………… |
उत्तर: फड़फड़ाए

13. अपनी मुट्ठी भर सैनिक लेकर राणा ………… में उतरे ।
उत्तर: हलदीघाटी

14. मुगलिया फौज ………… की भाँति आ धमकी ।
उत्तर: टिड्डियों

15. शाहजादा ………… जंग जीतने आया है ।
उत्तर: सलीम

16. सठीम का ………… मारा गया ।
उत्तर: हाथी

17. सलीम की फ़ौज राणा पर ………… सी टूट पड़ी।
उत्तर: आँधी

18. झाला वीर ………… ने प्रताप की बुरी हालत देखी ।
उत्तर: मात्रा

19. ………… ने पीछे से मुकुट छीन कर अपने सिर प्र रखा ।
उत्तर: मात्रा

20. चेतक राणा को लेकर ………… भागा।
उत्तर: बेतहाशा

21. ………… में तेजी से भागना तो चेत्रक का खेल था।
उत्तर: झाड़-झंखाड़ों

22. राणा ने देखा ………… की छाती में तलवार भोंक दी गई है।
उत्तर: चेतक

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23. उनके सामने ही चेतक ने ………… तोड़ दिए ।
उत्तर: दम

24. राणा का भाई ………… मुगलों के साथ था।
उत्तर: शक्तिसिंह

25. शक्ति ………… के पाँवो पर गिरा ।
उत्तर: प्रताप

26. झाला और ………… ने मेरी आँखें खोलं दीं ।
उत्तर: चेतक

27. शक्ति बोला, मैं भी ………… के लिए ही जान दूँगा ।
उत्तर: वतन

28. अपनी वीरता, समझदारी और ………… के लिए चेतक का नाम अमर हो गया।
उत्तर: वफादारी

29. चेतक ने ………… शान बचाई ।
उत्तर: राजपूती

30. आज भी ………… के चौके-चौराहे, रास्ते भवन सब पर चेतक की मूर्त्तियाँ खड़ी है ।
उत्तर: राजस्थान

उपयुक्त शब्द ले कर खाली जगह भरिए :

1. संग्राम महाराणा प्रताप …………….. साथी था। (का, को, में)
उत्तर: का

2. न तो वे कभी संग्राम …………….. डरते थे। (को, से, में)
उत्तर: से

3. वे हाथ …………….. तलवार लेकर निकल पड़ते थे। (पर, में, से)
उत्तर: में

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4. प्रताप …………….. प्रतिज्ञा की थी। (को, से, ने)
उत्तर: ने

5. घोड़ा किसी वीर …………….. कम नहीं था। (को, से, ने)
उत्तर: से

6. वह ऐन वक्त …………….. उछलता था।.(पर, से, को)
उत्तर: पर

7. उसने कई बार राणा …………….. जान बचाई थी। (का, के, की)
उत्तर: की

8. घुड़सवार …………….. उसके घोड़े का होशियार होना जरूरी है। (को, केलिए, में)
उत्तर: केलिए

9. वे बादशाही फौज …………….. लोहा ले चुकेथे। (को,में,से)
उत्तर: से

10. हल्दीघाटी …………….. सँकरी पहाड़ी गली। (का, के, की)
उत्तर: की

11. मुगल राजपूती शौर्य …………….. शान देखें। (का, के, की)
उत्तर: की

12. मैं तुम्हें लेने …………….. तैयार हूँ। (का, को, ने)
उत्तर: को

13. चेतक …………….. कान फड़फड़ाए। (ने, से, में)
उत्तर: ने

14. राणा हल्दीघाटी …………….. उतरे। (पर, में, को)
उत्तर: में

15. उन्होंने बड़ी फूर्ती …………….. हमला किया। (ने, से, केलिए)
उत्तर: से

16. उन …………….. सिर पर मुकुट था। (का, के, को)
उत्तर: के

17. उन …………….. कई चोटें आई। (का, पर, से)
उत्तर: पर

18. जय, महाराणा …………….. जय। (का, की, को)
उत्तर: की

19. उस …………….. ये बातें सुनीं। (को, ने; से)
उत्तर: ने

20. आप …………….. घाव गहरे हैं। (के, में, से)
उत्तर: के

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21. उसकी छाती …………….. तलवार भोंक दी गई है।(पर, में, से)
उत्तर: में

22. चेतक …………….. दम तोड़ दिए। (ने, को, पर)
उत्तर: ने

23. वह राणा …………….. पीछा करके पहुँचा । (का, के, पर)
उत्तर: का

24. प्रताप …………….. उसे देखा। (को, ने; से)
उत्तर: ने

25. मैं भी वतन …………….. जान दूँगा । (केलिए, को, से)
उत्तर: केलिए

26. वफादारी …………….. ‘चेतक’ नाम अमर हो गया। (को, केलिए, ने)
उत्तर: केलिए

27. चौराहे …………….. चेतक की मूर्तियाँ खड़ी हैं । (को, पर, केलिए)
उत्तर: पर

28. उसने प्रताप …………….. जान बचाई। का, के, की)
उत्तर: की

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वर्तनी शुद्ध कीजिए :

1. लड़ाइ
2. तलबार
3. वादशाह
4. घोड़सवार
5. बिसाल
6. पुँछ
7. शलीम
8. बेतहासा
9. गरदन
10. आँखे
11. मुर्तियाँ
12. बफादारी
13. लड़ाई
उत्तर:
1. लड़ाई
2. तलवार
3. बादशाह
4. घुड़सवार
5. विशाल’
6. पूँछ
7. सलीम
8. बेतहांशा
9. गर्दन
10. आँखें
11. मूर्तियाँ
12. वफादारी

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वाक्यों को शुद्ध कीजिए :

1. उनका जीवन ही रणक्षेत्र थी।
2. प्रताप ने प्रतिज्ञा किया था।
3. दुश्मन के हर चाल को यह पहचान लेता था ।
4. राणा प्रताप बड़े लंड़ाई में जा रहे थे ।
5. आज की लड़ाई हर हालत में जीतना होगी।
6. मुगल राजपूती शौर्य का शान देखें।
7. मुगलिया फौज टिड्डियों की भाँति आ धमका ।
8. प्रताप की तलवार मानों फसल काटने लगा ।
9. मान्ना प्रताप की बुरी हालत देखा ।
10. आपके घाव गहरा है।
11. वह ये बातें सुनीं।
12. उसने ऐसा कूद रहा था।
13. खून का धारा बह रहा था।
14. राणा का भाई शक्ति सिंह मुगलों का साथ था ।
15. चेतक ने खुद प्राण दे दिया ।
उत्तर:
1. उनका जीवन ही रणक्षेत्र था।
2. प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी।
3. दुश्मन की हर चाल को यह पहचान लेता था।
4. राणा प्रताप बड़ी लड़ाई में जा रहे थे ।
5. आज की लड़ाई हर हालत में जीतनी होगी।
6. मुगल राजपूती शौर्य की शान देखें।
7. मुगलिया फौज टिड्डियों की भाँति आ धमकी।
8. प्रताप की तलवार मानों फसल काटने लगी।
9. मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी।
10. आपके घाव गहरे हैं।
11. उसने ये बातें सुनीं।
12. वह ऐसा कूद रहा था।
13. खून की धारा बह रही थी।
14. राणा का भाई शक्ति सिंह मुगलों के साथ था।
15. चेतक ने खुद प्राण दे दिए।

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लिंग बदलिए :

बादशह – बेगम
हाथी – हथिनी
घोड़ा – घोड़ी
शाहजादा – शाहजादी

वचन बदलिए :

लड़ाई – लड़ाइयाँ
सैनिक – सैनिक
सड़क – सड़के
घोड़ा – घोड़े
चाल – चालें
घाटी – घाटियाँ
सेना – सेनाएँ
पूँछ – पूँछें
माथा – माथे
टिड्डी – टिड्डियाँ
हाथी – हाथी
भगोड़ा – भगोड़े
चोट – चोटें
घाव – घाव
नाला – नाले
युद्ध – युद्ध
तलवार – तलवारें
मैदान – मैदान
विद्या – विद्याएँ
जान – जानें
पहाड़ी – पहाड़ियाँ
कान – कान
मुट्ठी – मुट्ठियाँ
धूल – धूलें
जंग – जंग
आँधी – आँधियाँ
फसल – फसलें
आवाज – आवाजें
हमला – हमले
खून – खून
धारा – धाराएँ
गर्दन – गर्दनें
वतन – वतन
मूर्त्ति – मूर्त्तियाँ
सेना – सेनाएँ
माथा – माथे
हाथी – हाथी
चोट – चोटें
तलवार – तलवारें
नाला – नाले
गर्दन – गर्दनें
हाथ – हाथ
रानी – रानियाँ
रात – रातें
माजरा – माजरे
आँख – आँखें
चौराहा – चौराहे
घाटी – घाटियाँ
पूँछ – पूँछें
टिड्डी – टिड्टियाँ
भगोड़ा – भगोड़े
युद्ध – युद्ध
फैज – फौजें
धारा – धाराएँ
मूर्ति – र्तियाँ
खान – खानें
लकीर – लकीरें
रास्ता – रास्ते

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अव्ययों से रिक्त स्थान भरिए :

1. ………… वे ………… संग्राम से डरते थे ।
उत्तर: न तो, कभी

2. बादशाह की फ़ौज से ………… मुकाबला हो जाता था।
उत्तर: कहीं न कहीं

3. प्राण दूँगा ………… मेवाड़ को मुक्त करूँगा।
उत्तर: पर

4. वह …………… युद्ध विद्या जानता था।
उत्तर: भी, जैसे

5. राणा उस पर सवार होते ………… वह बहुत खुश होता।
उत्तर: तो

6. सेना का कहीं ………… सामना किया जा सकता है।
उत्तर: आसानी से

7. ………… आज की लड़ाई जीतनी होगी।
उत्तर: मगर

8. ………… वह बच गया।
उत्तर: लेकिन

9. प्रताप की तलवार ………… फसल काटने लगी।
उत्तर: मानो

10. वह उन ………… झपटा।
उत्तर: की तरफ

11. ………… मैं इनके लिए काफी हूँ।
उत्तर: अभी

12. ………… वह राणा को लेकर भागा ।
उत्तर: अब

13. झाड़-झंखाड़ों में ………… भागना तो उसका खेल था।
उत्तर: तेजी से

14. आज वह ………… कूद रहा था, …………कूदा।
उत्तर: ऐसा, जैसे, कभी, नहीं

15. वह लड़खड़ाया, ………… उछला ।
उत्तर: फिर भी

16. ………… नाला था।
उत्तर: सामने

17. वह ………… गिरा ।
उत्तर: फिर, धड़ाम से

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18. उन ………… चेतक़ ने दम तोड़ दिए ।
उत्तर: के सामने

19. वह राणा का पीछा करके ………… आ पहुँचा ।
उत्तर: फौरन

20. अपने चैतक ………… मैं जी ………… सकता।
उत्तर: के बिना, नहीं

21. झाला ………… चेतक ने मेरी आँखें खोल दीं ।
उत्तर: और

22. मैं ………… वतन के लिए ………… जान दूँगा।
उत्तर: भी, ही

३० शब्दों/दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
राणा प्रताप सवेरा होते ही क्या करते थे ?
उत्तर:
राणा प्रताप मेवाड़ को मुक्त करना चाहते थे और अकबर राणा प्रताप को अपेने कबें में लाना चाहते थे। राणा प्रताप का जीवन ही रणक्षेत्र था, इसलिए वे सवेरा होते ही कवच पहनकर, हाथ में तलवार लेकर युद्ध करने निकल पड़ते थे ।

प्रश्न 2.
चेतक के रूप-गुणों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
चेतक चमकीले रंग का घोड़ा था । वह मानो युद्धविद्या जानता था, वीर था, वह युद्धभूमि में युद्धविद्या – विशारद की तरह बड़ी होशियारी से काम करता था। वह दुश्मन की चाल पहचानकर सही वक्त पर उछलकर दुश्मन के वार से राणा को बचा लेता था ।

प्रश्न 3.
हल्दीघाटी में हुए युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राणा प्रताप और सलीम के बीच घमासान लड़ाई हुई । अनगिनत सैनिक मारे गए । सलीम का हाथी मारा गया । मुगल राणा को अकेला पाकर घेर गए। राणा पर कई चोटें आई ।

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प्रश्न 4.
युद्ध में प्रताप ने क्या किया ?
उत्तर:
प्रताप ने सामने मुगल सेना देखकर तुरंत उन पर हमला कर दिया । उन्होंने युद्ध में अपनी तलवार से मुगल सैनिकों को मार गिराया । उनको अकेले पाकर मुगल सैनिकों ने उन पर कई चोटें कीं, पर प्रताप पीछे नहीं हटे ।

प्रश्न 5.
चेतक प्रताप को लेकर क्यों और कैसे भागा ?
उत्तर:
चेतक जान गया था कि राणा युद्द में जख्मी हो गए हैं । झाला वीर मात्रा ने राणा से युद्ध का मैदान छोड़कर चले जाने को कह्न । यह सुनते ही चेतक राणा को लेकर झाड़-झंखाडों में तेजी से कूदते हुए भागा ।

प्रश्न 6.
राणा चेतक की मौत से क्यों दुःखी हुए ?
उत्तर:
चेतक राणा को जख्मी की ह्हलत में लेकर युद्ध के मैदान से भागते समय एक गाला कूदकर पार करने के बाद गिर पड़ा । उसकी छाती में तलवार भोंक दी गई थी और उससे खून की धारा बह रही थी। राणा के सामने वहीं चेतक की मौत हो गई; इससे राणा दु:खी हुए ।

प्रश्न 7.
चेतक का नाम क्यों अमर हुआ ?
उत्तर:
चेतक ने राणा को युद्ध क्षेत्र से ले आकर उनको बचाया था । खुद प्राण दे दिए और उसकी वीरता, समझदारी और वफादारी के लिए राजपूती शान ब्रच गई ।इसी कारण उदका नाम अमर हो गया।

प्रश्न 8.
आज चेतक की मूर्तियाँ कहाँ-कहाँ मिलती है ?
उत्तर:
चेतक ने हल्दीघाटी के युद्ध क्षेत्र से राणा को दूर लेकर उनके प्राण बचाए थे । वह वीरता, समझदारी और वफादारी का प्रतीक बन गया । राजस्थान के चैके चौराहों, सड़कों, भवनों पर उसकी मूर्तियाँ मिलती हैं ।

प्रश्न 9.
शक्ति सिंह को किनसे और क्या शिक्षा मिली ?
उत्तर:
राणा प्रताप को युद्ध से भागते हुए देखकर शक्तिसिंह भाई के पीछे-पीछे नाले के पास पहुँचा, जहाँ चेतक की मौत हो गई थी। उसने झाला और चेतक का देशप्रेम देखा था। शक्तिसिंह को इन दोनों से देश-प्रेम की शिक्षा मिली ।

प्रश्न 10.
झाला वीर मान्ना प्रताप का मुकुट छीनकर क्या बोला ?
उत्तर:
राणा कां मुकुट छीनकर झाला बोला – राणा, आपके घाव नहरे हैं। मेरी बात मानकर अब आप अपनी जान बचाइए। आप रहेंगे तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी ।अभी में इनके लिए काफी हूँ, ।

प्रश्न 11.
हल्दीघाटी के युद्धक्षेत्र में चेतक राणा की सहायता कैसे कर रहा था ?
उत्तर:
हल्दीघाटी के युदक्षेत्र में वेतक ने राणा का पूरा साथ दिया । अंत में उसने घायल राणा को युद्ध-क्षेत्र से दूर ले जाकर उनके प्राण बचाए। एक नाला कूटकर पार करने के बाद खुद घोड़े ने दम तोड़ दिए।

प्रश्न 12.
महाराणा प्रताप का संग्राम से कैसा संबंध था?
उत्तर:
संग्राम महाराणा प्रताप का साथी था। उनका जीवन ही रणक्षेत्र था। वे संग्राम से कभी नहीं डरते थे।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 6 घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

प्रश्न 13.
महाराणा प्रताप का अकबर बादशाह की फौज से क्यों मुकाबला हो जाता था?
उत्तर:
अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहता था। प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी – प्राण दूँगा, पर मेवाड़ को मुक्त करूँगा। इसलिए उनका अकबर बादशाह की फौज से मुकाबला हो जाता था।

प्रश्न 14.
चेतक क्यों खुश हो जाता था ?
उत्तर:
राणा चेतक पर सवार होते ही चेतक खुश हो जाता था। उसने रण में होशियारी से कई बार राणा की जान बचाई थी। वह किसी वीर से कम न था।

प्रश्न 15.
हल्दीयाटी की क्या विशेषता थी ?
उत्तर:
हल्दीघाटी की संकरी पहाड़ी गली में विशाल मुगल सेना से सामना किया जा सकता है। शाहुजादा सलीम के नेतृत्व में आई मुगल सेना से महाराणा म्रताप ने अपनी मुट्ठी भर सैनिक लेकर लड़े थे।

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प्रश्न 16.
राणा चिल्लाकर चेतक से क्या बोले ?
उत्तर:
राणा चिल्लाकर चेतक से बोले, “चेतक ! चेतक ! यह क्या कर रहा है ? लोग मुझे भगोड़ा समझेंगे। रूक जा।”

प्रश्न 17.
शक्ति सिंह को देखकर राणा ने क्या कहा?
उत्तर:
शक्ति सिंहको देखकर रापा ने कहा, “आ जा शक्ति! मेरी गर्दन उड़ा दे। अपने चेतक के बिना में जी नहीं सकता।”

विचार बिन्दु :

यह घोड़े ेेतक की समझदारी, बफादारी और बलिदान की कहानी है । राजपूत वीर महाराणा प्रताप मुगल सम्राट अकबर की वशता स्वीकार न करके बराबर उनका मुकावला करते रहे । चेतक महाराणा प्रताप का हर लड़ाई में साथी रहा । वह तो जैसे दुश्मन की हर चाल को पहचान लेता था। वह अपने मालिक से बेहद प्यार करता था । एक बार जख्मी मालिक के प्राण बचाने के लिए चेतक दुश्मनों की भीड़ से तेज रफ्तार से भागा और एक नाला पार करते ही गिर पड़ा और अपने प्राण त्याग दिए। प्रभु-पशु-प्रेम की यह कहानी ऐतिहासिक अमर कहानी है ।

शब्दार्थ

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सारांश

मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप मुगल सम्राट अकबर के कबे में नहीं आए। अकबर ने मेवाड़ का अधिकार कर लिया था। मेवाड़ को मुक्त करने के लिए महाराणा प्रताप को अकबर की फौज से बारबार मुकाबला करना पड़ता था । उनके वीर सौनिक और जान से प्यारा घोड़ा चेतक उनका साथ दे रहे थे ।

चेतक बहुत होशियारथा । लड़ाई के मैदान में अपने मालिक के साथ रहकर दुश्मन की चाल को पहचान लेने की शक्ति उसमें आ गई थी। कई बार युद्ध में उसने राणा की जान बचाई थी ।

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एक बार मुगली फौज से लड़ने राणा हलदीघाटी में उतरे । एकाएक सलीम के नेतृत्व में मुगलिया फैज पहुँच गई। भीषण लड़ाई हुई । सलीम का हाथी मारा गया, पर वह बच गया । महाराणा प्रताप अपनी तलवार से शत्रु सैनिकों को मारने लगे ।उनको भी कई चोटें लगीं । राणा के सिर पर मुकुट देख कर मुगलों ने राणा को घेर लिया।

दूर से झाला वीर मात्रा ने यह हालत देखी । उसने झपटकर पीछे से राणा का मुकुट छीन लिया और मुगलों को भ्रम में डालने के लिए मुकुट अपने सिर पर धारण कर लिया । उसने राणा से लड़ाई छोड़कर चले जाने की विनती की और खुद लड़ाई जारी रखने का वचन दिया ।

चेतक ने भाँप लिया कि राणा को बचाना है । अंब उसने रांणा का हुक्म नहीं माना । वह राणा को लेकर झाड़-झंखाडों में तेजी से भागा। वह हाँफने लगा ।आगे एक नाला था। वह कूटकर तो नाला पार हो गया, पर वहीं धड़ाम् से गिर पड़ा । उसकी छाती में तलवार भोंक दी गई थी। खून की धारा बह रही थी। वहीं चेतक ने दम तोड़ दिये । राणा प्रताप रोने लगे ।

इतने में राणा का भाई शक्ति सिंह जो मुगलों के साथ था, उनका पीछा करता हुआ वहीं आ पहुँचा । उसको देखते ही राणा बोले – तू मेरी गर्दन उड़ा दे । मैं चेतक के बिना जी नहीं सकूँगा ।

झाला और चेतक ने शक्ति सिंह की आँखें खोल दी थीं । शक्ति सिंह ने भैया से माफी माँगी; मुगल-पक्ष छोड़कर मातृभूमि के लिए जान देने को वचन-बद्ध हुआ, फूट-फूटकर रोने लगा ।

चेतक ने तो खुद जान दे दी । पर उसने महाराणा प्रताप की जान बचाई । राजपूती शान बचाई । अपनी वफादारी के लिए चेतक अमर हो गया ।आज राजस्थान के चौराहों और भवनों पर चेतक की मूर्त्तियाँ उस शान की याद दिलाती हैं।

ସାରାଂଶ

ମେଣ୍ଢାର ରାଣା ମହାରାଣା ପ୍ରତାପ ମୋଗଲ ସମ୍ରାଟ ଆକବରଙ୍କ ବଶତା ସ୍ଵୀକାର କରିନଥୁଲେ । ଆକବର ମେୱାର ଅଧିକାର କରି ନେଇଥିଲେ । ମେୱାରକୁ ମୁକ୍ତ କରିବା ପାଇଁ ମହାରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କୁ ଆକବରଙ୍କ ସୈନ୍ୟବାହିନୀ ସହିତ ବାରମ୍ବାର ସମ୍ମୁଖୀନ ହେବାକୁ ପଡ଼ୁଥିଲା । ତାଙ୍କର ବୀର ସୈନିକଗଣ ଓ ପ୍ରାଣପ୍ରିୟ ଘୋଡ଼ା ଚେତକ ତାଙ୍କୁ ସହାୟତା କରୁଥିଲେ ।

ଚେତକ ବହୁତ ବୁଦ୍ଧିମାନ ଥଲା । ଯୁଦ୍ଧ କ୍ଷେତ୍ରରେ ନିଜ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ସହିତ ରହି ଶତ୍ରୁର କୌଶଳକୁ ଜାଣିପାରିବାର ଶକ୍ତି ତା’ର ଆସିଯାଇଥିଲା । ଅନେକ ଥର ସେ ଯୁଦ୍ଧ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମହାରାଣାଙ୍କ ଜୀବନ ମଧ୍ୟ ରକ୍ଷା କରିଥିଲା । ଏକଦା ମୋଗଲ ସୈନ୍ୟଙ୍କ ସହିତ ଯୁଦ୍ଧ କରିବାପାଇଁ ମହାରାଣା ପ୍ରତାପ ହଳଦୀଘାଟିରେ ପହଞ୍ଚିଲେ । ସେଠାରେ ଚାହୁଁଚାହୁଁ ସଲୀମଙ୍କ ନେତୃତ୍ବରେ ମୋଗଲ ବାହିନୀ ମଧ୍ୟ ପହଞ୍ଚିଗଲେ । ଭୀଷଣ ଯୁଦ୍ଧ ହେଲା । ଯୁଦ୍ଧରେ ସଲୀମଙ୍କ ହାତୀ ମରିଗଲା | କିନ୍ତୁ ସଲୀମ ରକ୍ଷା ପାଇଗଲେ । ରାଣା ପ୍ରତାପ ତାଙ୍କ ତରବାରୀରେ ଶତ୍ରୁ ସୈନ୍ୟଙ୍କୁ ହତ୍ୟା କରି ଚାଲିଲେ । ତାଙ୍କୁ ମଧ୍ଯ ଅନେକ ଆଘାତ ଲାଗିଲା । ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କ ମସ୍ତକରେ ରାଜମୁକୁଟ ଦେଖି ମୋଗଲ ସୈନ୍ୟ ତାଙ୍କୁ ଘେରିଗଲେ ।

ଦୂରରୁ ଝାଲାବୀର ମାନ୍ନା ଏହି ଅବସ୍ଥା ଦେଖି ପକାଇଲେ । ସେ ଜୋର୍‌ରେ ଆସି ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କ ପଛରୁ ମୁକୁଟ ଝି ନେଲେ ଓ ମୋଗଲ ସୈନ୍ୟଙ୍କୁ ସନ୍ଦେହରେ ପକାଇବା ପାଇଁ ମୁକୁଟ ନିଜେ ପିନ୍ଧି ପକାଇଲେ । ସେ ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କୁ ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ର ଛାଡ଼ି ଚାଲିଯିବା ପାଇଁ ବିନୀତ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ । ସେ ନିଜେ ଯୁଦ୍ଧସଂଚାଳନ କରିବେ ବୋଲି ମଧ୍ୟ କଥାଦେଲେ ।

ଚେତକ ଠଉରେଇ ନେଲା ଯେ ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କୁ ବଞ୍ଚାଇବାକୁ ହେବ । ସେ ଆଉ ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କ ଆଦେଶ ମାନିଲା ନାହିଁ । ସେ ରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କୁ ନେଇ କଣ୍ଟା ବୁଦା, ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରେ ଜୋର୍‌ରେ ଦୌଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା । ସେ ଧଇଁ ସଇଁ ହୋଇଗଲା । ତା’ ସମ୍ମୁଖରେ ନାଳଟିଏ ପଡ଼ିଲା । ଚେତକ ଡେଇଁ ନାଳ ପାରି ହୋଇଗଲା । କିନ୍ତୁ ସେ ସେହିଠାରେ ଟଳି ପଡ଼ିଲା । ତା’ ଛାତିରେ ମଧ୍ୟ ତରବାରୀ ବିଦ୍ଧ ହୋଇଥିଲା । ରକ୍ତର ସୁଅ ଛୁଟୁଥୁଲା ଚେତକର ସେହିଠାରେ ପ୍ରାଣବାୟୁ ଉଡ଼ିଗଲା । ରାଣା ପ୍ରତାପ ଜୋରରେ କାନ୍ଦିବାକୁ ଲାଗିଲେ । ଏହି ସମୟରେ ମୋଗଲ ପକ୍ଷରେ ଯୋଗ ଦେଇଥିବା ରାଣା

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ପ୍ରତାପଙ୍କ ସାନ ଭାଇ ଶକ୍ତି ସିଂହ ତାଙ୍କ ଅନୁଧାବନ କରି ସେଠାରେ ଆସି ପହଞ୍ଚିଲା । ତାଙ୍କୁ ଦେଖୁଦେଖୁ ରାଣା ପ୍ରତାପ କହିଲେ, ଶକ୍ତି, ତୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ମୋର ଶିରଛେଦ କର । ମୁଁ ଚେତକ ବିନା ବଞ୍ଚି ପାରିବି ନାହିଁ । ଝାଲା ଏବଂ ଚେତକ ଦୁହେଁ ଶକ୍ତି ସିଂହଙ୍କ ଆଖି ଖୋଲିଦେଲେ । ଶକ୍ତି ସିଂହ ଭାଇଙ୍କୁ କ୍ଷମା ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ । ସେ ମୋଗଲ୍ ପକ୍ଷ ତ୍ୟାଗ କରି ନିଜ ମାତୃଭୂମି ପାଇଁ ଜୀବନ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବାପାଇଁ ପ୍ରତିଜ୍ଞା କଲେ ଓ ଖୁବ୍ ଜୋର୍‌ରେ କାନ୍ଦିବାକୁ ଲାଗିଲେ ।

ଚେତକ ନିଜେ ପ୍ରାଣବଳି ଦେଇଦେଲା । କିନ୍ତୁ ସେ ମହାରାଣା, ପ୍ରତାପଙ୍କ ଜୀବନ ରକ୍ଷା କଲା । ରାଜପୁତ ସମ୍ମାନ ରକ୍ଷା କଲା | ନିଜର କର୍ମବ୍ୟନିଷ୍ଠା ପାଇଁ ଚେତକ ଅମର ହୋଇଗଲା । ଏବେ ରାଜସ୍ଥାନର ଛକ ଓ ଭବନମାନଙ୍କ ଉପରେ ଚେତକର ମୂର୍ତ୍ତିଗୁଡ଼ିକ ସେହି ସମ୍ମାନକୁ ସ୍ମରଣ କରେଇ ଦିଅନ୍ତି ।

 

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 8 Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

अनुशीलनी

1. निम्न प्रश्नों के उत्तर पचास शब्दों में दीजिए –

(क) बादलों की गोद से निकलकर बूँद क्या सोचने लगी ?
उत्तर:
बादलों की गोद से निकलकर बूँद बार-बार यही सोचने लगी – आह! मैं क्यों घर छोड़कर बाहर निकली ! हे विधाता, मेरे भाग्य में क्या लिखा है ? मैं सुरक्षित रह पाऊँगी या नष्ट हो जाऊँगी ? मैं अँगारे पर गिरकर जल जाऊँगी या कमल के फूल में चू पड्ूँगी ?

(ख) बूँद हवा में बहकर किस ओर पहुँची ?
उत्तर:
एक बूँद बादलों से निकलकर जब बाहर आई, तब वह बड़ी सोच में पड़ गई । वह खेद प्रकट करती हुई कहती है कि मैं क्यों घर से निकली ? तरह-तरह की सोच में वह अनमनी हो गई । इस समय एक हवा बहने लगी और वह उसीके साथ सागर की ओर चली आई ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

(ग) घर छोड़ते हुए लोगों के मन में झिझक क्यों होती है ?
उत्तर:
लोगों को घर छोड़ने अर्थात् कोई काम करने की झिझक होती है, क्योंकि उनको डर लगता है कि काम में बाधाएँ आ जाएँगी तो वे असफल हो जाएँगे । उनको भारी नुकसान उठाना पड़ेगा । साहस की कमी से वे मुकावला नहीं कर पाते ।

(घ) बूँद कैसे मोती बनी ?
उत्तर:
बूँद बादलों से निकलकर पछता रही थी । वह तरहतरह की आशंकाओं से घबरा गई थी । इतने में एक हवा बहकर आई । बूँदअनमनी होकर उसके साथ समुद्र की ओर चली गई । उस समय एक सुन्दर सीप का मुँह खुला था । बूँद उसी में जा पड़ी और मोती बन गई ।

(ङ) ‘बूँद की तरह कुछ और बन जाना’ – का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
बूँद की तरह कुछ और बन जाना का अर्थ है जिस प्रकार घर छोड़ने से बूँद मोती बन जाती है, उसी प्रकार कर्म करने से ही मनुष्य अंत में शिखर पर पहुँचकर श्रेष्ठ बन जाता है।

2. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।

(क) विधाता के बारे में बूँद क्या सोचती है ?
उत्तर:
विधाता के बारे में बूँद सोचती है – हे विधाता ! मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ है ?

(ख) सीप के मुँह में घुसने के बाद बूँद का क्या हुआ ?
उत्तर:
सीप के मुँह में घुसने के बाद बूँद मोती बन गई |

(ग) बूँद किस पर टपकने से डरती है ?
उत्तर:
बूँद अंगारे पर टपकने से डरती है ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

(घ) बूँद अंगारे पर गिरकर क्या होने की आशंका करती है ?
उत्तर:
बूँद अंगारे पर गिरकर जल जाने की आशंका करती है।

(ङ) बादलों से निकलकर बूँद किस पर चू पड़ने से डरती है?
उत्तर:
बादलों से निकलकर बूँद कमल पर चू पड़ने से डरती है।

(च) घर छोड़ने पर लोगों की मनोदशा कैसी होती है ?
उत्तर:
घर छोड़ने पर लोग झिझकते हैं ।

3. सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए ।

(क) बूँद कहाँ से निकलीं ?
(i) आसमान से
(ii) बादलों
(iii) सागर से
(iii) पानी
उत्तर:
(ii) बादलों

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

(ख) बूँद किस पर गिरकर जलने की बात कहती है ?
(i) कमल
(ii) अँगारे
(iii) धूल
(iv) पानी
उत्तर:
(ii) अँगारे

(ग) आगे बढ़ते हुए बूँद कैसा अनुभव कर रही थी?
(i) आनंद
(ii) दुःख
(iii) पच्छतावा
(iv) निराश
उत्तर:
(iii) पच्छतावा

(घ) बूँद किसमें चू पड़ना चाहती है ?
(i) कमल में
(ii) पानी में
(iii) पेड़ में
(iv) पत्तों में
उत्तर:
(i) कमल में

(ङ) घर छोड़नर पड़े तो क्या होगा?
(i) मरना होगा
(ii) कुछ और होगा
(iii) चलना होगा
(iv) डरना होगा
उत्तर:
(ii) कुछ और होगा

भाषा कार्य

1. शून्य स्थान’भरिए ।

(क) ……………….. निकलकर ……………….. की गोद से।
उत्तर: ज्यों, बादलों

(ख) ……………….. मेरे भाग्य में है क्या ………………..
उत्तर: दैव, बदा

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

(ग) मैं ……………….. या मिलूँगी ……………….. में
उत्तर: बचूँगी, धूल

(घ) ……………….. पडूँगी या ……………….. के फूल में ।
उत्तर: चू, कमल

(ङ) एक सुन्दर ……………….. का था मुँह ………………..
उत्तर: सीप, खुला

(च) लोग ……………….. ही हैं ……………….. सोचते ।
उत्तर: यों, झिझकते

(छ) बूँद ……………….. कुछ और ही ……………….. है कर ।
उत्तर: लौ, देता

2. ऐसे शब्दों को कविता से ढूँछकर लिखिए। जैसे –

  • बढ़ी – कढ़ी
  • ज्यों – क्यों
  • बचूँगी – जलूँगी
  • धूल – फूल
  • मोती बनी – अनमनी
  • घर – कर
  • जलूँगी – पडूँगी

3. इन शब्दों के अर्थ लिखिए।
कढ़ी, दैव, बदा, लौं, ज्यों, चू पड़ना ।
उत्तर:

  • कढ़ी – निकली
  • दैव – विधाता
  • बदा – लिखा
  • लौं – तरह
  • ज्यों – जब
  • चू पड़ना – टपकना

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

4. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए । बादल, कमल, समुंदर, घर, भाग्य, दैव
उत्तर:

  • बादल – मेघ
  • कमल – पंकज
  • समुंदर – सागर
  • घर – मकान
  • भाग्य – नसीब
  • दैव – विधाता

आपके लिए काम :

(क) ‘एक बूँद’ कविता को कक्षा में पढ़कर सुनाइए ।
(ख) इस प्रकार की कोई अन्य कविता छाँटिए और उसे कक्षा में पढ़कर सुनाइए ।

परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
बूँद कहाँ से निकली ?
उत्तर:
बूँद बादलों की गोद से निकली ।

प्रश्न 2.
बूँद ने बादलों की गोद से निकलकर क्या किया ?
उत्तर:
बूँद बादलों की गोद से निकलकर आगे बढ़ी ।

प्रश्न 3.
बूँद जी में क्या सोचने लगी ?
उत्तर:
बूँद जी में सोचने लगी कि मैं क्यों घर छोड़कर आई।

प्रश्न 4.
बूँद किसे याद करके डर जाती है ?
उत्तर:
बूँद अपने भाग्य की याद करके डर जाती है ।

प्रश्न 5.
अगर वह बच नहीं सकेगी, तो उसे किसमें मिल जाने का डर है ?
उत्तर:
अगर वह बच नहीं सकेगी, तो उसे धूल में मिल जाने का डर है ।

प्रश्न 6.
बूँद को किसमें गिर जाने का डर है ?
उत्तर:
बूँद को किसी अंगारे पर गिरकर जल जाने का डर है।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 7.
बूँद को किसमें चू. पड़ने का डर है ?
उत्तर:
बूँद को कमल के फूल में चू पड़ने का डर है ।

प्रश्न 8.
बूँद जब सोच में पड़ गई थी, उस समय क्या हुआ ?
उत्तर:
बूँद जब सोच में पड़ गई थी, उस समय एक हवा बह गई ।

प्रश्न 9.
बूँद अनमनी कहाँ चली गई ?
उत्तर:
बूँद अंनमनी समुद्र की ओर चली गई।

प्रश्न 10.
बूँद समुद्र की ओर किसके साथ गई ?
उत्तर:
बूँद समुद्र की ओर हवा के साथ गई।

प्रश्न 11.
हवा के बहाव में बूँद किस ओर गई ?
उत्तर:
हवा के बहाव में बूँद समुद्र की ओर गई ।

प्रश्न 12.
बूँद कहाँ गिरी?
उत्तर:
समुद्र में एक सीप का मुँह खुला था और बूँद उसी में जा गिरी।

प्रश्न 13.
बूँद सीप में पड़ने से क्या हुआ ?
उत्तर:
बूँद सीप में पड़ने से मोती बन गई।

प्रश्न 14.
लोग क्यों झिझकते हैं ?
उत्तर:
जब उनको घर छोड़ना पड़ता है, तब लोग झिझकते हैं।

प्रश्न 15.
घर छोड़ते समय लोगों की मनोदशा कैसी होती है ?
उत्तर:
घर छोड़ते समय लोग झिझकते हैं ।

प्रश्न 16.
लोग बूँद की तरह कब बन जाते हैं ?
उत्तर:
लोग जब घर छोड़ते हैं, तब बूँद की तरह बन जाते हैं।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 17.
बूँद की तरह बनने के लिए लोगों को क्या करना पड़ता है ?
उत्तर:
बूँद की तरह बनने के लिए लोगों को घर छोड़ना पड़ता है ।

प्रश्न 18.
लोग घर छोड़ने पर क्या बन जाते हैं ?
उत्तर:
लोग घर छोड़ने पर कुछ और ही बन जाते

प्रश्न 19.
इस कविता में घर छोंड़ने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
इस कविता में घर छोड़ने का अर्थ है – जोखिम उठाना।

प्रश्न 20.
बूँद की तरह कुछ और बन जाना – का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
जिस प्रकार जोखिम उठाने से बूँद समुद्र की ओर आकर सीप के भीतर गिरी और मोती बन गई, उसी प्रकार मनुष्य जोखिम उठनो से महान बन सकता है ।

प्रश्न 21.
‘एक बूँद’ कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
‘एक बूँद’ कविता के कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔौ’ हैं।

प्रश्न 22.
इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस कविता से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को मन से डर छोड़कर जोखिम उठाने का साहस करना चाहिए, इससे वह उन्नति के शिखर पर पहुँच सकता है ।

एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए

प्रश्न  1.
बूँद किसकी गोद से निकली ?
उत्तर:
बादलों की

प्रश्न 2.
किसको घर छोड़ने का दु: ख हुआ ?
उत्तर:
बूँद को

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 3.
बूँद को कहाँ मिल जाने का डर है ?
उत्तर:
धूल में

प्रश्न 4.
बूँद को कहाँ जल जाने का डर है ?
उत्तर:
अँगारे पर

प्रश्न 5.
बूँद को कहाँ चू पड़ने का डर है ?
उत्तर:
कमल के फूल में

प्रश्न 6.
बूँद किसके साथ समुंदर में आई ?
उत्तर:
हवा के साथ

प्रश्न 7.
कौन मोती बन गई ?
उत्तर:
बूँद

प्रश्न 8.
घर छोड़ते समय लोग क्या करते हैं ?
उत्तर:
झिझकते हैं।

प्रश्न 9.
लोगों के घर छोड़ने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
कुछ काम करना

प्रश्न 10.
‘घर छोड़ना’ लोगों को कुछ और ही बना देता है। इसका अर्थ क्या है ?
उत्तर:
सफल बना देता है

पंक्तियों के अर्थ एक-दो वाक्यों में समझाइए:

प्रश्न 1.
ज्यों निकलकर बादलों की गोद से,
अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी । थी
उत्तर:
अभी एक बूँद ज्यों ही बादलों की गोद से निकलकर कुछ आगे बढ़ी ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 2.
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी,
आह ! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी ।
उत्तर:
(बूँद) बार-बार यही मन में सोचने लगी आह ! मैं क्यों घर छोड़कर यों निकल पड़ी ।

प्रश्न 3.
दैव, मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में
उत्तर:
बूँद चिंतित होकर सोचती है कि हाय विधाता ! मेरे भाग्य में क्या लिखा है । मैं बच जाऊँगी या धूल में मिल जाऊँगी ।

प्रश्न 4.
या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी
चू पहूँगी या कमल के फूल में ।
उत्तर:
बूँद सोचती है कि मैं किसी जलते हुए कोयले पर गिरकर जल जाऊँगी या कमल के फूल में टपक पडूंगी ।

प्रश्न 5.
बह गई उस काल एक ऐसी हवा,
वह समुंदर ओर आई अनमनी ।
उत्तर:
उसी समय एक ऐसी हवा वह गई जो समुद्र की ओर बह रही थी । बूँद अनमनी होकर उसके साथ बहकर समुद्र में आ गई।

प्रश्न 6.
एक सुन्दर सीपका था मुँह खुला
वह उसी में जा पड़ी, मोती बनी ।
उत्तर:
उसी समय वह समुद्र में एक सुंदर सीप के भीतर गिरी और मोती बन गई ।

प्रश्न 7.
लोग यों ही हैं झिझकते सोचते,
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर ।
उत्तर:
लोगों को जब घर छोड़ना पड़ता है अर्थात् जोखिम भरा काम करना पड़ता है। उस समय ऐसे ही वे क्या न करें, इस दुविधा में पड़ जाते हैं, सोचते हैं।

प्रश्न 8.
किन्तु घर का छोड़ना अकसर उन्हें,
बूँद कुछ और ही देता है कर ।
उत्तर:
किन्तु लोग जब घर छोड़ देते हैं, अर्थात् जोखिम भरा काम करते हैं, तब प्राय: वे बूँद की तरह कुछ साहस ही उन्हें अच्छा बना देता है, सफलता दिलाती है।

शून्यस्थान की पूर्ति कीजिए :

1. ज्यों निकलकर _______ की गोद से,
थी अभी एक _______ कूछ आगे बढ़ी ।
उत्तर: बादलों, बूँद

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

2. सोचने फिर-फिर यही ______ में लगी ।
उत्तर: जी

3. आह ! क्यों _____ छोड़कर मैं यों कढ़ी ।
उत्तर: घर

4. दैव मेरे भाग्य में क्या है_____|
मैं बचूँगी या मिलूँगी _____ में
उत्तर: बदा, धूल

5. या जलूँगी गिर _____ पर किसी
चूँ पहूँगी या _____ के फूल में ।
उत्तर: अंगारे, कमल

6._____गई उस काल एक ऐसी हवा
वह _______ओर आई अनमनी ।
उत्तर: बह, समुंदर

7. एक सुंदर _______ का था मुँह खुला ।
उत्तर: सीप

8. वह उसी में जा पड़ी, _____ बनी ।
उत्तर: मोती

9. लोग ही हैं _____ सोचते ।
उत्तर: झिझकते

10. जबकि उनको छोड़ना पड़ता है
उत्तर: घर

11. किन्तु _____ का छोड़ना अकसर उन्हें _____ कुछ और ही देता है कर
उत्तर: घर, बूँद

उपयुक्त शब्द ले कर खाली जगह भरिए :

1. बूँद बादलों ____ गोद से निकली। (का, के, की)
उत्तर: की

2. मेरे भाग्य ____ क्या बदा है ? (का, पर, में)
उत्तर: में

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

3. मैं बचूँगी या धूल ____ मिलूँगी। (ने, में, को)
उत्तर: में

4. मैं किसी अंगारे ____ गिर जाऊँगी। (में, पर, से)
उत्तर: पर

5. सीप ___ मुँह खुला था। (का, के, की)
उत्तर: का

6. वह उसी ____ जा पड़ी। (से, को, में)
उत्तर: में

7. उन ___ घर छोड़ना पड़ता है। (को, में, की)
उत्तर: को

8. घर ____ छोड़ना उन्हें बूँद लौं कर देता है। (का, के, की)
उत्तर: का

सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
बूँद किसकी गोद से निकली ?
(A) बिजली की
(B) सागर की
(C) बादलों की
(D) सूरज की
उत्तर:
(C) बादलों की

प्रश्न 2.
बादलों की गोद से निकलते समय बूँद के मन में क्या था ?
(A) उत्साह’
(B) साहस
(C) आशा
(D) आशंका
उत्तर:
(D) आशंका

प्रश्न 3.
कौन – सा काम बूँद को पहले ठीक नहीं लगा ?
(A) घर छोड़ना
(B) बादलों में बैठना
(C) बादल में उड़ना
(D) डर छोड़ना
उत्तर:
(A) घर छोड़ना

प्रश्न 4.
घर छोड़कर बूँद किसे पुकारता है ?
(A) धरती को
(B) बादल को
(C) समुद्र को
(D) दैवको
उत्तर:
(D) दैवको

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 5.
बूँद को किस बात का डर है ?
(A) धक्का खाने का
(B) बचने का
(C) न लौट सकने का
(D) उड़ जाने का
उत्तर:
(B) बचने का

प्रश्न 6.
बूँद को अँगारे से क्या डर था ?
(A) उस पर धूप पड़ने का
(B) उससे मिल जाने का
(C) उस पर गिरकर जल जाने का
(D) उसकी आँच का
उत्तर:
(C) उस पर गिरकर जल जाने का

प्रश्न 7.
मेरे भाग्य में क्या बदा है यह किसने कहा ?
(A) बादल
(B) बूँद
(C) सागर
(D) बिजली
उत्तर:
(B) बूँद

प्रश्न 8.
बूँद को कहाँ मिल जाने का डर था ?
(A) धूल में
(B) बादलों में
(C) अंगारे में
(D) कमल में
उत्तर:
(A) धूल में

प्रश्न 9.
बूँद क्या चाहती थी ?
(A) बचना
(B) धूल में मिलना
(D) अँगारे पर जलना
(C) कमल में चू पड़ना
उत्तर:
(A) बचना

प्रश्न 10.
कमल की बात सोचकर बूँद क्यों डरती थी ?
(A) उसमें धक्का खाने से
(B) उसमें बंद हो जाने से
(C) उसमें मिल जाने से
(D) उसमें चू पड़ने से
उत्तर:
(D) उसमें चू पड़ने से

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 11.
बूँद जब बादलों से निकल गई, तब क्या हुआ ?
(A) हवा समुद्र से आई
(B) एक आँधी आई
(C) हवा ऊपर उठी
(D) एक हवा बही
उत्तर:
(D) एक हवा बही

प्रश्न 12.
बूँद हवा के साथ कहाँ आई ?
(A) समुद्र में
(B) खुशी से सागर की ओर
(C) बादल में
(D) अनमना होकर सीप में
उत्तर:
(A) समुद्र में

प्रश्न 13.
बूँद के समुद्र की ओर आने के समय उसके मन में क्या भाव था ?
(A) अनमनापन
(B) साहस
(C) हिचकिचाहट
(D) डर
उत्तर:
(A) अनमनापन

प्रश्न 14.
बूँद कहाँ गिर पड़ी ?
(A) समुद्र में
(B) पहाड़ पर
(C) कमल पर
(D) सीप में
उत्तर:
(D) सीप में

प्रश्न 15.
बूँद गिर पड़ते समय किसका मुँह खुला था ?
(A) सफेद सी पका
(B) बड़ी सी सीप का
(C) एक मछली का
(D) सुंदर सीप का
उत्तर:
(D) सुंदर सीप का

प्रश्न 16.
बूँद कहाँ मोती बनी ?
(A) सीप में
(B) समुद्र में
(C) कमल में
(D) बादल में
उत्तर:
(A) सीप में

प्रश्न 17.
घर छोड़ने के समय लोग प्राय: क्या करते हैं ?
(A) खुश होते हैं
(B) लक्ष्य की और दौड़ते हैं
(C) चल पड़ते हैं
(D) झिझकते हैं
उत्तर:
(D) झिझकते हैं

प्रश्न 18.
एक बूँद कविता में घर छोड़ने का अर्थ क्या हैं ?
(A) घर खाली करना
(B) घर में जी न लगना
(C) कोई काम शुरू करना
(D) काम पूरा करदेना
उत्तर:
(C) कोई काम शुरू करना

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 19.
घर न छोड़ने बालों के मन में क्या रहता है ?
(A) काम करने से डर
(B) निश्चिंत भाव
(C) सफल होने का डर
(D) साहस
उत्तर:
(A) काम करने से डर

प्रश्न 20.
बूँद को अंत में क्या मिलता है ?
(A) एक बड़ी सफलता
(B) बड़ी आशंका
(C) विफलता
(D) थोड़ा-सा संतोष
उत्तर:
(A) एक बड़ी सफलता

प्रश्न 21.
बूँद कैसे मोती बन सकी ?
(A) जोखिम उठाकर काम करने से
(B) डरते हुए काम करने से
(C) हवा का साथ देने से
(D) सीप का मुँह बंद रहने से
उत्तर:
(A) जोखिम उठाकर काम करने से

प्रश्न 22.
एक बूँद पाठ से कौन-सी सीख मिलती है ?
(A) जोखिम उठाकर काम करो
(B) आलस छोड़ दो
(C) आसान काम पहले करो
(D) सोच-समझकर कठिन काम करो
उत्तर:
(A) जोखिम उठाकर काम करो

प्रश्न 23.
मोती कहाँ बनता है ?
(A) सीप में
(B) बूँद में
(C) बादल में
(D) समुद्र में
उत्तर:
(A) सीप में

प्रश्न 24.
सीप में मोती कैसे बनता है ?
(A) उसमें बूँद गिरने से
(B) अपना मुँह बंद रखने से
(C) मुँह खुला रखने से
(D) समुद्र में हवा बहने से
उत्तर:
(A) उसमें बूँद गिरने से

प्रश्न 25.
बूँद कहाँ से निकली ?
(A) आसमान से
(B) सागर से
(C) बादल से
(D) पानी से
उत्तर:
(C) बादल से

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

प्रश्न 26.
बूँद को दुख हुआ:
(A) गिर पड़ने से
(B) मोती बनने से
(C) घर छोड़ने से
(D) सूख जाने से
उत्तर:
(C) घर छोड़ने से

प्रश्न 27.
बूँद को कहाँ चू पड़ने का डर है ?
(A) धूल में
(C) अंगार पर
(B) आग में
(D) फूल में
उत्तर:
(D) फूल में

प्रश्न 28.
बूँद किसके साथ चल पड़ी ?
(A) हवा के
(B) समुंदर के
(C) सिप के साथ
(D) अकेली
उत्तर:
(A) हवा के

प्रश्न 29.
बूँद कहाँ गिर पड़ी ?
(A) समुंदर में.
(B) सीप में
(C) जमीन पर
(D) मोती में
उत्तर:
(B) सीप में

प्रश्न 30.
लोग कब झिझकते हैं ?
(A) सफलता पाने पर
(B) विफल होने पर
(C) घर छोड़ते समय
(D) कठिनाई होने पर
उत्तर:
(C) घर छोड़ते समय

प्रश्न 31.
कौन मोती बन गई ?
(A) बूँद
(B) पानी
(C) सीप का मुँह
(D) सीप
उत्तर:
(A) बूँद

प्रश्न 32.
बूँद को समुद्र को कौन ले गयी ?
(A) बिजली
(B) पानी
(C) हवा
(D) बादल
उत्तर:
(C) हवा

प्रश्न 33.
‘बूँद की तरह और कुछ बन जाना इसका अर्थ क्या है ?
(A) मिट जाना
(B) जोखिम उठाना
(C) सफल हो जाना
(D) अनमना होना
उत्तर:
(C) सफल हो जाना

क’ स्तम्भ के पदों के साथ ‘ख’ स्तम्भ के पदों का मिलान

‘क’ स्तम्भ
1. सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
2.या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी हवा
3. बह गई उसका एक ऐसी
4. एक सुंदर सीपका या मुँह खुला
5. किन्तु घर का छोड़ना अकसर उन्हें

‘ख’ स्तम्भ
वह उसी में जा पड़ी, मोती बनी
बूँद कुछ और ही देता है कर
चूँ पहूँगी या कमल के फूल में
वह समुंदर ओर आई अनमनी
आहा ! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी
उत्तर:
‘क’ स्तम्भ

1. सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
2.या लूँगी गिर अंगारे पर किसी हवा
3. बह गई उस काल एक ऐसी
4.एक सुंदर सीप का या मुँह खुला
5.किन्तु घर का छोड़ना अकसर उन्हें

‘ख’ स्तम्भ
आहा ! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी
चूँगी या कमल के फूल में.
वह समुंदर ओर आई अनमनी
वह उसी में जा पड़ी, मोती बनी
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर

३० शब्दों / दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
बादलों की गोद से निकलकर, बूँद क्या सोचने लगी ? or, बूँद क्यों पछता रही है ?
उत्तर:
वह बादलों की गोद छोड़कर बाहर निकली तो उसे – डर लगा । वह पछताई कि मैं क्यों घर छोड़कर बाहर चली आई । अब उसमें जीवन में कुछ काम करने या संघर्ष करने की चाह नहीं है ।

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प्रश्न 2.
बूँद को किस-किस बात का डर है ?
उत्तर:
बूँद बादलों की गोद से निकलकर डरती है कि. सोचती है कि मेरे भाग्य में क्या लिखा है ? मैं बच सकूँगी या नहीं ? क्या मैं धूल में मिल जाऊँगी या अंगारे पर जल जाऊँगी या किसी कमल के फूल में चू- पहूँगी ?

प्रश्न 3.
हवा के कारण बूँद किस ओर पहुँची ?
उत्तर:
बूँद जब घर से निकल पड़ती है, उस समय तरह- तरह की चिंताऐं उसे घेर जाती हैं । उसी समय एक हवा समुद्र की ओर बहने लगी । बूँद कुछ करने की चाह में उसी हवा के साथ समुद्र में जा पहुँची।

प्रश्न 4.
बूँद कैसे मोती बन गई ?
उत्तर:
बूँद हवा के साथ समुद्र की ओर चल पड़ी । उस समय समुद्र में एक सीप का मुँह खुला था । बूँद उसी में गिर पड़ी और अंत में मोती बन गई ।

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प्रश्न 5.
बूँद से लोगों को क्या सीखना चाहिए ? or लोगों को घर छोड़ने में झिझक क्यों होती है ?
उत्तर:
बूँद ने काम करने और संघर्ष करने का जोखिम उठाया, तो वह मोती बन गई। लोग भी पहले कुछ काम करने को झिझकते हैं सोच में पड़ जाते हैं । जब वे डर छोड़कर साहसपूर्वक कोई काम करते हैं तो अंत में उन्हें बूँद की तरह बड़ी सफलता मिलती है ।

कवि परिचय :

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म १५ अप्रैल १८६५ ई. को हुआ था । वे १९२४ से १९४१ तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापना करते रहे । उन्होंने सर्वप्रथम खड़ीबोली में बाल-साहित्य की रचना की । उन्होंने मुहावरेदार भाषा में खड़ीबोली कविता लिखना शुरू किया था ।
७ र्माच १ ९ ४७ को उनका निधन हो गया । उनकी काव्य रचनाएँ – मिय प्रवास, वैदेही वनवास, रसकलश, चोखे चौपदे, पद्य प्रमोद आदि ।

कविता का भावबोध :

जीवन-पथ पर आगे बढ़ते रहना जरूरी है । भविष्य में क्या होगा, कहा नहीं जा सकता । मन में यह विश्वास रखना चाहिए कि जो होगा, अच्छा ही होगा । बूँद जब मेघ-घर से निकलती है, उसके मन में तरह-तरह की आशंकाएँ उत्पन्न होती हैं । पर वह हवा के झोंके में जाकर समुद्र के सीप के मुँह में पड़कर मोती बन जाती है । लोग डर के मारे घर-ब्बोड़ना या कोई काम करना नहीं चाहते । उन्हें जोखिम उठाना चाहिए, तब उनको सफलता मिलेगी ।

सप्रसंग व्याख्या

ज्यों निकलकर बादलों की गोद से,
थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी,
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी,
आह! क्यों घर छोड़कर में यों कठ़ी !

शब्दार्थ

  • गोद- क्रोड़ । जी – मन
  • कढ़ना – निकलना ।
  • बाहर आना

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व्याख्या

एक बूँद बादलों की गोद में अब तक थी । अब बादलों की गोद से निकलकर कुछ आगे बढ़ी 1 वह मन में बार-बार यही सोचने लगी कि मैं क्यों घर छोड़कर बाहर निकली ?

दैव, मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में,
या जलूँगी गिर अँगारे पर किसी
चू पडूँगी या कमल के फूल में ।

शब्दार्थ(हाळार्थ)

  • दैव-विधाता
  • बदा-लिखा
  • बचना-रक्षित रहना
  • धूल में मिलना-नष्ट होना
  • अंगारा-जलता हुआ कोयला
  • चू पड़ना-टपकना,बूँद-बूँद गिरना
  • कमल-पया

व्याख्या

हे विधाता !मेरे भाग्य में क्या लिखा है,मैं बच जाऊँगी या नष्ट हो जाऊँगी ?मैं किसी जलती लकड़ी पर गिरकर जलूँगी या किसी कमल के फूल में चू पडूँगी । इस प्रकार बूँद के मन में तरह-तरह की आशंकाएँ उत्पन्न होती हैं ।

बह गई उस काल एक ऐसी हवा,
वह समुंदर ओर आई अनमनी,
एक सुंदर सीप का था मुँह खुला,
वह उसी में जा पड़ी,मोती बनी ।

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शब्दार्थ (काथर्थ)

  • समुंदर- सागर
  • अनमनी – (अन्यमनस्क)
  • सीप-सीपी
  • मन कहीं और होना

व्याख्या

उस समय एक हवा बही । वह बूँद अनमनी होकर सागर की ओर चली आई । सागर में एक सुंदर सीप का मुँह खुला था । वह बूँद उसी में गिरी और मोती बन गई ।

लोग यों ही हैं झझकते सोचते,
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर,
किंतु घर का छोड़ना अकसर उन्हें,
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर ।

शब्दार्थ (कार्थर्)

  • योंही-ऐसे ही
  • झिझकना- दुबिधा में पड़ना ।
  • आगा-पीछा करना

व्याख्या

जब कुछ लोगों को घर ब्रोड़ना पड़ता है यों ही वे क्या करें, क्या न करें, इस दुबिधा में पड़ जाते हैं । लेकिन यह घर छोड़ना ही उन्हें बूँद की तरह और कुछ बना देता है । उनको बड़ी सफलता मिल जाती है ।

कविता का सारांश

‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने ‘एक बूँद कविता में मनुष्य को कर्म-प्रेरणा दी है । बहुत से लोग अपनी स्थिति में संतुष्ट होकर रहते हैं । वे कोई नया काम शुरू करना नहीं चाहते । उनको तरह-तरह की आशंकाएँ सताती हैं । जोखिम न उठानेवाले ऐसे लोग जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच नहीं पाते । कवि ने एक बूँद का उदाहरण देकर ऐसे लोगों को कर्म-तत्पर होने और परिस्थिति का सामना करने की प्रेरणा देते हैं ।

बादल बूँद का घर है । एक बूँद बादलों की गोद में बैठी थी। वह अपनी स्थिति में संतुष्ट थी। एक बार वह बादलों से बाहर निकलकर आगे बढ़ने लगी । उस समय वह बार-बार मन में सोचने लगो कि मैं क्यों घर छोड़कर बाहर आई ?

उसके मन में तरह-तरह की आशंकाएँ उत्पन्न हुईं । उसने सोचा कि मैं बच जाऊँगी या नष्ट हो जाऊँगी ? अँगारे पर गिरकर जल जाऊँगी या कमल के फूल में चू पडूँगी ? उसी समय हवा बहने लगी । वह अनमनी होकेर समुद्र की ओर चल पड़ी । समुद्र में एक सुंदर सीप का मुँह खुला था । वह बूँद जाकर उसमें गिरी और मोती बन गई ।(कवि कल्पना है कि स्वाती नक्षत्र में वर्षा की बूँद सीप में गिरने से मोती बन जाती है ।)

वैसे अनेक लोगहैं, जो घर ब्रोड़ने यानी नया काम करने कों झिझकते हैं । उनमें बाधाओं से जुझने का साहस नहीं होता । लेकिन काम शुरू कर देने का साहस अक्सर उनको सीप की तरह बना देता है, यानी उसको एक बड़ी सफलता मिल जाती है । कवि का कहना है कि अनिश्चित आशंका से दुबिधा में पड़ने की अपेक्षा साहस करके जोखिम भरे काम में लग जाना चाहिए, अंत में सफलता निश्चित रूप से मिलेगी ।

BSE Odisha 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 एक बूँद (कविता)

ସାରାଂଶ

ଅଯୋଧ୍ୟା ସିଂହ ଉପାଧ୍ୟାୟ ‘ହରିଔଧ’ ‘ଏକ ବୃଦ’ କବିତାରେ ମନୁଷ୍ୟକୁ କର୍ମ-ପ୍ରେରଣା ଦେଇଛନ୍ତି । ଅନେକ ଲୋକ ନିଜ ସ୍ଥିତିରେ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୋଇ ରହିଯାଆନ୍ତି । ସେମାନେ କୌଣସି ନୂଆ କାମ ଆରମ୍ଭ କରିବାକୁ ଚାହାଁନ୍ତି ନାହିଁ । ତାଙ୍କ ମନରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ଆଶଙ୍କା ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ବିପଦର ଆଶଙ୍କାରେ କୌଣସି କାମ ଆରମ୍ଭ କରୁ ନ ଥିବା ଲୋକଙ୍କୁ ଜୀବନରେ ସଫଳତା ମିଳିପାରେ ନାହିଁ । କବି ଗୋଟିଏ ଜଳଟୋପାର ଉଦାହରଣ ଦେଇ ଏଭଳି ଲୋକଙ୍କୁ କର୍ମତତ୍ପର ହେବା ଓ ପରିସ୍ଥିତିର ସମ୍ମୁଖୀନ ହେବାକୁ ପ୍ରେରଣା ଦେଇଛନ୍ତି ।

ଜଳଟୋପାର ଘର ବଉଦରେ । ଗୋଟିଏ ଜଳଟୋପା ବଉଦ କୋଳରେ ବସିଥିଲା । ସେ ତା’ ସ୍ଥିତିରେ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ଥିଲା । ଥରେ ସେ ବଉଦ ଭିତରୁ ବାହାରକୁ ବାହାରି ଆଗକୁ ବଢ଼ିଲା । ସେତେବେଳେ ସେ ମନରେ ବାରମ୍ବାର ଭାବିବାକୁ ଲାଗିଲା ଯେ ମୁଁ କାହିଁକି ଘର ଛାଡ଼ି ବାହାରକୁ ଆସିଲି । ତା’ ମନରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ଆଶଙ୍କା ଜନ୍ମ ହେଲା । ସେ ଭାବିଲା ମୁଁ ବଞ୍ଚିଯିବି କି ନଷ୍ଟ ହୋଇଯିବି । ଜଳନ୍ତା କାଠ ଉପରେ ପଡ଼ି ଜଳିଯିବି ନା ପଦ୍ମଫୁଲ ଭିତରେ ଖସି ପଡ଼ିବି ।

ସେତିକିବେଳେ ପବନ ବହିଲା । ସେ ଅନ୍ୟମନସ୍କ ଭାବରେ ସମୁଦ୍ର ଆଡ଼କୁ ଚାଲିଲା । ସମୁଦ୍ରରେ ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର ଶାମୁକାର୍ ମୁହଁ ଖୋଲା ଥିଲା । ଜଳଟୋପାଟି ଯାଇ ତା’ରି ଭିତରେ ପଡ଼ିଲା ଓ ମୋତିରେ ପରିଣତ ହୋଇଗଲା । (କବି-କଳ୍ପନା ଅନୁସାରେ ସ୍ଵାତୀ ନକ୍ଷତ୍ରରେ ବର୍ଷା ଜଳବିନ୍ଦୁ ଶାମୁକା ଗର୍ଭରେ ପଡ଼ିଲେ ତାହା ମୋତିରେ ପରିଣତ ହୋଇଯାଏ ।)ସେହିଭଳି ଅନେକ ଲୋକ ଅଛନ୍ତି, ଯେଉଁମାନେ ଘର ଛାଡ଼ିବାକୁ ଅର୍ଥାତ୍ ନୂଆ କାମଟିଏ କରିବାକୁ ବିଧା ପ୍ରକାଶ କରନ୍ତି । ସେମାନଙ୍କ ଭିତରେ ବାଧା ବିଘ୍ନ ସହିତ ସଂଘର୍ଷ କରିବା ପାଇଁ ସାହସ · ନଥାଏ । କିନ୍ତୁ ଅନେକ ସମୟରେ କାମ ଆରମ୍ଭ କରିଦେବାର ସାହସ ସେମାନଙ୍କୁ ଶାମୁକା ଭଳି କରିଦିଏ ଅର୍ଥାତ୍ ସେମାନଙ୍କୁ ଏକ ବଡ଼ ଧରଣର ସଫଳତା ମିଳିଯାଏ ।କବିଙ୍କର କହିବାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ହେଉଛି – ଅନିଶ୍ଚିତ ଆଶଙ୍କାରେ ଦ୍ଵିଧାଗ୍ରସ୍ତ ହେବା ଅପେକ୍ଷା ସାହସ କରି ବିପଦପୂର୍ଣ୍ଣ କାର୍ଯ୍ୟରେ ଲାଗିଯିବା ଉଚିତ । ତେବେ ଶେଷରେ ନିଶ୍ଚିତ ଭାବରେ ସଫଳତା ମିଳିବ ।

 

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ

ଉପକ୍ରମ (Introduction) :
(i) ମହାଜାଗତିକ ବସ୍ତୁ (celestial objects) କୁହାଯାଏ ।
(ii) ଯେଉଁ ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକ ଦପ୍ଦପ୍ କରୁଥା’ନ୍ତି, ସେମାନଙ୍କୁ ତାରା, ତାରକା ବା ନକ୍ଷତ୍ର (stars) କୁହାଯାଏ । ଏମାନେ ନିଜେ ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ଆଲୋକର ଉତ୍ସ ।
(iii) ଯେଉଁ ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକ ସ୍ଥିର ଆଲୋକ ପ୍ରଦାନ କରିବାଭଳି ଦେଖାଯାଆନ୍ତି, ସେମାନେ ଗ୍ରହ (planets) ବା ଉପଗ୍ରହ (satellites) ଅଟନ୍ତି । ଏମାନଙ୍କର ନିଜର ଆଲୋକ ନାହିଁ । ନିକଟବର୍ତୀ ନକ୍ଷତ୍ରର ଆଲୋକରେ ଏମାନେ ଆଲୋକିତ ହୁଅନ୍ତି ।

ଚନ୍ଦ୍ର (The Moon) :
(i) ଚନ୍ଦ୍ର ହେଉଛି ରାତି ଆକାଶର ଉଜ୍ଜ୍ବଳତମ ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁ । ଚନ୍ଦ୍ରର ନିଜର ଆଲୋକ ନାହିଁ । ଏହା ସୂର୍ଯ୍ୟର ଆଲୋକରେ ଆଲୋକିତ ହୁଏ ।
(ii) ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ ଚନ୍ଦ୍ର ଉପରେ ଯେତିକି ଅଂଶରେ ପଡ଼ି ଆମ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପ୍ରତିଫଳିତ ହୋଇ ଆସେ ଆମେ ତା’ର ସେତିକି ଅଂଶ ଦେଖୁ । ଚନ୍ଦ୍ର ପୃଥବୀ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରେ ଏବଂ ପୃଥ‌ିବୀ ତା’ର ପରିକ୍ରମଣରତ ଚନ୍ଦ୍ର ସହିତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରେ ।
(iii) ଘୂରୁଥ‌ିବା ଅବସ୍ଥାରେ ପ୍ରାୟ ଏକ ସରଳରେଖାରେ ଚନ୍ଦ୍ର ଓ ସୂର୍ଯ୍ୟର ଅବସ୍ଥାନ ମଝିରେ ପୃଥ‌ିବୀ ରାତି ହୋଇଥ‌ିବା ଅଂଶକୁ ଚନ୍ଦ୍ର ଗୋଲାକାର ଥାଳିପରି ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ଆମେ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ (Full moon ରହିଲେ ଏହାର ରାତି ହୋଇଥିବା ଅଂଶକୁ ଚନ୍ଦ୍ର ଗୋଲାକାର ଥାଳିପରି ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ଆମେ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ (Full moon day) କହୁ ।
(iv) ଅନ୍ୟ ପକ୍ଷରେ ପ୍ରାୟ ଏକ ସରଳରେଖାରେ ପୃଥ‌ିବୀ ଓ ସୂର୍ଯ୍ୟର ଅବସ୍ଥାନ ମଝିରେ ଚନ୍ଦ୍ର ରହିଲେ ପୃଥ‌ିବୀର ରାତି ଆକାଶରେ ଏହା ରହିଥାଏ । ସେ ଦିନଟିକୁ ଅମାବାସ୍ୟା (New moon day) କହନ୍ତି ।
(v) ପରିକ୍ରମଣରତ ଚନ୍ଦ୍ରର ଗୋଟିଏ ପୂର୍ଣମୀରୁ ଆଉ ଗୋଟିଏ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବା ଗୋଟିଏ ଅମାବାସ୍ୟାରୁ ଆଉ ଦେଖାଯାଏ, ଆମେ ତାକୁ ସେହି ଆକାରରେ ଦେଖୁ ।
(vi) ପୃଥ‌ିବୀ ଚାରିପଟେ ଚନ୍ଦ୍ରର ପରିକ୍ରମଣ ସମୟ ଓ ନିଜ ଅକ୍ଷ ଚାରିପଟେ ଏହାର ଆବର୍ତ୍ତନ ସମୟ ପ୍ରାୟ ସମାନ ଥ‌ିବାହେତୁ ପୃଥ‌ିବୀର ଯେ କୌଣସି ସ୍ଥାନରୁ ଚନ୍ଦ୍ରର ଗୋଟିଏ ପାର୍ଶ୍ବ ହିଁ ସବୁବେଳେ ଦେଖାଯାଏ ।
(vii) ଗୋଟିଏ ଅମାବାସ୍ୟାରୁ ଅନ୍ୟ ଅମାବାସ୍ୟା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବା ଗୋଟିଏ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀରୁ ଅନ୍ୟ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମୟ ପ୍ରାୟ 29 ଦିନ 12 ଘଣ୍ଟା 43 ମିନିଟ୍ 12 ସେକେଣ୍ଡ । ଏହି ସମୟକୁ ଏକ ଚାନ୍ଦ୍ରମାସ କୁହାଯାଏ । ସୂର୍ଯ୍ୟର ଆକର୍ଷଣ ଓ

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ଚନ୍ଦ୍ରକଳାର ହ୍ରାସବୃଦ୍ଧି :
(i) ଅମାବାସ୍ୟାଠାରୁ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଏହି ଆଲୋକିତ ଅଂଶ କ୍ରମଶଃ ବୃଦ୍ଧିପ୍ରାପ୍ତ ହୁଏ ଏବଂ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ପରଠାରୁ ଅମାବାସ୍ୟା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଏହି ଆଲୋକିତ ଅଂଶ କ୍ରମଶଃ କ୍ଷୟପ୍ରାପ୍ତ ହୁଏ । ଚନ୍ଦ୍ରର ଆକୃତିରେ ଏପରି ପରିବର୍ତ୍ତନକୁ ଚନ୍ଦ୍ର ସୂର୍ଯ୍ୟର ଆଲୋକରେ ଆଲୋକିତ ହୁଏ । ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ ଚନ୍ଦ୍ର ଉପରେ ଯେତିକି ଅଂଶରେ ପଡ଼ି ପ୍ରତିଫଳିତ ହୋଇଥାଏ, ତା’ର ସେତିକି ଅଂଶ ଦେଖାଯାଏ ।
(ii) ଚନ୍ଦ୍ର ପୃଥବୀ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରେ ଏବଂ ପୃଥ‌ିବୀ ତା’ର ପରିକ୍ରମଣରତ ଚନ୍ଦ୍ର ସହିତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରେ ।

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1. ଚନ୍ଦ୍ରର ପରିକ୍ରମଣ କାଳ 27.3 ଦିନ
2. ପୃଥ‌ିବୀଠାରୁ ଚନ୍ଦ୍ରର ଦୂରତା ପ୍ରାୟ 384,400 କି.ମି.
3. ଚନ୍ଦ୍ରର ବ୍ୟାସ, ପୃଥ‌ିବୀ ବ୍ୟାସର \(=\frac{10}{1000}\) ଅଂଶ
4. ଚନ୍ଦ୍ରର ମାଧ୍ୟାକର୍ଷଣ ପୃଥ‌ିବୀର \(=\frac{10}{1000}\) ଅଂଶ

ଚନ୍ଦ୍ରର ଗଠନ :
(i) ଚନ୍ଦ୍ରରେ ସମତଳ ସ୍ଥାନ ବ୍ୟତୀତ ସାଗର ଭଳି ବିରାଟ ଗର୍ଭ ଓ ପର୍ବତ ଭଳି ଉଚ୍ଚସ୍ଥାନ ରହିଛି ।
(ii) ଏହାର ପୃଷ୍ଠତଳ ଛୋଟବଡ଼ ଗର୍ଭରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥିବାରୁ ଏହା ଅସମତଳ ।
(iii) ଏହାର ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ଅତି ପତଳା ଏବଂ ଏଠାରେ ଜଳର ଉପସ୍ଥିତି ସଂପର୍କରେ ସଠିକ୍ ତଥ୍ୟ ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମିଳିପାରି ନାହିଁ । ତେଣୁ ଚନ୍ଦ୍ରରେ ଜୀବଜଗତ ନାହିଁ ।
(iv) ପୃଥ‌ିବୀ ଚାରିପଟେ ଚନ୍ଦ୍ରର ପରିକ୍ରମଣ ସମୟ ଓ ନିଜ ଅକ୍ଷ ଚାରିପଟେ ଏହାର ଆବର୍ତ୍ତନ ସମୟ ପ୍ରାୟ ସମାନ ଥ‌ିବାରୁ ପୃଥ‌ିବୀର ଯେ କୌଣସି ସ୍ଥାନରୁ ଚନ୍ଦ୍ରର ଗୋଟିଏ ପାର୍ଶ୍ୱ ହିଁ ସମ୍ପୂର୍ଣ ଦେଖାଯାଏ ।

1969 ମସିହା July-21 ରେ ଆପୋଲୋ – 11 ମହାକାଶଯାନରେ ଯୁକ୍ତରାଷ୍ଟ୍ର ଆମେରିକାର ତିନିଜଣ ମହାକାଶଚାରୀ ନିଲ୍ ଆର୍ମଷ୍ଟ୍ରଙ୍ଗ ଏଡ଼ୱିନ୍ ଆଲଡ୍ରିନ୍ ଓ ମାଇକେଲ୍ କଲିନ୍ସ ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଯାତ୍ରା କରିଥିଲେ । ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ପ୍ରଥମେ ଜିଲ୍ ଆର୍ମଷ୍ଟ୍ରଙ୍ଗ ଚନ୍ଦ୍ରପୃଷ୍ଠରେ ଅବତରଣ କରିଥିଲେ ।

ନକ୍ଷତ୍ର ବା ତାରକା (The stars) :
(i) ନକ୍ଷତ୍ର ବା ତାରକାମାନଙ୍କର ନିଜସ୍ଵ ଆଲୋକ ରହିଛି । ସୂର୍ଯ୍ୟ ଏକ ତାରକା । ସୂର୍ଯ୍ୟ ଆମଠାରୁ ପ୍ରାୟ150,000,000 କି.ମି. ବା 150 ନିୟୁତ କି.ମି. ଦୂରରେ ରହିଛି ।
(ii) ସୌରଜଗତ ବାହାରେ ଆମର ନିକଟତମ ତାରକା ହେଉଛି ଆଲ୍‌ଫାସେଣ୍ଟାଉରୀ । ଏହା ଆମଠାରୁ ପ୍ରାୟ 4 × 1013 ନିୟୁତ କି.ମି. ଦୂରରେ ରହିଛି ।
(iii) ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁମାନଙ୍କର ଦୂରତା ‘ଆଲୋକ ବର୍ଷ’ ଏକକରେ ପ୍ରକାଶ କରାଯାଏ । ଆଲୋକ ଏକ ବର୍ଷରେ ଯେଉଁ ଦୂରତା ଅତିକ୍ରମ କରେ ତାହାକୁ ଏକ ଆଲୋକ ବର୍ଷ କହନ୍ତି ।
(iv) ଆଲୋକର ବେଗ ସେକେଣ୍ଡ ପ୍ରତି ପ୍ରାୟ ତିନି ଲକ୍ଷ କି.ମି. । ଏକ ବର୍ଷରେ ଆଲୋକ ଅତିକ୍ରମ କରୁଥିବା ଦୂରତା ପ୍ରାୟ 9.5 × 102 କି.ମି. । ଏହି ଏକକରେ ଆମଠାରୁ ସୂର୍ଯ୍ୟର ଦୂରତା ହେବ ପ୍ରାୟ 8 ଆଲୋକ ମିନିଟ୍ ।
(v) ଆଲ୍‌ଫାସେଣ୍ଟାଉରୀର ଦୂରତା ହେବ ପ୍ରାୟ 4.29 ଆଲୋକ ବର୍ଷ ।
(vi) ଦିନବେଳା ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକର ପ୍ରଭାବରେ ତାରାମାନେ ଆକାଶରେ ଥିଲେ ବି ଦେଖାଯାଆନ୍ତି ନାହିଁ । ଉଚ୍ଚମାନର
(vii) ତାରାମାନଙ୍କୁ ଭଲ ଭାବରେ ଦେଖିବା ଏବଂ ଅଧିକା ଗବେଷଣା କରିବା ପାଇଁ ଅନେକ ମାନମନ୍ଦିର ପ୍ରତିଷ୍ଠା
(viii) ସମସ୍ତ ତାରା ଗତିଶୀଳ ଜଣାପଡୁଥିଲେ ମଧ୍ୟ ଏହା ସ୍ଥିର ଦେଖାଯାଏ । ତେଣୁ ଏହାକୁ ଧ୍ରୁବତାରା (Polestar) କହନ୍ତି । ଏହା ଆମକୁ ପୃଥ‌ିବୀର ଉତ୍ତର ଦିଗରେ ଥ‌ିବା ଆକାଶରେ ଦେଖାଯାଏ ।

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ନକ୍ଷତ୍ର (Constellations) :
(i) ମହାକାଶରେ ତାରାଗୁଡ଼ିକ ବିଭିନ୍ନ ଆକାରରେ ସଜ୍ଜିତ ହୋଇ ରହିଥିବାପରି ଦେଖାଯାଆନ୍ତି । ଏହାକୁ ତାରକାପୁଞ୍ଜ ବା ନକ୍ଷତ୍ରମଣ୍ଡଳ କୁହାଯାଏ ।
(ii) ଆମ ରାଶିଚକ୍ରରେ ଥ‌ିବା ଚାରୋଟି ରାଶି ଏଭଳି ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ତାରକାପୁଞ୍ଜ ।
(iii) ଖରାଦିନେ ସନ୍ଧ୍ୟା ଆକାଶରେ ଦେଖାଯାଉଥିବା ନକ୍ଷତ୍ରମଣ୍ଡଳ ହେଉଛି ସପ୍ତର୍ଷିମଣ୍ଡଳ । ଏଥ‌ିରେ ସାତଟି ଉଜ୍ଜଳ ତାରକା ଦେଖାଯା’ନ୍ତି ଏବଂ ଏହା ଆକାଶରେ ଏକ ପ୍ରଶ୍ନବାଚକ ଚିହ୍ନ (?) ପରି ଦେଖାଯାଏ ।
(iv) ଆମ ଦେଶରେ ଏହାକୁ ସପ୍ତର୍ଷିମଣ୍ଡଳ କୁହାଯାଉଥ‌ିବାବେଳେ ପାଶ୍ଚାତ୍ୟ ଦେଶମାନଙ୍କରେ ଏହାକୁ ଗ୍ରେଟ୍ ବିୟର୍ ବା ବିଗ୍ ଡିପର କୁହାଯାଏ ।
(v) ଏହି ନକ୍ଷତ୍ରମଣ୍ଡଳ ଧ୍ରୁବତାରାକୁ କେନ୍ଦ୍ର କରି ଘୂରୁଥିବାର ଜଣାଯାଏ । ରାତିରେ ସପ୍ତର୍ଷିମଣ୍ଡଳକୁ ଆଧାର କରି ଧ୍ରୁବତାରା ଚିହ୍ନି ହୁଏ ।
(vi) ସମସ୍ତ ତାରା ଓ ତାରକାପୁଞ୍ଜ ଧ୍ରୁବତାରା ଚାରିପଟେ ଘୂରିବାପରି ଦେଖାଯା’ନ୍ତି । ପୃଥ‌ିବୀର ଦକ୍ଷିଣ ଗୋଲାର୍ଦ୍ଧରେ ଧ୍ରୁବତାରା ଚିହ୍ନି ହୁଏ ।
(vii) କାଳପୁରୁଷମଣ୍ଡଳ ଅନ୍ୟତମ ତାରକାପୁଞ୍ଜ । ଶୀତଦିନେ ଅଳ୍ପ ରାତିରେ ଏହା ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖାଯାଏ । ଖାଲି ଆଖ ଏହି ରେଖାଟି ଶିକାରୀର ଅଣ୍ଟାବେଲ୍ଟ ପରି ଦିଶୁଥ‌ିବାରୁ ଏହାକୁ ଶିକାରୀ ତାରା କୁହାଯାଏ ।
(viii) ଏହି ତିନୋଟି ତାରାକୁ ଏକ କାଳ୍ପନିକ ରେଖାରେ ଯୋଡ଼ି ପୂର୍ବଦିଗ ଆଡ଼କୁ ଅଳ୍ପବାଟ ବଢ଼ାଇଦେଲେ ଆକାଶର ଉଜ୍ଜ୍ବଳତମ ତାରକା ‘ସିରିୟସ୍’’ କୁ ଦେଖୁହେବ ।
(ix) କ୍ୟାସିଓପିଆ ଉତ୍ତର ଆକାଶରେ ଦେଖାଯାଉଥିବା ଆଉ ଏକ ତାରକାପୁଞ୍ଜ । ଏହା ଇଂରାଜୀ ଅକ୍ଷର “W” କିମ୍ବା “M” ପରି ଦେଖାଯାଏ । ସପ୍ତର୍ଷିମଣ୍ଡଳ ଅନୁପସ୍ଥିତିରେ କ୍ୟାସିଓପିଆ ଧ୍ରୁବତାରା ଚିହ୍ନିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରେ । 66

ସୌର ମଣ୍ଡଳ (The Solar system):
(i) ସୂର୍ଯ୍ୟ ଓ ତା’ର ଚାରିପଟେ ଘୂରୁଥ‌ିବା ୫ଟି ଗ୍ରହ, ସେମାନଙ୍କର ଉପଗ୍ରହ, ଗ୍ରହାଣୁପୁଞ୍ଜ, ଧୂମକେତୁ, ଉଲ୍‌କା ଇତ୍ୟାଦିଙ୍କୁ ନେଇ ସୌରଜଗତ ଗଠିତ ।
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(ii) ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ଯେଉଁ ସମସ୍ତ ସ୍ଥାନରେ ଏହାର ମହାକର୍ଷଣ ବଳ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ ହୁଏ, ସେ ସମସ୍ତ ସ୍ଥାନ ସୌରଜଗତର ଅନ୍ତର୍ଗତ । ଏହି ମହାକର୍ଷଣ ବଳ ପ୍ରଭାବରେ ସୌରଜଗତରେ ଥ‌ିବା ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରନ୍ତି ।

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ସୂର୍ଯ୍ୟ (Sun) :
(i) ଆମ ନିକଟରେ ଥ‌ିବା ସୌରଜଗତର ଏକମାତ୍ର ତାରକା ହେଉଛି ସୂର୍ଯ୍ୟ । ବସ୍ତୁତ୍ଵ, ଉଜ୍ଜଳତା, ତାପମାତ୍ରା ତଥା ଆକାର ଦୃଷ୍ଟିରୁ ଏହା ଏକ ସାଧାରଣ ତାରକା ।
(ii) ସୂର୍ଯ୍ୟର ବ୍ୟାସ ପ୍ରାୟ 1.392 x 10 କି.ମି. । ଏହା ପୃଥ‌ିବୀ ବ୍ୟାସର ପ୍ରାୟ 109 ଗୁଣ । ଏହାର ବସ୍ତୁତ୍ଵ ପ୍ରାୟ 2 x 103 କି.ଗ୍ରା. । ଏହା ପୃଥ‌ିବୀର ବସ୍ତୁତ୍ଵର ପ୍ରାୟ ତିନିଲକ୍ଷ ଗୁଣ ।
(iii) ସୂର୍ଯ୍ୟ ତା’ର ପରିବାରକୁ ନେଇ ଆକାଶଗଙ୍ଗା (Milkyway) ଗ୍ୟାଲକ୍‌ସିର କେନ୍ଦ୍ର ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରୁଛି । ଏହା ସହିତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ନିଜ ଅକ୍ଷ ଚତୁର୍ଦ୍ଦିଗରେ ପ୍ରାୟ 25 ଦିନରେ ଥରେ ଆବର୍ତ୍ତନ କରେ । ଏହାର ମୁଖ୍ୟ ଉପାଦାନ ହେଉଛି ହାଇଡ୍ରୋଜେନ୍ ଓ ହିଲିୟମ୍ ।
(iv) ଏତଦ୍‌ବ୍ୟତୀତ ଏଠାରେ ପ୍ରାୟ 60 ଟି ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ମୌଳିକ ରହିଥ‌ିବା ଜଣାଯାଇଛି । ଏହାର ବାହ୍ୟସ୍ତରର ତାପମାତ୍ରା ପ୍ରାୟ 6000°C ହୋଇଥିବାବେଳେ କେନ୍ଦ୍ରସ୍ଥଳର ତାପମାତ୍ରା ପ୍ରାୟ 2 କୋଟି ଡିଗ୍ରୀ ସେଲ୍‌ସିୟସ୍‌ରୁ ବେଶୀ । ସୂର୍ଯ୍ୟ ହେଉଛି ସକଳ ଶକ୍ତିର ଆଧାର ।

ଗ୍ରହ (Planet) :
(i) ପରିକ୍ରମଣ କରୁଅଛନ୍ତି । ସୂର୍ଯ୍ୟଠାରୁ ଦୂରତା ଅନୁସାରେ ଏମାନଙ୍କ ନାମ ହେଲା- 1. ବୁଧ, 2. ଶୁକ୍ର, 3. ପୃଥ‌ିବୀ, 4. ମଙ୍ଗଳ, 5. ବୃହସ୍ପତି, 6. ଶନି, 7. ୟୁରେସ୍ ଓ 8. ନେପ୍‌ଚ୍ୟୁନ୍ ।
(ii) ଗ୍ରହଗୁଡ଼ିକ ଦେଖୁବାକୁ ପ୍ରାୟ ଗୋଲକାକୃତି । ଏମାନଙ୍କ କକ୍ଷଗୁଡ଼ିକ ଅଣ୍ଡାକୃତି ।
(iii) କକ୍ଷପଥରେ ଥରେ ପରିକ୍ରମଣ କରିବାପାଇଁ ଯେଉଁ ସମୟ ଲାଗେ ତାକୁ ଗ୍ରହର ପରିକ୍ରମଣକାଳ କୁହାଯାଏ । ପୃଥ‌ିବୀର ପରିକ୍ରମଣକାଳ ପ୍ରାୟ 365 ଦିନ 6 ଘଣ୍ଟା ବା ଏକ ବର୍ଷ I ପରିକ୍ରମଣ କରିବା ସହିତ ଗ୍ରହମାନେ ମଧ୍ୟ ନିଜ ଅକ୍ଷ ଚାରିପଟେ ନଟୁପରି ଘୂରନ୍ତି । ଏହି ଘୂର୍ଣ୍ଣନକୁ ଆବର୍ତ୍ତନ (Rotation) କୁହାଯାଏ ।
(iv) ଗ୍ରହର ଥରେ ଆବର୍ତ୍ତନ ପାଇଁ ଲାଗୁଥିବା ସମୟକୁ ତା’ର ଆବର୍ତ୍ତକାଳ ବା ଆବର୍ତ୍ତନକାଳ କହନ୍ତି । ପୃଥ‌ିବୀର ଆବର୍ତ୍ତନକାଳ ପ୍ରାୟ 23 ଘଣ୍ଟା 56 ମିନିଟ୍ 4 ସେକେଣ୍ଡ ବା ଏକଦିନ ।
(v) ଜ୍ୟୋତିର୍ବିଜ୍ଞାନୀମାନଙ୍କ ମତରେ ଶୁକ୍ର ଓ ୟୁରେନ୍ସ ପୂର୍ବରୁ ପଶ୍ଚିମକୁ ଆବର୍ତ୍ତନ କରୁଥିବାବେଳେ ଅନ୍ୟ ଗ୍ରହମାନେ ପଶ୍ଚିମରୁ ପୂର୍ବକୁ ଆବର୍ତ୍ତନ କରନ୍ତି ।
(vi) ଗ୍ରହମାନେ ଯେପରି ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରନ୍ତି, ଉପଗ୍ରହମାନେ ସେହିପରି ଗ୍ରହ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରନ୍ତି । ଆମ ଗ୍ରହ ପୃଥ‌ିବୀର ଏକମାତ୍ର ପ୍ରାକୃତିକ ଉପଗ୍ରହ ହେଉଛି ଚନ୍ଦ୍ର ।

ବୁଧ (Mercury):
(i) ଦୂରତା ଅନୁସାରେ ବୁଧ ସୂର୍ଯ୍ୟର ନିକଟତମ ଗ୍ରହ । ଆୟତନ ଅନୁସାରେ ଏହା ସୌରଜଗତର କ୍ଷୁଦ୍ରତମ ଗ୍ରହ । ଏହାର ପରିକ୍ରମଣକାଳ ପ୍ରାୟ 58 ଦିନ ଏବଂ ଆବର୍ତ୍ତନକାଳ ପ୍ରାୟ 59 ଦିନ ।
(ii) ବୁଧର ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ପ୍ରାୟ ନାହିଁ । ଏହାର ପୃଷ୍ଠଦେଶ ବନ୍ଧୁର ଏବଂ ଖାଲଖମାରେ ପରିପୂର୍ଣ ।
(iii) ସୂର୍ଯ୍ୟୋଦୟର ଅଳ୍ପ ସମୟ ଆଗରୁ ଓ ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତର ଅଳ୍ପ ସମୟ ପାଇଁ ଆମେ ଏହାକୁ ଦେଖିପାରିବା ।

ଶୁକ୍ର (Venus) :
(i) ଶୁକ୍ର ପୃଥ‌ିବୀର ନିକଟତମ ଗ୍ରହ । ଏହାର ପୃଷ୍ଠ ପଥୁରିଆ । କିନ୍ତୁ ଏହାକୁ ଘେରିରହିଛି ଏକ ବହଳିଆ ଓ ଈଷତ୍ ହଳଦିଆ ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ।
(ii) ଏହା ମୁଖ୍ୟତଃ କାର୍ବନ୍ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍, ସଫ୍ୟୁରିକ୍ ଏସିଡ୍ ଓ ହାଇଡ୍ରୋକ୍ଲୋରିକ୍ ଏସିଡ୍ ଇତ୍ୟାଦି ବିଷାକ୍ତ ଗ୍ୟାସ୍‌ରେ ଭର୍ତ୍ତି । ତେଣୁ ଶୁକ୍ରରେ ଜୀବନ ସମ୍ଭବ ହୋଇପାରି ନାହିଁ ।
(iii) ବହଳିଆ ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ଯୋଗୁଁ ଏହାର ଦିବା ସମୟର ତାପମାତ୍ରା ପ୍ରାୟ 480° C ଓ ଏହା ଜଳଶୂନ୍ୟ । ଶୁକ୍ରରେ ପଡୁଥିବା ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକର ପ୍ରାୟ 85% ଏହାର ବାୟୁମଣ୍ଡଳରୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ହୁଏ । ତେଣୁ ପୃଥ‌ିବୀରୁ ଏହା ଖୁବ୍ ଉଜ୍ଜ୍ବଳ ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ସନ୍ଧ୍ୟାତାରା କିମ୍ବା ପାହାନ୍ତି ତାରା ମଧ୍ୟ କହନ୍ତି ।
(iv) ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତ ପରେ ଅଥବା ସୂର୍ଯ୍ୟୋଦୟ ପୂର୍ବରୁ ଦୁଇତିନି ଘଣ୍ଟା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ 47° ଦିଗବଳୟ ମଧ୍ୟରେ ଏହାକୁ ଦେଖୁହେବ ।

ପୃଥିବୀ (Earth):
(i) ପୃଥ‌ିବୀର ସ୍ଥଳଭାଗକୁ ଭୂମଣ୍ଡଳ, ଜଳଭାଗକୁ ବାରିମଣ୍ଡଳ ତଥା ସମସ୍ତ ପ୍ରାଣୀ ଓ ଉଦ୍ଭଦକୁ ଜୈବମଣ୍ଡଳ କୁହାଯାଏ । ଅନୁକୂଳ ବାୟୁ, ଜଳ, ଭୂଭାଗ ଓ ଉପଯୁକ୍ତ ପରିମାଣର ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ ହିଁ ଏହି ଜୈବମଣ୍ଡଳର ବୃଦ୍ଧି ଓ ବିକାଶରେ ସହାୟକ ହୋଇଛି ।
(ii) ଜୈବମଣ୍ଡଳର ସ୍ଥିତି ମଧ୍ୟ ଜୀବ, ଜୀବ ମଧ୍ୟରେ ଥିବା ପାରସ୍ପରିକ ସମ୍ପର୍କ ତଥା ଜୀବ ଓ ପରିବେଶ ମଧ୍ୟରେ ଥ‌ିବା ଭାରସାମ୍ୟ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ । ମହାକାଶରୁ ପୃଥ‌ିବୀ ନୀଳ-ସବୁଜ ମିଶ୍ରିତ ଏକ ଗୋଲକ ପିଣ୍ଡ ପରି ଦେଖାଯାଏ । ଏଠାରେ ଥ‌ିବା ଜଳ ଓ ସ୍ଥଳଭାଗ ଉପରେ ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ ଆପତିତ ହୋଇ ବାୟୁମଣ୍ଡଳକୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ହେବା ଯୋଗୁଁ ଏଭଳି ବର୍ଷ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୁଏ ।
(iii) ପୃଥ‌ିବୀରେ ବର୍ଷକ ମଧ୍ୟରେ ଛଅଟି ଋତୁ ଅନୁଭୂତ ହୁଏ । ଏହାର ବିଷୁବତଳୀୟ ସମତଳ, କକ୍ଷତଳୀୟ ସମତଳ ସହ ପ୍ରାୟ 23.5° ଆନତ ହୋଇ ରହିଥ‌ିବାରୁ ଏପରି ଋତୁ ପରିବତ୍ତର୍ନ ସମ୍ଭବ ହୋଇଛି ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ

ପୃଥିବୀ (Mars):
(i) ପୃଥ‌ିବୀ କକ୍ଷପଥ ବାହାରେ ଏହା ପ୍ରଥମ ସୌରଗ୍ରହ । ଏହାର ପୃଷ୍ଠଦେଶ ଲାଲ୍ ରଙ୍ଗର ପଥର ଓ ବାଲିରେ ଗଠିତ ।
(ii) ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ପତଳା କାର୍ବନ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (CO2)ରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ।
(iii) ରାତି ଆକାଶରେ ଆମକୁ ଏହାର ରଙ୍ଗ ଲାଲ୍ ଦେଖାଯାଏ । ପୃଥ‌ିବୀ ସହିତ ଏହାର ଅନେକ ସାମଞ୍ଜସ୍ୟ ଅଛି । ପୃଥ‌ିବୀ ଓ ମଙ୍ଗଳ ଗ୍ରହରେ ଗୋଟିଏ ଦିନର ଅବଧୂ ପ୍ରାୟ ସମାନ ।
(iv) ମଙ୍ଗଳର ଅକ୍ଷ ତା’ର କକ୍ଷତଳ ସହ ପ୍ରାୟ 23.98° ଢଳିରହିଛି । ମଙ୍ଗଳର ଦୁଇଟି ଉପଗ୍ରହ ଡିମସ୍ ଓ ଫୋବସ୍ 1877 ମସିହାରେ ଆବିଷ୍କୃତ ହୋଇଥିଲା ।

şa (Jupiter):
(i) ସୌରଜଗତର ବୃହତ୍ତମ ଗ୍ରହ ବୃହସ୍ପତିର ପୃଷ୍ଠଦେଶ ମୁଖ୍ୟତଃ ଗ୍ୟାସ୍ ଓ ତରଳ ପଦାର୍ଥରେ ଗଠିତ ।
(ii) ବୃହସ୍ପତିର 63ଟି ଉପଗ୍ରହ ମଧ୍ୟରୁ ସାଧାରଣ ଦୂରବୀକ୍ଷଣ ଯନ୍ତ୍ରରେ ବଡ଼ବଡ଼ 4ଟି ଉପଗ୍ରହ ଦେଖହୁଏ । ଗୋଟିଏ କ୍ଷୀଣ ବଳୟ ଏହି ଗ୍ରହକୁ ପରିକ୍ରମଣ କରୁଛି ବୋଲି 1979 ମସିହାରୁ ଜଣାପଡ଼ିଛି । ଏହାର ଆବର୍ତ୍ତନକାଳ ପ୍ରାୟ ୨ ଘଣ୍ଟା 55 ମିନିଟ୍ ।
(iii) ବୃହସ୍ପତିକୁ ଦୂରବୀକ୍ଷଣରେ ଦେଖ‌ିଲେ ଏହାର ଦକ୍ଷିଣ ଗୋଲାର୍ଦ୍ଧରେ ଏକ ବିରାଟ ଲାଲ୍ ଦାଗ ଦେଖୁହେବ । ବୃହସ୍ପତିର ମାଧ୍ୟାକର୍ଷଣ ପୃଥ‌ିବୀର ମାଧ୍ୟାକର୍ଷଣର ପ୍ରାୟ 2.64 ଗୁଣ । –

ଶନି (Saturn) :
(i) ଈଷତ୍ ପୀତରଙ୍ଗର ଗ୍ରହ ଶନି ଆୟତନରେ ସୌରଜଗତର ଦ୍ବିତୀୟ ବୃହତ୍ତମ ଗ୍ରହ । ସମଗ୍ର ଗ୍ରହଟି ହାଇଡ୍ରୋଜେନ୍ , ହିଲିୟମ୍, ଏମୋନିଆ, ମିଥେନ୍ ପରି ଗ୍ୟାସ୍‌ରେ ପୂର୍ଣ୍ଣ ।
(ii) ଅଦ୍ୟାବଧୂ ଆବିଷ୍କୃତ ଏହାର 60ଟି ଉପଗ୍ରହ ମଧ୍ୟରୁ ଟାଇଟନ୍ ବୃହତ୍ତମ ଅଟେ ।
(iii) ଶନିର ଅନେକ ବଳୟ ରହିଛି । ଏହି ବଳୟଗୁଡ଼ିକ ଅତିକ୍ଷୁଦ୍ର ପଥର, ବରଫକଣା ଓ ଧୂଳିକଣାକୁ ନେଇ ଗଠିତ । ଏମାନେ ଶନି ଚାରିପଟେ ପତଳା ଚକ୍ର ଆକାରରେ ଘୂରୁଛନ୍ତି । ଶନିର ସାନ୍ଦ୍ରତା ସୌରଜଗତର ଗ୍ରହମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସବୁଠାରୁ କମ୍ ।

2600 (Uranus):
(i) ୟୁରେସ୍ 1781 ମସିହାରେ ଉଇଲିୟମ୍ ହର୍‌ସ୍‌ଲ୍‌ଙ୍କ ଦ୍ବାରା ଆବିଷ୍କୃତ ହୋଇଥିଲା । ଏହା ସୌରଜଗତର ସବୁଜ ଗ୍ରହ । ଏହି ସବୁଜ ରଙ୍ଗ ଏଠାରେ ଥ‌ିବା ମିଥେନ୍ ଓ ଏମୋନିଆ ପାଇଁ ଦେଖାଯାଏ ।
(ii) ଏହାର ପ୍ରାୟ ଦଶଟି କ୍ଷୀଣବଳୟ 1977 ମସିହାରୁ ଆବିଷ୍କୃତ ହେଲାଣି ! ସମଗ୍ର ଗ୍ରହରେ କଠିନ ଅଂଶ କିଛି ନାହିଁ ।
(iii) ଶନି ଶୁକ୍ରଭଳି ପୂର୍ବରୁ ପଶ୍ଚିମକୁ ଘୂର୍ଣ୍ଣନ କରେ ଓ ଏହାର କକ୍ଷ, କକ୍ଷତଳୀୟ ସମତଳ ସହ ପ୍ରାୟ ୨୫° ଢଳେଇ ହୋଇ ରହିଥାଏ । ଏଣୁ ଏହା ଓଲଟି ପଡ଼ିଥିବା ନଟୁ ପରି ଗଡ଼ିଗଡ଼ି ଘୂରେ ।

ନେପ୍‌ଚ୍ୟୁନ୍ (Neptune) :
(i) 1846 ମସିହାରେ ଗଫ୍ରିଡ୍ ଗାଲେଙ୍କ ଦ୍ବାରା ଆବିଷ୍କୃତ ନେଚ୍ୟୁନ୍ ଅଧୁନା ସୌରଜଗତର ଦୂରତମ ଗ୍ରହ । ଏହାର ଛଅଗୋଟି ବଳୟ 1989 ମସିହାରେ ଆବିଷ୍କୃତ ହୋଇଥିଲା ।
(ii) ଏହାର ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ମୁଖ୍ୟତଃ ମିଥେନ୍ ଗ୍ୟାସ୍‌ରେ ପୂର୍ଣ୍ଣ । ତେଣୁ ଏହା ନୀଳବର୍ଣ୍ଣ ଦେଖାଯାଏ ।
(iii) ସୂର୍ଯ୍ୟଠାରୁ ଅନେକ ଦୂରରେ ଥ‌ିବାରୁ ଏହା ଏକ ହିମ-ଗୋଲକ ରୂପେ ପ୍ରତୀୟମାନ ହୁଏ । ଏହାର ପୃଷ୍ଠର ତାପମାତ୍ରା
(iv) ଗ୍ରହମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଏହାର ପରିକ୍ରମଣ କାଳ ସର୍ବାଧ୍ଵ ଓ ଏହା ପ୍ରାୟ ଆମର 165 ବର୍ଷ ସହ ସମାନ ।

ର ପ୍ରଣାଳୀର ଅନ୍ୟ ସଦସ୍ୟମାନେ |(Other members of the Solar System):
ଆଷ୍ଟ୍ରୋଏଡସ୍ | (Asteroids) :
(i) ଗ୍ରହ ଉପଗ୍ରହମାନଙ୍କୁ ଛାଡ଼ି ଅନେକ ଗ୍ରହାଣୁ ମଙ୍ଗଳ ଓ ବୃହସ୍ପତିର କକ୍ଷପଥ ମଧ୍ଯରେ ରହି ସୂର୍ଯ୍ୟ ପରିକ୍ରମା କରୁଛନ୍ତି । ଏମାନଙ୍କୁ ଏକତ୍ର ଗ୍ରହାଣୁପୁଞ୍ଜ କୁହାଯାଏ ।
(ii) ଗ୍ରହାଣୁମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ କେତେକଙ୍କର କକ୍ଷପଥ ପୃଥ‌ିବୀର କକ୍ଷପଥକୁ ଛେଦକରୁଛି । ଏଣୁ କୌଣସି ଏକ ସମୟରେ ଏମାନେ ପୃଥ‌ିବୀର ମାଧ୍ୟାକର୍ଷଣ କ୍ଷେତ୍ର ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରବେଶ କରିବା ସମ୍ଭାବନା ଥାଏ ।
(iii) ଅନେକ ସମୟରେ କେତେକ କ୍ଷୁଦ୍ର ଗ୍ରହାଣୁ ପୃଥ‌ିବୀର ମାଧ୍ୟାକର୍ଷଣ କ୍ଷେତ୍ର ମଧ୍ୟରେ ଗତିକଲାବେଳେ ଟାଣିହୋଇ ଭୂପୃଷ୍ଠ ଆଡ଼କୁ ଚାଲିଆସନ୍ତି । ତଦ୍ୱାରା ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ସହ ଏହି ଗ୍ରହାଣୁଗୁଡ଼ିକର ଘର୍ଷଣ ହୁଏ । ଗ୍ରହାଣୁଟି ଉତ୍ତପ୍ତ ହୋଇ ଜଳିଉଠେ ଓ ଏହାର ପଡ଼ିବା ବାଟଟି ଆଲୋକିତ ହୋଇଯାଏ ।

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ଧୂମ (Comet) :
(i) ସମୟ ସମୟରେ ଲାଞ୍ଜଥିବା ଏକ ଉଜ୍ଜ୍ବଳ ବସ୍ତୁ ଆକାଶରେ ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ଧୂମକେତୁ ବା ଲଞ୍ଜାତାରା କହନ୍ତ୍ର ।
(ii) ଏକ ଲମ୍ବାଳିଆ ଅଣ୍ଡାକୃତି କକ୍ଷରେ ଧୂମକେତୁ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରେ । ପ୍ରତି ଧୂମକେତୁର ଗୋଟିଏ ମୁଣ୍ଡ ଓ ଗୋଟିଏ ଲାଞ୍ଜ ଥାଏ । ଗୋଟିଏ ଧୂମକେତୁର ମୁଣ୍ଡ ବା ନିଉକ୍ଲିୟସ୍‌ର ବ୍ୟାସ ପ୍ରାୟ ଦଶ କି.ମି. ଥ‌ିବାବେଳେ ପୁଚ୍ଛ ହଜାର ହଜାର କିଲୋମିଟର ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲମ୍ବିପାରେ ।
(iii) ଧୂମକେତୁଗୁଡ଼ିକ ଛୋଟ ପଥର ଖଣ୍ଡ, ଧୂଳିକଣା ଏବଂ ଗ୍ୟାସ୍‌ରେ ଭର୍ତ୍ତି । ଲାଞ୍ଜ ଅଂଶଟି ମୁଖ୍ୟତଃ ଏମୋନିଆ, ମିଥେନ୍, ଜଳୀୟବାଷ୍ପ ଓ ବରଫକଣାରେ ପୂର୍ଣ୍ଣ ।
(iv) ସୂର୍ଯ୍ୟର ନିକଟତର ହେଲେ ଏଥିରେ ଥ‌ିବା ଛୋଟ ଛୋଟ କଣିକା ବାଷ୍ପୀଭୂତ ହୋଇ ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ କି.ମି. ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲମ୍ବିଥାଏ ।
(v) ଧୂମକେତୁ ସୂର୍ଯ୍ୟର ନିକଟତର ହେବାବେଳେ ଲାଞ୍ଜଟି ସୂର୍ଯ୍ୟର ବିପରୀତ ଦିଗରେ ସର୍ବଦା ରହିଥାଏ ଏବଂ ସୂର୍ଯ୍ୟଠାରୁ ଅନେକ ଦୂରକୁ ଚାଲିଗଲେ ଲାଞ୍ଜଟି ପ୍ରାୟ ଦେଖାଯାଏ ନାହିଁ ।
(vi) ଏପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଆବିଷ୍କୃତ ହୋଇଥିବା ଧୂମକେତୁଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ହାଲିଙ୍କ ଧୂମକେତୁ ଅନ୍ୟତମ । ସୂର୍ଯ୍ୟ ଚାରିପଟେ ପରିକ୍ରମଣ କରୁଥିବାବେଳେ ଏହା ପ୍ରାୟ 76 ବର୍ଷରେ ଥରେ ପୃଥ‌ିବୀ ନିକଟକୁ ଆସେ । 1682 ମସିହାରେ ହାଲିଙ୍କ ଦ୍ବାରା ଆବିଷ୍କୃତ ଏହି ଧୂମକେତୁଟି ଶେଷଥର ପାଇଁ 1986 ମସିହାରେ ଦେଖାଯାଇଥିଲା ।
(vii) ଧୂମକେତୁର ପୁଚ୍ଛ ପୃଥ‌ିବୀର ନିକଟତର ହେବାବେଳେ ସେଥୁରୁ ଧୂଳିକଣା, ଛୋଟ ପଥରଖଣ୍ଡ ଇତ୍ୟାଦି ପୃଥ‌ିବୀଦ୍ଵାରା

ଉଲ୍‌କା ଓ ଉଲ୍‌କାପିଣ୍ଡ (Meteors and Meteorites) :
(i) ଅନ୍ଧାର ରାତିରେ ଯେଉଁ ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁ ଆଲୋକର ଝଲକ ସୃଷ୍ଟି କରି ଭୂପୃଷ୍ଠ ଆଡ଼କୁ ପଡ଼ିବାର ଦେଖାଯାଏ, ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଉଲ୍‌କା କହନ୍ତି । ଏହାକୁ ଖସୁଥ‌ିବା ତାରା କୁହାଯାଏ ।
(ii) ଗ୍ରହାଣୁ କିମ୍ବା ଧୂମକେତୁପରି ମହାକାଶୀୟ ବସ୍ତୁ ସେମାନଙ୍କର ପରିକ୍ରମଣବେଳେ ପୃଥ‌ିବୀର ନିକଟତର ହେଲେ ଉଲ୍‌କାପାତ ହୋଇପାରେ । ଉଲ୍‌କାଗୁଡ଼ିକ ଗ୍ରହାଣୁ କିମ୍ବା ଧୂମକେତୁର ଅଂଶବିଶେଷ । ବାୟୁମଣ୍ଡଳ ସହ ଘର୍ଷଣ – ଯୋଗୁଁ ସେସବୁ ଏତେ ଉତ୍ତପ୍ତ ହୁଅନ୍ତି ଯେ ସେଠାରେ ପୋଡ଼ି ପାଉଁଶ ହୋଇଯାଆନ୍ତି ।
(iii) ଯେଉଁ ଉଲ୍‌କାଗୁଡ଼ିକ ଆକାରରେ ବଡ଼, ସେଗୁଡ଼ିକ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ପୋଡ଼ି ନଯାଇ ଭୂପୃଷ୍ଠରେ ଆସି ପଡ଼ନ୍ତି । ଏଗୁଡ଼ିକ ଥଣ୍ଡା ହୋଇ ପଥର ଆକାରରେ ପଡ଼ିରହନ୍ତି । ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଉଲ୍‌କାପିଣ୍ଡ କୁହାଯାଏ ।
(iv) ପ୍ରାୟ 30 ଟନ୍ ଓଜନର ଉଲ୍‌କାପିଣ୍ଡ ପୃଥ‌ିବୀପୃଷ୍ଠରେ ପଡ଼ିଥିବାର ଉଦାହରଣ ରହିଛି । ଉଲ୍‌କାପିଣ୍ଡଗୁଡ଼ିକରେ ଲୁହା, ନିକେଲ ଇତ୍ୟାଦି ଚୁମ୍ବକୀୟ ପଦାର୍ଥ ବେଶୀ ପରିମାଣରେ ଥାଏ ।
2003 ମସିହା ସେପ୍ଟେମ୍ବର 27 ତାରିଖ ସନ୍ଧ୍ୟାବେଳେ ଏମିତି କିଛି ଉଲ୍‌କାପିଣ୍ଡ ଓଡ଼ିଶାର ବାଲେଶ୍ୱର, ମୟୂରଭଞ୍ଜ ଓ କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା ଆଦି ଜିଲ୍ଲାରେ ପଡ଼ିଥିଲା ଓ ମଧ୍ୟଦେଇ ଗତି କଲାବେଳେ ଅନେକ ଉଲ୍‌କା

କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ (Artificial Satellites) :
(i) କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ ମନୁଷ୍ୟକୃତ ଓ ଏଗୁଡ଼ିକ ବୈଜ୍ଞାନିକ ପଦ୍ଧତିରେ ପୃଥ‌ିବୀ ଚାରିପଟେ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ କକ୍ଷରେ ଘୂରାଯାଇଥାଏ । ପୃଥ‌ିବୀ ଚାରିପଟେ ଏମାନେ ଘୂରୁଥିବା କକ୍ଷର ଆକାର ପ୍ରାକୃତିକ ଉପଗ୍ରହମାନଙ୍କ କକ୍ଷର ଆକାରଠାରୁ ଢେର କମ୍ ।
ସେଗୁଡ଼ିକ ସଂଗ୍ରହ କରାଯାଇଅଛି । ପୃଥ‌ିବୀ ଧୂମକେତୁର ଲାଞ୍ଜ ଦେଖିବାକୁ ମିଳେ । ବର୍ଷକ ମଧ୍ୟରେ ଉଲ୍‌କା ବର୍ଷା ଅନେକ ହୁଏ
(ii) କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହର ପରିକ୍ରମଣ ସମୟ ପୃଥ‌ିବୀର ଆବର୍ତ୍ତନ ସମୟ ସହିତ ସମାନ ନୁହେଁ; ଫଳରେ ଏହା ବିଭିନ୍ନ ସମୟରେ ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନ ଉପରେ ରହିଥାଏ ।
(iii) କିନ୍ତୁ କିଛି କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ ଏବେ ତିଆରି ହେଲାଣି ଯେଉଁମାନଙ୍କର ପରିକ୍ରମଣ ସମୟ ପୃଥ‌ିବୀର ଆବର୍ତ୍ତନ ସମୟ ସହିତ ସମାନ । ଏମାନେ ପୃଥ‌ିବୀର ଏକ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ସ୍ଥାନ ଉପରେ ସ୍ଥିର ଥିବାପରି ଜଣାପଡ଼ନ୍ତି । ତେଣୁ ଏମାନଙ୍କୁ ଭୂ-ସ୍ଥିର ଉପଗ୍ରହ (Geo-stationary Satellite) କୁହାଯାଏ ।
(iv) ଆଉ କେତେକ କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ ସାହାଯ୍ୟରେ ମହାକାଶରୁ ଭୂପୃଷ୍ଠ ଓ ଭୂ-ଅଭ୍ୟନ୍ତରରେ ଥିବା ଜଙ୍ଗଲ, ଖଣି, ପ୍ରାକୃତିକ ଗ୍ୟାସ୍ ଓ ପେଟ୍ରୋଲିୟମ୍ ସ୍ତର ଇତ୍ୟାଦି ବିଷୟ ସନ୍ଧାନ କରାଯାଏ । ଏମାନଙ୍କୁ ସୁଦୂର- ସନ୍ଧାନୀ ଉପଗ୍ରହ (Remote sensing Satellite) କହନ୍ତି ।

ଅନେକ ଉପକାର ହୋଇପାରୁଛି; ଯଥା –
(i) ଇତ୍ୟାଦି ବିଷୟରେ ସୂଚନା ପ୍ରଦାନ କରି ପାରୁଛି ।
(ii) ସୁଦୂର -ସନ୍ଧାନୀ ଉପଗ୍ରହ ଦ୍ଵାରା ଖଣିଜ ପଦାର୍ଥ ତଥା ଭୂଗର୍ଭରେ ଗଚ୍ଛିତ ତୈଳ ଇତ୍ୟାଦିର ପରିମାଣ କରାଯାଇପାରୁଛି ।
(iii) ଭୂ ସ୍ଥି ର ଉପଗ୍ର ହ ଟେଲି ଯୋଗାଯୋଗ ବା ଦୂର ସିଧା ପ୍ରସାରଣ, ଉପଗ୍ରହ ମାଧ୍ୟମରେ ଶିକ୍ଷାଦାନ ଇତ୍ୟାଦି ସମ୍ପାଦନ କରାଯାଇପାରୁଛି ।
(iv) ଜଙ୍ଗଲ ଓ ପରିବେଶ ସନ୍ତୁଳନ ନିମନ୍ତେ ନୂତନ ଜଙ୍ଗଲ ସୃଷ୍ଟିପାଇଁ ସ୍ଥାନ ନିରୂପଣ ଇତ୍ୟାଦି କ୍ଷେତ୍ରରେ ଉପଗ୍ରହ ଗୁରୁତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ଗ୍ରହଣକରିଛି ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ 3

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 17 ତାରକା ଓ ସୌରଜଗତ

1957 ମସିହା ଅକ୍ଟୋବର 4 ତାରିଖ ଦିନ ସ୍ଫୁଟନିକ୍-। କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହକୁ ମହାକାଶକୁ ପଠାଇ ରୁଷିଆ କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ ଯୁଗର ଆୟମାରମ୍ଭ କରିଥିଲା । ଭାରତର ପ୍ରଥମ କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହର ନାମ ହେଉଛି ଆର୍ଯ୍ୟଭଟ୍ଟ । ଅନ୍ୟ କେତେକ ଭାରତୀୟ କୃତ୍ରିମ ଉପଗ୍ରହ ହେଲା – ଇନ୍‌ସାଟ୍, ଆଇ.ଆର.ଏସ୍., କଳ୍ପନା-1, ଏଡୁସାଟ ଇତ୍ୟାଦି ।

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BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ

ଆଲୋକ ଏକ ପ୍ରକାର ଶକ୍ତି । ଆଲୋକ ଦ୍ବାରା ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକୁ ଦେଖ୍ ହୁଏ । ଦେଖିବା ପାଇଁ ଆମର ଦର୍ଶନେନ୍ଦ୍ରିୟ ଚକ୍ଷୁ ରହିଛି । କେତେକ ବସ୍ତୁ ଅଛନ୍ତି ଯେଉଁଗୁଡ଼ିକ ଆଲୋକର ଉତ୍ସ; ଅର୍ଥାତ୍ ସେଗୁଡ଼ିକ ଆଲୋକ ପ୍ରଦାନ କରିଥା’ନ୍ତି । ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଦୀପ୍ତିମାନ ବସ୍ତୁ କହୁ । ଉଦାହରଣସ୍ୱରୂପ ସୂର୍ଯ୍ୟ, ମହମବତି, ଟେବୁଲ ଲାଇଟ୍ ଇତ୍ୟାଦି କେତେକ ବସ୍ତୁ ଅଛନ୍ତି, ଯେଉଁମାନଙ୍କର ଆଲୋକ ପ୍ରଦାନ କରିବାର କ୍ଷମତା ନାହିଁ; କିନ୍ତୁ ଆଲୋକର ପ୍ରତିଫଳନ ଯୋଗୁଁ ଏମାନେ ଆଲୋକ ଦେଇଥା’ନ୍ତି; ଯଥା ଚନ୍ଦ୍ର (ପୃଥ‌ିବୀର ଉପଗ୍ରହ) ।

ଚନ୍ଦ୍ର, ସୂର୍ଯ୍ୟରୁ ଆସୁଥିବା ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମି ମାଧ୍ୟମରେ ଆଲୋକିତ ହୋଇଥାଏ । ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଅଦୀପ୍ତମାନ ବସ୍ତୁ କୁହାଯାଏ । ଆଲୋକ ଉତ୍ସରୁ ବିଭିନ୍ନ ମାଧ୍ୟମଦେଇ ଆଲୋକ ଆସି ଚକ୍ଷୁରେ ପଡ଼େ; ଯାହାଦ୍ୱାରା ଆମେ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକୁ ହୋଇଥାଏ । ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଅଦୀପ୍ତମାନ ବସ୍ତୁ କୁହାଯାଏ । ଆଲୋକ ଉତ୍ସରୁ ବିଭିନ୍ନ ମାଧ୍ଯମଦେଇ ଆଲୋକ ଆସି ଚକ୍ଷୁରେ ପଡ଼େ; ଯାହାଦ୍ୱାରା ଆମେ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକୁ ଦେଖିବାପାଇ ସକ୍ଷମ ହୋଇଥାଉ । ଉକ୍ତ ଅଧ୍ୟାୟରେ ଆଲୋକ ଏବଂ ଆଲୋକର ପ୍ରତିଫଳନ ସମେତ ଚକ୍ଷୁର ଗଠନ ସଂପର୍କରେ ଆଲୋଚନା କରାଯାଇଛି ।

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→ ବସ୍ତୁ ଦେଖିବାରେ କିଏ ସହାୟକ ହୁଏ ? (What makes Things Visible) :
(i) ଆମେ ସାଧାରଣତଃ ଚକ୍ଷୁ ସାହାଯ୍ୟରେ ଦେଖୁ; ମାତ୍ର ଆଲୋକବିନା ଚକ୍ଷୁ ସାହାଯ୍ୟରେ ଦେଖ୍ ହେବ ନାହିଁ ।
(ii) କୌଣସି ଏକ ବସ୍ତୁରୁ ଆଲୋକ ଆମ ଚକ୍ଷୁକୁ ଆସିଲେ ହିଁ ବସ୍ତୁଟି ଦେଖ୍ହୁଏ । ଏହି ଆଲୋକ ବସ୍ତୁର ନିଜର ଆଲୋକ ହୋଇପାରେ କିମ୍ବା ବସ୍ତୁଟିରୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ହୋଇ ଆସୁଥିବା ଆଲୋକ ହୋଇପାରେ ।

କେତେକ ବସ୍ତୁ ଅଛି, ଯାହା ମଧ୍ୟଦେଇ:
(i) ଆଲୋକ ଗତି କରିପାରେ – ସ୍ବଚ୍ଛ (Transparent)
(ii) ଲୋକ ଆଂଶିକ ଗତି କରିପାରେ – ଅର୍ଦ୍ଧସ୍ୱଚ୍ଛ (Translucent)
(iii) ଆଲୋକ ଗତି କରିପାରେ ନାହିଁ – ଅସ୍ବଚ୍ଛ (Opaque)

→ ପ୍ରତିଫଳନର ନିୟମ (Laws of Reflection):
ଆଲୋକ ଗୋଟିଏ ମାଧ୍ୟମରୁ ଅନ୍ୟ ଏକ ମାଧ୍ୟମକୁ ଗତି ଗଲାବେଳେ ବ୍ୟବଧାନ ପୃଷ୍ଠରେ ଆଲୋକରଶ୍ମି ବାଧା ପାଇ, ଯେଉଁ ମାଧ୍ୟମରୁ ଯାଥାଏ, ସେହି ମାଧ୍ୟମକୁ ଫେରିଆସେ । ଏହାକୁ ଆଲୋକର ପ୍ରତିଫଳନ କୁହାଯାଏ ।
(i) ଏକ ସମତଳ ଦର୍ପଣ ଉପରେ ଆଲୋକ ରଶ୍ମିଟି ବାଧାପାଇ ଅନ୍ୟ ଏକ ଦିଗରେ ପ୍ରତିଫଳିତ ହୋଇଥାଏ । ଯେଉଁ ଆଲୋକ ରଶ୍ମିଟି କୌଣସି ଏକ ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ପଡ଼େ, ତାହାକୁ ଆପତିତ ରଶ୍ମି (Incident ray) କହନ୍ତି ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 2
(ii) ପ୍ରତିଫଳନ ପରେ ଯେଉଁ ରଶ୍ମିଟି ସେହି ପୃଷ୍ଠରୁ ତାହାର ଦିଗ ପରିବର୍ତ୍ତନ କରି ଫେରିଆସେ ତାହାକୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମି (Reflected ray) କୁହାଯାଏ ।
(iii) ଆଲୋକର ସରଳରେଖକ ପଥକୁ ଏକ ରଶ୍ମି ସାହାଯ୍ୟରେ ପ୍ରକାଶ କରାଯାଏ; ମାତ୍ର ପ୍ରକୃତରେ ଅନେକ ସମାନ୍ତରାଳ ଆଲୋକ ରଶ୍ମି ଏକତ୍ର ଏକ ସରୁ ରଶ୍ମିଗ୍ରନ୍ଥ ଭାବରେ ଗତି କରିଥା’ନ୍ତି । ଏହି ରଶ୍ମିଗୁଚ୍ଛରେ ଅନେକଗୁଡ଼ିଏ ଆଲୋକ ରଶ୍ମି ଥାଏ ।
(iv) ଆପତିତ ରଶ୍ମି ଓ ଅଭିଲମ୍ବ ମଧ୍ୟବର୍ତ୍ତୀ କୋଣକୁ ଆପତନ କୋଣ (Angle of Incidence) ଏବଂ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମି ଓ ଅଭିଲମ୍ବ ମଧ୍ୟବର୍ତ୍ତୀ କୋଣକୁ ପ୍ରତିଫଳନ କୋଣ (Angle of reflection) କୁହାଯାଏ ।

ପ୍ରତିଫଳନର ନିୟମ :
ପ୍ରଥମ ନିୟମ – ଆପତନ କୋଣର ପରିମାଣ ପ୍ରତିଫଳନ କୋଣର ପରିମାଣ ସହ ସମାନ ହେବ ।
ଦ୍ବିତୀୟ ନିୟମ – ଆପତିତ ରଶ୍ମି, ଆପତନ ବିନ୍ଦୁରେ ଅଙ୍କିତ ଅଭିଲମ୍ବ ଓ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମି ଏକ ସମତଳରେ ଅବସ୍ଥାନ କରନ୍ତି ।

(v) କୌଣସି ବ୍ୟକ୍ତି ସମତଳ ଦର୍ପଣ ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆହେଲେ ତାହାର ପ୍ରତିବିମ୍ବରେ ବାମ ହାତ ଡାହାଣ ହାତପରି ଏବଂ ଡାହାଣ ହାତ ବାମ ହାତପରି ଦେଖାଯାଏ । ଏହାକୁ ପାର୍ଶ୍ୱ ପରିବର୍ତ୍ତନ (Lateral inversion) କହନ୍ତି ।

→ ସମତଳ ଦର୍ପଣରେ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ଗଠନ (Image formation in a Plane Mirror) :
(i) ବସ୍ତୁଠାରୁ ଦର୍ପଣର ଦୂରତା = ଦର୍ପଣଠାରୁ ପ୍ରତିବିମ୍ବର ଦୂରତା (Distance of the object from the mirror = Distance of the image from the mirror)
(ii) ଆଭାସୀ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ପରଦାରେ ଧରିରଖ୍ ହୁଏ ନାହିଁ । (Virtual image which can not be obtained by screen)
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 3

  • ଆଲୋକ ଉତ୍ସ ‘O’ ରୁ \(\overrightarrow{\mathrm{OA}}\) ଓ \(\overrightarrow{\mathrm{OC}}\) ଦୁଇଟି ଆପତିତ ରଶ୍ମି PQ ସମତଳ ଦର୍ପଣର A ଓ C ବିନ୍ଦୁରେ ଆପତିତ ହେଉଛନ୍ତି । \(\overrightarrow{\mathrm{OA}}\) ଓ \(\overrightarrow{\mathrm{OC}}\) ରଶ୍ମିପାଇଁ ଆପତନ କୋଣ \(\angle \mathrm{i}\) ସହିତ ସମାନ କରି ପ୍ରତିଫଳନ କୋଣ \(\angle \mathrm{r}\) ଅଙ୍କନ କଲେ ଯଥାକ୍ରମେ \(\overrightarrow{\mathrm{AB}}\) ଓ \(\overrightarrow{\mathrm{CD}}\) ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିମାନ ମିଳି ? ।
  • ବର୍ତ୍ତମାନ ଦର୍ପଣକୁ କାଢ଼ିନେଇ AB ଓ CD ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଦ୍ଵୟକୁ ଦର୍ପଣର ପଛପଟେ ବର୍ଦ୍ଧିତକଲେ ସେମାନେ ପରସ୍ପରକୁ ଯେଉଁ ବିନ୍ଦୁରେ ଛେଦକରିବେ ତାହାର ନାମ ‘I’ ହେଉ ।
  • E ସ୍ଥାନରେ ଦେଖୁଥ‌ିବା ଚକ୍ଷୁକୁ I ବିନ୍ଦୁରୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଦ୍ଵୟ ଆସିଲାଭଳି ଜଣାଯିବ ।
  • ‘I’ ବିନ୍ଦୁଟି ‘O’ ବିନ୍ଦୁର ସମତଳ ଦର୍ପଣରେ ଗଠିତ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ଅଟେ ।
  • ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଦ୍ଵୟ ପ୍ରକୃତରେ ପରସ୍ପରକୁ ଛେଦକରୁ ନଥିବାରୁ ସେମାନେ ‘I’ ବିନ୍ଦୁରୁ ଆସୁଥିବା ପରି ଜଣାପଡ଼ନ୍ତି । ତେଣୁ ‘O’ ବିନ୍ଦୁର ଏକ ଆଭାସୀ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ‘I’ ବିନ୍ଦୁରେ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହି ପ୍ରତିବିମ୍ବକୁ ପରଦାରେ ଧରି ରଖୁହୁଏ ନାହିଁ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ

→ ସମ ଓ ଅସମ ପ୍ରତିଫଳନ (Regular and Irregular Reflection):
ଅସମ ପ୍ରତିଫଳନ:
(i) ଯଦି ଆପତିତ ହେଉଥିବା ଏକ ସମାନ୍ତରାଳ ରଶ୍ମିଗୁଚ୍ଛ କୌଣସି ପୃଷ୍ଠଦ୍ୱାରା ପ୍ରତିଫଳିତ ହେବାପରେ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଗୁଡ଼ିକ ପରସ୍ପର ସହ ସମାନ୍ତର ହୁଅନ୍ତି ନାହିଁ, ତାହାକୁ ଅସମ ପ୍ରତିଫଳନ (Irregular Reflection) କୁହାଯାଏ।
(ii) ପ୍ରତିଫଳିତ ପୃଷ୍ଠଟି ଅସମତଳ ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ପ୍ରତିବିନ୍ଦୁରେ ଅଭିଲମ୍ବଗୁଡ଼ିକ ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଦିଗରେ ଗତି କରିଥାଆନ୍ତି ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 4

ସମ ପ୍ରତିଫଳନ :
(i) ସମତଳ ଦର୍ପଣ ପରି ମସୃଣ ସମତଳ ପୃଷ୍ଠର ବିଭିନ୍ନ ବିନ୍ଦୁରେ ଥ‌ିବା ଅଭିଲମ୍ବଗୁଡ଼ିକ ସମାନ୍ତର ଥିବା ହେତୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟ ସମାନ୍ତର ହୋଇଥାଆନ୍ତି । ଏପରି ପ୍ରତିଫଳନକୁ ସମ ପ୍ରତିଫଳନ (Regular Reflection)
(ii) କୁହାଯାଏ । ପ୍ରତିଫଳିତ ପୃଷ୍ଠଟି ସମତଳ ହୋଇଥ‌ିବା ଯୋଗୁଁ ପ୍ରତିବିନ୍ଦୁରେ ଅଭିଲମ୍ବଗୁଡ଼ିକ ପରସ୍ପର ସହିତ ସମାନ୍ତର ଥ‌ିବା ହେତୁ ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟ ସମାନ୍ତର ହୋଇଥା’ନ୍ତି ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 5

→ ଆଲୋକିତ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକା (Illuminated Objects):
(i) ଯେଉଁସବୁ ବସ୍ତୁ ଅନ୍ୟ ବସ୍ତୁର ଆଲୋକରେ ଆଲୋକିତ ହୁଏ, ତାହାକୁ ଆଲୋକିତ ବସ୍ତୁ କହନ୍ତି ।
(ii) ଆମ ଚାରିପାଖରେ ଥିବା ପ୍ରତ୍ୟେକ ବସ୍ତୁକୁ ଆମେ ପ୍ରତିଫଳନ ଯୋଗୁଁ ଦେଖୁ । ଚନ୍ଦ୍ରର ନିଜର ଆଲୋକ ନାହିଁ । ଏହା ସୂର୍ଯ୍ୟରୁ ଆସୁଥ‌ିବା ଆଲୋକକୁ ପ୍ରତିଫଳନ କରେ । ସେହି ପ୍ରତିଫଳିତ ରଶ୍ମିଗୁଚ୍ଛ ଆମ ଆଖ‌ିରେ ପ୍ରବେଶକଲେ ଆମେ ଚନ୍ଦ୍ରକୁ ଦେଖିପାରୁ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ

→ ଉଜ୍ଜ୍ୱଳ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକା (Luminous Objects):
ଯେଉଁସବୁ ବସ୍ତୁର ନିଜର ଆଲୋକ ଅଛି, ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଦୀପ୍ତିମାନ ବସ୍ତୁ କୁହାଯାଏ । ଉଦାହରଣସ୍ୱରୂପ – ସୂର୍ଯ୍ୟ, ଜ୍ଵଳନ୍ତ ମହମବତିର ଶିଖାର ଆଲୋକ ଆମ ଚକ୍ଷୁରେ ପଡ଼ିଲେ ଆମେ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଦେଖୁରୁ ।

→ ପ୍ରତିଫଳିତ ଆଲୋକ ପୁନଶ୍ଚ ପ୍ରତିଫଳିତ ହୋଇପାରେ (Reflected Light can be Reflected Again):
(i) ପେରିସ୍କୋପ୍‌ରେ ଦୁଇଟି ସମତଳ ଦର୍ପଣ ବ୍ୟବହୃତ ହୁଏ ।
(ii) ବୁଡ଼ାଜାହାଜ (Submarine) ଟ୍ୟାଙ୍କ୍ ଏବଂ ବଙ୍କର (Bunker) ରେ ସେନାବାହିନୀ ଦ୍ୱାରା ବାହାରେ ଥ‌ିବା ବସ୍ତୁ ଦେଖୁବାରେ ଏହି ପେରିସ୍କୋପ୍ ତତ୍ତ୍ଵ ସହାୟକ ହୋଇଥାଏ ।

→ ଏକାଧିକ ପ୍ରତିଛବି (Multiple Image):
ଦୁଇଟି ଆନତ ଦର୍ପଣରେ ପ୍ରତିବିମ୍ବ ସଂଖ୍ୟା = \(\frac {360}{θ}\) – 1
ଯେଉଁଠି, θ = ଆନତ ଦର୍ପଣଦ୍ୱୟର ଅନ୍ତର୍ଗତ କୋଣ ।
ଉଦାହରଣ : ଯଦି θ = ୨୦° ହୁଏ, ପ୍ରତିବିମ୍ବ ସଂଖ୍ୟା = \(\frac {360}{θ}\) – 1 = 4 – 1 = 3
ବହୁ ପ୍ରତିଫଳନ ଯୋଗୁଁ କାଲିଡୋସ୍କୋପ୍‌ରେ ସୁନ୍ଦର ଡିଜାଇନ୍ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।

→ କାଲିଡୋସ୍କୋପ୍ (Kaleidoscope):
ତୁମ ପାଇଁ କାମ:
(i) 15 ସେ.ମି. ଦୈର୍ଘ୍ୟ ଓ 4 ସେ.ମି. ପ୍ରସ୍ଥ ବିଶିଷ୍ଟ ତିନୋଟି ଆୟତାକାର ଦର୍ପଣ ନିଆଯାଉ ।
(ii) ଦର୍ପଣଗୁଡ଼ିକର ମସୃଣ ପାଖଗୁଡ଼ିକ ଭିତର ଆଡ଼କୁ ରଖ୍ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ପରସ୍ପରସହ ଯୋଡ଼ି ଗୋଟିଏ ପ୍ରିଜିମ୍ ଆକୃତି କରାଯାଉ ।
(iii) ଏହାକୁ ଗୋଟିଏ ବୃତ୍ତାକାର କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ନଳୀରେ ଖଞ୍ଜି ରଖାଯାଉ ।
(iv) କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ନଳୀର ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତକୁ ଗୋଟିଏ କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ଖୋଳ ଦ୍ଵାରା ଆବୃତ୍ତ କରାଯାଉ ଏବଂ ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତରେ ଗୋଟିଏ ବୃତ୍ତାକାର ସମତଳ କାଚ ପ୍ଲେଟ୍ ଲଗାଯାଉ ।
(v) ଆବୃତ୍ତ କରାଯାଇଥିବା କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ର ଖୋଳର ମଝିରେ ଛୁଞ୍ଚିଦ୍ୱାରା ରନ୍ଧ୍ର କରାଯାଉ, ଯେପରି ରନ୍ଧ୍ରଦ୍ବାରା ନଳୀ ଭିତରକୁ ଦେଖୁହେବ ।
(vi) ବୃତ୍ତାକାର କାଚପ୍ଲେଟ୍ ଉପରେ କିଛି ରଙ୍ଗିନ୍‌ ଭଙ୍ଗା କାଚଚୁଡ଼ି ରଖାଯାଉ । କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ନଳୀର ଏହି ମୁହଁଟିକୁ ଘଷା କାଚଦ୍ଵାରା ଆବୃତ କରାଯାଉ ।
(vii) ବର୍ତ୍ତମାନ କାଲିଡୋସ୍କୋପ୍ ବ୍ୟବହାର ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତ । ଏହାର ରନ୍ଧ୍ରଦେଇ ଦେଖ‌ିଲେ ଏଥିରେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ରଙ୍ଗିନ୍ ଡିଜାଇନ୍ ଦେଖାଯିବ ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 6

ବ୍ୟବହାର :
ଚିତ୍ରକର ଓ ଡିଜାଇନର୍‌ମାନେ କାଲିଡ଼ୋସ୍କୋପ୍ ସାହାଯ୍ୟରେ ନୂତନ ଡିଜାଇନ୍ ବା ନକ୍‌ସା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରନ୍ତି ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ

→ ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ (Sunlight) : ଧଳା କି ରଙ୍ଗିନ୍ ?
(i) ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ ଧଳା ଏବଂ ଏହା ସାତୋଟି ବର୍ଷର ସମାହାର ଅଟେ ।
(ii) ଗୋଟିଏ ପ୍ରିଜିମ୍ ସଂଗ୍ରହ କରି ଏହାକୁ ଏପରି ଭାବେ ରଖାଯାଉ, ଯେପରିକି ଝରକା ଫାଙ୍କଦେଇ ଆସୁଥ‌ିବା ସୂର୍ଯ୍ୟକିରଣ ଏହାର ଗୋଟିଏ ପାର୍ଶ୍ବରେ ଆପତିତ ହେବ ।
(iii) ପ୍ରିଜିମ୍ ମଧ୍ୟରୁ ନିର୍ଗତ ରଶ୍ମିକୁ ଗୋଟିଏ ଧଳା କାନ୍ଥରେ ବା ଧଳା ପରଦା ଉପରେ ପକାଇଲେ ଆମେ ବିଭିନ୍ନ ରଙ୍ଗ ଦେଖୁରିବା ।
(iv) ବାସ୍ତବରେ ଏହି ରଙ୍ଗସବୁ ପରସ୍ପର ଉପରେ ପଡ଼ିଥିବା ସାତୋଟି ଅଲଗା ରଙ୍ଗ ଯୋଗୁଁ ଦେଖାଯାଏ । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ପ୍ରକୀର୍ତ୍ତନ (Dispersion) କହନ୍ତି । ଧଳା କାନ୍ଥରେ କିମ୍ବା ପରଦାରେ ସୃଷ୍ଟି ବିଭିନ୍ନ ରଙ୍ଗର ସମାହାରକୁ ବର୍ଣ୍ଣାଳୀ (Spectrum) କୁହାଯାଏ ।
(v) ଆକାଶରେ ଦେଖାଯାଉଥ‌ିବା ଇନ୍ଦ୍ରଧନୁ ଏହିପରି ଏକ ବର୍ଣ୍ଣାଳୀ, ସେ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଜଳକଣାଗୁଡ଼ିକ ପ୍ରିଜିମୂପରି କାର୍ଯ୍ୟ କରିଥା’ନ୍ତି ଓ ତଦ୍ୱାରା ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକର ବର୍ଣ୍ଣାଳୀ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
ଗୋଟିଏ ପ୍ରିଜିମ୍‌ର ଏକ ପାର୍ଶ୍ବରେ ଝରକା ଫାଙ୍କ ଦେଇ ଆସୁଥ‌ିବା ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକକୁ ଆପତିତ କରାଯାଉ ।
ପ୍ରିଜିମ୍ ମଧ୍ଯରୁ ନିର୍ଗତ ରଶ୍ମିକୁ ଗୋଟିଏ ଧଳା ପରଦାରେ ପକାଇଲେ ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ରଙ୍ଗ ଦେଖାଯିବ ।
ଏହି ରଙ୍ଗସବୁ ପରସ୍ପର ଉପରେ ପଡ଼ିଥ‌ିବା ସାତୋଟି ଅଲଗା ରଙ୍ଗ ଯୋଗୁଁ ଦେଖାଯାଏ । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ପ୍ରକୀର୍ଣ୍ଣନ କହନ୍ତି ।

→ ଆମ ଚକ୍ଷୁ ମଧ୍ୟରେ କ’ଣ ଅଛି ? (What is inside our eyes):
(i) ଆଲୋକ ଗୋଟିଏ ବସ୍ତୁରୁ ଆମ ଚକ୍ଷୁରେ ପ୍ରବେଶ କଲାପରେ ଆମେ ସେହି ବସ୍ତୁକୁ ଦେଖୁଥାଉ ।
(ii) ଚକ୍ଷୁ ଆକାର ପ୍ରାୟ ବର୍ତ୍ତୁଳାକାର । ଚକ୍ଷୁର ବାହ୍ୟସ୍ତର ଧଳା ଏବଂ ଶକ୍ତ । ଏହା ଚକ୍ଷୁର ଭିତର ଅଂଶକୁ ଆକସ୍ମିକ
(iii) ଏହାର ସମ୍ମୁଖଭାଗର ଏକ ସ୍ଵଚ୍ଛ ଅଂଶ ସାମାନ୍ୟ ବାହାରକୁ ବାହାରିଥାଏ, ଏହାକୁ ସ୍ୱଚ୍ଛପଟଳ (Cornea) କହନ୍ତି । ଏହି ସ୍ୱଚ୍ଛପଟଳର ପଛକୁ ଥିବା ଧୂସର ରଙ୍ଗର ମାଂସଳ କନୀନିକା (Iris) ରହିଥାଏ ।
(iv) କନୀନିକାର କେନ୍ଦ୍ରରେ ଗୋଟିଏ ରନ୍ଧ୍ର ଥାଏ, ତାହାକୁ ନେତ୍ରପିତୁଳା (Pupil) କହନ୍ତି । ବସ୍ତୁର ଉଜ୍ଜଳତା ଅନୁସାରେ ନେତ୍ରପିତୁଳା ପ୍ରସାରିତ ବା ସଙ୍କୁଚିତ ହୋଇ ଚକ୍ଷୁମଧ୍ୟକୁ ଆବଶ୍ୟକ ପରିମାଣର ଆଲୋକ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ କରି ପଠାଇଥାଏ ।
(v) କନୀନିକା ଓ ସ୍ୱଚ୍ଛପଟଳ ମଧ୍ୟରେ ଏକ ସ୍ଵଚ୍ଛ ତରଳ ପଦାର୍ଥ ଥାଏ, ତାହାକୁ ଜଳାଭରସ (Aqueous humour) କହନ୍ତି ।
(vi) ନେତ୍ରପିତୁଳା ପଛଭାଗରେ ଗୋଟିଏ ଚକ୍ଷୁ ଲେନସ୍ ଥାଏ । ଏହାର ମଧ୍ୟଭାଗ ମୋଟା । ଚକ୍ଷୁ ଲେନ୍ସ ବସ୍ତୁରୁ ଆସୁଥ‌ିବା ଆଲୋକକୁ ଫୋକସ୍ କରି ଚକ୍ଷୁ ଭିତରେ ଥିବା ମୁକୁରିକା (Retina) ଉପରେ ପକାଏ ।
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(vii) ଏହି ମୁକୁରିକାରେ ଅନେକ ସ୍ନାୟୁ କୋଷ (Nerve cell) ଥାଏ । ସ୍ନାୟୁ କୋଷରେ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଥ‌ିବା ଅନୁଭୂତି ନେତ୍ରସ୍ନାୟୁ ଦ୍ବାରା ମସ୍ତିଷ୍କକୁ ଯାଏ । ମସ୍ତିଷ୍କ ଏହାକୁ ବିଶ୍ଳେଷଣ କରିବାପରେ ବସ୍ତୁଟି ଦେଖୁହୁଏ । ଏହି ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟ ଏତେଶୀଘ୍ର ହୁଏ ଯେ ଚକ୍ଷୁରେ ପ୍ରାୟ ଆଲୋକ ପଡ଼ିବାମାତ୍ରେ ଆମେ ବସ୍ତୁଟି ଦେଖିପାରୁ ।
(viii) ମୁକୁରିକାରେ ଦୁଇ ପ୍ରକାରର କୋଷ ଅଛି । ସେଗୁଡ଼ିକ ହେଲା –
କୋସ – ଏଗୁଡ଼ିକ ଉଜ୍ଜ୍ୱଳ ଆଲୋକପ୍ରତି ସଂବେଦନଶୀଳ । କୋଗୁଡ଼ିକ ରଙ୍ଗ ଚିହ୍ନିବାରେ ସହାୟକ ହୁଅନ୍ତି ।
ରଡ୍‌ସ – ଏଗୁଡ଼ିକ କ୍ଷୀଣ ଆଲୋକପ୍ରତି ସଂବେଦନଶୀଳ ।
(ix) ନେତ୍ରସ୍ନାୟୁ ଏବଂ ମୁକୁରିକାର ମିଳନସ୍ଥଳରେ କୌଣସି ସ୍ନାୟୁ କୋଷ ନଥାଏ । ତେଣୁ ଏହି ସ୍ଥାନରେ ଆଲୋକ ପଡ଼ିଲେ କୌଣସି ବସ୍ତୁ ଦେଖ୍ହୁଏ ନାହିଁ । ଏହି ବିନ୍ଦୁକୁ ଅନ୍ଧବିନ୍ଦୁ (Blind spot) କୁହାଯାଏ ।
(x) ଚକ୍ଷୁର ମୁକୁରିକାରୁ କୌଣସି ବସ୍ତୁର ପ୍ରତିବିମ୍ବର ଧାରଣା ତତ୍‌କ୍ଷଣାତ୍ ଚାଲିଯାଏ ନାହିଁ । ଏହାର ଧାରଣା ମୁକୁରିକାରେ ପ୍ରାୟ \(\frac {1}{16}\) ସେକେଣ୍ଡ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରହେ । ଗୋଟିଏ ଗତିଶୀଳ ବସ୍ତୁର ପ୍ରତି ଅବସ୍ଥାର ସ୍ଥିର ପ୍ରତିବିମ୍ବ ସଂଖ୍ୟା ସେକେଣ୍ଡ ପ୍ରତି 16 ରୁ ଅଧ‌ିକ ହେଲେ ଚକ୍ଷୁକୁ ବସ୍ତୁଟି ଗତିଶୀଳ ଜଣାଯାଏ ।
(xi) ସିନେମା ହଲ୍‌ରେ କିମ୍ବା ଟେଲିଭିଜନ୍‌ରେ ଯେଉଁସବୁ ଚିତ୍ର ଦେଖାଯାଏ ସେଗୁଡ଼ିକ ଅନେକଗୁଡ଼ିଏ ସ୍ଥିର ଚିତ୍ରର ସମାହାର । ଯଦି ଚକ୍ଷୁରେ ସେକେଣ୍ଡ ପ୍ରତି ପ୍ରାୟ 24ଟି ସ୍ଥିର ଚିତ୍ର ପଡ଼େ; ତେବେ ସେଗୁଡ଼ିକ ଗତିଶୀଳ ହେଲାପରି
ଜଣାଯାଏ ।
(xii) ଚକ୍ଷୁରେ ଚକ୍ଷୁଡୋଳା ଥାଏ । ଏହି ଚକ୍ଷୁଡୋଳା ବାହ୍ୟ ବସ୍ତୁକୁ ଚକ୍ଷୁ ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରବେଶ କରିବାକୁ ଦିଏ ନାହିଁ । ଆଲୋକର ଆବଶ୍ୟକତା ନଥିଲେ ଚକ୍ଷୁଡୋଳା ଆପେ ଆପେ ବନ୍ଦ ହୋଇଯାଏ ।
(xiii) ସାଧାରଣ ଚକ୍ଷୁ ସାହାଯ୍ୟରେ ଆମେ ଉଭୟ ଦୂର ବସ୍ତୁ ଏବଂ ନିକଟ ବସ୍ତୁକୁ ଦେଖାରୁ । କୌଣସି ଚକ୍ଷୁ ପାଇଁ ଏକ ସୁସ୍ଥ ଚକ୍ଷୁର ସ୍ପଷ୍ଟ ଦର୍ଶନର ସର୍ବନିମ୍ନ ଦୂରତା ପ୍ରାୟ 25 ସେ.ମି. ।
(xiv) କେତେକ ବ୍ୟକ୍ତି ଦୂର ବସ୍ତୁକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖପାରନ୍ତି ନାହିଁ; ମାତ୍ର ନିକଟ ବସ୍ତୁକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖପାରନ୍ତି । ଏହାକୁ ସମୀପ ଦୃଷ୍ଟି କହନ୍ତି ।
(xv) ଅନ୍ୟ ପକ୍ଷରେ କେତେକ ବ୍ୟକ୍ତି ଦୂରବସ୍ତୁକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖିପାରନ୍ତି; ମାତ୍ର ନିକଟ ବସ୍ତୁକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖିପାରନ୍ତି ନାହିଁ । ଏହାକୁ ଦୂର ଦୃଷ୍ଟି କହନ୍ତି ।
(xvi) ବୁଢ଼ା ବୟସରେ ଦୃଷ୍ଟି ଶକ୍ତି ଅସ୍ପଷ୍ଟ ହୁଏ ଓ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକ କୁହୁଡ଼ିଆ ଦେଖାଯାଏ । ଏହା ଚକ୍ଷୁ ଲେନ୍ସର ଆବିଳତା (turbidity) ଯୋଗୁଁ ହୋଇଥାଏ । ଏହିପରି ବ୍ୟକ୍ତି ମୋତିଆ ବିନ୍ଦୁ (cataract) ଗ୍ରସ୍ତ ବୋଲି କୁହାଯାଏ । ଏହାଫଳରେ ଦୃଷ୍ଟିଶକ୍ତି କମିଯାଏ । ଏହି ମୋତିଆ ବିନ୍ଦୁ ବହୁଦିନର ହେଲେ ଚକ୍ଷୁ ଲେନ୍ସକୁ କାଢ଼ି ତା’ ସ୍ଥାନରେ କୃତ୍ରିମ ଲେନ୍ସ ଖଞ୍ଜି ଦିଆଯାଏ । ଆଧୁନିକ ଚିକିତ୍ସା ବିଜ୍ଞାନ ଏହାକୁ ଅଧିକ ସହଜ ଓ ସରଳ କରିଦେଇଛି ।

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→ ଚକ୍ଷୁର ଯତ୍ନ (Care of the Eyes):
(i) ଚକ୍ଷୁ ବିଶେଷଜ୍ଞ ଚଷମା ପିନ୍ଧିବାକୁ କହିଲେ, ଉପଯୁକ୍ତ ମାପର ଚଷମା ବ୍ୟବହାର କରିବା ଉଚିତ ।
(ii) ଅତି ଉଜ୍ଜ୍ଵଳ କିମ୍ବା ଅତି କ୍ଷୀଣ ଆଲୋକ ଚକ୍ଷୁପାଇଁ କ୍ଷତିକାରକ । ଅତି କ୍ଷୀଣ ଆଲୋକ ଚକ୍ଷୁ ଉପରେ ଚାପ ପକାଏ ଏବଂ ମୁଣ୍ଡ ବିନ୍ଧେ । ଅତ୍ୟଧିକ ଆଲୋକ; ଯଥା – ଅତ୍ୟଧିକ ସୂର୍ଯ୍ୟାଲୋକ କିମ୍ବା ଲେଜର ରଶ୍ମିପରି ଶକ୍ତିଶାଳୀ ଆଲୋକ ମୁକୁରିକାକୁ ନଷ୍ଟ କରିଦିଏ ।
(iii) ସୂର୍ଯ୍ୟଙ୍କୁ କିମ୍ବା କୌଣସି ଶକ୍ତିଶାଳୀ ଆଲୋକ ଉତ୍ସକୁ ଖାଲି ଆସ୍‌ରେ ସିଧାସଳଖ ଦେଖିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ ।
(iv) କୌଣସି ଧୂଳିକଣା ଚକ୍ଷୁ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶକଲେ, ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ପରିଷ୍କାର ପାଣିରେ ଚକ୍ଷୁକୁ ଧୋଇ ଦିଅ । ଯଦି ତଦ୍ୱାରା କୌଣସି ଉପଶମ ନ ହୁଏ; ତାହାହେଲେ ଚକ୍ଷୁ ଡାକ୍ତରଙ୍କ ପରାମର୍ଶ ନିଅ ।
(v) ସ୍ପଷ୍ଟ ଦର୍ଶନର ନିମ୍ନତମ ଦୂରତାରେ ଚକ୍ଷୁଠାରୁ ବହିଟି ରଖ୍ ପଢ଼ାପଢ଼ି କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ।
(vi) ଖାଦ୍ୟରେ ଭିଟାମିନ୍ – A ର ଅଭାବ ହେଲେ ଚକ୍ଷୁର ଅନେକ ରୋଗ ଦେଖାଯାଏ । ଅନ୍ଧାରକଣା ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଅନ୍ୟତମ । ଆମର ପ୍ରତିଦିନ ଖାଦ୍ୟରେ ଭିଟାମିନ୍ – A ଯୁକ୍ତ ଖାଦ୍ୟ ରହିବା ଉଚିତ ।
ଖାଦ୍ୟରେ ଭିଟାମିନ୍- Aର ଅଭାବ ହେଲେ ଅନ୍ଧାରକଣା ରୋଗ ହୁଏ ।
କଞ୍ଚାମୂଳା, ସବୁଜ ପନିପରିବା ଓ କଡ଼ଲିଭର ତେଲ ଇତ୍ୟାଦିରେ ଅଧିକ ପରିମାଣର ଭିଟାମିନ୍ -A ଥାଏ । ଅଣ୍ଡା, ଦୁଗ୍‌ଧ, ଦହି, ଛେନା, ଲହୁଣି ଏବଂ ପ୍ରାୟ ସମସ୍ତ ଫଳରେ ମଧ୍ଯ ଭିଟାମିନ୍ – A ଥାଏ । ପାଚିଲା ଅମୃତଭଣ୍ଡା ଏବଂ ଆମ୍ବରେ ଭିଟାମିନ୍ – A ଭରପୂର ରହିଛି ।

→ ବ୍ରେଲି ସିଷ୍ଟମ୍ (Braille System):
1821 ମସିହାରେ ଲୁଇସ୍ ବ୍ରେଲ୍ ଦୃଷ୍ଟିରହିତ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ପାଇଁ ବ୍ରେଲ୍ ପଦ୍ଧତି ଉଦ୍ଭାବନ କରିଥିଲେ ।
ବ୍ରେଲ୍ ପଦ୍ଧତିରେ 3ଟି ଡଟ୍ ପ୍ୟାଟର୍ୟ ବା ବିନ୍ୟାସ ଥାଏ ।
1932 ମସିହାରୁ ବ୍ରେଲ୍ ପଦ୍ଧତିକୁ ଗ୍ରହଣ କରାଯାଇଛି ।
(i) ଲୁଇସ୍ ବ୍ରେଲ୍ ଜଣେ ଦୃଷ୍ଟିରହିତ ବ୍ୟକ୍ତି ଥିଲେ । ସେ ଦୃଷ୍ଟିରହିତ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ପାଇଁ ଏକ ପଦ୍ଧତି ଉଦ୍ଭାବନ କରିଥିଲେ ଓ ଏହା 1821 ମସିହାରେ ପ୍ରକାଶିତ ହୋଇଥିଲା ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 16 ଆଲୋକ - 8
(ii) ଏହି ପଦ୍ଧତିରେ 3ଟି ଡଟ୍ ପ୍ୟାଟର୍ଶ ବା ବିନ୍ୟାସ ଥାଏ । ପ୍ରତ୍ୟେକ ବିନ୍ୟାସ ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ଅକ୍ଷର, ଯୁକ୍ତାକ୍ଷର, ସାଧାରଣ ଶବ୍ଦ କିମ୍ବା ବ୍ୟାକରଣ ସମ୍ପର୍କିତ ଚିହ୍ନକୁ ସୂଚାଏ ।
(iii) ଦୃଷ୍ଟିରହିତ ବ୍ୟକ୍ତିମାନଙ୍କ ପାଇଁ ବ୍ରେଲ୍ ଏକ ଜଣାଶୁଣା ସମ୍ବଳ । 1932 ମସିହାରୁ ଏହାକୁ ଗ୍ରହଣ କରାଯାଇଛି।
(iv) ସାଧାରଣ ଭାଷା, ଗଣିତ ଓ ବିଜ୍ଞାନ ପାଇଁ ସ୍ଵତନ୍ତ୍ର ବ୍ରେଲ୍ କୋଡ୍ ବ୍ୟବହୃତ ହୁଏ । ଦୃଷ୍ଟିରହିତ ବ୍ୟକ୍ତି ପ୍ରଥମେ ବ୍ରେଲ୍ ପଦ୍ଧତିରେ ଅକ୍ଷରଗୁଡ଼ିକ ଶିଖନ୍ତି । ତାହାପରେ ସେମାନେ ଏହି ଅକ୍ଷରଗୁଡ଼ିକର ସଂଯୋଗ ଓ ଲକ୍ଷଣ ଜାଣନ୍ତି । ବସ୍ତୁକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରି ସେମାନେ ଏସବୁକୁ ଶିଖୁଥାଆନ୍ତି ।
(v) ବ୍ରେଲ୍ ପାଠ୍ୟ ସମୂହ ହାତ କିମ୍ବା ମେସିନ୍ ଦ୍ବାରା ଉତ୍ପନ୍ନ କରାଯାଇଥାଏ । ବର୍ତ୍ତମାନ ଏହି ପଦ୍ଧତି ଅନୁସରଣ କରି ଟାଇପ୍ ମେସିନ୍ ଓ ମୁଦ୍ରଣ ଯନ୍ତ୍ର ପ୍ରସ୍ତୁତ ହେଲାଣି ।

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→ ବିଷୟଭିତ୍ତିକ ଶବ୍ଦୀବ୍ଦଳ:
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BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

→ଉପକ୍ରମ :
ବାୟୁ ଓ ଜଳ ଉଭୟ ଜୀବଜଗତ ପାଇଁ ମୁଖ୍ୟ ସମ୍ବଳ । ପୂର୍ବରୁ ଆକାଶ ଅତି ନୀଳ ଦେଖାଯାଉଥ‌ିବାରୁ ନିର୍ମଳ ଜଳ ଓ ମୁକ୍ତ ବାୟୁ ଉପଲବ୍‌ଧ ହେଉଥିଲା; କିନ୍ତୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ବାୟୁ ଓ ଜଳର ମାନ କ୍ରମଶଃ ଅବକ୍ଷୟ ହେବାରେ ଲାଗିଛି । ଜଳ ଓ ବାୟୁର ପ୍ରଦୂଷଣର କାରଣ ଓ ଏହାର ନିରାକରଣ କରିବାପାଇଁ ଆମକୁ ପଦକ୍ଷେପ ନେବା ଆବଶ୍ୟକ ।

→ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣ (Air Pollution):
(i) ବାୟୁ ବିଭିନ୍ନ ଗ୍ୟାସର ଏକ ମିଶ୍ରଣ । ଏଥରେ ପ୍ରାୟ 78% ଯବକ୍ଷାରଜାନ ଓ 21% ଅମ୍ଳଜାନ ସହ ଅତି କମ୍ ମାତ୍ରାରେ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ, ମିଥେନ୍, ଓଜୋନ୍ ଓ ଆରଗନ୍ ଭଳି ଗ୍ୟାସ ଏବଂ ଜଳୀୟବାଷ୍ପ ଥାଏ ।
(ii) ମାରଣାସ୍ତ୍ର ବିସ୍ଫୋରଣ, ପଥର କ୍ଵାରୀର କ୍ରସରଯନ୍ତ୍ର ପଥରଗୁଣ୍ଡ କଲାବେଳେ, ସିମେଣ୍ଟ କାରଖାନା, ତାଳଚେର ଅଞ୍ଚଳରେ ଉଡ଼ନ୍ତା ପାଉଁଶଦ୍ୱାରା ବେଳେବେଳେ ଧୂଆଁ ଓ ଧୂଳିକଣା ବାୟୁମଣ୍ଡଳରେ ଅଧିକ ହୋଇଥାଏ ।
(iii) ବାୟୁରେ ଅଦରକାରୀ ପଦାର୍ଥ ମିଶିଲେ ତା’ର କ୍ଷତିକାରକ ପ୍ରଭାବ ସଜୀବ ଓ ନିର୍ଜୀବ ଉପରେ ପଡ଼ିଥାଏ । ଏହି ପ୍ରଭାବକୁ ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣ କୁହାଯାଏ ।
(iv) ବାୟୁକୁ ପ୍ରଦୂଷଣ କରୁଥିବା ଉପାଦାନଗୁଡ଼ିକ ପ୍ରଦୂଷକ କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

→ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣର ହୁଏ କିପରି ?
(i) ଘରେ କାଠ, ଶୁଖୁଲା ଗୋବର, କୋଇଲା, କିରୋସିନି ଆଦି ଇନ୍ଧନ ଜାଳିବା ଦ୍ଵାରା କାର୍ବନ୍ ମନୋକ୍‌ସାଇଡ଼, ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ, ସଲଫର୍‌ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ଼ ଭଳି ପ୍ରଦୂଷକ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୋଇ ବାୟୁକୁ ପ୍ରଦୂଷଣ କରେ ।
(ii) କାର୍, ବସ୍, ଟ୍ରକ, ମଟରସାଇକେଲ୍ ଆଦି ଯାନବାହାନ ଚଳାଚଳରୁ କାର୍ବନ୍ ମନୋକ୍‌ସାଇଡ୍ (CO), ସଲ୍‌ଫର୍‌ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (SO2), ନାଇଟ୍ରୋଜେନ୍ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (NO2 ) ଭଳି କ୍ଷତିକାରକ ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷକ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
(iii) କଳକାରଖାନା ଓ ତାପଜ ବିଦ୍ୟୁତ୍ କେନ୍ଦ୍ରରୁ ସଲ୍‌ଫର୍‌ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (SO2), ନାଇଟ୍ରୋଜେନ ଅକ୍‌ସାଇଡ୍(NO2), କ୍ଲୋରିନ୍, କୋଇଲାଗୁଣ୍ଡ, ସିମେଣ୍ଟ ଗୁଣ୍ଟ, ଆଳବିଷୟ ଗୁଣ୍ଡ ଆଦି ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ପ୍ରଦୂଷଣ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେ।ଇଥାଏ ।
(iv) କୃଷି କାର୍ଯ୍ୟରେ ରାସାୟନିକ ସାର ଓ କୀଟନାଶକର ବ୍ୟବହାର ଯୋଗୁଁ ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷିତ ହୋଇଥାଏ ।
(v) ଜଙ୍ଗଲକ୍ଷୟ ଯୋଗୁଁ ବାୟୁରେ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳର ପରିମାଣ ବୃଦ୍ଧି ପାଇଥାଏ ।
(vi) ଧୂଳିଝଡ଼ ଯୋଗୁଁ ବାୟୁରେ ଧୂଳିକଣା ବୃଦ୍ଧିପାଇ ବାୟୁକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରାଏ ।
(vii) ଜଙ୍ଗଲରେ ନିଆଁ ଲାଗିବା ଦ୍ବାରା ଅଙ୍ଗାରକଣିକା ଓ ପାଇଁ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇ ବାୟୁ ଦୂଷିତ ହୋଇଥାଏ ।
(viii ) ଆଗ୍ନେୟଗିରି ଉଦ୍‌ଗିରଣରୁ ବିଭିନ୍ନ ଗ୍ୟାସ୍ ଓ ପାଉଁଶ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୋଇ ବାୟୁକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରିଥାଏ ।
(ix) ଜୈବ ଓ ଅଜୈବ ପଦାର୍ଥ ପଟିଲଢ଼ି ଆମୋନିଆ (NH2 ) ବାଶ ନିର୍ଗତ ହୁଏ ଯାହା ବାୟୁକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରିଥାଏ ।

→ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣର ପ୍ରଭାବ (Effects of Air Pollution)
(i) ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣ ଶ୍ଵାସ ପାଇଁ କ୍ଷତିକାରକ । ଯାନବାହାନଗୁଡ଼ିକରେ ଇନ୍ଧନର ଅସଂପୂର୍ଣ; ଫଳରେ କାର୍ଟୁନ୍ ମନୋକ୍‌ସାଇଡ୍ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହା ରକ୍ତର ହିମୋଗ୍ଲୋବିସହ ମିଶି ମନୁଷ୍ୟର ଶ୍ଵାସକ୍ରିୟାରେ କୁପ୍ରଭାବ ପକାଏ ।
(ii) ଶୀତଦିନେ ବାୟୁମଣ୍ଡଳରେ ଥବା କୁହୁଡ଼ି ସହ ଧୂଆଁ ମିଶି ସ୍ଥଗ୍ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ । ଏହାର ପ୍ରଭାବରେ ଅଧିକାଂଶ ଶିଶୁ କାଶ, ଜିଙ୍କ ଓ ଆଜ୍‌ମାରେ ପୀଡ଼ିତ ହୋଇଥା’ନ୍ତି ।
(iii) ପେଟ୍ରୋଲିୟମ୍ ବିଶୋଧନାଗାର ଅଞ୍ଚଳରେ ସଲ୍‌ଫର୍‌ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (SO2), ନାଇଟ୍ରୋଜେନ୍ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ (NO2) ପରି ଗ୍ୟାସୀୟ ପ୍ରଦୂଷଣର ପରିମାଣ ବେଶୀ ହୋଇଥାଏ । ଏହି ଗ୍ୟାସ୍ ଶ୍ବାସ ସମସ୍ୟା ସୃଷ୍ଟି କରିବା ସହ ଫୁସ୍‌ଫୁସ୍‌କୁ ମଧ୍ୟ ନଷ୍ଟ କରିଦିଏ ।
(iv) ଓଜୋନ୍‌ ଢାଲ ସୂର୍ଯ୍ୟରୁ ଆସୁଥିବା କ୍ଷତିକାରକ ଅତିବାଇଗଣୀ ରଶ୍ମି ପ୍ରଭାବରୁ ଜୀବଜଗତକୁ ରକ୍ଷାକରିଥାଏ । କ୍ଲୋରୋଫ୍ଲୋରୋକାର୍ବନ ଗ୍ୟାସ୍ ଦ୍ବାରା ଓଜୋନ୍‌ ସ୍ତରର ରନ୍ଧ୍ର ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ । ଏହାଦ୍ବାରା ଅତିବାଇଗଣି ରଶ୍ମି ଫୁସ୍‌ଫୁସ୍‌କୁ ମଧ୍ୟ ନଷ୍ଟ କରିଦିଏ ।
(v) ପେଟ୍ରୋଲ ଓ ଡିଜେଲର ଦହନରୁ ଜାତ କଣିକା ବାୟୁରେ ଅଧ୍ଵ ସମୟ ଭାସିଥାଏ । ଇସ୍ପାତ କାରଖାନା ଓ ମାଇନିଂ ଶିଳ୍ପଗୁଡ଼ିକରେ ମଧ୍ୟ ଏଭଳି କଣିକା ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହା ଶ୍ଵାସକ୍ରିୟା ଦ୍ବାରା ଶରୀରରେ ପ୍ରବେଶ କରି ରୋଗ ସୃଷ୍ଟି କରେ ।

ପ୍ର, ପ୍ରବୃଷକ କେଉଁଠି ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ଓ କି ପ୍ରଭାବ ପକାଇଥାଏ, ଏହା ଉପରେ ଏକ ସାରଣୀ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରି ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ 1

→ପର୍ଯ୍ୟବେକ୍ଷଣ (Observation):
(i) ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣ ପ୍ରଭାବରେ ତାଜମହଲର ଧଳା ମାର୍ବଲ ଫିକା ପଡ଼ିଗଲାଣି । ଏଥିରୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ହେଉଛି ଯେ କେବଳ ସଜୀବ ନୁହେଁ, ବାସଗୃହ, ପକ୍‌କାଘର, ଐତିହାସିକ ସୌଧ ଆଦି ଉପରେ ମଧ୍ୟ ବାୟୁ ପ୍ରଦୂଷଣର ପ୍ରଭାବ ପଢୁଛି ।
(ii) ଆଗ୍ରା ସହରରେ ଓ ଚତୁଃପାର୍ଶ୍ଵରେ ଥ‌ିବା ରବର ଶିଳ୍ପ, ରସାୟନ ଶିଳ୍ପ, ଅଟୋମୋବାଇଲ ଶିଳ୍ପ, ତୈଳ ରିଫାଇନେରୀ ଯୋଗୁଁ ସଲ୍‌ଫର୍ ଡାଇଅକସାଇଡ୍ ଓ ନାଇଟ୍ରୋଜେନ୍ ଡାଇଅକ୍‌ସାଇଡ୍ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଛି ।
(iii) ଏହି ଗ୍ୟାସ ବର୍ଷାଜଳ ସହ ମିଶି ଗନ୍ଧକାମ୍ଳ ଓ ଯବକ୍ଷାରାମ୍ଳ ସୃଷ୍ଟି କରେ । ଏହି ଅମ୍ଳ ବର୍ଷାଜଳ ସହିତ ମିଶି ଅମ୍ଳବର୍ଷା ବା ଏସିଡ୍ ରେଡ୍ କରିଥାଏ । ଏହା ମାର୍ବଲ ପଥରକୁ କ୍ଷତିଗ୍ରସ୍ତ କରାଏ । ଏଭଳି ପରିବର୍ତ୍ତନକୁ ‘ମାର୍ବଲ କ୍ୟାନସର’’ ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

ତାଜମହଲର ସୁରକ୍ଷା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ମାନ୍ୟବର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ମଧ୍ୟ ପଦକ୍ଷେପ ନେଲେଣି । ସେ ଅଞ୍ଚଳରେ କମ୍ରେସଡ୍ ନେଚ୍ୟୁରାଲ ଗ୍ୟାସ (CNG) ଓ ଲିକ୍ୟୁଫାଇଡ୍ ପେଟ୍ରୋଲିୟମ୍ ଗ୍ୟାସ୍ (LPG) ଇନ୍ଧନ ଭାବେ ବ୍ୟବହାର କରିବା

→ସବୁଜ କୋଠରି ପ୍ରଭାବ ଏବଂ ବିଶ୍ଵତାପନ (Green house effect & Global Warming) :
(i) ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଓ ମିଥେନ୍ ପରି କେତେକ ଗ୍ୟାସର ତାପଶୋଷଣ ସାମର୍ଥ୍ୟ ରହିଛି । ଏହିସବୁ ଗ୍ୟାସର ପରିମାଣ ବୃଦ୍ଧି ପୃଥ‌ିବୀକୁ ଏକ ‘ସବୁଜ କୋଠରି’’ରେ ପରିଣତ କରି ଦେଇଛି ।
(ii) ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ବାୟୁର ଏକ ଉପାଦାନ । ମନୁଷ୍ୟର ବିକାଶମୂଳକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଯୋଗୁଁ ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳର ପରିମାଣ ନିରନ୍ତର ବଢ଼ିଚାଲିଛି । ଜଙ୍ଗଲ କ୍ଷୟଯୋଗୁଁ CO2 ପରିମାଣ ବଢୁଛି । ଅଙ୍ଗାରକାମ୍ଳ ଗ୍ୟାସ୍ ତାପକୁ ଧରି ରଖୂପାରୁଛି, ତେଣୁ ପୃଥ‌ିବୀର ହାରାହାରି ତାପମାତ୍ରା ବଢ଼ିଚାଲୁଛି । ଏହାକୁ ବିଶ୍ୱ ତାପନ ବା ଗ୍ଲୋବାଲ ୱାମିଂ (Global Warming) କୁହାଯାଏ ।
(iii) ମିଥେନ୍, ନାଇଟ୍ରସ ଅକ୍‌ସାଇଡ୍ ଓ ଜଳୀୟବାଷ୍ପ ମଧ୍ୟ ଏହି ପ୍ରଭାବ ପକାଉଥ‌ିବାରୁ ଏଗୁଡ଼ିକୁ ‘ଗ୍ରୀନ୍ ହାଉସ ଗ୍ୟାସ୍’’ ରୂପେ ଗଣନା କରାଯାଏ ।

→ବିଶ୍ବ ତାପନ – ଏକ ଭୟଙ୍କର ବିପଦ :
(i) ବିଶ୍ୱ ତାପନ ଯୋଗୁଁ ସମୁଦ୍ର ପତ୍ତନ ବଢ଼ିବା, ବୃଷ୍ଟିପାତ ଓ ଜଳବାୟୁ ପ୍ରଭାବିତ ହେବା ସହ ଜଙ୍ଗଲ, କୃଷି, ଉଭିଦ ତଥା ପ୍ରାଣୀମାନେ କ୍ଷତିଗ୍ରସ୍ତ ହେବେ । ସବୁଜ କୋଠରି ଗ୍ୟାସ ପରିମାଣକୁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ କରିବା ପାଇଁ ଆମ ହାତରେ ବେଶୀ ସମୟ ନାହିଁ । ଏହା କରି ନ ପାରିଲେ ତାପମାତ୍ରା ବୃଦ୍ଧି ଚଳିତ ଶତାବ୍ଦୀ ଶେଷ ଆଡ଼କୁ 2 ରୁ ଅଧିକ ହୋଇଯିବ । ଏହା ଭୟଙ୍କର ବିପଦର କାରଣ ହୋଇଯିବ ।
(ii) ପୃଥ‌ିବୀର ତାପମାତ୍ରା ମାତ୍ର 0.5°C ବଢ଼ିଥ‌ିବାରୁ ଅନେକ ସମସ୍ୟା ଦେଖାଦେଇଛି । ଏବେ ବିଶ୍ୱ ତାପନ ଯୋଗୁଁ ହିମାଳୟର ଗଙ୍ଗୋତ୍ରୀ ହିମସ୍ରୋତ ବା ଗ୍ଲାସିୟର ତରଳୁଅଛି । ବରଫ ତରଳିବା ଗ୍ଲୋବାଲ ୱାର୍ମିଙ୍ଗ୍‌ର ଏକ
ସଂକେତ ଅଟେ ।

→ଆମେ କ’ଣ କରି ପାରିବା ?
(i) ସୀସାବିହୀନ ପେଟ୍ରୋଲ ଓ CNG ପରି ପରିଷ୍କାର ଇନ୍ଧନଦ୍ୱାରା ଗାଡ଼ିମୋଟର ଚାଲିବା ଫଳରେ ନଗରର ବାୟୁ
(ii) କୋଇଲା, ପେଟ୍ରୋଲ ଆଦି ଜୀବାଶ୍ମ ଇନ୍ଧନ ବଦଳରେ ଧୀରେ ଧୀରେ ସୌରଶକ୍ତି, ଜଳବିଦ୍ୟୁତ୍ ଶକ୍ତି ଓ ପବନ
(iii) ଗାଡ଼ି ମଟରର ବ୍ୟବହାର ଯଥାସମ୍ଭବ ହ୍ରାସ କରି କୌଣସି ସ୍ଥାନକୁ ସାଇକେଲ କିମ୍ବା ପାଦରେ ଚାଲି ଚାଲି ଯିବା ଉଚିତ ।
(iv) ଖାଲି ଜାଗାମାନଙ୍କରେ ଅଧିକ ବୃକ୍ଷରୋପଣ କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ।

ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ (Water Pollution):
(i) ଜଳ, ଆମ ବଞ୍ଚିବା ଓ ବଢ଼ିବାପାଇଁ ଏକ ମୂଲ୍ୟବାନ ସଂପଦ ।
(ii) ଜନସଂଖ୍ୟା ବୃଦ୍ଧି ହେତୁ ଜଳର ଅଭାବ ଦେଖାଦେଲାଣି । ଗାଧୋଇବାବେଳେ, ଲୁଗା ସଫାକଲେ, ଗାଡ଼ିମଟର ଧୋଇବା ବେଳେ ଜଳରେ ଅନ୍ୟ ପଦାର୍ଥ ମିଶିଥାଏ; ଫଳରେ ଜଳର ରଙ୍ଗ, ଗନ୍ଧ ଓ ଗୁଣ ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୋଇଥାଏ । ଜଳକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରୁଥିବା ପଦାର୍ଥକୁ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷକ କୁହାଯାଏ ।

→ଜଳ କିପରି ପ୍ରଦୂଷିତ ହୁଏ ?
(ii) ଏହାର ପୁନରୁଦ୍ଧାର ଆଶାନେଇ 1985 ମସିହାରେ ‘‘ଗଙ୍ଗା ଆକ୍‌ସନ ପ୍ଲାନ୍’’ (Ganga Action Plan) ନାମରେ ଏକ ଯୋଜନା ଆରମ୍ଭ କରାଯାଇଛି । ଏହାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଓ ଲକ୍ଷ୍ୟ ଗଙ୍ଗା ନଦୀର ପ୍ରଦୂଷଣ ମାତ୍ରା କମ୍
(iii) ଅନେକ ଶିଳ୍ପର ଦୂଷିତ ଆବର୍ଜନା, ବିଷାକ୍ତ ରାସାୟନିକ ପଦାର୍ଥ ନଦୀ ଓ ଝରଣାମାନଙ୍କର ଜଳକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରିଥାଏ । ତୈଳ ରିଫାଇନାରୀ, କାଗଜ ଶିଳ୍ପ, ଲୁଗା ଶିଳ୍ପ, ଚିନି କାରଖାନା ଓ ରାସାୟନିକ କାରଖାନା ଆଦି ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣର ମୁଖ୍ୟ ଉତ୍ସ ।
(iv) ପ୍ରଦୂଷିତ ଜଳ ବ୍ୟବହାର କରୁଥିବା ଲୋକେ ହଇଜା, ଟାଇଫଏଡ୍ ଓ ଜଣ୍ଡିସ୍ ଆଦି ରୋଗରେ ଆକ୍ରାନ୍ତ ହୁଅନ୍ତି ।
(v) ଉତ୍ତପ୍ତ ଜଳ ଏକ ପ୍ରକୃଷକ ହୋଇପାରେ, କାରଣ ତାପଜ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଶକ୍ତି କେନ୍ଦ୍ର ଓ ଅନ୍ୟ ଶିଳ୍ପରୁ ଏହି ଜଳ ନଦୀରେ ପ୍ରବେଶକରେ ନଦୀନଳ ପ୍ରଦୂଷିତ ହୋଇଥାଏ । ତାହାର ପ୍ରଭାବ ଜୀବମାନଙ୍କ ଉପରେ ପଡ଼େ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

→ପାନୀୟ ଜଳ କ’ଣ ? ଜଳ ବିଶେଧନ ଉପାୟ :
(i) ପିଇବାଯୋଗ୍ୟ ପାଣିକୁ ପାନୀୟଜଳ କୁହାଯାଏ । ଜଳଛଣା ଯନ୍ତ୍ର ବା ଫିଲ୍ଟରରେ ପରିସ୍ରବଣ ପ୍ରଣାଳୀ (filtration) ଦ୍ୱାରା କିଛି ପରିମାଣରେ ଜଳ ବିଶୋଧନ କରାଯାଏ ।
(ii) ଆମ ଘରମାନଙ୍କରେ ଜ୍ୟାଣ୍ଡଲଯୁକ୍ତ ଫିଲ୍‌ଟର୍ ବ୍ୟବହାର କରି ଜନ ଛଣାଯାଏ । ଏହା ପରିସ୍ରବଣ ପ୍ରଣାଳୀ ଅଟେ । ଏହା ଏକ ଭୌତିକ ପଦ୍ଧତି ।
(iii) ଜଳ ବିଶୋଧନ ପାଇଁ ରାସାୟନିକ ପଦ୍ଧତିର ଏକ ଉଦାହାରଣ କ୍ଲୋରିନ୍‌ ବଟିକା ଦ୍ବାରା କ୍ଲୋରିନେସନ (chlorination) ବା ବ୍ଲିଚିଂ ପାଉଡ଼ର ବ୍ୟବହାର । ସାବଧାନତାର ସହିତ ଉଚିତ ପରିମାଣର କ୍ଲୋରିନ୍‌ ବଟିକା

→ଆଉ କ’ଣ କରିପାରିବା ?
(i) ପ୍ରତ୍ୟେକ ଶିଳ୍ପାଞ୍ଚଳରେ ଜଳ ବିଶୋଧନ ପ୍ରକଳ୍ପ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରାଯିବା ଉଚିତ । ନଦୀ ଓ ହ୍ରଦମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ ଜଳ ପ୍ରବେଶ ନିରୋଧ ପାଇଁ ଶିଳ୍ପାନୁଷ୍ଠାନମାନଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ଆଇନ କଡ଼ାକଡ଼ି ପ୍ରୟୋଗ ହେବା ବିଧେୟ ।
(ii) ଆମେମାନେ ନିଜେ ନିଜର ସାଧ୍ଯମତେ ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ ସହ ଜଳ ଅପଚୟ ନ କରିବାପାଇଁ ଚେଷ୍ଟିତ ରହିବା ଆବଶ୍ୟକ । ଆମ ମୂଳମନ୍ତ୍ର ହେଉଛି (3R) : Reduce ( କମ୍ ବ୍ୟବହାର), Reuse ( ପୁନର୍ଜ୍ୟବହାର), Recycle (ପୁନଶ୍ଚକ୍ରଣ)
(iii) ଆମ ଦୈନନ୍ଦିନ କାର୍ଯ୍ୟରେ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷିତ ହୁଏ । ଏହାଦ୍ୱାରା ଆମେ ଓ ଅନ୍ୟମାନେ ମଧ୍ୟ ପ୍ରଭାବିତ ହୁଅନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ଜଳର ଶୁଦ୍ଧତା ରକ୍ଷାକରିବା ଆମର ଦାୟିତ୍ଵ ଅଟେ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ

→ ବିଷୟଭିତ୍ତିକ ଶବ୍ଦୀବ୍ଦଳ:
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 18 ବାୟୁ ଓ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ 2

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ଉପକ୍ରମ :
ଖରାଦିନର ଘଣ୍ଟିବାୟୁ ଓ ଧୂଳିଝଡ଼ ଏବଂ ବର୍ଷାଦିନର ବନ୍ୟା ଓ ବାତ୍ୟା ତଥା ବଜ୍ରପାତ, ଭୂମିକମ୍ପ ଓ ସୁନାମି ଇତ୍ୟାଦି ଗୋଟିଏ, ଗୋଟିଏ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା । ଏପରି ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣାର ପ୍ରଭାବରେ ଅନେକ ଜୀବନହାନି ଘଟେ ଏବଂ ପ୍ରଭୃତ ଧନ ସମ୍ପତ୍ତି ନଷ୍ଟ ହୁଏ । ତେଣୁ ଏହି ବିପର୍ଯ୍ୟୟ ସମୟରେ ନିଜର ତଥା ଅନ୍ୟମାନଙ୍କର ଧନ, ଜୀବନ କିପରି ରକ୍ଷା କରି ପାରିବା,। ସେ ସମ୍ପର୍କରେ ସତର୍କତା ଓ ସଚେତନତା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ ।

ବିଜୁଳି ଓ ଘଡ଼ଘଡ଼ି (Lightning) :
(i) ବିଜୁଳି ମାରିବାର ଠିକ୍ ପରେ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ଶୁଭେ । ଏହାକୁ ବଜ୍ରପାତ କହନ୍ତି ।
(ii) ବିଜୁଳି ଓ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ପ୍ରକୃତିରେ ଘଟୁଥିବା ଏକପ୍ରକାରର ଚାର୍ଜ । ବାୟୁମଣ୍ଡଳର ଗତିଶୀଳ ବାଦଲରେ ସୃଷ୍ଟ ଚାର୍ଜ- ଯୋଗୁଁ ବିଜୁଳି, ଘଡ଼ଘଡ଼ି ହୋଇଥାଏ ।
(iii) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଖୁଣ୍ଟରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ତାରର ସଂଯୋଗ ଜିଲା ଥିଲେ ପବନବେଳେ ତାହା ଦୋହଲିବାରୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍କୁଲିଙ୍ଗ ଦେଖାଯାଏ । ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ଲଗକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିପଥରେ ଲାଗିଥିବା ସକେଟରେ ସଂଯୋଗ କଲାବେଳେ ଯଦି ଜିଲାରହେ, ସେଠାରେ ମଧ୍ୟ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସାର୍କ ଦେଖାଯାଏ । ବିଜୁଳି, ଘଡ଼ଘଡ଼ି ପ୍ରକୃତିରେ ଘଟୁଥିବା ଏହିପରି ଏକ ସ୍ପାର୍କ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ରବିଂ ଦ୍ୱାରା ଚାର୍ଜ (Charging by Rubbing) :
(i) ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ରିଫିଲ୍‌କୁ ଶୁଖୁଲା ପଲିଥ୍‌ଦ୍ୱାରା ଘଷିଲେ, ରିଫିଲ୍ ଓ ପଲିଥନ୍ ଉଭୟରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଚାର୍ଜ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
(ii) ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ପାନିଆରେ ମୁଣ୍ଡ କୁଣ୍ଡାଇବାବେଳେ ପାନିଆ ଓ କେଶରେ ମଧ୍ୟ କିଛି ଚାର୍ଜ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏଭଳି ପଦାର୍ଥକୁ ଚାର୍ଜଯୁକ୍ତ ପଦାର୍ଥ ବା ଚାର୍ଜିତ ପଦାର୍ଥ କୁହାଯାଏ ।

ଅନ୍ଧାର ଘରେ ପଶମ କିମ୍ବା ପଲିଷ୍ଟର ବସ୍ତ୍ର ଉତ୍ତାରୁଥ‌ିବାବେଳେ କିଛି କ୍ଷୀଣ ସ୍ୱାର୍କ ସହ ଚଡ଼ଚିଡ଼ ଶବ୍ଦ ଶୁଣାଯାଏ । ଶରୀରର ଲୋମ ମଧ୍ଯ ଠିଆହୋଇଯାଏ । କେତେକ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ଦୁଇଟି ପଦାର୍ଥ ବିପରୀତ ଭାବେ ଚାର୍ଜ ହେଉଥ‌ିବାରୁ ଏପରି ଘଟଣା ଘଟିଥାଏ ।
1752 ମସିହାରେ ଆମେରିକୀୟ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଫ୍ରାଙ୍କ୍‌ଲିନ୍‌ (1706 – 1809) ଦର୍ଶାଇଥିଲେ ଯେ, ଏଭଳି ପୋଷାକ ଉତ୍ତାରିବାବେଳେ ସୃଷ୍ଟ ସ୍ପାର୍କ ଓ ବିଜୁଳି ଏକାପ୍ରକାରର ଘଟଣା ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା 1

(Types of Charge and their Interaction) :
(i) ଚାର୍ଜ ଦୁଇପ୍ରକାରର; ଯଥା – ଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜ ଓ ବିଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜ ।
(ii) କାଚଦଣ୍ଡକୁ ରେଶମ କନାରେ ଘଷିଲେ କାଚଦଣ୍ଡରେ ସୃଷ୍ଟ ଚାର୍ଜକୁ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ ଓ ରେଶମ କନାରେ ସୃଷ୍ଟ ଚାର୍ଜକୁ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ କୁହାଯାଏ ।
(iii) ପରସ୍ପର ସହିତ ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ଗୋଟିଏ ବସ୍ତୁ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଭାବେ ଚାର୍ଜିତ ହେଉଥ‌ିବାବେଳେ ଅନ୍ୟଟି ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକଭାବେ ଚାର୍ଜିତ ହୋଇଥାଏ । ଉଭୟରେ ସୃଷ୍ଟ ଚାର୍ଜର ପରିମାଣ ସମାନ ଅଟେ ।
(iv) ସମପ୍ରକାର ଚାର୍ଜ ପରସ୍ପରକୁ ବିକର୍ଷଣ କରନ୍ତି ଓ ଅସମ ପ୍ରକାରର ଚାର୍ଜ ପରସ୍ପରକୁ ଆକର୍ଷଣ କରନ୍ତି ।
(v) ଘର୍ଷଣଜନିତ ପଦାର୍ଥରେ ସୃଷ୍ଟ ଚାର୍ଜକୁ ‘ସ୍ଥିର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଚାର୍ଜ’ କୁହାଯାଏ । ଏହି ଚାର୍ଜ ସ୍ଵତଃ ଗତିଶୀଳ ନୁହେଁ । କେତେକ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ପରିସ୍ଥିତିରେ ଏହାକୁ ଗତିଶୀଳ କରାଇଲେ ଏହାଦ୍ଵାରା ବିଦ୍ୟୁତ ସ୍ରୋତ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।

ତୁମପାଇଁ କାମ :
(i) ଗୋଟିଏ ବାୟୁପୂର୍ଣ୍ଣ ବେଲୁକୁ ପଶମ କନାରେ ଘଷି ଏକ ସୂତା ସାହାଯ୍ୟରେ କଣ୍ଟାରେ ଝୁଲାଇ ଦିଆଯାଉ ।
(ii) ଗୋଟିଏ ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ରିଫିଲ୍‌କୁ ପଲିଥ୍ରେ ଘଷି ଝୁଲନ୍ତା ବେଲୁନ୍ ନିକଟକୁ ଅଣାଯାଉ । ଦେଖାଯିବ ଯେ ବେଲୁନ୍ ଓ ରିଫିଲ୍ ପରସ୍ପରକୁ ଆକର୍ଷଣ କରୁଛନ୍ତି । ପଶମ କନାରେ ଘଷାଯାଇଥିବା ବେଲୁନ୍‌ରେ ଯେଉଁ ଚାର୍ଜ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି, ପଲିଥରେ ଘଷାଯାଇଥ‌ିବା ରିଫିଲ୍‌ରେ ଭିନ୍ନ ଚାର୍ଜ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି । ଏଥୁରୁ ଜଣାଗଲା ଯେ

ଦେୟ ସ୍ଥାନାନ୍ତର (Transfer of charges):
ଇଲେକ୍‌ଟ୍ରୋସ୍କୋପି ପ୍ରସ୍ତୁତି :
ପ୍ରସ୍ତୁତି :
(i) ଗୋଟିଏ ଖାଲି କାଚ ବୋତଲ ଓ ବୋତଲର ମୁହଁଠାରୁ ଅଳ୍ପ ବଡ଼ ଏକ କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ନିଆଯାଉ ।
(ii) କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ ମଝିରେ ଏକ ରନ୍ଧ୍ର କରାଯାଉ ଯେପରି ଏକ ଧାତବ ପେପର କ୍ଲିପ୍ ଏହା ମଧ୍ୟଦେଇ ବୋତଲ ମଧ୍ୟକୁ ଯାଇପାରିବ ।
(iii) 4 ସେ.ମି. ଦୈର୍ଘ୍ୟ ଓ 1 ସେ.ମି. ପ୍ରସ୍ଥ ବିଶିଷ୍ଟ ଦୁଇଖଣ୍ଡ ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଫଏଲ୍ ପେପର କ୍ଲିପରୁ ବୋତଲ ମଧ୍ଯରେ ଝୁଲାଯାଉ ।
(iv) ପେପର କ୍ଲିପ୍‌ର ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତଟି କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ର ରନ୍ଧ୍ର ମଧ୍ୟଦେଇ ବାହାରକୁ ନେଇ ଏହାକୁ କାର୍ଡ଼ବୋର୍ଡ଼ରୁ ଲମ୍ବ ଭାବରେ ଝୁଲାଇ ରଖାଯାଉ ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା 2

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ପରୀକ୍ଷଣ : 1
(i) ଗୋଟିଏ ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ରିଫିଲ୍‌କୁ ପଲିଥୁନରେ ଘଷି ଯେପରି କ୍ଲପକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରାଯାଉ ।
ଦେଖାଯିବ ଯେ, ପେପର କ୍ଲିପ ଝୁଲୁଥିବା ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଫଳକଦ୍ବୟ ପରସ୍ପରଠାରୁ ବିକର୍ଷିତ ହେଉଛନ୍ତି । ଧାତୁ ସପରିବାହ ହୋଇଥବାର ଚାର୍ଜିତ ରିଫିଲର ଚାର୍ଜ ପେପର କ୍ଲିପ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଫଳକଦ୍ୱୟକୁ ସ୍ଥାନାନ୍ତରିତ ହୋଇଥାଏ । ଫଳକଦୟରେ ଏକାପ୍ରକାର ଚାର୍ଜ ରହିବାର ପରସ୍ପରକ ବିକର୍ଷଣ କରି ଦୂରେଇଯା’ନ୍ତି । ଉପରୋକ୍ତବ୍ୟବସ୍ଥା ବ୍ୟବହାର କରି ବସ୍ତୁଟି ଚାର୍ଜ ହୋଇଛି କି ନାହିଁ ଜାଣିହୁଏ । ଏହି ସାଧନକୁ ଇଲେକ୍‌ଟ୍ରୋସ୍କୋପ୍ କୁହାଯାଏ ।

ପରୀକ୍ଷଣ : 2
(i) ଉପରୋକ୍ତ ପରୀକ୍ଷଣଟି ପୁନର୍ବାର କରାଯାଉ; ଅର୍ଥାତ୍ ଧାତବ ପେପର କ୍ଲିପ୍‌ସହ ଚାର୍ଜିତ ରିଫିଲ୍‌କୁ ସ୍ପର୍ଶ କରାଯାଉ;
(ii) ବର୍ତ୍ତମାନ ହାତରେ ପେପର କ୍ଲିପ୍‌କୁ ସ୍ପର୍ଶ କରାଯାଉ ।
(iii) ଦେଖାଯିବ ଯେ ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଫଳକଦ୍ବୟ ପରସ୍ପରର ନିକଟବର୍ତୀ ହେଉଛନ୍ତି ।
(iv) ଆମ ଶରୀର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ହୋଇଥିବାରୁ ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଫଳକରୁ ଆମ ଶରୀର ମଧ୍ୟଦେଇ ଚାର୍ଜ ପୃଥ‌ିବୀକୁ ସ୍ଥାନାନ୍ତରିତ ହୋଇଥାଏ ।

ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାଦ୍ବାରା ଚାର୍ଜିତ ବସ୍ତୁ ଚାର୍ଜ ହରାଇଥାଏ ଏବଂ ଏହାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିସର୍ଜନ କୁହାଯାଏ ।

ବିଜୁଳି ଓ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ କିପରି ?
(i) ବିଜୁଳି ଓ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସହ ଝଡ଼ ହେଉଥୁବା ସମୟରେ ବାୟୁସ୍ରୋତ ଊର୍ଦ୍ଧ୍ବକୁ ଗତିଶୀଳ ହୁଏ ଓ ମେଘ ନିମ୍ନଗାମୀ ହୁଏ ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା 3
(ii) ମେଘମାନଙ୍କର ବାୟୁ ସହ ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ମେଘରେ ଥିବା ଦୁଇ ପ୍ରକାର ଚାର୍ଜ ପରସ୍ପରଠାରୁ ପୃଥକ୍ ହୁଅନ୍ତା; ଫଳରେ ମେଘର ଉପର ସ୍ତରରେ ଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜ ଓ ତଳ ସ୍ତରରେ ବିଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜ ଜମା ହୁଏ ।
(iii) ମେଘରେ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥ‌ିବା ବିଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜର ପ୍ରଭାବରେ ଭୂପୃଷ୍ଠ ଯୁକ୍ତଚାର୍ଜିତ ହୁଏ ।
(iv) ଏହି ଦୁଇ ବିପରୀତଧର୍ମୀ ଚାର୍ଜର ପରିମାଣ ଅଧିକ ହେଲେ, ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବଳ ଆକର୍ଷଣ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
(v) ଆକର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ଏହି ଦୁଇପ୍ରକାର ଚାର୍ଜକୁ ପୃଥକ୍ ରଖୁଥ‌ିବା ବାୟୁସ୍ତରର କୁପରିବାହିତା ଦୁର୍ବଳ ହୋଇଯାଏ ଏବଂ ବାୟୁ ମଧ୍ୟଦେଇ ବିଯୁକ୍ତ ଚାର୍ଜ ଭୂପୃଷ୍ଠ ଆଡ଼କୁ ପ୍ରବଳ ବେଗରେ ଗତିଶୀଳ ହୋଇ ଭୂପୃଷ୍ଠର ଯୁକ୍ତଚାର୍ଜ ସହିତ
ମିଳିତ ହୁଏ ।
(vi) ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ଉଜ୍ଜ୍ବଳ ଆଲୋକ ସହିତ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ଶବ୍ଦ ଓ ଉତ୍ତାପ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ଏକ ବଡ଼ଧରଣର ସ୍ପାର୍କ ଓ ଏହାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିସର୍ଜନ କୁହାଯାଏ । ଏହା ଘଟୁଥିବା ସମୟରେ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଥ‌ିବା ଆଲୋକକୁ ବିଜୁଳି ଓ ଶବ୍ଦକୁ ଘଡ଼ଘଡ଼ି କୁହାଯାଏ ।
(vii) ବିଜୁଳି ଓ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ଏକ ସମୟରେ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଥିଲେ ମଧ୍ୟ ବିଜୁଳି ଦେଖାଯିବାର କିଛି ସମୟପରେ ଘଡ଼ଘଡ଼ି ଶବ୍ଦ ଶୁଣାଯାଏ । କାରଣ ବାୟୁ ମାଧ୍ୟମରେ ଆଲୋକର ବେଗ ଶବ୍ଦର ବେଗଠାରୁ ବହୁଗୁଣରେ ଅଧୂକ ।
(viii) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିସର୍ଜନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଦୁଇ ବା ତହିଁରୁ ଅଧିକ ମେଘଖଣ୍ଡ ମଧ୍ୟରେ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇପାରେ କିମ୍ବା ଭୂପୃଷ୍ଠ ନିକଟସ୍ଥ ମେଘ ଓ ଭୂପୃଷ୍ଠ ମଧ୍ୟରେ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇପାରେ ।

ପ୍ରତି ମେଘ ଓ ପୃଥ‌ିବୀ ମଧ୍ଯରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିସର୍ଜନ କୌଣସି ବୃକ୍ଷ, ମନୁଷ୍ୟ ଓ ଜୀବଜନ୍ତୁ ମାଧ୍ଯମରେ ସଂଘଟିତ ହୁଏ, ତାହାକୁ ବଜ୍ରଘାତ କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ବିଜୁଳି ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସମୟରେ ନିରାପତ୍ତା ବ୍ୟବସ୍ଥା :
(i) ବିଜୁଳି ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସମୟରେ କୌଣସି ଖୋଲା ସ୍ଥାନ ନିରାପଦ ନୁହେଁ ।
(ii) ଆକାଶରେ ମେଘ ଘୋଟିଥିବା ସମୟରେ ଖୋଲା ସ୍ଥାନରୁ ନିରାପଦ ସ୍ଥାନକୁ ଚାଲିଯିବା ଉଚିତ ।
(iii) ବିଜୁଳି ଘଡ଼ଘଡ଼ି ହେଉଥ‌ିବାବେଳେ ନିରାପଦ ସ୍ଥାନରେ କିଛି ସମୟ ଅପେକ୍ଷାକରିବା ଉଚିତ ।
(iv) ଏ ସମୟରେ କୌଣସି ଘର କିମ୍ବା କୋଠାଘର ନିରାପଦ ସ୍ଥାନ ଅଟେ ।
(v) କାର୍ କିମ୍ବା ବସ୍ ମଧ୍ୟରେ ଥିଲେ ଏହାର ଝରକା ଓ କବାଟକୁ ବନ୍ଦକରିବା

ନିରାପଦ ଅଟେ ବିଜୁଳି ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସମୟରେ କ’ଣ କରିବା ?
ଘର ବାହାରେ ଥୁଲେ :
(i) ଖୋଲା ଯାନବାହନ, ମୋଟର ବାଇକ୍, ଟ୍ରାକ୍ଟର, ରାସ୍ତାତିଆରି ଯନ୍ତ୍ର, ଖୋଲା କାର୍‌ କିମ୍ବା ଜିପ୍, ଶଗଡ଼ଗାଡ଼ି ଇତ୍ୟାଦିରେ ଯାତ୍ରା କରିବା ଆଦୌ ନିରାପଦ ନୁହେଁ ।
(ii) ଖୋଲାପଡ଼ିଆ, ଡେଙ୍ଗାଗଛ, ପାର୍କ ମଧ୍ୟରେ ଥ‌ିବା ଆଶ୍ରୟସ୍ଥଳୀ, ଉଚ୍ଚ ସ୍ଥାନ ପ୍ରଭୃତି ମଧ୍ୟ ବିଜୁଳି ଆଘାତରୁ ରକ୍ଷାପାଇବା ପାଇଁ ନିରାପଦ ସ୍ଥାନ ନୁହେଁ ।
(iii) ବିଜୁଳି ଘଡ଼ଘଡ଼ି ସହ ବର୍ଷାବେଳେ ଛତା ଧରାଯିବା ବିପଦ ।
(iv) ଜଙ୍ଗଲ ମଧ୍ୟରେ ଥିଲେ ବଡ଼ ଗଛ ତଳେ ଆଶ୍ରୟ ନ ନେଇ ଛୋଟ ଗଛତଳେ ଆଶ୍ରୟ ନେବା ଅଧୂକ ନିରାପଦ
(v) ଖୋଲାପଡ଼ିଆରେ ଥିଲେ ଗଛଠାରୁ ଦୂରରେ ରହିବା ଉଚିତ
(vi) ଧାତବ ପଦାର୍ଥ ଓ ଧାତବ ଖୁଣ୍ଟଠାରୁ ଦୂରରେ ରହିବା ଉଚିତ ।
(vii) ପଡ଼ିଆରେ ସିଧାଭାବେ ଶୋଇରହିବା ପରିବର୍ତ୍ତେ ନିଜ ମୁଣ୍ଡକୁ ଆଣ୍ଠୁ ଓ ଦୁଇହାତ ମଝିରେ ରଖ୍ ବସିରହିବା ଅଧ୍ଵ ନିରାପଦ ।

ଘରଭିତରେ ଥିଲେ :
(i) ଟେଲିଫୋନ୍ ତାର, ବିଦ୍ୟୁତ୍ ତାର ଓ ଧାତବ ପାଣି ପାଇପ୍‌କୁ ଛୁଇଁବା ଅନୁଚିତ ।
(ii) ମୋବାଇଲ୍ ଫୋନ୍ ଓ ତାରବିହୀନ ଫୋନ୍‌ ବ୍ୟବହାର କରିବା ଅଧ୍ଵ ନିରାପଦ ।
(iii) ଟ୍ୟାପ୍ ଖୋଲି ଗାଧୋଇବା ଅନୁଚିତ ।
(iv) କମ୍ପ୍ୟୁଟର, ଟିଭି, ଫ୍ରିଜ୍ ଆଦି ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସଂରଜାମରୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସଂଯୋଗ ବିଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ।
(v) ବଜ୍ରପାତରୁ ରକ୍ଷାପାଇବା ପାଇଁ କୋଠାଘରଗୁଡ଼ିକରେ ବିଜୁଳି ଚାଳକ ସଂଯୋଗ କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ।

ବିଜୁଳି ଚାଳକ (Lightning Conductor) :
କୋଠାଘରମାନଙ୍କରେ କାନ୍ଥର ଉଚ୍ଚତାଠାରୁ ଅଧିକ ଉଚ୍ଚର ଏକ ତମ୍ବା ଦଣ୍ଡ ଘରର ବାହାର ପଟ କାନ୍ଥ ରେ ଲଗାଯାଇଥାଏ । ଏହାର ଏକ ପ୍ରାନ୍ତ ଗଭୀର ମାଟି ଭିତରକୁ ପୋତାଯାଇଥାଏ ଓ ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତଟି ବାୟୁ ମଧ୍ୟକୁ ଖୋଲାଥାଏ । ଏହି ଧାତବ ଦଣ୍ଡର ଅଗ୍ରଭାଗ ମୁନିଆ ଥିଲେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିସର୍ଜନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ସହଜ ହୁଏ । ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଚାର୍ଜକୁ ବାୟୁମଣ୍ଡଳରୁ ଗ୍ରହଣ କରି ଭୂମିକୁ ସ୍ଥାନାନ୍ତରଣ କରିବାପାଇଁ ଏହା ଏକ ସହଜ ପଥ ସୃଷ୍ଟି କରେ ।

ଭୂକମ୍ପ (Earthquake):
(i) ବର୍ତ୍ତମାନ ସୁଦ୍ଧା ଭୂମିକମ୍ପ ଓ ସୁନାମି ପରି ପ୍ରାକୃତିକ ବିପର୍ଯ୍ୟୟର କୌଣସି ପୂର୍ବାନୁମାନ କରାଯାଇପାରୁ ନାହିଁ ।
(ii) ପୃଥ‌ିବୀପୃଷ୍ଠ ହଠାତ୍‌ ଥରିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କରିବାଦ୍ଵାରା ଭୂକମ୍ପ ଅନୁଭୂତ ହୁଏ । ଏହା ଅଳ୍ପ କିଛି ମୁହୂର୍ତ୍ତ ପାଇଁ ମାତ୍ର ସ୍ଥାୟୀ ହୋଇଥାଏ ।
(iii) ପୃଥ‌ିବୀର ଅଭ୍ୟନ୍ତର ଅଞ୍ଚଳରେ କୌଣସି କାରଣରୁ କିଛି ପରିବର୍ତ୍ତନ ଘଟିଲେ, ତାର ପ୍ରଭାବରୁ ଭୂପୃଷ୍ଠରେ କମ୍ପନ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
(iv) ଭୂକମ୍ପର ପ୍ରଭାବରେ ବନ୍ୟା, ଭୂସ୍ଖଳନ ଓ ସୁନାମି ଇତ୍ୟାଦି ମଧ୍ଯ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ଭୂମିକମ୍ପର କାହିଁକି ହୁଏ ?
(i) କୂଅଭ୍ୟନ୍ତରସ୍ଥ କେତେକ ଉପର ସ୍ତରମାନଙ୍କ ସାଜସଜ୍ଜାରେ କିଛି ବ୍ୟତିକ୍ରମ ଘଟିଲେ ଭୂପୃଷ୍ଠରେ କଂପନ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।
(ii) ଏହାର ବାହ୍ୟ ଆବରଣ ଅନେକ ସ୍ତରରେ ବିଭକ୍ତ । ପ୍ରତ୍ୟେକ ସ୍ତରକୁ ପ୍ଲେଟ୍ କହନ୍ତି । ଏହି ପ୍ଲେଗୁଡ଼ିକ ସର୍ବଦା ଗତିଶୀଳ ଅବସ୍ଥାରେ ଥାଆନ୍ତି । ଯେତେବେଳେ ଗୋଟିଏ ପ୍ଲେଟ୍ ଅନ୍ୟଟି ଉପରେ ଘଷି ହୁଏ କିମ୍ବା ତାହା ସହିତ ଧକ୍କା ଖାଏ, ସେତେବେଳେ ଭୂତ୍ବକ୍‌ରେ ବିଚଳନ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହି ବିଚଳନ ଏକ ଅସ୍ଥିର ଅବସ୍ଥା ଏବଂ ଏହା ଭୂମିକମ୍ପ ରୂପେ ଦେଖାଦିଏ । ଅଧିକାଂଶ ଭୂକମ୍ପନ ପୃଥ‌ିବୀର ବାହ୍ୟ ସ୍ତରର ଥିବା ପ୍ଲେଗୁଡ଼ିକର ଚଳନ ଯୋଗୁଁ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ ।
(iii) ଆଗ୍ନେୟଗିରି ଉଦ୍‌ଗିରଣ, ପୃଥ‌ିବୀସହ ବୃହତ୍‌ କାୟ ଉଲ୍ କାର ସଂଘର୍ଷ କିମ୍ବା
(iv) ପ୍ଲେଗୁଡ଼ିକର ଚଳନ ଭୂମିକମ୍ପର କାରଣ ହୋଇଥିବାରୁ ଉକ୍ତ ପ୍ଲେଟ୍ ପରିସୀମାରେ ଥ‌ିବା ଦୁର୍ବଳ ଅଞ୍ଚଳଗୁଡ଼ିକରେ ପ୍ରାୟତଃ ଭୂମିକମ୍ପ ହେବାର ସମ୍ଭାବନା ଅଧ୍ଵ । ଏହି ଦୁର୍ବଳ ଜୋନ୍‌ଗୁଡ଼ିକୁ ସେସିମିକ୍ ଜୋନ୍ ବା ତ୍ରୁଟି ଜୋନ୍ କୁହାଯାଏ ।
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ଭାରତର ଭୂମିକମ୍ପପ୍ରବଣ ଅଞ୍ଚଳ :
କାଶ୍ମୀର, ପଶ୍ଚିମ ଓ କେନ୍ଦ୍ର ହିମାଳୟ, ଉତ୍ତର-ପୂର୍ବାଞ୍ଚଳ, କଚ୍ଛର ରାନ୍ ଅଞ୍ଚଳ, ରାଜସ୍ଥାନ ଓ ସୈନ୍ଧବ ଗାଙ୍ଗେୟ ସମତଳ ଓ ଦକ୍ଷିଣ ଭାରତର କିଛି ଅଞ୍ଚଳ ଭୂମିକମ୍ପ ପାଇଁ ବିପଦସଂକୁଳ ଜୋନ୍ ଭାବେ ଚିହ୍ନଟ କରାଯାଇଛି ।

ଭୂମିକମ୍ପର ମାପ :
(i) ଭୂମିକମ୍ପର କ୍ଷମତା ମାତ୍ରାକୁ ରିକ୍ଟର ସ୍କେଲ୍‌ରେ ପ୍ରକାଶକରାଯାଏ । ଏହି ମାତ୍ରା ରିକ୍ଟର ସ୍କେଲ୍‌ରେ 7 ରୁ ଅଧ୍ଵ ହେଲେ ଭୂମିକମ୍ପ ଦ୍ବାରା ଅନେକ କ୍ଷୟକ୍ଷତି ଘଟେ ।
(ii) ଭୂକମ୍ପନ ଯୋଗୁଁ ଭୂପୃଷ୍ଠରେ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଥ‌ିବା ଏକପ୍ରକାର ତରଙ୍ଗକୁ ସେସ୍‌କ୍ ତରଙ୍ଗ କୁହାଯାଏ । ଏହି ତରଙ୍ଗକୁ ସେସ୍ଟୋଗ୍ରାଫ୍ ନାମକ ଯନ୍ତ୍ରଦ୍ୱାରା ରେକର୍ଡ଼ କରାଯାଏ ।

ସେସ୍‌ମୋଗ୍ରାଫ୍‌ର ଗଠନ :
(i) ଏହି ଯନ୍ତ୍ରରେ କମ୍ପନଶୀଳ ରଡ୍ ଓ ଏକ ପେଣ୍ଡୁଲମ୍ ଥାଏ ।
(ii) ଭୂପୃଷ୍ଠରେ କମ୍ପନ ସୃଷ୍ଟି ହେଲେ ସେହି ରଡ୍ ଓ ପେଣ୍ଡୁଲମ୍ କମ୍ପିତ ହୁଏ ।
(iii) ଏହା ସହିତ ସଂଲଗ୍ନ କଲମ୍ ଏହା ତଳେ ଚଳମାନ ଅବସ୍ଥାରେ ଥ‌ିବା କାଗଜ ଉପରେ ଏହି କମ୍ପନକୁ ଲିପିବଦ୍ଧ କରେ ।
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(iv) ଏହି ଲିପିବଦ୍ଧ ତରଙ୍ଗର ଆକୃତି ଅନୁଧ୍ୟାନ କରି ବୈଜ୍ଞାନିକମାନେ ଭୂମିକମ୍ପର ଏକ ନକ୍‌ସା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିପାରନ୍ତି ।
(v) ଭୂମିକମ୍ପର ତୀବ୍ରତା ବିଷୟରେ ଏଥୁରୁ ଅନୁମାନ କରିହୁଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

ରିଚ୍ଟର୍ ସ୍କେଲ୍ (Richter Scale) :
(i) ରିକ୍ଟର ସ୍କେଲ୍‌ରେ ମାପ ଏକ ଭିନ୍ନ ଧରଣର ମାପ ।
(ii) ମନେକରାଯାଉ ଦୁଇଟି ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଭୂମିକମ୍ପର ମାତ୍ରା ରିକ୍ଟର ସ୍କେଲ୍‌ରେ 4 ଓ 6 ।
ଅଧିକାଂଶ ଭୂମିକମ୍ପର ତୀବ୍ରତା ରିକ୍ଟର ସ୍କେଲରେ ମାପ କରାଯାଏ । ଏହି ଯନ୍ତ୍ରକୁ ଚାର୍ଲସ୍ ଏଫ୍ ରିକ୍ସର 1934 ମସିହାରେ
(iii) ଏଠାରେ ଦ୍ଵିତୀୟ ଭୂମିକମ୍ପର ପ୍ରଭାବ ପ୍ରଥମ ତୁଳନାରେ 1000 ଗୁଣ ଅଧିକ । ତେଣୁ ଦ୍ଵିତୀୟ ଭୂମିକମ୍ପ ଦ୍ବାରା ସଂଘଟିତ କ୍ଷୟକ୍ଷତି ପ୍ରଥମଟିର ତୁଳନାରେ 1000 ଗୁଣ ଅଧିକ ହୋଇପାରେ ।
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ଭୂମିକମ୍ପରୁ ସୁରକ୍ଷା :
(i) ଭୂକମ୍ପପ୍ରବଣ ଅଞ୍ଚଳରେ ବଡ଼ଧରଣର ଭୂକମ୍ପନ ସହ୍ୟ କରିପାରୁଥିବା କୋଠାଘର ଆଦି ନିର୍ମାଣ କରିବାପାଇଁ ଆବଶ୍ୟକୀୟ ଆଧୁନିକ କାରିଗରୀ ବିଦ୍ୟାର ସହାୟତା ନେବାକୁ ହେବ । ଏହି ଗୃହଗୁଡ଼ିକର ଭିଭି ମଜଭୁତ୍ ଓ ଗଠନ ସରଳ ହେବା ଆବଶ୍ୟକ ।
(ii) ଅତି ଭୂକମ୍ପପ୍ରବଣ ଅଞ୍ଚଳରେ ମାଟି ଓ କାଠର ଘର ଅଧ‌ିକ ନିରାପଦ ଏବଂ ଏହାର ଛାତ ହାଲୁକା ପଦାର୍ଥରେ
(iii) କାନ୍ଥ ସହ କପ୍ବୋର୍ଡ଼ ଓ ଥାକସବୁ ଥିଲେ ତାହା ସହଜରେ ଭାଙ୍ଗେ ନାହିଁ ।
(iv) କେତେକ କୋଠାଘରେ ନିଆଁ ଲାଗିଯିବାର ସମ୍ଭାବନା ଥ‌ିବାରୁ ସେଠାରେ ଅଗ୍ନିଶମ ଯନ୍ତ୍ର କାର୍ଯ୍ୟକ୍ଷମ ଅବସ୍ଥାରେ ରଖୁବା ଉଚିତ !
(v) କାନ୍ଥରେ ଓଜନିଆ ବସ୍ତୁ ଝୁଲାଇ ରଖୁବା ଅନୁଚିତ । କାରଣ ଭୂମିକମ୍ପ ବେଳେ ସେଗୁଡ଼ିକ ଲୋକଙ୍କ ଉପରେ ପଡ଼ି ବିପଦ ସୃଷ୍ଟି କରିପାରେ ।
(vi) କେନ୍ଦ୍ରୀୟ କୋଠାଘର ଗବେଷଣା ଅନୁଷ୍ଠାନ ରୁର୍‌କିର ପରାମର୍ଶ ଅନୁଯାୟୀ ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କଲେ ଭୂମିକମ୍ପ ସମୟରେ କ୍ଷୟକ୍ଷତି କମ୍ ହୋଇଥାଏ ।

ଭୂମିକମ୍ପବେଳେ କ’ଣ କରିବା ?
ଘରେ ରହିଥିଲେ :
(i) କମ୍ପନ ବନ୍ଦହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଟେବୁଲ କିମ୍ବା ଖଟ ତଳେ ଆଶ୍ରୟ ନେବା ଆବଶ୍ୟକ ।
(ii) ଉଚ୍ଚ ଓ ଓଜନିଆ ବସ୍ତୁଠାରୁ ଦୂରରେ ରହିବା ଆବଶ୍ୟକ ।
(iii) ବିଛଣାରେ ଥିଲେ ନ ଉଠି ମୁଣ୍ଡ ଉପରେ ତକିଆ ଥୋଇ ଶୋଇରହିବା ଆବଶ୍ୟକ ।

ଘର ବାହାରେ ଥୁଲେ :
(i) ଗଛ, କୋଠାଘର ଓ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଲାଇନ୍‌ଠାରୁ ଦୂରରେ ରହି ଖୋଲାସ୍ଥାନରେ ଭୂମି ଉପରେ ଆଣ୍ଠୁ ମଝିରେ ମୁହଁ
(ii) ବସ୍ କିମ୍ବା କାର୍‌ରେ ଥିଲେ ବାହାରକୁ ନ ବାହାରି ଧୀରେ ଧୀରେ ଗାଡ଼ି ଚଳାଇ ଖୋଲାସ୍ଥାନକୁ ଯାଇ ଭୂମିକମ୍ପ ବନ୍ଦ ନ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଗାଡ଼ି ଭିତରେ ବସିରହିବା ଉଚିତ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 15 କେତେକ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣା

→ ବିଷୟଭିତ୍ତିକ ଶବ୍ଦୀବ୍ଦଳ:

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BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

→ ଉପକ୍ରମ :
1. ଚାଲୁଥିବା ସାଇକେଲକୁ ବ୍ରେକ୍ ଦେଲେ ଏହାର ରବର ସାଇକେଲ ରିମ୍ ସହ ଘଷି ହୋଇ ସାଇକେଲର ଗତିକୁ ମନ୍ଥର କରିଦିଏ । କାରଣ ଏଥ‌ିରେ ବିପରୀତମୁଖୀ ବଳ କାର୍ଯ୍ୟ କରିଥାଏ ।
2. ସମତଳ ପିଚୁ ରାସ୍ତା ଅପେକ୍ଷା ଆବଡ଼ା ଖାବଡ଼ା ମାଟି ବା ଗୋଡ଼ି ରାସ୍ତାରେ ଚକା ଗଡ଼ିବା ସମୟରେ ଏକ ବିପରୀତମୁଖୀ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ ।
3. ବିପରୀତ ଦିଗରେ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ ହୋଇଥାଏ । ଅର୍ଥାତ୍ ଏକ ବଳଦ୍ଵାରା ଗତିଶୀଳ ବସ୍ତୁଟି ସ୍ଥିର ଅବସ୍ଥାକୁ ଆସିଥାଏ ବା ସ୍ଥିର ଅବସ୍ଥାରୁ ଗତିଶୀଳ ହୋଇଥାଏ ।

→ ଘର୍ଷଣର ଶକ୍ତି (Force of Friction) :
ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠ ମଧ୍ୟରେ ଆପେକ୍ଷିକ ଗତି ରହିଥିଲେ ଘର୍ଷଣ ଆପେ ଆପେ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ସେଥ୍ପାଇଁ ଘାସ ପଡ଼ିଆରେ ଫୁଟବଲ୍‌ଟିଏ ଠେଲି ଗଡ଼ାଇଲେ, ବଲ୍ ପୃଷ୍ଠ ଓ ପଡ଼ିଆର ପୃଷ୍ଠ ମଧ୍ଯରେ ଘର୍ଷଣ ବଳ ସୃଷ୍ଟିହୋଇ ଫୁଟବଲ୍‌ର ଗତି ଧୀରେ ଧୀରେ କମିଯାଏ
ଓ ଶେଷରେ ଏହା ସ୍ଥିର ହୋଇଯାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

ଘର୍ଷଣ, ପ୍ରଯୁକ୍ତ ବଳର ବିପରୀତ ଦିଗରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ହୁଏ । ଏହା ହିଁ ଘର୍ଷଣର ଧର୍ମ ।

ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠ ମଧ୍ଯରେ ଆପେକ୍ଷିକ ଗତି ରହିଥିଲେ, ଘର୍ଷଣ ବଳ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥାଏ ।

→ ଘର୍ଷଣକୁ ପ୍ରଭାବିତ କରୁଥିବା କାରକ (Factors Affecting Friction)
କୌଣସି ବସ୍ତୁ ଉପରେ ଦକ୍ଷିଣ ପାର୍ଶ୍ୱରୁ ବାମ ପାର୍ଶ୍ଵକୁ ବଳ ପ୍ରୟୋଗ କରି ଗତିଶୀଳ କରାଇଲେ ଏକ ଘର୍ଷଣ ବଳ ଦକ୍ଷିଣପଟରୁ ବାମପଟକୁ ବସ୍ତୁ ଉପରେ କାର୍ଯ୍ୟକରି ଏହାର ଗତିକୁ ସ୍ଥିର କରାଏ ।
(i) ଗୋଟିଏ ପୃଷ୍ଠ ଅନ୍ୟ ଏକ ପୃଷ୍ଠର ସଂସ୍ପର୍ଶରେ ଥ‌ିବାବେଳେ ବଳ ପ୍ରୟୋଗ ଦ୍ୱାରା ଏହା ଗତିଶୀଳ ହେବାର ସମ୍ଭାବନା ଥିଲେ କିମ୍ବା ଗତିଶୀଳ ହେଉଥିଲେ, ଘର୍ଷଣ ବଳ କ୍ରିୟାଶୀଳ ହୁଏ ଏବଂ ଏହି ଘର୍ଷଣ ବଳ ଉଭୟ ପୃଷ୍ଠର ମସୃଣତା
(ii) ସଂସ୍ପର୍ଶରେ ଥିବା ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠର ଅସମତଳତା ବା ବନ୍ଧୁରତା ଦ୍ଵାରା ଘର୍ଷଣ ପ୍ରଭାବିତ ହୁଏ । ତେଣୁ ଗୋଟିଏ ପୃଷ୍ଠ ଅନ୍ୟ ଏକ ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ଥ‌ିବାବେଳେ ଉଭୟ ପୃଷ୍ଠର ଖାଲଢିପଗୁଡ଼ିକ ପରସ୍ପର ଛନ୍ଦାଛନ୍ଦି ରହିବା ଯୋଗୁ ଘଷଣ ବଳ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୁଏ । ଦୁଇ ପୃଷ୍ଠର ଏହି ଛନ୍ଦାଛନ୍ଦି ହେବା ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ଇଣ୍ଟରଲକିଙ୍ଗ୍ (Interlocking) କୁହାଯାଏ ।
(iii) ବଳ ପ୍ରୟୋଗଦ୍ଵାରା ଗୋଟିଏ ପୃଷ୍ଠକୁ ଅନ୍ୟ ପୃଷ୍ଠଟି ଉପରେ ଗତିଶୀଳ କରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲେ, ଘର୍ଷଣ ପ୍ରଯୁକ୍ତ ବଳକୁ ବିରୋଧ କରେ ଏବଂ ଅଧିକ ବଳ ପ୍ରୟୋଗଦ୍ଵାରା ସେହି ପୃଷ୍ଠଟି ଗତିଶୀଳ ହେଲେ ମଧ୍ୟ ସେତେବେଳେ ବି ଘର୍ଷଣ ବଳ କ୍ରିୟାଶୀଳ ରହିଥାଏ । ଲଗାଲଗି ରହିଥିବା ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠ ଅଧ୍ଵ ଚାପି ହୋଇ ରହିଲେ ଏହି ଘର୍ଷଣ ବଳ ମଧ୍ଯ ଅଧିକ ହୁଏ ।
(iv) ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠ ଅଧ୍ୱ ଚାପି ହୋଇଗଲେ ସେଗୁଡ଼ିକର ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ରହିଥ‌ିବା ଖାଲଢ଼ିପଗୁଡ଼ିକ ଅଧ‌ିକ ଛନ୍ଦି ହୋଇ ପରସ୍ପରକୁ ବେଶୀ ଜାବୁଡ଼ି ଧରନ୍ତି ଏବଂ ଉଭୟ ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ଥ‌ିବା ଅଣୁଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ଏକ ପ୍ରକାର ଆକର୍ଷଣ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । ଏହି ଆକର୍ଷଣକୁ ଅସଂଜନ ବଳ (Force of adhesion) କହନ୍ତି ।
(v) ଅଠା ଲଗାଇ ଦୁଇଟି ବସ୍ତୁକୁ କିମ୍ବା ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠକୁ ଯୋଡ଼ିଲେ ଅସଂଜନ ବଳ ଦ୍ବାରା ସେଗୁଡ଼କ ପରସ୍ପର ସହ ଲାଖ୍ ରହନ୍ତି ।
(vi) ସଂସ୍ପର୍ଶରେ ରହିଥ‌ିବା ଦୁଇଟି ପୃଷ୍ଠପାଇଁ ସର୍ବୋଚ୍ଚ ନୈତିକ ଘର୍ଷଣ ବଳ ବା ଚରମ ଘର୍ଷଣ ବଳର ପରିମାଣ (Force of limiting Friction) ଗତିଜ ଘର୍ଷଣ ବଳର ପରିମାଣଠାରୁ କିଛି ଅଧ୍ଵ ।

→ ଘର୍ଷଣର ପ୍ରକାରେଭଦ:
(i) ପ୍ରଯୁକ୍ତ ବଳ ଥାଇ, ବସ୍ତୁଟି ଗତିଶୀଳ ହେଉନଥ‌ିବା ଅବସ୍ଥାରେ ପୃଷ୍ଠଟି ଉପରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ଘର୍ଷଣ ବଳକୁ ଭୌତିକ ଘର୍ଷଣ (Static Friction) ବଳ କହନ୍ତି ।
(ii) ବସ୍ତୁଟି ଠିକ୍ ଗତିଶୀଳ ହେବାକୁ ଆରମ୍ଭ କରିବା ଅବସ୍ଥାରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ସର୍ବୋଚ୍ଚ ନୈତିକ ଘର୍ଷଣ ବଳକୁ ଚରମ adaan (Limiting frictional force al Force of Limiting Friction)
(iii) ବସ୍ତୁଟି ଗତିଶୀଳ ଥ‌ିବା ଅବସ୍ଥାରେ ଏହାର ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ଘର୍ଷଣ ବଳକୁ ଗତିଜ ଘର୍ଷଣ ବଳ (Kinetic frictional force ବା Dynamic frictional Force) କୁହାଯାଏ । ଘର୍ଷଣ ଗତିକୁ ପ୍ରତିରୋଧ କରେ, ଘର୍ଷଣ ତାପ ସୃଷ୍ଟିକରେ, ଘର୍ଷଣ କ୍ଷୟ କରେ ।

ସିଂ ବାଲାନ୍ସ ବା ସିଂ ତରାଜୁ –
(i) ଏକ ବସ୍ତୁ ଉପରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ହେଉଥ‌ିବା ବଳ ମାପିବାପାଇଁ ବ୍ୟବହୃତ ହେଉଥ‌ିବା ଯନ୍ତ୍ର ବା ସାଧନ (Device) ମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ସିଂ ବାଲାନ୍ସ ଅନ୍ୟତମ ।
(ii) ଏହାର ଏକ ଧାତବ ଖୋଳ ଥାଏ ଯାହାର ସାମ୍‌ନା ପାଖଟି କଟାଯାଇ ସେ ସ୍ଥାନରେ ସ୍ୱଚ୍ଛକାଚ ବା ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ଖଣ୍ଡିଏ ଖଞ୍ଜା ଯାଇଥାଏ ।
(iii) ଖୋଳ ଭିତରେ ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତରେ ଥିବା କଣ୍ଟା ସହିତ ଏକ ଚାପି ହୋଇଥବା କୁଣ୍ଡଳୀକୃତ ସିଂ ଦୃଢ଼ ଭାବେ ସଂଯୁକ୍ତ ଥ‌ିବାବେଳେ, ଖୋଳ ବାହାରକୁ ରହିଥ‌ିବା ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତଟିରେ ଏକ ଅଙ୍କୁଶ ବା ହୁକ୍ (Hook) ଲାଗିଥାଏ ।
(iv) ଏହି ହୁକ୍ ଉପରେ ବଳ ପ୍ରୟୋଗକରି ସ୍ତଂଟି ଟାଣିହୁଏ । ଟାଣି ହେବାବେଳେ ସିଂ ସହିତ ସଂଯୁକ୍ତ ଏକ ସୂଚକ ଖୋଳର ସ୍ବଚ୍ଛ ଅଂଶରେ ରହିଥ‌ିବା ସ୍କେଲ୍ ତଳେ ଗତିକରି ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ରହେ, ସେହି ସ୍ଥାନରେ ପାଠ୍ୟଙ୍କ (Reading) ରୁ ପ୍ରଯୁକ୍ତ ବଳର ପରିମାଣ ଜାଣିହୁଏ । ଖୋଳ ଉପରେ ଥ‌ିବା ସ୍କେଲ୍‌ଟି ବଳର ଏକକ ଦ୍ବାରା ଅଂଶାଙ୍କିତ ହୋଇଥାଏ ।
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ 1

→ ଘର୍ଷଣ : ଆମର ବନ୍ଧୁ ଏବଂ ଶତ୍ରୁ (Friction : A necessary Evil):
ଅନେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଘର୍ଷଣ ବନ୍ଧୁ ପରି ଆମ କାର୍ଯ୍ୟରେ ସହାୟତା କରେ ଏବଂ ଆଉ କେତେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଏହା ଆମର ଶତ୍ରୁତୁଲ୍ୟ କିଛି କ୍ଷତି ମଧ୍ଯ ସାଧନ କରିଥାଏ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

→  ଘର୍ଷଣ ଆମର ବନ୍ଧୁ:
ନିମ୍ନ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଘର୍ଷଣ ଆମକୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିଥାଏ:
(i) ଘର୍ଷଣ ନଥିଲେ ଚାଲିବା ସମ୍ଭବ ହୁଅନ୍ତା ନାହିଁ । ଆମେ ଗୋଟିଏ ପାଦ ସ୍ଥିର ରଖ୍ ଅନ୍ୟ ପାଦଟି ଆଗକୁ ପକାଇଥାଉ । ଭୂମି ଓ ପାଦ ମଧ୍ୟରେ ଥ‌ିବା ଘର୍ଷଣ ବଳ ଯୋଗୁଁ ଗୋଟିଏ ପାଦ ସ୍ଥିର ରହିଲେ ହିଁ ଅନ୍ୟ ପାଦଟି ଆଗକୁ ପକାଇ ହୁଏ । ସେଥ୍ପାଇଁ ପାଣି କିମ୍ବା ତେଲ ପଡ଼ିଥିବା ରାସ୍ତାରେ ଘର୍ଷଣ କମିଯିବାରୁ ଚାଲିଲାବେଳେ କିମ୍ବା ଗାଡ଼ି ଚପଲ ଇତ୍ୟାଦିର ସୋଲ୍ ମଧ୍ୟ ଏହିପରି ଘୋରି ହୋଇ ଶୀଘ୍ର ନଷ୍ଟ ହୁଏ ।
(ii) କାଗଜ ଓ କଲମ ମଧ୍ୟରେ କିଛି ଘର୍ଷଣ ନଥିଲେ କାଗଜ ଉପରେ ଲେଖ୍ ହୁଅନ୍ତା ନାହିଁ ।
(iii) କଳାପଟାଟି ପୂରାପୂରି ଚିକ୍କଣ ନ ହୋଇ ଟିକିଏ ଖଦଡ଼ିଆ ଥିଲେ ଚକ୍ ଦ୍ଵାରା ସେଥ‌ିରେ ଭଲ ଲେଖ୍ ହୁଏ ।
(iv) କାନ୍ଥ ଓ ଲୁହାକଣ୍ଟା ମଧ୍ୟରେ କିଛି ଘର୍ଷଣ ରହିଥିଲେ ହିଁ କଣ୍ଟାଟି କାନ୍ଥରେ ପୋତି ହୁଏ ।
(v) ଦିଆସିଲି କାଠିକୁ ଦିଆସିଲି ବାକ୍ସରେ ଘଷିବାବେଳେ ଉଭୟ ମଧ୍ୟରେ ଥ‌ିବା ଘର୍ଷଣ ବିରୁଦ୍ଧରେ କିଛି କାର୍ଯ୍ୟ କରିବାକୁ ପଡ଼େ । ସେହି କାର୍ଯ୍ୟ ଉତ୍ତାପ ଜାତକରି ଦିଆସିଲି କାଠିଟିକୁ ଜଳିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରେ ।
(vi) ଗାଡ଼ିର ଚକ ଓ ରାସ୍ତା ମଧ୍ୟରେ ଥିବା ଘର୍ଷଣ ବଳ ଯୋଗୁଁ ଗାଡ଼ିଟି ଖସି ନଯାଇ ଠିକ୍ ଭାବରେ ଚାଲେ । ସେଥିପାଇଁ ଏହାକୁ ଇଚ୍ଛାନୁସାରେ ଧୀରେ କିମ୍ବା ଅଧ‌ିକ ଗତିରେ ଚଳାଇ ହୁଏ ।
(vii) ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ଶୀତ ସକାଳେ ଦୁଇହାତ ପାପୁଲି ଘଷିଲେ ଉଷୁମ ଲାଗେ ।
(viii) ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ହିଁ ଦଉଡ଼ିରେ କିମ୍ବା ସୂତାରେ ଗଣ୍ଠି ପକାଇ ହୁଏ ।

→  ଘର୍ଷଣ ଆମର ଶତ୍ରୁ :
ନିମ୍ନ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ଅସୁବିଧା ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ । :
(i) ଆବଡ଼ାଖାବଡ଼ା ରାସ୍ତାରେ ଚାଲିବା କିମ୍ବା ସାଇକେଲ୍‌ ଚଳାଇବା ପାଇଁ କଷ୍ଟ ହୋଇଥାଏ । ରାସ୍ତା ଓ ପାଦ କିମ୍ବା ରାସ୍ତା ଓ ସାଇକେଲ୍ ଟାୟାର୍ ମଧ୍ୟରେ ଅଧ‌ିକ ଘର୍ଷଣ ଏହାର କାରଣ । ଏହାଦ୍ବାରା ସାଇକେଲ୍ ଟାୟାର ଚଞ୍ଚଳ ଘୋରି ହୋଇଯାଏ ଓ ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ଯନ୍ତ୍ରାଂଶ ମଧ୍ୟ ପରସ୍ପର ସହିତ ଅଧ୍ଵ ଘଷି ହୋଇ ଶୀଘ୍ର ନଷ୍ଟ ହୁଏ । ଯୋତା ଓ ଚପଲ ଇତ୍ୟାଦିର ସୋଲ୍ ମଧ୍ଯ ଏହିପରି ଘୋରି ହୋଇ ଶୀଘ୍ର ନଷ୍ଟ ହୁଏ ।
(ii) ଅଧିକ ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ବିଭିନ୍ନ ଯନ୍ତ୍ରରେ ଲାଗିଥିବା ସ୍କୁ, ଗାଡ଼ି, ମଟର ଇତ୍ୟାଦିରେ ଲାଗିଥିବା ନଟ୍ ଓ ବୋଲ୍ଟ, ଚକର ଅକ୍ଷ ଓ ଚକରେ ଖଞ୍ଜା ଯାଇଥିବା ବଲ୍, ବିୟରିଂ ଇତ୍ୟାଦି ଶୀଘ୍ର ନଷ୍ଟ ହୁଏ ।
(iii) ସାଇକେଲ, ଗାଡ଼ି-ମଟର ଓ ବିଭିନ୍ନ ଯନ୍ତ୍ରପାତିରେ ଧୂଳି ମଇଳା ଜମି ଅଧ‌ିକ ଘର୍ଷଣ ସୃଷ୍ଟି କରେ । ତେଣୁ ଆମେ ବ୍ୟବହାର କରୁଥିବା ସାଇକେଲ୍, ସ୍କୁଟର ଇତ୍ୟାଦି ନିୟମିତ ଭାବେ ପୋଛାପୋଛି ଓ ନୂଆଧୋଇ କରି ପରିଷ୍କାର ରଖୁବା ଉଚିତ୍ । ବିଭିନ୍ନ ଯନ୍ତ୍ରପାତି ଓ ଗାଡ଼ି, ମଟର ଇତ୍ୟାଦି ଠିକ୍ ସମୟରେ ସର୍ଭିସିଙ୍ଗ୍ କରିବା ଉଚିତ୍ ଏବଂ ଉଚିତ ।
(iv) କ୍ୟାରମ୍ଭ ବୋର୍ଡ଼ ପାଲିସ୍ ନଥାଇ ଖଦଡ଼ିଆ ଥିଲେ କ୍ୟାରମ୍ ଖେଳିବାବେଳେ ଅସୁବିଧା ହୋଇଥାଏ । ସେଥ‌ିପାଇଁ ଆମେ ମଝିରେ ମଝିରେ ପାଉଡ଼ର ବିଖ୍ ବୋର୍ଡ଼କୁ ପାଲିସ୍ କରିଥାଉ ।

→  ଘର୍ଷଣ ବୃଦ୍ଧି ଓ ହ୍ରାସ ପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା (Increasing and Reducing Friction) –
ଦୈନନ୍ଦିନ ଜୀବନରେ ବ୍ୟବହାର କରିଥିବା କେତେକ ଜିନିଷରେ ଘର୍ଷଣ ବଢ଼ାଇବା ପାଇଁ ଏବଂ ଆଉ କେତେକ ଜିନିଷରେ ଘର୍ଷଣ କମାଇବାପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥାମାନ ଥାଏ ।

→ ଘର୍ଷଣ ବୃଦ୍ଧିପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା : କେଉଁ କେଉଁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଘର୍ଷଣ ବୃଦ୍ଧି ପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା ରହିଥାଏ :
(i) ଆମେ ପିନ୍ଧୁଥ‌ିବା ଜୋତା କିମ୍ବା ଚପଲର ସୋଲ୍‌ରେ କଟା କଟା ଚିହ୍ନ ଥାଏ, କାରଣ ସେଗୁଡ଼ିକ ରାସ୍ତା ଓ ଜୋତା ମଧ୍ୟରେ ଘର୍ଷଣ ବୃଦ୍ଧି ପାଇଁ କରାଯାଇଥାଏ । ତଦ୍ବାରା ଚାଲିବାବେଳେ ପାଦ ଖସିଯାଏ ନାହିଁ ।
(ii) ଉପରୋକ୍ତ କାରଣ ପାଇଁ ସାଇକେଲ୍, ସ୍କୁଟର, ମଟର ସାଇକେଲ୍, କାର୍, ବସ୍, ଟ୍ରାକ୍ଟର ଇତ୍ୟାଦିର ଟାୟାରଗୁଡ଼ିକର ପୃଷ୍ଠ କଟାକଟା ହୋଇଥାଏ । ତଦ୍ବାରା ସେହି ଯାନଗୁଡ଼ିକ ରାସ୍ତାରେ ଚାଲୁଥିବାବେଳେ ଚକ ଓ
(iii) ଚଳନ୍ତା ଯାନଗୁଡ଼ିକୁ ଦରକାରବେଳେ ଅଟକାଇବାପାଇଁ ସେ ସବୁର ବ୍ରେକ୍ ବ୍ୟବସ୍ଥାରେ ବ୍ରେକ୍ ଗଦି (Brakepad)
(iv) ଚକଟି ବୁଲୁଥିବାବେଳେ ବ୍ରେକ୍‌ରେ ଲାଗିଥ୍‌ ରବରଗଦି ଓ ସାଇକେଲ୍ ରିମ୍ ମଧ୍ୟରେ କିଛି ଫାଙ୍କ ଥାଏ । ହାତ ପାଖରେ ଥ‌ିବା ବ୍ରେକ୍‌କୁ ସାଇକେଲ୍‌ର ହ୍ୟାଣ୍ଡଲ୍ ଆଡ଼କୁ ଦବାଇବା ଦ୍ଵାରା ରବର ଗଦିଟି ରିମ୍‌ରେ ଘଷିହୋଇ ଏହାର ଗତି କମାଇ ଥାଏ। ବ୍ରେକ୍ ଛାଡ଼ିଦେଲେ ସାଇକେଲ ପୂର୍ବପରି ଗଡ଼େ ।
(v) ଘର୍ଷଣ ବୃଦ୍ଧିପାଇଁ କବାଡ଼ି ଖେଳାଳିମାନେ ସେମାନଙ୍କ ହାତ ପାପୁଲି ଥରକୁ ଥର ମାଟିରେ ଘଷୁଥାଆନ୍ତି । ତଦ୍ବାରା ପ୍ରତିଯୋଗିତାରେ ସେମାନଙ୍କର ହାତ ପାପୁଲିରେ ଏକ ପ୍ରକାର ଖଦଡ଼ିଆ ପଦାର୍ଥ ଲଗାଇଥାଆନ୍ତି ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

→ ଘର୍ଷଣ ହ୍ରାସପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା : କେଉଁ କ୍ଷେତ୍ରରେ କାହିଁକି ଓ କିପରି ଘର୍ଷଣ କମାଇବାପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା କରାଯାଇଥାଏ :
(i) କଲାପରେ ଯୋଡ଼ା ହୋଇଥ‌ିବା ସନ୍ଧି ସ୍ଥଳରେ ଧୂଳି, ମଇଳା ଜମି କିମ୍ବା ଘୋରି ହୋଇ ଘର୍ଷଣ ଅଧିକ ହୁଏ । ଅଧ‌ିକ ଘର୍ଷଣ ଯୋଗୁଁ ସେସବୁ ନଷ୍ଟ ହୋଇଯିବାର ସମ୍ଭାବନା ଥାଏ । ତେଣୁ ସେ ସମସ୍ତ ସ୍ଥାନରେ ତେଲ, ଗ୍ରୀଜ୍ ତେଲ, ଗ୍ରୀଜ୍, ଗ୍ରାଫାଇଟ୍, ପାଉଡ଼ର ଇତ୍ୟାଦି ଘର୍ଷଣ ହ୍ରାସକ ପଦାର୍ଥ ଅଟେ ।
(ii) କ୍ୟାରମ୍ ବୋର୍ଡ଼ ଓ କ୍ୟାରମ୍ ଡଟ୍ ମଧ୍ୟରେ ଘର୍ଷଣ କମାଇବା ପାଇଁ କ୍ୟାରମ୍ ବୋର୍ଡ଼ରେ ବୋରିକ୍ ପାଉଡ଼ର ପକାଯାଇଥାଏ ।
(iii) ପୃଷ୍ଠତଳକୁ ଅଧିକ ପାଲିସ୍ କରିବା ଦ୍ବାରା ଏହା ଅଧ୍ଵରୁ ଅଧ୍ଵ ମସୃଣ ହେବାରୁ ଘର୍ଷଣ କମିଥାଏ ।
(iv) ଗତିକରୁଥିବା ଯାନମାନଙ୍କରେ ଘର୍ଷଣ କମାଇଲେ ବେଗ ବୃଦ୍ଧି ପାଏ । ସେଥ‌ିପାଇଁ ଗାଡ଼ି ଗୁଡ଼ିକରେ ଓ କାରଖାନାରେ ଥ‌ିବା କେତେକ ଯନ୍ତ୍ରରେ ଚକ ଲାଗିଥାଏ । ବାକ୍‌ସ ଓ ଆଟାଚି ଇତ୍ୟାଦିରେ ଛୋଟ ଛୋଟ ଚକ ଲଗାଇଲେ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ନ ଘୋଷାରି, ସହଜରେ ଗଡ଼ାଇ ନେଇହୁଏ ।
(v) ଓଜନିଆ ମେସିନ୍‌ଗୁଡ଼ିକୁ ସିଲିଣ୍ଡରାକୃତି କାଠଗଣ୍ଡି କିମ୍ବା ଲୁହା ପାଇପ୍ ଉପରେ ରଖ୍ ସହଜରେ ଗୋଟିଏ ସ୍ଥାନରୁ ଅନ୍ୟ ସ୍ଥାନକୁ ନେଇହୁଏ । ଏକ ବସ୍ତୁ ଅନ୍ୟ ଏକ ପୃଷ୍ଠ ଉପରେ ଗଡ଼ିବାବେଳେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ଘର୍ଷଣ ବଳକୁ ଗଡ଼ାଣି
ଲାଗିଥାଏ । ପିଚୁରାସ୍ତା ତିଆରି ବେଳେ ବଡ଼ ଲୁହା ରୋଲର୍ ଗଡ଼ାଇ ରାସ୍ତା ତିଆରି ଓ ସମାନ କରାଯାଏ ।
(vi) ଆଟାଚି ଓ ଲଗେଜ୍ ବାକ୍ସଗୁଡ଼ିକରେ ଚକ ଲାଗିଥିଲେ ସେଗୁଡ଼ିକ ଟେକି ଟେକି ନେବା ଅପେକ୍ଷା ଗଡ଼ାଇ ଗଡ଼ାଇ ନେବା ସହଜ ହୁଏ ।
(vii) ଶଗଡ଼, ସାଇକେଲ୍, ମଟରଗାଡ଼ି, ଇତ୍ୟାଦିରେ ଚକ ଲାଗିଥିବାରୁ ସେ ସବୁ ଅଳ୍ପ ବଳ ପ୍ରୟୋଗ ଦ୍ୱାରା ଶୀଘ୍ର ଗତି କରିପାରନ୍ତି; କାରଣ ଏଗୁଡ଼ିକରେ ଚକଥିବା ଯୋଗୁଁ ଘର୍ଷଣ ବଳର ପରିମାଣ କମିଯାଏ ।

ଗଡ଼ୁଥିବା ଘର୍ଷଣ (Rolling Friction) ସ୍ଲାଇଡିଂ ଘର୍ଷଣ (Sliding Friction) ବହୁତ କମ୍ ହୋଇଥ‌ିବାରୁ କଳକାରଖାନା ଓ ଅଧିକାଂଶ ସ୍ଥାନରେ ଚକ ଲଗାଯାଇଥାଏ ।

(viii) ଚକଗୁଡ଼ିକ ଅକ୍ଷ ଚାରିପଟେ ସହଜରେ ବୁଲିବା ପାଇଁ ବଲ୍‌ ଓ ବିୟରିଂ ବ୍ୟବସ୍ଥା ରହିଥାଏ । ଅନେକ ଯନ୍ତ୍ରରେ

→ ତରଳ ଘର୍ଷଣ (Fluid Friction) :
(i) ବିଜ୍ଞାନରେ ଉଭୟ ତରଳ ଓ ଗ୍ୟାସୀୟ ପଦାର୍ଥକୁ ପ୍ରବହ (Fluid) କହନ୍ତି ।
(ii) ଗତିଶୀଳ ବସ୍ତୁଟି ଉପରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ହୋଇଥାଏ । ଏହାକୁ ସାଧାରଣ ଭାବେ ପ୍ରବହ ଘର୍ଷଣ (Fluid friction) କୁହାଯାଏ ।
(iii) ପ୍ରବହ ମଧ୍ୟରେ ଗତିକରୁଥିବା ବସ୍ତୁ ଉପରେ କ୍ରିୟାଶୀଳ ଘର୍ଷଣ ବଳକୁ ଡ୍ରଗ୍ (Drag) ମଧ୍ୟ କହନ୍ତି । ପ୍ରବହ ଘର୍ଷଣ ନିମ୍ନଲିଖ୍ କେତେକ କାରକ ଉପରେ

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ

→ ନିର୍ଭର କରେ । ଯଥା –
(a) ପ୍ରବହ ମଧ୍ୟରେ ବସ୍ତୁର ବେଗ
(b) ବସ୍ତୁର ଆକୃତି
(c) ପ୍ରବହର ପ୍ରକୃତି ବା ଧର୍ମ
(iv) ପ୍ରବହ ମଧ୍ୟରେ ଗତିଶୀଳ ହେବାପାଇଁ ବସ୍ତୁମାନଙ୍କୁ ପ୍ରବହ ଘର୍ଷଣ ଅତିକ୍ରମ କରିବାକୁ ପଡ଼େ । ତଦ୍ବାରା ଗତିଶୀଳ ବସ୍ତୁଟିର କିଛି ଶକ୍ତି ହ୍ରାସ ପାଏ ।
(v) ପ୍ରବହ ( ଗ୍ୟାସୀୟ କିମ୍ବା ତରଳ ମାଧ୍ୟମ) ମଧ୍ୟରେ ଗତିଶୀଳ ବସ୍ତୁଗୁଡ଼ିକ ଯଥାର୍ଥ ଆକୃତି ପ୍ରଦାନ କଲେ ପ୍ରବହ ଘର୍ଷଣ କମ୍ କରିହୁଏ ।
(vi) ପକ୍ଷୀ, ମାଛ ଓ କଇଁଛମାନେ ଚଳପ୍ରଚଳ ପାଇଁ ପ୍ରକୃତିରୁ ଦାନ ସୂତ୍ରରେ ସେହିଭଳି ଭାବେ ଶରୀର ପାଇଥାନ୍ତି । ବୈଜ୍ଞାନିକମାନେ ପ୍ରକୃତିରୁ ଏହି ସୂଚନାଟି ପାଇ ସେହିପରି ଆକୃତି ବିଶିଷ୍ଟ ଉଡ଼ାଜାହାଜ, ହେଲିକପ୍ଟର ଇତ୍ୟାଦି କମିଯାଏ । ତେଣୁ ଯାନଟିର ଗତିପାଇଁ ଅଳ୍ପ ଶକ୍ତି ବିନିଯୋଗ କରିବାକୁ ପଡ଼େ କମିଯାଏ । ତେଣୁ ଯାନଟିର ଗତିପାଇଁ ଅଳ୍ପ ଶକ୍ତି ବିନିଯୋଗ କରିବାକୁ ପଡ଼େ ।

→ ବିଷୟଭିତ୍ତିକ ଶବ୍ଦାବଳୀ :
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 12 ଘର୍ଷଣ 2

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ

Odisha State Board BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ will enable students to study smartly.

BSE Odisha Class 8 Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ

→ ଉପକ୍ରମ :
ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଏକ ଶକ୍ତି । ଏହାଦ୍ଵାରା ଘର ଆଲୋକିତ ହେବା, ଯନ୍ତ୍ର ଚାଲିବା, ଫ୍ୟାନ୍ ଘୂରିବା ଇତ୍ୟାଦି କାର୍ଯ୍ୟ କରାଯାଏ । ବୈଦ୍ୟୁତିକ ଉପକରଣ – ଗୁଡ଼ିକର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ସମୟରେ ଏହାକୁ ଧରିବା ବା ଛୁଇଁବା ମନା ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବ୍ୟବହାର ସମୟରେ କିଛି ସାବଧାନତା ଅବଲମ୍ବନ କରିବା ଉଚିତ । ଉପକରଣଗୁଡ଼ିକ ଏବଂ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଉତ୍ସ ଏକ ତାର ଦ୍ଵାରା ସଂଯୁକ୍ତ ହୋଇଥାଏ । ଏହି ତାର ଏକ ଆବରଣ ଦ୍ଵାରା ଆଚ୍ଛାଦିତ ହୋଇଥାଏ ।

ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଆଧୁନିକ ବିଜ୍ଞାନର ମାନବ ସମାଜକୁ ଏକ ଯୁଗାନ୍ତକାରୀ ଅବଦାନ ।

→ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ଓ କୁପରିବାହୀ :
(i) ଯେଉଁ ପଦାର୍ଥ ମଧ୍ୟଦେଇ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବାହିତ ହୋଇପାରେ, ତାହାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ (Good conductor of electricity) କହନ୍ତି । ଉଦାହରଣସ୍ୱରୂପ, ତମ୍ବା, ଆଲୁମିନିୟମ୍ ଆଦି ସମସ୍ତ ଧାତବ ପଦାର୍ଥ ଏବଂ ଅଧାତୁ ମଧ୍ୟରେ ଗ୍ରାଫାଇଟ୍ ମଧ୍ୟ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ।
(ii) ଯେଉଁ ପଦାର୍ଥ ମଧ୍ୟଦେଇ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବାହିତ ହୋଇପାରେ ନାହିଁ, ତାହାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ କୁପରିବାହୀ (Poor conductor of electricity) କୁହାଯାଏ । ଉଦାହରଣସ୍ୱରୂପ, ସମସ୍ତ ଅଧାତୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍‌ର କୁପରିବାହୀ । ରଦର, କାଚ, ଶୁଖୁଲା କାଠ, ଇବୋନାଇଟ୍ ଆଦି ବିଦ୍ୟୁତ୍ କୁପରିବାହୀ ଅଟେ !

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ

→ ତରଳ ମାଧ୍ୟମରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବହନ (Flow of Electricity through Liquids) :

ତୁମପାଇଁ କାମ :
ସାଧାରଣ ଟେଷ୍ଟରରେ କଠିନ ଓ ତରଳ ଉଭୟ ମାଧ୍ୟମରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବହନ ବିଷୟରେ ଜାଣିବା ।

ଆବଶ୍ୟକୀୟ ଉପକରଣ :
(i) ନୂଆ ଶୁଷ୍କ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବ୍ୟାଟେରୀ
(ii) ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ଦ୍ବାରା ଆବୃତ୍ତ ତିନିଖଣ୍ଡ ତାର
(iii) ଗୋଟିଏ ଟର୍ଚ୍ଚ ଲାଇଟ୍ ବଲବ୍

→ (b) ସଜିକରଣ :
(i) ଗୋଟିଏ ତାର ଦ୍ବାରା ବ୍ୟାଟେରୀର ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତକୁ ଏବଂ ଅନ୍ୟ ଗୋଟିଏ ତାରକୁ ବ୍ୟାଟେରୀର ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତକୁ ସଂଯୋଗ କରି ରଖାଯାଉ ( ରବର ବ୍ୟାଣ୍ଡ୍‌ ସାହାଯ୍ୟ ନିଅ) ।
(ii) ଗୋଟିଏ ତାରର ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତ ଟର୍ଚ୍ଚିଲାଇଟ ବଲବ୍‌ର ଗୋଟିଏ ମେରୁ ସହ ସଂଯୋଗ କରି ରଖାଯାଉ ଏବଂ ଅନ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତଟିକୁ ଝୁଲାଇ ଦିଆଯାଉ ।
(iii) ଟର୍ଚ୍ଚଲାଇଟ୍ ବଲ୍‌ବର ଅନ୍ୟ ମେରୁକୁ ଆଉଖଣ୍ଡେ ତାର ଯୋଡ଼ି ଝୁଲାଇ ରଖାଯାଉ ।
(iv) ଝୁଲି ରହିଥ‌ିବା ତାର ଦୁଇଟି ଟେଷ୍ଟରର ଦୁଇ ଅଗ୍ର ରୂପେ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବେ ।
(v) ବ୍ୟାଟେରୀର ଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ରସହ ସଂଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ରଟି ଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ର ଏବଂ ଅନ୍ୟଟି ବିଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ର ।

→ ପରୀକ୍ଷଣ
(i) ଗୋଟିଏ ଶୁଷ୍କ ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ୍ ଠିପିରେ କିଛି ଭିନେଗାର କିମ୍ବା ଲେମ୍ବୁରସ ନିଆଯାଉ ।
(ii) ପଦାର୍ଥରେ ବୁଡ଼ାଯାଉ, ଯେପରିକି ଅଗ୍ରଦ୍ଵୟ ମଧ୍ୟରେ ବ୍ୟବଧାନ ପ୍ରାୟ 1 ସେ.ମି. ରହିବ ।
(iii) ଟେଷ୍ଟରର ଅଗ୍ରଦ୍ଵୟ 5-10 ସେକେଣ୍ଡ ପାଇଁ ବୁଡ଼ାଇ ରଖାଯାଉ ।
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→ ପର୍ଯ୍ୟବେକ୍ଷଣ :
ଏଠାରେ ଲେମ୍ବୁରସ ଓ ଭିନେଗାର୍ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ଏବଂ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିପଥ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ହେଲେ ମଧ୍ୟ ବଲ୍‌ବ ଜଳିବ ନାହିଁ ।

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→ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ :
(i) ତରଳ ମଧ୍ୟଦେଇ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଥିଲେ ମଧ୍ୟ ଏହାର ପରିମାଣ ଖୁବ୍ କମ୍ ହୋଇଥିବାରୁ ବଲବଟି ଜଲିଲା ନାହି ।
(ii) ତୁମାନଙ୍କ ପରି ଲେମ୍ବୁରସ କିମ୍ବା ଭିନେଗାର ମଧ୍ୟଦେଇ ଅଧ୍ଵକମାତ୍ରାରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ହୁଏ ନାହିଁ । ତେଣୁ ପରିପଥ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ହେଲେ ବି ବଲ୍‌ବଟି ଜଳିପାରେ ନାହିଁ ।
(iii) ସୁତରାଂ ଟେଷ୍ଟର କମ୍ ପରିମାଣର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରେ ନାହିଁ ।

→ କମ୍ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିବା ବଲ୍‌ :
(i) ଟର୍ନବଲ୍‌ବ ବଦଳରେ ଏଲ୍.ଇ.ଡି. ବା LED (Light Emitting Diode) ବଲ୍‌ବ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଏ । LED ବଲ୍‌ବ ସାଧାରଣତଃ ଟର୍ଚ୍ଚ ବଲ୍‌ବ ଅପେକ୍ଷା କମ୍ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରେ ।
(ii) LED ବଲ୍‌ବର ଦୁଇଟି ତାର ବାହାରିଥାଏ । ଏଗୁଡ଼ିକୁ ଲିଡ୍‌ସ୍‌ (Leads) କୁହାଯାଏ । ଗୋଟିଏ ଲିଡ୍ ଟିକିଏ ବଡ଼ ଓ ଅନ୍ୟଟି ଟିକିଏ ଛୋଟ ।
(iii) LED ବଲ୍‌ବ ପରିପଥରେ ଲଗାଇବାବେଳେ ସବୁବେଳେ ଲମ୍ବା ଲିଡ୍‌ଟିକୁ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଅଗ୍ର ସହ ସଂଯୋଗ କରାଯାଏ ।
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→ 2. ଟେଷ୍ଟର ତିଆରି ପାଇଁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ଚୁମ୍ବକୀୟ ପ୍ରଭାବ :
(i) ଗୋଟିଏ ଦିଆସିଲିର ଭିତର ଖାଲି ଡ଼ବାଟି ସଂଗ୍ରହ କର । ତା’ ଚାରିପଟେ ଖଣ୍ଡେ ପରିବାହୀ ତାରର କିଛି ଘେରା ଗୁଡ଼ାଯାଉ ଏବଂ ତା’ ଉପରେ ଏକ କ୍ଷୁଦ୍ର ସୂଚୀଚୁମ୍ବକ ରଖାଯାଉ ।
(ii) ଗୁଡ଼ାଯାଇଥିବା ପରିବାହୀ ତାରର ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସେଲ୍‌ର ଗୋଟିଏ ଅଗ୍ର ସହ ଛାଡ଼ିଦିଆଯାଉ । ଏହା ଟେଷ୍ଟର୍‌ର ଗୋଟିଏ ଅଗ୍ର ରୂପେ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବ ।
(iii) ଆଉଖଣ୍ଡେ ପରିବାହୀ ତାରର ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତ କୁ ସେଲ୍ ର ଦ୍ଵିତୀୟ ଅଗ୍ର ସହ ଯୋଡ଼ାଯାଉ । ସେହି ତାରର ଅନ୍ୟ ଅଗ୍ରଟି କରିବ ।
(iv) ବର୍ତ୍ତମାନ ଟେଷ୍ଟର୍‌ର ଖୋଲା ଅଗ୍ରକୁ ମୁହୂର୍ତ୍ତକ ପାଇଁ ଯୋଡ଼ିଦିଆଯାଉ ।
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→ ପର୍ଯ୍ୟବେକ୍ଷଣ :
ପାଇଁ ଯୋଡ଼ିଦିଆଯାଉ ।
ଏଥିରୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଜଣାପଡ଼ିଲା ଯେ ପ୍ରସ୍ତୁତ ଟେଷ୍ଟରଟି ଠିକ୍ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଛି ।
ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୁ ଓ ବିଦ୍ୟୁତ୍ କୁପରିବାହୀ :
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ଯଦି ସୂଚୀ ଚୁମ୍ବକରେ ବିକ୍ଷେପ ଭଲ ଭାବରେ ଜଣାପଡ଼ିବ ନାହିଁ, ତେବେ ଟର୍ଚ୍ଚ ବଲ୍‌ବ୍‌ ବଦଳରେ ଗାଲଭାନୋମିଟର ଦିଆଯାଇପାରିବ ।
(i) ଟେଷ୍ଟରର ଦୁଇ ଅଗ୍ର ପରସ୍ପରକୁ ଆପେ ଆପେ ସ୍ପର୍ଶ କରନ୍ତି ନାହିଁ । ସେଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ଏକ ବାୟୁ ମାଧ୍ୟମ ଥାଏ ।
(ii) ବାୟୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍‌ର କୁପରିବାହୀ; ମାତ୍ର ଘଡ଼ଘଡ଼ି ଓ ବିଜୁଳି ମାରିବାବେଳେ ଚାର୍ଜ ବାୟୁ ମାଧ୍ୟମରେ ଗତି କରିଥାଏ । ବାୟୁରେ ଥ‌ିବା ଗ୍ୟାସୀୟ ଅଣୁଗୁଡ଼ିକ ଅତ୍ଯୁଚ୍ଚ ଭୋଲ୍ଟେଜ୍‌ରେ ଭାଙ୍ଗି ଆୟନରେ ପରିଣତ ହେବା ଯୋଗୁଁ ଏପରି ଘଟିଥାଏ ।
(iii) ଏହିଭଳି କେତେକ କୁପରିବାହୀ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ପରିସ୍ଥିତିରେ କିଛି ମାତ୍ରାରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବହନ କରନ୍ତି । କେତେକ ତରଳ ଅଧିକାଂଶ ପଦାର୍ଥ ଅଳ୍ପମାତ୍ରାରେ ହେଲେ ବି ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବହନ କରନ୍ତି ।
(iv) ପାତିତ ଜଳ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ନୁହେଁ; ମାତ୍ର ଲୁଣ ଦ୍ରବଣ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ।
(v) ଯେଉଁ ଜଳ ଆମେ ନଦୀ, ନାଳ, ପୋଖରୀ, ପାଣିଟ୍ୟାପ୍ ଆଦିରୁ ପାଉ, ତାହା ବିଶୁଦ୍ଧ ନୁହେଁ । ସେଥ୍ରେ ଅନେକ
ସୁପରିବାହୀ ଅଟନ୍ତି । ପାତିତ ଜଳରେ ଧାତବଲବଣ ନଥ‌ିବାରୁ ଏହା ବିଦ୍ୟୁତ୍ କୁପରିବାହୀ ।
(vi) ଯେଉଁ ତରଳ ବା ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ୟଦେଇ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ହୁଏ । ସେଗୁଡ଼ିକୁ ସାଧାରଣତଃ କୌଣସି ଅମ୍ଳ କିମ୍ବା ଲବଣ ବା କ୍ଷାରର ଜଳୀୟ ଦ୍ରବଣ କହନ୍ତି । ତେଣୁ ଚିନି ଦ୍ରବଣ ଅମ୍ଳ, ଲବଣ ବା କ୍ଷାର ହୋଇ ନଥିବାରୁ ତାହା ସୁପରିବାହୀ ନୁହେଁ ।

→ Electric ଦ୍ୟୁତିକ କରେଣ୍ଟର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ (Chemical Effects of Electric Current):
ତୁମ ପାଇଁ କାମ :
1. ଆବଶ୍ୟକୀୟ ଉପକରଣ :
(i) ଦୁଇ ଇଞ୍ଚ ଲମ୍ବ ବିଶିଷ୍ଟ ଦୁଇଟି ଲୁହାକଣ୍ଟା
(ii) ଦୁଇଟି ପରିବାହୀ ତାର
(iii) ବିକର
(iv) ଜଳ
(v) ଲୁଣ

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→ 2. ସଜ୍ଜିକରଣ :
(i) ଦୁଇଟି ଦୁଇ ଇଞ୍ଚ ଲମ୍ବବିଶିଷ୍ଟ ଦୁଇଟି ନୂଆ ଲୁହାକଣ୍ଟା ନିଆଯାଉ ।
(ii) ଲୁହାକଣ୍ଟାର ଟୋପି ଥ‌ିବା ଅଗ୍ରରେ ଖଣ୍ଡେ ଲେଖାଏଁ ପରିବାହୀ ତାରର ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତକୁ ଗୁଡ଼ାଯାଉ ।
(iii) ପରିବାହୀ ତାର ଦ୍ୱୟର ଅନ୍ୟପ୍ରାନ୍ତଗୁଡ଼ିକୁ ଯଥାକ୍ରମେ ଗୋଟିଏ ଶୁଷ୍କ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସେଲ୍‌ର ଯୁକ୍ତ ଓ ବିଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ରସହ ଯୋଡ଼ି ଦିଆଯାଉ ।
(iv) ସେଲ୍‌ର ଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ରସହ ସଂଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ରକୁ ଏନୋଡ଼ ଓ ବିଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ରସହ ସଂଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ରକୁ କ୍ୟାଥୋଡ୍ କୁହାଯାଏ ।
(v) ବର୍ତ୍ତମାନ ଗୋଟିଏ ବିକରରେ 50) ମି.ଲି. ଜଳ ନେଇ ସେଥ‌ିରେ ଏକ ଚାମଚ ଲୁଣ ମିଶାଯାଉ ।
(vi) ତା’ପରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ରଦ୍ଵୟକୁ ଲୁଣପାଣି ଦ୍ରବଣରେ 3-4 ମିନିଟ୍ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବୁଡ଼ାଇ ରଖାଯାଉ ।

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→ ପର୍ଯ୍ୟବେକ୍ଷଣ :
(i) ପରି କିଛି ଗ୍ୟାସ୍ ବାହାରୁଛି । (ବିଶୁଦ୍ଧ ଜଳ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବହନ କରିପାରେ ନାହିଁ ।)
(ii) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ଯରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଚାଲୁଥିବାବେଳେ କିଛି ରାସାୟନିକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ସଂଘଟିତ ହୁଏ ।
(iii) ଫଳରେ ଦୁଇ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ନିକଟରେ କିଛି ଗ୍ୟାସ୍ ନିର୍ଗତ ହୋଇଥାଏ । କେତେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ବିଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ରର ପୃଷ୍ଠତଳରେ କିଛି ଧାତବ ପଦାର୍ଥ ଜମାହୋଇପାରେ । ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣର ବର୍ଣ୍ଣ ବି ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୋଇପାରେ ।
(iv) ଘଟୁଥିବା ରାସାୟନିକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ରଦ୍ଵୟର ପ୍ରକୃତି ଓ ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣର ପ୍ରକୃତି ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ ।

1. 1800 ଖ୍ରୀଷ୍ଟାବ୍ଦରେ ଇଂରେଜ ବୈଜ୍ଞାନିକ William Nicholson (1753 – 1815) ତାଙ୍କ ଗବେଷଣାଗାରରେ ଅମ୍ଳୀକୃତ ଜଳ (acidified water)ରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ କରି ଦେଖ‌ିଲେ ଯେ ଜଳ ଭିତରେ ଥ‌ିବା ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ର ପାଖରେ କିଛି ବୁଦ୍‌ବୁଦ୍ (bubbles) ଦେଖାଗଲା । ପରୀକ୍ଷାରୁ ଜଣାପଡ଼ିଲା ଯେ ଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ର ପାଖରୁ ବାହାରୁଥ‌ିବା ଗ୍ୟାସ୍ ହେଉଛି ଅକ୍‌ସିଜେନ୍ ଓ ବିଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ର ପାଖରୁ ବାହାରୁଥିବା ଗ୍ୟାସ୍ ହେଉଛି, ହାଇଡ୍ରୋଜେନ୍ ।
2. ସେଲ୍‌ର ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଅଗ୍ରସହ ସଂଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ରକୁ ଏନୋଡ୍ (Anode) ଏବଂ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଅଗ୍ରସହ ସଂଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ରକୁ କ୍ୟାଥୋଡ୍ (Cathode) କୁହାଯାଏ ।
3. ବିଦ୍ୟୁତ୍-ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣ (Conducting solution) ମଧ୍ୟରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ଚାଲୁଥିବାବେଳେ କିଛି ରାସାୟନିକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ସଂଘଟିତ ହୁଏ । ପରିଣାମ ସ୍ବରୂପ ଦୁଇ ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ର ନିକଟରେ ବୁଦ୍‌ବୁଦ୍ ଆକାରରେ କିଛି ହୋଇପାରେ । ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣର ବର୍ଣ୍ଣ ବି ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୋଇପାରେ ।
4. ଓ ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣର ପ୍ରକୃତି ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ ।

→ ପନିପରିବାର ସୁପରିବାହିତା (Electroplating) :
ତୁମ ପାଇଁ କାମ :
(i) ଫାଳେ ବିଲାତି ଆଳୁ ନିଆଯାଉ ।
(ii) ଟେଷ୍ଟର୍‌ର ଦୁଇ ଅଗ୍ରକୁ ଆଳୁର ଦୁଇଟି ଜାଗାରେ
(iii) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ପ୍ରାୟ ଅଧଘଣ୍ଟା ଧରି

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BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ

→ ପର୍ଯ୍ୟବେକ୍ଷଣ :
(i) ଦେଖାଯିବ ଯେ ଟେଷ୍ଟର୍ ର ଗୋଟିଏ ଅଗ୍ରର ଚାରିପଟେ ଆଳୁ ଉପରେ ନୀଳମିଶ୍ରିତ ସବୁଜ ରଙ୍ଗର ଏକ ଦାଗ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି ।
(ii) ଟେଷ୍ଟର୍‌ରେ ଏହି ଅଗ୍ରଟି ଯୁକ୍ତ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ର ବା ଏନୋଡ୍ ।
(iii) ଏଥୁରୁ ପରିବାହିତା ସମ୍ବନ୍ଧରେ ଜାଣିବା ବ୍ୟତୀତ ଲୁକ୍‌କାୟିତ ସେଲ୍‌ର ଯୁକ୍ତ ଅଗ୍ର ଜାଣିହେବ ।
(iv) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ଯୋଗୁଁ ପନିପରିବାରେ ରାସାୟନିକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ ।

→ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିଶ୍ଳେଷଣ :
(i) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ୟରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ କରାଇଲେ ଦ୍ରବଣଟି ବିଯୋଜିତ ହୁଏ ।
(ii) ଦ୍ରବଣଟି ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସୁପରିବାହୀ ଥ‌ିବାରୁ ଏହାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିଶ୍ଳେଷ୍ୟ ଏବଂ ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିଶ୍ଳେଷଣ କୁହାଯାଏ ।

→ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରଲେପନ (Electroplating) :
(i) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିଶ୍ଳେଷଣ ପଦ୍ଧତିରେ ଏକ ଧାତବ ପଦାର୍ଥ ଉପରେ ଅନ୍ୟ ଏକ ଧାତୁର ପ୍ରଲେପ ଦେବା ପଦ୍ଧତିକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରଲେପନ କୁହାଯାଏ ।
(ii) ନୂଆ ସାଇକେଲ୍‌ର ରିମ୍ କିମ୍ବା ସୁନା ଲେପ ଦିଆଯାଇଥିବା ବ୍ରୋଞ୍ଜ ଚୁଡ଼ି, ଉଭୟ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଗୋଟିଏ ଧାତବ କାରଣରୁ ଛାଡ଼ିଗଲେ ଭିତରେ ଥ‌ିବା ଧାତବ ପଦାର୍ଥଟି ଦେଖାଯାଏ । ଦ୍ରବଣକୁ ମାଧ୍ୟମ ରୂପେ ନେବାକୁ ପଡ଼ିଥାଏ ।

→ ଇଲେକ୍ଟ୍ରୋପ୍ଲେଟିଂ ପ୍ରକ୍ରିୟା (Process of Electroplating) :
(i) ପ୍ରତ୍ୟେକ ପଦାର୍ଥରେ ଥ‌ିବା ଅଣୁ ମଧ୍ୟରେ ସମ ପରିମାଣରେ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଓ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ ରହିଥାଆନ୍ତି । ତେଣୁ ପରମାଣୁର ମୋଟ ଚାର୍ଜ ଶୂନ ହୁଏ ।
(ii) ପ୍ରତ୍ୟେକ ଅଣୁର ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ ଥ‌ିବାଅଂଶକୁ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଆୟନ୍ (Positive ion) କୁହାଯାଏ ।
(iii) କପର୍‌ସଲ୍‌ଫେଟ୍ ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ଯରେ ଏହାର ଅଣୁ ସବୁ ଭାଙ୍ଗି ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ କପର ଓ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ସଲ୍‌ଫେଟ୍‌ରେ ପରିଣତ ହୁଅନ୍ତି । ଏଥ‌ିପାଇଁ ଉକ୍ତ ଦ୍ରବଣ ବିଦ୍ୟୁତ୍‌ର ସୁପରିବାହୀ ହୋଇଥାଏ । ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ଯରେ ଅଣୁମାନଙ୍କର ଏପରି ବିଭାଜନକୁ ବିଯୋଜନ (Dissociation) କୁହାଯାଏ ।
(iv) ଏଥିରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ଥିବାବେଳେ ମୁକ୍ତ ଭାବରେ ଥିବା କପର୍ ଆୟନଗୁଡ଼ିକ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ହୋଇଥିବାରୁ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଅଗ୍ର ଆଡ଼କୁ ଆକର୍ଷିତ ହୋଇ ସେଠାରେ ଜମା ହୁଅନ୍ତି; ଫଳରେ ଦ୍ରବଣରୁ କପର୍ ଆୟନର ଗାଢ଼ତା କମିଯାଏ ।
(v) ଏହି ସ୍ଥାନ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ କପର୍ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଅଗ୍ର ସମାନ ପରିମାଣର କପର୍ ଆୟନ ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ୟକୁ ଯୋଗାଇଥାଏ; ଫଳରେ ଦ୍ରବଣରେ କପର୍ ଆୟନର ଗାଢ଼ତା ଅପରିବର୍ତିତ ରହେ ଓ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ଥ‌ିବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପ୍ରଲେପନ ଜାରି ରହେ ।
(vi) ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ରରୁ କପର୍ ଆୟନ୍ ଦ୍ରବଣ ମଧ୍ଯରେ ମିଶିବାବେଳେ ସେହି ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ରରେ ସମପରିମାଣର ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ ଛାଡ଼ି ଆସିଥାଏ । ପରିପଥରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହ ଯୋଗୁଁ ଏହି ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ଚାର୍ଜ ଯୁକ୍ତାତ୍ମକ କପର୍ ଆୟନ୍ ସହ ମିଶି ବିଦ୍ୟୁତ୍ ନିରପେକ୍ଷ କପର୍ ଆକାରରେ ବିଯୁକ୍ତାତ୍ମକ ବିଦ୍ୟୁଦଗ୍ରରେ ଜମାହୁଏ ।
(vii) ଧାତବଲବଣର ଦ୍ରବଣରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରବାହଦ୍ଵାରା ଉକ୍ତ ଧାତୁକୁ ପୃଥକ୍ କରି ଅନ୍ୟ ଏକ ଧାତୁ ଉପରେ ଜମା – କରିବା ପ୍ରକ୍ରିୟାକୁ ବିଦ୍ୟୁତ୍-ପ୍ରଲେପନ (Electro-plating) କହନ୍ତି । ଏହା ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ଗୋଟିଏ ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ ।

→ ଇଲେକ୍ଟ୍ରୋପ୍ଲେଟିଂର ପ୍ରୟୋଗଗୁଡ଼ିକ (Applications of Electroplating) :
(i) ଶିଳ୍ପକ୍ଷେତ୍ରରେ ଅନେକ ନିକୃଷ୍ଟ ଧାତୁ ଉପରେ ଉତ୍କୃଷ୍ଟ ଧାତୁର ପ୍ରଲେପ ଦେବାପାଇଁ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରଲେପନ ପ୍ରକ୍ରିୟା ବ୍ୟବହୃତ ହୁଏ । ଏତଦ୍‌ବ୍ୟତୀତ କଳଙ୍କି ଲାଗୁଥିବା ଧାତୁ ଉପରେ କଳଙ୍କି ଲାଗୁ ନଥ‌ିବା ଧାତୁର ପ୍ରଲେପ
(ii) ଏହାଦ୍ଵାରା ଧାତୁର ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ, ଔଜଲ୍ୟ ଓ ସ୍ଥାୟିତ୍ୱ ବୃଦ୍ଧି କରାଯାଇପାରେ । ଅନେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମୂଲ୍ୟବାନ୍ ଧାତୁର ବ୍ୟବହାରଜନିତ ଖର୍ଚ୍ଚକାଟ ପାଇଁ ଏହି ପଦ୍ଧତି ଫଳପ୍ରଦ ହୋଇଥାଏ ।
(iii) କ୍ରୋମିୟମ୍ ଧାତୁ ଚିକ୍ ଚିକ୍ କରେ । ତହିଁରେ କଳଙ୍କି ଧରେ ନାହିଁ । ଏହା ମଧ୍ୟ ଦାଗ ପ୍ରତିରୋଧକ; ମାତ୍ର ଏହାର
(iv) ସେଥ‌ିପାଇଁ ଲୁହାତିଆରି ସାଇକେଲ୍, ମଟର ସାଇକେଲ୍ ଇତ୍ୟାଦିର ହ୍ୟାଣ୍ଡଲ୍ ଓ ରିମ୍ ଉପରେ ବିଦ୍ୟୁତ୍-ବିଶ୍ଳେଷଣ ପଦ୍ଧତିରେ କ୍ରୋମିୟମ୍‌ର ଏକ ପତଳା ପ୍ରଲେପ ଦେଇ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଚକ୍ ଚକ୍ କରାଯାଏ । ତଦ୍ୱାରା ଖର୍ଚ୍ଚ କମ୍ ହୁଏ,
(v) ଏହି ପଦ୍ଧତିରେ ରୁପା କିମ୍ବା ସୁନାର ଲବଣରେ ଦ୍ରବଣ ତିଆରି କରି ଏହାର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ବିଶ୍ଳେଷଣ ଦ୍ବାରା ବ୍ରୋଞ୍ଜ ଚୁଡ଼ି ଉପରେ ରୁପା କିମ୍ବା ସୁନାର ପ୍ରଲେପ ଦିଆଯାଇପାରେ ।
(vi) ଟିଣ ଡବା ତିଆରି ପାଇଁ ଲୁହା ଉପରେ ଟିଣ ଧାତୁର ପ୍ରଲେପନ ଦିଆଯାଏ । ଟିଣ ଲୁହା ଅପେକ୍ଷା ମୂଲ୍ୟବାନ୍ ଓ
(vii) ଘରର ଗାଧୁଆଘର ପାଇପ୍, ରୋଷେଇ ଘର ପାଣି ପାଇପ୍‌ରେ ବ୍ୟବହୃତ ହେଉଥ‌ିବା ଲୁହାକୁ କଳଙ୍କିମୁକ୍ତ ରଖୁବାପାଇଁ ଲୁହାପାଇପ୍ ଉପରେ ଦସ୍ତାଧାତୁ ଲେପନ କରାଯାଇଥାଏ । ଏହି ପଦ୍ଧତିରେ ତିଆରି ପାଇପଗୁଡ଼ିକୁ ଜି.ଆଇ. (G.I. ବା Galvanised Iron) ପାଇପ୍ କୁହାଯାଏ ।

BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ

→ ପରିବେଶ ସମସ୍ୟା (Environmental Problems) :
(i) ବିଦ୍ୟୁତ୍ ପ୍ରଲେପନ କରାଯାଉଥ‌ିବା କାରଖାନାମାନଙ୍କରେ ବ୍ୟବହୃତ ପରିବାହୀ ଦ୍ରବଣ ଏକ ଆବର୍ଜନା ହୋଇଥିବାରୁ ଏହା ପରିବେଶକୁ ପ୍ରଦୂଷିତ କରେ ।
(ii) ତେଣୁ ଏହାକୁ ପୁନର୍ବିନିଯୋଗ କରିବା ବା ନଷ୍ଟ କରିବା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ ।

→ ବିଷୟଭିତ୍ତିକ ଶବ୍ଦାବଳୀ :
BSE Odisha 8th Class Science Notes Chapter 14 ବିଦ୍ୟୁତ୍ ସ୍ରୋତର ରାସାୟନିକ ପ୍ରଭାବ 7