BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Chapter 2 ममता

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ )।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) ‘ममता’ कहानी का सारमर्म अपने शब्दों में लिखिए।
(‘ମସ୍ତା’ କହାନୀ କା ସାରମର୍ମ ଅତ୍ମନେ ଶବ୍ଦା ମେଁ ଲିଖୁଏ )।
(‘ମମତା’ କାହାଣୀର ସାରମର୍ମ ନିଜ ଭାଷାରେ ଲେଖି ।)
उत्तर:
ममता मध्ययुग के रोहतास दुर्ग के ब्राह्मण मन्त्री चूड़ामणि की विधवा पुत्री है। पहले माता और कुछ दिनों के बाद पठानों से हुए संघर्ष में ममता के पिता का मौत हो गयी। मगर मुगल बादशाह हुमायूँ चौसा- युद्ध में शेरशाह से हारकर एक रात ममता की झोंपड़ी में आश्रय लिया। ममता को हुमायूँ का परिचय मालूम न होते हुए भी झोपड़ी में आश्रय देती है। एवं स्वंय पास की टूटी दीवारों में चली जाती। इसके साथ ४७ सालों के बाद अकवर मुगल बादशाह बनते हैं। उस स्थान पर हुमायूँ की स्मृति में एक अष्टकोण मन्दिर बनवाया जाता है, पर मन्दिर में ममता का नाम कहीं भी लिखा नहीं जाता।

(ख) ‘ममता’ कहानी का मुख्य चरित्र कौन है? उसकी चारित्रिक विशेषताओं को बताइए।
(‘ମମ୍‌’ କହାନୀ କା ମୁଖ୍ୟ ଚରିତ୍ର କୌନ୍ ହୈ ? ଉସ୍‌ ଚାରିତ୍ରିକ୍ ୱିଶେଷତାଓଁ କୋ ବତାଇଏ)।
(ମମତା କାହାଣୀର ମୁଖ୍ୟ ଚରିତ୍ର କିଏ ? ତାହାର ଚାରିତ୍ରିକ ବିଶେଷତ୍ଵ କୁହ ।)
उत्तर:
ममता कहानी का मुख्य चरित्र रोहतास दुर्ग के ब्राह्मण मन्त्रो चूड़ामणि की विधवा बेटी ‘ममता’ है। पिताजी पुत्री को स्वर्ण मुद्रा भेंट करते है लेकिन नि: लोभता से यह भेंट ठुकरा देती है। चूड़ामणि के देहान्त के बाद रोहताश दुर्ग को शेरशाह अधिकार कर लिया और ममता एक बौद्ध मठ के खण्डहरों में जा छिपती है। मुगल बादशाह हुमायूँ एक रात ममता की झोंपड़ी में आश्रय के लिए भिक्षा माँगते और आश्रय पाते हैं मगर ममता पास की टूटी दीवारों में चली जाती है। इससे ममता की कंलक मुक्त चारित्रिक साबित हुआ। वह कहती है मैं ब्राह्मण हू, मुझे तो अपने धर्म- अतिथी देव की उपासना का पालन करना चाहिए।

(ग) इस कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
(ଇସ୍ କହାନୀ ସେ ଆପ୍‌ କ୍ୟା ପ୍ରେରଣା ମିଲ୍‌ ହୈ ?)
(ଏହି କାହାଣୀରୁ ଆପଣଙ୍କୁ କ’ଣ ପ୍ରେରଣା ମିଳୁଛି ?)
उत्तर:
ब्राह्मण – मन्त्री चूड़ामणि की स्नेहममता विधवा बेटी ममता पर निदक झलक है। ममता विधवा हिन्दु नारी चरित्रको अक्षुर्ण रख सकती। उसने अपने जीवन को मानव सेवा में उत्सर्गिकृत करदिया। उस के साल हमें जीवन में संघर्ष करते हुए जीना चाहिए हमें अपने धर्म और कर्त्तव्य का कभी नहीं छोड़ना चाहिए। विपन्न समय में आए हुए शरणागती की रक्षाकरनी चाहिए।

(घ) इस कहानी में लेखक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
(ଇସ୍ କହାନୀ ମେଁ ଲେଖକ କା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ) ।
(ଏହି କାହାଣୀରେ ଲେଖକଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)
उत्तर:
इस कहानी में जयशंकर प्रसाद ने हिन्दू ब्राह्मणो विधवा ‘ममता’ के माध्यम से भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मुल्यवोध को दर्शाया गया। यहाँ हिन्दू और मुसलमान दोनो धर्म को चर्चा करने के साथ विधवा चरित्र एक कलंकमुक्त, परोपकारी, निर्लोभ, निर्भिक, अतिथिसेवा और कामना वासना गुणो को त्याग करने का आदि विशेष गुणों का निच्छक प्रतिछवि स्पष्ट रूप से चित्रित होसका है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता किसे देख रही थी?
(ରୋହତାସ୍ ଦୁର୍ଗ କେ ପ୍ରକୋଷ୍ଠ ମେଁ ବୈଠୀ ହୁଈ ୟୁବତୀ ମମତା କିସ୍ ଦେଖ୍ ରହୀ ଥୀ ?)
(ରୋହତାସ ଦୁର୍ଗର ପ୍ରକୋଷ୍ଠରେ ଯୁବତୀ ମମତା ବସିରହି କ’ଣ ଦେଖୁଥିଲା ?)
उत्तर:
रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही थी।

(ख) ममता का यौवन किसके समान उमड़ रहा था?
(ମମତା କା ଯୌବନ୍ କିସ୍‌ ସମାନ୍ ଉମଡ଼୍ ରହା ଥା ?)
(ମମତାର ଯୌବନ କାହା ସହିତ ଆବେଗତା ସୃଷ୍ଟି କରୁଥିଲା ?)
उत्तर:
ममता का यौवन शोण के समान उमड़ रहा था।

(ग) संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी कौन है?
(ସଂସାର୍ ମେଁ ସବ୍‌ ତୁଚ୍ଛ ନିରାଶ୍ରୟ ପ୍ରାଣୀ କୌନ୍ ହୈ ?)
(ସଂସାରରେ ସବୁଠାରୁ ତୁଚ୍ଛ ନିରାଶ୍ରୟ ପ୍ରାଣୀ କିଏ ?)
उत्तर:
संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी हिन्दू विधवा है।

(घ) चूड़ामणि क्यों व्यथित हो गये ?
(ଚୂଡ଼ାମଣି କ୍ୟା ବ୍ୟର୍ଥିତ ହୋ ଗୟେ ?)
(ଚୂଡ଼ାମଣି କାହିଁକି ବ୍ୟସ୍ତ ହୋଇଗଲେ ?)
उत्तर:
शोण के प्रवाह में ममता अपना जीवन मिलाने में बेसुध होने के साथ पिता का आना नहीं जानसकी, इसलिए चुडामणी व्यथित हो गये।

(ङ) ममता ने पिता का उपहार क्यों स्वीकार नहीं किया?
(ମମ୍‌ତା ନେ ପିତା କା ଉପହାର୍ ଜ୍ୟୋ ସ୍ଵୀକାର ନହୀ କିୟା ?
(ମମତା କାହିଁକି ପିତାଙ୍କ ଉପହାର ସ୍ଵୀକାର କଲା ନାହିଁ ?)
उत्तर:
ममता ने पिता का उपहार इसलिए स्वीकार नहीं किया कि म्लेच्छ का उत्कोच स्वीकार करना ठीक नहीं है। हम लोग ब्राह्मण है, इतना सोना लेकर क्या करेंगे ?

(च) चूड़ामणि का हृदय क्यों धक् धक् करने लगा ?
(ଚୂଡ଼ାମଣି କା ହୃଦୟ ବ୍ୟୋ ଧକ୍-ଧକ୍ କର୍‌ନେ ଲଗା ?)
(ଚୂଡ଼ାମଣିର ହୃଦୟ କାହିଁକି ଧକ୍-ଧକ୍ କଲା ?)
उत्तर:
जब डोलियों का तांता भीतर आ रहा था तब चूड़ामणि का हृदय धक् धक् करने लगा।

(छ) ब्राह्मण – मन्त्री कैसे मारा गया?
(ବ୍ରାହ୍ମଣ-ମନ୍ତ୍ରୀ କୈସେ ମାରା ଗୟା ?)
(ବ୍ରାହ୍ମଣ-ମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ କିପରି ମାରି ଦିଆଗଲା ?)
उत्तर:
चुडामणी ने जाकर रोहतास दुर्ग के तोरण निकट की डोलियों का आवरण खुलवाना चाहा। पठानों ने कहा – यह महिलाओं का अपमान करना है। बात बढ़ गयी, तलवारों खिचीं ब्राह्मण मंत्री मारा गया।

(ज) मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्त्ति का खण्डहर कहाँ था?
(ମୌର୍ଯ୍ୟ ଔର୍ ଗୁପ୍ତ ସମ୍ରାଟୋ କୀ କୀର୍ଜୀ କା ଖଡ୍ଗର୍ କହାଁ ଥା ?)
(ମୌର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ ଗୁପ୍ତ ସମ୍ରାଟ ମାନଙ୍କର କୀର୍ତ୍ତିର ଭଗ୍ନସ୍ତୂପ କେଉଁଠାରେ ଥିଲା ?)
उत्तर:
काशी के उत्तर धर्मचक्र बिहार मौर्य और गुप्त सम्राटो की कीर्ति का खंडहर था।

(झ) भारतीय शिल्प की विभूति कहां बिखरी हुई थी ?
(ଭାରତୀୟ ଶିଳ୍ପୀ ବିଭୂତୀ କହାଁ ବିଖରୀ ହୁଇ ଥୀ ?)
(ଭାରତୀୟ ଶିଳ୍ପର ଚମତ୍‌କାରିତା କେଉଁଠି ଝଟକୁଥିଲା ?)
उत्तर:
भारतीय शिल्प की विभूति भग्नचूड़ा, तृणा-गुल्मों से ढके हुए प्राचीर ईटो के ढेर में बिखरी हुई थी।

(ञ) ‘सब विधर्मी दया के पात्र नहीं’ – ऐसा ममता ने क्यों कहा?
(‘ସବ୍‌ ବିଧର୍ମୀ ଦୟା କେ ପାତ୍ର ନେହୀ ଐସା ମମତା ନେ କ୍ୟା କହା ?)
(ସବୁ ବିଧର୍ମୀ ଦୟାର ପାତ୍ର ନୁହଁନ୍ତି ଏପରି ମମତା କାହିଁକି କହିଲା ?)
उत्तर:
जब ममता सोचा कि मेरे पिता का वध करने वाले आततायी ये घायल व्यक्ति है। जो मुझसे आश्रय माँगते है तब ममता ने कहा – सब विधर्मी दया का पात्र नहीं होते।

(ट) स्त्री क्या विचार कर रही थी?
(ସ୍ତ୍ରୀ କ୍ୟା ବିଚାର କର ରହୀ ଥୀ ?)
(ସ୍ତ୍ରୀ କ’ଣ ବିଚାର କରୁଥିଲା ?)
उत्तर:
स्त्री विचार कर रही थी – “मै ब्राह्मण हूँ, मुझे तो अपने धर्म – अतिथि देव की उपसना का पालन करना चाहिए, परन्तु यहाँ सब विधर्मी दया के पात्र नहीं, मगर दया तो नहीं कर्त्तव्य करना है।

(ठ) ममता ने मन में क्या कहा?
(ମମତା ନେ ମନ୍ ମେଁ କ୍ୟା କହା ?)
(ମମତା ମନକୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
उत्तर:
ममता ने मन में कहा- “यहाँ कौन दुर्ग है। यही झोंपड़ी है, जो चाहे ले लो, मुझे तो अपना कर्त्तव्य करना पड़ेगा।”

(ड) किसके प्रकाश में मुगल ने ममता का मुखमण्डल देखा?
(କିସ୍‌ ପ୍ରକାଶ୍ ମେଁ ମୁଗ୍‌ ନେ ମମ୍‌ କା ମୁର୍ଖମଣ୍ଡଲ୍ ଦେଖା ?)
(କାହାର ଆଲୋକରେ ମୋଗଲ ମମତାର ମୁଖ ଦେଖିପାରିଲା ?)
उत्तर:
चन्द्रमा के प्रकाश में मुगल ने ममता का मुखमण्डल देखा।

(ढ) ममता ने मुगल से क्या कहा?
(ମମତା ନେ ମୁଗଲ୍ ସେ କ୍ୟା କହା ?)
(ମମତା ମୁଗଲକୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
उत्तर:
ममता ने मुगल से कहा- “क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो ।”

(ण) प्रभात में खण्डहर की सन्धि से ममता ने क्या देखा?
(ପ୍ରଭାତ୍ ମେଁ ଖଣ୍ଡହର୍ କୀ ସନ୍ଧୀ ସେ ମମ୍‌ ନେ କ୍ୟା ଦେଖା ?)
(ସକାଳୁ ଭଗ୍ନ କୁଡ଼ିଆର ଫାଙ୍କରେ ମମତା କ’ଣ ଦେଖୁଲା ?)
उत्तर:
प्रभात में खण्डहर की सन्धि से ममता ने सैकड़ों अश्वारोहियों को देखा।

(त) किस युद्ध को बहुत दिन बीत गये?
(କିସ୍ ୟୁଦ୍ଧ କୋ ବହୁତ୍ ଦିନ୍ ବୀଡ଼ଗୟେ ?)
(କେଉଁ ଯଦ୍ଧ ବହୃତ ଦିନ ହୋଇଗଲାଣି ?)
उत्तर:
चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गये।

(थ) हुमायूँ ने एक दिन कहाँ विश्राम किया था?
(ହୁମାମୁଁ ନେ ଏକ ଦିନ୍ କହାଁ ୱିଶ୍ରାମ୍ କ୍ରିୟା ଥା ?)
(ହୁମାମୁଁ ଦିନେ କେଉଁଠି ବିଶ୍ରାମ କରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
हुमायूँ ने एक दिन ममता की झोंपड़ी में विश्राम किया था।

(द) हुमायूँ कौन था? उसका युद्ध किससे और कहाँ हुआ?
(ହୁମାମୁଁ କୌନ୍ ଥା ? ଉସ୍‌ ୟୁଦ୍ଧକସ୍‌ ଔର କହା ହୁଆ ?
(ହୁମାମୁଁ କିଏ ଥିଲେ ? ତାଙ୍କର ଯୁଦ୍ଧ କାହା ସହିତ ଓ କେଉଁଠି ହୋଇଥିଲା ?)
उत्तर:
हुमायूँ मुगल वादशाह थे। उसका युद्ध शेरशाह से चौसा में हुआ।

(ध) हुमायूँ ने मिरजा से क्या करने के लिए कहा?
(ହୁମାୟାଁ ନେ ମିରଜା ସେ କ୍ୟା କରନେ କେ ଲିଏ କହା ?)
(ହୁମାୟାଁ ମିରାଜାକୁ କ’ଣ କରିବାପାଇଁ କହିଲେ ?)
उत्तर:
हुमायूँ ने मिरजा से यह करने के लिए कहा- “उस स्त्री को मैं कुछ भी ‘न दे सका, उसका घर बनवा देना इसलिए कि विपति में मैने यहाँ आश्रय पाया था।

(न) ममता ने अश्वारोही से क्या कहा?
(ମମତା ନେ ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ସେ କ୍ୟା କହା ?)
(ମମତା ଅଶ୍ଵାରୋହୀକୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
उत्तर:
ममता ने अश्वारोही से कहा- “मैं नहीं जानती वह शहंशाह था या साधारण मुगल, पर एक दिन इसी झोंपड़ी के नीचे वह रहा था। फिर भी वह मेरा घर बनाने की आज्ञा दे गया था, मगर मैं आजीवन अपनी झोंपड़ी खुदवाने के डर से भयभीत रही थी। ”

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ। କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।)
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ । )

(क) रोहतास दुर्गपति के मन्त्री कौन थे?
(ରୋହତାସ୍ ଦୁର୍ଗପତି କେ ମନ୍ତ୍ରୀ କୌନ୍ ଥେ ?)
(ରୋହତାସ ଦୁର୍ଗର ମନ୍ତ୍ରୀ କିଏ ଥିଲେ ?)
उत्तर:
चूडामणि

(ख) ममता किसकी पुत्री थी?
(ମମ୍‌ କିସ୍‌କୀ ପୁତ୍ରୀ ଥୀ ?)
(ମମତା କାହାର କନ୍ୟା (ଝିଅ ଥୁଲା ?)
उत्तर:
मन्त्री चूडामणि

(ग) शोण के प्रवाह में अपना जीवन मिलाने में कौन बेसुध थी?
(ଶୋଣ୍ କେ ପ୍ରବାହ ମେଁ ଅପ୍‌ନା ଜୀବନ୍ ମିଲାନେ ମେଁ କୌନ୍ ବେସୁଧ ଥୀ ?)
(ଶୋଣର ସ୍ରୋତରେ ନିଜ ଜୀବନକୁ ମିଶାଇ ଦେବାରେ କିଏ ମଗ୍ନ ଥୁଲା ?)
उत्तर:
ममता

(घ) सुनहली सन्ध्या में किसका पीलापन विकीर्ण होने लगा?
(ସୁହଲୀ ସନ୍ଧ୍ୟା ମେଁ କିସ୍‌ ପୀଲାପନ୍‌ ୱିକୀର୍ଣ ହୋନେ ଲଗା ?)
(ସୁବର୍ଣ୍ଣ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ କାହାର ହଳଦୀ ରଙ୍ଗ ବିଛୁଡ଼ି ହୋଇ ପଡ଼ିଲା ?)
उत्तर:
सुवर्ण

(ङ) म्लेच्छ का उत्कोच किसने स्वीकार किया था?
(ପ୍ଲେକ୍ସ୍ କା ଉତ୍କୋଚ୍ କିସ୍‌ ସ୍ଵୀକାର୍ କିୟା ଥା ?)
(ମେଛର ଲାଞ୍ଚ କିଏ ସ୍ଵୀକାର କରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
चूड़ामणि

(च) किसने कहा कि ‘माता’, मुझे आश्रय चाहिए?
(କିସ୍‌ କହା କି ‘ମାତା’, ମୁଝେ ଆଶ୍ରୟ ଚାହିଏ ?)
(କିଏ ସେ କହିଲେ ଯେ ମାତା ମୋତେ ଆଶ୍ରୟ ଦରକାର ?)
उत्तर:
वादशाह हुमायूँ

(छ) कौन-से युद्ध में शेरशाह से विपन्न होकर मुगल रक्षा चाहता था?
(କୌନ୍-ସେ ୟୁଦ୍ଧ ମେଁ ଶେର୍‌ଶାହ ସେ ବିପନ୍ନ ହୋକର୍ ମୁଗଲ୍ ରକ୍ଷା ଚାହତା ଥା ?)
(କେଉଁ ଯୁଦ୍ଧରେ ଶେରଶାହ ଠାରୁ ବିପନ୍ନ ହୋଇ ମୋଗଲ ରକ୍ଷା ଚାହିଁଲା ?)
उत्तर:
चौसा

(ज) किसने सोचा कि उसे अतिथि – देव की उपासना का पालन करना चाहिए?
(କିସ୍‌ ସୋଚାକି ଉସ୍ ଅତିଥ୍-ଦେବ କୀ ଉପାସନା କା ପାଳନ୍ କର୍‌ନା ଚାହିଏ ?)
(କିଏ ସେ ବିଚାର କଲେ ଯେ ତାଙ୍କୁ ଅତିଥ୍ୟ ଦେବଙ୍କ ପୂଜା କରିବା ଉଚ୍ଚିତ ?)
उत्तर:
ममता

(झ) ‘भाग्य का खेल है’- यह वाक्य किसने कहा?
(‘ଭାଗ୍ୟ କା ଖେଲ୍ ହୈ’ ୟହ ବାକ୍ୟ କିସ୍‌ କହା ?)
(‘ଭାଗ୍ୟର ଖେଳ’ ଏହି ବାକ୍ୟ କିଏ କହିଥିଲେ ?)

(ञ) सैनिकों के खोजने पर ममता कहाँ चली गयी?
(ସୈନିର୍ଲୋ କେ ଖୋଜ ପର୍‌ ମସ୍ତା କାହାଁ ଚଲୀ ଗୟୀ ?)
(ସୈନିକମାନେ ଖୋଜିବା ବେଳେ ମମତା କେଉଁ ଆଡ଼େ ଚାଲିଗଲେ ?)

(ट) किसका जीर्ण-कंकाल खांसी से गूंज रहा था?
(କିସ୍‌ ଜୀର୍ଣ-କଂକାଂଳ ଖାସୀ ସେ ପୁଂଜ୍ ରହା ଥା ?)
(କାହାର ଦୁର୍ବଳ କଂଙ୍କାଳ (ଶରୀର) କାଶରେ ଶବ୍ଦ କରୁଥାଏ ।)
उत्तर:
ममता का

(ठ) ममता की सेवा के लिए गांव की कितनी स्त्रियां उसे घेर कर बैठी थीं?
(ମମ୍‌ କୀ ସେ କେ ଲିଏ ଗାଁୱ କୀ କିତ୍‌ନୀ ସ୍ତ୍ରୀଯାଁ ଉସ୍ ଘେର୍ କର୍ ବୈଠୀ ର୍ଥୀ ?)
(ମମତାର ସେବା ନିମିତ୍ତ ଗ୍ରାମର କେତେଜଣ ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ ତାକୁ ଘେରି ବସିଥିଲେ ?)
उत्तर:
दो-तीन

(ड) कौन अवाक् खड़ा था?
(କୌନ୍ ଅଓ୍ବାକ୍ ଖଡ଼ା ଥା ?)
(କିଏ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟରେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲା ?)
उत्तर:
अश्वारोही

(ढ) ममता की झोंपड़ी पर कौन-सा मन्दिर बना?
(ମମୂତା କୀ ଝୋପଡ଼ି ପର୍ କୌନ୍ ସା ମନ୍ଦିର ବନା ?)
(ମମତାର କୁଡ଼ିଆ (ଘର) ଉପରେ କେଉଁ ମନ୍ଦିର ତିଆରି ହେଲା ?)
उत्तर:
अष्टकोण

(ण) सातों देशों का नरेश कौन था?
(ମମ୍‌ କୀ ଝୋପଡ଼ି ପର୍ କୌନ୍ ସା ମନ୍ଦିର ବନା?)
(ମମତାର କୁଡ଼ିଆ (ଘର) ଉପରେ କେଉଁ ମନ୍ଦିର ତିଆରି ହେଲା?)
उत्तर:
अष्टकोण

(त) गगनचुम्बी मन्दिर किसने बनवाया?
(ଗଗମ୍ଭୀ ମନ୍ଦିର୍ କିସ୍‌ ବନବାୟା ?)
(ନଭଶ୍ଚୁମ୍ଭୀ ମନ୍ଦିର କିଏ ତିଆରି କଲେ ?)
उत्तर:
अकबर

(थ) किसमें ममता का नाम नहीं था?
(କିସ୍‌ ମମ୍‌ କା ନାମ୍ ନେହିଁ ଥା ?)
(କେଉଁଥ୍ରେ ମମତାର ନାମ ନଥିଲା ?)
उत्तर:
मन्दिर में

(द) किसने कहा कि ‘यह महिलाओं का अपमान करना है’?
(କିସ୍‌ କହା କି ୟହ ମହିଳାଓଁ କା ଅପମାନ୍ କର୍‌ନା ହୈ ?)
(କିଏ କହିଲେ ‘ଏହା ମହିଳାମାନଙ୍କୁ ଅପମାନ କରିବା ଅଟେ’ ।)
उत्तर:
पठानों ने

(ध) ममता को एक स्त्री ने किससे जल पिलाया?
(ମମତା କୋ ଏକ୍ ସ୍ତ୍ରୀ ନେ କିସ୍‌ ଜଲ୍ ପିଲାୟା ?)
(ମମତାକୁ ଜଣେ ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ କେଉଁଥରେ ଜଳ ପିଆଇଲା ?)
उत्तर:
सीपी से

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

4. निम्नलिखित अवतरणों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଅବତରଣୋ କୋ ପଢୁକର୍ ଉନ୍‌ ଆଶୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦ ଖଣ୍ଡଗୁଡ଼ିକୁ ପଢ଼ି ତାହାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)

(क) उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था।
(ଉସ୍‌ ଯୌବନ୍ ଶୋଶ୍ କେ ସମାନ୍ ହୀ ଉମଡ଼ ରହା ଥା ।)
(ତାହାର ଯୌବନ ଶୋଣନଦୀ ଭଳି ଆବେଗତା ସୃଷ୍ଟି କରୁଥିଲା । )
उत्तर:
उसका यौवन …………………. उमड़ रहा था।
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ममता’ नामक कहानी से ली गयी है। यहाँ प्रसाद जी ने ममता की यौवन की शोण नदी के साथ तुलना की । रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युबती ममता शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही थी । ममता विधवा थी मगर ममता की उम्र कम थी; वे उस समय में पूर्ण यौवन में भरपूर रही थी। नदी जिस तरह पूर्ण यौवन प्राप्त होकर बह रही थी, उसी तरह ममता की जवानी में प्रवाह थी।

(ख) शोण के प्रवाह में वह अपना जीवन मिलाने में बेसुध थी।
(ଶୋଶ୍ କେ ପ୍ରବାହ ମେଁ ୱହ ଅପ୍‌ନା ଜୀବନ୍ ମିଲାନେ ମେଁ ବେସୁଧ୍ ଥୀ।)
(ଶୋଣର ସ୍ରୋତରେ ସେ ନିଜର ଜୀବନକୁ ମିଶାଇ ଦେବାରେ ମଗ୍ନ ଥଲା ।)
उत्तर:
शोण के ………………… बेसुध थी।
यह पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक रचित ‘ममता’ कहानी से ली गई है। इसमें लेखक ने ममता की चिंता और अकेलेपन का वर्णन किया है। यहाँ जिस प्रकोष्ठ में ममता भग्न हृदय को लेकर बैठी थी; उस समय में पिता चूड़ामणि प्रवेश किया। चूड़ामणि व्यथित हो उठे। वे स्नहपालिता पुत्री के लिए क्या करे, यह स्थिर न कर सकते थे, लेकिन ममता अपने जीवन को नदी के साथ तल्लीन कर देती थी।

(ग) इस पतनोन्मुख प्राचीन सामन्त वंश का अंत समीप है।
(ଇସ୍ ପତନୋନୁ ଖ ପ୍ରାଚୀନ୍ ସାମନ୍ତ୍ ବଂଶ କା ଅନ୍ତ୍ ସମୀପ୍‌ ।)
(ଏହି ପତନମୁଖୀ ପ୍ରାଚୀନ ସାମନ୍ତ ବଂଶର ଶେଷ ନିକଟ ଅଟେ ।)
उत्तर:
इस पतनोन्मुख ……………… समीप है।
यह पंक्ति ‘ममता’ कहानी से लि गयी है। जिस समय मन्त्री चूड़ामणि अपनी बेटी को कुछ सुबर्ण उपहार देते तो सुवर्ण को ममता ने लौटा दिया। इसलिए कि पिताजी दूसरे से उत्कोच ग्रहण किया। मगर फिर चूड़ामणि
ने ममता को समझाया, किसी भी दिन शेरशाह रोहतास पर अधिकार कर सकता है। उस दिन मन्त्रीत्व नहीं रहेगा। यह सामन्त वंश का अंत समीप हो। यह स्वर्ण थाल का उपहार तव के लिए है।

(घ) परन्तु तुम भी वैसे ही क्रूर हो। वही भीषण रक्त की प्यास, वही निष्ठुर प्रतिबिम्ब तुम्हारे मुख पर भी है।
(ପରନ୍ତୁ ତୁମ୍ ଭୀ ୱେସ୍‌ ହୀ କୂର୍ ହୋ । ହୀ ଭୀଷଣ୍ଢ ରକ୍ତ କୀ ପ୍ୟାସ୍, ଓ୍ୱାହୀ ନିଷ୍ଠୁର ପ୍ରତିବିମ୍ବ ତୁମ୍ଭାରେ ମୁଖ୍ ପର୍ ଭୀ ହୈ ।)
(କିନ୍ତୁ ତୁମେ ମଧ୍ୟ ସେହି ଭଳି ନିଷ୍ଠୁର ଅଟ, ସେହି ଭୀଷଣ ରକ୍ତର ତୃଷ୍ଣା, ସେହି ନିଷ୍ଠୁର ପ୍ରତିଛବି ତୁମ ମୁଖ ମଣ୍ଡଳରେ ମଧ୍ୟ ଅଛି ।)
उत्तर:
परन्तु तुम ………………. पर भी है।
प्रस्तुत पंक्ति पठित कहानी ‘ममता’ से ली गई है। इस पर वर्णन है कि मुगल बादशाह हुमायूँ चौसायुद्ध में शेरशाह से हारकर एक रात को ममता की झोपड़ी में पहुंचता है और आश्रय की भीक्षा मांगते हैं परन्तु ममता ने कहा तुम भी वैसी ही निष्ठुर हो। वही भीषण रक्त की प्यास के साथ निष्ठुर प्रतिविम्व तुम्हारे मुख पर देख सकते है। मेरी झोंपड़ी में स्थान नहीं आज कंही दूसरा स्थान में आश्रय खोज लो। इस तरह में एक अनजान आदमी को आश्रय देने में असमर्थ हूँ।

(ङ) मैं ब्राह्मण – कुमारी हूँ, सब अपना धर्म छोड़ दें तो मैं भी क्यों छोड़ दूँ?
(ମୈ ବ୍ରାହ୍ମଣ-କୁମାରୀ ହୁଁ, ସବ୍‌ ଅପୂନା ଧର୍ମ ଛୋଡ଼ ହେଁ ତୋ ମେଁ କେଁ ଛୋଡ଼ ହୁଁ ?)
(ମୁଁ ବ୍ରାହ୍ମଣ-କନ୍ୟା ଅଟେ, ସମସ୍ତେ ନିଜର ଧର୍ମଛାଡ଼ି ଦେବେ ବୋଲି କ’ଣ ମୁଁ ଛାଡ଼ିଦେବି ?
उत्तर:
मैं ब्राह्मण ……………. छोड़ दूँ?
यह पंक्ति ‘ममता’ कहानी से ली गई है। इस में लेखक ने धर्म और कर्त्तव्य के बीच में सामंजस्य वैठाया है। जिस समय ममता हुमायूँ को आश्रय देने के लिए मना कर दे तो मन में सोच रही कि सब विधर्मी दया के पात्र नहीं। इसलिए मेरे पिता का वध करने वाले आततायी ही है। अंत में ममता ने विचार किया कि अतिथि सेवा ही प्रकृत माधव सेवा है। इसमें कोई धर्म की जरूरत नहीं। यह मेरा कर्तव्य है अभी मुझे अपने कर्त्तव्य करना चाहिए।

(च) उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका।
(ଉସ୍ ସ୍ତ୍ରୀ କୋ ଭୀ କୋ ମେଁ କୁଛ୍ ଭୀ ନ ଦେ ସକା)।
(ସେ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ମୁଁ କିଛି ମଧ୍ୟ ଦେଇ ପାରିଲି ନାହିଁ ।)
उत्तर:
उस स्त्री ……………….. देसका
यह पंक्ति ममता कहानी से आगत है। ममता हुमायूँ को रात में आश्रय अपनी कुटिया में देने के बाद, वे उस स्थान छोड़कर चली गयी मगर रात बीत गई। सुवह उस स्थान में ममता नहीं मिली। ममता को खोजने के लिए हूमायूँ मिरजा को आदेश दिया। उसने मुझपर जो उपकार किया उसके बदले मैं कुछ भी न दे सका।

(छ) अब तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर विश्राम गृह में जाती हूँ।
(ଅବ୍ ତୁମ୍ ଇସ୍‌କା ମକାନ୍ ବନାଓ ୟା ମହଲ୍, ମେଁ ଅପ୍‌ନେ ଚିର୍ ବିଶ୍ରାମ-ଗୃହ ମେଁ ଜାତି ହୁଁ ।)
(କୋଠାଘର କର, ମୁଁ ମୋର ଚିର ବିଶ୍ରାମ ଗୃହକୁ ଯାଉଛି ।)
उत्तर:
अब तुम …………… जाती हूँ।
यह अवतरण ममता कहानी से ली गई है। ४७ सालों के बाद अकवर जब मुगल बादशाह बनते हैं तब उनकी आज्ञा से मिरजा ममता के घर बनवाने के लिए आते है। उस समय ममता ने कहा मैं आज इसे छोड़े जाती हूँ। अब तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर विश्राम गृह में जाती हूँ।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

5. निम्नलिखित वाक्यों को ‘किसने’ और ‘किससे’, कहा?
(ନିମ୍ନଲିଖତ୍ ବାର୍କୋ କୋ ‘କିସନେ‌’ ଔର୍ ‘କିସସେ‌’ କହା ?)
(ନିମ୍ନଲିଖତ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ କିଏ ଓ କାହାକୁ କହିଛନ୍ତି ।)
(क) क्या आपने म्लेच्छ का उत्कोच स्वीकार कर लिया?
(କ୍ୟା ଆପ୍‌ ପ୍ଲେଚ୍ଛା କା ଉତ୍କୋଚ୍‌ ସ୍ଵୀକାର କର ଲିୟା ?)
(କ’ଣ ତୁମେ ମେଛର ଲାଞ୍ଚ ସ୍ଵୀକାର କରି ନେଲ ?)
उत्तर:
ममता ने अपने पिता चूड़ामणि से कहा।

(ख) यह महिलाओं का अपमान करना है।
(ୟହ ମହିଲାଓଁ କା ଅପମାନ୍ କର୍‌ନା ହୈ ।)
(ଏହା ମହିଳାମାନଙ୍କୁ ଅପମାନ କରିବା ଅଟେ ।)
उत्तर:
पठानों ने ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि से कहा।

(ग) माता, मुझे आश्रय चाहिए।
(ମାତା, ମୁଝେ ଆଶ୍ରୟ ଚାହିଏ ।)
(ମା’ ମୋତେ ଆଶ୍ରୟ ଦରକାର ।)
उत्तर:
हूमायूँ ने ममता से कहा।

(घ) गला सूख रहा है, साथी छूट गये हैं, अश्व गिर पड़ा है।
(ତଣ୍ଟି ଶୁଖ୍ଯାଉଛି, ସାଙ୍ଗମାନେ ପଳାଇଗଲେ, ଘୋଡ଼ା ପଡ଼ିଗଲା ।)
ଗଲା ସୁଖ୍ ରହା ହୈ, ସାଥୀ ଛୁଟ ଗୟେ ହେଁ, ଅଶ୍ଵ ଗିର୍ ପଡ଼ା ହୈ ।
उत्तर:
मुगल बादशाह ने ममता से कहा।

(ङ) उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका।
(ଉସ୍ ସ୍ତ୍ରୀ କୋ ମୈ କୁଛ ଭୀ ନ ଦେ ସକା ।)
(ସେ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ମୁଁ ମଧ୍ୟ କିଛି ଦେଇ ପାରିଲି ନାହିଁ ।)
उत्तर:
हुमायूँ ने मिरजा से कहा।

भाषाज्ञान (ଭାଷାଜ୍ଞାନ)
प्रस्तुत कहानी में अनेक तत्सम शब्द आये हैं। जैसे- कंटक, दुर्गपति, निराश्रय आदि। याद रखो : तत्सम शब्द ‘तत्’ और ‘सम’ के योग से वना है। इसका अर्थ है, उसके समान – यानी संस्कृत के समान। संस्कृत के जो शब्द हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते है, उन्हों तत्सम शब्द कहते है, जैसे – भ्राता, सुन्दर, पुष्प, सूर्य, आत्मा आदि।
इसी तरह इस पाठ में आए तत्सम शब्दों को छाँटिए और उनका अर्थ लिखिए।
उत्तर:
दुश्चिन्ता, व्यथित, उत्कोच ………………….. आदि।
इस तरह बच्चों शिक्षक/शिक्षिका की सहायता लेकर कहानी से तत्सम शब्दों को छाँटिए।

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2. निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ଦୃଷ୍ଟି ଦିଅ ।)
‘आँखों में पानी की बरसात लिए वह सुख के कंटक शयन में विकल थी ।’

‘तो क्या आपने म्लेच्छ का उत्कोच स्वीकार कर लिया ?
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बरसात’ स्त्रीलिंग है और ‘उत्कोच’ पुंलिंग है। इसी कारण इन शब्दों के पहले प्रयुक्त विभक्ति का प्रयोग क्रमश: ‘की’ और ‘का’ के रूप में हुआ है।
इसी तरह के वाक्य चुनकर रेखांकित करने के साथ-साथ लिंग बताइए ।
(ଏହିପରି ବାକ୍ୟ ବାଛି ରେଖାଙ୍କିତ କରିବା ସହିତ ଲିଙ୍ଗ କୁହ ।)
उत्तर:
जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने केलिए पहले मिले थे। (पुलिंग)
काशी के उत्तर धर्मचक्र बिहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्त्ति का खंडहर था। (पुलिंग)
“मै ब्राह्मण हूँ, मुझे तो अपने धर्म – अतिथि देव की उपासना का पालन करना चाहिए ।” (स्त्रीलिंग)
ममता अब सत्तर वर्ष की वृद्धा है। (स्त्रीलिंग)
इस तरह कहानी से अन्य वाक्यों को छाँटिए ।

3. नीचे लिखे वाक्यों में विराम चिह्न लगाइए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ବିରାମ ଚିହ୍ନ ଲଗାଅ ।)
याद रखो : हम दूसरों के साथ वातचीत करते समय बीच-बीच में रुकते हैं। इसी प्रकार लिखित सामग्री पढ़ते समय भी, भाववोध के लिए हम कभी पूरे एक वाक्य के वाद या कभी-कभी वाक्यांश के बाद या कभी एक शब्द के बाद रूकते हैं। इस प्रकार रूकने या विराम के लिए भाषा में कुछ संकेत – चिह्नों का प्रयोग करना होता है। इन्हीं चिह्नों को ‘विराम चिह्न’ कहते हैं ।मैं नहीं जानती कि वह शाहंशाह था या साधारण मुगल पर एक दिन इसी झोंपड़ी के नीचे वह रहा था मैंने सुना था वह मेरा घर बनानेकी आज्ञा दे गया था मैं आजीवन अपनी झोंपड़ी खुदवाने के डर से भयभीत रही थी।
उत्तर:
“मैं नहीं जानती कि, वह शाहंशाह था या साधारण मुगल, पर एक दिन इसी झोंपड़ी के नीचे वह रहा था। मैंने सुना था, वह मेरा घर बनानेकी आज्ञा दे गया था। मैं आजीवन अपनी झोंपड़ी खुदवाने के डर से भयभीत रही थी।”

4. नीचे दिये गये उपसर्ग एवं प्रत्यय-युक्त शब्दों के मूल शब्द बताइए।
(ନିମ୍ନରେ ଦିଆଯାଉଥ‌ିବା ଉପସର୍ଗ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟୟଯୁକ୍ତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ମୂଳ ଶବ୍ଦ କୁହ ।)
उत्तर:
प्रकोष्ठ – यहाँ ‘प्र’ उपसर्ग एवं कोष्ठ मूलशब्द
निराश्रय – यहाँ ‘नि’ उपसर्ग एवं आश्रय मूल शब्द।
इस तरह के कुछ शब्दों की सूची तैयार कीजिए।
प्र – प्रचार, प्रबल, प्रगति, प्रयोग, प्रकाश
नि – निकृष्ट, निष्ठुर, निवास, निवेदन, निश्चल, निरोध, निवारण।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. हुमायूँ कौन था? उसने मिरजा से क्या कहा?
(ହୁମାମୁଁ କୌନ୍ ଥା ? ଉସ୍‌ ମିଜା ସେ କ୍ୟା କହା?0
(ହୁମାୟୁନ୍ କିଏ ଥିଲେ ? ସେ ମିଜାକୁ କ’ଣ କହିଲେ ?)
उत्तर:
हुमायूँ मुगल सम्राट और सातों देशों का नरेश था। उसने मिरजा से यह कहा कि उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका। उसका घर बनवा देना, क्योंकि विपत्ति में मैंने यहाँ आश्रय पाया था। यह स्थान भूलना मत।

2. ममता ने अश्वारोही से क्या कहा?
(ମମତା ନେ ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ସେ କ୍ୟା କହା ?)
(ମମତା ଘୋଡ଼ାଚାଳକକୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
उत्तर:
ममता ने अश्वारोही से कहा – “भगवान ने सुन लिया, मैं आज इसे छोड़े जाती हूँ। अब तुम इस झोपड़ी का मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर विश्राम गृह में जाती हूँ ।”

3. पथीक ने जाते वक्त मिरजा से क्या कहा?
(ପଥୀକ୍ ନେ ଜାତେ ୱିକ୍‌ ମିର୍‌ଜା ସେ କ୍ୟା କହା ?)
(ବାଟୋଇ ଯିବା ସମୟରେ ମିରଜାଙ୍କୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
पथक ने जाते वक्त मिरजा से कहा – मिरजा ! उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका। उसका घर बनवा देना, क्योंकि विपत्ति में मैंने यहाँ आश्रय पाया था। यह स्थान को कभी न भूलना। इसके बाद वे चले गये।

4. ममता की चरित्र कलंकमुक्त है सावित कीजिए?
(ମମତା କୀ ଚରିତ୍ର କଳଙ୍କମୁକ୍ତ ହୈ ସାବିତ୍ କୀଜିଏ ?)
(ମମତାର ଚରିତ୍ର କଳଙ୍କମୁକ୍ତ ଚରିତ୍ର କିପରି ପ୍ରମାଣିତ ହେଲା ?)
चूडामणि के मौत के बाद रोहताश दुर्ग को शेरशाह अधिकार कर लिया और ममता एक वौद्ध मठ के खण्डहरों में जा छिपती है। मुगल वादशाह हुमायूँ एक रात ममता की झोपड़ी में आश्रय के लिए भिक्षा माँगते हैं मगर ममता पास की दूरी दीवारों में चली जाती है, इससे ममता की कलंकमुक्त चरित्र प्रमाणित हुआ।

5. ममता ने मुगल से क्या कहा?
(ମମତା ନେ ମୁଗଲ୍ ସେ କ୍ୟା କହା ?)
(ମମତା ମୁଗଲଙ୍କୁ କ’ଣ କହିଲା ?)
उत्तर:
“जाओ भीतर, थके हुए भयभीत पथिक ! तुम चाहे कोई हो, मैं तुम्हें आश्रय देती हूँ मैं ब्राह्मण कुमारी हूँ, सब अपना धर्म छोड़ दे तो मैं भी क्यों छोड़ दूँ ?”

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘ममता’ कहानी के कहानीकार का नाम क्या है?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद ‘ममता’ कहानी के कहानीकार है।

प्रश्न 2.
जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् १८८९ ई. में हुआ था।

प्रश्न 3.
ममता कौन है?
उत्तर:
ममता रोहतास दूर्गपति के मंत्री चूड़ामणि की विधबा पुत्री है।

प्रश्न 4.
‘ममता’ कहानी के माध्यम से प्रसाद जी ने क्या दिखाया है?
उत्तर:
‘ममता’ कहानी के माध्यम से प्रसाद जी ने भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्यबोध को दिखाया है।

प्रश्न 5.
रोहतास दुर्ग पर किसका अधिकार हो जाता है?
उत्तर:
रोहतास दुर्ग पर शेरशाह का अधिकार हो जाता है।

प्रश्न 6.
ममता मुगलों से छिपने के लिए कहाँ चली गयी?
उत्तर:
ममता मुगलों से छिपने के लिए पास के मृगदाव में चली गयी।

प्रश्न 7.
चौसा युद्ध किस-किसके बीच हुआ था?
उत्तर:
चौसा युद्ध हुमायूँ और शेरशाह के बीच हुआ था।

प्रश्न 8.
सातों देशों के नरेश किसे कहा गया है?
उत्तर:
सातों देशों के नरेश हुमायूँ को कहा गया है।

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प्रश्न 9.
मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्त्ति का खण्डहर कहाँ था?
उत्तर:
मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्त्ति का खण्डहर काशी के उत्तर धर्मचक्र विहार में था।

प्रश्न 10.
किसके प्रकाश नें मुगल में समता का मुखमण्डल देखा?
उत्तर:
चंद्रमा के मंद प्रकाश में मुगल ने ममता का मुखमण्डल देखा।

प्रश्न 11.
शोण के प्रवाह में अपना जीवन मिलाने में कौन बेसुध थी?
उत्तर:
शोण के प्रवाह में अपना जीवन मिलाने में बेसुध मंत्री चुड़ामणि की विधवापुत्री ममता थी।

प्रश्न 12.
प्रभात में खण्डहर की संधि से ममता ने क्या देखा?
उत्तर:
प्रभात में खण्डहर की संधि से ममता ने सैंकड़ो अश्वारोही को उस प्रांत में घूमते देखा।

प्रश्न 13.
किस युद्ध को बहुत दिन बीत गए?
उत्तर:
चौसा युद्ध को बहुत दिन बीत गए।

प्रश्न 14.
हुमायूँ ने मिरजा की क्या करने को कहा?
उत्तर:
हुमायूँ ने मिरजा से कहा- ‘उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका। उसका घर बनवा देना, क्योंकि विपत्ति में मैंने यहाँ आश्रय पाया था। यह स्थान भूलना मत।’

प्रश्न 15.
ममता ने अश्वाराही से क्या कहा?
उत्तर:
ममता ने अश्वारोही से कहा- “मैं नहीं जानता वह शहंशाह था या साधारण मुगल, पर एक दिन इसी झोंपड़ी के नीचे वह रहा था। मैं आज इसे छोड़ जाती हूँ। अब तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर विश्राम गृह में जाती हूँ।

प्रश्न 16.
संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी कौन है?
उत्तर:
हिंदू विधवा संसार में सबसे तुच्छ, निराश्रय प्राणी है।

प्रश्न 17.
ममता का यौवन किसके समान उमड़ रहा था?
उत्तर:
ममता का यौवन शोण के समान उमड़ रहा था।

प्रश्न 18.
हुमायूँ कौन था? उसका युद्ध किससे हुआ था?
उत्तर:
हुमायूँ मुगल सम्राट और सातों देशों का नरेश था। उसका शेरशाह के साथ युद्ध हुआ था।

प्रश्न 19.
ममता ने मन में क्या कहा?
उत्तर:
ममता ने मन में कहा- “यहाँ कौन दुर्ग है? यही झोंपड़ी है, जो चाहे ले, ले। मुझे तो अपना कर्त्तव्य करना पड़ेगा।

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प्रश्न 20.
ममता को एक स्त्री ने किससे जल पिलाया?
उत्तर:
ममता को एक स्त्री ने सीपी से जल पिलाया।

प्रश्न 21.
म्लेच्छ का उत्कोच किसने स्वीकार किया था?
उत्तर:
म्लेच्छ का उत्कोच मंत्री चूड़ामणि ने स्वीकार किया था।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी कौन है?
उत्तर:
हिंदू विधवा

प्रश्न 2.
ममता के पिता का नाम क्या था?
उत्तर:
चूड़ामणि

प्रश्न 3.
किसका हृदय धक-धक करने लगा?
उत्तर:
चूड़ामणि

प्रश्न 4.
किस युद्ध को बहुत दिन बीत गये?
उत्तर:
चौसा के मुगल-पठान युद्ध

प्रश्न 5.
किसने एक दिन ममता की झोपड़ी में विश्राम किया था?
उत्तर:
हुमायूँ

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प्रश्न 6.
हुमायूँ कौन था?
उत्तर:
मुगल का बादशाह

प्रश्न 7.
चौसा युद्ध किसके – किसके बीच हुआ था?
उत्तर:
हुमायूँ और शेरशाह

प्रश्न 8.
ममता किसकी पुत्री थी?
उत्तर:
चूड़ामणि

प्रश्न 9.
कौन से युद्ध में शेरशाह से विपन्न होकर मुगल रक्षा चाहता था?
उत्तर:
चौसा युद्ध

प्रश्न 10.
किसने सोचा कि उसे अतिथि-देव की उपासना का पालन करना चाहिए?
उत्तर:
ममता

प्रश्न 11.
कौन अवाक् खड़ा था?
उत्तर:
अश्वारोही

प्रश्न 12.
ममता की झोंपड़ी पर कौन सा मंदिर बना?
उत्तर:
अष्टकोण

प्रश्न 13.
गगनचुंबी मंदिर किसने बनवाया?
उत्तर:
अकबर

प्रश्न 14.
किसमें ममता का नाम नहीं था?
उत्तर:
अष्टकोण मंदिर के शिलालेख

प्रश्न 15.
हुमायूँ ने मुगल को ममता के लिए क्या बनाने को कहा?
उत्तर:
महल

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प्रश्न 16.
किसने कहा कि ‘माता’, मुझे आश्रय चाहिए?
उत्तर:
वादशाह हुमायूँ

प्रश्न 17.
ममता की सेवा के लिए गांव की कितनी स्त्रियाँ उसे घेर कर बैठी थी?
उत्तर:
दो-तीन

प्रश्न 18.
म्लेच्छ का उत्कोच किसने स्वीकार किया?
उत्तर:
चूड़ामणि

प्रश्न 19.
सैनिकों के खोजने पर ममता कहाँ चली गयी?
उत्तर:
मृगदाव

प्रश्न 20.
रोहतास दुर्ग कौन अधिकार किया?
उत्तर:
शेरशाह

प्रश्न 21.
‘ममता’ कहानी का सन्देश है
उत्तर:
भारतीय संस्कृति और पारम्परिक मूल्यवोध

प्रश्न 22.
ममता को एक स्त्री ने किससे जल पिलाया?
उत्तर:
सीपी

प्रश्न 23.
ममता का यौवन किसके समान उमड़ रहा था।
उत्तर:
शोण नदी

प्रश्न 24.
किसकी प्रकाश में मुगल ने ममता का मुखमंडल देखा?
उत्तर:
चंद्रमा के मंद प्रकाश

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
‘ममता’ कहानी ……………. ने लिखी है।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 2.
ममता ………………. नदी की प्रवाह में खोयी थी।
उत्तर:

प्रश्न 3.
ममता …………… जाति की महिला थी।
उत्तर:
ब्राह्मण

प्रश्न 4.
चूड़ामणि रोहतास दुर्ग में ……………….. पद पर कार्यरत थे।
उत्तर:
मंत्री

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प्रश्न 5.
………………. ने कहा- “यही झोपड़ी है, जो चाहे ले। मुझे तो अपना कर्त्तव्य करना पड़ेगा।”
उत्तर:
ममता

प्रश्न 6.
……………….. के प्रकाश में मुगल ने ममता का मुखमंड़ल देखा।
उत्तर:
चंद्रमा के मंद प्रकाश

प्रश्न 7.
प्रभात में खंड़हर की संधि से ………………. ने देखा सैंकड़ो अश्वारोही उस प्रांत में घूम रहे हैं।
उत्तर:
ममता

प्रश्न 8.
हुमायूँ ने मिरजा से …………….. करने के लिए कहा।
उत्तर:
घर

प्रश्न 9.
रोहतास दुर्गपति के मंत्री ……………. थे।
उत्तर:
चूड़ामणि

प्रश्न 10.
शोण के प्रवाह में अपना जीवन मिलाने में …………………..बेशुध थी?
उत्तर:
ममता

प्रश्न 11.
सुनहली संध्या में ……………… का पीलापन विकीर्ण होने लगा।
उत्तर:
सुवर्ण

प्रश्न 12.
……………… ने कहा कि ‘माता’ मुझे आश्रय चाहिए।
उत्तर:
हुमायूँ

प्रश्न 13.
” “भाग्य का खेल हैं”। यह वाक्य ……………… ने कहा।
उत्तर:
हुमायूँ

प्रश्न 14.
सैनिकों के खोजने पर ममता ……………… चली गयी।
उत्तर:
धर्मचक्र बिहार

प्रश्न 15.
………………… का जीर्ण कंकाल खाँसी से गुँज रहा था।
उत्तर:
ममता

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प्रश्न 16.
ममता की सेवा के लिए गाँव की ………………. स्त्रियाँ उसे घेर कर बैठी थी।
उत्तर:
दो-तीन

प्रश्न 17.
सातों देशों का नरेश …………….. था।
उत्तर:
हुमायूँ

प्रश्न 18.
‘यह महिलाओं का अपमान है’ ………………. ने कहा।
उत्तर:
पठानों ने

प्रश्न 19.
ममता को एक स्री ने ………………… से जल पिलाया।
उत्तर:
सीपी से

प्रश्न 20.
चूड़ामणि की इकलौती बेटी का नाम ………………… था।
उत्तर:
ममता

प्रश्न 21.
……………… सूख रहा है, साथी छूट गए हैं, अश्व गिर पड़ा है?
उत्तर:
गला

प्रश्न 22.
“उस स्री को मैं कुछ भी न दे सका ।” दिए गए वाक्य में “उस स्री” का संबंध ………………… चरित्र से है।
उत्तर:
ममता

प्रश्न 23.
चंद्रमा के मंद प्रकाश में मुगल ने ………………….. का मुखमंड़ल देखा।
उत्तर:
ममता

प्रश्न 24.
ममता का ह्दय ……………… करने लगा।
उत्तर:
धक-धक

प्रश्न 25.
गगनचुम्बी मन्दिर ………………. ने बनवाया।
उत्तर:
अकवर

प्रश्न 26.
………………… अवाक् खड़ा था।
उत्तर:
अश्वारोही

प्रश्न 27.
एक महिला ने सिपि से ……………. को जल पिलाया।
उत्तर:
ममता

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प्रश्न 28.
………………… ने कहा कि “यह महिलाओं का अपमान करना है?
उत्तर:
पठानों ने

प्रश्न 29.
गला सूख रहा है, साथी छूट गये हैं, अश्व गिर पड़ा हैं- यह ………….. की उक्ति है।
उत्तर:
मुगल वादशाह

प्रश्न 30.
उस स्री को मैं कुछ भी न दे सका- यह बात ……………….. ने कही।
उत्तर:
हुमायूँ ने

प्रश्न 31.
हुमायूँ ने ममता से कहा, माता, ……………….. ।
उत्तर:
मुझे आश्रय चाहिए

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘ममता’ किसका पुत्री है ?
(A) मन्त्री चुड़ामणि की
(B) अकबर की
(C) हुमायूँ की
(D) गौतम की
उत्तर:
(A) मन्त्री चुड़ामणि की

2. ‘ममता’ कहानी लिखी है ?
(A) विनोबाभाबे
(B) जयशंकर
(C) धीरजन
(D) प्रेमचंद
उत्तर:
(B) जयशंकर

3. रोहतास दुर्ग के मंत्री कौन थे?
(A) चूड़ामणि
(B) हूमायूँ
(C) शेरशाह
(D) अकबर
उत्तर:
(A) चूड़ामणि

4. कौन शोण के प्रबाह में अपना जीवन मिलाने में बेसुध था?
(A) महारानी
(B) मंत्री की पत्नी
(C) ममता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ममता

5. ममता के पिता मंत्री चूड़ामणि कैसे मारे गये?
(A) पठानों से युद्ध करके
(B) स्बाधीनता संग्राम में
(C) हिन्दु से शुद्ध करके
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पठानों से युद्ध करके

6. चौसा युद्ध किन दोनों के बीच हुआ था?
(A) शेरशाह-अकबर
(B) शेरशाह हुमायूँ
(C) हुमायूँ-चूड़ामणि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) शेरशाह हुमायूँ

7. संसार में सबसे निराश्रय प्राणी है ?
(A) इसलाम विधवा
(B) आदिवासी विधवा
(C) हिन्दु विधवा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) हिन्दु विधवा

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

8. अनुचर क्या लेकर आए थे?
(A) डाला
(B) टोकरी
(C) थाल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) थाल

9. “इइतना स्वर्ग ! यह कहाँ से आया ?” – किसने कहा?
(A) मंत्री
(B) राजा
(C) सेनापति
(D) ममता
उत्तर:
(D) ममता

10. मंत्री अपनी पुत्री का दु:ख कम करने के लिए क्या मेंट करते हैं?
(A) हीरा
(B) वस्त्र
(C) महल
(D) स्वर्ग
उत्तर:
(D) स्वर्ग

11. ममता किस नदी के तीक्ष्ण गंभीर प्रवाह को देख रही थी?
(A) यमुना
(B) गंगा
(C) शोण
(D) सरस्वती
उत्तर:
(C) शोण

12. म्लेच्छ का उत्कोच किसने स्वीकार किया था?
(A) चूड़ामणि
(B) अकबर
(C) बीरबल
(D) हुमायूँ
उत्तर:
(A) चूड़ामणि

13. सुनहली संहया में किसका वीलापन विकीर्ण होने लगा?
(A) चाँदी
(B) पीतल
(C) सोने
(D) लोहे
उत्तर:
(C) सोने

14. किसने कहा कि यह महिलाओं का अपमान है?
(A) मुगलों ने
(B) पठानों ने
(C) हिन्दुओं ने
(D) सम्रार्यो ने
उत्तर:
(B) पठानों ने

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

15. हुमायूँ किस वंश से है ?
(A) राजपूत
(B) तैसूर
(C) मौर्य
(D) मुगल
उत्तर:
(B) तैसूर

16. ममता भागकर कहाँ छिपती है ?
(A) पैचवटी
(B) बुद्धिमान
(C) बौधमठ
(D) जैन मठ
उत्तर:
(C) बौधमठ

17. सातों देश का नरेश कोन था?
(A) हुमायूँ
(B) अकबर
(C) बाबर
(D) महाराणाप्रताप
उत्तर:
(A) हुमायूँ

18. कौन अवाक् खड़ा था ?
(A) अकबर
(B) हुमायूँ
(C) अश्वारोही
(D) गाड़ीबाले
उत्तर:
(C) अश्वारोही

19. हुमायूँ से बचने के लिए ममता कहाँ चली गयी ?
(A) खंड़धर में
(B) टूटी दीवारों में
(C) झोपड़ी में
(D) मृगदाव में
उत्तर:
(D) मृगदाव में

20. कौन-से युद्ध में शेरशाह से विपन्न होकर मुगल रक्षा चाहता था?
(A) विश्व-युद्ध
(B) मोगल-युद्ध
(C) चौसा-युद्ध
(D) पानीपथ-युद्ध
उत्तर:
(C) चौसा-युद्ध

रोहतास-दुर्ग………………….. अन्त था?
ରୋହତାସ୍-ଦୁର୍ଗ କେ ପ୍ରକୋଷ୍ଠ ମେଁ ବୈଠୀ ହୁଈ ଯୁବତୀ ମମତା, ଶୋଣ୍ କେ ତୀକ୍ଷ୍ଣ୍ ଗମ୍ଭୀର ପ୍ରବାହ କୋ ଦେଖ୍ ରହୀ ଥୀ । ମମତା ବିଧୱା ଥୀ । ଉସ୍କା ଯୌବନ ଶୋଶ୍ କେ ସମାନ୍ ହୀ ଉମଡ଼୍ ରହା ଥା । ମନ୍ ମେଁ ୱେଦନା, ମସ୍ତକ୍ ମେଁ ଆଁଧୀ, ଆଁଖେଁ ମେଁ ପାନୀ କୀ ବର୍‌ସାତ୍ ଲିଏ ୱହ ସୁଖ୍ କେ କଂଟକ୍-ଶୟନ୍ ମେଁ ୱିକଲ୍ ଥୀ । ୱହ ରୋହତାସ୍ ଦୁର୍ଗପତି କେ ମନ୍ତ୍ରୀ ଚୂଡ଼ାମଣି କୀ ଅକେଲୀ ଦୁହିତା ଥୀ । ଫିର୍ ଉସ୍‌କେ ଲିଏ କୁଛ୍ ଅଭାବ୍ କା ହୋନା ଅସଂଭବ ଥା, ପରନ୍ତୁ ୱହ ବିଧାତ୍ମା ଥୀ । ହିନ୍ଦୁ ବିଧ ସଂସାର୍ ମେଁ ସବ୍‌ସେ ତୁଚ୍ଛ, ନିରାଶ୍ରୟ ପ୍ରାଣୀ ହୈ-ତବ୍ ବିଡ଼ମ୍ବନା କା କହାଁ ଅନ୍ତ୍ ଥା?

ଅନୁବାଦ:
ରୋହତାସ ଦୁର୍ଗର ଏକ କୋଠରୀରେ ବସି ଯୁବତୀ ମମତା ଶୋଣ ନଦୀର ପ୍ରଚଣ୍ଡ ଗମ୍ଭୀର ଜଳଧାରାର ପ୍ରବାହକୁ ଦେଖୁଥିଲା । ମମତା ବିଧବା ଥିଲା। ତାହାର ଯୌବନ ଶୋଣ ନଦୀ ଭଳି ଆବେଗତା ସୃଷ୍ଟି କରୁଥିଲା । ମନରେ ବେଦନା (କଷ୍ଟ), ମସ୍ତିକରେ ଝଡ଼, ଆଗ୍‌ରେ ଲୁହର ବର୍ଷା ନେଇ ସେ ସୁଖର କଣ୍ଟକ ଶଯ୍ୟାରେ ବ୍ୟାକୁଳ ଥିଲା ସେ । ସେ ରୋହତାସ ଦୁର୍ଗର ଅଧୂପତିଙ୍କ ମନ୍ତ୍ରୀ ଚୂଡ଼ାମଣୀଙ୍କ ଏକମାତ୍ର ଝିଅ ଥିଲା । ତେଣୁ ତା ପାଇଁ କିଛି ଅଭାବ ନଥୁଲା କିନ୍ତୁ ସେ ବିଧବା ଥିଲା, ହିନ୍ଦୁ ବିଧବା ସମାଜରେ ସବୁଠାରୁ ତୁଚ୍ଛ, ନିରାଶ୍ରୟ ପ୍ରାଣୀ ଅଟେ ତେଣୁ ଉପହାସର ଶେଷ କେଉଁଠି ଥିଲା?

चूडामणि ने ……………………पड़ते थे।
ଚୂଡ଼ାମଣି ନେ ଚୁପ୍‌ଚାପ୍ ଉସ୍ ପ୍ରକୋଷ୍ଠ ମେଁ ପ୍ରବେଶ୍ କିୟା । ଶୋଶ୍ କେ ବେସୁଧ ଥୀ । ପିତା କା ଆନା ନ ଜାନ୍ ସକୀ । ଚୂଡ଼ାମଣି ବ୍ୟର୍ଥାତ୍ ହୋ ଉଠେ । ସ୍ଥିର୍ ନ କର୍ ସଲ୍‌ ଥେ । ଲୌଟ୍‌କର୍ ବାହାର୍ ଚଲେ ଗୟେ । ଐସା ପ୍ରାୟଃ ଦୁଶ୍ଚିନ୍ତା ଥୀ । ପୌର୍ ସୀର୍ଥେ ନ ପଡ଼େତେ ଥେ। ପ୍ରବାହ ମେଁ ୱହ ଅପୂନା ଜୀବନ ମିଲାନେ ମେଁ ସ୍ନେହପାଲିତା ପୁତ୍ରୀ କେ ଲିଏ କ୍ୟା କରେ, ୟହ ହୋତା, ପର୍ ଆଜ ମନ୍ତ୍ରୀ କେ ମନ୍ ମେଁ ବଡ଼ୀ

ଅନୁବାଦ :
ଚୂଡ଼ାମଣି ସନ୍ତର୍ପଣରେ (ନିରବରେ) ଉକ୍ତ କୋଠରୀ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶ କଲା । ଶୋଣ ନଦୀର ପ୍ରବାହ ମଧ୍ୟରେ ନିଜ ଜୀବନକୁ ମିଳାଇବାରେ ସେ (ମମତା) ନିମଗ୍ନ ଥିଲା । ପିତାଙ୍କର ପ୍ରବେଶ ସମ୍ପର୍କରେ ସେ ଅଜ୍ଞ ଥିଲା । ଚୂଡ଼ାମଣି ବ୍ୟଥ୍‌ତ ହୋଇଉଠିଲେ । ଅତି ସ୍ନେହରେ ବଢ଼ାଇଥିବା ଝିଅପାଇଁ ସେ କ’ଣ କରିପାରିବେ, ସେ ସ୍ଥିର କରିପାରି ନଥିଲେ । ବୁଲିପଡ଼ି ବାହାରକୁ ଚାଲିଗଲେ । ଏହିଭଳି ପ୍ରାୟ ସମୟରେ ହେଉଥୁଲା, କିନ୍ତୁ ଆଜି (କାହିଁକି) ମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ମନରେ ବଡ଼ ଦୁଃଶ୍ଚିନ୍ତା ଥିଲା । (ତାଙ୍କର) ପାଦ ଆଜି ଠିକ୍‌ରେ ପଡୁନଥିଲା ।

एक पहर ………………… चलेगए।
ଏକ ପହର ରାତ୍ ବୀତ୍ ଜାନେ ପର୍ ଫିର୍ ୱେ ମମତା କେ ପାସ୍ ଆୟେ । ଉସ୍ ସମୟ ଉକେ ପିଛେ ଦସ୍ ସେବକ୍ ଚୌଦୀ କେ ବଡ଼େ ଥାଲୌ ମେଁ କୁଛ ଲିଏ ଖଡ଼େ ଥେ, କିତନେ ହୀ ମନୁଷ୍ଯା କେ ପଦ୍-ଶବ୍ଦ ସୁନ୍ ମମ୍ ନେ ଘୂମ୍ କର ଦେଖା । ମନ୍ତ୍ରୀ ନେ ସବୁ ଥାଲୈ କେ ରଖିନେ କା ସଂକେତ୍ କିୟା । ଅନୁଚର ଥାଲ୍ ରଖ୍ କର୍ ଚଲେ ଗୟେ ।

ଅନୁବାଦ:
ଏକ ପ୍ରହର ରାତି କଟିଯିବା ପରେ ପୁନର୍ବାର ସେ (ଚୂଡ଼ାମଣି) ମମତା ପାଖକୁ ଆସିଲେ । ସେହି ସମୟରେ ତାଙ୍କ ପଛରେ ଦଶଜଣ ସେବାକାରୀ ରୂପାର ବଡ଼ ପାତ୍ରରେ କିଛି ନେଇ ଠିଆ ହୋଇଥିଲେ । କେତେକ ଲୋକମାନଙ୍କର ପାଦଶବ୍ଦ ଶୁଣି ମମତା ବୁଲିପଡ଼ି ଦେଖୁଲା, ମନ୍ତ୍ରୀ ସବୁ ପାତ୍ରଗୁଡ଼ିକୁ ରଖୁବା ପାଇଁ ଇସାରା ଦେଲେ । ଅନୁଚରଗଣ ପାତ୍ର ରଖ୍ ଚାଲିଗଲେ ।

ममता ने …………………. लेकर क्या करेंगे?
ମମତା ନେ ପୂଛା ‘ୟହ କ୍ୟା ହୈ ପିତାଜୀ ?’’
‘‘ତେରେଲିଏ ବେଟୀ, ଉପ୍‌ହାର୍ ହୈ ।’’ ୟହ କହକର୍ ଚୂଡ଼ାମଣି ନେ ଆବ୍‌ରଣ ଉଲଟ୍ ଦିୟା । ସୁବର୍ଣ୍ଣ କା ପୀଲାପନ୍ ଉସ୍ ସୁହଲୀ ସଂଧ୍ୟା ମେଁ ୱିକୀର୍ଣ ହୋନେ ଲଗା ।
ମମ୍ ଚୌକ୍ ଉଠୀ ……………………
‘ଇନା ସ୍ଵର୍ଣ୍ଣ ! ୟହ କହାଁ ସେ ଆୟା ?’’
‘ଚୁପ୍ ରହୋ ମମତା ! ୟହ ତୁମ୍‌ହାରେ ଲିଏ ହୈ ।’’
‘‘ତୋ କ୍ୟା ଆପ୍‌ ମେଚ୍ଛ କା ଉତ୍କୋଚ୍‌ ସ୍ଵୀକାର କର୍ ଲିୟା ? ପିତାଜୀ ! ୟହ ଅର୍ଥ ନନ୍ଦୀ, ଅନର୍ଥ ହୈ । ଲୌଟା ଦୀଜିଏ । ପିତାଜୀ ! ହମ୍ ଲୋଗ୍ ବ୍ରାହ୍ମଣ ହେଁ, ଇନା ସୋନା ଲେକର୍ କ୍ୟା କରଂଗେ ?”’

ଅନୁବାଦ:
ମମତା ପଚାରିଲା ଏ ସବୁ କ’ଣ, ବାପା ? ‘ତୋ ପାଇଁ ଝିଅ ଉପହାର ଅଟେ’, ଏହା କହି ଚୂଡ଼ାମଣି ଓଢ଼ଣୀ ଉଠାଇ ଦେଲେ । ସୁନାର ହଳଦୀରଙ୍ଗ ହେଁ, ସୁବର୍ଣ୍ଣ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ବିଛୁଡ଼ି ହୋଇ ପଡ଼ିଲା । ମମତା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲା……..ଏତେ ସୁନା ! ଏଗୁଡ଼ିକ କେଉଁଠାରୁ ଆସିଲା ? ‘ପାଟି କରନା ମମତା ! ଏଗୁଡ଼ିକ ତୋ’ପାଇଁ ।’’ ‘ତା ହେଲେ କ’ଣ ଆପଣ ପାପୀମାନଙ୍କ ଲାଞ୍ଚ ସ୍ଵୀକାର କରି ନେଲେ ? ବାପା ! ଏହା ଠିକ୍ ନୁହେଁ, ଖରାପ ଅଟେ । ଫେରାଇ ଦିଅ । ବାପା ! ଆମ୍ଭେ ବ୍ରାହ୍ମଣ, ଏତେଗୁଡ଼ିଏ ସୁନା ନେଇ କ’ଣ କରିବା ?’’

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

” ‘इस …………………… बबेटी!’
‘‘ଇସ୍ ପତନୋନ୍ଥ,ଖ ପ୍ରାଚୀନ୍ ସାମନ୍ତ୍-ବଂଶ୍ କା ଅନ୍ତ୍ ସମୀପ୍ ହୈ, ବେଟୀ, କିସୀ ଭୀ ଦିନ୍ ଶେର୍‌ଶାହ୍ ରୋହତାସ୍ ପର ଅଧିକାର୍ କର୍ ସକ୍ତା ହୈ । ଉସ୍ ଦିନ୍ ମନ୍ତ୍ରୀତ୍ଵ ନ ରହେଗା, ତବ୍ କେ ଲିଏ ବେଟୀ !’’

ଅନୁବାଦ:
ଏହି ପତନୁନୁମୁଖୀ ପ୍ରାଚୀନ ସାମନ୍ତବଂଶର ଅନ୍ତ (ଶେଷ) ନିକଟ ହୋଇଆସିଲାଣି, ଝିଅ ଯେକୌଣସି ଦିନ ଶେରଶାହ ରୋହତସ୍‌ ଅଧିକାର କରିପାରେ । ସେଦିନ ଆଉ ମନ୍ତ୍ରୀତ୍ବ ନଥ‌ିବ । ସେହି ସମୟପାଇଁ (ଏହି ସୁନା) ଝିଅ ।

” हे भगवान! ………………. चलले गये।
‘ହେ ଭଗ୍‌ବାନ୍ ! ତବ୍ କେ ଲିଏ ! ବିପଦ୍ କେ ଲିଏ ଇନା ଆୟୋଜନ୍ ! ପରମ୍ପିତା କୀ ଇଚ୍ଛା କେ ବିରୁଦ୍ଧ ଇତ୍‌ନା ସାହସ୍ ? ପିତାଜୀ, କ୍ୟା ଭୀଖ୍ ନ ମିଲେଗୀ ? କ୍ୟା କୋଈ ହିନ୍ଦୁ ଭୂ-ପୃଷ୍ଠ ପର୍ ନ ବଚା ରହ୍ ଜାଏଗା, ଜୋ ବ୍ରାହ୍ମଣ୍ କୋ ଦୋ ମୁ ଅନ୍ନ ଦେ ସକେ ? ଅସମ୍ଭବ ହୈ । ଲୌଟ ଦୀଜିଏ ପିତାଜୀ ! ମେଁ କାଁପ ରହୀ ହୁଁ ଇସ୍‌କ ଚମକ୍ ଆର୍ଥୋ କୋ ଅନ୍ଧା ବନା ରହୀ ହୈ ।’’ ‘ମୂର୍ଖ ହୈ’ କହକର ଚୂଡ଼ାମଣି ଚଲେ ଗୟେ

ଅନୁବାଦ:
‘ହେ ଭଗବାନ ! ସେହି ସମୟପାଇଁ ! ବିପଦ ପାଇଁ ଏତେଟା ବ୍ୟବସ୍ଥା ! ପରମପିତାଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ବିରୁଦ୍ଧରେ ଏତେ ସାହସ ? ବାପା, କ’ଣ ଭିକ ମିଳିବ ନାହିଁ ? କ’ଣ କୌଣସି ହିନ୍ଦୁ ଏହି ପୃଥ‌ିବୀ ପୃଷ୍ଠରେ ବଞ୍ଚିବ ନାହିଁ ଯେ ବ୍ରାହ୍ମଣ ଦୁଇମୁଠା ଅନ୍ନଦେଇ ପାରିବ ନାହିଁ ? ଅସମ୍ଭବ ଅଟେ । ଫେରାଇ ଦିଅନ୍ତୁ ବାପା ! ମୁଁ ଥରିଯାଉଛି ଏହାର ଜ୍ୟୋତି ମୋର ଆଖୁକୁ ଅନ୍ଧ କରିଦେଉଛି ।’’ ‘ମୂଖ’ କହି ଚୂଡ଼ା ମଣି ଚାଲିଗଲେ

दूसरे दिन ……………… करना है।”
ଦୂସ୍‌ରେ ଦିନ୍ ଜବ୍ ଡୋଲିର୍ଲୋ କା ତାଂତା ଭୀତର ଆ ରହା ଥା, ବ୍ରାହ୍ମଣ୍ ମନ୍ତ୍ରୀ ଚୂଡ଼ାମଣି କା ହୃଦୟ ଧକ୍-ଧକ୍ କର୍‌ନେ ଲଗା । ୱହ ଅପ୍‌ କୋ ନ ରୋକ୍ ସକା । ଉତ୍ପନେ ଜାକର ରୋହତାସ୍-ଦୁର୍ଗ କେ ତୋରଣ୍ ପର ଡୋଲିର୍ଲୋ କା ଆବରଣ୍ ଖୁନା ବାହା । ପଠାନାଁ ନେ କହା ‘ୟହ ମହିଲାଓ କା ଅପ୍‌ମାନ୍ କରନା ହୈ ।’’
ଅନୁବାଦ;
ପରଦିନ ଯେତେବେଳେ ଧାଡ଼ି ଧାଡ଼ି ସବାରୀ ଭିତରକୁ ଆସୁଥୁଲା, ବ୍ରାହ୍ମଣ ମନ୍ତ୍ରୀ ଚୂଡ଼ାମଣିଙ୍କ ଛାତି ଆବରଣ (ପରଦା) ଖୋଲିବାକୁ ଚାହିଁଲେ । ପଠାଣମାନେ କହିଲେ ଏହା ମହିଳାମାନଙ୍କୁ ଅପମାନ କରିବା ଅଟେ।

बात बढ़ ……………… न मिली।
ବାତ୍ ବଢ ଗୟୀ । ତର୍ରେ ଖୂର୍ବୀ, ବ୍ରାହ୍ମଣ ମନ୍ତ୍ରୀ ୱହୀ ମାରାଗୟା ଔର୍ ରାଜା, ରାନୀ ତଥା କୋଷ୍ ସବ୍ ଛଲୀ ଶେର୍‌ଶାହ କେ ହାଥ ପଡ଼େ, ନିକଲ୍ ଗୟୀ ମମତା । ଡୋଲି ମେଁ ଭରେ ହୁଏ ପଠାନ୍ ସୈନିକ ଦୁର୍ଗ ଭର୍ ମେଁ ଫିଲ୍‌ ଗୟେ, ପର୍ ମମତା ନ ମିଲୀ ।

ଅନୁବାଦ:
କଥାଟା ବଢ଼ିଗଲା । ଖଣ୍ଡା ବାହରକଲେ, ବ୍ରାହ୍ମଣମନ୍ତ୍ରୀ ସେଠାରେ ମରିଗଲେ ଏବଂ ରାଜା, ରାଣୀ ଏବଂ ଧନସବୁ କପଟି ଶେର ସାହଙ୍କ ହାତକୁ ଆସିଗଲା । ମମତା ବାହାରି ପଳାଇଗଲା, ସବାରୀରେ ପଶିଥ‌ିବା ପଠାଣ ସୈନିକ ଦୁର୍ଗର ଚାରିପଟେ ଘେରିଗଲେ, କିନ୍ତୁ ମମତାକୁ ପାଇଲେ ନାହିଁ ।

काशी के ……………… कर रही थी।
କାଶୀ କେ ଉତ୍ତର୍ ଧର୍ମକ୍ର ବିହାର୍ ମୌର୍ୟ ଔର୍ ଗୁପ୍ତ ସମ୍ରାଟୋ କୀ କୀର୍ତି କା ଖଣ୍ଡହର୍ ଥା ଭଗ୍ନଚୂଡ଼ା, ତୃଣା-ଗୁହେଁ ସେ ଢକେ ହୁଏ ପ୍ରାଚୀର ଇଁଟୋ କେ ଢେର୍ ମେଁ ବିଖରୀ ହୁଈ ଭାରତୀୟ ଶିଳ୍ପ କୀ ବିଭୂତି, ଗ୍ରୀଷ୍ମ ରଜନୀ କୀ ଚନ୍ଦ୍ରିକା ମେଁ ଅପ୍‌ କୋ ଶୀତଲ୍ କର୍ ରହୀ ଥୀ ।

ଅନୁବାଦ:
କାଶୀର ଉତ୍ତରରେ ଥ‌ିବା ଧର୍ମଚକ୍ର ବିହାର ମୌର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ ଗୁପ୍ତ ସମ୍ରାଟମାନଙ୍କର କିର୍ତ୍ତିର ଭଗ୍ନସ୍ତୂପ ଥିଲା । ଭଗ୍ନଚୂଡ଼ା ( ଅଗ୍ରଭାଗ ଭାଙ୍ଗି ଯାଇଥିବା), ଘାସ ଏବଂ ଗୁଳ୍ମରେ ଆଚ୍ଛାଦିତ ହୋଇଥିବା ଇଟାର ପ୍ରାଚୀର ମଧ୍ୟରେ ଭାରତୀୟ ଶିଳ୍ପକଳାର ବିଛାଡ଼ି ହୋଇ ପଡ଼ିଥିଲା ବିଭୂତି (ବୈଭବ), ଗ୍ରୀଷ୍ମ ରାତିରେ ଚନ୍ଦ୍ରାଲୋକରେ ନିଜକୁ ଶୀତଳ କରୁଥିଲା ।

जहाँ ……………………. पर्युपासते।
ଜହାଁ ପଞ୍ଚବର୍ଗୀୟ ଭିକ୍ଷୁ ଗୌତମ୍ କା ଉପଦେଶ ଗ୍ରହଣ୍ କରନେ କେ ଲିଏ ପହଲେ ମିଲେ ଥେ, ଉସୀ ସ୍ତୂପ୍ କେ ଭଗ୍ନାବଶେଷ କୀ ମର୍ଲିନ ଛାୟା ମେଁ ଏକ ଝୋପଡ଼ା କେ ଦୀପାଲୋକ୍ ମେଁ ଏକ ସ୍ତ୍ରୀ ପାଠ୍ କର ରହୀ ଥୀ– ‘ଅନନ୍ୟାଣ୍ଟି ନ୍ତୟନ୍ତେ। ମାଁ ଯେ ଜନଃ ପର୍ୟୁପାସତେ ।”’……………

ଅନୁବାଦ:
ଯେଉଁଠାରେ ପାଞ୍ଚବର୍ଗୀୟ ଭିକ୍ଷୁ ସନ୍ୟାସୀମାନେ ଗୌତମଙ୍କ ଉପଦେଶ ଗ୍ରହଣ କରିବାକୁ ପ୍ରଥମେ ଏକତ୍ରିତ ହୋଇଥିଲେ । ସେହି ସ୍ତୂପର ଭଗ୍ନାବଶେଷର ନିଷ୍ପ୍ରଭ ଛାଇର ଗୋଟିଏ ଭଙ୍ଗା କୁଡ଼ିଆର ଦୀପ ଆଲୋକରେ ଗୋଟିଏ ସ୍ତ୍ରୀ ପଢ଼ୁଥିଲା । ‘ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଅନ୍ୟକଥା ଚିନ୍ତାକରେ ସେ କେବେ ସୁଖପାଏ ନାହିଁ ।’’

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

पाठ रूक …………………. हहाँ माता !’
ପାଠ୍ ରୁକ୍ ଗୟା । ଏକ୍ ଭୀଷଣ ଔର୍ ହତାଶ୍ ଆକୃତି ଦୀପ୍ କେ ମନ୍ଦ ପ୍ରକାଶ ମେଁ ସାମ୍‌ନେ ଖଡ଼ୀ ଥୀ । ସ୍ତ୍ରୀ ଉଠୀ, ଉସ୍‌ କପାଟ୍ ବନ୍ଦ୍ କରନା ଚାହା, ପରନ୍ତୁ ବ୍ୟକ୍ତି ନେ କହା ‘‘ମାତା ! ମୁଝେ ଆଶ୍ରୟ ଚାହିଏ ।’’ ‘ତୁମ୍ କୌନ୍ ହୋ ?’’ ସ୍ତ୍ରୀ ନେ ପୂଛା । ‘‘ମୈ ମୁଗଲ ହୁଁ । ଚୌସା ୟୁଦ୍ଧ ମେଁ ଶେର୍‌ଶାହ ସେ ବିପନ୍ନ ହୋକର ରକ୍ଷା ଚାହତା ହୁଁ । ଇସ୍ ରାତ୍ ଅବ୍ ଆଗେ ଚଲନେ ମେଁ ଅସମର୍ଥ ହୁଁ । ‘‘କ୍ୟା ଶେର୍‌ଶାହ ସେ ?’’ ସ୍ତ୍ରୀ ନେ ଅପନେ ହୋଠ୍ କାଟ୍ ଲିଏ । ‘‘ହାଁ, ମାତା ???

ଅନୁବାଦ;
ପଢ଼ିବା ବନ୍ଦ ହୋଇଗଲା । ଗୋଟିଏ ବିରାଟ ଓ କାକଟ ରୂପ ଦୀପର କ୍ଷୀଣ ଆଲୋକର ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲା । ସ୍ତ୍ରୀଟି ଉଠିଲା । ସେ କବାଟ ବନ୍ଦ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା କିନ୍ତୁ ଲୋକଟି କହିଲା ମା ! ମୋତେ ଆଶ୍ରୟ ଦରକାର । ତୁମେ କିଏ ? ସ୍ତ୍ରୀଟି ପଚାରିଲା । ମୁଁ ମୋଗଲ ଅଟେ । ଚୌସା ଯୁଦ୍ଧରେ ଶେରସାହଙ୍କଠାରୁ ହାରି ରକ୍ଷା ଚାହୁଁଅଛି । ଏହି ରାତିରେ ଆଉ ଆଗକୁ ଯିବାକୁ ମୁଁ ଅସମର୍ଥ ଅଟେ । କ’ଣ ଶେର ସାହଙ୍କଠାରୁ ? ସ୍ତ୍ରୀଟି କ୍ରୋଧ ହୋଇଗଲା ‘ହଁ, ମା !

” परन्तु …………………. खोजलो।
‘ପରନ୍ତୁ ତୁମ୍ ଭୀ ଭୀ ହୈସେ ହୀ କ୍ରୂର ହେ । ୱହୀ ଭୀଷଣ ରକ୍ତ କୀ ପ୍ୟାସ୍, ୱହୀ ନିଷ୍ଠୁର ପ୍ରତିବିମ୍ବ ତୁମ୍‌ହାରେ ମୁଖ୍ ପର୍ ମେଁ ସ୍ଥାନ ନେହୀ । ଜାଓ, କର୍ମୀ ଦୂସରା ଆଶ୍ରୟ ଖୋଜ୍ ଲୋ ।”’

ଅନୁବାଦ:
‘‘କିନ୍ତୁ ତୁମେ ମଧ୍ୟ ସେହିଭଳି କ୍ରରୁ ଅଟ। ସେହି ଭୀଷଣ ରକ୍ତର ତୃଷ୍ଣା, ସେହି ନିଷ୍ଠୁର ପ୍ରତିଛବି ତୁମ ମୁଖ ମଣ୍ଡଳରେ ମଧ୍ୟ ଅଛି । ସୈନିକ । ମୋ କୁଡ଼ିଆରେ ସ୍ଥାନ ନାହିଁ, ଯାଆ ଅନ୍ୟ କେଉଁଠି ଆଶ୍ରୟ ଖୋଜି ନିଅ ।’’

“‘गला ………………. सोचने लगी।'”
‘‘ଗଲା ସୁଖ୍ ରହା ହୈ, ସାଥୀ ଛୁଟ୍ ଗଏ ହୈ, ଅଶ୍ଵ ଗିର୍ ପଡ଼ା ହୈ– ଇତନା ଥକା ହୁଆ ହୁଁ, ଇନା !’’ କହି ହ ବ୍ୟକ୍ତି ଧମ୍‌ ବୈଠ୍ ଗୟା ଔର୍ ଉସ୍‌ ସାମନେ ବ୍ରହ୍ମାଣ୍ଡ ଘୂମନେ ଲଗା। ସ୍ତ୍ରୀ ନେ ସୋଚା, ୟହ ବିପରି କହାଁ ସେ ଆଈ, ଉସ୍‌ନେ ଜଲ୍ ଦିୟା । ମୁଗଲ କେ ପ୍ରାର୍ଥେ କି ରକ୍ଷା ହୁଈ । ଏହ ସୋଚନେ ଲଗୀ

ଅନୁବାଦ:
ତଣ୍ଟି ଶୁଖ୍ ଯାଉଥିଲା, ସାଥୀମାନଙ୍କୁ ଛାଡ଼ି ପଳାଇଗଲେଣି, ଘୋଡ଼ା ପଡ଼ିଗଲା, ଏତେ କ୍ଳାନ୍ତ ହୋଇଛି, ଏତେ ! କହି ସେହି ବ୍ୟକ୍ତିଟି ହଠାତ୍ ବସି ପଡ଼ିଲା ଏବଂ ତାର ଆଗରେ ସାରା ସଂସାର ବୁଲିବାକୁ ଲାଗିଲା । ସ୍ତ୍ରୀଟି ଭାବିଲା, ଏହି ବିପଦ କେଉଁଠୁ ଆସିଲା, ସେ ପାଣି ଦେଲା । ମୋଗଲର ଜୀବନ ରକ୍ଷା ହେଲା, ସେ ଭାବିକାକୁ ଲାଗିଲା

” सब ……………….. होगया।’
‘ସବ୍‌ ବିଧର୍ମୀ ଦୟା କେ ପାତ୍ର ନହୀ ମେରେ ପିତା କା ବଧ୍ କର୍ ନେ ୱାଲେ ଆତତାୟୀ !’’ ଘୃଣା ସେ ଉସ୍କୋ ମନ ବିରକ୍ତ ହୋ ଗୟା।
ଅନୁବାଦ:
ସବୁ ବିଧର୍ମୀ (ମୁସଲମାନ) ଦୟାର ପାତ୍ର ନୁହଁନ୍ତି ମୋର ବାପାଙ୍କୁ ହତ୍ୟା କରିଥିବା ଆତତାୟୀମାନେ ! ଘୃଣାରେ ତା’ର ମନ ବିରକ୍ତ ହୋଇଗଲା ।

स्वस्थ ………………… खेल है।”
ସ୍ଵସ୍ଥ ହୋକର୍ ମୁଗଲ୍ ନେ କହା ‘ମାତା ! ତୋ ଫିର୍ ମେଁ ଚଲା ଜାଉଁ ? ସ୍ତ୍ରୀ ବିଚାର୍ କର୍ ରହୀ ଥୀ ‘‘ମୈ ବ୍ରାହ୍ମଣ ହୁଁ, ମୁଝେ ତୋ ଅପ୍‌ ଧର୍ମ ଅତିଥ୍ୟ ଦେବ କୀ ଉପାସନା କା ପାଲନ୍ କରନା ଚାହିଏ, ପରନ୍ତୁ ୟହଁ ……………………. ନେହୀ, ପରନ୍ତୁ ୟହ ଦୟା ତୋ ନେହିଁ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କରନା ହୈ । ତବ୍ ? ମୁଗଲ ଅପ୍‌ନୀ ତଲୱାର ଟେକ୍ କର୍ ଉଠ୍ ଖଡ଼ାହୁଆ । ମମତା ନେ କହା ‘କ୍ୟା ଆଶ୍ଚର୍ୟ ହୈ କି ତୁମ୍ ଭୀ ଛଲ୍ କରେ ।’’ ‘‘ଛଲ୍ ! ନେହୀ, ତବ୍ ନେହୀ ସ୍ତ୍ରୀ ! ଜାତା ହୁଁ, ତୈମୂର କା ବଂଶଧର ସ୍ତ୍ରୀ ସେ ଛଲ୍ କରେଗା ! ଜାତା ହୁଁ, ଭାଗ୍ୟ କା ଖେଲ୍ ହୈ ।’’

ଅନୁବାଦ:
ସୁସ୍ଥ ହେଲାପରେ ମୋଗଲଟି କହିଲା, ମାତା ! ମୁଁ ତେବେ ଚାଲିଯାଉଛି ? ସ୍ତ୍ରୀ ବିଚାର କରୁଥିଲା, ମୁଁ ବ୍ରାହ୍ମଣ ଅଟେ । ମୋତେ ତ ମୋର ଧର୍ମ ଅତିଥ୍ୟ ଦେବତାଙ୍କ ପୂଜା କିନ୍ତୁ ଏଠାରେ ……………………. ନା, ନା, ଏ ସବୁ ମୁସଲମାନମାନେ ଦୟାର ପାତ୍ର ନୁହଁନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ଏହା ଦୟା ଅଟେ । ତେଣୁ? ପାଳନ କରିବା ଉଚିତ । ନୁହେଁ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କରିବା ମୋଗଲ ନିଜର ତରବାରୀ ଉଠାଇ ଠିଆ ହେଲା, ମମତା କହିଲା ଏଥରେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ କ’ଣ ଅଛି ଯେ ତୁମେ ମଧ୍ଯ କପଟ କରିବ। ଅଟେ । ‘‘କପଟ, ନା, କେବେ ନୁହଁ ସ୍ତ୍ରୀ ! ଯାଉଛି, ତୈମୁରଙ୍କ ବଂଶଧର ସ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ କପଟ କରିବ ! ଯାଉଛି, ଭାଗ୍ୟର ଖେଳ ଅଟେ ।

ममता ने ………………… छोड़ दूँ ?’
ମମତା ନେ ମନ୍ ମେଁ କହା ‘ୟହାଁ କୌନ୍ ଦୁର୍ଗ ହୈ ! ୟହୀ ଝୋପଡ଼ା ହୈ, ଜୋ ଚାହେ ଲେ ଲେ । ମୁଝେ ତୋ ଅପ୍‌ନା କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କର୍‌ନା ପଡ଼େଗା ।’’ ୱହ ବାହର ଚଲୀ ଆୟୀ ଔର ମୁଗଲ୍ ସେ ଜଓ ଭ।ତର୍ ଥକେ ହୁଏ ଭୟଭୀତ୍ ପଥ୍ୟାକ୍ ! ତୁମ୍ ଚାହେ କୋଈ ହୋ, ମୈ ତୁମ୍‌ହେଁ ଆଶ୍ରୟ ଦେବୀ ହୁଁ । ମେଁ ଛୋଡ୍ ହେଁ ତୋ ମେଁ ଭୀ ଜ୍ୟୋ ଛୋଡ଼ ହୁଁ,

ଅନୁବାଦ:
ମମତା ମନକୁ ମନ କହିଲା ଏହିଠାରେ କୋଉ ଦୁର୍ଗ ଅଛି ! ଏହି କୁଡ଼ିଆ ଅଛି । ଯାହା ଇଚ୍ଛା ନେଇ ନିଅ । ମୋତେ ତ ନିଜର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ସେ ପଦାକୁ ପଳାଇ ଆସିଲା ଏବଂ ମୋଗଲକୁ କହିଲା ଭିତରକୁ ଯାଅ,, କ୍ଳାନ୍ତ ହୋଇଥ‌ିବା ଭୟଭିତ ବାଟୋଇ ତୁମେ ଯିଏ ହୁଅନା କାହିଁକି ମୁଁ ତୁମକୁ ଆଶ୍ରୟ ଦେଉଛି, ମୁଁ ବ୍ରାହ୍ମଣ କନ୍ୟା ଅଟେ, ସମସ୍ତେ ନିଜର ଧର୍ମ ଛାଡ଼ି ଦେଉଛନ୍ତି ବୋଲି କ’ଣ ମୁଁ ଛାଡ଼ିଦେବି ?

मुगल …………………. विश्रामकिया।
ମୁଗଲ୍ ନେ ଚନ୍ଦ୍ରମା କେ ମଂଦ୍ ପ୍ରକାଶ୍ ମେଁ ୱହ ମହିମାମୟ ମୁଖମଣ୍ଡଳ ଦେଖା । ଉସ୍‌ ମନ୍ ହୀ ମନ୍ ନମସ୍କାର କିୟା । ମମ୍‌ ପାସ୍‌କୀ ଟୂଟୀ ହୁଈ ଦୀୱାରୌ ମେଁ ଚଲୀ ଗଈ । ଭୀତର୍ ଥକେ ପଥ୍ୟକ୍ ନେ ଝୋପଡ଼ା ମେଁ ବିଶ୍ରାମ୍ କିୟା ।

ଅନୁବାଦ:
ମୋଗଲ ଚନ୍ଦ୍ରର କ୍ଷୀଣ ପ୍ରଭାରେ ସେହି ମହିମାପୂର୍ଣ୍ଣ ମୁଖମଣ୍ଡଳକୁ ଦେଖ‌ିଲେ । ସେ ମନକୁ ମନ ନମସ୍କାର କଲେ । ମମତା ପାଖରେ ଥ‌ିବା ଭଙ୍ଗା କାନ୍ଥ ପାଖକୁ ଚାଲିଗଲା । ଭିତରେ ଥକି ପଡ଼ିଥିବା ବାଟୋଇଟି କୁଡ଼ିଆରେ ବିଶ୍ରାମ କଲା ।

प्रभात में ………………. .यहाँ हूँ
ପ୍ରଭାତ୍ ମେଁ ଖଡ୍ଗର୍ କୀ ସଂଧୂ ସେ ମମତା ନେ ଦେଖା, ସୈକର୍ଡ଼ ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ଉସ୍ ପ୍ରାନ୍ତ ମେଁ ଘୂମ୍ ରହେ ହେଁ । ୱହ ଅପୂନୀ ମୂର୍ଖତା ପର୍ ଅପ୍‌ କୋ କୋସ୍କୋନେ ଲଗୀ । ଅବ୍ ଉସ୍ ଝୋପଡ଼ା ସେ ନିକଲ୍ କର୍ ଭସ୍ ପଥ୍ୟକ୍ ନେ କହା ‘ମିରଜା ! ମେଁ ‘ୟହାଁ ହୁଁ’’।

ଅନୁବାଦ:
ସକାଳୁ ଭଗ୍ନ କୁଡ଼ିଆର ଫାଙ୍କରେ ମମତା ଦେଖା, ଶହ ଶହ ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ବୁଲୁଛନ୍ତି । ସେ ନିଜର ମୁର୍ଖତା ପାଇଁ ନିଜକୁ ଧୃକ୍‌କାର କଲା। ବର୍ତ୍ତମାନ ସେହି କୁଡ଼ିଆରୁ ବାହାରି ପଥକଟି କହିଲା ‘ମିରଜା ! ମୁଁ ଏଠାରେ ଅଛି ।’’

शब्द ……………….. चले गये।
ଶବ୍ଦ ସୁନ୍‌ ହୀ ପ୍ରସନ୍ନତା କୀ ଚୀତ୍କାର୍ ଧ୍ବନି ସେ ୱହ ପ୍ରାନ୍ତ ଗୁଁଜ୍ ଉଠା । ମମତା ଅଧି ଭୟଭୀତ୍ ହୁଈ । ପଥକ୍ ନେ କହା ‘ଵହ ସ୍ତ୍ରୀ କହାଁ ହେଁ ଉସେ ଖୋଜ୍ ନିକାଲୋ।’ମମତା ଛିପ୍‌ନେ କେ ଲିଏ ଅଧ୍ବକ୍ ସଚେଷ୍ଟ ହୁଈ । ୱହ ମୃଗଦା ମେଁ ଚଲୀ ଗୟୀ । ଦିନ୍ ଭର୍ ଉସ୍‌ ସେ ନ ନିକଲୀ ସନ୍ଧ୍ୟା କୋ ଜବ୍ ଉକେ ଜାନେ କା ଉପକ୍ରମ ହୁଆ, ତୋ ମମତା ନେ ସୁନା, ପଥୁକ୍ ଘୋଡ଼େପର୍‌ ସର ହୋତେ ହୁଏ କହ ରହା ଥା ‘ମିରଜା ଉସ୍ ସ୍ତ୍ରୀ କୋ ମେଁ କୁଛ ଭୀ ନ ଦେ ସକା । ଉସ୍‌କା ଘର ବନଓ୍ବା ଦେନା, କୈ କି ବିପରି ମେଁ ମୈନେ ୟହାଁ ଆଶ୍ରୟ ପାୟା ଥା । ୟହ ସ୍ଥାନ୍ ଭୂଲ୍ ନା ମତ୍ ।’’ ଇସ୍‌ ବାଦ ୱେ ଚଲେ ଗୟେ ।

ଅନୁବାଦ:
ଶବ୍ଦଟି ଶୁଣି ଖୁସିର ଚିତ୍କାରରେ ସେ ସ୍ଥାନଟି ମୁଖରିତ ହୋଇଗଲା । ମମତା ଆହୁରୀ ଭୟଭୀତ ହେଲା । ପଥକଟି କହିଲା, ସେ ସ୍ତ୍ରୀ କେଉଁଠି ଅଛି ? ତାକୁ ଖୋଜି ବାହାର କର । ମମତା ଲୁଚିବା ପାଇଁ ଆହୁରି ଚେଷ୍ଟା କଲା, ସେ ମୃଗଦାବକୁ ଚାଲିଗଲା ଦିନ ସାରା ସେଠାରୁ ବାହାରିଲା ନାହିଁ । ସନ୍ଧ୍ୟାକୁ ଯେତେବେଳେ ସେମାନଙ୍କର ଯିବାକୁ ବ୍ୟବସ୍ଥା ଆରମ୍ଭ ହେଲା, ମମତା ଶୁଣିଲା, ପଥଟି ଘୋଡ଼ାରେ ଚଢ଼ି ଯାଉ-ଯାଉ କହୁଥିଲା, ମିରଜା ! ସେ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ମୁଁ କିଛି ଦେଇ ପାରିଲି ନାହିଁ । ତାହାର ଘର ତିଆରି କରିଦେବ, କାହିଁକିନା, ବିପଦରେ ମୁଁ ଏଠାରେ ଆଶ୍ରୟ ପାଇଥିଲି । ଏହି ଯାଗାକୁ ଭୁଲିବ ନାହିଁ, ଏହାପରେ ସେମାନେ ଚାଲିଗଲେ ।

चौसा ………………….. सहभागिनीरही।
ଚୌସା କେ ମୁଗଲ-ପଠାନ୍ ଯୁଦ୍ଧ କୋ ବହୁତ୍ ଦିନ୍ ବୀତ୍ ଗୟେ । ମମ୍‌ ଅବ୍ ସତ୍ତର ବର୍ଷକୀ ବୃଦ୍ଧା ହୈ । ହ ଅପୂନୀ ଝୋପଡ଼ା ମେଁ ଏକ ଦିନ୍ ପତ୍ନୀ ଥୀ । ଶୀତ୍‌କାଲ କା ପ୍ରଭାବ ଥା । ଉସ୍‌କା ଜୀର୍ଣ କଂକାଲ ଖାଁସୀ ସେ ଗୂଢ ରହା ଥା । ମମ୍‌ କୀ ସେଓ୍ବା କେ ଲିଏ ଗାଁୱ କୀ ଦୋ-ତୀନ ସ୍ତ୍ରୀର୍ଯା ଉସ୍ ଘେର୍ କର୍ ବୈଠୀ ର୍ଥୀ, ଜ୍ୟୋକି ୱହ ଆଜୀବନ ସବ୍ କେ ସୁଖ-ଦୁଃଖ କୀ ସହଭାଗିନୀ ରହୀ ।

ଅନୁବାଦ;
ମୋଗଲ-ପଠାନଙ୍କ ଚୌସା ଯୁଦ୍ଧକୁ ବହୁତ ଦିନ ହୋଇଗଲାଣି । ମମତା ଏବେ ୭୦ ବର୍ଷର ବୃଦ୍ଧା (ବୁଢ଼ୀ) ଅଟେ । ସେ ନିଜର କୁଡ଼ିଆରେ ଦିନେ ପଡ଼ିଥିଲା । ଶୀତ ସମୟ ଥାଏ । ତାହାର ଦୁର୍ବଳ କଂକାଳ (ଶରୀର) କାଶରେ ଶବ୍ଦ କରୁଥାଏ । ମମତାର ସେବା କରିବା ପାଇଁ ଗାଁର ଦୁଇ-ତିନି ଜଣ ସ୍ତ୍ରୀଲୋକ ତାକୁ ଘେରି ବସିଥିଲେ, କାହିଁକି ନା ସେ ଜୀବନସାରା ସମସ୍ତଙ୍କର ଦୁଃଖ ସୁଖର ଭାଗୀଦାରୀ ଥିଲା ।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

ममता ने ……………….. की हुई।’
ମମତା ନେ ଜଲ ପୀନା ଚାହା । ଏକ୍ ସ୍ତ୍ରୀ ନେ ସିପି ସେ ଜଲ୍ ପିଲାୟା । ସହସା ଏକ ଅଶ୍ୱାରୋହୀ ଉସୀ ଝୋପଡ଼ା କେ ଦ୍ୱାର୍ ପର୍ ଦିଖାୟୀ ପଡ଼ା । ୱହ ଅପ୍‌ ଧୁନ୍ ମେଁ କହୁନେ ଲଗା ‘ମିରଜା ନେ ଜୋ ଚିତ୍ର ବନାକର୍ ଦିୟା ହୈ, ୱହ ତୋ ଇସୀ ଜଗହ କା ହୋନା ଚାହିଏ । ୱହ ବୁଢ଼ିୟା ମର୍ ଗଈ ହୋଗୀ । ଅବ୍ କିସ୍ ସେ ପୂର୍ବେ କି ଏକ ଦିନ ଶାହଂଶାହ ହୁମାମୁଁ କିସ୍ ଛୱର୍ କେ ନୀଚେ ବୈଠେ ଥେ ? ୟହ ଘନା ଭୀ ତୋ ସୈତାଲୀସ ବର୍ଷ ସେ ଉପର୍ ହୋ ଚୁକି ହେ ।’’

ଅନୁବାଦ:
ମମତା ପାଣି ପିଇବାକୁ ଚାହିଁଲା । ଗୋଟିଏ ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ ତାକୁ ଶାମୁକାରେ ପାଣି ପିଆଇଲା ହଠାତ୍ ଗୋଟିଏ ଘୋଡ଼ା ଚାଳକ ସେହି କୁଡ଼ିଆର ଦ୍ବାର ଦେଶରେ ଦେଖାଗଲା । ସେ ନିଜର ସ୍ବରରେ କହିଲା ‘ମିରଜା ଯେଉଁ ଚିତ୍ର କରି ଦେଇଥିଲେ, ସେ ତ ଏହି ଜାଗା ହୋଇଥବ । ସେ ବୁଢ଼ୀ ମରିଯାଇଥିବ । ବର୍ତ୍ତମାନ କାହାକୁ ପଚାରିବା ଯେ ଏଠାରେ ଶାହଂଶାହ ହୁମାୟାଁ କେଉଁ ଛପର ତଳେ ବସିଥିଲେ। ଏହି ଘଟଣା ୪୭ ବର୍ଷ ଉପର ହେଲାଣି

ममता ने …………………. रही थी।”
ମମୂତା ନେ ଅପ୍‌ନେ ୱିକଲ୍ କାର୍କୋ ସେ ସୁନା । ଉସନେ ପାସ୍ କୀ ସ୍ତ୍ରୀ ସେ କହା ‘ବୁଲାଓ’। ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ପାସ୍ ଆୟା । ମମ୍ତା ନେ ରୁକ୍-ରୁକ୍ କର କହା ମେଁ ନହୀ ଜାନତୀ ୱହ ଶାହଂଶାହ ଥା ୟା ସାଧାରଣ ମୁଗଲ, ପର୍ ଏକ ଦିନ ଇସୀ ଝୋପଡ଼ା କେ ନୀଚେ ୱହ ରହା ଥା । ମୈନେ ସୁନା ଥା, ୱହ ମେରା ଘର ବନାନେ କୀ ଆଜ୍ଞା ଦେ ଗୟା ଥା । ମେଁ ଆଜୀବନ୍ ଅପୂନୀ ଝୋପଡ଼ା ଖୁଦ୍ୱାନେ କେ ଡର୍ ସେ ଭୟଭୀତ ରହୀ ଥୀ।

ଅନୁବାଦ:
ମମତା ତା’ର ବ୍ୟାକଳ କଣ୍ଠରେ ଶୁଣିଲା । ସେ ନିଜ ପାଖରେ ଥିବା ସ୍ତ୍ରୀକୁ କହିଲା ଡାକ। ଘୋଡ଼ା ଚାଳକଟି ପାଖକୁ ଆସିଲା, ମମତା ରହି ରହି କହିଲା, ମୁଁ ଜାଣି ନାହିଁ ସେ ଶାହଂଶାହଥିଲେ କି ସାଧାରଣ ମୋଗଲ, କିନ୍ତୁ ଗୋଟିଏ ଦିନ ସେ ଏହି କୁଡ଼ିଆ ତଳେ ଥିଲେ ମୁଁ ଶୁଣିଥିଲି, ସେ ମୋର ଘର ତିଆରି କରିବାକୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଇ ଯାଇଥିଲେ ମୁଁ ଜୀବନ ସାରା ନିଜର କୁଡ଼ିଆ ଖୋଳାଯିବାର ଭୟରେ ଭୟଭୀତ ହେଉଥୁଲି ।

‘भगवान ने ……………….. उड़ गये।
‘ଭଗବାନ ନେ ସୁନା ଲିୟା, ମେଁ ଆଜ ଇସ୍ ଛୋଡ଼ ଜାତୀ ହୁଁ । ଅବ୍ ତୁମ ଇସ୍‌କା ମକାନ୍ ବନାଓ ୟା ମହଲ୍, ମେଁ ଅପ୍ରେନେ ଚିର ବିଶ୍ରାମ-ଗୃହ ମେଁ ଜାତି ହୁଁ ।’’ ହ ଅଶ୍ଵାରୋହୀ ଅବାକ୍ ଖଡ଼ା ଥା । ବୁଢ଼ିୟା କେ ପ୍ରାଣ ପକ୍ଷୀ ଅନନ୍ତ୍ ମେଁ ଉଡ଼ ଗୟେ ।

ଅନୁବାଦ:
ଭଗବାନ ଶୁଣିଲେ, ମୁଁ ଆଜି ଏହାକୁ ଛାଡ଼ିଯାଉଛି । ତୁମେ ଏବେ ଏହାକୁ ଘରକର କିମ୍ବା କୋଠାଘର (ମହଲ), ମୁଁ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ମୋ ବିଶ୍ରାମଘରକୁ ଯାଉଛି । ସେହି ଘୋଡ଼ାଚାଳକ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟରେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲା । ବୁଢ଼ୀର ପ୍ରାଣ-ପକ୍ଷୀ ଆକାଶରେ ଉଡ଼ିଗଲା ।

वहाँ एक ……………………. नाम न था।
ହାଁ ଏକ୍ ଅଷ୍ଟ୍ଣ୍ ମନ୍ଦିର୍ ବନା ଔର୍ ଉସ୍‌ର୍ ଶିଲାଲେଖ ଲଗାୟା ଗୟା ‘‘ସାର୍ଡୋ ଦେଶୌ କେ ନରେଶ ହୁମାୟାଁ ନେ ଏକ୍ ଦିନ୍ ୟହାଁ ବିଶ୍ରାମ କିୟା ଥା । ଉକେ ପୁତ୍ର ଅକବର୍ ନେ ଉସ୍‌ ସ୍ମୃତି ମେଁ ୟହ ଗଗନଚୁମ୍ବୀ ମନ୍ଦିର୍ ବନବାୟା’’ । ପର୍ ଉସ୍ରେ ମମତା କା କର୍ମୀ ନାମ୍ ନ ଥା ।
ଅନୁବାଦ:
ସେଠାରେ ଗୋଟିଏ ଅଷ୍ଟକୋଣ ମନ୍ଦିର ତିଆରି ହେଲା ଏବଂ ତା ଉପରେ ଶିଳାଲେଖ ଲେଖାଗଲା । ‘‘ସାତଟି ଦେଶର ରାଜା ହୁମାୟାଁ ଦିନେ ଏହିଠାରେ ବିଶ୍ରାମ କରିଥିଲେ । ତାଙ୍କ ପୁଅ ଆକବର ତାଙ୍କ ସ୍ମୃତି ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଏହି ନଭଶ୍ଚୁମ୍ବୀ ମନ୍ଦିର ତିଆରି କଲେ ।’’ କିନ୍ତୁ ସେଥ‌ିରେ ମମତାର କୌଣସି ନାମ ନଥିଲା।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

शोण – एक नदी का नाम (ଗୋଟିଏ ନଦୀର ନାମ)।

विकल – व्याकुल (ବ୍ୟାକୁଳ/ବ୍ୟସ୍ତ)।

बेसुध – बेहोश, मग्न (ବେହୋସ, ମଗ୍ନ, ତଲ୍ଲିନ୍) ।

विकीर्ण – फैला या छितराया हुआ (ବିଛାଡ଼ି ହୋଇଥବା) ।

म्लेच्छ – मनुष्यों की वे जातियाँ जिनमें धर्म न हो (ମନୁଷ୍ୟର ଗୋଟିଏ ଜାତି ଯେଉଁ ମାନଙ୍କର ଧର୍ମ ନାହିଁ, କ୍ଲେଛ) ।

उत्कोच – घूस या रिश्वत (ଲାଞ୍ଚ) ।

डोली – एक प्रकार की सवारी जिसे कहार कन्धों पर लेकर चलते हैं-

ताँता – कतार (ଧାଡ଼ି) ।

कोष – संचित धन (ସଞ୍ଚ ଧନ, କୋଷ) ।

पठान – अफगानिस्तान और पश्चिम पाकिस्तान के बीच वसी हुई एक मुसलमान जाति जो वीरता, कठोरता आदि के लिए प्रसिद्ध है (ଆଫଗାନିସ୍ଥାନ ଓ ପଶ୍ଚିମ ପାକିସ୍ତାନ ମଧ୍ୟରେ ବାସକରନ୍ତି) ।

मुगल – मंगोल देश का निवासी, मुसलमानों का एक वर्ग (ମଙ୍ଗୋଲ ଦେଶର ନିବାସୀ/ ମୁସଲମାନର ଏକ ଜାତି) ।

धर्मचक्र – धर्म का समूह

तृणगुल्म – कई शाखाओं में होकर निकलने वाली घास (କୌଣସି ଶାଖାରେ ହୋଇଥିବା ଛୋଟ ଛୋଟ ଘାସମଗୁଳ୍ମ)।

चन्द्रिका – चाँदनी (ଚାନ୍ଦିନୀ, ଶଶାଙ୍କ, ଶଶି) ।

स्तूप – टीला (ସ୍ତୁପ) । जिसके नीचे भगवान बुद्ध की अस्थि, दाँत, केश आदि स्मृति चिह्न सुरक्षित हो (ଯେଉଁଠାରେ ଭଗବାନ ବୁଦ୍ଧଙ୍କ ଅସ୍ତ, ଦାନ୍ତ କେଶ ଆଦି ସ୍ମୃତି ଚିହ୍ନ ସୁରକ୍ଷିତ ହୋଇଅଛି) ।

कपाट – किवाड़, पट, दरवाजा (କବାଟ, ଦ୍ଵାର) ।

खण्डहर – किसी टूटे हुए या गिरे हुए मकान का बना हुआ भाग (ଭଗ୍ନାବଶେଷ ) ।

मृगदाव – काशी के पास ‘सारनाथ’ नामक स्थान का प्राचीन नाम स्थान का प्राचीन नाम (କାଶୀ ନିକଟରେ ଥିବା ସାରନାଥ ନାମକ ଏକ ସ୍ଥାନର ପ୍ରାଚୀନ ନାମ ) ।

सीपी – कड़े आवरण के भीतर रहने वाला संख, गोंधा आदि की जाति का जल-जन्तु। (ଜଳଜୀବ ବା ଶାମୁକା ) ।

खाँसी – (କାଶ) ।

छल – कपट (କପଟ)।

क्रूर – क्रोध (ନିଷ୍କୁର)।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 ममता

कहानीकार का परिचय (କାହାଣୀକାର ବା ଲେଖକଙ୍କ ପରିଚାୟ):

जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् १८८९ ( 1889) ईं० में हुआ। उनके पिता सुंघनी साहू मशहूर तम्बाकू व्यापारी थे। वे व्यवसाय करते थे, लेकिन लिखते थे काव्य – कविता क्योंकि उनके पिता देवीप्रसाद विद्धानों- गुणीजनों का आदर करते थे। प्रसादजी को उच्च शिक्षा नहीं मिली। उन्होंने घर पर हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी पढ़ी। माता-पिता का जल्दी देहान्त हो गया। इसलिए उन्हें किशोरावस्था से ही पारिवारिक भार उठाना पड़ा। सन् १९३७ (1937) ई. को ४८ वर्ष की उम्र में हीउनका निधन हो गया।

अभिमत:
ममता मध्ययुग के रोहतास दुर्ग के ब्राह्मण-मन्त्री चूड़ामणि की विधवा पुत्री है। उसकी माता का पहले ही देहान्त हो चुका था। स्नेहपालिता पुत्री का दुःख कुछ कम करने के लिए पिता चूड़ामणि पठानों से प्राप्त स्वर्ण- मुद्रा भेंट करते हैं; पर ममता यह कहकर कि ‘हम लोग ब्राह्मण हैं, इतना सोना लेकर क्या करेंगे’ यह भेंट ठुकरा देती है। कुछ दिनों के पश्चात् पठानों से हुए संघर्ष में ममता के पिता मारे जाते हैं। दुर्ग पर शेरशाह का अधिकार हो जाता है। ममता भाग निकलती है और एक बौद्ध मठ के खण्डहरों में जा छिपती है।

आगे चलकर मुगल बादशाह हुमायूँ चौसा- युद्ध में शेरशाह से हारकर एक रात को ममता की झोंपड़ी में पहुंचते हैं और आश्रम की भिक्षा मांगते हैं। ‘अतिथि देवो भव’ – इसी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के नाम पर ममता हुमायूँ की मदद करती हे। मदद के प्रतिदान देने के लिए हुमायूँ ममता की खोज करने का आदेश सैनिकों को देते हैं, पर ममता कहीं नहीं मिलती। तब उस झोंपड़ी के स्थान पर एक घर बनानेका आदेश मिरजा को देते हुए हुमायूँ लौट जाते हैं। फिर ४७ सालों के बाद अकबर जब मुगल बादशाह बनते हैं, तब उनकी आज्ञा से मिरजा ममता का घर बनवाने के लिए आते हैं। उस समय ममता ७० साल की वृद्धा है। मुगलों को अपनी झोंपड़ी सौंपकर ममता स्वर्ग सिधार जाती है। उस स्थान पर हुमायूँ की स्मृति में एक अष्टकोण मन्दिर बनवाया तो जाता है, पर कहीं भी उस मन्दिर पर ममता का नाम लिखा नहीं जाता।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन

Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ବାକେଁ ମେଁ ଦୀଜିଏ )
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )
(क) रामन के प्रारंभिक शोध कार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
(ରାମନ୍ କେ ପ୍ରାରଂଭିକ ଶୋଧ-କାର୍ଯ କୋ ଆଧୁନିକ ହଠୟୋଗ କ୍ୟା କହା ଗୟା ହୈ ?)
(ରମଣଙ୍କ ପ୍ରାରମ୍ଭିକ ଗବେଷଣା କାର୍ଯ୍ୟକୁ ଆଧୁନିକ ହଟଯୋଗ କାହିଁକି କୁହାଯାଇଛି ?)

रामन कलकत्ता में स्थापित ‘इंडियन एसोसिएसन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते। जिसमें एक साधक दफ्तर में कड़ी मेहनत के बाद बहू बाजार की इस मामूली-सी प्रयोगशाला में पहुँचता और अपनी इच्छा शक्ति के जोर से भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के प्रयास किया। इसलिए रामन के प्रारंभिक शोध-कार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया।

(ख) रामन-प्रभाव का परिणाम कैसा रहा?
(ରାମନ୍-ପ୍ରଭାବ୍ କା ପରିଣାମ କୈସା ରହା ?)
(ରମଣ ପ୍ରଭାବର ପରିଣାମ କିପରି ରହିଲା ?)
उत्तर:
रामन कलकत्ता विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल में पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शौध में वितानें लगो। सन् 1911 में समुद्र – यात्रा के समय रामन के मस्तिष्क में समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें लेने लगा तो उन्होंने आगे इस दिशा में प्रयोग किए, जिसकी परिणाम रामन प्रभाव की खोज के रूप में हो रहा।

(ग) भारतीय संस्कृति से रामन का लगाव कैसा था?
(ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତି ସେ ରାମନ୍ କା ଲଗାବ୍ କୈସା ଥା ?)
(ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତିପ୍ରତି ରମଣଙ୍କ ଆଗ୍ରହ କିପରି ଥୁଲା ?)
उत्तर:
भारतीय संस्कृति से रामन को हमेशा गहरा लगाव रहने के साथ भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा। अंतराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद उन्हें अपने दक्षिण भारतीय पहनावे को नहीं छोड़ा। वे कट्टर शाकाहारी थे और मदिरा से सखत परदेज केहते थे।

(घ) देश मं वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के लिए रामन ने क्या योगदान दिया?
(ଦେଶ ମେଁ ବୈଜ୍ଞାନିକ୍ ଦୃଷ୍ଟି ଔର୍ ଚିନ୍ତନ୍ କେ ବିକାଶ୍ କେ ଲିଏ ରାମନ୍ ନେ କ୍ୟା ୟୋଗଦାନ୍ ଦିୟା ?)
(ଦେଶରେ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟି ଓ ଚିନ୍ତନ ବିକାଶ ପାଇଁ ରମଣ କ’ଣ ଅବଦାନ ଦେଲେ (ଥ୍ଲା) ?)
उत्तर:
देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के लिए रामन ने एक उन्नत प्रयोगशाला और शोध- संस्थान की स्थापना वंगलौर में किया। और उन्हों के नाम पर ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्युट्’ नाम से नामित किया। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होने ‘इंडियन जरनल आफ फिजिकस’ नामक शोध पत्रिका प्रारंभ की।

(ङ) रामन को क्या-क्या पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए ?
(ରାମନ୍ କୋ କ୍ୟା-କ୍ୟା ପୁରସ୍କାର୍ ଔର୍ ସମ୍ମାନ୍ ପ୍ରାପ୍ତ ହୁଏ ?)
(ରମଣଙ୍କୁ କେଉଁସବୁ ପୁରସ୍କାର ଓ ସମ୍ମାନ ମିଳିଥିଲା ? )
रामन को रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का हच्ज् पदक, फिलोडेल्फया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार आदि मिला । सन 1929 में रामन को रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानीत, 1929 में ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। सन् 1954 में देशके सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) पेड़ से सेब गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले कौन समझ पाया?
(ପେଡ୍ ସେ ସେବ୍ ଗିର୍‌ନେ କେ ପୀଛେ ଛିପେ ରହସ୍ୟ କୋ ସଙ୍ଗେ ପହଲେ କୌନ ସମଝା ପାୟା ?)
(ଗଛରୁ ଆତ ପଡ଼ିବାର ପଛରେ ଛପି ରହିଥ‌ିବା ରହସ୍ୟକୁ ସର୍ବପ୍ରଥମେ କିଏ ବୁଝି ପାରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
पेड़ से सेब गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले न्युटन समझ पाया।

(ख) रामन का जन्म कब हुआ था ? IR की। बीई पी ईथा था ?
(ରାମନ୍ କା ଜନ୍ମ କବ୍ ହୁଆ ଥା ?)
(ରମଣଙ୍କ ଜନ୍ମ କେବେ ହୋଇଥିଲା?)
उत्तर:
रामन का जन्म 7 नवंबर सन 1888 को तामिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था।

(ग) रामन के पिता किस विषय के शिक्षक थे?
(ରାମନ୍ କା ପିତା କିସ୍ ବିଷୟ କେ ଶିକ୍ଷକ୍ ଥେ ?)
(ରମଣଙ୍କ ପିତା କେଉଁ ବିଷୟରେ ଶିକ୍ଷକ ଥିଲେ ?)
उत्तर:
रामन के पिता गणित और भौतिकी (पदार्थविज्ञान) के शिक्षक थे।

(घ) रामन का पहला शोधपत्र किस में प्रकाशित हुआ?
(ରାମନ୍ କା ପହଲା ଶୋଧପତ୍ର କିସ୍ ମେଁ ପ୍ରକାଶିତ ହୁଅ ?)
(ରମଣଙ୍କ ପ୍ରଥମ ଗବେଷଣାପତ୍ର କେଉଁଥ‌ିରେ ପ୍ରକାଶିତ ହେଲା?)
उत्तर:
रामन का पहला शोधपत्र फिलोसॉफिकल मैगजनी में प्रकाशित हुआ।

(ङ) रामन को भारत सरकार के किस विभाग में नौकरी मिली?
(ରାମନ୍ କୋ ଭାରତ୍-ସରକାର୍ କେ କିସ୍ ବିଭାଗ୍ ମେଁ ନୌକରୀ ମିଳୀ ?)
(ରମଣକୁ ଭାରତ-ସରକାରଙ୍କ କେଉଁ ବିଭାଗରେ ଚାକିରୀ ମିଳିଲା ?)
उत्तर:
रामन को भारत सरकार के वित्त विभाग में नौकरी मिली।

(च) डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार ने कौन-सी संस्था खड़ी की थी?
(ଡାକ୍ଟର ମହେନ୍ଦ୍ରଲାଲ୍ ସରକାର୍ ନେ କୌନ-ସୀ ସଂସ୍ଥା ଖଢ଼ୀ କୀ ଥୀ ?)
(ଡାକ୍ତର ମହେନ୍ଦ୍ରଲାଲ ସରକାର କେଉଁ ସଂସ୍ଥା ଛିଡ଼ା କରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार ने इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस नामक संस्था खड़ी की थी।

(छ) रामन ने कब सरकारी नौकरी छोड़ दी?
(ରାମନ ନେ କବ ସରକାରୀ ନୌକରୀ ଛୋଡ଼ ଦୀ)
(ରମଣ କେବେ ସରକାରୀ ଚାକିନୀ ଛାଡ଼ିଲେ ?)
उत्तर: रामन ने सन 1917 में सरकारी नौकरी छोड़ दी।

(ज) समुद्र-यात्रा पर रामन कब निकले?
(ସମୁଦ୍ର ଯାତ୍ରା ପର୍ ରାମନ ନିକଲେ ?)
(ସମୁଦ୍ର ଯାତ୍ରାରେ ରମଣ କେବେ ବାହାରିଲେ ?)
उत्तर:
समुद्र- यात्रा पर रामन सन् 1921 में निकले।

(झ) रामन को कब ‘सर’ की उपाधि मिली?
(ରାମନ କୋ କବ୍ ‘ସର’ କୀ ଉପାଧ୍ ମିଲୀ ?)
(ରମଣଙ୍କୁ କେବେ ‘ସର’ ଉପାଧ୍ ମିଳିଲା ?)
उत्तर:
रामन को सन् 1929 में ‘सर’ की उपाधि मिली।

(ञ) सन् 1954 ईं में रामन को किस सम्मान से सम्मानित किया गया?
(ସନ୍‌ ୧୯୫୪ ଈ.ମେଁ ରାମନ୍ କୋ କିସ୍ ସମ୍ମାନ୍ ସେ ସମ୍ମାନିତ କିମ୍ବା ଗୟା ?)
(୧୯୫୪ ମସିହାରେ ରମଣକୁ କେଉଁ ସମ୍ମାନରେ ସମ୍ମାନିତ କରାଗଲା ?)
उत्तर:
सन् 1954 ईं. में रामन को ‘भारत रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया गया।

(ट) रामन की खोज ने किसे सहज बनाया?
(ରାମନ୍ କୀ ଖୋଜ ନେ କିସେ ସହଜ ବନାୟା ?)
(ରମଣଙ୍କ ଆବିଷ୍କାର ଦ୍ବାରା କ’ଣ ସହଜ ହୋଇଗଲା?)
उत्तर:
रामन की खोज पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आतंरिक संरचना के अध्ययन को सहज बनाया।

(ठ) रामन ने ‘रामन इंस्टीच्यूट’ की स्थापना क्यों की?
(ରାମନ୍ ନେ ‘ରାମନ୍ ଇଂସ୍ଟିଚ୍ୟୁଟ୍’ କୀ ସ୍ଥାପନା କେଁ କୀ ?) ]
(ରମଣ ‘ରମଣ ଇଂଷ୍ଟିଚ୍ୟୁଟ’ କାହିଁକି ସ୍ଥାପନ କଲେ ?)
उत्तर:
भौतिक शास्त्र के अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए रामन ने रामन इंस्टीच्यूट स्थापना की।

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3. कोष्ठक से सही उत्तर चुनकर रिक्त स्थान भरिए:
(ଦକ୍ଷତାରୁ ଉପଯୁକ୍ତ ଉତ୍ତର ବାଛି ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ ପୂରଣ କର)
(क) एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सब से अधिक ऊर्जा ………………….. रंग के प्रकाश में होती है। (नीले, बैंगनी, नारंगी, आसमानी)
उत्तर:
वैंगनी,

(ख) रामन की खोज ……………….. के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। (गणति, रसायन शास्र, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान)
उत्तर:
भौतिक विज्ञान,

(ग) रामन को सन् …………………. में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया था। (1921, 1929, 1924, 1954)
उत्तर:
1924

(घ) रामन नोबेल पुरस्कार पाने वाले …………………. भारतीय वैज्ञानिक थे। (दूसरे, तीसरे, पहले, चौथे)
उत्तर:
पहले,

(ङ) रामन की मृत्यु ……………………… वर्ष की आयु में हुई। (85,82,83,84)
उत्तर:
82

1. समानार्थी शब्द लिखिए: (ପ୍ରତିଶବ୍ଦ ଲେଖ)
समुद्र, दफ्तर, प्रकाश, तलाश, मेहनत, जवाब, सवाल, पेड़, फैसला
उत्तर:
समुद्र – उदधी, सिन्धु

जवाब – उत्तर

दफ्तर – कार्यालय

सवाल – प्रश्न

तलाश – खोज, अनुसंधान

पेड़ – वृक्ष

मेहनत – परिश्रम, श्रम

फैसला – राय, निर्णय

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2. पाठ में आए निम्न शब्दों के लिंग बताइए:
(ପାଠରୁ ଆସିଥିବା ନିମ୍ନ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ଲିଙ୍ଗ କୁହ:)
यात्रा, समुद्र, जिज्ञासा, नींव, ऊर्जा, आभा, दीपक, फैसला, प्रस्ताव, परदा
उत्तर:

स्त्रीलिंग पुंलिंग
यात्रा समुद्र
जिज्ञासा दीपक
नींव फैसला
ऊर्जा प्रस्ताव
आभा परदा

3. वचन बदलिए: (ବଚନ ବଦଲାଥି)
ध्वनि, नौकरी, चीज, जिज्ञासा
उत्तर:
ध्वनि – ध्वनियाँ नौकरी-नौकरियाँ चीज-चीजें जिज्ञासा-जिज्ञासाएँ

4. विज्ञान + इक = वैज्ञानिक
यहाँ ‘विज्ञान’ शब्द में ‘इक’ प्रत्यय जुड़कर नया शब्द ‘वैज्ञानिक’ बना है। इसी प्रकार ‘इक’ प्रत्यय जोड़कर पाँच शब्द बनाइए।
(ଏଠାରେ ବିଜ୍ଞାନ ଶବ୍ଦରେ ‘ଇକ’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ସଂଯୋଗରେ ନୂଆ ଶବ୍ଦ ବୈଜ୍ଞାନିକ ହୋଇଛି । ଏହିପରି ‘ଇକ’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ସଂଯୋଗ କରି ପାଞ୍ଚଟି ଶବ୍ଦ ଗଠନ କର ।)
उत्तर:
दिन + इक = दैनिक
वर्ष + इक = वार्षिक
नीति + इक = नैतिक
धर्म + इक = धार्मिक
साहित्य + इक = साहित्यिक

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5. निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित शब्दों को स्पष्ट कीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ରେଖାଙ୍କିତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ କର : )
(ବିଶେଷ୍ୟ, ସର୍ବନାମ, ବିଶେଷଣ, କ୍ରିୟା ଆଦି ।)
(संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि)
(क) वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते।
उत्तर:
वे-सर्वनाम
खोए रहते – क्रिया

(ख) इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना।
उत्तर:
संस्था – संज्ञा
वैज्ञानिक – विशेषण

(ग) प्रतिभावान छात्र, सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे।
उत्तर:
प्रतिभावान – विशेषण
छात्र – संज्ञा
सरकारी – विशेषण
नौकरी – संज्ञा

(घ) हमारे आसपास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी है।
उत्तर:
हमारे – सर्वनाम
बिखरी पड़ी हैं – क्रिया

(क) वे अपना पूरा समय अध्ययन अध्यापन और शोध में बिताने लगे
उत्तर:
वे अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शाध में बिताने लगे।

(ख) आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है
उत्तर:
आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है?

(ग) बैंगनी के बाद क्रमशः नीले आसमानी हरे पीले नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है।
उत्तर:
बैंगनी के बाद क्रमशः नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है

7. रिक्त स्थानों में सही परसर्ग भरिए:
(क) भारतीय संस्कृति …………… रामन ………………. हमेशा ही गहरा लगाव रहा।
उत्तर:
से, को,

(ख) रामन वैज़ानिक चेतना और दृष्टि …………………. साक्षात् प्रतिमूर्त्रि थे।
उत्तर:
की,

(ग) रामन …………….. खोज भौतिकी …………………. क्षेत्र ………………… एक क्रांति ………………… समान थी।
उत्तर:
की, के, में, के

गृह कार्य:
(क) नोबेल पुरस्कार पानेवाले भारतीयों के बारे में जानकारी हासिल कीजिए।
(ख) आइजाक न्यूटन की उपलब्धि के बारे में पता लगाइए।
उत्तर:
(क) भारती वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रामन को १९३० ई. में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे नोबल पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय थे। इसके बाद मदर टेरेसा को शांति के लिए नोबल पुरस्कार मिला था।
(ख) आइजाक न्यूटन ने मध्याकर्षण शक्ति का आविष्कार किया था। पृथ्वी के नीचे एक चुम्बकीय शक्ति है जो हर चीज को अपनी ओर खींचती (नीचे की ओर) है। इस तथ्य का आविष्कार न्युटन ने किया था।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
प्रथम भारतीय नोबेल बिजेता वैज्ञानिक कौन है?
उत्तर:
प्रथम भारतीय नोबेल विजेता वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रामन हैं।

प्रश्न 2.
वैज्ञानिक रामन ने कितनी उर्म में मैट्रिक पास किया?
उत्तर:
बैज्ञानिक रामन ने ग्यारह साल की उर्म में मैट्रिक पास किया।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक रामन को कब नोबेल पुरस्कार मिला?
उत्तर:
बैज्ञानिक रामन को सन् १९३० ईस्वी में नोबेल पुरस्कार मिला।

प्रश्न 4.
रामन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
रामन का जन्म ७ नवंबर सन् १८८८ को तामिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था।

प्रश्न 5.
रामन के पिना क्या थे?
उत्तर:
रामन के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे।

प्रश्न 6.
प्रतिभावान छात्र किस ओर आकर्षित होते थे?
उत्तर:
प्रतिभावान छात्र सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे।

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प्रश्न 7.
रामन बहुबाजार क्यों आते थे?
उत्तर:
रामन बहुबाजार स्थित ‘इंडियन एसोसिएशन फॅर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में शोधकार्य के लिए आते थे।

प्रश्न 8.
रामन की खोज की बजह से क्या सहज हो गया?
उत्तर:
रामन की खोज की बजह के पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया।

प्रश्न 9.
आइंस्टाइन ने प्रकाश के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
आइंस्टाइन ने प्रकाश के बारे में बताया कि प्रकाश आति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है।

प्रश्न 10.
रामन को किससे लगाव रहा?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति से रामन को हमेंशा ही गहरा लगाव रहा।

प्रश्न 11.
विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए रामन क्या करते थे?
उत्तर:
विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए ‘करेंट साइंस’ नामक एक पत्रिका का संपादन करते थे।

प्रश्न 12.
पेड़ से सेब गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले कौन समझ पाया?
उत्तर:
पेड़ से सेब गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले न्यूटन समझ पाया।

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प्रश्न 13.
रामन का पहला शोधपत्र किसमें प्रकाशित हुआ था?
उत्तर:
रामन का पहला शोधपत्र फिलोसॉफिकल मौगाजीन में प्रकाशित हुआ था।

प्रश्न 14.
एकवर्णिय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक उर्जा किस रंग के प्रकाश में होती है?
उत्तर:
एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक उजी बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है।

प्रश्न 15.
रामन ने कब सरकारी नौकरी छोड़ दी?
उत्तर:
जब रामन ने कलकता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का कार्य भार संकाला तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।

प्रश्न 16.
रामन की खोज किस क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी?
उत्तर:
रामन की खोज भौतिक के क्षेत्र में एक कांति के समान थी।

प्रश्न 17.
डॉ महेन्द्रलाल सरकार ने कौन-सी संस्था खड़ी की थी?
उत्तर:
महेन्द्रलाल सरकार ने ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कालटीवेशन ऑफ सांइस’ नामक एक प्रयोगशाला संस्था खड़ी की थी।

प्रश्न 18.
रामन को ‘सर’ की उपाधि कब मिला?
उत्तर:
रामन को ‘सर’ की उपाधि सन् १९२९ ईं को मिला।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
प्रतिभावान छात्र किसपर आकर्षित होते थे?
उत्तर:
अध्यापक पदपर

प्रश्न 2.
पेड़ से सेव गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले कौन समझ पाया?
उत्तर:
न्युटन

प्रश्न 3.
रामन के पिता किस बिषय के शिक्षक थे?
उत्तर:
भौतिकी और गणित

प्रश्न 4.
रामन कब जन्मग्रहण किए थे?
उत्तर:
७ नवबंर सन् १८८८

प्रश्न 5.
रामन का पहला शोध पत्र किस में प्रकाशित हुआ?
उत्तर:
फिलोसॉफिकल मैगजीन

प्रश्न 6.
भारत-सरकार के किस विभाग में रामन को नौकरी मिली?
उत्तर:
वित्त विभाग

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प्रश्न 7.
सरकारी नौकरी रामन ने कब छोड़ दी?
उत्तर:
१९१७

प्रश्न 8.
रामन समुद्र यात्रा पर कब निकले?
उत्तर:
१९२१

प्रश्न 9.
‘भारत रत्न’ से सम्मानित रामन को कब किया गया?
उत्तर:
१९५४

प्रश्न 10.
किस क्षेत्र रामन की खोज में एक क्रांति के समान थी?
उत्तर:
भौतिक विज्ञान

प्रश्न 11.
कौन नोबेल पुरस्कार पाने बाले पहले भारतीय बैज्ञानिक थे?
उत्तर:
रामन

प्रश्न 12.
फिलोसोफिकल मैंगजीन रामन का कौन-सा शोधपत्र था?
उत्तर:
पहला

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प्रश्न 13.
रामन को कब ‘सर’ की उपाधि मिली?
उत्तर:
1929

प्रश्न 14.
रामन की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई?
उत्तर:
८२ वर्ष

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
रामन की खोज ………………. के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
उत्तर:
भौतिक विज्ञान

प्रश्न 2.
वैज्ञानिक रामन ने ………………. उम्र में मैट्रिक पास किया।
उत्तर:
ग्यारह साल

प्रश्न 3.
…………………… ने कहा- “प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है”।
उत्तर:
आइंष्टाइन

प्रश्न 4.
रामन को सन् …………………. में राँयाल सोसाइटी की सहायता से सम्मानित किया गया था।
उत्तर:
१९२४

प्रश्न 5.
रामन पदार्थो की आणविक और पारमाणविक संरचना अध्ययन के लिए ………………… का सहारा लिया।
उत्तर:
स्पेक्ट्रोस्कोपी

प्रश्न 6.
‘बैज्ञानिक चेतना के बाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन’ ………………….. यह रचना की है।
उत्तर:
धीरंजन मालवे

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प्रश्न 7.
डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार ने ………………. संस्था का खड़ा किया था।
उत्तर:
इंड़ियन एसोसिएशन फॅर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस

प्रश्न 8.
…………………… ‘सर’ की उपाधि रामन को मिली।
उत्तर:
१९२९

प्रश्न 9.
सन् १९५४ ई. में रामन को ……………….. सम्मान से सम्मानित किया गया।
उत्तर:
भारत-रत्न

प्रश्न 10.
सब से अधिक ऊर्जा एक वर्णीय प्रकाश की किरणों में …………………. रंग के प्रकाश में होती है।
उत्तर:
बैंगनी

प्रश्न 11.
……………………….. रामन को रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया था।
उत्तर:
१९२४

प्रश्न 12.
नोबेल पुरस्कार पाने वाले रामन …………….. से भारतीय बैजानिक थे।
उत्तर:
पहले

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प्रश्न 13.
……………….. वर्ष की आयु में रामन की मृत्यु हुई।
उत्तर:
८२

प्रश्न 14.
रामन को ……………… ईस्वी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उत्तर:
९ ९ ३ ०

प्रश्न 15.
………………. प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंगनी रंग के प्रकाश में होती है।
उत्तर:
एकवर्णीय

प्रश्न 16.
………………. अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है।
उत्तर:
प्रकाश

प्रश्न 17.
नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहला भारतीय वैज्ञानिक ………………… है।
उत्तर:
रामन

प्रश्न 18.
१ ९ २ ४ ई० में रामन को …………………. की सदस्यता से सम्मानित किया गया।
उत्तर:
रॉयल सोसाइटी

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प्रश्न 19.
सनु १९२१ को रामन ………………… यात्रा पर निकले।
उत्तर:
समुद्र यात्रा

प्रश्न 20.
……………….. वैज्ञानिक ने “इंड़ियन एसोसियन फॅार द कल्टीवेसन आँफ साइंस” की स्थापना की।
उत्तर:
वेंकटरामन

प्रश्न 21.
रामन का जन्म……………… हुआ था।
उत्तर:
७ नवंबर १८८८

प्रश्न 22.
पेड़ से सेव गिरने के रहस्य को ……………….. समझ पाया।
उत्तर:
न्युटन

प्रश्न 23.
‘इंड़ियन एसोसिएसन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ …………………… बनाया।
उत्तर:
डॉक्टर महेन्द्रलाला सरकार

प्रश्न 24.
रामनका मृत्यु …………………… वर्ष की आयु में हुई।
उत्तर:
८?

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प्रश्न 25.
सन् १८५४ ईं.में रामन को …………………. सम्मान से सम्मानित किया गया।
उत्तर:
भारत-रत्न

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘बैज्ञानिक चेतना के बाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन’ पा के लेखक हैं
(A) धीरंजन मालवे
(B) वेंकट रामन
(C) रवीन्द्रनाथ
(D) अबदुल कलाम
उत्तर:
(A) धीरंजन मालवे

2. रामन ने कितने साल की उम्र भौतिक पास किया?
(A) दस
(B) बारह
(C) ग्यारह
(D) तेरह
उत्तर:
(C) ग्यारह

3. प्रथम भारतीय जो नोबेल बिजेता बने, वे हैं –
(A) धीरंजन मालवे
(B) विनोबाभावे
(C) वेंकटरमन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) वेंकटरमन

4. रामन को कब नोबेल पुरस्कार से नबाजा गया?
(A) 1940
(B) 1941
(C) 1935
(D) 1930
उत्तर:
(D) 1930

5. रामन का जन्म कहाँ पर हुआ था?
(A) तामिलनाडु
(B) दिल्ली
(C) तिरूपिरापल्ली
(D) मद्रास
उत्तर:
(C) तिरूपिरापल्ली

6. रामन का जन्म कहाँ पर हुआ था?
(A) वैज्ञानिक
(B) शिक्षक
(C) वकील
(D) कृषक
उत्तर:
(B) शिक्षक

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7. रामन का जन्म कब हुआ था?
(A) 1989
(B) 1888
(C) 1878
(D) 1870
उत्तर:
(B) 1888

8. रामन के पिता किस विषय के शिक्षक थे?
(A) गणित
(B) विज्ञान
(C) इतिहास
(D) भूगोल
उत्तर:
(A) गणित

10. भौतिकी के अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए रामन ने क्या स्थापना की ?
(A) रामन ईस्टीच्यूट
(B) कलपूर्जा
(C) रिसर्चसेंटर
(D) कार्यालय
उत्तर:
(A) रामन ईस्टीच्यूट

11. रामन की दिल्ली इच्छा क्या थी?
(A) सेवाकरना
(B) राजकार्य करना
(C) शोधकार्य करना
(D) गृहकार्य करना
उत्तर:
(C) शोधकार्य करना

12. रामन कार्यालय से फुरसत पाते ही कहाँजाते थे?
(A) मंदिर
(B) गाँव
(C) स्कूल
(D) प्रयोगशशला
उत्तर:
(D) प्रयोगशशला

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13. आशुतोष मुखर्जी कौन थे?
(A) गणित शास्त्री
(B) शिक्षा शास्त्री
(C) रसायनवित
(D) इतिहासवित
उत्तर:
(B) शिक्षा शास्त्री

14. रामन ने अपने किस पहनावे को नहीं छोड़ा?
(A) उत्तर भारतीय
(B) दक्षिण भारतीय
(C) पूर्व भारतीय
(D) पश्चिम भारतीय
उत्तर:
(B) दक्षिण भारतीय

15. किस प्रत्रिका का संपादन रामन ने किया?
(A) साईस पत्रिका
(B) करेंट साईंस पत्रिका
(C) इतिहास पत्रिका
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) करेंट साईंस पत्रिका

16. देशी और विदेशी बाद्ययंत्रो पर किसने अध्ययन किया?
(A) रामन
(B) गालिलिओ
(C) नियुटन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) रामन

1. पेड़…………………… रामन।
ପେଡ଼୍ ସେ ସେଣ୍ଟ୍ ଗିତେ ହୁଏ ତୋ ଲୋଗ୍ ସଦିଛେଁ ସେ ଦେଖ୍ ରହସ୍ୟ କୋ ନ୍ୟୁଟନ୍ ସେ ପହଲେ କୋଈ ଔର୍ ଜାନ୍ ନହୀ ପାୟା ଥା । ଠୀକ୍ ଉସୀ ରହେ ଥେ, ମଗର୍ ଗିରନେ କେ ପୀଛେ ଛିପେ ପ୍ରକାର୍ ବିରାଟ୍ ସମୁଦ୍ର କୀ ନୀଲ୍-ବର୍ଷୀୟ ଆଭା କୋ ଭୀ ଅସଂଖ୍ୟ ଲୋଗ୍ ଆଦିକାଲ୍ ସେ ଦେଖତେ ଆ ରହେ ଥେ, ମଗର୍ ଇସ୍ ଆଭା ପର୍ ପଡ଼େ ରହସ୍ୟ କେ ପରଦେ କୋ ହଟାନେ କେ ଲିଏ ହମାରେ ସମକ୍ଷ ଉପସ୍ଥିତ ହୁଏ ସାର୍ ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ୱେଙ୍କଟ୍ ରାମନ୍ ।

ଅନୁବାଦ:
ଗଛରୁ ସେଓ ପଡ଼ିବା ଲୋକ କେଉଁ କାଳରୁ ଦେଖ୍ ଆସୁଥିଲେ କିନ୍ତୁ ପଡ଼ିବା ପଛରେ ଲୁଚି ରହିଥ‌ିବା ରହସ୍ୟକୁ ନିଉଟନ୍‌ଙ୍କ ପୂର୍ବରୁ କେହି ଜାଣିପାରି ନଥିଲେ । ଠିକ୍ ସେହିପରି ବିରାଟ ସମୁଦ୍ରର ନୀଳବର୍ଣ୍ଣ ରଙ୍ଗକୁ ମଧ୍ଯ ଅସଂଖ୍ୟ ଲୋକ ଆଦିମ କାଳରୁ ଦେଖ୍ ଆସୁଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ଏହି ରଙ୍ଗ ପଡ଼ିବାର ରହସ୍ୟର ପରଦାକୁ ଉଠାଇବାପାଇଁ ଆମ ସମ୍ମୁଖରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲେ ସାର୍ ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଭେଙ୍କଟ ରମଣ ।

2. बात सन्. ………………………. बन गए।
ବାତ୍ ସନ୍‌ ୧୯୨୧ କୀ ହୈ ଜବ୍ ରାମନ୍ ସମୁଦ୍ରା ୟାତ୍ରା ପର୍ ଥେ । ଜାହାଜ୍ କେ ଡେକ୍ ପର୍ ଖଡ଼େ ହୋକର୍ ନୀଲେ ସମୁଦ୍ର କୋ ନିହାରନା ପ୍ରକୃତି-ପ୍ରେମୀ ରାମନ୍ କୋ ଆଚ୍ଛା ଲଗ୍ନ ଥା । ୱେ ସମୁଦ୍ର ନୀଲୀ ଆଭା ମେଁ ଘଣ୍ଟା ଖୋଏ ରହତେ । ଲେକିନ୍ ରାମନ୍ କେୱଲ୍ ଭାବୁକ୍ ପ୍ରକୃତିପ୍ରେମୀ ହୀ ନର୍ତୀ ଥେ, ଉକେ ଅନ୍ଦର୍ ଏକ୍ ବୈଜ୍ଞାନିକ୍ କୀ ଜିଜ୍ଞାସା ଭୀ ଉତନୀ ହୀ ସଶକ୍ତ ଥୀ । ୟହୀ ଜିଜ୍ଞାସା ଉସେ ସୱାଲ୍ କର୍ ବୈଠୀ– ‘ଆଖୁ ସମୁଦ୍ର କା ରଙ୍ଗ ନୀଲା ହୀ ଜ୍ୟୋ ହୋତା ହୈ ? କୁଛ୍ ଔର୍ କ୍ୟା ନହୀ ? ରାମନ୍ ସୱାଲ୍ କା ଜଓ୍ବାବ୍ ଗୂଢ଼ନେ ମେଁ ଲଗ୍ ଗଏ । ଜବ୍ ର୍ଭୂଢ଼ତେ ହୀ ୱେ ବିଶ୍ୱବିଖ୍ୟାତ୍ ବନ୍ ଗଏ ।

ଅନୁବାଦ :
୧୯୨୧ ମସିହାର କଥା ଅଟେ ଯେତେବେଳେ ରମଣ ସମୁଦ୍ର ଯାତ୍ରାରେ ଥିଲେ । ଜାହାଜର ଡେକ୍ ଉପରେ ମଧ୍ୟ ସେତିକି ଶକ୍ତିଶାଳୀ ଥିଲା । ଏହି ଜାଣିବାର ଇଚ୍ଛା ତାଙ୍କୁ ପ୍ରଶ୍ନ କରିବସିଲା ‘କାହିଁକି ସମୁଦ୍ରର ରଙ୍ଗ ନୀଳ ହୁଏ ? କିଛି ଆଉ କାହିଁକି ନୁହେଁ ? ରମଣ ପ୍ରଶ୍ନର ଉତ୍ତର ଖୋଜିବାରେ ଲାଗିଗଲେ । ଉତ୍ତର ଖୋଜି ସେ ବିଶ୍ୱବିଖ୍ୟାତ ହୋଇଗଲେ।

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3. रामन का ……………….. हसिल किए।
ରାମନ୍ କା ଜନ୍ମ ୭ ନଭେମ୍ବର ସନ୍‌ ୧୮୮୮ କୋ ତାମିଲନାଡୁ ତିରୁଚିରାପଲ୍ଲୀ ନଗର୍ ମେଁ ହୁଆ ଥା । ଇନ୍‌କେ ପିତା ବିଶାଖାପଉନମ୍ ମେଁ ଗଣିତ୍ ଔର୍ ଭୌତିକୀ ଇହେଁ ବପନ୍ ସେ ଗଣିତ୍ ଔର୍ ଭୌତିକୀ ପଢ଼ାତେ ଥେ । ଇସ୍‌ କୋଈ ଅତିଶୟୋକ୍ତି ନହେଁ ଦୋ ବିଷୟୌ କେ ଜ୍ଞାନ ନେ ଉନ୍ଦେ ଜଗତ୍-ପ୍ରସିଦ୍ଧ ବନାୟା, ଉକୀ ସଶକ୍ତ ନୀ ଉକେ ପିତା ନେ ପଢ଼ାଈ ଉର୍ଡୋନେ ପହଲେ ଏ.ବୀ.ଏନ୍. କାଁଲେଜ୍, ତିରୁଚିରାପଲ୍ଲୀ ସେ ଔର୍ ଫିର ପ୍ରେସୀରେଁସୀ କଲେଜ୍, ମଦ୍ରାସ୍ ସେ କୀ । ବୀ.ଏ.ଔର୍ ଏମ୍.ଏ. -ଦୋନୌ ହୀ ପରୀକ୍ଷାଓଁ ମେଁ ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱନେ କାଫୀ ଉଁଚେ ଅଙ୍କ ହାସିଲ କିଏ ।
ହୀ ତୈୟାର୍ କୀ ଥୀ । କଲେଜ୍ କୀ

ଅନୁବାଦ:
ରମଣଙ୍କ ଜନ୍ମ ୧୮୮୮ ମସିହା ନଭେମ୍ବର ୭ରେ ତାମିଲନାଡୁର ତିରୁଚିରାପଲ୍ଲୀ ସହରରେ ହୋଇଥିଲା । ତାଙ୍କର ପିତା ବିଶାଖାପାଟଣାରେ ଗଣିତ ଓ ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନରେ ଶିକ୍ଷକ ଥିଲେ । ପିତା ତାଙ୍କୁ ପିଲାଦିନେ ଗଣିତ ଓ ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନ ପଢ଼ାଉଥିଲେ । ଏଥିରେ କୌଣସି ସନ୍ଦେହ ନାହିଁ ଯେ ଯେଉଁ ଦୁଇଟି ବିଷୟର ଜ୍ଞାନରେ ସେ ଜଗତ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ହେଲେ । ତାଙ୍କର ସୁଦୃଢ଼ ମୂଳଦୁଆ ତାଙ୍କ ପିତା ପ୍ରସ୍ତୁତି କରିଥିଲେ । ପ୍ରଥମେ ଏ.ବି.ଏମ୍. କଲେଜ, ତିରୁଚିରାପଲ୍ଲୀ ଏବଂ ପୁଣି ପ୍ରେସିଡେନ୍ସି କଲେଜ, ମାଡ୍ରାସ୍‌ରେ କଲେଜ ପଢ଼ା ହୋଇଥିଲା । ବି.ଏ. ଏବଂ ଏମ.ଏ. ଉଭୟ ପରୀକ୍ଷାରେ ସେ ଉଚ୍ଚ ନମ୍ବର ପାଇଥିଲେ ।

4. रामन का ……………………… .म हुई।
ରାମନ୍ କା ମସ୍ତିଷ୍କ ବିଜ୍ଞାନ୍ କେ ରହସ୍ଯା କୋ ସୁଝାନେ କେ ଲିଏ ବଚ୍‌ପନ୍ ସେ ହୀ ବେଟେନ୍ ରହତା ଥା । ଅପ୍‌ନେ କଲେଜ୍‌ କେ ଜମାନେ ସେ ହୀ ଉନେ ଶୋଧକାର୍ଥେ ମେଁ ଦିଲ୍‌ଚନ୍ତ୍ରୀ ଲେନା ଶୁରୂ କର୍ ଦିୟା ଥା । ଉନ୍‌କା ପହଲା ଶୋଧପତ୍ର ଫିଲୋସୋଫିକଲ୍ ମୈଗଜୀନ୍ ମେଁ ପ୍ରକାଶିତ ହୁଆ ଥା । ଉକୀ ଦିଲୀ ଇଚ୍ଛା ତୋ ୟହୀ ଥୀ କି ୱେ ଅପ୍‌ ସାରା ଶୋଧକାର୍ୟା କୋ ହୀ ସମର୍ପିତ କର୍ ହେଁ, ମଗର୍ ଉନ୍ ଦିନୌ ଶୋଧକାର୍ଯ କୋ ପୂରେ ସମୟ କୈରିୟର୍ କେ ରୂପ୍ ମେଁ ଅପ୍‌ନାନେ କୀ କୋଈ ଖାସ୍ ବ୍ୟବସ୍ଥା ନର୍ତୀ ଥୀ । ପ୍ରତିଭାବାନ୍ ଛାତ୍ର ସରକାରୀ ନୌକରୀ କୀ ଔର୍ ଆକର୍ଷିତ ହୋତେ ଥେ । ରାମନ୍ ଭୀ ଅପ୍‌ ସମୟ କେ ଅନ୍ୟ ସୁୟୋଗ୍ଯ ଛାତ୍ରୋ କୀ ଭାଁତି ଭାରତ୍ ସରକାର୍‌ କେ ୱିତ୍ତ-ଭାଗ୍ ମେଁ ଅଫ୍‌ସର୍ ବନ୍ ଗଏ । ଉନ୍‌କୀ ତୈନାତୀ କୋଲକାତା ମେଁ ହୁଈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣଙ୍କ ମସ୍ତିଷ୍କ ବିଜ୍ଞାନର ରହସ୍ୟକୁ ସମାଧାନ କରିବାପାଇଁ ପିଲାଦିନରୁ ହିଁ ଅସ୍ଥିର ରହୁଥିଲା । ନିଜ କଲେଜ ସମୟରୁ ସେ ଗବେଷଣା କରିବାରେ ଆଗ୍ରହ ଆରମ୍ଭ କରି ଦେଇଥିଲେ । ତାଙ୍କର ପ୍ରଥମ ଗବେଷଣାମୂଳକ ଲେଖା ଗବେଷଣା କାର୍ଯ୍ୟରେ ହିଁ ସମର୍ପିତ କରିଦେବେ, କିନ୍ତୁ ସେହି ଦିନମାନଙ୍କରେ ଗବେଷଣା କାର୍ଯ୍ୟକୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଜୀବିକା ରୂପେ ଗ୍ରହଣ କରିବାର କୌଣସି ଭଲ ବ୍ୟବସ୍ଥା ନଥିଲା । ପ୍ରତିଭାବାନ୍ ଛାତ୍ର ସରକାରୀ ଚାକିରୀ ପ୍ରତି ଆକର୍ଷିତ ହେଉଥିଲେ । ରମଣ ତାଙ୍କ ନିଯୁକ୍ତି କଲିକତାରେ ହେଲା ।

5. कलकत्ता……………….. वाद्ययंत्र थे।
କୋଲକାତା ମେଁ ସରକାରୀ ନୌକରୀ କେ ଦୌରାନ୍ ଉନେ ଅପ୍‌ ଆଷମ ଥି । ସ୍ବାଭାୱିକ୍ ରୁଝାନ୍ କୋ ବନାଏ ରଖା । ହୁଏ ବହୂ ବାଜାର ଆଡେ, ଜହାଁ ‘ଇଣ୍ଡିୟନ୍ ଏସୋସିଏଶନ୍ ଫାର ଦ କଲ୍‌ୱେସନ୍ ଆପ୍‌ ଏକ ଅନୂଠୀ ସଂସ୍ଥା ଥୀ, ଜିସେ କୋଲକାତା କେ ଏକ୍ ଡାକ୍ଟର ଦଫ୍‌ର ସେ ଫୁର୍ସତ୍ ପାତେ ହୀ ୱେ ଲୌ
ଆଁଫ୍ ସାଇଂସ୍’ କୀ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ଥୀ । ୟହ ଅପ୍‌ ମହେନ୍ଦ୍ରଲାଲ୍ ସର୍‌କାର୍ ନେ ବର୍ଷେ କୀ କଠିନ୍ ମେହନତ୍ ଔର ଲଗନ୍ କେ ବାଦ୍ ଖଡ଼ା କିମ୍ବା ଥା । ଇସ୍ ସଂସ୍ଥା କା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଥା ଦେଶ୍ ମେଁ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଚୈତନା କା ସ୍ଵିକାସ କନା । ଅପ୍‌ ମହାନ୍ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୱେ କେ ବାଜୁଦ୍ ଇସ୍ ସଂସ୍ଥା କେ ପାସ୍ ସାଧର୍ମୋ କା ନିତାନ୍ତ ଅଭା ଥା । ରାମନ୍ ଇସ୍ ସଂସ୍ଥା କୀ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ମେଁ କାମଚଲାଉଁ ଉପକରଣୋ କା ଇସ୍ତେମାଲ୍ କର୍‌ତେ ହୁଏ ଶୋଧକାର୍ୟ କର୍‌ତେ।

ୟହ ଅପ୍‌ ଆପ୍‌ ଏକ ଆଧୁନିକ ହଠୟୋଗ୍ କା ଉଦାହରଣ ଥା, ଜିସ୍ ମେଁ ଏକ ସାଧକ ଦଫ୍‌ତର ମେଁ କଡ଼ୀ ମେହନତ୍ କେ ବାଦ୍ ବହୁ ବାଜାର୍ କୀ ଇସ୍ ମାମୂଲୀ-ସୀ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ମେଁ ପହୁଁଚ୍‌ ଔର୍ ଅପୂନୀ ଇଚ୍ଛାଶକ୍ତି କେ ଜୋର୍ ସେ ଭୌତିକ ଜ୍ଞାନ କୋ ସମୃଦ୍ଧ ବନାନେ କେ ପ୍ରୟାସ୍ କର୍‌ତା । ଉନ୍ସୀ ଦିନୋ ୱେ ୱାଦ୍ୟୟନ୍ତ୍ର କୀ ଧ୍ଵନିର୍ଲୋ କେ ପୀଛେ ଛିପେ ଜ୍ଞାନିକ ରହସ୍ୟା କୀ ପରର୍ତେ ଖୋଲ୍‌ନେ କା ପ୍ରୟାସ୍ କର୍ ରହେ ଥେ । ଇସ୍ ଦୌରାନ୍ ଉନେ ଅନେକ ୱାଦ୍ୟୟନ୍ତୋ କା ଅଧ୍ୟୟନ କିୟା ଜିନ୍‌ ଦେଶୀ ଔର୍ ବିଦେଶୀ, ଦୋର୍ଡୋ ପ୍ରକାର କେ ୱାଦ୍ୟୟନ୍ତ୍ର ଥେ ।

ଅନୁବାଦ:
କଲିକତାରେ ସରକାରୀ ଚାକିରୀ କାଳରେ ସେ ନିଜର ସ୍ଵାଭାବିକ ଲକ୍ଷ୍ୟକୁ ବଜାୟ ରଖୁଲେ । ଅଫିସ୍‌ରୁ ସମୟ ମିଳିଲେ ସେ ଫେରିଆସି ବହୁ ବଜାର ଆସୁଥୁଲେ, ଯେଉଁଠି ‘ଇଣ୍ଡିଆନ୍ ଏସୋସିଏସନ୍ ଫର୍ ଦି କଲ୍‌ଟିବେସନ୍ ଆଫ୍ ସାଇନ୍‌ସ୍’ର ପ୍ରୟୋଗଶାଳା ଥିଲା । ଏହା ନିଜସ୍ୱ ଢଙ୍ଗର ଏକ ଅସାଧାରଣ ସଂସ୍ଥା ଥିଲା, ଯାହାକୁ କଲିକତାର ଡାକ୍ତର ମହେନ୍ଦ୍ରଲାଲ ସରକାର ବର୍ଷ ବର୍ଷର କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଓ ନିଷ୍ଠା ପରେ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରିଥିଲେ । ଏହି ସଂସ୍ଥାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଥିଲା ଦେଶରେ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଚେତନାର ବିକାଶ କରିବା । ନିଜର ମହାନ୍ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ପରେ ମଧ୍ୟ ଏହି ସଂସ୍ଥା ନିକଟରେ ସାଧନଗୁଡ଼ିକର ନିତାନ୍ତ ଅଭାବ ଥିଲା । ଆଧୁନିକ ହଟଯୋଗର ଏକ ଉଦାହରଣ ଥିଲା, ଯେଉଁଠି ଜଣେ ସାଧକ ଅଫିସ୍‌ରେ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ପରେ ବହୁ ବଜାରର ଏହି ସାଧାରଣ ପ୍ରୟୋଗଶାଳାରେ ପହଞ୍ଚୁଥିଲେ ଏବଂ ନିଜର ଇଚ୍ଛାଶକ୍ତି ଦ୍ୱାରା ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନକୁ ସମୃଦ୍ଧ କରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକରୁଥିଲେ । ଖୋଜିବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକଲେ । ଏହି ସମୟରେ ସେ ଅନେକ ବାଦ୍ୟଯନ୍ତ୍ରର ଅଧ୍ୟୟନ କଲେ ଯାହା ମଧ୍ୟରେ ଦେଶୀ ଓ ବିଦେଶୀ,

6. वाद्ययंत्रों ……………………….. प्रकाशित किए।
ୱାଦ୍ୟୟର୍ଷେ ପର୍ କିଏ ଜା ରହେ ଶୋଧକାରୌ କେ ଦୌରାନ୍ ଉକେ ଅଧ୍ୟୟନ୍ କେ ଦାୟରେ ମେଁ ଜହାଁ ୱାୟଲିନ୍, ଚୈଲୋ ୟା ପିୟାନୋ ଜୈସେ ଵିଦେଶୀ ୱାଦ୍ୟ ଆଏ, ୱର୍କୀ ୱଣା, ତାରା ଔର ମୃଦଙ୍ଗମ୍ ପର ଭୀ ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱନେ କାମ୍ କିୟା । ଉନ୍‌ନେ ଜ୍ଞାନିକ୍ ସିଦ୍ଧାର୍ଡୋ କେ ଆଧାର ପର୍ ପଶ୍ଚିମୀ ଦେଶୌ କୀ ଇସ୍ ଭ୍ରାତି କୋ ତୋଡ଼ନେ କୀ କୋଶିଶ୍ କୀ କି ଭାରତୀୟ ୱାଦ୍ୟୟନ୍ତ୍ର ଵିଦେଶୀ ୱାର୍ଯ୍ୟୋ କୀ ତୁଲ୍‌ନା ମେଁ ଘଟିୟା ହେଁ । ୱାଦ୍ୟୟନ୍ତୋ କେ କଂପନ୍ କେ ପିଛେ ଛିପେ ଗଣିତ୍ ପର୍ ଉର୍ଡୋନେ ଅଚ୍ଛା-ଖାସା କାମ୍ କିୟା ଔର୍ ଅନେକ୍ ଶୋଧପତ୍ର ଭୀ ପ୍ରକାଶିତ୍ କିଏ ।

ଅନୁବାଦ:
ଚାଦ୍ୟ ଯନ୍ତ ଉପରେ କରୁଥିବା ଗବେଷଶା ସମୟରେ ତାଙ୍କର ଅଧ୍ୟୟନର ପରିଧ୍ ମଧ୍ୟରେ ଯେଉଁଠି ଭାଓଲିନ୍ ପିଆନୋ ଯେପରି ବିଦେଶୀ ବାଦ୍ୟ ଆସିଥିଲା, ସେଇଠି ବୀଣା, ତାନପୁରା ଏବଂ ମୃଦଙ୍ଗ ଉପରେ ମଧ୍ୟ ସେ କାମ କରିଥିଲେ । ବିଦେଶୀ ବାଦ୍ୟ ତୁଳନାରେ ଭଲ ନୁହେଁ । ବାଦ୍ୟଯନ୍ତ୍ରମାନଙ୍କର କମ୍ପନର ପଛରେ ଲୁଚି ରହିଥିବା ଗଣିତ ଉପରେ ସେ ଭଲ କାମ କରିଥିଲେ ଓ ଅନେକ ଗବେଷଣା ପତ୍ର ମଧ୍ୟ ପ୍ରକାଶିତ କରିଥିଲେ ।

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7. उस जमाने …………………. काम था।
ଉସ୍ ଜମାନେ କେ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ଶିକ୍ଷାଶାସ୍ତ୍ରୀ ସର୍ ଆଶୁତୋଷ ମୁଖାର୍ଜୀ କୋ ଇସ୍ ପ୍ରତିଭାୱାନ୍ ୟୁୱକ୍ କେ ବାରେ ମେଁ ଜାନକାରୀ ମିଲୀ । ଉନ୍ସୀ ଦିର୍ଡୋ କଳ୍‌କରା ୱିଶ୍ୱଦ୍ୟାଲୟ ମେଁ ପ୍ରୋଫେସର୍ କା ନୟା ପଦ୍ ସୃଜିତ୍ ହୁଆ ଥା । ମୁଖର୍ଜୀ ମହୋଦୟ ନେ ରାମନ୍ କେ ସମକ୍ଷ ପ୍ରସ୍ତାବ୍ ରଖା କି ୱେ ସରକାରୀ ନୌକରୀ ଛୋଡ଼କର୍ କଳ୍‌କରା ୱିଶ୍ୱଦ୍ୟାଲୟ ମେଁ ପ୍ରୋଫେସର୍ କା ପଦ୍ ସ୍ବୀକାର କର୍ ଲୈ । ରାମନ୍ କେ ଲିଏ ୟହ ଏକ କଠିନ୍ ନିର୍ଣ୍ଣୟ ଥା । ଉସ୍ ଜମାନେ କେ ହିସାବ୍ ସେ ୱେ ଏକ ଅତ୍ୟନ୍ତ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ସରକାରୀ ପଦ୍ ପର୍ ଥେ । ଜିସ୍କୋ ସାଥ୍ ମୋଟୀ ତହା ଔର ଅନେକ ସୁବିଧାଏଁ ଜୁଡ଼ି ହୁଈ ଥୀ । ଉହେଁ ନୌକରୀ କର୍‌ତେ ହୁଏ ଦସ୍ ୱର୍ଷ ବୀତ୍‌ ଚୁକେ ଥେ । ଐସୀ ହାଲତ୍ ମେଁ ସର୍‌କାରୀ ନୌକ୍‌ରୀ ଛୋଡ଼କର୍ କମ୍ ୱେତନ୍ ଔର କମ୍ ସୁଧାୱାଲୀ ୱିଶ୍ୱଦ୍ୟାଲୟ କୀ ନୌକରୀ ମେଁ ଆନେ କା ଫୈସଲା କରନା ହିମ୍ମତ୍ କା କାମ୍ ଥା।

ଅନୁବାଦ:
ଚାଦ୍ୟ ଯନ୍ତ ଉପରେ କରୁଥିବା ଗବେଷଶା ସମୟରେ ତାଙ୍କର ଅଧ୍ୟୟନର ପରିଧ୍ ମଧ୍ୟରେ ଯେଉଁଠି ଭାଓଲିନ୍ ସୂଚନା ମିଳିଲା । ସେହିଦିନମାନଙ୍କରେ କଲିକତା ବିଶ୍ଵବିଦ୍ୟାଳୟରେ ପ୍ରଫେସରର ନୂତନ ପଦବୀ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥିଲା ମୁଖାର୍ଜୀ ସ୍ଵୀକାର କରନ୍ତୁ । ରମଣଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା ଏକ କଠିନ ସମସ୍ୟା ଥିଲା । ସେହି ସମୟର ହିସାବରେ ସେ ଏକ ଅତ୍ୟନ୍ତ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ସରକାରୀ ପଦରେ ଥିଲେ, ଯାହା ସହିତ ମୋଟା ଦରମା ଓ ଅନେକ ସୁବିଧା ସୁଯୋଗ ଥିଲା । ସେ ଚାକିରୀ କରି ଦଶ ବର୍ଷ ଅତିବାହିତ କରିଥିଲେ । ଏପରି ଅବସ୍ଥାରେ ସରକାରୀ ଚାକିରୀ ଛାଡ଼ି କମ୍ ଦରମା ଓ କମ୍ ସୁବିଧା ଥିବା ବିଶ୍ଵବିଦ୍ୟାଳୟର ଚାକିରୀ କରିବାର ସିଦ୍ଧାନ୍ତ ନେବା ସାହସିକତାର କାମ ଥିଲା।

8. रामन …………………………. में हुई।
ରାମନ୍ ସରକାରୀ ନୌକ୍‌ରୀ କୀ ସୁଖ୍-ସୁଧାଓଁ କୋ ଛୋଡ୍ ସନ୍‌ ୧୯୧୭ ମେଁ କଲ୍‌କରା ୱିଶ୍ୱଦ୍ୟାଲୟ କୀ ନୌକ୍‌ରୀ ମେଁ ଆ ଗଏ । ଉକେ ଲିଏ ସରସ୍ଵତୀ କୀ ସାଧନା ସର୍‌କାରୀ ସୁଖ ସୁଧାଓଁ ସେ କର୍ମୀ ଅଧିକ ମହତ୍ତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ଣ ଥୀ । କଲ୍‌କତ୍ତା ଶ୍ୱଦ୍ୟାଲୟ କେ ଶୈକ୍ଷଣିକ ମାହୋଲ୍ ମେଁ େ ଅପ୍‌ନା ପୂରା ସମୟ ଅଧ୍ୟୟନ, ଅଧ୍ୟାପନ୍ ଔର୍ ଶୋଧ ମେଁ ବିତାନେ ଲଗେ । ଚାର୍ ସାଲ୍ ୱାଦ୍ ମ୍ମାନୀ ସନ୍ ୧୯୨୧ ମେଁ ସମୁଦ୍ର-ୟାତ୍ରା କେ ଦୌରାନ୍ ଜବ୍ ରାମନ୍ କେ ମସ୍ତିଷ୍କ ମେଁ ସମୁଦ୍ର କେ ନୀଲେ ରଙ୍ଗ କୀ ୱଜହ କା ସୱାଲ୍ ହିଲୋର୍ରେ ଲେନେ ଲଗା, ତୋ ଉନେ ଆଗେ ଇସ୍ ଦିଶା ମେଁ ପ୍ରୟୋଗ କିଏ, ଜିସ୍‌ ପରିଣତି ରାମନ୍ ପ୍ରଭାୱ କୀ ଖୋଜ କେ ରୂପ ମେଁ ହୁଈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣ ସରକାରୀ ଚାକିରୀର ସୁଖ ସୁବିଧା ଛାଡ଼ି ୧୯୧୭ ମସିହାରେ କଲିକତା ବିଶ୍ଵବିଦ୍ୟାଳୟରେ ଚାକିରୀ କଲେ । ତାଙ୍କ ପାଇଁ ସରସ୍ଵତୀଙ୍କ ସାଧନା ସରକାରୀ ସୁଖ ସୁବିଧାଠାରୁ ଅଧିକ ମହତ୍ତ୍ବପୂର୍ଣ୍ଣ ଥିଲା କଲିକତାକା ରଣର ପ୍ରଶ୍ନ ଆଲୋଡ଼ିତ କରିବାକୁ ଲାଗିଲା, ତେଣୁ ସେ ଆଗେ ଏହି ଦିଗରେ ପ୍ରୟୋଗ କଲେ, ଯାହାର ପରିଣତି ରମଣ ପ୍ରଭାବର ଆବିଷ୍କାର ରୂପରେ ହୋଇଛି ।

9. रामन ………………………… जाता है।
ରାମନ୍ ନେ ଅନେକ୍ ଠୋସ୍ ର ଔର୍ ତରଲ୍ ପଦାର୍ଥେ ପର୍ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରଣ୍ କେ ପ୍ରଭାୱ କା ଅଧ୍ୟୟନ୍ କିୟା । ଉନ୍‌ନେ ପାୟୀ କି ଜବ୍ ଏକବର୍ଷୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରଣ କିସୀ ତରଲ୍ ୟା ଠୋସ୍ ରୱେଦାର୍ ପଦାର୍ଥ ସେ ଗୁଜରତୀ ହୈ ତୋ ଗୁଜର୍‌ନେ କେ ବାଦ୍ ଉସ୍‌ ୱର୍ଣ୍ଣ ମେଁ ପରିବର୍ଭନ୍ ଆତା ହୈ । ଜହ ୟହ ହୋତୀ ହୈ କି ଏକର୍ଣ୍ଣୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରଣ୍ କେ ଫୋର୍ଡାନ୍ ଜବ୍ ତରଲ୍ ୟା ଠୋସ୍ ରୱେ ସେ ଗୁଜର୍‌ତେ ହୁଏ ଇନ୍‌କେ ଅଣୁଓଁ ସେ ଟକରାହେଁ ହେଁ ତୋ ଇସ୍ ଟକରାଷ୍ଟ୍ର କେ ପରିଣାମସ୍ୱରୂପ ୱେ ୟା ତୋ ଊର୍ଜା କା କୁଚ୍ଛ ଅଂଶ ଖୋ ଦେତେ ହୈ ୟା ପା ଜାତେ ହେଁ । ଦୋର୍ଡୋ ହୀ ସ୍ଥିତିୟାଁ ପ୍ରକାଶ କେ ୱର୍ଷ (ରଙ୍ଗ) ମେଁ ବଦଲାୱ ଲାତି ହେଁ । ଏକଣ୍ଠୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରଣୋ ମେଁ ସସେ ଅଧିକ ଊର୍ଜା ବୈଜନୀ ରଂଗ୍ କେ ପ୍ରକାଶ୍ ମେଁ ହୋତୀ ହୈ । ବୈଜନୀ କେ ବାଦ୍ କ୍ରମଶଃ ନୀଲେ, ଆସ୍‌ମାନୀ, ହରେ, ପୀଲେ, ନାରଂଗୀ ଔର୍ ଲାଲ୍ ୱର୍କ୍ କା ନମ୍ବର୍ ଆତା ହୈ । ଇସ୍ ପ୍ରକାର୍ ଲାଲ୍ ବର୍ଷୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ ଉର୍ଜା ସବ୍‌ କମ୍ ହୋତି ହୈ । ଏକଣ୍ଠୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ ତରଲ ୟା ଠୋସ୍ ରହେଁ ସେ ଗୁଜରତେ ହୁଏ ଜିସ୍ ପରିମାଣ ମେଁ ଊର୍ଜ୍ୟ ଖୋତା ୟା ପାତା ହୈ, ଉସୀ ହିସାବ୍ ସେ ଉସ୍‌ ୱର୍ଣ୍ଣ ପରିବର୍ତ୍ତିତ ହୋ ଜାତା ହୈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣ ଅନେକ ଶକ୍ତ ଜିନିଷ ଏବଂ ତରଳ ପଦାର୍ଥ ଉପରେ ଆଲୋକ କିରଣର ପ୍ରଭାବ ସମ୍ବନ୍ଧରେ ଅଧ୍ୟୟନ କଲେ । ସେ ପାଇଲେ ଯେ ଏକ ବର୍ଷର ଆଲୋକର କିରଣ କୌଣସି ତରଳ ବା ଶକ୍ତ ପଦାର୍ଥ ମଧ୍ୟ ଦେଇ ଯାଏ, ଯିବା ପରେ ବର୍ଷରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଆସେ । କାରଣ ଏହା ହେଉଛି ଯେ ଏକ ବର୍ଷର ଆଲୋକର କିରଣର ଅଂଶ ତରଳ ବା ଶକ୍ତ ମଧ୍ୟ ଦେଇ ଯାଏ ଓ ଏହାର ଅଣୁ ସହିତ ଧକ୍କା ହୁଏ । ଏହି ଧକ୍‌କା ପରିଣାମ ସ୍ବରୂପ ସେହି ବଳର କିଛି ଅଂଶ ହରାଇଥାଉ ବା ପାଇଥାଉ । ଉଭୟ ସ୍ଥିତି ଆଲୋକ ରଙ୍ଗରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଆଣିଥାଏ । ଏକ ଆଲୋକର କିରଣରେ ସବୁଠାରୁ ଅଧିକ ଶକ୍ତି ବାଇଗଣି ରଙ୍ଗର ଆଲୋକରେ ଅଛି। ବାଇଗଣି ପରେ କ୍ରମଶଃ ନୀଳ, ଆକାଶୀ, ସବୁଜ, ହଳଦୀ, ନାରଙ୍ଗି ଓ ଲାଲ ବର୍ଷର ନମ୍ବର ଆସେ । ଏହି ପ୍ରକାର ଲାଲ-ବର୍ଣ୍ଣର ପ୍ରକାଶର ବଳ ସବୁଠାରୁ କମ୍ ହୁଏ । ଗୋଟିଏ ବର୍ଷର ଆଲୋକ ତରଳ ବା ଶକ୍ତି ଦେଇ ଗତିକଲେ ଯେଉଁ ପରିମାଣର ଶକ୍ତି ପାଏ ବା ହରାଏ, ସେହି ହିସାବରେ ତାହାର ବର୍ଣ୍ଣ ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୁଏ ।

10. रामन की ………………………………. करती है।
ରାମନ୍ କୀ ଖୋଜ୍ ଭୌତିକୀ କେ କ୍ଷେତ୍ର ମେଁ ଏକ୍ କ୍ରାନ୍ତି କେ ସମାନ୍ ଥୀ । ଇସ୍‌ ପହଲା ପରିଣାମ୍ ତୋ ୟହ ହୁଆ କି ପ୍ରକାଶ୍ କୀ ପ୍ରକୃତି କେ ବାରେ ମେଁ ଆଇଂସ୍ଟାଇନ୍ କେ ୱିଚାର୍ରେ କା ପ୍ରାୟୋଗିକ ପ୍ରମାଣ୍ ମିଲଗୟା । ଆଇଂଷ୍ଟାଇନ୍ କେ ପୂତ୍ତୀ ବୈଜ୍ଞାନିକ୍ ପ୍ରକାଶ୍ କୋ ତରଙ୍ଗ୍ କେ ରୂପ୍ ମେଁ ମାତେ ଥେ, ମଗର୍ ଆଇଂସ୍ଟାଇନ୍ ନେ ବତାୟା କି ପ୍ରକାଶ ଅତି ସୂକ୍ଷ୍ମ କର୍ପୋ କୀ ତୀବ୍ର ଧାରା କେ ସମାନ୍ ହୈ । ଇନ୍ ଅତି ସୂକ୍ଷ୍ମ କର୍ପୋ କୀ ତୁଳନା ଆଇଂସ୍ଟାଇନ୍ ନେ ବୁଲେଟ୍‌ ସେ କୀ ଔର୍ ଇନ୍‌ ‘ପ୍ରୋଟନ୍’ ନାମ୍ ଦିୟା । ରାମନ୍ କେ ପ୍ରୟୋଗୋଁ ନେ ଆଇଂସ୍ଟାଇନ୍ କୀ ଧାରଣା କା ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷ ପ୍ରମାଣ୍ ଦେ ଦିୟା, ଜ୍ୟୋକି ଏକର୍ଣ୍ଣୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କେ ୱର୍ଣ୍ଣ ମେଁ ପରିୱର୍ଭନ୍ ୟହ ସାଫ୍ ତୌର ପର୍ ପ୍ରମାଣିତ୍ କରତା ହୈ କି ପ୍ରକାଶ କୀ କିରଣ ତୀବ୍ରଗାମୀ ସୂକ୍ଷ୍ମ କର୍ପୋ କେ ପ୍ରହ କେ ରୂପ ମେଁ ବ୍ୟବହାର କରତୀ ହୈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣଙ୍କ ଅନୁସନ୍ଧାନ ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଏକ ବିପ୍ଲବ ପରି ଥିଲା। ଏହାର ପ୍ରଥମ ପରିଣାମ ଏହା ବୈଜ୍ଞାନିକ ଆଲୋକକୁ ତରଙ୍ଗ ରୂପେ ମାନୁଥିଲେ। କିନ୍ତୁ ଆଇନ୍‌ଷ୍ଟାଇନ୍ କହିଲେ ଯେ ଆଲୋକ ଅତି ସୂକ୍ଷ୍ମ ଅଣୁର ତୀବ୍ରଧାରା ପରି ଅଟେ । ଏହି ଅତି ସୂକ୍ଷ୍ମ ଅଣୁର ତୁଳନା ଆଇନ୍‌ଷ୍ଟାଇନ୍ ବୁଲେଟ୍ ସହିତ କଲେ ଏବଂ ତାହାକୁ ‘ପ୍ରୋଟନ୍’ ନାମ ଦେଲେ । ରମଣଙ୍କ ପ୍ରୟୋଗ ଆଇନ୍‌ଷ୍ଟାଇନ୍‌ଙ୍କ ଧାରଣାର ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷ ପ୍ରମାଣ ଦେଇଦେଲା, କାରଣ ଏକବର୍ଷୀୟ ଆଲୋକ ବର୍ଷରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଏହା ପ୍ରକୃତିରେ ପ୍ରମାଣିତ କରେ ଯେ ଆଲୋକର କିରଣ ତୀବ୍ରଗାମୀ ସୂକ୍ଷ୍ମ ଅଣୁଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରବାହ ରୂପରେ ବ୍ୟବହାର କରେ ।

11. रामन की ……………………………. गया है।
ରାମନ୍ କୀ ଖୋଜ୍ କୀ ୱଜହ ସେ ପଦାର୍ଥୋ କେ ଅଣୁଓଁ ଔର୍ ପରମାଣୁଓଁ କୀ ଆନ୍ତରିକ୍ ସଂରଚନା କା ଅଧ୍ୟୟନ୍ ସହଜ୍ ହୋ ଗୟା । ପହଲେ ଇସ୍ କାମ୍ କେ ଲିଏ ଇଁଫ୍ରା ରେଡ଼ ସ୍ପେକ୍ଟ୍ରୋସ୍କୋପି କା ସହାରା ଲିୟା ଜାତା ଥା । ୟହ ମୁସ୍କିଲ୍ ତକ୍‌କ୍ ହୈ ଔର୍ ଗଲ୍‌ୟୌ କୀ ସଂଭାୱନା ବହୁତ୍ ଅଧିକ ରହତୀ ହୈ । ରାମନ୍ କୀ ଖୋଜ୍ କେ ବାଦ୍ ପଦାର୍ଥେ କୀ ଆଣୱିକ୍ ଔର୍ ପରମାଣକ ସଂରଚନା କେ ଅଧ୍ୟୟନ୍ କେ ଲିଏ ରାମନ୍ ସ୍ପେକ୍ଟ୍ରୋସ୍କୋପି କା ସହାରା ଲିୟା ଜାନେ ଲଗା । ୟହ ତକ୍‌ନୀକ୍ ଏକୱର୍କୀୟ ପ୍ରକାଶ୍ କେ ୱର୍ଣ୍ଣ ମେଁ ପରିୱର୍ଭନ୍ କେ ଆଧାର ପର୍ ପଦାର୍ଥୋ କୋ ଅଣୁଓଁ ଔର୍ ପରମାଣୁଓଁ କୀ ସଂରଚନା କୀ ସଟୀକ ଜାନ୍‌କାରୀ ଦେତୀ ହୈ । ଇସ୍ ଜାନ୍‌କାରୀ କୀ ୱଜହ ସେ ପଦାର୍ଥେ କା ସଂଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ମେଁ କରନା ତଥା ଅନେକ ଉପୟୋଗୀ ପଦାର୍ଥେ କା କୃତ୍ରିମ ରୂପ୍ ସେ ନିର୍ମାଣ ସମ୍ଭବ ହୋ ଗୟା ହୈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣଙ୍କ ଅନୁସନ୍ଧାନ କାରଣରୁ ପଦାର୍ଥର ଅଣୁ ଓ ପରମାଣୁର ଗଠନ ରୀତିର ଅଧ୍ୟୟନ ସହଜ ହୋଇଗଲା । ପ୍ରଥମେ ଏହି କାମ ପାଇଁ ଇମ୍ଫାରୋଡ଼ ସେକ୍ସ୍ ।ସ୍କୋପିର ସାହାଯ୍ୟ ନିଆଯାଉଥିଲା । ଏହା କଠିନ କୌଶଳ ଅଟେ ଓ ଭୁଲଗୁଡ଼ିକର ଅଧ୍ୟୟନ ପାଇଁ ରମଣ ସ୍ପେକ୍ଟ୍ରୋ,ସ୍କୋପିର ସାହାଯ୍ୟ ନେବାକୁ ପଡ଼ିଲା । ଏହି କୌଶଳ ଗୋଟିଏ ରଙ୍ଗର ଆଲୋକର ବର୍ଷର ପରିବର୍ତ୍ତନର ଆଧାର ପଦାର୍ଥଗୁଡ଼ିକରେ ଅଣୁ ଏବଂ ପରମାଣୁଗୁଡ଼ିକର ରୀତିରେ ସଠିକ୍ ସୂଚନା ଦେଉଛି । ଏହି ସୂଚନା କାରଣରୁ ପଦାର୍ଥର ସଂଶ୍ଳେଷଣ ପ୍ରୟୋ ଗଶାଳାରେ କରିବା ତଥା ଅନେକେ ଉପଯୋଗ ପଦାର୍ଥର କୃତ୍ରିମ ରୂପରେ ନିର୍ମାଣ ସମ୍ଭବ ହୋଇପା ରିଛି।

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12. रामन प्रभाव ………………………….. जाग्रत किया।
ରାମନ୍ ପ୍ରଭାବ୍ କୀ ଖୋଜ୍ ନେ ରାମନ୍ କୋ ବିଶ୍ଵ କେ ଚୋଟୀ କେ ବୈଜ୍ଞାନିର୍ଲୋ କୀ ପଂକ୍ତି ମେଁ ଲା ଖଡ଼ା କିୟା । ପୁରସ୍କାରୌ ଔର୍ ସମ୍ମାନୌ କୀ ତୋ ଜୈସେ ଝଡ଼ୀ-ସୀ ଲଗୀ ରହୀ । ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱ ସନ୍‌ ୧୯୨୪ ମେଁ ର୍ରାୟଲ୍ ସୋସାଇଟୀ କୀ ସଦସ୍ୟତା ସେ ସମ୍ମାନିତ୍ କିମ୍ବା ଗୟା । ସନ୍‌ ୧୯୨୯ ମେଁ ଉହେଁ ‘ସର୍’ କୀ ଉପାଧୀ ପ୍ରଦାନ୍ କୀ ଗଈ । ଠୀକ୍ ଅଗ୍‌ ହୀ ସାଲ୍ ଉହେଁ ୱିଶ୍ କେ ସର୍ବୋଚ୍ଚ ପୁରସ୍କାର ଭୌତିକୀ ମେଁ ନୋବେଲ୍‌ ପୁରସ୍କାର୍ ସେ ସମ୍ମାନିତ୍ କିୟାଗୟା । ଉହେଁ ଔର୍ ଭୀ କଈ ପୁରସ୍କାର୍ ମିଲେ, ଜୈସେ ରୋମ୍ କା ମେନ୍ୟୁସୀ ପଦକ୍, ର୍ରାୟଲ ସୋସାଇଟୀ କା ହ୍ୟୁଜ୍ ପଦକ, ଫିଲୋଡ଼େଲ୍‌ଫିୟା ଇଂଷ୍ଟୀଟ୍‌ଟ୍ କା ଫ୍ରେଙ୍କ୍‌ଲିନ୍ ପଦକ୍, ସୋୱିୟତ୍ ରୂସ୍ କା ଅନ୍ତରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଲେନିନ୍ ପୁରସ୍କାର ଆଦି । ସନ୍‌ ୧୯୫୪ ମେଁ ରାମନ୍ କୋ ଦେଶ୍ କେ ସର୍ବୋଚ୍ଚ ସମ୍ମାନ ‘ଭାରତ-ରତ୍ନ’ ସେ ସମ୍ମାନିତ୍ କିୟା ଗୟା । ୱେ ନୋବେଲ୍‌ ପୁରସ୍କାର ପାନେୱାଲେ ପହଲେ ଭାରତୀୟ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଥେ । ଉକେ ବାଦ୍ ୟହ ପୁରସ୍କାର୍ ଭାରତୀୟ ନାଗରିକତାଓ୍ବାଲେ କିସୀ ଅନ୍ୟ କୈଜ୍ଞାନିକ୍ କୋ ଅଭୀତକ୍ ନର୍ଜୀ ମିଲ୍ ପାୟା ହୈ । ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱ ଅଧିକାଂଶ ସମ୍ମାନ ଉସ୍ ଦୌର୍ ମେଁ ମିଲେ ଜବ୍ ଭାରତ ଅଂଗ୍ରେର୍ଡୋ କା ଗୁଲାମ ଥା । ଉହେଁ ମିଲନେୱାଲେ ସମ୍ମାନୌ ନେ ଭାରତ କୋ ଏକ ନୟା ଆତ୍ମ-ସମ୍ମାନ୍ ଔର୍ ଆତ୍ମ-ବିଶ୍ବାସ୍ ଦିୟା । ୱିଜ୍ଞାନ କେ କ୍ଷେତ୍ର ମେଁ ଉନ୍‌ନେ

ଅନୁବାଦ:
‘ରମଣ ପ୍ରଭାବ’ ବା ‘ରମଣ ରଶ୍ମୀ’ର ଆବିଷ୍କାର ରମଣଙ୍କୁ ବିଶ୍ଵର ଉଚ୍ଚକୋଟୀର ବୈଜ୍ଞାନିକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଆଣି ଛିଡ଼ା କଲା । ପୁରସ୍କାର ଓ ସମ୍ମାନର ଧାଡ଼ି ଲାଗିରହଲା । ତାଙ୍କୁ ୧୯୨୪ ମସିହାରେ ରୟାଲ ସୋସାଇଟ୍‌ର ସହସ୍ୟଭାବେ ସମ୍ମାନିତ କରାଗଲା । ୧୯୨୯ ମସିହାରେ ତାଙ୍କୁ ‘ସାର୍’ ଉପାଧ୍ ପ୍ରଦାନ କରାଗଲା । ଠିକ୍ ଆଗାମୀ ବର୍ଷ ତାଙ୍କୁ ବିଶ୍ଵର ସର୍ବୋଚ୍ଚ ପୁରସ୍କାର ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନରେ ନୋବେଲ ପୁରସ୍କାରରେ ସମ୍ମାନିତ କରାଗଲା । ତାଙ୍କୁ ଆହୁରି ମଧ୍ୟ କେତେକ ପୁରସ୍କାର ମିଳିଲା, ଯେପରି ରୋମ୍‌ର ମୈତ୍ୟୁସୀ ପଦକ, ରୟାଲ ସୋସାଇଟ୍‌ର ହ୍ୟୁଜ୍ ପଦକ, ଫିଲାଡ଼େଲିଫ୍‌ ଇନ୍‌ଷ୍ଟିଚ୍ୟୁଟର ଫ୍ରେଙ୍କଲିନ୍ ପଦକ, ସୋଭିଏତ୍ ରୁଷର ଅନ୍ତରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଲେନିନ୍ ପୁରସ୍କାର ଆଦି । ୧୯୫୪ରେ ରମଣଙ୍କୁ ଦେଶର ସର୍ବୋଚ୍ଚ ସମ୍ମାନ ‘ଭାରତ-ରତ୍ନ’ରେ ସମ୍ମାନିତ କରାଗଲା । ସେ ନୋବେଲ ପୁରସ୍କାର ପାଇବାରେ ପ୍ରଥମ ଭାରତୀୟ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଥିଲେ । ତାଙ୍କ ପରେ ଏହି ପୁରସ୍କାର ଭାରତୀୟ ନାଗରିକତା ପ୍ରାପ୍ତ କୌଣସି ଅନ୍ୟ ବୈଜ୍ଞାନିକଙ୍କୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମିଳିପାରି ନାହିଁ । ତାଙ୍କୁ ଅଧିକାଂଶ ସମ୍ମାନ ଏହି ସମୟରେ ମିଳିଲା, ଯେତେବେଳେ ଭାରତ ଇଂରେଜଙ୍କ ଅଧୀନରେ ଥିଲା । ତାଙ୍କୁ ମିଳିଥି ସମ୍ମାନଗୁଡ଼ିକ ଭାରତକୁ ଏକ ନୂତନ ଆତ୍ମସମ୍ମାନ ଓ ଆତ୍ମବିଶ୍ଵାସ ଦେଲା । ବିଜ୍ଞାନ କ୍ଷେତ୍ରରେ ସେ ଏକ ନୂତନ ଭାରତୀୟ
ଚେତନାର ଜାଗ୍ରତ କଲେ ।

13. भारतीय ……………….. परहेज क्यों।
ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତି ସେ ରାମନ୍ କୋ ହମେଶା ହୀ ଗହରା ଲଗାୱ ରହା । ଉନ୍‌ନେ ଅପୂନୀ ଭାରତୀୟ ପହଚାନ୍ କୋ ହମେଶା ଅକ୍ଷୁଣ୍ଣ ରଖା । ଅନ୍ତରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ପ୍ରସିଦ୍ଧି କେ ବାଦ୍ ଭୀ ଉନ୍‌ନେ ଅପ୍‌ନେ ଦକ୍ଷିଣ ଭାରତୀୟ ପହନାୱେ କୋ ନହିଁ ଛୋଡ଼ା । ୱେ କଟ୍ଟର୍ ଶାକାହାରୀ ଥେ ଔର୍ ମଦିରା ସେ ସଖ୍ତ ପରହେଜ୍ ରଖ୍ ଥେ। ଜବ୍ ୱେ ନୋବେଲ୍‌ ପୁରସ୍କାର ପ୍ରାପ୍ତ କର୍‌ନେ ଷ୍ଟିକହୋମ୍ ଗଏ ତୋ ୱହାଁ ଉନେ ଶରାବ୍ ପୀନେ ସେ ଇନ୍‌କାର୍ କିୟା ତୋ ଏକ୍ ଆୟୋଜକ୍ ନେ ପରିହାସ୍ ମେଁ ଉସେ କହା କି ରାମନ୍ ନେ ଜବ୍ ଅଲ୍‌କୋହଲ୍ ପର୍ ରାମନ ପ୍ରଭାୱ କା ପ୍ରଦର୍ଶନ କର୍ ହର୍ମେ ଆହ୍ଲାଦିତ କର୍‌ନେ ମେଁ କୋଈ କସର୍ ନହୀ ଛୋଡ଼ୀ, ତୋ ରାମନ୍ ପରି ଅଲ୍‌କୋହଲ୍ କେ ପ୍ରଭାୱ କା ପ୍ରଦର୍ଶନ୍ କର୍‌ନେ ସେ ପରହେଜ୍ କୈ?

ଅନୁବାଦ:
ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତିରେ ରମଣଙ୍କ ସର୍ବଦା ଗଭୀର ରୁଚି ଥିଲା । ସେ ନିଜର ଭାରତୀୟ ପରିଚୟକୁ ସର୍ବଦା ଅକ୍ଷୁଣ୍ଣ ରଖୁଥିଲେ । ଅନ୍ତରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ପରେ ମଧ୍ୟ ସେ ନିଜେ ଦକ୍ଷିଣ ଭାରତୀୟ ପୋଷାକକୁ ଛାଡ଼ିନଥିଲେ । ସେ ଦୃଢ଼ ଶାକାହାରୀ ଥିଲେ ଓ ମଦଠୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଦୂରେଇ ରହୁଥିଲେ । ଯେତେବେଳେ ସେ ନୋବେଲ ପୁରସ୍କାର ପାଇଁ ଷ୍ଟକ୍‌ହୋମ୍ ଗଲେ ସେଠାରେ ସେ ମଦ ପିଇବାକୁ ମନା କଲେ, ତେଣୁ ଜଣେ ଆୟୋଜକ ପରିହାସ (ଥଟ୍ଟା)ରେ ତାଙ୍କୁ କହିଲେ ଯେ ରମଣ ଯେତେବେଳେ ଆଲ୍‌ କୋହଲ୍ ଉପରେ ‘ରମଣରଶ୍ମି’ର ପ୍ରଦର୍ଶନକରି ଆମକୁ ଆହ୍ଲାଦିତ କରିବାରେ କୌଣସି ଚେଷ୍ଟା ଛାଡ଼ିନାହାନ୍ତି, ସେତେବେଳେ ରମଣ ଉପରେ ଆଲକୋହଲ୍‌ର ପ୍ରଭାବ ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିବାରେ କୁଣ୍ଠିତ କାହିଁକି ?

14. रामन का …………………………. आहु में हुई।
.ତ୍ର କ । ରାମନ୍ କା ଜ୍ଞାନିକ୍ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵ ପ୍ରୟୋଗୋଁ ଔର୍ ଶୋଧପତ୍ର-ଲେଖନ୍ ତକ୍ ହୀ ସିମ୍‌ଟା ହୁଆ ନର୍ଜୀ ଥା । ଉକେ ଅନ୍ଦର୍ ଏକ ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଚେତନା ଥୀ ଔର୍ ୱେ ଦେଶ୍ ମେଁ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟି ଔର୍ ଚିନ୍ତନ କେ ବିକାସ୍ କେ ପ୍ରତି ସମର୍ପିତ ଥେ । ଉହେଁ ଅପନେ ଶୁରୁଆତୀ ଦିନ୍ ହମେଶା ହୀ ୟାଦ ରହେ ଜବ୍ ଉର୍ରେ ଜଂଗ କୀ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ଔର୍ ଉପକରଣୋ କେ ଅଭା ମେଁ କାଫି ସଂଘର୍ଷ କର୍‌ନା ପଡ଼ା ଥା । ଇସୀଲିଏ ଉର୍ଡୋନେ ଏକ୍ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଉନ୍ନତ୍ ପ୍ରୟୋଗଶାଲା ଔର୍ ଶୋଧ-ସଂସ୍ଥାନ କୀ ସ୍ଥାପନା କୀ ଜୋ ବଂଗଲୌର୍ ମେଁ ସ୍ଥିତ୍ ହୈ ଔର୍ ଉର୍ତୀ କେ ନାମ୍ ପର୍ ‘ରାମନ୍ ରିଚର୍ସ ଇଂସ୍ଟିଟ୍ୟୁଟ୍’ ନାମ୍ ସେ ଜାନୀ ଜାତୀ ହୈ । ଭୌତିକ୍ ଶାସ୍ତ୍ର ମେଁ ଅନୁସଂଧାନ୍ କୋ ବଢ଼ି ଦେନେ କେ ଲିଏ ଉହୋନେ ‘ଇଣ୍ଡିୟନ ଜରନଲ୍ ଆଫ୍ ଫିଜିକ୍‌ସ’ ନାମକ ଶୋଧ ପତ୍ରିକା ପ୍ରାରମ୍ଭ କୀ ।

ଅପ୍‌ନେ ଜୀୱନ୍-କାଲ୍ ମେଁ ଉର୍ଦ୍ଧ୍ୱନେ ସୈକର୍ଡ଼ ଶୋଧ ଛାର୍ଡୋ କା ମାର୍ଗଦର୍ଶନ୍ କିୟା । ଜିସ୍ ପ୍ରକାର ଏକ ଦୀପକ୍ ସେ ଅନ୍ୟ କଈ ଦୀପକ୍ ଜଲ୍ ଉଠତେ ହୈ, ଉସୀ ପ୍ରକାର୍ ଉକେ ଶୋଧ-ଛାତ୍ରୋ ନେ ଆଗେ ଚଲ୍‌କର୍ କାଫି ଅଚ୍ଛା କାମ୍ କିୟା । ଉହେଁ ମେଁ କଈ ଛାତ୍ର ବାଦ୍ ମେଁ ଉଜ୍ ପଦୌ ପର୍ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ହୁଏ । ଜ୍ଞାନ୍ କେ ପ୍ରଚାର୍ ପ୍ରସାର୍ କେ ଲିଏ ୱେ ‘କରେଣ୍ଟ୍‌ ସାଇଂସ୍’ ନାମକ୍ ଏକ୍ ପତ୍ରିକା ଭୀ ସଂପାଦନ କର୍‌ତେ ଥେ । ରାମନ୍ ପ୍ରଭାୱ କେଲ୍ କୀ କିରଣୋ ତକ୍ ହୀ ସିମ୍‌ଟା ନର୍ଜୀ ଥା, ଉନେ ଅପ୍‌ନେ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵ କେ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରର୍ଥେ ସେ ପୂରେ ଦେଶ୍ କୋ ଆଲୋକିତ୍ ଔର୍ ପ୍ରଭାବିତ୍ କିୟା । ଉନ୍‌କୀ ମୃତ୍ୟୁ ୨୧ ନବର ସନ୍‌ ୧୯୭୦ କେ ଦିନ ୮୨ ବର୍ଷ କୀ ଆୟୁ ମେଁ ହୁଈ ।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣଙ୍କ ବୈଜ୍ଞାନିକ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵ ପ୍ରୟୋଗ ଓ ଗବେଷଣା ପତ୍ର ଲେଖୁ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମାପ୍ତ ହୋଇ ନଥିଲା । ତାଙ୍କ ଭିତରେ ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଚେତନା ଥିଲା ଓ ସେ ଦେଶର ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟି ଏବଂ ଚିନ୍ତନର ବିକାଶ ପ୍ରତି ସମର୍ପିତ ଥିଲେ । ସେ କରିବାକୁ ପଡ଼ିଥିଲା । ତେଣୁ ସେ ଗୋଟିଏ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଉନ୍ନତ ପ୍ରୟୋଗଶାଳା ଓ ଅନୁସନ୍ଧାନ ସଂସ୍ଥା ସ୍ଥାପନ କଲେ, ଯାହା ବାଙ୍ଗଲୋରରେ ଅବସ୍ଥିତ ଏବଂ ତାଙ୍କ ନାମ ଅନୁସାରେ ‘ରମଣ ରିସର୍ଚଇନ୍‌ଷ୍ଟିଚ୍ୟୁଟ୍’ ନାମରେ ନାମିତ ହୋଇଛି । ଭୌତିକ ଶାସ୍ତ୍ରରେ ଗବେଷଣାକୁ ବଢ଼ାଇ ଦେବାପାଇଁ ସେ ‘ଇଣ୍ଡିଆନ୍ ଜର୍ଣଲ୍‌ ଆଫ ଫିଜିକ୍‌ସ’ ନାମକ ଗବେଷଣା ପତ୍ରିକା ଆରମ୍ଭ କଲେ । ନିଜ ଜୀବନ କାଳରେ ସେ ଶହ-ଶହ ଗବେଷଣା ଛାତ୍ରମାନଙ୍କର ମାର୍ଗଦର୍ଶନ କଲେ। ଯେପରି ଗୋଟିଏ ଦୀପରୁ ଅନ୍ୟ କେତେଗୁଡ଼ିଏ ଦୀପ ଜଳିଉଠେ, ସେହିପରି ତାଙ୍କର ଅନୁସନ୍ଧାନୀ ଛାତ୍ରମାନେ ଆଗକୁ ଯାଇ ବହୁତ ଭଲ କାମ କଲେ । ତା’ ନାମକ ଗୋଟିଏ ପତ୍ରିକା ମଧ୍ୟ ସମ୍ପାଦନ କରିଥିଲେ । ରମଣଙ୍କ ପ୍ରଭାବ କେବଳ ଆଲୋକର କିରଣ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରହିନଥୁଲା ସେ ନିଜ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵର ଆଲୋକର କିରଣରେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଦେଶକୁ ଆଲୋକିତ ଓ ପ୍ରଭାବିତ କଲେ । ତାଙ୍କର ଦେହାନ୍ତ ୧୯୭୦ ମସିହା ନଭେମ୍ବର ୨୧ ତାରିଖ, ୮୨ ବର୍ଷରେ ହୋଇଥିଲା ।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन

15. रामन वैज्ञानिक ………………………….. करने की।
ରାମନ୍ ବୈଜ୍ଞାନିକ୍ ଚେତନା ଔର୍ ଦୃଷ୍ଟି କୀ ସାକ୍ଷାତ୍‌ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତି ଥେ । ଉନ୍‌ନେ ହମେଁ ହମେଶା ହୀ ୟହ ସଂଦେଶ୍ ଦିୟା କି ହମ୍ ଅପ୍‌ ଆସ୍‌ପାସ୍ ଘଟ୍ରହୀ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରାକୃତିକ୍‌ ଘଟନାଓଁ କୀ ଛାନବୀନ୍ ଏକ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟି ସେ କର୍ରେ । ତଭୀ ତୋ ରାମନ୍ ଜ୍ଞାନିକ୍ ଚେତନା ଔର୍ ଦୃଷ୍ଟି କୀ ସାକ୍ଷାତ୍‌ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତି ଥେ । ଉନେ ହମେଁ ହମେଶା ହୀ ୟହ ସଂଦେଶ୍ ଦିୟା କି ହମ୍ ଅପ୍‌ ଆସ୍‌ପାସ୍‌ ଘଟ୍‌ରହୀ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରାକୃତିକ୍‌ ଘଟନାଓଁ କୀ ଛାନବୀନ୍ ଏକ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟି ସେ କର୍ରେ । ତଭୀ ଉନେ ସଙ୍ଗୀତ କେ ସୁର-ତାଲ୍ ଔର୍ ପ୍ରକାଶ୍ କୀ କିରର୍ଣ୍ଣୋ କୀ ଆଭା କେ ଅନ୍ଦର୍ ସେ ବୈଜ୍ଞାନିକ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ ଖୋଜ୍ ନିକାଲେ । ହମାରେ ଆସ୍‌ସ୍ ଐସୀ ନ ଜାନେ କିତ୍‌ନୀ ହୀ ଚୀହେଁ ବିଖ୍ରୀ ପତ୍ନୀ ହେଁ, ଜୋ ଅପ୍‌ ଜ ରୂରତ୍ ହୈ ରାମନ୍ କେ ଜୀୱନ ସେ କରନେ କୀ । ପ୍ରେରଣା ପାତ୍ର କୀ ତଲାସ୍ ମେଁ ହେଁ । ଲେନେ କୀ ଔର୍ ପ୍ରକୃତି କେ ବୀଚ୍ ଛୁପେ ବୈଜ୍ଞାନିକ୍ ରହସ୍ୟ କା ଭେଦନ୍।

ଅନୁବାଦ:
ରମଣ ବୈଜ୍ଞାନିକ ଚେତନା ଓ ଦୃଷ୍ଟିର ସାକ୍ଷାତ୍ ପ୍ରତିମୂର୍ତ୍ତି ଥିଲେ । ସେ ଆମ୍ଭଙ୍କୁ ସର୍ବଦା ଏହା ବାର୍ତ୍ତା ଦେଲେ ଯେ ଆମେ ନିଜ ଆଖପାଖରେ ଘଟୁଥ‌ିବା ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରାକୃତିକ ଘଟଣାଗୁଡ଼ିକୁ ଅନ୍ଵେଷଣ କରି ବୈଜ୍ଞାନିକ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଦେଖୁବା । ସେଥ‌ିପାଇଁ ସେ ସଙ୍ଗୀତର ସୁର-ତାଳ ଓ ଆଲୋକ କିରଣର ଚମକ ଭିତରେ ବୈଜ୍ଞାନିକ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ ବାହାର କଲେ । ଆମ ତୋ ଆଖପାଖରେ ଏପରି ଅଜଣାରେ କେତେକ ପଦାର୍ଥ ପଡ଼ିଛି, ଯିଏ ନିଜ ପାତ୍ରର ଅନୁସନ୍ଧାନରେ ଅଛି । ଆବଶ୍ୟକ ଅଛି ରମଣଙ୍କ ଜୀବନରୁ ପ୍ରେରଣା ନେବାର ଓ ପ୍ରକୃତି ମଧ୍ୟରେ ଛପି ରହିଥ‌ିବା ବୈଜ୍ଞାନିକ ରହସ୍ୟ ଭେଦ କରିବାର।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

आभा – चमक (ଚମକ ପ୍ରଭା କାନ୍ତି)।

जिज्ञासा – जानने की इच्छा (ଜାଣିବାର ଇଚ୍ଛା, ଜିଜ୍ଞାସା) ।

नींव – आधार (ଆଧାର)।

दिलचस्पी – आग्रह (ଆଗ୍ରହ) ।

दिली इच्छा – मन या हुदय की क (ମନବା ହୃଦୟର କାମନା)।

तैनाती – नियुक्ति (ନିଯୁକ୍ତି ) ।

विश्वविख्यात – संसार में प्रसिद्ध (କାରଣରେ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ବା ଖ୍ୟାତ, ବିଶ୍ୱବିଖ୍ୟାତ)

निहारना – देखना (ଦେଖ୍) ।

असंख्य – अनगिनत (ଅଗଣିତ, ଅସଂଖ୍ୟ) ।

बहुत – अधिक (ଅଧିକ ବହୁତ)।

रुझान – झुकाव ((ଅଭିଳାଷ ଆଗ୍ରହା)।

इस्तेमाल – व्यवहार (ବ୍ୟବହାର)।

भौतिकी – पदार्थ विज्ञान (ପଦାର୍ଥ ବିଜ୍ଞାନ) विज्ञान जिसमें तत्त्वों के गुण आदि का विवेचन किया गया है।

शोध – खोज,अनुसंधान (ଗବେଷଣା) ।

तनख्वाह – वेतन (ଦରମା) ।

माहौल – बतावरण, परिवेश (ଗତବରଶ)।

फोटाँन – प्रकाश का अंश (ଆଲୋକର ଅଂଶ)।

एकवर्णीय – एक रंग का (ଗୋଟିଏ ରଙ୍ଗ) ।

ऊर्जा – शक्ति , बल (ଶକ୍ତି, ବଳ)।

क्रांति – आन्दोलन (ଆନ୍ଦୋଳନ କରନ୍ତି)।

संरचना – गठन रीति (ଗଠନ ନାତି ସଂରଚନା)।

आणविक – अणु संबधित (ଅଶୁ ସମବୃଷ୍ଟିତ)।

परमाणविक – परमाणु से संवधित (ପରମାଣୁ ସମ୍ବରଣିତ ପରମାଣ ବିକ)।

अक्षुण्ण – अखंड़ित (ଅଖଣ୍ଡିତ ଅକ୍ଷୁର୍ଶ) ।

आहलदित – आनंदित (ଆନତିତ)।

झंका रेड़ स्पेक्ट्रोस्कापी – अबशक्त स्पेक्ट्रम विज्ञान (ଅବଶକ୍ତି ସ୍ପେକଟ୍ରମ ବିଜ୍ଞନା)।

संश्लेषण – मिलान करना (ମିଳିନ କରିବା ସଂଶ୍ଳେଷଣ)।

कट्टट – दृढ़ (ତୃଢ଼)।

लेखक परिचय (ଲେଖକ ପରିଚୀୟ)

नोबेल पुरस्कार – यह एक अन्तराष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च पुरस्कार है जो साहत्यि, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र तथा शान्ति के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के लिए दिया जाता है। नोबेल पुरस्कार के जन्मदाता अल्फ्रेड़ नोबेल हैं, जिनका जन्म सन् 1833 ई. में स्वीड़ेन स्टाँकहोम नामक स्थान में हुआ था।( ନୋବେଲ ପୁରସ୍କାର, ଏହା ଅନ୍ତ ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ସ୍ତରର ସର୍ବୋଚ୍ଚ ପଦାର୍ଥବିଜ୍ଞାନ, ରସାୟନ ବିଜ୍ଞାନ, ଚିକିତ୍ସା ଶାସ୍ତ୍ର, ଅର୍ଥଶାସ୍ତ୍ର ତଥା ଶାନ୍ତି ଏହାର ଜନ୍ମଦାତା, ଆଲ୍ ଫ୍ରେଡ୍ ନୋବେଲ୍‌ଙ୍କ ଜନ୍ମ ୧୮୩୩ ମସିହା ସ୍ଵି ଡ଼େନ୍ ଦେଶର ଷ୍ଟକ୍ ହୋମ୍ ସହରରେ ହୋଇଥିଲା)।

धीरंजन मालवे
धीरंजन मालवे का जन्म बिहार के नालंदा जिले के डुवरावाँ गाँव में 9 मार्च 1952 को हुआ। उन्होंने ऊँची डिग्रियाँ हासिल कीं । एम.एस.सी. के साथ एम.बी.ए. और एल. एल. बी. भी पास की। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन से जुड़े रहे। वैज्ञानिक जानकारी लोगों तक पहुँचाने का काम किया। कई भारतीय वैज्ञानिकों की संक्षिप्त जीवनियाँ भी लिखीं। ये सब उनकी ‘विश्व-विख्यात भारतीय वैज्ञानिक’ पुस्तक में समाहित हैं। मालवेजी की भाषा सीधी, सरल और वैज्ञानिक शब्दावली से युक्त है।

अभिमत:
प्रस्तुत पाठ में नोबेल विजेता प्रथम भारतीय वैज्ञानिक चंन्द्रशेखर वेंकट रामन का जीवन वर्णित है। उनके जीवन के संघर्ष की कथा कही गई है। रामन ने ग्यारह साल की उम्र में मैट्रिक पास किया। फिर विशेष योग्यता के साथ इंटरमीडिएट पास किया। आगे भौतिकी और अंग्रेजी में स्वर्णपदक के साथ बी. ए. और प्रथम श्रेणी में एम.ए. की डिग्री हासिल की। मात्र अट्ठारह साल की उम्र में कोलकाता में भारत सरकार के वित्त- विभाग में नौकरी की। उनकी प्रतिभा से उनके अध्यापक भी अभिभूत थे। रामन भारत में विज्ञान की उन्नति के चिर आकांक्षी थे। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने नयी खोज की। इसलिए सन् 1930 ई. में उन्हों नोबेल पुरस्कार मिला। एक मेधावी छात्र से महान वैज्ञानिक तक की रामन की संघर्षमय जीवन – यात्रा और उनकी उपलब्धियों की जानकारी यह पाठ प्रदान करता है।

BSE Odisha 10th Class Hindi व्याकरण विभाग

Odisha State Board BSE Odisha 10th Class Hindi Solutions व्याकरण विभाग Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 10 Hindi व्याकरण विभाग

लिंग

प्रश्न 1.
दूर का पहाड़ सुन्दर लगता है। रेखांकित शब्द का लिंग बताइए।
उत्तर:
पुंलिंग

प्रश्न 2.
मेरी परीक्षा पन्द्रह दिन सरक गयी है रेखांकित शब्द का लिंग बताइए।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

प्रश्न 3.
पंड़ित लड़कों को मुफ्त में पढ़ाते थे रेखांकित शब्द का लिंग बताइए।
उत्तर:
पुंलिंग

प्रश्न 4.
आदमी का इतिहास पुराना है। रेखांकित शब्द का लिंग बताइए।
उत्तर:
पुंलिंग

प्रश्न 5.
‘मांस’ – दिए गए शब्द लिंग निर्णय कीजिए।
उत्तर:
पुंलिंग

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प्रश्न 6.
‘मूँछ’ – लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

प्रश्न 7.
‘दूध’ – लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
पुंलिंग

प्रश्न 8.
‘पूँछ’ – लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

प्रश्न 9.
‘मर्यादा’ – लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

प्रश्न 10.
‘जान’ – लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

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प्रश्न 11.
‘तलाश’- लिंग निर्णय करो।
उत्तर:
स्त्रीलिंग

प्रश्न 12.
‘नौकर’- सही लिंग परिवर्तन किजिए।
उत्तर:
नौकरानी

प्रश्न 13.
‘बंदर’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप है
उत्तर:
बंदरिया

प्रश्न 14
‘आदमी’ का स्त्रीलिंग रूप लिखिए।
उत्तर:
औरत

प्रश्न 15.
‘कवि’ लिंग बदलिए।
उत्तर:
कवयित्री

प्रश्न 16.
‘माली’ – लिंग बदलिए।
उत्तर:
मालिन

प्रश्न 17.
‘पिता’ लिंग बदलिए।
उत्तर:
माता

प्रश्न 18.
‘सेठ’ – लिंग बदलिए।
उत्तर:
सेठानी

वचन

प्रश्न 1.
वचन का आकर्षण बहुवचन में लिखिए।
उत्तर:
वचनों का आकर्षण

प्रश्न 2.
“कलाकृतियाँ” का एकवचन रूप है।
उत्तर:
कलाकृति

प्रश्न 3.
काँटा कम से कम मत बोओ। – रेखांकित शब्द का बहुवचन लिखिए।
उत्तर:
काँटे

प्रश्न 4.
‘घोसले’ का एकवचन रूप है।
उत्तर:
घोसला

प्रश्न 5.
‘दोहा’ का वहुवचन रूप है।
उत्तर:
दोहे

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प्रश्न 6.
‘मौसम’ का वहुवचन रूप है।
उत्तर:
मौसम

प्रश्न 7.
‘ऋतु’ का वहुवचन है।
उत्तर:
ऋतुएँ

प्रश्न 8.
‘सूचना’ का बहुवचन है।
उत्तर:
सूचनाएँ

प्रश्न 9.
‘गुफा’ का वहुवचन है।
उत्तर:
गुफाएँ

प्रश्न 10.
‘प्राण’ का बहुवचन है।
उत्तर:
प्राण

प्रश्न 11.
‘सुविधा’ का बहुवचन रूप है।
उत्तर:
सुविधाएँ

प्रश्न 12.
‘गिलहरी’ का वहुवचन रूप है
उत्तर:
गिलहरियाँ

प्रश्न 13.
‘खेत’ का वहुवचन रूप क्या है?
उत्तर:
खेत

प्रश्न 14.
‘सदियाँ’ का एकवचन रूप है।
उत्तर:
सदी

प्रश्न 15.
‘स्मृती’ का बहुवचन रूप है।
उत्तर:
स्मृतियाँ

प्रश्न 16.
‘धारा’ – वचन बदलिए।
उत्तर:
धाराएँ

प्रश्न 17.
‘जहाज’- वचन बदलिए।
उत्तर:
जहाज

प्रश्न 18.
‘कुत्ता’ – वचन बदलिए।
उत्तर:
कुत्

प्रश्न 19.
‘नौकरी’ – वचन बदलिए।
उत्तर:
नौकरियाँ

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प्रश्न 20.
‘लकड़ियाँ’ – वचन बदलिए।
उत्तर:
लकड़ी

सर्वनाम ( पुरुषवाचक)

प्रश्न 1.
आपको यह काम करना है। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम है…………….. ।
उत्तर:
यह

प्रश्न 2.
उसको जाने दो। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम है।
उत्तर:
उसको

प्रश्न 3.
उन्होंने काम पूरा कर दिया। इस वाक्य में सर्वनाम है…………….. ।
उत्तर:
उन्होंने

प्रश्न 4.
पुरुषवाचक सर्वनाम नहीं है ……………….।
( ये, मैं, कौन, वह)
उत्तर:
कौन

प्रश्न 5.
प्रश्नवाचक सर्वनाम है………………।
(वे, कौन, यह, उसे)
उत्तर:
कौन

प्रश्न 6.
संबंधवाचक सर्वनाम है ………………. ।
(जो-सो, मैं, कौन, वे)
उत्तर:
जो सो

प्रश्न 7.
सर्वनाम छाँटिए।
( नाम, मोटा, कोई, मकान )
उत्तर:
कोई

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प्रश्न 8.
मेरी माताजी खाना पका रही हैं \। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम है………………..।
उत्तर:
मेरी

प्रश्न 9.
……………. नाम क्या है?
उत्तर:
तेरा

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से संबंधवाचक सर्वनाम है ……………….।
(मैं, कौन, जो, कहाँ)
उत्तर:
जो

प्रश्न 11.
मेरी माताजी खाना पका रही हैं। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम है।
उत्तर:
मेरी

प्रश्न 12.
कोई (बहुवचन) + ने = ……………….. ( सही रूप लिखिए)
उत्तर:
किन्होंने

प्रश्न 13.
वह + ने = …………….. ( सही रूप लिखिए)
उत्तर:
उसने

प्रश्न 14.
ये + ने = ………………… ( सही रूप लिखिए)
उत्तर:
इन्होंने

प्रश्न 15.
वाक्य में संज्ञा शब्दों के स्थान पर प्रयुक्त होनेवाले शब्दों को ………………. कहते हैं।
उत्तर:
सर्वनाम

प्रश्न 16.
जिस सर्वनाम से कर्त्ता के विषय में कुछ बताया जाता ……………….. सर्वनाम कहते हैं।
उत्तर:
निजवाचक

प्रश्न 17.
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दिजिए। रेखांकित शब्द किस प्रकार का सर्वनाम है?
उत्तर:
अनिश्चयवाचक

कारक

प्रश्न 1.
दूध से दही बनता है। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
अपादान

प्रश्न 2.
महेश बुखार से पीड़ित है। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
करण

प्रश्न 3.
बन्दूक से गोली चली। रेखांकित अंश किस कारक में है?
उत्तर:
अपादान

प्रश्न 4.
छात्र ने शिक्षक से दो प्रश्न पूछे। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
कर्म

प्रश्न 5.
बच्चा साँप से डरता है। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
कर्म

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प्रश्न 6.
मुझ पर भरोसा रखो। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
अधिकरण

प्रश्न 7.
कटक में बालियात्रा का मेला लगता है। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
अधिकरण

प्रश्न 8.
पेड़ पर बन्दर बैठा है। रेखांकित पद किस कारक में है?
उत्तर:
अधिकरण

प्रश्न 9.
विनोद माधव से लम्बा है। रेखांकित अंश किस कारक में है?
उत्तर:
अपादान

प्रश्न 10.
माता ने बच्चे को सुलाया। रेखांकित अंश किस कारक में है?
उत्तर:
कर्म

प्रश्न 11.
यह है शब्द संयोजन की बात। रेखांकित अंश किस कारक में है?
उत्तर:
संबंध कारक

प्रश्न 12.
कृपाशंकर घर से स्टेशन आया। रेखांकित अंश किस कारक में है?
उत्तर:
अपादान

परसर्ग / विभक्ति

प्रश्न 1.
वह तकिए……………… बैठा।
उत्तर:
पर

प्रश्न 2.
साँप नेवले ……………. डरता है।
उत्तर:
से

प्रश्न 3.
हृदय द्वार खोलने ……………. कुंजी है।
उत्तर:
की

प्रश्न 4.
पेड़…………………फल गिरा।
उत्तर:
से

प्रश्न 5.
जीवों …………..दया करो।
उत्तर:
पर

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प्रश्न 6.
रोगी हैजे ……………… मर गया।
उत्तर:

प्रश्न 7.
लोगों की जान ………… जान आई।
उत्तर:
में

प्रश्न 8.
ठाकुर साहब गाड़ी ………… जान आई।
उत्तर:
से

प्रश्न 9.
कृपाशंकर …………. उतरने लगे।
उत्तर:
ने

प्रश्न 10.
उत्कृष्ट कलाओं …………… कई कुली बुलाये।
उत्तर:
का

प्रश्न 11.
क्या तुम्हारे बैठने …………… देश उत्कल।
उत्तर:
का

प्रश्न 12.
गर्व
उत्तर:
से.

प्रश्न 13.
वाणभट्ट …………….. ठेका लिया है?
उत्तर:
ने

प्रश्न 14.
गिल्लू ने मुक्ति ……………. कहो कि मैं भारतीय हूँ।
उत्तर:
की

प्रश्न 15.
मुँह. ……………….. .उफ न निकलने दो अपने लड़के से कहा।
उत्तर:
से

प्रश्न 16.
गाय ………….. घास दो।
उत्तर:
को

प्रश्न 17.
नरेन ……………….भाई पढ़ता है।
उत्तर:
का

प्रश्न 18.
मन …………….. अहंकार को स्थान मत दो।
उत्तर:
में

प्रश्न 19.
मेज ……………… किताबें रखी है।
उत्तर:
पर

प्रश्न 20.
खुले मैदान में, रेत …………… साँस ली।
उत्तर:
पर

क्रिया (सकर्मक और अकर्मक)

प्रश्न 1.
“घोड़ा दौड़ता है” – इस वाक्य में “ दौड़ता ” किस क्रिया का रूप है?
उत्तर:
अकर्मक

प्रश्न 2.
“राम फल खाता है”- इस वाक्य में ‘खाता’ किस क्रिया का रूप है?
उत्तर:
सकर्मक

प्रश्न 3.
सही अकर्मक क्रिया रूप छाँटिए:
(गाना, रोना, खाना, , देना)
उत्तर:
रोना

प्रश्न 4.
अकर्मक क्रिया रूप पहचानिए:
(पढ़ना, मिलना, बहना, कहना)
उत्तर:
बहना

प्रश्न 5.
सही सकर्मक क्रिया रूप छाँटिए:
( रहना, रोना, गाना, सरकाना )
उत्तर:
गाना

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प्रश्न 6.
अकर्मक क्रिया रूप चुनिए:
(वनाना, भागना, समझना, पढ़ना)
उत्तर:
भागना

प्रश्न 7.
सही सकर्मक क्रिया रूप पहचानिए:
( उड़ना, कूदना, छोड़ना, याचना )
उत्तर:
छोड़ना

प्रश्न 8.
कौन सा क्रिया रूप अकर्मक है छाँटिए:
(खाना, देखना, मिलना, दौड़ना)
उत्तर:
खाना

प्रश्न 9.
सकर्मक क्रिया रूप छाँटिए:
(सोना, रोना, होना,
उत्तर:
पीना

प्रश्न 10.
सही सकर्मक क्रिया रूप पहचानिए:
(निकलना, सजाना, जीना, वदलना)
उत्तर:
सजाना

प्रेरणार्थक क्रिया रूप

प्रश्न 1.
‘पढ़ना’ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है…………..।
उत्तर:
पढ़वाना

प्रश्न 2.
‘करना’- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है …………….।
उत्तर:
कराना

प्रश्न 3.
‘कहना’ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है ……………।
उत्तर:
कहलवाना

प्रश्न 4.
‘देखना ‘ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है ……………..।
उत्तर:
दिखवाना

प्रश्न 5.
‘भीगना’ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है…………….।
उत्तर:
भीगवाना

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प्रश्न 6.
‘रोना’ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है……………।
उत्तर:
रुलवाना

प्रश्न 7.
‘खाना’ – द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप है…………..।
उत्तर:
खिलवाना

प्रश्न 8.
‘बनना’ क्रिया का पहला प्रेरणार्थक क्रिया रूप है…………..।
उत्तर:
बनाना

प्रश्न 9.
‘खाना’ क्रिया का सही प्रेरणार्थक क्रिया रूप है……………….।
उत्तर:
खिलाना

प्रश्न 10.
‘सोना’ क्रिया का प्रथम प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
सुलाना

प्रश्न 11.
‘भेजना’ क्रिया का दूसरा प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
भेजवाना

प्रश्न 12.
‘लिखना’ क्रिया का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
लिखवाना

प्रश्न 13.
‘हँसना’ क्रिया का सही प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
हँसाना

प्रश्न 14.
‘करना’ क्रिया का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
करवाना

प्रश्न 15.
‘पिना’ क्रिया का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप हैं-
उत्तर:
पिलवाना

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प्रश्न 16.
‘उठना’ क्रिया का प्रथम प्रेरणार्थक रूप है –
उत्तर:
उठाना

प्रश्न 17.
‘समझना’ क्रिया का पहला प्रेरणार्थक रूप है
उत्तर:
समझाना

सही क्रिया पद भरिए

प्रश्न 1.
अनेक सुधी नेता काम में जुट……………..।
उत्तर:
गए

प्रश्न 2.
राम ने एक पुस्तक…………….।
उत्तर:
खरीदी

प्रश्न 3.
आँख भी लाल होकर दुःखने ………………।
उत्तर:
लगी

प्रश्न 4.
उसने चाय पी ………………।
उत्तर:
ली

प्रश्न 5.
सीता ने गीता को ……………..।
उत्तर:
पढ़ाया

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प्रश्न 6.
वे चिट्ठियाँ लिख ………….।
उत्तर:
रहे थे

प्रश्न 7.
कृपाशंकर ने कई कुली…………….।
उत्तर:
बुलाये

प्रश्न 8.
उन्हें आज इस पद को महानता ज्ञात……………।
उत्तर:
हुई

प्रश्न 9.
मुसाफिर ने क्रोध पूर्ण नेत्रो से …………..।
उत्तर:
देखा

प्रश्न 10.
अशोक ने वीरत्व की कहानी ……………।
उत्तर:
सुनी

प्रश्न 11.
आपको कुछ सेवा करने का अवसर ………………।
उत्तर:
मिला

प्रश्न 12.
यह नित्य का क्रम हो ……………..।
उत्तर:
गया

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प्रश्न 13.
कलिंगवासियों ने जाने दीं पर जमीन नहीं …………….।
उत्तर: दी

प्रश्न 14.
शिक्षक चन्द्रधर शर्मा को नींद नहीं …………………।
उत्तर:
आयी

प्रश्न 15.
पारादीप बन्दरगाह ने नौवाणिज्य को बढ़ावा …………….।
उत्तर:
दिया

विपरीतार्थक शब्द (विलोम )

प्रश्न 1.
‘मृत्यु’ शब्द का सही विलोमरूप …………….।
उत्तर:
जन्म

प्रश्न 2.
‘राजा’ शब्द का सही विपरीत रूप …………….।
उत्तर:
रंक

प्रश्न 3.
‘अपनापन’ शब्द का सही विलोमरूप ……………..।
उत्तर: परायापन

प्रश्न 4.
‘चर’ शब्द का सही विलोम रूप ……………..।
उत्तर:
अचर

प्रश्न 5.
‘हाजिर’ शब्द का सही विपरीत रूप ……………।
उत्तर:
गैरहाजिर

प्रश्न 6.
‘नफा’ शब्द का सही विलोमरूप ……………..।
उत्तर:
नुकसान

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प्रश्न 7.
‘कम’ शब्द का सही विलोम रूप ……………।
उत्तर:
ज्यादा

प्रश्न 8.
‘काँटा’ शब्द का सही विलोम रूप ……………..।
उत्तर:
फूल

प्रश्न 9.
‘मोटा’ शब्द का सही विपरीत रूप ………………।
उत्तर:
पतला

प्रश्न 10.
‘पण्डित’ शब्द का सही विपरीत रूप ……………..।
उत्तर:
मूर्ख

प्रश्न 11.
‘उत्तम’ शब्द का सही विलोमरूप …………….।
उत्तर:
मध्यम

प्रश्न 12.
‘सच्चा’ शब्द का सही बिलोमरूप ……………..।
उत्तर:
झूठा

प्रश्न 13.
‘महल’ शब्द का सही विलोम रूप ……………….।
उत्तर:
झोंपड़ी

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प्रश्न 14.
‘वसंत’ शब्द का सही विलोम रूप ………………..।
उत्तर:
पत्तझड़

प्रश्न 15.
‘गन्दा’ शब्द का सही विलोम रूप
उत्तर:
साफ

पर्यायवाची शब्द

प्रश्न 1.
‘तलवार’ शब्द का सही समानार्थक रूप……………..।
उत्तर:
कृपाण

प्रश्न 2.
‘कमल’ शब्द का सही समानार्थक रूप……………..
उत्तर:
सरोज

प्रश्न 3.
‘धर’ शब्द का पर्यायवाची रूप ……………..।
उत्तर:
निवास

प्रश्न 4.
‘शरीर’ शब्द का समानार्थक रूप ……………….।
उत्तर:
काया

प्रश्न 5.
‘चवाई’ शब्द का सही पर्यायवाची रुप…………….।
उत्तर:
निन्दक

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प्रश्न 6.
‘सौदामिनी’ शब्द का सही पर्यायवाची रूप ……………।
उत्तर:
बिजली

प्रश्न 7.
‘हाथी’ शब्द का सही पर्यायवाची रूप ………………।
उत्तर:
गज

प्रश्न 8.
‘अम्बा’ शब्द का पर्यायवाची रूप ……………..।
उत्तर:
माता

प्रश्न 9.
‘महादेव’ का दूसरा रूप है………………….।
उत्तर:
शिवं

प्रश्न 10.
‘सुधाकर’ शब्द का पर्यायवाची रूप …………………।
उत्तर:
चन्द्र

प्रत्यय

प्रश्न 1.
जो शब्दांश धातु, क्रिया या शब्दों के अंत में लगकर नये शब्दों का निर्माण करते है, उन्हें……………. कहते है।
उत्तर:
प्रत्यय

प्रश्न 2.
‘शक्तिमान’ शब्द से …………. प्रत्ययहै।
उत्तर:
मान

प्रश्न 3.
‘चिकनाई’ में प्रत्यय है……………।
उत्तर:
आई

प्रश्न 4.
‘शैव’ में प्रत्यय है ……………।
उत्तर:

प्रश्न 5.
‘पाठक’ शब्द में प्रत्यय है ……………।
उत्तर:
अक

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प्रश्न 6.
‘दर्दनाक’ में प्रत्यय है …………….।
उत्तर:
नाक

प्रश्न 7.
‘शरमालू’ में प्रत्यय है …………….।
उत्तर:
आलू

प्रश्न 8.
‘राष्ट्रीय’ शब्द में प्रत्यय है………….
उत्तर:
ईय

 

प्रश्न 9.
संज्ञा, सर्वनाम मेल से बने शब्द को……………….. जाता है ।
उत्तर:
तद्धितान्त पद

प्रश्न 10.
‘प्रसन्न’ के साथ ‘ता’ प्रत्यय लगाइए ………………. ।
उत्तर:
प्रसन्नता

प्रश्न 11.
‘निर्मलता’ में प्रत्यय ………………..।
उत्तर:
ता

प्रश्न 12.
‘उपजाऊ’ में प्रत्यय है …………..।
उत्तर:
आऊ

प्रश्न 13.
‘ईला’ प्रत्यय प्रयुक्त शब्द है…………..।
उत्तर:
चमकीला

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प्रश्न 14.
‘इक’ प्रत्यय प्रयुक्त शब्द है…………….।
उत्तर:
सामाजिक

प्रश्न 15.
‘आस’ प्रत्यय प्रयुक्त शब्द है ……………….।
उत्तर:
मिठास

उपसर्ग

प्रश्न 1.
भाषा में नए शब्दों का निर्माण करने के लिए शब्द के पहले जो शब्दांश जोड़े जाते है, उन्हे ……………….. कहते हैं।
उत्तर:
उपसर्ग

प्रश्न 2.
‘अभिमान’ शब्द से कौन सा उपसर्ग जुड़ा गया है?
उत्तर:
अभि

प्रश्न 3.
‘हर’ उपसर्ग से बना शब्द है……………….।
उत्तर:
हरघड़ी

प्रश्न 4.
‘अनुशासन’ शब्द में उपसर्ग है……………।
उत्तर:
अनु

प्रश्न 5.
‘अन’ उपसर्गवाले शब्द है। …………….।
उत्तर:
अनपढ़

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प्रश्न 6.
‘अभि’ उपसर्ग से बना शब्द है……………..
उत्तर:
अभिमान

प्रश्न 7.
‘प्र’ उपसर्ग जोड़ा हुआ शब्द ……………..।
उत्तर:
प्रगति

प्रश्न 8.
‘परा’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द……………….।
उत्तर:
पराजय

प्रश्न 9.
‘सम्’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ………………।
उत्तर:
संतोष

प्रश्न 10.
‘उत्’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ……………….।
उत्तर:
उत्कर्ष

प्रश्न 11.
‘परि’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द …………….।
उत्तर:
परिवार

प्रश्न 12.
‘प्रति’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ……………।
उत्तर:
प्रतिकार

प्रश्न 13.
‘अति’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ………………।
उत्तर:
अत्याचार

प्रश्न 14.
‘अनु’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ……………..।
उत्तर:
अनुकूल

प्रश्न 15.
‘अधि’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द …………….।
उत्तर:
अधिकार

प्रश्न 16.
‘ला’ उपसर्ग प्रयुक्त शब्द ……………..।
उत्तर:
लाचार

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प्रश्न 17.
‘अनुकूल’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
उत्तर:
अनु

प्रश्न 18.
‘सरपंच’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
उत्तर:
सर

विशेषण / संज्ञा

प्रश्न 1.
‘कांटा’ शब्द का विशेषण रूप………………….।
उत्तर:
कंटीला

प्रश्न 2.
‘समाज’ शब्द का सही विशेषण रूप ………………।
उत्तर:
सामाजिक

प्रश्न 3.
‘राष्ट्र’ शब्द का सठिक विशेषण रूप …………….।
उत्तर:
राष्ट्रीय

प्रश्न 4.
‘शरीर’ शब्द का सही विशेषण रूप …………….।
उत्तर:
शारीरिक

प्रश्न 5.
‘इच्छा’ शब्द का सही विशेषण रूप बताइए।
उत्तर:
ऐच्छिक

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प्रश्न 6.
‘शैक्षिक’ शब्द का मूल रूप वताइए।
उत्तर:
शिक्षा

प्रश्न 7.
‘सोना’ शब्द का सही विशेषण रूप …………..।
उत्तर:
सुनहरा

प्रश्न 8.
‘साल’ शब्द का सही विशेषण रूप ……………।
उत्तर:
सालाना

प्रश्न 9.
‘रंग’ शब्द का सही बिशेषण रूप ……………।
उत्तर:
रंगिला

प्रश्न 10.
‘चाल’ शब्द का सही विशेषण रूप …………..।
उत्तर:
चालु

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प्रश्न 11.
‘लौकिक’ शब्द के मूल रूप …………….।
उत्तर:
लोक

प्रश्न 12.
‘शोभा’ शब्द का विशेषण रूप …………..।
उत्तर:
शोभित

प्रश्न 13.
‘अग्नि’ शब्द का सही विशेषण रूप ……………।
उत्तर:
आग्नेय

प्रश्न 14.
‘खिलाड़ी’ का मूल शब्द ………………..।
उत्तर:
खेल

अव्यय

प्रश्न 1.
अचानक वर्षा आ गई रेखांकित शब्द कौन-सा अव्यय है?
उत्तर:
क्रिया विशेषण

प्रश्न 2.
नौकर के हाथ चिट्ठी भेज दो- रेखांकित अंश कौन- सा अव्यय है?
उत्तर:
संबंधसूचक

प्रश्न 3.
कक्षा में लगभग चालीस विद्यार्थी थे – रेखांकित शब्द कौन-सा अव्यय है ?
उत्तर:
क्रिया विशेषण

प्रश्न 4.
तुम पुरी जाओ, नहीं तो मैं जाऊँगा – रेखांकित शब्द कौन-सा अव्यय?
उत्तर:
समुच्चयबोधक

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प्रश्न 5.
कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें कभी किसी भी स्थिति में परिवर्तन नहीं होता, ऐसे शब्दों को ………… कहते है।
उत्तर:
अव्यय

प्रश्न 6.
जो शब्द दो सजातीय पदों या दो स्वतंत्र उपवाक्यों को जोड़ते या अलग करते हैं, उसे …………… अव्यय कहा जाता है।
उत्तर:
समुच्चयबोधक

प्रश्न 7.
पेड़ लगाएँ जीवन बचाएँ वाक्य में सही अव्यय लगाइए।
उत्तर:
और

प्रश्न 8.
शेर शिकार पर झपटता है- वाक्य में सही अव्यय लगाइए।
उत्तर:
अचानक

प्रश्न 9.
वह अच्छा पढ़ता है, देर से उठता है- वाक्य में सही अव्यय लगाइए ।
उत्तर:
लेकिन

प्रश्न 10.
उनको दिल का दौरा पड़ा, अस्पताल गए हैं – वाक्य में सही अव्यय जोड़िए।
उत्तर:
इसलिए

विविध

प्रश्न 1.
‘बुबै’ शब्द का खड़ीबोली रूप ………….।
उत्तर:
बोए

प्रश्न 2.
‘हिरदै’ शब्द का खड़ीबोली रूप……………।
उत्तर:
हृदय

प्रश्न 3.
‘बाको’ शब्द का खड़ीबोली रूप ……………।
उत्तर:
उसको

प्रश्न 4.
‘तलवार’ शब्द का खड़ीवोली रूप …………… है।
उत्तर:
तलवार

प्रश्न 5
‘खोदना’ शब्द का सही भाववाचक संज्ञारूप …………….. है।
उत्तर:
खुदाई

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प्रश्न 6.
‘चतुर’ शब्द का सही भाववाचक संज्ञारूप ………….. है।
उत्तर:
चतुराई

प्रश्न 7.
‘दौड़ना’ शब्द का सही भाववाचक संज्ञारूप ………….. हैं।
उत्तर:
दौड़

प्रश्न 8.
‘दाँत खट्टे करता’ का अर्थ …………. है।
उत्तर:
परास्त करना

प्रश्न 9.
‘जान की वाजी लगाना’ का अर्थ ………….. है।
उत्तर:
जी तोड़ कोशिश करना

प्रश्न 10.
‘बीड़ा उठाना’ का अर्थ …………… है।
उत्तर:
दायित्व संभालना

प्रश्न 11.
‘खुफिया’ शब्द का अर्थ …………….. है।
उत्तर:
गुप्त

प्रश्न 12.
‘मुदर्रिसी’ शब्द का अर्थ …………….।
उत्तर:
शिक्षकता

प्रश्न 13.
‘सलोने’ शब्द का अर्थ ……………..।
उत्तर:
सुन्दर

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प्रश्न 14. ‘
अचरज’ का तत्सम रूप है:
उत्तर:
आश्चर्य

प्रश्न 15.
‘कुआँ’ शब्द का सही तत्सम रूप ………………।
उत्तर:
कूप

प्रश्न 16.
‘कचूमर निकालना’ शब्द का सही अर्थ क्या है?
उत्तर:
पीटना

प्रश्न 17.
नीली गाय कौन-सा समास है?
उत्तर:
कर्मधारय

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

Odisha State Board BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions  Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ? Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ଇନ୍ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ଡ଼ୀନ୍ ବାକ୍ୟା ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ଏହି ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) कवि दुःख से न घबराने को क्यों कहते हैं ?
(କବି ଦୁଃଖ୍ ସେ ନ ଘବ୍‌ରାନେ କୋ କେଁ କହ ହେଁ (କବି ଦୁଃଖରେ ନ ଡରିବାକୁ (ବ୍ୟତିବ୍ୟସ୍ତ ନ ହେବାକୁ) କାହିଁକି କହିଛନ୍ତି ।)
उत्तर:
कवि के मत से दुःख से डरने से, रोने- चीखने से दुःख दूर नहीं होता मगर दुःख के बाद सुख आएगा और दुःख सर्वदा नहीं रह सकता। जीवन में दुःख होने के कारण हम सव कर्मतत्पर बने रहते है। दुःख पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करना जरुरी है।

(ख) इस कविता का संदेश क्या है- समझाइए।
(ଏହି କବିତାର ବାର୍ତ୍ତା କ’ଣ ଅଟେ – ବୁଝାଅ)
(ଇସ୍ କବିତା କା ସଂଦେଶ କ୍ୟା ହୈ – ସମଝାଇଏ ।
उत्तर:
इस कविता का संदेश यह है कि मानव जीवन में दुःख ज्यादा और सुख बहुत कम होता है। दुःख से डरने से दुःख दूर नहीं होता बरं दुःख से लड़ना सही रास्ता है। इसलिए दुःख को बुरी चीज न मानकर मुक्ति का मार्ग मानना चाहिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्द वाक्यों में दीजिए।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 6 साथी ! दुःख से घबराता है ?

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्द वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା )

(क) कवि ने मुक्ति का बंधन किसे माना है?
(କବି ନେ ମୁକ୍ତି କା ବଂଧନ୍ କିସ୍ ମାନା ହୈ ?)
(କବି ମୁକ୍ତିର ବଂଧନ କାହାକୁ ମାନିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवि ने मुक्ति का बंधन दुःख को माना है।

(ख) जीवन के लम्बे पथ पर कौन साथ-साथ चलते हैं?
(ଜୀବନ୍ କେ ଲୟେ ପଥ୍ ପର୍ କୌନ୍ ସାଥ୍‌-ସାଥ୍ ଚଲତେ ହୈ ?)
(ଜୀବନର ଲମ୍ବା ରାସ୍ତାରେ କିଏ ସାଥ୍‌ରେ ଚାଲିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
जीवन के लम्बे पथ पर सुख और दुःख साथ-साथ चलते हैं।

(ग) जीवन की मंजिल तक कौन जाता है?
(ଜୀବନ୍ କୀ ମଂଜିଲ୍ ତକ୍ କୌନ୍ ଜାତା ହୈ ?)
(ଜୀବନର ଲକ୍ଷ୍ୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କିଏ ଯାଇଛି ?)
उत्तर:
जीवन की मंजिल तक दुःख जाता है।

(घ) जीवन में हलचल कौन लाता है?
(ଜୀବନ୍ ମେଁ ହଲ୍‌ଚଲ୍ କୌନ୍ ଲାତା ହୈ ?)
(ଜୀବନରେ ଏପଟସେପଟ (ଅସ୍ଥିରତା) କିଏ ଆଣିଛି ?)
उत्तर:
दुःख मन की दुर्बलता जीवन में हलचल लाता है।

(ङ) जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन निकलाता है?
(ଜଲ୍‌ ଜ୍ଵାଲା ମେଁ ଜଲ୍‌କର୍ କ୍ୟା ଲାଲ୍ ବନ୍ ନିକଲ୍‌ତା ହୈ ?)
(ଜଳନ୍ତା ଅଗ୍ନିଶିଖାରେ କିଏ ଜଳି ଲାଲ୍ ହୋଇ ବାହାରୁଛି ?)
उत्तर:
जलती ज्वाला में जलकर लोहा लाल बन निकलता है। लेकिन यहाँ पर मानव-जीवन में दुःख रूपी संघर्ष के कारण व्यक्तित्व का उत्कर्ष प्रतिपादित होता है।

(च) कवि ने किसे धन्यवाद देने को कहा है?
(କବି କାହାକୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବାକୁ କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवि ने दुःख देने वाले व्यक्ति को धन्यवाद देने को कहा इसलिए कि दुःख से ही सुख का मार्ग उन्मुक्त होता है।

(छ) दुःख कब सुख बन जाता है।
(ଦୁଃଖ୍ କବ୍ ସୁଖ ବନ୍ ଜାତା ହୈ ?)
(ଦୁଃଖ କେବେ ସୁଖରେ ପରିଣତ ହୋଇଯାଏ ?)
उत्तर:
दुःख से न डरने से सुख बन जाता है।

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3. पंक्तियाँ पूरा कीजिए:
(क) जीवन के………………. सुख दुःख चलते साथ-साथ तब
उत्तर:
लम्बे पथ पर जब

(ख) दुःख जीवन में करता…………………. वह मन की …………… केवल।
उत्तर:
हलचल, दुर्बलता

(ग) जलती ……………….. में जलकर ही ……………………. लाल निकल आता है।
उत्तर:
ज्वाला, लोहा

(घ) एक समय है जब ……………… ही क्या! ……………….. भी साथ न दे पाता है।
उत्तर:
सुख, दुःख

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4. सही अर्थ चुनिए: (ଠିକ୍ ଅର୍ଥ ବାଛ)
(क) प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
(i) सुख
(ii) दुःख
(iii) आनन्द
उत्तर:
(ii) दुःख

(ख) किसमें जलकर ही लोहा लाल निकल आता है?
उत्तर:
(i) दुःख में
(ii) सुख में
(iii) जलती ज्वाला में
उत्तर:
(iii) जलती ज्वाला में

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. विपरीत अर्थवाले शब्द लिखिए:
(ବିପରାତ ଅର୍ଥ ବୁଝାଉଥବା ଶବ୍ଦ ଲେଖା::)
उत्तर:
कठिन:, बंधन:, दुर्बलताः, दुःख :, मुक्ति:, हार:
कठिन : सरल
दुर्बलता : सबलता
मुक्ति : बन्दी
बंधन : मुक्त
दुःख : सुख
हार : जीत

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2. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(ଏହିଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ବାକ୍ୟରେ ଚ୍ୟବହାର କର)
परीक्षा, समय, मंजिल, बंधन
उत्तर:
परीक्षा- कल हमारी परीक्षा होगी।
समय – हमारे लिए कीमती चीज समय है।
मंजिल – जीवन की मंजिल तक दुःख जाता है।
बंधन – यह संसार मायामोह बंधन में जुड़े हुए है।

3. लिंग वताइए: ( ଲିଙ୍ଗ କୁହ )
लोहा, आग, हार, ज्वाला, पथ, दुःख
उत्तर:
लोहा – पुंलिंग
ज्वाला – स्त्रीलिंग
आग – स्त्रीलिंग
हार – पुंलिंग
पथ – पुंलिंग
दुःख – पुंलिंग

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4. बहुवचन रूप लिखिए:
(ବହୁ ବଚନ ରୂପ ଲେଖ;:)
एक, परीक्षा, सपना, मंजिल
उत्तर:
एक: अनेक
परीक्षा : परीक्षाएँ
सपना : सपने
मंजिल : मंजिलें

5. ‘जीवन के लम्बे पथ पर जब’ ……………. में ‘पथ’ संज्ञा है और ‘लम्बे’ विशेषण है जिससे पथ की लम्बाई सूचित हुई है। निम्न वाक्यों में विशेषणों को रेखांकित कीजिए :
(क) कोयल की आवाज …………………… होती है।
उत्तर:
कोयल की आवाज सुरीली होती है।

(ग) हमें …………….. जनता की सेवा करनी चाहिए
उत्तर:
मुझे पाँच रूपये चाहिए।

(ख) मुझे …………….. रूपये चाहिए।
उत्तर:
हमें गरीब जनता की सेवा करनी चाहिए।

(घ) रमेश …………….. छात्र है।
उत्तर:
रमेश एक मेधावी छात्र है।

गृहकार्य:

1. अपने जीवन में आये दुःख के क्षण का वर्णन कीजिए।
2. इस कविता को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर :
मुझे आज भी याद है जब छोटा था तब मेरी माँ बहुत बीमार थी। वह उन दिनों अंतिम साँसे गिन रही थी। और एक दिन अचानक वह वावा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चली जाती है। अंतिम समय में जब माँ को श्मशान ले जाया जा रहा था उस समय मुझे लगा कि अब माँ घर में आज के नहीं देगी उस समय में बहुत दुःखी हुआ था।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए

प्रश्न 1.
‘साथी ! दुःख से घबराता है?’ कविता किसने लिखा है?
उत्तर:
‘साथी ! दुःख से घबराता है?’ कविता को गोपालदास ‘नीरज’ ने लिखा है।

प्रश्न 2.
कवि ‘नीरज’ का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
कवि नीरज का जन्म सन् १९२६ ई. से पुरावली, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ।

प्रश्न 3.
‘नीरज’ ने इस कविता में किस बात की सलाह दी है?
उत्तर:
‘नीरज’ ने इस कविता में दुःख से न डरने की सलाह दी है।

प्रश्न 4.
दुःख कब सुख बन जाता है?
उत्तर:
न डरने से दुःख सुख बन जाता है।

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प्रश्न 5.
दुःख किसके जीवन में ज्यादा होता है?
उत्तर:
दुःख मानव-जीवन में ज्यादा होता है।

प्रश्न 6.
सही रास्ता क्या है?
उत्तर:
दुःख से लड़ना सही रास्ता है।

प्रश्न 7.
हम सब कर्म तत्पर क्यों बने रहते हैं?
उत्तर:
जीवन में दुःख होने के कारण हम सब कर्म तत्पर बने रहते हैं।

प्रश्न 8.
कवि नीरज के अनुसार दुःख को क्या मानना चाहिए?
उत्तर:
कवि नीरज के अनुसार दुःख को मुक्ति का मार्ग मानना चाहिए।

प्रश्न 9.
जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन जाता है?
उत्तर:
जलती ज्वाला जलकर लोहा लाल बन जाता है।

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प्रश्न 10.
प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
उत्तर:
प्रबल परीक्षा का क्षण दुःख है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
जीवन के लम्बे पथ पर कौन साथ-साथ चलते हैं?
उत्तर:
सुख और दुःख

प्रश्न 2.
किसमें जलकर ही लोहा लाल निकल आता है?
उत्तर:
जलती ज्वाला

प्रश्न 3.
जीवन को मंजिल तक कौन ले जाता है?
उत्तर:
दुःख

प्रश्न 4.
कवि ने किसे धन्यवाद देने को कहा है?
उत्तर:
जिसने हमें दुःख के सपने दिए

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प्रश्न 5.
जलती ज्वाला में जलकर लोहा क्या बन निकल आता है?
उत्तर:
लाल

प्रश्न 6.
मनुष्य की दुर्बलता जीवन में क्या लाती है?
उत्तर:
हलचल

प्रश्न 7.
जीवन में हलचल कौन लाता है?
उत्तर:
दुःख

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
दु:ख
उत्तर:
मानब जीवन

प्रश्न 2.
कवि ने मुक्ति का बंधन से माना है।
उत्तर:
दु:ख

प्रश्न 3.
हम सब कर्मतत्पर बने रहते हैं।
उत्तर:
जीवन में दु:ख होने के

प्रश्न 4.
“साथी ! दु:ख से घबराता है ?”‘ यह कविता ने लिखी है
उत्तर:
गोपालदास

प्रश्न 5.
प्रबल परीक्षा का क्षण है।
उत्तर:
दु:ख

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प्रश्न 6.
हलचल जीवन में लाता है।
उत्तर:
दु:ख

प्रश्न 7.
जलती ज्वाला में जलकर लाल बन निकलता है।
उत्तर:
लोहा

प्रश्न 8.
को धन्यवाद देना चाहिए।
उत्तर:
दु:ख देने वाले का

प्रश्न 9.
कवि के अनुसार दु:ख का बंधन है।
उत्तर:
मुक्ति

प्रश्न 10.
सुख और दु:ख जीवन के पथ पर साथ-साथ चलते हैं।
उत्तर:
लबै

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प्रश्न 11.
दु:ख के समय मनुष्य की होती है।
उत्तर:
परीक्षा

D. सही उत्तर चुनिए।

1. साथी ! दु:ख से घवराता है? कविता के कवि कौन है?
(A) कबीरदास
(B) सूर दास
(C) गोपाल दास
(D) तुलसी दास
उत्तर:
(C) गोपाल दास

2. प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
(A) सुख
(B) दु:ख
(C) आनंद
(D) चेष्टा
उत्तर:
(B) दु:ख

3. दुर्बलता का अर्थ क्या है?
(A) कमजोरी
(B) काँटा
(C) भारी
(D) कष्ट
उत्तर:
(A) कमजोरी

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4. दु:ख पर क्या प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं?
(A) विजय
(B) पराजय
(C) डर
(D) हलचल
उत्तर:
(A) विजय

5. जीवन में क्या होने के कारण हम कर्मतत्पर बनते हैं?
(A) हलचल
(B) दु:ख
(C) घृणा
(D) कर्म
उत्तर:
(B) दु:ख

6. कवि का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(A) उत्तरप्रदेश
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) महम प्रदेश
(D) केरल
उत्तर:
(A) उत्तरप्रदेश

7. ‘साथी ! दु:ख से घवराता है’ कविता में कवि अपने साथी को किस से न डरने की सलाह देता है?
(A) दु:ख
(B) सुख
(C) कष्ट
(D) आनंद
उत्तर:
(A) दु:ख

8. ‘जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन निकलता है?
(A) सीसा
(B) लोहा
(C) पथर
(D) पायल
उत्तर:
(B) लोहा

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9. कवि का जन्म कब हुआ था?
(A) सन् 1925 ई. में
(B) सन् 2006 ई. में
(C) सन् 1927 ई. में
(D) सन् 1926 ई. में
उत्तर:
(D) सन् 1926 ई. में

10. दु:ख के बाद क्या आएगा?
(A) प्रेम
(B) मरण
(C) सुख
(D) डर
उत्तर:
(C) सुख

दोहे (ତେ।ହେ)

साथी ! दुःख से घबराता है?
दुःख ही कठिन मुक्ति का बन्धन,
दुःख ही प्रबल परीक्षा का क्षण,
दुःख से हार गया जो मानब,
वह क्या मानब कहलाता है ?
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍‌ରାତା ହୈ ?
ଦୁଃଖ୍ ହୀ କଠିନ୍ ମୁକ୍ତି କା ବନ୍ଧନ୍,
ଦୁଃଖ୍ ହୀ ପ୍ରବଲ୍‌ ପରୀକ୍ଷା କା କ୍ଷଣ୍ଢ,
ଦୁଃଖ ସେ ହାର୍ ଗୟା ଜୋ ମାନବ,
ୱହ୍ କ୍ୟା ମାନବ୍ କହିଲାତା ହୈ ?
ଅନୁବାଦ ;
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଡର ନାହିଁ । ଦୁଃଖ ହିଁ କଠିନ ମୁକ୍ତିର ବନ୍ଧନ ଏବଂ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ପରୀକ୍ଷାର ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଅଟେ।

साथी ! दुःख से घबराता है ?
जीवन के लम्बे पथ पर जब
सुख – दुःख चलते साथ-साथ तब
सुख पिछे रह जाया करता दुःख ही मञ्जिल
तक जाता है ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଜୀୱନ୍ କେ ଲମ୍ବେ ପଥ୍ ପର୍ ଜବ୍
ସୁଖ୍-ଦୁଃଖ୍ ଚଲ୍‌ ସାଥ୍‌-ସାଥ୍ ତବ୍
ସୁଖ୍ ପିଛେ ରହ୍ ଜାୟା କର୍‌ତା ଦୁଃଖ୍ ହୀ ମଞ୍ଜିଲ୍
ତକ୍ ଜାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ:
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଭୟ କର ନାହିଁ । ଏହି ଲମ୍ବା ଜୀବନ ପଥରେ ସୁଖ, ଦୁଃଖ ସମତାଳରେ ଚାଲିଥା’ନ୍ତି; ମାତ୍ର ସୁଖକୁ ପଛରେ ପକାଇ ଦୁଃଖ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅର୍ଥାତ୍ ଅନ୍ତିମ ଅବସ୍ଥା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସାଥ୍‌ରେ ରହିଥାଏ ।

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साथी! दु:ख से घबराता है?
दुःख जीवन में करता हलचल,
वह मनकी दुर्बलता केवल,
दुःख को यदि मान न तू तो दुःख ही फिर
सुख बन जाता है।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଦୁଃଖ ଜୀୱନ୍ ମେଁ କର୍‌ତା ହଲ୍‌ଚଲ୍,
ୱହ ମନ୍‌କୀ ଦୁର୍ବଲ୍‌ କେଲ୍,
ଦୁଃଖ୍ କୋ ୟଦି ମାନ୍ ନ ତୂ ତୋ ଦୁଃଖ ହୀ ଫିର୍
ସୁଖ୍ ବନ୍ ଜାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ:
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଭୟ କର ନାହିଁ । ଏହି ଲମ୍ବା ଜୀବନ ପଥରେ ସୁଖ, ଦୁଃଖ ସମତାଳରେ ଚାଲିଥା’ନ୍ତି; ମାତ୍ର ସୁଖକୁ ପଛରେ ପକାଇ ଦୁଃଖ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅର୍ଥାତ୍ ଅନ୍ତିମ ଅବସ୍ଥା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସାଥ୍‌ରେ ରହିଥାଏ ।

साथी ! दु:ख से घबराता है ?
पथ में शूल बिछे तो क्या चल
पथ में आग जी तो क्या जल
जलती ज्वाला में जलकर ही लोहा लाल
निकल आता है ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍‌ରାତା ହୈ ?
ପଥ୍ ମେଁ ଶୁଲ୍ ବିଛେ ତୋ କ୍ୟା ଚଲ୍
ପଥ୍ ମେଁ ଆର୍ ଜୀ ତୋ କ୍ୟା ଜଲ୍
ଜଲ୍‌ ଜ୍ବାଲା ମେଁ ଜଲ୍‌କର୍ ହୀ ଲୋହା ଲାଲ୍
ନିକଲ୍ ଆତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ :
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ କାହିଁକି ଡରୁଛ, ଜୀବନ ପଥରେ ଅନେକ କଣ୍ଟା ସଦୃଶ ବିପଦ ଆସିଥାଏ । ତାକୁ ଅତିକ୍ରମ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ଯେପରିକି କଳାରଙ୍ଗର ଲୁହା ଜଡ଼ିତ ଏ ଜୀବନ ସୁଖମୟ ହୋଇଥାଏ ।

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साथी ! दु: से घबराता है ?
धन्यबाद दो उसको जिसने
दिए तुझे दु:ख के तो सपने
एक समय है जब सुख ही क्या! दु:ख भी
साथ न दे पाता है।
साथी ! दुःख से घबंराता है।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବ୍ରାତା ହୈ ?
ଧନ୍ୟବାଦ୍ ଦୋ ଉସ୍କୋ ଜିସ୍‌
ଦିଏ ତୁଝେ ଦୁଃଖ୍ କେ ତୋ ସପନେ,
ଏକ୍ ସମୟ ହୈ ଜବ୍ ସୁଖ ହୀ କ୍ୟା ! ଦୁଃଖ୍ ଭୀ
ସାଥ୍ ନ ଦେ ପାତା ହୈ ।
ସାଥୀ ! ଦୁଃଖ୍ ସେ ଘବରାତା ହୈ ।
ଅନୁବାଦ :
ହେ ବନ୍ଧୁ ଦୁଃଖକୁ ଡର ନାହିଁ, କାରଣ ମଣିଷ ଜୀବନ ଦୁଃଖ ରୂପକ ସଂଘର୍ଷରେ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ଵର ପରାକାଷ୍ଠା ପ୍ରତିପାଦନ କରିଥାଏ । ତେଣୁ ଦୁଃଖ ଦେଉଥିବା ଲୋକଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ । ଏହି ଦୁଃଖରୁ ହିଁ ମୁକ୍ତିର ମାର୍ଗ ସୁଗମ ହୋଇଥାଏ । ଏପରି ସମୟ ଆସେ ଯେତେବେଳେ ସୁଖ ବା ଦୁଃଖ କେହି ସାଥ୍‌ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

मुक्ति – आजादी, स्वतंत्रता (ସ୍ଵାଧୀନ, ସ୍ଵାଧୀନତା ) ।

प्रबल – बड़ा, भारी, प्रचंड ( ଭାରୀ, ପ୍ରଚଣ୍ଡ ) ।

क्षण – घड़ी, पल, वक् (ସମୟ, ସମୟର ଏକ ମୁହୂର୍ତ୍ତକୁ ୩୯ କୁହାଯାଏ, ପର୍ଶୀ ଶବ୍ଦର ପ୍ରୟୋଗ ପୂର୍ବରୁ ଚାଲୁଥିଲା, ଏକ ଏକ ଘଡ଼ି ୩ ଘଣ୍ଟା ସହିତ ସମାନ) ।

मंजिल – लक्ष्य (ଲକ୍ଷ୍ୟ) ।

हलचल – हिलने-डोलने की क्रिया या भाव (ଦୋଳାୟମାନ ହେବା, ଆଲୋଡ଼ିତ ହେବା) ।

दुर्बलता – कमजोरी (କଣ୍ଟା, ପ୍ରତିବନ୍ଧକ) ।

शूल – काँटा (କମ୍‌ର, ଦୁର୍ବଳ) ।

ज्वाला – अग्निशिखा, लौ, लपट (ଅଗ୍ନିଶିଖା) ।

कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।

गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म पुरावली, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश) में सन् 1926 ई. में हुआ। बचपन में ही उनके पिता चल बसे। इसलिए ‘नीरज’ ने अपनी चेष्टा से पढ़ा। एम.ए. किया। फिर नौकरी की। अपने को बनाया। ‘संघर्ष’, ‘विभावरी’, ‘नीरज की पाती’, ‘प्राणगीत’, ‘दो गीत’, ‘मुक्तावली’, ‘दर्द दिया है’, ‘बादर बरस गयो’ आदि ‘नीरज’ के लोकप्रिय काव्य संग्रह हैं। ‘नीरज’ के गीतों में जीवन के सहज अनुभव अभिव्यक्त हुए हैं। इसलिए वे सब के मन को छू पाते हैं। गीत गाए जाते हैं तो और भी सरस होते हैं।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 श्रम की प्रतिष्ठा

Odisha State Board  BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 श्रम की प्रतिष्ठा Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Chapter 1 श्रम की प्रतिष्ठा

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର ଦୋ-ତୀନ୍ ବାର୍କୋ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର, ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) कर्मयोगी होने पर कौन-सा फायदा मिलता है?
(କର୍ମଯୋଗୀ ହୋନେ ପର୍ କୌନ୍-ସା ଫାୟଦା ମିତାହୈ ?)
(ପରିଶ୍ରମୀ ହେଲେ କେଉଁ ଲାଭ ମିଳିପାରିବ ?)
उत्तर:
कर्मयोगी होने पर यह फायदा मिलता है कि कर्मयोगी जीवन में पाप का आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता। दिन भर कर्म करने हेतु पाप-चिंतन को समय नहीं मिलता और रात को थका -माँदा शरीर आराम चाहता है। वे श्रम से रोजी रोटी कमाते है।

(ख) फुरसती लोगों को कर्मयोगी क्यों कहा नहीं जा सकता?
(ଫୁରସତା ଲୋଗେଁ। କୋ କର୍ମଯୋଗୀ କ୍ୟା କହା ନେହୀ ଜା ସକ୍ତା ?)
(ଅଳସୁଆ (କାମରୁ ମୁକ୍ତି) ଲୋକମାନଙ୍କୁ କାହିଁକି କର୍ମଯୋଗୀ କୁହାଯିବ ନାହିଁ ?)
उत्तर:
फुरसती लोगों के जीवन में पाप दिखता है। उसके पास समय फाजिल पड़ा है। इससे शैतान का काम शरू होता है। वे श्रम को टालता है, वे कई प्रकार के व्यसन में होते है इसलिए उसको कर्मयोगी कहा नहीं जा सकता।

(ग) देहाती लोग अपने बच्चों को तालीम देनेकी बात क्यों करते हैं?
(ଦେହ।ତା ଲୋଗୁ ଅପନେ ବର୍ଡୋ କୋ ତାଲିମ୍ ଦେନେକୀ ବାତ୍ କୈ କର୍‌ତେ ହୈ ? (ଗ୍ରାମିଣ ଲୋକ ନିଜର ପିଲାମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ ଦେବାର କଥା କାହିଁକି କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
देहाती लोग अपने बच्चों को तालीम देने की बात करने का कारण यह है कि बच्चा ज्ञानी बनेगा, -धर्म-ग्रन्थ पढ़ सकेगा और जीवन में हर काम विचार पूर्वक करेगा। फिर भी लडके को नौकरी मिलेगी जिससे मजदूर बनकर दिन भर खटना न पड़ेगा।

(घ) भगवान् कृष्ण ने श्रम का आदर कैसे किया?
(ଭଗବାନ୍ କୃଷ୍ଣ ନେ ଶ୍ରମ୍ କା ଆଦର୍ କୈସ୍ କିୟା ?)
(ଭଗବାନ୍ କୃଷ୍ଣ ଶ୍ରମର ଆଦର କିପରି କଲେ ?)
उत्तर:
भगवान् कृष्ण ने श्रम का आदर इसलिए किया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। दृष्टान्त यह है कि कृष्ण ने राजसूय यज्ञ में जूठी पत्तले उठाने का काम लिया।

(ङ) ज्ञानी और मजदूर में क्या फर्क होता है?
(ଜ୍ଞାନୀ ଔର୍ ମଜଦୂର୍‌ ମେଁ କ୍ୟା ଫର୍କ ହୋତା ହୈ ?)
(ଜ୍ଞାନୀ ଏବଂ ମୂଲିଆ ମଧ୍ୟରେ କ’ଣ ତଫାତ୍ ଅଛି ?)
उत्तर:
ज्ञानी और मजदूर में यह फर्क है कि ज्ञानी खा सकते हैं और आशीर्वाद दे सकते है, काम नहीं कर सकते मगर मजदूर सवेरे उठकर पीसता है। ज्ञानी को काम नहीं करना चाहिए।

(च) शारीरिक और दिमागी श्रम की प्रतिष्ठा कैसे बढ़ सकती है?
(ଶାରୀରିକ ଔର୍ ଦିମାଗା ଶ୍ରମ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କୈସେ ବଢୁ ସକ୍‌ତୀ ହୈ ?)
(ଶାରୀରିକ ଓ ମସ୍ତିଷ୍କ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା କିପରି ବଢ଼ି ପାରିବ ?)
उत्तर:
शारीरिक श्रम करने वाले को हमें नीच मानना नहीं चाहिए। शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य समान होना जरुरत है। शारीरिक श्रम और दिमागी काम दोनों करने वालों को हर सुविधा सुयोग ठीक से प्रदान हो तो श्रम की प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 श्रम की प्रतिष्ठा

2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ବାକ୍ୟ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ)

(क) शेषनाग किसे कहा गया है?
(ଶେଷନାଗ୍ କିସେ କହା ଗୟା ହୈ ?)
(ଶେଷନାଗ କାହାକୁ କୁହାଯାଇଛି ?)
उत्तर:
दिनभर शरीर – श्रम करने वाले मजदूर जो किस्म-किस्म की पैदावार करते है उसे शेषनाग कहा गया है।

(ख) कौन धर्म-पुरुष हो जाता है?
(କୌନ୍ ଧର୍ମ-ପୁରୁଷ୍ ହୋ ଜାତା ହୈ ?)
(କିଏ ଧର୍ମ ପୁରୁଷ ହୋଇପାରିବ ?)
उत्तर:
जो आदमी पसीने से रोटी कमाता है, वह धर्म पुरुष हो जाता है।

(ग) किसके जीवन में पाप का आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता?
(କିସ୍‌ ଜୀବନ ମେଁ ପାପ କା ଆସାନୀ ସେ ପ୍ରବେଶ ନେହୀ ହୋ ସକତା ?)
(କାହାର ଜୀବନର ପାପ ସହଜରେ ପ୍ରବେଶ କରିପାରିବ ନାହିଁ ?)
उत्तर:
धर्म-पुरुष के जीवन में पाप का आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता।

(घ) किसे कर्मयोगी कहा जा सकता है?
(କିସେ କର୍ମୟୋଗୀ କହା ଜା ସକତା ହୈ ?)
(କାହାକୁ କର୍ମଯୋଗୀ କୁହାଯିବ ?)
उत्तर:
जो आदमी श्रम को टालता नहीं, किसी प्रकार के व्यसन उनमें नहीं होते है और लाचारी से कर्म नहीं करते, उसे कर्मयोगी कहा जा सकता है।

(ङ) फुरसती लोगों के जीवन में पाप क्यों दीखता है?
(ଫୁର୍‌ସତୀ ଲୋଗୋଁ କେ ଜୀବନ୍ ମେଁ ପାପ କେଁ ଦୀଖ୍ତା ହୈ ?)
(ଅଳସୁଆ ବା ଶ୍ରମବିମୁଖ ଲୋକମାନଙ୍କ ଜୀବନରେ ପାପ କାହିଁକି ଦେଖାଯାଏ ?)
उत्तर:
फुरसती लोगों के जीवन में शैतान का काम शुरू होता है, इसलिए जीवन में पाप दीखता है।

(च) मजदूरों को नीच कौन समझता है?
(ମକ ତୁରେଁ ଜୋ ନୀଚ କୌନ୍ ସମଝାତା ହୈ?)
(ଶ୍ରମିକମା ନଙ୍କୁ କେଉଁମାନେ ନୀଚ ଭାବନ୍ତି ?)
उत्तर:
दिमागी काम करने वाले लोग मजदूरों को नीच समझते है।

(छ) किसने कहा कि सीता को दीप की बाती भी जलाने नहीं आती?
(କିତ୍ସୂନେ କାହା କି ସାତା କୋ ଦୀପ୍ କୀ ବାତୀ ଭୀ ଜଲାନେ ନେହୀ ଆତୀ ?)
(କିଏ କହିଛନ୍ତି ଯେ ସୀତା କୁଜୀପର ସଳିତା ମଧ୍ୟ ଜଳିବାକୁ ଆସିବ ନାହିଁ)
उत्तर:
कौशल्या ने कहा कि सीता को दीप की बाती भी जलाने नहीं आती।

(ज) कृष्ण ने धर्मराज से क्या कहा?
କୃଷ୍ଣ ନେ ଧର୍ମରାଜ୍ ସେ କ୍ୟା କହା ?
(କୃଷ୍ଣ ଧର୍ମରାଜଙ୍କୁ କ’ଣ କହିଲେ ?)
उत्तर:
कृष्ण ने धर्मराज से कहा, “मुझे भी काम दो”।

(झ) ज्ञानी क्या नहीं कर सकते?
(ଜ୍ଞାନୀ କ୍ୟା ନେହୀ କର୍ ସଲ୍‌ ?)
(ପଣ୍ଡିତ କ’ଣ କରିପାରିବେ ନାହିଁ ?)
उत्तर:
ज्ञानी काम नहीं कर सकते।

(ञ) कौन मजदूर कहलाएगा?
(କୌନ୍ ମଜଦୂର୍ କହଲାଏଗା ?)
(କାହାକୁ ମୂଲିଆ (ଶ୍ରମିକ) କୁହାଯିବ ?)
उत्तर:
जो आदमी सवेरे उठकर पीसता है, वह मजदूर कहलाएगा।

(ट) किसका जीवन धार्मिक नहीं होता
(କାହାର ଜୀବନ ଧାର୍ମିକ ହୁଏ ନାହିଁ ?)
କିସ୍‌ ଜୀବନ୍ ଧାର୍ମିକ୍ ନେହୀ ହୋତା ?
उत्तर:
जो व्यक्ति काम टालते हैं और काम नहीं करते उसका जीवन धार्मिक नहीं होता।

(ठ) हम काम की इज्जत नहीं करते तो कौन-सा कार्य खोते हैं?
(ହମ୍ କାମ୍ କୀ ଇଜତ୍ ନେହୀ କର୍‌ତେ ତୋ କୌନ୍-ସା କାର୍ୟ ଖୋତେ ହେଁ ?)
(ଆମ୍ଭେ କାମର ସମ୍ମାନ କରିବା ନାହିଁତ ତେବେ କେଉଁ କାମ ନଷ୍ଟ ହେବ ?)
उत्तर:
हम काम की इज्जत नहीं करते तो धर्म-कार्य खोते हैं?

(ड) ब्राह्मण को अपरिग्रही क्यों माना गया था?
ବ୍ରାହ୍ମଣ୍ କୋ ଅପରିଗ୍ରହୀ ବ୍ୟୋ ମାନା ଗୟା ଥା ?
(ବ୍ରାହ୍ମଣକୁ ନିର୍ଲୋଭୀ କାହିଁକି କୁହାଯାଉଥିଲା ?)
उत्तर:
ब्राह्मण सिर्फ धोती और खाने का अधिकारी होने के साथ ज्ञानी होता था, इसलिए अपरिग्रही माना गया था।

(ढ) कब श्रम की प्रतिष्ठा होगी?
(କବ୍ ଶ୍ରମକୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ହୋଗୀ ?)
(କେବେ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ହେବ ?)
उत्तर:
शारीरिक और मानसिक कामों का मूल्य समान होने से श्रम की प्रतिष्ठा होगी।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍-ଏକ୍ ଶବ୍ଦ ମେଁ ଦୀଜିଏ ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ-ଗୋଟିଏ ଶବ୍ଦରେ ଦିଅ ।)

(क) यह पृथ्वी किसके मस्तक पर स्थित है?
(ୟହ ପୃଥ‌ିବୀ କିସ୍‌ ମସ୍ତକପର୍ ସ୍ଥିତ ହୈ?)
(ଏହି ପୃଥ‌ିବୀ କାହାର ମସ୍ତକ ଉପରେ ଅବସ୍ଥିତ ?)
उत्तर:
शेषनाग

(ख) भगवान् ने किसे कर्मयोगी कहा है?
(ଭଗବାନ୍ ନେ କିସେ କର୍ମୟୋଗୀ କହା ହୈ ?)
(ଭଗବାନ କାହାକୁ କର୍ମଯୋଗୀ କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
मजदूरों को

(ग) अपने पसीने से कौन रोटी कमाता है?
(ଅପ୍‌ ପସୀନେ ସେ କୌନ୍ ରୋଟୀ କମାତା ହୈ ?)
(ନିଜ ପରିଶ୍ରମରେ କିଏ ରୋଜଗାର କରନ୍ତି? )
उत्तर:
मजदूर

(घ) किसे कर्मयोगी कहा नहीं जा सकता?
(କିସ୍ କର୍ମୟୋଗୀ କହା ନେତ୍ରୀ ଜା ସକ୍‌ତା ?)
(କାହାକୁ କର୍ମଯୋଗୀ କୁହାଯିବ ନାହିଁ ?)
उत्तर:
श्रम टालने वाले को

(ङ) जहां समय फाजिल पड़ा होता है, वहां किसका काम शुरू हो जाता है?
(ଜହାଁ ସମୟ ଫାଜିଲ୍ ପଡ଼ା ହୋତା ହୈ, ୱହାଁ କିସ୍ କା କାମ ଶୁରୁ ହୋ ଜାତା ହୈ ?)
(ଯେଉଁଠାରେ ସମୟ ଆବଶ୍ୟକଠାରୁ ଅଧ‌ିକ ହେବ, ସେଠାରେ କାହାର କାମ ଆରମ୍ଭ ହେଉଛି ?)
उत्तर:
शैतान का

(च) किन-किन लोगों के जीवन में पाप दिखता है?
(କିନ୍-କିନ୍ ଲୋଗୋଁ କେ ଜୀବନ୍ ମେଁ ପାପ ଦିଖ୍ ହୈ ?)
(କେଉଁ ଲୋକମାନଙ୍କ ଜୀବନରେ ପାପ ଦେଖାଯାଏ ?)
उत्तर:
फुरसती, मजदूर

(छ) कौन कहता है कि उनके बच्चों को तालीम मिलनी चाहिए?
(କୌନ୍ କହତା ହୈ କି ଉକେ ବର୍ଡୋ କୋ ତାଲିମ୍ ମିଲନୀ ଚାହିଏ ?)
(କିଏ କହନ୍ତି ଯେ ତାଙ୍କର ପିଲାମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ ମିଳିବା ଉଚ୍ଚିତ୍‌ ?)
उत्तर:
देहातीलोग

(ज) राजसूय यज्ञ किसने किया था?
(ରାଜସୂୟ ୟଜ୍ଞ କିସ୍‌ କିୟା ଥା ?)
(ରାଜସ୍ଵୟ ଯଜ୍ଞ କିଏ କରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
धर्मराज

(झ) कौन-से श्रम की प्रतिष्ठा मानी गयी है?
କୌନ୍ ସେ ଶ୍ରମ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ମାନୀ ଗୟୀ ହୈ ? (କେଉଁ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ସ୍ଵୀକାର କରାଯାଇଛି ? ବା କେଉଁ ଶ୍ରମକୁ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ଶ୍ରମ ବୋଲି ସ୍ଵୀକାର କରାଯାଇଛି ?)
उत्तर:
दिमागी काम

(अ) दिमागी काम कौन करता था?
(ଦିମାଗୀ କାମ୍ କୌନ୍ କରିତା ଥା ?)
(ମାନସିକ ଶ୍ରମ ବା ମସ୍ତିଷ୍କ ଶ୍ରମ କିଏ କରିଥିଲେ ?)
उत्तर:
महात्मा गाँधी

(ट) अपरिग्रही किसे माना गया था?
(‘ଅପରିଗ୍ରହୀ କିସ୍ ମାନ ଗୟା ଥା ?)
(‘ନିର୍ଲୋଭୀ’ କାହାକୁ କୁହାଯାଉଥିଲା ?)
उत्तर:
ब्राह्मण

(ठ) बिना काम किये हमारा जीवन कैसा बनता है?
(ବିନା କାମ୍ କିୟେ ହମାରା ଜୀବନ୍ କୈସେ ବନ୍‌ହୈ ?)
(କାମ ବିନା ଆମର ଜୀବନ କିପରି ହେବ ?)
उत्तर:
पापी

(ड) किसका मूल्य समान होना चाहिए?
(କିସ୍‌ ମୂଲ୍ୟ ସମାନ୍ ହୋନା ଚାହିଏ ?)
(କାହାର ମୂଲ୍ୟ ସମାନ ହେବା ଉଚିତ ?)
उत्तर:
काम का

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4. निम्नलिखित अवतरणों का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଗଦ୍ୟଖଣ୍ଡ ଗୁଡ଼ିକର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସ୍ପଷ୍ଟ କର ।)

(क) लेकिन सिर्फ कर्म करने से कोई कर्मयोगी नहीं होता।
उत्तर:
ଲେକିନ୍ ସିଫ୍ କର୍ମ କର୍‌ନେ ସେ କୋଈ କର୍ମୟୋଗୀ ନେହୀ ହୋତା ।
(କିନ୍ତୁ କେବଳ କର୍ମ କରିବା ଦ୍ୱାରା କେହି କର୍ମଯୋଗୀ ହୁଏ ନାହିଁ ।)
उत्तर:
यह अबतरण ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ से लिया गया है। यहाँ बिनोबा जी कर्मयोगी पर वर्णन किया है। संसार में हर आदमी कर्म करते है लेकिन सभी कर्म का मूल लक्ष्य निर्द्दिष्ट होना चाहिए । मजदूर दिन रात कर्म करते है, वह कर्मयोगी नहीं कहलाता। कर्म करने के साथ भगवान पर ध्यान रखना है। जो व्यक्ति अपने पसीने से रोटी कमाते है वह कर्मयोगी कहलाते है।

(ख) जहाँ समय फाजिल पड़ा है, वहाँ शैतान का काम शुरू हो जाता है।
(ଜହାଁ ସମୟ ଫାଜିଲ୍ ପଢ଼ା ହୈ, ୱର୍ଡା ଶୈତାନ୍ କା କାମ୍ ଶୁରୁ ହୋ ଜାତା ହୈ )।
(ଯେଉଁଠାରେ ସମୟ ଆବଶ୍ୟକତା ଠାରୁ ଅଧିକ ଅଛି, ସେଠାରେ ଦୃଷ୍ଟର ବା ଶଇତାନର କାମ ଆରମ୍ଭ ହେଉଚ୍ଛା)
उत्तर:
यह गद्यखण्ड ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ से लिया गया है। इस पर विनोबाजी ने समय के व्यवहार पर चर्चा की। जो व्यक्ति के पास समय आवश्यकता से अधिक है, वे समय को ठिक रूप से सद्व्यवहार नहीं कर सकता है। उसके जीवन मे पाप दिखता है। कर्म को पूजा नहीं समझते। वे हमेशा कुचिन्ता में फस जाता है।

(ग) ज्ञानी तो खा सकते हैं और आशीर्वाद दे सकते हैं; काम नहीं कर सकते।
ଜ୍ଞାନୀ ତୋ ଖା ସତ୍ତ୍ଵେ ହେଁ ଔର୍ ଆଶୀର୍ବାଦ୍ ଦେ ସକ୍‌ ହେଁ, କାମ୍ ନେହୀ କର୍‌ସଲ୍‌ । ଜ୍ଞାନୀ ଖାଇ ପାରିବ ଏବଂ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଇପାରିବ, କାମ କରି ପାରିବ ନାହିଁ ।)
उत्तर:
यह अवतरण ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ से लिया गया है। यहाँ विनोबाजी ने ज्ञानी के काम पर गुरुत्व दिया है। ज्ञानी खाता और आशीर्वाद देता इसलिए कि उसके पास ज्ञान और विबेक दोनों हैं । कोई सवेरे उठकर पीसता है वे ज्ञानी नहीं, मजदूर कहलायेगा। बूढ़ों और बच्चों को काम देना निष्ठुरता है। इसलिए बूढ़ो को काम से मुक्त रहना ठीक है।

(घ) अगर हम बिना काम किये खाते हैं तो हमारा जीवन पापी बनता है।
(ଅଗର୍ ହମ୍ ବିନା କାମ୍ କିୟେ ଖାତେ ହୈ ତୋ ହମାରା ଜୀବନ୍ ପାପୀ ବନ୍ଧା ହୈ ।)
(ଯଦି ଆମ୍ଭେ କାମ ନକରି ଖାଇବା ତ ଆମ୍ଭ ଜୀବନ ପାପୀ ବା ପାପପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଯିବ ।)
उत्तर:
यह अवतरण विनोबाजी द्वारा लिखित ‘श्रम कि प्रतिष्ठा’ से लिया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को कुछ-न-कुछ श्रम करने के साथ समाज के सभी वर्ग के लोगों श्रम करने के सक्षम होने की कोशिश करना आवश्यक है। जो आदमी कुछ नकर खाते है, वह पापी बनाता है। शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य भी समान होना चाहिए।

(ङ) प्रस्तुत निबंध से हमें कौन-सी शिक्षा मिलती है?
(ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ନିବଂଧୂ ସେ ହମ୍ କୌନ୍-ସି ଶିକ୍ଷା ମିଲ୍‌ ହୈ ?)
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ନିବଂଧରୁ ଆମକୁ କେଉଁ ଶିକ୍ଷା ମିଳୁଛି ?)
उत्तर:
प्रस्तुत निबंध से यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक व्यक्ति को कुछ-न-कुछ श्रम करना चाहिए। निबन्धकार के विचार है कि जो अपने पसीने से रोटी कमाता है, वह पाप कर्मों से कोसो भागता है। शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य समान होना जरूरी है।

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5. रिक्त स्थानों को भरिए। (ପ୍ରସ୍ତୁତ୍ ନିବଂଧୂ ସେ ହମ୍ କୌନ୍-ସି ଶିକ୍ଷା)

(क) इसलिए भगवान् ने ………………… कर्मयोगी कहा है।
उत्तर:
मजदूरो,

(ख) ऐसा इसलिए होता है कि वे कर्म को ………………… नहीं समझते।
उत्तर:
पूजा,

(ग) भगवान् ने कहा, आदरणीय हैं तो क्या ……………….. हैं?
उत्तर:
नालायक,

(घ) दिमागी काम करनेवालों को भी ……………. दिये हैं।
उत्तर:
हाथ,

(ङ) ……………………. जो ज्ञानी होता था, पढ़ाता था।
उत्तर:
ब्राह्मण

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. ‘देहाती’ शब्द देहात के साथ ‘ई’ प्रत्यय के योग से बना है। शब्द के अंत में आनेवाले, शब्दांशों को प्रत्यय कहते हैं। यहाँ ‘ई’ एक तद्धित प्रत्यय है। हिन्दी में दो प्रत्यय होते हैं – कृदन्त और तद्धित।
(ଦେହାତ ଶବ୍ଦ ସହିତ ‘ଈ’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଯୋଗରେ ‘ଦେହତୀ’ ହୋଇଛି । ଶବ୍ଦର ଶେଷରେ ଆସୁଥ‌ିବା ଶତାଂଶକୁ ପ୍ରତ୍ୟୟ କୁହାଯାଏ । ଏଠାରେ ‘ଈ’ ଗୋଟିଏ ତଦ୍ଧିତ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଅଟେ ।)ହିନ୍ଦୀରେ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଦୁଇ ପ୍ରକାର ।
(i) କୃଦନ୍ତ୍ର
(ii) ତଦ୍ଧିତ

उपर्युक्त उदाहरण की तरह ‘ई’ प्रत्यय के योग से बननेवाले शब्दों को प्रस्तुत निबंध से खोजकर लिखिए
(ଉପର ବର୍ଣ୍ଣିତ ଉଦାହରଣ ଭଳି ‘ଈ’ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଯୋଗ ହୋଇଥ‌ିବା ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ନିବନ୍ଧରୁ ବାଛି ଲେଖ ।)
उत्तर:
कर्मयोगी, आसानी, मजदूरी, नौकरी, ज्ञानी, बेकारी, ब्यापारी, लाचारी, पापी, अधिकारी, उपकारी। ‘यह पृथ्वी शेषनाग के मस्तक पर स्थित है’।

2. ‘यह पृथ्वी शेषनाग के मस्तक पर स्थित है’।
इस वाक्य में प्रयुक्त ‘पर’ अधिकरण कारक की सप्तमी विभक्ति का चिह्न है। इसे परसर्ग भी कहते हैं।
(ଏହି ବାକ୍ୟରେ ବ୍ୟବହୃତ ‘पर’ ଅଧିକରଣ କାରକ ସପ୍ତମୀ ବିଭକ୍ତିର ଚିହ୍ନ ଅଟେ । ଏହାକୁ ମଧ୍ୟ ପରସର୍ଗ କହନ୍ତି ।)
प्रस्तुत निबंध में जहाँ-जहाँ इसी परसर्ग ‘पर’ का प्रयोग हुआ है, उन्हें छाँटकर लिखिए ।
(ପ୍ରସ୍ତୁତ ନିବନ୍ଧରେ ଯେଉଁଠାରେ ଏହି ‘पर’ ପରସର୍ଗର ପ୍ରୟୋଗ ହୋଇଅଛି, ସେଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛି ଲେଖ ।)
उत्तर:

  1. यह पृथ्वी शेषनाग के मस्तक पर स्थित है।
  2. हिन्दुस्तान में कुछ मजदूर खेतों पर काम करते हैं।
  3. वह मजदूरी तो करता है पर उसमें उसे गौरब नहीं लगता।
  4. बेटी समान माना पर मेहनत को हीन माना गया।
  5. शरीर-श्रम की प्रतिष्ठा न मानों, पर महात्मा गांधी तो दिमागी काम करते थे।

(ଯଦି ଆଉ କୌଣସି ଏହି ପରି ବାକ୍ୟ ଥାଏ, ସେଗୁଡ଼ିକୁ ବାଛି ଲେଖ ।)

3. निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दीजिए।

  1. जो शख्स पसीने से रोटी कमाता है, वह धर्म-पुरुष हो जाता है।
  2. अगर हम काम की इज्जत नहीं करते तो बड़ा भारी धर्म – कार्य खोते हैं।
  3. शरीर – श्रम करनेवाले को हम नीच मानते हैं।

इन वाक्यों में प्रयुक्त धर्म-पुरुष, धर्म – कार्य और शरीर-श्रम अधिक शब्दों के मेल से बने हैं।
(ଏହି ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ବ୍ୟବହୃତ ‘ଧର୍ମ-ପୁରୁଷ’, ‘ଧର୍ମ-କାର୍ଯ୍ୟ’ ଓ ‘ଶରୀର-ଶ୍ରମ’ ଅଧ‌ିକ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ମିଳନରେ ଗଠିତ ହେ।ଇଚ୍ଛି)

  • जैसे- धर्म (का) पुरुष
  • धर्म (का) कार्य
  • शरीर (का) श्रम

जब एकाधिक शब्द एक-दूसरे से मिल जाते हैं, तब उस मेल को समास कहा जाता है।
(ଯେତେବେଳେ ଏକାଧିକ ଶବ୍ଦ ଗୋଟିଏ ଅନ୍ୟଟି ସହିତ ମିଳିଯାଆନ୍ତି, ସେତେବେଳେ ସେହି ମିଳନକୁ ସମାସ କୁହାଯାଏ ।)

समास सात प्रकार के होते हैं-

  1. अव्ययीभाव
  2. तत्पुरुष समास
  3. नञ् तत्पुरुष
  4. कर्मधारय
  5. द्विगु
  6. द्वन्द्व
  7. बहुब्रीहि समास

उपर्युक्त उदाहरण तत्पुरुष समास के हैं।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 श्रम की प्रतिष्ठा

4. ‘आज देहाती लोग भी कहते हैं कि हमारे बच्चों को तालीम मिलनी चाहिए।’ इस वाक्य में ‘आज देहाती लोग भी कहते हैं’ प्रधान वाक्य है और ‘हमारे बच्चों को तालीम मिलनी चाहिए’ आश्रित वाक्य है। इन दोनों वाक्यों को संयोजक अविकारी शब्द ‘कि’ मिलाता है।
याद रखिए:
जिस वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक आश्रित वाक्य हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। रचना की दृष्टि से वाक्य के अनेक भेद पाये जाते हैं – सरल वाक्य, मिश्र वाक्य, संयुक्त वाक्य आदि।

सरल वाक्य: नृत्यांगना चन्द्रिका ने नृत्य महोत्सव में सभी दर्शकों का मन मोहित कर लिया।

मिश्र वाक्य : बाण से घायल एक हंस जब उपवन में गिर पड़ा, तब राजकुमार सिद्धार्थ ने उसे तुरन्त उठा लिया।

संयुक्त वाक्य: पानी में भीगे हुए बच्चे पेड़ पर चढ़ गये और पके पके फल तोड़ने लगे।

5. इस पाठ में जीवन, लोग, काम के आगे क्रमशः धार्मिक, देहाती और दिमागी शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ से कुछ ऐसे ही शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर:
ज्ञानी लोग
जूठी पत्तल
सफाई कर्मचारी
थका-माँदा शरीर
(ଏହିପରି ପିଲାମାନେ ଅନ୍ୟ ଶବ୍ଦକୁ ବାଛି ଲେଖୁବେ ।)

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. मजदूरों को कौन नीच समझते है?
(ମଜଦୂରୌ କୋ କୌନ୍‌ ନୀବ୍ ସମଝତେ ହୈ ?)
(ଶ୍ରମିକମାନଙ୍କୁ କିଏ ନୀଚ ଭାବନ୍ତି ?)
उत्तर:
दिमागी काम करने वाले लोग मजदूरों को नीच समझते है। थोड़ा-सा काम लेने के लिए जीतनी मजदूरी देनी पड़ेगी उतनी ही देंगे पर ज्यादा से ज्यादा काम लेंगे। उन्हें काम से भी घृणा ह ।

2. किसके जीवन में पाप आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता?
(କିସ୍‌ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପାପ୍ ଆସାନୀ ସେ ପ୍ରବେଶ ନର୍ଜୀ ହୋ ସକତା) ?
(କାହା ଜୀବନରେ ପାପ ସହଜରେ ପ୍ରବେଶ କରେ ନାହିଁ ।?)
उत्तर:
हिन्दुस्तान में कुछ मजदूर खेतो पर काम करते है, कुछ रेलवे में काम करते हैं, कुछ कारखाने में काम करते हैं। इन लोगों अपने पसीने से रोजी रोटी कमाते है। इसलिए उसके जीवन में पाप आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता।

3. श्रम की प्रतिष्ठा निबन्ध से हमें कौन सी शिक्षा मिलती है?
(ଶ୍ରମ୍ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନିବନ୍ଧ ସେ ହର୍ମେ କୌନ୍ ସୀ ଶିକ୍ଷା ମିଲ୍‌ ହୈ ?)
(ଶ୍ରମ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନିବନ୍ଧରୁ ଆମେ କେଉଁ ଶିକ୍ଷା घाबू ?)
उत्तर:
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निवन्ध से हमे यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक व्यक्ति को कुछ ना कुछ श्रम करना आवश्यक है। कर्मयोगी की महत्ता पर वल देने के साथ अपने पसीने से रोटी कमाता, शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य समान होना चाहिए। संसार में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।

प्रश्न 1.
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निबंध किसने लिखा है?
उत्तर:
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निबंध आचार्य विनोबा भावे ने लिखा है।

प्रश्न  2.
आचार्य विनोबा भावे का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
आचार्य विनोबा भावे का जन्म ११ सितम्बर, सन् १८९५ ई° को महाराष्ट्र के गंगोदा गाँव में हुआ था।

प्रश्न 3.
आचार्य विनोबा भावे का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
आचार्य विनोबा भावे का पूरा नाम विनायक राव भावे है।

प्रश्न 4.
आचार्य विनोबा जी अविवाहित क्यों रहे ?
उत्तर:
अपनी माता की प्रेरणा से आचार्य विनोबा जी अविवाहित रहे।

प्रश्न 5.
आचार्य भावे जी का क्या स्वप्न था?
उत्तर:
‘सर्वोदय’ को साकार करना आचार्य भावे जी का स्वप्न था।

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प्रश्न 6.
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निबंध में निबंधकार ने किस पर प्रकाश डाला है?
उत्तर:
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निबंध में निबंधकार ने श्रम के महत्व पर प्रकाश डाला है।

प्रश्न 7.
शेषनाग किसे कहा गया है?
उत्तर:
दिनभर अथक परिश्रम करनेवाले मजदूर को शेषनाग कहा गया है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी किसके मस्तक पर स्थित है?
उत्तर:
पृथ्वी शेषनाग के मस्तक पर स्थित है।

प्रश्न 9.
भगवान ने कर्मयोगी किसे कहा है?
उत्तर:
भगवान ने मजदूरों को कर्मयोगी कहा है।

प्रश्न 10.
कौन धर्म-पूरूष हो जाता है?
उत्तर:
जो पसीने से रोटी कमाता है, वह धर्म-पुरुष हो जाता है।

प्रश्न 11.
कौन मजदूर कहलाएगा?
उत्तर:
जो सबेरे उठकर पीसता है या काम में लग जाता है वह मजदूर कहलाएगा।

प्रश्न 12.
किसके जीवन में पाप आसानी से प्रवेश नहीं कर सकता?
उत्तर:
पसीने से रोटी कमाने वाले धर्म-पुरुष जैसे लोगों के जीवन में पाप आसानी से प्रवेश नहीं कर सकता।

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प्रश्न 13.
कोन कर्मयोगी नहीं हो सकता?
उत्तर:
केवल श्रम करने से कोई कर्मयोगी नहीं हो सकता।

प्रश्न 14.
शैतान का काम कब शुरु होता है?
उत्तर:
फाजिल पड़े समय में शैतान का काम शुरु होता है।

प्रश्न 15.
किनके जीवन में पाप दिखता है?
उत्तर:
फुरसती लोगों के जीवन में पाप दिखता है।

प्रश्न 16.
मजदूरों को नीच कौन-लोग समझते हैं?
उत्तर:
दिमागी काम करनेवाले लोग मजदूरों को नीच समझते हैं।

प्रश्न 17.
ब्राह्मण को अपरिग्रही क्यों माना गया था?
उत्तर:
ब्राह्मण पढ़ाने के बदले सिर्फ धोती और खाने का अधिकारी था। इसलिए उसे अपरिग्रही माना गया।

प्रश्न 18.
राजसूय यज्ञ किसने किया था?
उत्तर:
धर्मराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया था।

प्रश्न 19.
राजसूय यज्ञ में कृष्ण ने क्या काम किया?
उत्तर:
राजसूय यज्ञ में कृष्ण ने जूठी पत्तलें उठाने का और पोंछा लगाने का काम किया।

प्रश्न 20.
कब श्रम की प्रतिष्ठा होगी?
उत्तर:
जब हर कोई थोड़ा-थोड़ा परिश्रम करेगा और कामों का मूल्य समान होगा तब श्रम की प्रतिष्ठा हागी।

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प्रश्न 21.
अपने पसीने से रोटी कौन कमाता है?
उत्तर:
अपने पसीने से रोटी धर्मपुरुष कमाता है।

प्रश्न 22.
हमारा जीवन पापी कब बनता है?
उत्तर:
अगर हम बिना काम किए खाते हैं तो हमारा जीवन पापी बनता है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
किसे कर्मयोगी कहा नहीं जा सकता?
उत्तर:
जो श्रम को टालता है

प्रश्न 2.
कौन से श्रम की प्रतिष्ठा मानी गयी है?
उत्तर:
दिमागी

प्रश्न 3.
शेषनाग किसे कहा गया है?
उत्तर:
मजदूर

प्रश्न 4.
किसे कर्मयोगी कहा जा सकता है?
उत्तर:
मजदूर

प्रश्न 5.
कौन मजदूरों को नीच समझता है?
उत्तर:
दीमागी काम करनेवाले लोग

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प्रश्न 6.
किसने कहा कि सीता को दीप की बाती भी जलानी नहीं आती?
उत्तर:
कौसल्या

प्रश्न 7.
ज्ञानी क्या नहीं कर सकते?
उत्तर:
काम

प्रश्न 8.
किसका जीवन धार्मिक नहीं होता?
उत्तर:
जो काम को टालते हैं

प्रश्न  9.
यह पृथ्वी किसके मस्तक पर स्थित है?
उत्तर:
शेषनाग

प्रश्न 10.
कौन कहता है कि उनके बच्चों को तालीम मिलनी चाहिए?
उत्तर:
देहाती लोग

प्रश्न 11.
अपरिग्रही किसे माना गया था?
उत्तर:
ब्राह्मण

प्रश्न 12.
मैंने तो उसे दीप की बाती भी जलाने नहीं दी'”-यह वाक्य किसने कहा था?
उत्तर:
कौसल्य न

प्रश्न 13.
फुरसती लोगों में क्या दिखता है?
उत्तर:
पाप

प्रश्न 14.
कौन मजदूरों से ज्यादा से ज्यादा काम लेंगे?
उत्तर:
दीमागी काम करने वाले

प्रश्न 15.
धर्मराज ने कौन-सा यज्ञ किया था?
उत्तर:
राजसूयी यज्ञ

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प्रश्न 16.
शेषनाग के मस्तक पर कौन स्थित है?
उत्तर:
पृथ्वी

प्रश्न 17.
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ पाठ के लेखक कौन है?
उत्तर:
आचार्य विनोवा भावे

प्रश्न 18.
दिमागी काम कौन करता था?
उत्तर:
महात्मा गांधी

प्रश्न 19.
किसके जीवन में पाप आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता?
उत्तर:
धर्मपुरुष

प्रश्न 20.
किसका मूल्य समान होना चाहिए?
उत्तर:
काम का

प्रश्न 21.
बिना काम किये हमारा जीवन कैसा बनता है?
उत्तर:
कृष्ण

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प्रश्न 22.
किसने कहा था- ‘मुझे भी काम दो’ ?
उत्तर:
पापी

प्रश्न  23.
हम काम की इज्जत नहीं करते तो कौन-सा कार्य खोते हैं?
उत्तर:
बड़ा भारी धर्मकार्य

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
विनोबा भावे का पूरानाम ……………..।
उत्तर:
विनायक राव

प्रश्न 2.
भगवान ने ……………. सा काम लिया।
उत्तर:
जूठी पत्तले उठाने का

प्रश्न 3.
भूदान का प्रवर्तक थे ………………..।
उत्तर:
विनोबा भावे

प्रश्न 4.
‘श्रम की प्रतिष्ठा’ ……………… की रचना है।
उत्तर:
विनोबा भावे

प्रश्न 5.
कृष्ण ने धर्मराज से ……………. कहा।
उत्तर:
मुझे भी काम दो

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प्रश्न 6.
हम काम की इजत नहीं करते तो ………………. सा कार्य खोते हैं।
उत्तर:
धार्मिक काय

प्रश्न 7.

अपने पसीने से ……………… रोटी कमाता है।
उत्तर:
मजदूर

प्रश्न 8.
………………. लोगों के जीवन में पाप दिखता है।
उत्तर:
फुरसती लोगों में

प्रश्न 9.

राजसूय यज्ञ ………………… ने किया था।
उत्तर:
युधिष्ठिर

प्रश्न 10.
……………. दिमागी काम करता था।
उत्तर:
महात्मा गाँधी

प्रश्न 11.
बिना काम किये हमारा जीवन …………….. बनता है।
उत्तर:
पापी

प्रश्न 12.
……………… का मूल्य समान होना चाहिए?
उत्तर:
काम

प्रश्न 13.
दीमागी काम करने वाले लोग मजदूरों को ……………. समझते हैं।
उत्तर:
नीच

प्रश्न 14.
……………… का वनवास हुआ।
उत्तर:
राम

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प्रश्न 15.
महात्मा गांधी ……………. सा काम करते थे।
उत्तर:
दिमागी काम

प्रश्न 16.
ब्राह्यण को …………….. माना गया है।
उत्तर:
अपरिग्रही

प्रश्न 17.
देहाती लोग के अनुसार बच्चों को ……………… मिलनी चाहिए।
उत्तर:
तालीम

प्रश्न 18.
मजदूरों को ……………… ने कर्मयोगी कहा है।
उत्तर:
भगवान

प्रश्न 19.
धर्मपुरुष के जीवन में ……………… का आसानी से प्रवेश नहीं हो सकता।
उत्तर:
पाप

प्रश्न 20.
भगवान ने कहा,………………… है तो क्या नालायक हैं?
उत्तर:
आदरणीय

प्रश्न 21.
ऐसा ……………… जहाँ लाचारी से काम करता है।
उत्तर:
समाज

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प्रश्न 22.
‘श्रमकी प्रतिष्ठा’ निबन्ध किस पर जोर डाला है ?
उत्तर:
श्रम के महत्व

प्रश्न 23.
शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य है ………………….
उत्तर:
समान

प्रश्न 24.
………………….. कहता है, वच्चो को तालीम मिलनी चाहिए।
उत्तर:
देहातीलोग

प्रश्न 25.
भगवान् ने कहा, आदरणीय हैं तो क्या …………………. हैं ?
उत्तर:
नालायक

प्रश्न 26.
दिमागी काम करनेवालों को भी ………………. दिये हैं ?
उत्तर:
हाथ

प्रश्न 27.
जो आदमी सवेरे उठकर पीसता है, उन्हें कहते हैं ……………………।
उत्तर:
मजदूर

प्रश्न 28.
…………….. ने नहा, “सीता का जाना कैसे होगा” ?
उत्तर:
कौशल्या

प्रश्न 29.
ऐसा समाज जहाँ …………………. से काम करता है।
उत्तर:
लाचारी

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प्रश्न 30.
हम काम की इज्जत नहीं करते तो ………………. सा कार्य खोते हैं।
उत्तर:
धर्म

प्रश्न 31.
जहाँ समय फाजिल पड़ा, वहाँ …………………… का काम शुरु होगा।
उत्तर:
शैतान

प्रश्न 32.
ऐसा इसलिए होता है कि वे कर्म को …………….. नहीं समझते।
उत्तर:
पूजा

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ पाठ के लेखक हैं?
(A) विनाबा भावे
(B) धीरंजन मालवे
(C) जयशंकर-प्रसाद
(D) अब्राहम लिंकन
उत्तर:
(A) विनाबा भावे

2. विनाबा भाबे का जन्म हुआ था?
(A) 1896
(B) 1895
(C) 1894
(D) 1893
उत्तर:
(B) 1895

3. विनाबा भावे जी का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(A) गुजरात में
(B) ओड़िशा में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) महाराष्ट्र में
उत्तर:
(D) महाराष्ट्र में

4. पृथ्वी जिसके मस्तक पर स्थित है, वह है?
(A) नाग
(B) शेषनाग
(C) मनुष्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) शेषनाग

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5. ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ पाठ के आधार पर शेषनाग हैं?
(A) मजदूर
(B) श्रमिक
(C) मालिक
(D) उच्चवर्ग
उत्तर:
(A) मजदूर

6. पसीने से रोटी कमाने वाले हैं?
(A) पंड़ित
(B) धर्मिक गुरू
(C) मजदूर
(D) ज्ञानी
उत्तर:
(C) मजदूर

7. कर्मयोगी किसे कहा गया है?
(A) श्रमिक
(B) मनुष्य
(C) अधिकारी
(D) मजदूर
उत्तर:
(D) मजदूर

8. हिन्दुस्तान में मजदूर कहाँ-कहाँ काम करते हैं ?
(A) खेतों पर
(B) रेलवे में
(C) कारखानो में
(D) इन सभी स्थान में
उत्तर:
(D) इन सभी स्थान में

9. धर्मपुरुष वह होता है, जो पसीने से कमाता है-
(A) रोटी
(B) चावल
(C) आटा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) रोटी

10. दिन भर काम करने से क्या होता है ?
(A) रात को गहरी नींद
(B) रातको बड़ी भूख
(C) रात को बड़ी प्यास
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) रात को गहरी नींद

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11. जहाँ समय फाजिल पड़ा है, वहाँ काम शुरु करता है।
(A) कर्मयोगी
(B) श्रमिक
(C) मजदूर
(D) शैतान
उत्तर:
(D) शैतान

12. फुरसती लोगों के जीवन में क्या दिखता है?
(A) पाप
(B) पुण्य
(C) धर्म
(D) अधर्म
उत्तर:
(A) पाप

13. थका-माँदा शरीर को चाहिए?
(A) जल
(B) भोजन
(C) पानी
(D) आराम
उत्तर:
(D) आराम

14. फाजिल समन किसके पास पड़ा है?
(A) श्रम को टालने वाले
(B) श्रम को न करने वाले
(C) श्रम को करने वाले
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) श्रम को टालने वाले

15. किसके जीवन में पाप न हो, उसका जीवन होता है?
(A) अधर्मिक
(B) धार्मिक
(C) गलत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) धार्मिक

16. कौन मजदूरों को नीच समझते हैं?
(A) श्रमिक
(B) देहाती लोग
(C) कर्मयोगी
(D) दिमागी काम करनेवाले
उत्तर:
(D) दिमागी काम करनेवाले

17. सीता को क्या जलाना नहीं आता है?
(A) दीप की बाती
(B) लाइट
(C) मुखवती
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) दीप की बाती

18. धर्मराज ने कौन-सा यज्ञ का आयोजन किया था?
(A) अश्वमेध यज्ञ
(B) राजसूय यज्ञ
(C) शंाति यज्ञ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) राजसूय यज्ञ

19. ज्ञानी कर नहीं सकते?
(A) सेवा
(B) धर्म
(C) काम
(D) अधर्म
उत्तर:
(C) काम

यह पृथ्वी…………………….होना चाहिए।
ୟହ ପୃଥ୍ବୀ ଶେଷନାଗ୍ କେ ମସ୍ତକ ପର୍ ସ୍ଥିତ ହୈ । ଅଗର୍ ଶେଷନାଗ୍ କା ଆଧାର ଟୁଟ୍ ଜାଏ ତୋ ପୃଥ୍ବୀ ସ୍ଥିର୍ ନହୀ ରହ ସକେଗୀ, ୟହ ଜର୍ରା-ଜଗାଁ ହୋ ଜାୟେଗୀ । ହମ୍‌ ସୋଚା-ୟହ ଶେଷନାଗ୍ କୌନ୍ ହୈ ? ଧ୍ୟାନ୍ ମେଁ ଆୟା, ଦିନ୍ ଭର୍ ଶରୀର-ଶ୍ରମ୍ କରନେ ୱାଲେ ମଜଦୂର, ଜୋ କିସ୍‌-କିସ୍‌ କୀ ପୈଦାୱାର କର୍‌ତେ ହୈ, ୱେ ହୀ ଯେ ଶେସ୍‌ନାଲ୍ ହେଁ । ସବ୍‌କା ଆଧାର ଉନ୍ ମଦୂରୌ ପର୍ ହୈ, ଇସ୍‌ଲିଏ ଭଗୱାନ୍ ନେ ମଦୂରୌ କୋ କର୍ମଯୋଗୀ କହା ହୈ । ଲେକିନ୍ ସିଫ କର୍ମ କର୍‌ନେ ସେ କୋଈ କର୍ମଯୋଗୀ ନହୀ ହୋତା । ହିନ୍ଦୁସ୍ଥାନ୍ ମେଁ କୁଛ୍ ମଜଦୂର୍ ଖେର୍ଡୋ ପର୍ କାମ୍ କର୍‌ତେ ହୈ, କୁଛ୍ ରେଲୱେ ମେଁ କାମ୍ କର୍‌ତେ ହେଁ, କୁଛ୍ କାରଖାନୌ ମେଁ କାମ୍ କର୍‌ତେ ହୈ । ଦିନ୍ ଭର୍ ମଜଦୂରୀ କର୍‌ତେ ହୈ ଔର୍ ଅପ୍‌ ପସୀନେ ସେ ରୋଟୀ କମାତେ ହେଁ ।

ଜୋ ଶଖ୍ ପସୀନେ ସେ ରୋଟୀ କମାତା ହୈ, ୱହ ଧର୍ମ-ପୁରୁଷ ହୋ ଜାତା ହୈ । ଉସ୍‌ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପାପ୍ କା ପ୍ରବେଶ୍ ନହିଁ ହୋ ସକ୍ତା । ଦିନ୍ ଭର୍ କାମ୍ କର୍ ଲିୟା ତୋ ରାତ୍ କୋ ଗହ୍ମାରୀ ନୀଦ ଆତି ହୈ । ନ ଦିନ୍ ମେଁ ପାପ୍-କର୍ମ କରନେ କେ ଲିଏ ସମୟ ମିତା ହୈ, ନ ରାତ୍ କୋ କୁଛ୍ ସୂଝ ବୁଝା ସକତା ହୈ, କୈ କି ଥକା-ମାଁଦା ଶରୀର୍ ଆରାମ୍ ଚାହାତା ହୈ । ଉସେ ନୀଦ୍ କୀ ଜରୁରତ୍ ହୋତି ହୈ । ଜିସ୍ ଜୀବନ ମେଁ ପାପ୍-ଚିନ୍ତନ କୀ ଗୁଞ୍ଜାଇଶ ହୀ ନ ହୋ ଉସ୍ ଧାର୍ମିକ ଜୀବନ ହୋନା ଚାହିଏ ।

ଅନୁବାଦ:
ଏହି ପୃଥ‌ିବୀ ଶେଷନାଗର ମିସ୍ଥକ ଉପରେ ଅବସ୍ଥିତ । ଶେଷନାଗର ଧରି ରଖୁବାର ଶକ୍ତି ଯଦି ନଷ୍ଟ ହୋଇଯାଏ, ତେବେ ପୃଥ‌ିବୀ ସ୍ଥିର ହୋଇ ରହିବ ନାହିଁ, ଏହା ଖଣ୍ଡ ବିଖଣ୍ଡିତ ହୋଇଯିବ । ଆମ୍ଭେ ଭାବିବା ଏହି ଶେଷନାଗ କିଏ ? ମନରେ ଆସିଲା, ଦିନତମାମ ଶାରିରୀକ ପରିଶ୍ରମ କରୁଥିବା ଶ୍ରମିକ, ଯିଏ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାର ଫସଲ କରୁଛି, ସେହିମାନେ ହିଁ ଶେଷନାଗ ଅଟନ୍ତି । ସମସ୍ତଙ୍କର ମୂଳ ଏହି ଶ୍ରମିକମାନଙ୍କ ଉପରେ ଅଛି, ତେଣୁ ଭଗବାନ୍ ଶ୍ରମିକଙ୍କୁ କର୍ମଯୋଗୀ କହିଛନ୍ତି । କିନ୍ତୁ କେବଳ କର୍ମ କରିବାଦ୍ୱାରା କେହି କର୍ମଯୋଗୀ ହୁଏ ନାହିଁ ।

ହିନ୍ଦୁସ୍ଥାନରେ କିଛି ଶ୍ରମିକ ବିଲବାଡ଼ିରେ କାମ କରୁଛନ୍ତି, ମୁଣ୍ଡଝାଳ ତୁଣ୍ଡରେ ମାରି ଖାଇବା ପାଇଁ ରୋଜଗାର କରୁଛନ୍ତି । ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଝାଳ ବୋହି ଆୟ କରୁଛି, ସେ ଧର୍ମପୁରୁଷ ହୋଇଛି । ତାହାର ଜୀବନରେ ପାପ ସହଜରେ ପ୍ରବେଶ କରିପାରିବ ନାହିଁ । ଦିନତମାମ କାମ ଯୋଗୁଁ ରାତିକୁ ଗଭୀର (ଗାଢ଼) ନିଦ ଆସିଯାଉଛି । ଦିନରେ ପାପକାର୍ଯ୍ୟ କରିବାକୁ ନା ସମୟ ମିଳୁଛି, ନା ରାତିକୁ କିଛି ବିଚାର କରିପାରୁଛି । କାହିଁକି ନା କ୍ଳାନ୍ତ ଶରୀର ଆରାମ ଚାହୁଁଚି । ତାହାର ନିଦର ଆବଶ୍ୟକତା ଅଛି । ଯାହାର ଜୀବନରେ ପାପ ଚିନ୍ତନର ସମର୍ଥତା ନାହିଁ ତାହାର ଧାର୍ମିକ ଜୀବନ ହେବା ଉଚିତ ।

पर ऐसा…………………..नहीं होती।
ପର୍ ଐସା ଅନୁଭବ୍ ନହିଁ ହୋ ରହା ହୈ । ଅନୁଭବ୍ ତୋ ୟହ ହୈ କି ଜୋ କାମ୍ ନହୀ କର୍‌ତେ ଉକେ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ତୋ ପାପ୍ ହୈ ହୀ, ପର୍ ଉନ୍ ପାର୍ପୋ ନେ ମଜଦୂରୋ କେ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପ୍ରବେଶ କର ଲିୟା ହୈ । କଈ ପ୍ରକାର୍ କେ ବ୍ୟସନ୍ ଉନ୍‌ମେଁ ହୋତେ ହେଁ । ୟାନୀ କେୱଲ୍‌ ଶ୍ରମ୍ କର୍‌ନେ ସେ କୋଈ କର୍ମୟୋଗୀ ନର୍ତୀ ହୋତା । ହାଁ, ଜୋ ଶ୍ରମ୍ ଟାଲ୍‌ତା ହୈ, ଏହ ତୋ କର୍ମୟୋଗୀ ହୋ ହୀ ନହୀ ସକ୍ତା । ଉତ୍ସ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପାପ୍ ହୈ ତୋ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ନହେଁ । ଜ୍ୟୋକି ଉସ୍‌ ପାସ୍ ସମୟ ଫାଜିଲ୍ ପଡ଼ା ହୈ । ଜହାଁ ସମୟ ଫାଜିଲ୍ ପଡ଼ା ହେଁ, ୱର୍ଘ୍ୟ ଶୈତାନ୍ କା କାମ୍ ଶୁରୂ ହୋତା ହୈ । ଇସ୍‌ଲିଏ ଫୁର୍‌ସତୀ ଲୋଗୋଁ କେ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପାପ୍ ଦିଖ୍ ହୈ ତୋ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ନହୀ । ପର୍ ମଜଦୂରୀ କରନେ ୱାଲେ କେ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ପାପ୍ ଦିଖ୍ତା ହୈ ତୋ ସୋନା ଚାହିଏ କି ଐସା କ୍ୟା ହୋତା ହୈ । ଐସା ଇସ୍‌ଲିଏ ହୋତା ହୈ କି ୱେ କର୍ମ କୋ ପୂଜା ନର୍ତୀ ସମତେ । କର୍ମ ଲାଚାରୀ ସେ କରନା ପଡ଼ତା ହେଁ, ଇସ୍‌ଲିଏ କର୍‌ତେ ହେଁ । ୱେ ଅଗର୍ କାମ୍ ସେ ମୁଲ୍ ହୋ ସର୍ଭେ ତୋ ବହୁତ ଜଲ୍‌ଦୀ ରାଜୀ ହୋ ଜାୟେଗେ । ସଜେ କର୍ମୟୋଗୀ କୀ ୟହ ହାଲତ୍ ନହୀ ହୋତୀ ।

ଅନୁବାଦ:
କିନ୍ତୁ ଏଭଳି ଅନୁଭବ ହୁଏ ନାହିଁ । ଏହା ଅନୁଭବ ହେଉଛି ଯେ ଯିଏ କାମ କରେ ନାହିଁ ତାଙ୍କ ଜୀବନରେ ତ ପାପ ଅଛି, ପରନ୍ତୁ ଏହି ପାପ ଶ୍ରମିକମାନଙ୍କ ଜୀବନ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶ କରିସାରିଲାଣି । କେତେ ପ୍ରକାର ଖରାପ ଅଭ୍ୟାସ କରୁଛି, ସେ କର୍ମଯୋଗୀ ହୋଇନାହିଁ । ତାହାର ଜୀବନରେ ପାପ ରହିବା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ କଥାନୁହେଁ । କାହିଁକିନା ତାଙ୍କ ପାଖରେ ସମୟ ଆବଶ୍ୟକତାରୁ ଅଧିକ ଅଛି । ସେଠାରେ ଦୁଷ୍ଟର କାମ ଆରମ୍ଭ ହେଉଛି । ଏଣୁ ଅଳସୁଆ ଲୋକମାନଙ୍କ ଜୀବନରେ ପାପ ଦେଖାଯିବା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ନୁହେଁ । କିନ୍ତୁ ଶ୍ରମ କରିବା ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ଜୀବନରେ ପାପ ଦେଖାଦେଉଛି, ତେଣୁ ଏହା ଭାବିବା ଉଚିତ ଯେ ଏହା କାହିଁକି ହେଉଛି । ଏହା ଏଥ‌ିପାଇଁ ହେଉଛି ଯେ ସେ କର୍ମକୁ ପୂଜା ବୋଲି ବୁଝନ୍ତି ନାହିଁ । କର୍ମକୁ ବାଧ୍ୟତାମୂଳକ ଭାବରେ କରିବାକୁ ପଡ଼ୁଛି, ତେଣୁ କରୁଛନ୍ତି । ସେ ଯଦି କାମରୁ ମୁକ୍ତ ହୋଇପାରିବେ ଖୁବ୍ ଶୀଘ୍ର ରାଜି ହୋଇଯିବେ । ସଟ

आज देहाती…………………….. है ही।
ଆଜ୍‌ ଦେହାତୀ ଲୋଗ୍ ଭୀ କହତେ ହୈ କି ହମାରେ ବର୍ଡୋ କୋ ତାଲୀମ୍ ମିଲ୍‌ନୀ ଚାହିଏ । ତାଲୀମ୍ କିସ୍‌ଏ ମିନୀ ଚାହିଏ ? ଇସ୍‌ଲିଏ ନହେଁ କି ଲଡ଼୍‌କା ଜ୍ଞାନୀ ବନେଗା, ଧର୍ମ-ଗ୍ରନ୍ଥ ପଢ଼ା ସକେଗା ଔର୍ ଜୀୱନ୍ ମେଁ ହର୍ କାମ୍ ବିଚାରପୂର୍ବକ କରେଗା । ପର୍ ଇସ୍‌ଲିଏ କି ଲଡ଼୍‌ କୋ ନୌକରୀ ମିଲେଗୀ ଔର୍ ହମ୍ ଜୈସେ ଦିନ୍ ଭର୍ ଖଟ୍‌ ଖନା ନ ପଡ଼େଗା, ମଜଦୂର ଐସା ସୋତେ ହେଁ । କାମ୍ କେ ପ୍ରତି ଐସୀ ଘୃଣା ମଜଦୂର୍ରେ ମେଁ ୱାର୍ଲା ମେଁ ତୋ ହୈ ହୀ । ହୈ, ସେ ଉସେ ହୈ । କାମ୍ ନ କର୍‌ନେ ୱ୍ୱାଲେଁ ମେଁ ତୋ ହେହା

ଅନୁବାଦ:
ଆଜି ଗାଆଁ ଲୋକମାନେ ମଧ୍ୟ କହୁଛନ୍ତି, ଆମ ପିଲାମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ ମିଳିବା ଉଚିତ । ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ କାହିଁକି ମିଳିବା ଉଚିତ ? ଏହା ନୁହେଁ ଯେ ପିଲା ଜ୍ଞାନୀ ହେବ; ଧର୍ମଗ୍ରନ୍ଥ ପଢ଼ିପାରିବ ଏବଂ ଜୀବନର ପ୍ରତ୍ୟେକ କାର୍ଯ୍ୟକୁ ବିଚାରପୂର୍ବକ କରିପାରିବ । ଏହା ଏଥପାଇଁ କି ପିଲାମାନଙ୍କୁ ଚାକିରୀ ମିଳିବ ଓ ଆମ୍ଭେ ଦିନତମାମ ଯେପରି ଖଟୁଛୁ, ତାଙ୍କୁ ସେହିପରି ଖଟିବାକୁ ପଡ଼ିବ ନାହିଁ, ଶ୍ରମିକ ଏହା ଭାବୁଛି । ଶ୍ରମିକମାନଙ୍କର କାମ ପ୍ରତି ଏହିପରି ଘୃଣା ଅଛି । କାମ ନ କରିବା ଲୋକମାନଙ୍କର ତ ଏହା ଅଛି ହିଁ ।

दिमागी ………………….. नहीं लगता।
କାମ୍ ଲେନେ କେ ଲିଏ ବୃତ୍ତି ହୀ ବନ୍‌ ଗଈ ହୈ । ଦିମାଗୀ କାମ୍ କରନେ ୱାଲେ ଲୋଗ୍ ମଜଦୂର୍ରେ କୋ ନୀଚ୍ ସମଝତେ ହେଁ । ଥୋଡ଼ା-ସା ଜିତ୍‌ ମଜଦୂରୀ ଦେନୀ ପଡ଼େଗୀ ଉତ୍‌ନୀ ଦଂଗେ, ପର୍ ଜ୍ୟାଦା ସେ ଜ୍ୟାଦା କାମ୍ ଲଂଗେ । ଐସୀ ୟାନୀ ଉହେଁ ତୋ କାମ୍ ସେ ନଫରତ୍ ହୈ ହୀ, ମଜଦୂର୍ କୋ ଭୀ କାମ୍ ସେ ନଫରତ୍‌ ହୈ । ୱହ ମଜଦୂରୀ ପର୍ ଉସ୍‌ ଉସେ ଗୌରବ୍ ନହୀ ଲଗ୍ନତା ।

ଅନୁବାଦ;
ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିବା ଲୋକ ଶ୍ରମିକମାନଙ୍କୁ ନୀଚ ଭାବୁଛନନ୍ତି । ଅଳ୍ପ କାମ ନେବାପାଇଁ ଯେତିକି ପାରିଶ୍ରମିକ ଦେବାକୁ ପଡ଼ିବ ସେତିକି ଦେବେ; କିନ୍ତୁ ଅଧ୍ଵରୁ ଅଧିକ କାମ ନେବେ । ଏହା ବୃତ୍ତି ହୋଇଯାଇଛି । ସେ ତ କାମକୁ ତିରସ୍କାର କରନ୍ତି, ଶ୍ରମିକ କାମକୁ ମଧ୍ଯ ଘୃଣା କରନ୍ତି । ସେ ତ ମଜୁରୀ କରେ, କିନ୍ତୁ ସେଥୁରେ ତାକୁ ସମ୍ମାନ ମିଳେ ନାହିଁ ।

रामायण …………….. दीखता है।
ରାମାୟଣ୍ ମେଁ ଭୀ ଏକ୍ କାହାନୀ ହୈ । ଅଚ୍ଛା ହୈ । ସୁନେ ଲାୟକ୍ ହୈ । ରାମ୍‌ଜୀକା ବନ୍‌ସ୍ ହୁଆ ତୋ ସୀତାଜୀ ନେ କହା ମେଁ ଭୀ ଜାଉଁଗୀ । ଉସ୍ରେ ଆଦିତ୍ ନହିଁ ଥୀ ଐସେ ଜୀୱନ୍ କୀ, ପର୍ ଉସ୍‌ନେ ନିଶ୍ଚୟ କ୍ରିୟା ଥା କି ଜହାଁ ରାମ୍‌ଜୀ, ୱହାଁ ମେଁ । ପର୍ ଜବ୍ କୌଶଲ୍ୟା ନେ ସୁନା ତୋ କହା— ‘ସୀତା କା ଜାନା କୈସେ ହୋଗା ? ମୈନେ ତୋ ଉସେ ଦୀପ୍ କୀ ବତୀ ଭୀ ଜଲାନେ ନହିଁ ଦୀ’’ । ୟାନେ ୟହାଁ ଭୀ କାମ୍ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ମାନୀ ନର୍ତୀ ଗୟୀ । ଇସ୍ରେ ହୈ କି ସସୁର୍ କେ ଘର୍ ଲଡ଼କୀ ଗୟୀ ତୋ ଉସେ ବେଟୀ ସମାନ୍ ମାନା, ପର୍ ମେହନତ୍ କୋ ହୀନ୍ ମାନା ଗୟା, ୱହ ଇସ୍‌ ଦୀତା ହୈ । ଅନୁବାଦ – ରାମାୟଣରେ ମଧ୍ଯ ଗୋଟିଏ କାହାଣୀ ଅଛି । ଭଲ କାହାଣୀ । ଶୁଣିବା ଯୋଗ୍ୟ । ପ୍ରଭୁ ରାମଙ୍କ ବନବାସ ହେଲା ତ ସୀତା ଦେବୀ କହିଲେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଯିବି । ତାଙ୍କର ଏପରି ଜୀବନର ଅଭ୍ୟାସ ନଥିଲା, ସେ ପ୍ରଭୁ ରାମଚନ୍ଦ୍ର, ସେଠାରେ ମୁଁ । ଯେତେବେଳେ କୌଶଲ୍ୟା ଶୁଣିଲେ ତ କହିଲେ, ‘ସୀତାଙ୍କ ଯିବା ମଧ୍ୟ ତାକୁ ଦୀପ ଜଳାଇବାକୁ ଦେଇ ନାହିଁ ।’’ ଅର୍ଥାତ୍ ଏଠାରେ କାମର ଆବଶ୍ୟକତାକୁ ମାନିଲେ ଯେ ଶଶୁର ଘରୁ ଝିଅ ଗଲାତ ତାକୁ ଝିଅ ଭଳି ମାନନ୍ତି କିନ୍ତୁ ପରିଶ୍ରମକୁ ତୁଚ୍ଛ ମନାଗଲା । ଏହା ଏଥ‌ିରେ ଦର୍ଶାଯାଇଛି ।

ଅନୁବାଦ:
ରାମାୟଣରେ ମଧ୍ଯ ଗୋଟିଏ କାହାଣୀ ଅଛି । ଭଲ କାହାଣୀ । ଶୁଣିବା ଯୋଗ୍ୟ । ପ୍ରଭୁ ରାମଙ୍କ ବନବାସ ହେଲା ତ ସୀତା ଦେବୀ କହିଲେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଯିବି । ତାଙ୍କର ଏପରି ଜୀବନର ଅଭ୍ୟାସ ନଥୁଲା, ସେ ଠିକ୍ କଲେ ଯେ, ଯେଉଁଠାରେ ପ୍ରଭୁ ରାମଚନ୍ଦ୍ର, ସେଠାରେ ମୁଁ । ଯେତେବେଳେ କୌଶଲ୍ୟା ଶୁଣିଲେ ତ କହିଲେ, ‘ସୀତାଙ୍କ ଯିବା କିପରି ହେବ ? ମୁଁ ତ ଦିନେ ମଧ୍ୟ ତାକୁ ଦୀପ ଜଳାଇବାକୁ ଦେଇ ନାହିଁ ।’’ ଅର୍ଥାତ୍ ଏଠାରେ କାମର ଆବଶ୍ୟକତାକୁ ମାନିଲେ ନାହିଁ । ଏଥୁରେ ଜଣାପଡୁଛି ଯେ ଶଶୁର ଘରୁ ଝିଅ ଗଲାତ ତାକୁ ଝିଅ ଭଳି ମାନନ୍ତି କିନ୍ତୁ ପରିଶ୍ରମକୁ ତୁଚ୍ଛ ମନାଗଲା । ଏହା ଏଥରେ ଦର୍ଶାଯାଇଛି ।

धर्मराज…………………….लगाने का।
ଧର୍ମରାଜ୍ ନେ ରାଜସୂୟ ୟଜ୍ଞ କ୍ରିୟା ଥା । କୃଷ୍ଣ ଭୀ ୱର୍ଲା ଗଏ ଥେ । କହନେ ଲଗେ, ‘ମୁଝେ ଭୀ ଧର୍ମରାଜ୍ ନେ କହା, ‘ଆପ୍‌ କ୍ୟା କାମ୍ ହେଁ । ଆପ୍ ତୋ ହମାରେ ଲିଏ ପୂଜ୍ୟ ହୈ, ଆଦରଣୀୟ ହେଁ । ଆପ୍‌ ହମାରେ ପାସ୍ କୋଈ କାମ୍ ନହିଁ ହୈ ।’’ ଭଗବାନ୍ ନେ କହା, ‘ଆଦରଣୀୟ ହେଁ ତୋ କ୍ୟା ନାଲାୟକ୍ ହେଁ । ହମ୍ କାମ୍ କର୍ ସକ୍ତ ହୈ ।’’ ତୋ ଧର୍ମରାଜ୍ ନେ କହା, ‘ଆପ୍ ହୀ ଅପ୍‌ନା କାମ ଜ୍ଵଢ଼ ଲିଜିଏ ।’’ ଭଗବାନ୍ ନେ କାମ ଲିୟା ଜୁଠୀ ପତ୍ରଲୈ ଉଠାନେ କା ଔର୍ ପୌଛା ଲଗାନେ କା ।

ଅନୁବାଦ:
ଧର୍ମରାଜ ରାଜସୂୟ ଯଜ୍ଞ କରିଥିଲେ । କୃଷ୍ଣ ସେଠାକୁ ମଧ୍ୟ ଯାଇଥିଲେ । କହିବାକୁ ଲାଗିଲେ, ‘ମୋତେ ମଧ୍ୟ କାମଦିଅ ।’’ ଧର୍ମରାଜ କହିଲେ, ‘ଆପଣଙ୍କୁ କ’ଣ କାମ ଦେବୁ । ଆପଣତ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପାଇଁ ପୂଜ୍ୟ, ଆଦରଣୀୟ ଅଟନ୍ତି । ଆମ୍ଭ ପାଖରେ ଆପଣଙ୍କ ଯୋଗ୍ୟ କୌଣସି କାମ ନାହିଁ ।’’ ଭଗବାନ କହିଲେ ଯେ ‘ଆଦରଣୀୟ ବୋଲି କ’ଣ ଅଯୋଗ୍ୟ । ଆମ୍ଭେ କାମ କରିପାରିବୁ ।’’ ତେଣୁ ଧର୍ମରାଜ କହିଲେ, ‘ଆପଣ ହିଁ ନିଜର କାମ ଖୋଜି ନିଅନ୍ତୁ ।’’ ଭଗବାନ ଅଇଁଠା ପତର ଉଠାଇବା ଏବଂ ସଫା କରିବାର କାମ ନେଲେ ।

ज्ञानी तो ………………. प्रतिष्ठा नहीं हैं।
ଜ୍ଞାନୀ ତୋ ଖା ସତ୍ତ୍ୱେ ହୈ ଔର୍ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେ ସ ହୈ, କାମ୍ ନହୀ କର୍ ସ । ଅଗର୍ କୋଈ ସବେରେ ଉତ୍‌କର ପୀସତା ହୈ ତୋ ୱହ ଜ୍ଞାନୀ ନର୍ଜୀ, ମଜଦୂର୍ କହଲାୟେଗା । ଜ୍ଞାନୀ କୋ, ୟୋଗୀ କୋ କାମ୍ ନହୀ କର୍‌ନା ଚାହିଏ । ଚୂର୍ଣ୍ଣୋ କୋ କାମ୍ ଦେନା ନିଷ୍ଠୁରତା ମାନୀ ଜାୟେଗୀ । ୟାନୀ ଦୃଢ଼ା, ବଢା, ୟୋଗୀ, ଜ୍ଞାନୀ, ବ୍ୟାପାରୀ, କୀଲ୍, ଅଧ୍ୟାପକ, ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀ, କିସୀ କୋ କାମ୍ ନହୀ କର୍‌ନା ଚାହିଏ । ଇତ୍‌ନା ବେକାର୍ ୱର୍ଗ ଖଡ଼ା ହୋ ଜାୟେଗା ତୋ ବେକାରୀ ବଢ଼େଗୀ । ଅଗର୍ ଐସା ହୋତା କି ଜୋ କାମ୍ ନହୀ କରତା ୱହ ଖାତା ଭୀ ନନ୍ଦୀ, ତୋ ଠିକ୍ ଥା, ପର୍ ୱହ ତୋ ଅଧ୍ବକ୍ ଖାନେ କୋ ମାଁଗଡ଼ା ହେ । ଐସୀ ସମାଜ ରନା ଜହାଁ ହୁଈ ହୈ ଵହୀ ମଜଦୂର୍ ସମଝେ ହେଁ କି ହମେଁ କାମ କରନେ ସେ ଛୁଟୀ ମିଲେ ତୋ ଅଚ୍ଛା ହୋଗା । ଐସା ସମାଜ୍ ଜହାଁ ଲାରୀ ସେ କାମ୍ କର୍‌ତା ହୈ, ତୋ ଉସ୍ ମେଁ କର୍ମୟୋଗୀ ହୋ ହୀ ନନ୍ଦୀ ସକ୍‌ ଟାଲ୍‌ ହୈ, ଜୋ କାମ୍ ନହୀ କର୍‌ତେ ହୈ, ଉନ୍‌କା ଜୀବନ୍ ଧାର୍ମିକ୍ ହୋତା ହୀ ନହୀ । ଇସ୍ କାରଣ୍ ଅପ୍‌ ଶ୍ରମ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନହିଁ ହୈ ।

ଅନୁବାଦ:
ଜ୍ଞାନୀ ତ ଖାଇପାରିବ ଏବଂ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଇପାରିବ, କାମ କରିପାରିବ ନାହିଁ । ଯଦି କେହି ସକାଳୁ ଉଠି ବ୍ୟସ୍ତ ରହୁଛି ସେ ତ ଜ୍ଞାନୀ ନୁହେଁ ତାକୁ ଶ୍ରମିକ କୁହାଯିବ । ଜ୍ଞାନୀର, ଯୋଗୀର କାମ କରିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ । ବୁଢ଼ାମାନଙ୍କୁ କାମରୁ ମୁକ୍ତ ରଖିବା ଉଚିତ । ବୁଢ଼ାମାନଙ୍କୁ କାମ ଦେବା ନିଷ୍ଠୁରତା କୁହାଯିବ । ବୁଢ଼ା, ପିଲା, ଯୋଗୀ, ଜ୍ଞାନୀ, ବ୍ୟାପାରୀ, ଓକିଲ, ଅଧ୍ୟାପକ, ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀ କାହାରି କାମ କରିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ । ଏତେ ବେକାରୀ ଶ୍ରେଣୀ ଛିଡ଼ା ହୋଇଯିବେ ତ ବେକାରୀ ବଢ଼ିବ । ଯଦି ଏହା ହେଉଛି କି ଯିଏ କାମ କରୁନାହିଁ, ସେ ମଧ୍ଯ ଖାଉ ନାହିଁ ତ ଠିକ୍ ଥିଲା । ସେ ତ ଅଧିକ ଖାଇବାକୁ ମାଗୁଛି । ଏହି ସମାଜ ରଚନା ଯେଉଁଠି ହୋଇଛି ସେଠାରେ ଶ୍ରମିକ ବୁଝିଛନ୍ତି ଯେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କାର୍ଯ୍ୟରୁ ମୁକ୍ତି ମିଳିଲେ ତ ଭଲ ହେବ । ଏହି ସମାଜ ଯେଉଁଠି ଅସହାୟରେ କାମ କରୁଛି ତ ସେମାନେ କର୍ମଯୋଗୀ ତ ନୁହଁନ୍ତି । ଯିଏ କାମକୁ ଉଲ୍ଲଙ୍ଘନ କରେ, ଯିଏ କାମ କରେ ନାହିଁ, ତାହାର ଜୀବନ ଧାର୍ମିକ ହୁଏ ନାହିଁ । ଏହି କାରଣରୁ ନିଜ ସମାଜରେ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନାହିଁ ।

काम नहीं ………………… प्रतिष्ठा बढेगी।
କାମ୍ ନହୀ କର୍‌ତେ, ଇସ୍‌ କାରଣ୍ ୟହ ହୈ କି ଜୋ ଦିମାଗୀ କାମ୍ କର୍‌ତେ ହେଁ, ଉନେ ଦିମାଗୀ କାମ୍ କୀ ମହତ୍ତା ଇତ୍ନୀ ବଢ଼ା ଦୀ ହୈ କି ଉସେ ହଜାର୍ ରୁପୟା ଦେନା ହୀ ଉଚିତ୍ ମାନେଙ୍ଗ ଔର୍ ଶ୍ରମ୍ କରନେ ୱାଲେ କୋ କମ୍‌ କମ୍ ଜିତନା ଦେ ସକେଙ୍ଗେ ଉତ୍ପନା ଦେନେ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନ ମାନୋ, ପର୍ ମହାତ୍ମା ଗାନ୍ଧୀ ତୋ ଦିମାଗୀ କାମ୍ କର୍‌ତେ ଥେ, ଫିର୍ ଭୀ ସୂତ କାତ ହୀ ଲେତେ ଥେ । କାମ୍ କୀ ଇଜ୍ଜତ୍ କର୍‌ନୀ ଚାହିଏ । ଅଗର୍ ହମ୍ କାମ୍ ସମ ଚାହିଏ । ୟହ ତୋ ଏକ୍ ବାତ୍ କି କୁଛ୍ ଦିମାଗୀ ପର୍ ଶ୍ରମ୍ କରନେ ୱାର୍ଲୋ କା ଭୀ ଦିମାଗ୍ ହୈ ଔର୍ ଦିମାଗୀ କୋ କାମ୍ କରନା ଚାହିଏ । ଦୋର୍ଡୋ କୀ ଇଜ୍ଜତ୍ ବଢ଼େଗୀ, ପ୍ରତିଷ୍ଠା ବଢ଼େଗୀ ।

ଅନୁବାଦ:
କାମ କରନ୍ତି ନାହିଁ, ଏହାର କାରଣ ଏହା କାର୍ଯ୍ୟର ମହତ୍ତ୍ଵ ଏତେ ବଢ଼ାଇ ଦେଇଛନ୍ତି କି ସେ ହଜାର ଟଙ୍କା ସବୁଠାରୁ କମ୍ ଯେତେ ଦେବାକୁ ହେବ ସେତିକି ଦେବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କି ଯିଏ ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ କରନ୍ତି, ସେମାନେ ମାନସିକ ଦେବାକୁ ଉଚିତ ମାନିବେ ଏବଂ ଶ୍ରମ କରିବା ଲୋକଙ୍କୁ କରିବେ । ଶରୀର ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ଗ୍ରହଣ ନକର, କିନ୍ତୁ ମହାତ୍ମା ଗାନ୍ଧୀ ତ ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ କରିଥିଲେ, ପୁଣି ମଧ୍ୟ କିଛି ସମୟ ବାହାର କରି ଦିନରେ ସୂତା ତ କାଟୁଥିଲେ । କାମକୁ ସମ୍ମାନ ଦେବା ଉଚିତ । ଯଦି ଆମ୍ଭେ କାମକୁ ସମ୍ମାନ ନ ଦେବା ତ ବହୁତ ଧର୍ମ-କାର୍ଯ୍ୟ ନଷ୍ଟ ହୋଇଯିବ । ବୁଝିବା ଉଚିତ । ଏହା ଏକ କଥା ଯେ କିଛି ଲୋକ ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ ଅଧ୍ଵ କରିବେ ଏବଂ କିଛି ଲୋକ କମ୍ ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବେ, ପରନ୍ତୁ, ଶ୍ରମ କରିବା ଲୋକଙ୍କର ମଧ୍ୟ ବୃଦ୍ଧି ବା ମସ୍ତିଷ୍କ ଅଛି ଓ ମାନସିକ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିବା ଲୋକଙ୍କର ହାତ ମଧ୍ଯ ଅଛି, ତେଣୁ ଉଭୟଙ୍କୁ କାମ କରିବା ଦରକାର । ଏଥୁରେ ଉଭୟଙ୍କର ମାନ ଏବଂ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ବଢ଼ିବ ।

दिमागी……………………….करना चाहिए।
ଦିମାଗୀ କାମ୍ କା ଔର୍ ଶ୍ରମ୍ କା ମୂଲ୍ୟ କମ୍-ଜ୍ୟାଦା ରଖା ଗୟା, ୟହ ଠିକ୍ ନହିଁ ହୈ । ପହଲେ ତୋ ଐସୀ ବ୍ୟବସ୍ଥା ନଦୀ ଥୀ । ବ୍ରାହ୍ମଣ୍ ତୋ ଜ୍ଞାନୀ ହୋତା ଥା, ପଢ଼ାତା ଥା । ୱହ ସିଫ ଧୋତି ଔର୍ ଖାନେ କା ଅଧିକାରୀ ଥା, ୱହ ଅପରିଗ୍ରହୀ ମାନା ଗୟା । ଆଜ ତୋ ଜୋ ଭୀ ବିଦ୍ୟା ପଢ଼ାତା ହୈ, ୱହ ଉସ୍‌କା ମୂଲ୍ୟ ର୍ମାତା ହୈ । ହମ୍ ବିଦ୍ୟା ବେନେ ଲଗେ ହେଁ । ୟହ ଗଳ୍ପ ହୈ । ‘କର୍ମ-ୟୋଗ’ କି ମହିମା, ଶ୍ରମିକ୍ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କାୟମ୍ କର୍‌ନୀ ହୈ ତୋ କିମତ୍ ମେଁ ଅଧ‌ିକ ଫର୍କ ନହୀ କରନା ଚାହିଏ ।

ଅନୁବାଦ :
ମାନସିକ କାମ ଓ ଶ୍ରମ କାମର ମୂଲ୍ୟ କମ୍ ବେଶୀ ରଖାଗଲା, ଏହା ଠିକ୍ ନୁହେଁ । ପ୍ରଥମେ ତ ଏପରି ବ୍ୟବସ୍ଥା ନଥିଲା । ଯେଉଁ ବ୍ରାହ୍ମଣ ଜ୍ଞାନୀ ଥିଲା, ପଢ଼ାଉଥିଲା । ସେ କେବଳ ଧୋତି ଓ ଭୋଜନର ଅଧିକାରୀ ଥିଲା । ସେ ନିର୍ଲୋଭୀ ଥିଲା । ଆଜି ତ ଯିଏ ବି ପଢ଼ାଉଛନ୍ତି, ତାହାର ମୂଲ୍ୟ ମାଗୁଛନ୍ତି । ଆମ୍ଭେ ବିଦ୍ୟା ଦୃଢ଼ କରିବାର ଅଛି ତ ମୂଲ୍ୟରେ ଅଧିକ ତଫାତ୍ କରିବା ବିକ୍ରି କରୁଛୁ । ଏହା ଭୁଲ୍ । କର୍ମଯୋଗର ମହିମା, ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ଉଚିତ ନୁହେଁ ।

शरीर-श्रम ………………………… नीच माना ।
ଶରୀର-ଶ୍ରମ୍ କରନେ ୱାଲେ କୋ ହମ୍ ନୀଚ୍ ମାନ୍‌ହେଁ । ଉସେ କିସୀ ପ୍ରକାର୍ କୀ ଛୁଟ୍ଟିୟାଁ ନହୀ ଦେତେ । ସଫାଇ କର୍ମଚାରୀ କୋ ଅଗର୍ ଏକ୍ ଦିନ୍ କୀ ଭୀ ଛୁଟି ହେଁ ତୋ ସାରା ଶହର୍ ଗନ୍ଦା ହୋ ଜାଏ । ଇତ୍‌ନା ଜୋ ଉପକାରୀ ହୈ, ଉସେଲିଏ ସାବୁନ୍ ଆଦି ଭୀ ନହୀ ଦେତେ । ନ ଉସେ ଇଜତ୍ ହୈ, ନ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ହମ୍ ନୀଚ ମାନତେ ହୈ । ଉସ୍ ସାଫ୍ ରହନେ କେ ହୈ, ନ ସମ୍ମାନ୍ ହୈ । ମେହତର୍‌ ମାନେ କ୍ୟା ନୀଚ ମାନା ! ? ମେହତର୍‌ ମାନେ ତୋ ‘ମହତ୍ତର୍’ । ଐସା ଜୋ ମହତ୍ତର୍ ହୈ ଉସେ ହମ୍‌

ଅନୁବାଦ:
ଶରୀର ଶ୍ରମ କରିବା ଲୋକକୁ ଆମ୍ଭେ ଛୋଟ ମାନୁଛନ୍ତି । ତାଙ୍କୁ କୌଣସି ପ୍ରକାର ଛୁଟି ଦିଆଯାଉ ନାହିଁ । ଯଦି ସଫାଇ କର୍ମଚାରୀକୁ ଗୋଟିଏ ଦିନ ମଧ୍ୟ ଛୁଟି ଦିଆଯାଏ ତ ସମଗ୍ର ସହର ଅଳିଆ ଆବର୍ଜନା ହୋଇଯାଏ । ଯିଏ ଏତେ ଉପକାରୀ ତାକୁ ଆମ୍ଭେ ହୀନ ମାନୁଛନ୍ତି । ତାକୁ ସଫା ରହିବାପାଇଁ ସାବୁନ ମଧ୍ୟ ଆମ୍ଭେ ଦେଉନାହୁଁ । ତାହାର ଇଜ୍ଜତ ନାହିଁ, ପ୍ରତିଷ୍ଠା ନାହିଁ, ସମ୍ମାନ ନାହିଁ । ମେହେନ୍ତରର ଅର୍ଥ କ’ଣ ? ମେହେନ୍ତର ଅର୍ଥ ମହତ୍ତର । ଏଠି ଯେଉଁ ମହତ୍ତର ଅଛନ୍ତି, ତାକୁ ଆମ୍ଭେ ନୀଚ ମାନୁଛନ୍ତି ।

इसलिए…………………… प्रतिष्ठा होगी।
ଇସଲିଏ ଦୋ ବାର୍ଥେ ହୋନୀ ଚାହିଏ । ହର୍ ଏକ୍ କୋ ଥୋଡ଼ା-ଥୋଡ଼ା ଶ୍ରମ୍ କର୍‌ନା କାମ୍ କିଏ ଖାତେ ହୈ ତୋ ହମାରା ଜୀୱନ୍ ପାପୀ ବନ୍ଧା ହୈ । ଦୂସରୀ ଚୀଜ୍, କାର୍ଡୋ କା ମୂଲ୍ୟ ୟହ ହୋଗା ତବ୍ ଶ୍ରମ୍ କୀ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ହୋଗୀ । ହୀ ଚାହିଏ । ଅଗର୍ ହମ୍ ବିନା ସମାନ୍ ହୋନା ଚାହିଏ । ଜବ୍

ଅନୁବାଦ ;
ତେଣୁ ଦୁଇଟି କଥା ହେବା ଉଚିତ । ପ୍ରତ୍ୟେକ କିଛି କିଛି ପରିଶ୍ରମ କରିବା ନକରି ଖାଉଛନ୍ତି ତା ହେଲେ ଆମ୍ଭ ଜୀବନ ପାପୀ ହୋଇଯିବ । ଦ୍ଵିତୀୟ କଥା, କାମଗୁଡ଼ିକର ମୂଲ୍ୟ ଯେବେ ଏହା ହେବ ସେବେ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠା ହେବ । ଉଚିତ । ଯଦି ଆମ୍ଭେ କାମ ସମାନ ହେବା ଉଚିତ । ଯେବେ ଏହା ସେବେ ଶ୍ରମର ପ୍ରତିଷ୍ଠ। ହେବା

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

शेषनाग – पुराणानुसार सहस्र फनों के सर्पराज जिनके फनों पर पृथ्वी ठहरी है। (ପୁରାଣ ଅନୁସାରେ ସହସ୍ର ଫେଣାର୍ଥିବ ସର୍ପରାଜାର ଯାହାଙ୍କ ଫେଣାରେ ପୃଥ‌ିବୀ ଅବସ୍ଥିତ) ।

जरा-जरा – अणु-अणु (ଖଣ୍ଡ-ବିଖଣ୍ଡ) ।

किस्म-किस्म – भाँति-भाँति (ପ୍ରକାର-ପ୍ରକାର) ।

पैदावार – ऊपज, फसल (ଫସଲ) ।

कर्मयोगी – मेहनती (ପରିଶ୍ରମ) ।

शखस – व्यक्ति, जन (ବ୍ୟକ୍ତି, ଜନ) ।

व्यसन – किसी भी प्रकार का शौक, बुरी आदत (ଖରାପ ଅଭ୍ୟାସ ) ।

फाजिल – आवश्यकता से अधिक (ଆବଶ୍ୟକତାଠାରୁ ଅଧିକ) ।

राजसूय-यज्ञ – एक यज्ञ जिसके करने का अधिकार केवल ऐसे राजा को होता है, जो सम्राट पद का अधिकारी हो (ଗୋଟିଏ ଯଜ୍ଞ, ଏହି ଯଜ୍ଞ କେବଳ ଯେଉଁ ରାଜା ସମ୍ରାଟ ଉପାଧ୍ ପାଇଥା’ନ୍ତି ସେହି ହିଁ କରିବାର ଅତ୍କାର ପାଇଛନ୍ତି) ।

अपरिग्रही – आवश्यक धन से अधिक का त्याग करनेवाला व्यक्ति (ଆବଶ୍ୟକ ଧନରୁ ଅଧିକ ତ୍ୟାଗ କରିବା ବ୍ୟକ୍ତି) ।

मेहतर – एक जाति जिसका काम मल-मूत्र आदि उठाना है (ଏକ ଜ।ତି, ଯାହାର କାମ ମଲ ମୂତ୍ର ଉଠାଇବା ବା ମେହେନ୍ତର ବା ହାଡ଼ି ବିଚାର ।

सूझ – ବିଚାରା

गुंजाइश – संभावना (ସମ୍ଭାବନା )

टालना – इनकार करना

नफरत – घृणा (ଘୃଣା)

लाचारी – बेवश ( ଅସହାୟ)

लेखक परिचय (ଲେଖକ ପରିଚୟ)

आचार्य विनोबा भावे का पूरा नाम विनायक राव भावे है। उनका जन्म 11 सितम्बर, सन् 1895 को महाराष्ट्र के गंगोदा गांव में हुआ था । बचपन से वे बड़े मेधावी थे; गणित और संस्कृत जैसे विषयों पर उनका पूरा अधिकार था। अपनी माता की प्रेरणा से वे आजीवन अविवाहित रहे और देश की सेवा करते रहे। आचार्य विनोबा का व्यक्तित्व महात्मा गांधी के आदर्शो से भी प्रभावित था; अतः उन्होंने सत्य, सेवा और अहिंसा के रास्ते को अपनाकर बापू के आदर्शों तथा सिद्धान्तों को आगे बढ़ाया। ‘सर्वोदय’ को साकार करना उनका स्वप्न था।

हात्मा गांधी की मौत के बाद विनोबाजी ने देश-भर पद-यात्रा की और भूदान, ग्राम- दान तथा संपत्ति-दान के द्वारा देश में एक सकारात्मक क्रान्ति लानेका प्रयत्न किया। भारतीय दर्शन पर उनकी गहरी आस्था थी। विनोबाजी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा मानते हुए इसके प्रति अपना गहरा प्रेम प्रकट किया। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे; पर उनकी अधिकांश पुस्तकें हिन्दी में ही हैं। इनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें हैं- गीता प्रवचन, सर्वोदय विचार, विनोबा के विचार, स्वराज-शास्त्र, साहित्यिकों से, भूदान यज्ञ, गांव सुखी हम सुखी, शान्ति – यात्रा, भूदान – गंगा, सर्वोदय – यात्रा, जमाने की मांगें, जीवन और शिक्षण आदि।

अभिमत: ‘श्रम की प्रतिष्ठा’ निबंध में विनोबाजी ने श्रम के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। उनका विचार है कि प्रत्येक व्यक्ति को कुछ-न-कुछ श्रम करना चाहिए। देश का विकास तभी हो सकता है जब इसमें समूचे नागरिकों का योगदान हो। कर्मयोग की महत्ता पर बल देते हुए निबंधकार ने समाज के सभी वर्ग के लोगों के श्रम करने पर आग्रह किया है। विनोबाजी का विचार है कि जो अपने पसीने से रोटी कमाता है, वह पाप कर्मों से कोसों भागता है। शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य भी समान होना चाहिए। श्रमिक को शेषनाग सिद्ध करते हुए निबंधकार ने रामायण की सीता और महाभारत के श्रीकृष्ण का उदाहरण देकर देश के सर्वांगीण विकास हेतु श्रम की महत्ता स्थापित की है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 5 मेरा नया बचपन

Odisha State Board  BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions  Poem 5 मेरा नया बचपन Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 5 मेरा नया बचपन

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍‌ତ ପ୍ରଶ୍ନୋ କେ ଉତ୍ତର୍ ହୋ – ତାନ୍ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ : )

(क) कवयित्री ने बचपन को ‘अतुलित आनंद देनेवाले’ क्यों कहा है?
(କରାଯିତ୍ରା ନେ ବବ୍ ପନ୍ ବ୍ କୋ ଅତୁଳିତ୍ ଆନନ୍ଦ ଦେନେବାଲେ’ କ୍ୟା କହା ହୈ ?)
(କବୟିତ୍ରୀ ପିଲାଦିନକୁ ‘ଅପାର ଆନନ୍ଦ ଦେଉଥ‌ିବା’ ବୋଲି କାହିଁକି କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवयित्री ने बचपन को अतुलित आनन्द देनेवाले इसलिए कहा है कि बचपन की सरल, मधुर स्मृतियाँ आनन्द का अतुलित भंड़ार होता है। बाल्यावस्था में अचिन्ता भोजन और खेलकूद के स्वाधीन विचरण अविस्मरणीय है।

(ख) बचपन के बारे में कवयित्री ने क्या वर्णन किया है?
उत्तर:
(ବଚ୍‌ପନ୍ କେ ବାରେ ମେଁ କବୟିତ୍ରୀ ନେ କ୍ୟା ୱର୍ଣ୍ଣନ କିୟା ହୈ ?)
(ପିଲାଦିନ ସମ୍ପର୍କରେ କବୟିତ୍ରୀ କ’ଣ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି ?

बचपन का अतुलनीय आनन्द कभी भूला नहीं जा सकता है। इस समय में सरल चिन्ताशून्य निष्पाप जीवन होता है। मातृस्नेह ममता के साथ धूलि खेल कभी नहीं मिला। कवयित्री इसमें उनका मातृहृदय सजग हो उठा है।

(ग) बच्ची के रोने पर माँ ने उसे कैसे चुप कराया?
(ବଢୀ କେ ରୋନେ ପର୍ ମାଁ ନେ ଉସେ କୈସେ ଚୁପ୍ କରାୟା ?)
(ଶିଶୁ (ପିଲା) କ୍ରନ୍ଦନରେ ମା’ ତାକୁ କିପରି ବୋଧ କଲେ ?)
उत्तर:
बच्ची रोते समय माँ जो काम कर रही थी उसको छोड़कर बच्ची को उठा लिया । झाड़ पोंछकर चुमा देकर लोरी गाकर गिले गालो को सुखा दिया ।

(घ) कवयित्री बचपन को क्यों बार-बार बुलाती हैं ?
(କବୟିତା। ଚଚ୍ ର୍ପନ୍ କ୍ଯୋ ବାର୍ – ବାର୍ ବୁଲାତୀ ହୈ ?)
(କବୟିତ୍ରୀ ପିଲାଦିନକୁ କାହିଁକି ବାରମ୍ବାର ମନେ ପକାଉଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवयित्री निर्मल शान्ति पाने के लिए वचपन को बार-बार बुलाती है। इसमें उनके मन का बिषाद को मिटाने के साथ चिर सुख मिलेंगा। वस्तुत: नारी हृदय मातृत्व पाकर ही गौरवान्वित होता है।

(ङ) बचपन को बुलाते समय क्या हुआ?
(ବଚ୍‌ପନ୍‌ କୋ ବୁଲାତେ ସମୟ କ୍ୟା ହୁଆ ? )(
ପିଲାଦିନକୁ ଡାକିବାବେଳେ କ’ଣ ହେଲା ?)
उत्तर:
बचपन को बुलाते समय कवि खुद बच्ची बन जाती है। बचपन की अठखेलियाँ और शरारत की झलक देखी। उसके साथ खेलती, खाती और तुतलाती है।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲି ଖ୍ ତା ପ୍ରଶ୍ନୋ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକସ୍ନ ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)
(क) ‘मेरा नया बचपन’ कविता किसने लिखी है?
(‘ମେରା ନୟ ବଚପନ୍’ କବିତା କିସ୍‌ ଲିଖ୍ ହୈ ?)
(ମେରା ନୟା ବଚପନ୍) କବିତା କିଏ ଲେଖୁଛି ?)
उत्तर:
‘मेरा नया बचपन’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखी है।

(ख) कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है?
(କବୟିତ୍ରୀ କୋ ବାର୍-ବାର୍ କିସ୍‌ ୟାଦ୍ ଆତିହୈ ?)
(କବୟିତ୍ରୀଙ୍କୁ ବାରମ୍ବାର କ’ଣ ମନେ ପଡୁଛି ?)
उत्तर:
कवयित्री को बार-बार बचपन की याद आती हैं।

(ग) किस समय का अतुलित आनन्द भूला नहीं जा सकता है?
(କିସ୍ ସମୟ କା ଅତୁଲିତ ଆନନ୍ଦ ଭୂଲା ନେହୀ ଜା ସକତା ହୈ ?)
(କେଉଁ ସମୟର ଅପାର ଆନନ୍ଦକୁ ଭୁଲି ପାରିବା ନାହିଁ ?)
उत्तर:
बचपन का अतुलित आनन्द भूला नहीं जा सकता है।

(घ) कबयित्री को बचपन में किस प्रकार की जयमाला पहनाते थे?
(କବ ୟତ୍ରା କେ। ବଚ୍ପନ୍ ମେଁ କିସ୍‌କାର କୀ ଜୟମାଲା ପହନାତେ ଥେ ?)
(କବୟିତ୍ରୀ ପିଲାଦିନରେ କେଉଁ ପ୍ରକାରର ବିଜୟରମାଳା ପିନ୍ଧିଥିଲେ ?)
उत्तर:
कवयित्री को बचपन में मोती से आँसू की जयमाला पहनाते थे ।

(ङ) माँ ने गीले गालों को कैसे सुखा दिया?
(ମାଁ ନେ ଗୀଲେ ଗାର୍ଲୋ କୋ କୈସେ ସୁଖା ଦିୟା ?)
(ମା’ ଓଦା ଗାଲା (ମୁହଁ) କୁ କିପରି ସୁଖାଇ ଦେଲା ?)
उत्तर:
माँ ने बच्चों को धूल से उठाकर, झाड़पोंछकर प्यार से चूमकर गीले गालों को सुखा दिया।

(च) कवयित्री किसलिए बचपन को फिर एक बार बुलाती है?
(କବୟିତ୍ରୀ କିସ୍‌ଲିଏ ବତ୍‌ପନ୍ କୋ ଫିର୍ ଏକବାର୍ ବୁଲାତି ହୈ ?)
(ଲେଖ୍କା କେଉଁଥ‌ିପାଇଁ ପିଲାଦିନକୁ ପୁନର୍ବାର ଡାକୁଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवयित्री निर्मल शान्ति और मन के बिषाद को मिटाने के लिए बचपन को फिर एक बार बुलाती है।

(छ) कवयित्री किसलिए शंका प्रकट करती है?
(କବୟିତ୍ରୀ କିସ୍‌ଏ ଶଂକା ପ୍ରକଟ କରତି ହୈ ?)
(ଲେଖ୍କା କେଉଁଥିପାଇଁ ଆଶଙ୍କା ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवयित्री इसलिए शंका प्रकट करती है कि सरल, मधुर, निष्पाप बचपन फिर से आकर मेरे मन का संताप को दूर करने में सक्षम होंगे।

(ज) कवयित्री की छोटी-सी कुटिया कैसे नन्दन वन-सी फूल उठी?
1162161- ସୀ କୁଟିୟା କୈସେ ନନ୍ଦନ୍ ୱନ-ସୀ ଫୁଲ୍ ଉଠୀ ? (ଲେଖ୍କାଙ୍କ ଛୋଟ କୁଡ଼ିଆଘର କିପରି ନନ୍ଦନ ବନର ଫୁଲ ହୋଇ ଉଠିଛି ?)
उत्तर:
कवयित्री की छोटी-सी कुटिया अपनी वाल्यावस्था की नटखट से नन्दन वन-सी फूल उठी।

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(झ) कवयित्री की बिटिया क्यों माँ के पास आई थी?
(କବୟିତ୍ରୀ କୀ ଛୋଟୀ- ଆଇ ଥୀ ?)
(ଲେଖ୍କାର ଝିଅ କାହିଁକି ମା ପାଖକୁ ଆସିଥିଲା ?)
उत्तर: कवयित्री की बिटिया बचपन की अठखेलियों और शरारतों की झलक देखी और उसकी सुन्दर मूर्त्ति देखकर नया जीवन आया।

(ञ) कवयित्री ने अपना खोया बचपन किस प्रकार पाया?
(କବୟିତ୍ରୀ ନେ ଅପନା ଖୋୟା ବଚପନ କିସ୍ ପ୍ରକାର ପାୟା ?)
(ଲେଖ୍କାଙ୍କ ନିଜର ହଜି ଯାଇଥ‌ିବା ପିଲାବେଳ କିପରି ପାଇଲେ ?)
उत्तर:
कययित्री ने अपना खोया बचपन बेटी के रूप में पाया है। इसमें सुन्दर लुभानेवाले रूप देखकर नया जीवन फिर पाया।

(ट) कवयित्री किसे बरसों से खोजती थी?
(କବୟିତ୍ରୀ କିସ୍ ବରସୌ ସେ ଖୋଜତୀ ଥୀ ?)
(ଲେଖୁ କାହାକୁ ବର୍ଷ ବର୍ଷ ଧରି ଖୋଜୁଥିଲେ ?)
उत्तर:
अपने बचपन को कवयित्री बरसों से खोजती थी।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए:
(क) कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है?
(i) बुढ़ापा
(ii) बचपन
(iii) शैशव
(iv) यौवन
उत्तर:
(ii) बचपन,

(ख) बचपन का कौन-सा आनंद भूला नहीं जा सकता?
(i) सुख
(ii) अप्रतिम
(iii) अतुलित
(iv) असीम
उत्तर:
(iii) अतुलित,

(ग) जब बच्ची रोती थी तब कौन काम छोड़कर आ जाती थी?
(i) माँ
(ii) बहन
(iii) नानी
(iv) आया
उत्तर:
(i) माँ,

(घ) बिटिया क्या खाकर आई थी?
(i) रोटी
(ii) पान
(iii) मिट्टी
(iv) मिठाई
उत्तर:
(iii) मिट्टी,

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(ङ) बचपन क्या बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ?
(i) बिल्ली
(ii) कुत्ता
(iii) बेटा
(iv) बेटी
उत्तर:
(iv) बेटी

1. इन विशेषण तथा संज्ञा शब्दों को जोड़िए।
(ଏହି ବିଶେଷଣ ତଥା ସଂଜ୍ଞା ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକୁ ଯୋଡ଼ ।)

विशेषण संज्ञा
मधुर विश्रान्ति
व्याकुल आँसू
मोती-से हृदय
प्राकृत स्मृति
मस्त कुटिया
मंजुल खुशी
छोटी-सी आनन्द
अतुलित मूर्ति

उत्तर:

विशेषण संज्ञा
मधुर स्मृति
व्याकुल हृदय
मोती-से आँसू
प्राकृत विश्रान्ति
मस्त खुशी
मंजुल मूर्त्ति
छोटी-सी कुटिया
अतुलित आनन्द

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2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ ।)
खुशी, हँसना, मधुर, जीवन, निश्चित, निर्भय, बड़े, सूखा, भयभीत, कुटिया, नव, प्यारा, पाप, निष्पाप, सरलता, बचपन, निर्मल, अपना, पाया, हर्ष।
उत्तर:
खुशी – दु:खी

हँसना – रोना

मधुर – कटु

जीवन – मरण

निश्चित – अनिश्चित

निर्भय – भय

बड़े – छोटे

सूखा – गीला

भयभीत – निर्भीक

कुटिया – महल

नव – पुराना

प्यारा – घृणा

पाप – पुण्य

निष्पाप – कलंक

सरलता – जटिलता

बचपन – बुढ़ापा

निर्मल – मैल

अपना – पराया

पाया – खोया

हर्ष – विषाद/शोक

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3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
(ନିମ୍ନଲିଖିତ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରତିକର ପ୍ରତିଶବ୍ଦ ଲେଖା)
निर्भय, स्वच्छन्द, जय, माँ, व्यथा, फूल, कुटिया, वन
उत्तर:
निर्भय – निर्भिक/निडर

जय – विजय/सफला

व्यथा – दु:ख

कुटिया – कुटीर

स्वच्छन्द – स्वाधीन

माँ – माता

फूल – पुष्प, सुमन, कुसुम

वन – जंगल/कानन

4. निर्देशानुसार निम्नलिखित वाक्यों को बदलिए।
(ନିମ୍ନଲିଖିତ ବାକ୍ୟଗୁଡ଼ିକୁ ନିର୍ଘେଶାନୁ ସାରେ ବଦଳ। ଆ)

(क) तू गया, तू ले गया । ( भविष्यत काल में) उत्तर: तू जाएगा, तू ले जाएगा ।
उत्तर:
तू जाएगा, तू ले जाएगा।

(ख) मेरे मन का दुःख वह आकर मिटाएगा (भूतकाल में)
उत्तर:
मेरे मन का दुःख उसने आकर मिटाया।

(ग) माँ काम छोड़कर आई और मुझे गोद में उठा लिया। ( वर्त्तमान काल में)
उत्तर:
माँ काम छोड़कर आती है और मुझे गोद में उठा लेती है।

(घ) मैं बचपन को बुला रही थी। ( वर्तमान काल में)
उत्तर:
मैं बचपन को बुला रही हूँ।

(ङ) मुझे खिलाने आई थी। (भविष्यत काल में)
उत्तर:
मुझे खिलाने आएगी।

गृहकार्य: (ଗୃହ କାର୍ଯ୍ୟ)

अपने बचपन की किसी एक रोचक घटना अपने साथियों को सुनाइए।
उत्तर:
हाँ, मुझे एसी ही एक घटना याद आयी है। वह ईस प्रकार है। जब में छोटा था। स्कूल में पढ़ता था। हम तीनों भाई एक साथ स्कुल जाया करते थे। खाने की छुट्टी में दोनों भाई जल्दी-जल्दी खाकर आ जाया करते। लेकिन में इतने कम समय में जल्दी-जल्दी जाकर नहीं आ पाता था। इसलिए मुझे खाने की छुट्टी में जेशे की भूख लगा करती थी। चार बजे स्कुल की छुट्टी होते ही में जल्दी-जल्दी घर पहुँचता। वहाँ देखता माँ घर की दयोढ़ी पर खडी मेरे आने के इंतजार में रस्ता ताक रही होती थी।

माँ को देखकर और उसके आँचल से अपने पक्षीने पौछते ही मुझे एसा लगता मानो मेरे भूख कहीं उड गयी। उसे सारी दुनिया मिल गयी हो। पर आज जब में बड़ा हो गया हूँ तब न मेरे पास माँ है और नहीं इसकी ममता का आँचल। माँ आज भगवान के पास है। मैं इतना बडा होने के बाद भी आज में अपने पैरों पर खड़ा हूँ। अपने फैसले खुद लेता हूँ। पर मुझे पता नहीं क्यों आज भी माँ की कमी खलती है। शायद भगवान को अच्छे मनुष्यों की जरुरत है इसलिए वे मेरी माँ को अपने पास बुला ले गये।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘मेरा नया बचपन’ कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान ‘मेरा नया बचपन’ कविता के कवि हैं।

प्रश्न 2.
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन १९०३ ई. में प्रयाग निहलपुर महल में हुआ था।

प्रश्न 3.
ठाकुर रामनाथ सिंह कौन थे?
उत्तर:
ठाकुर रामनाथ सिंह सुभद्रा कुमारी चौहान के पिता थे।

प्रश्न 4.
‘मेरा नया बचपन’ कविता में कवयित्री ने अपने कौन से समय की याद की है?
उत्तर:
‘मेरा नया बचपन’ कविता में कवयित्री ने अपने बचपन के समय की याद की है।

प्रश्न 5.
नारी हृदय कब गौरवान्वित होता है?
उत्तर:
नारी हृदय मातृत्व पाकर गौरवान्वित होता है

प्रश्न 6.
बिटिया क्या खाकर आई थी?
उत्तर:
बिटिया मिट्टी खाकर आई थी।

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प्रश्न 7.
कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है?
उत्तर:
कवयित्री को बार-बार बचपन की याद आती है।

प्रश्न 8.
बचपन का कौन सा आनंद भुलाया नहीं जा सकता?
उत्तर:
बचपन का अतुलित आनंद भुलाया नहीं जा सकता।

प्रश्न 9.
बचपन क्या बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
बचपन बेटी बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ।

प्रश्न 10.
किस समय का अतुलित आनंद भुलाया नहीं जा सकता ?
उत्तर:
बचपन का अतुलित आंनद भुलाया नहीं जा सकता।

प्रश्न 11.
कवयित्री की छोटी-सी कुटिया कैसे नंदन वन-सी फूल उठी?
उत्तर:
अपनी बिटिया की किलकारी की गूँज से कवयित्री की छोटी से कुटिया नंदन वन सी फूल उठी थी।

प्रश्न 12.
बचपन में किस प्रकार की जयमाला कवयित्री को पहनाते थे?
उत्तर:
बचपन में बड़े-बड़े मोती से आँसू की जयमाला कवयित्री को पहनाते थे।

प्रश्न 13.
माँ ने गीले गालों को किस प्रकार सुखा दिया?
उत्तर:
माँ ने झाड़-पोंछकर और चूम-चूमकर गीले गालों को सुखा दिया।

प्रश्न 14.
कवयित्री किसे बरसों से खोजती थी?
उत्तर:
कवयित्री बचपन को बरसों से खोजती थी।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 5 मेरा नया बचपन

प्रश्न 15.
किसकी मंजुल मूर्ति दिखकर कवयित्री में नव-जीवन आया?
उत्तर:
अपनी बेटी की मंजुल मूर्ति देखकर कवयित्री में नव-जीवन आया।

प्रश्न 16.
कवयित्री ने अपने बचपन की झलक किसमें देखी?
उत्तर:
कवयित्री ने अपने बचपन की झलक अपनी बेटी में देखी।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
माँ ने गीले गालों को कैसे सुखा दिया?
उत्तर:
चूम-चूमकर

प्रश्न 2.
बार-बार कवयित्री को किसकी याद आती है?
उत्तर:
बचपन

प्रश्न 3.
बचपन क्या बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ?
उत्तर:
बेटी

प्रश्न 4.
अतुलित आनंद किस समय का भूला नहीं जा सकता है?
उत्तर:
बचपन

प्रश्न 5.
कवयित्री को बचपन में किस प्रकार की जयमाला पहनाते थे?
उत्तर:
आसूँओं से बने मोतियों

प्रश्न 6.
किसे बरसों से कवयित्री खोजती थी?
उत्तर:
बचपन

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प्रश्न 7.
कौन मिट्टी खाकर आई थी?
उत्तर:
बिटिया

प्रश्न 8.
बचपन को कौन-सा आनंद कहा गया है?
उत्तर:
अतुलित आनंद

प्रश्न 9.
‘मेरा नया बचपन’ कविता के कवि कौन है?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रश्न 10.
बिटिया क्या खाकर आई थी?
उत्तर:
मिट्टी

प्रश्न 11.
कवयित्री ने अपना खोया बचपन किस प्रकार पाया?
उत्तर:
बेटी के रूप में

प्रश्न 12.
जब बच्ची रोती थी तब कौन काम छोड़कर आ जाती थी?
उत्तर:
माँ

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प्रश्न 13.
बचपन का कौन-सा आनन्द भूला नहीं जा सकता?
उत्तर:
अतुलित

प्रश्न 14.
नारी हृदय कब गौरवान्वित होता है?
उत्तर:
मातृत्व

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
……………. पूर्ण माता है।
उत्तर:
सुभद्राजी

प्रश्न 2.
……………… को बुलाते समय कवयित्री खुद बच्ची बन जाती है।
उत्तर:
बचपन

प्रश्न 3.
“मेरा नया बचपन” कविता ……………. ने लिखी है।
उत्तर:
सुभद्रा कुमरी चौहान

प्रश्न 4.
बालकपन का ……………… सा आनंद भूला नहीं जा सकता।
उत्तर:
अतुलित

प्रश्न 5.
जब बच्ची रोती थी तब ……………… काम छोड़कर आ जाती थी।
उत्तर:
माँ

प्रश्न 6.
……………………… खाकर बिटिया आई थी।
उत्तर:
मिट्टी

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प्रश्न 7.
गीलें गालों को माँ ने …………….. सुखा दिया।
उत्तर:
चुम-चुमकर

प्रश्न 8.
कवयित्री की बिटिया ……………….. माँ के पास आई थी।
उत्तर:
मिट्टी खिलाने

प्रश्न 9.
कवयित्री को ……………….. के रोने की आवाज सुनाई देती है।
उत्तर:
बिटिया

प्रश्न 10.
बच्ची की रोने की आवाज सुनते ही …………………. दौड़ी आती थी।
उत्तर:
माँ

प्रश्न 11.
कवयित्री को बार-बार ……………… की याद आती है।
उत्तर:
बचपन

प्रश्न 12.
बचपन में रोना और मचल जाना भी …………….. दिखाते थे।
उत्तर:
आनन्द

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प्रश्न 13.
बचपन का जीवन …………….. होता है।
उत्तर:
निष्पाप

प्रश्न 14.
कवयित्री बचपन से …………….. माँगती हैं।
उत्तर:
निर्मल शान्ति

प्रश्न 15.
बेटी की मंजुल मूर्त्ति देखकर कवयित्री को ……………….. मिला।
उत्तर:
नव जीवन

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘मेरा नया बचपन’ कविता किसने लिखी है?
(A) कबीरदास ने
(B) गिरिधर कविराय ने
(C) सूरदास ने
(D) सुभद्रा कुमारी चौहान ने
उत्तर:
(D) सुभद्रा कुमारी चौहान ने

2. माँ ने गीले गालों को कैसे सुखा दिया?
(A) चुम-चुमकर
(B) चाट कर
(C) कपड़े से पोछकर
(D) हाथ से झाड़कर
उत्तर:
(A) चुम-चुमकर

3. ‘झाँसी की रानी’ किसने लिखा था?
(A) कबीर दास
(B) सूरदास
(C) गिरिधर कविराय
(D) सुभद्रा कुमारी चौहान
उत्तर:
(D) सुभद्रा कुमारी चौहान

4. कवयित्री का विवाह कब हुआ?
(A) 1919
(B) 1918
(C) 1917
(D) 1920
उत्तर:
(A) 1919

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5. किस समय का अतुलित आनंद भूला नहीं जा सकता?
(A) बचपन का
(B) शैशव का
(C) बुढ़ापे का
(D) यौवन का
उत्तर:
(A) बचपन का

6. कवयित्री की विटिया माँ के पास क्यों आयी थी?
(A) मिट्टी खिलाने
(B) पान खिलाने
(C) रोटी खिलाने
(D) मिठाई खिलाने
उत्तर:
(A) मिट्टी खिलाने

7. कवयित्री की छोटी-सी कुटिया किसके आने से फूल उठी?
(A) बेटी
(B) बहन
(C) माँ
(D) पोता
उत्तर:
(A) बेटी

8. कवयित्री किसे बरसों से खोजती थी?
(A) बेटी को
(B) कुत्ता को
(C) बचपन को
(D) बिल्ली को
उत्तर:
(C) बचपन को

9. बचपन क्या बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ?
(A) बिल्ली
(B) कुत्ता
(C) बेटा
(D) बेटी
उत्तर:
(D) बेटी

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10. सुभद्रा कुमारी चौहान को किस कविता पुस्तक पर पुरस्कार मिला है?
(A) राम का खेल
(B) त्रिधाराएँ
(C) मुकुल
(D) मेरा नया बचपन
उत्तर:
(C) मुकुल

दोहे (ତେ।ହେ)

बार-बार आती है मुझको
मधुर याद बचपन तेरी,
गया, ले गया तु, जीवन की,
सबसे मस्त खुसी मेरी॥
ଚାର୍ – ବାର୍ ଆତ। ହୈ ମୁଝକୋ
ମଧୁର ୟାଦ୍ ବର୍‌ପନ୍ ତେରୀ,
ଗୟା, ଲେ ଗୟା ତୁ, ଜୀୱନ୍ କୀ,
ସବ୍‌ ମସ୍ତ ଖୁସୀ ମେରୀ ।
ଅନୁବାଦ:
ରେ ପିଲାଦିନ, ତୋ’ର ମଧୁର ସ୍ମୃତି ମୋର ମନେପଡ଼ୁଛି । ତୁ ତ ଗଲୁ, ତା’ ସହିତ ମୋ ଜୀବନର ସମସ୍ତ ଖୁସିକୁ ମଧ୍ୟ ସାଥ୍‌ରେ ନେଇଗଲୁ।

चिंता रहित खेलना खाना,
वह फिरना निर्भय स्वच्छन्द,
कैसे भूला जा सकता है,
बचपंन का अतुलित आनन्द।
ଚିନ୍ତା ରହିତ୍ ଖେନା ଖାନା,
ୱହ ଫିନା ନିର୍ଭୟ ସ୍ବଚ୍ଛନ୍ଦ,
କୈସେ ଭୂଲା ଜା ସକ୍ତା ହୈ,
ବଚ୍‌ପନ୍ କା ଅତୁଳିତ୍ ଆନନ୍ଦ୍ ।
ଅନୁବାଦ:
ଅଚିନ୍ତା ଭୋଜନ, ଖେଳ, ସ୍ୱଚ୍ଛନ୍ଦ ଭ୍ରମଣ, ନିର୍ଭୟମନ, କେମିତି ଭୂଲିହେବ ପିଲାବେଳର ସେହି ଅତୁଳନୀୟ

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रोना और मचल जाना भी,
क्या आनन्द दिखलाते थे,
बड़े-बड़े मोती-से आँसू,
जयमाला पहनाते थे।
ରୋନା ଔର୍ ମଚଲ୍ ଜାନା ଭୀ,
କ୍ୟା ଆନନ୍ଦ ଦିଖ୍ତେ ଥେ,
ବଡ଼େ-ବଡ଼େ ମୋତୀ-ସେ ଆସୁ,
ଜୟମାଲା ପହନାତେ ଥେ।
ଅନୁବାଦ:
କାନ୍ଦିବା ଓ ଜିଦ୍ ଧରିବାରେ କି କି ଆନନ୍ଦ ଦୃଶ୍ୟମାନ ହେଉଥିଲା । ବଡ଼ ବଡ଼ ମୋତିଭଳି ଲୋତକ ବିନ୍ଦୁରେ ବିଜୟର ମାଳା ପିନ୍ଧିବାଭଳି ଲାଗୁଥିଲା ।

मैं रोई, माँ काम छोड़कर आई,
मुझको उठा लिया,
झाड़-पोंछकर चूम-चूमकर,
गीले गालों को सुखा दिया।
ମୈ ରୋଈ, ନାଁ କାମ୍ ଛାଡ଼କର୍ ଆଈ,
ମୁଖ୍ୟ ଉଠା ଲିୟା,
ଝାଡ଼-ପୌବ୍ଲକର ଚୂମ୍-ଚୂମ୍ର,
ଗୀଲେ ଗାର୍ଲୋ କୋ ସୁଖା ଦିୟା
ଅନୁବାଦ:
କବି କାନ୍ଦିଲାବେଳେ ମାଆ କାମ ଛାଡ଼ି ତାଙ୍କୁ ଉଠାଇ ନିଅନ୍ତି । ଧୂଳି ଝାଡ଼ି, ଗେଲ କରି ଅଶ୍ରୁସିକ୍ତ ଗ। ଲକୁ ସୁଖାଇ ଦିଅନ୍ତି ।

आ जा बचपन ! एक बार फिर
दे दे अपनी निर्मल शान्ति,
ब्याकुल व्यथा मिटाने वाली
वह अपनी प्राकृत विश्रांति।
ଆ ଜା ବଚ୍‌ପିନ୍ ! ଏକ୍ ବାର୍ ଫିର୍
ଦେ ଦେ ଅପ୍‌ନୀ ନିର୍ମଲ୍ ଶାନ୍ତି,
ବ୍ୟାକୁଲ୍ ବ୍ୟଥା ମିଟାନେ ୱାଲୀ
ପ୍ରାକୃତ୍ ବିଶ୍ରାନ୍ତି । ୱହ ଅପ୍‌ନୀ
ଅନୁବାଦ:
କବି କହୁଛନ୍ତି, ଯେ ଥରେ ତାଙ୍କର ବାଲ୍ୟାବସ୍ଥା ଫେରିଆସିଲେ, ସେ ନିର୍ମଳ ଶାନ୍ତି ଲାଭ କରିବେ । ଏହା ହିଁ ତାଙ୍କ ଅସ୍ଥିର ବ୍ୟଆଯୁକ୍ତ ମନର ବିଷାଦକୁ ସ୍ବାଭାବିକ ଓ ଚିରସୁଖ ପ୍ରଦାନ କରିବ।

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वह भोली-सी मधुर सरलता
वह प्यारा जीवन निष्पाप
क्या फिर आकर मिटा सकेगा
तृ मेरे मन का सन्ताप ?
ୱହ ଭୋଲା ସାମଧୁର୍ ସଗଲ୍ ତା
ୱହ ପ୍ୟାରା ଜୀୱନ୍ ନିଷ୍ପାପ୍,
କ୍ୟା ଫିର୍ ଆକର୍ ମିଟା ସକେଗା
ତୂ ମେରେ ମନ କା ସନ୍ତାପ ?
ଅନୁବାଦ:
କବି ମନର ସନ୍ଦେହକୁ ପ୍ରକାଶ କରିବା ଛଳରେ କହୁଛନ୍ତି ଯେ ସେହି ସରଳ ମଧୁର ନିଷ୍କଳଙ୍କ ବାଲ୍ୟାବସ୍ଥା ମନକୁ ପୁନର୍ବାର ସନ୍ତାପମୁକ୍ତ କରିପାରିବ ।

मै बचपन को बुला रही थी,
बोल उठी बिटिया मेरी,
नन्दन – वन-सी फूल उठी
यह छोटी-सी कुटिया मेरी।
ମେଁ ବର୍‌ପନ୍‌ କୋ ବୁଲା ରହୀ ଥୀ,
ବୋଲ୍ ଉଠୀ ବିଟିୟା ମେରୀ,
ନନ୍ଦନ- ୱନ-ସୀ ଫୁଲ ଉଠୀ,
ୟହ ଛୋଟୀ-ସ୍ତ୍ରୀ କୁଟିୟା ମେରୀ ।
ଅନୁବାଦ:
ନିଜ ଶିଶୁକନ୍ୟାର ଚପଳାମିରେ ମୁଗ୍ଧ ହୋଇ କବୟିତ୍ରୀ ନିଜର ବାଲ୍ୟାବସ୍ଥାକୁ ଆହ୍ଵାନ କରୁଛନ୍ତି । ସେ ଏଠାରେ ନିଜର ଛୋଟ କୁଡ଼ିଆକୁ ନନ୍ଦନବନ ସହିତ ତୁଳନା କରିଛନ୍ତି ଅର୍ଥାତ୍ ନିଜ କନ୍ୟାର ଚପଳାମି ଛୋଟିଆ କୁଡ଼ିଆଟିକୁ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ କରିଛି ।

माँ ओ ! कहकर बुला रही थी,
मिट्टी खाकर आई थी,
कुछ मुँह में, कुछ लिए हाथ में,
मुझे खिलाने आई थी।
ମାଁ ଓ ! କହୁକର୍ ବୁଲା ରହୀ ଥୀ,
ମିଟୀ ଖାକର୍ ଆଈ ଥୀ,
କୁଛ୍ ମୁଁହ ମେଁ, କୁଛ୍ ଲିଏ ହାଥ ମେଁ,
ମୁଝେ ଖୁନେ ଆଈ ଥୀ।
ଅନୁବାଦ;
କବୟିତ୍ରୀ ତୁ କ’ଣ ଆଣିଛୁ ବୋଲି ପଚାରିବା ସମୟରେ ଶିଶୁ ପିଲାଟି ଉତ୍ତର ଦେଉଛି, ମାଆ ତୁମେ ଖାଅ । ତାହାର ଏହି ଦରୋଟି କଥାରେ କବି ପ୍ରସନ୍ନ ହୃଦୟରେ, ଖୁସି ମନରେ ସବୁକିଛି ଭୁଲି କହୁଛନ୍ତି ତୁ ଖାଇଦେ।

पाया मैंने बचपन फिर से
बचपन बेटी बन आया,
उसकी मञ्जुल मूर्त्ति देखकर
मुझमें नव-जीवन आया।
ପାୟା ମୈନେ ବଚ୍‌ପନ୍ ଫିର୍ ସେ
ବତ୍‌ପନ୍‌ ବେଟୀ ବନ୍‌ ଆୟା,
ଉସ୍‌କୀ ମଞ୍ଜୁଳ ମୂର୍ତ୍ତି ଦେଖକର୍,
ମୁଖ୍ୟର୍ମେ ନ-ଜୀୱନ୍ ଆୟା ।
ଅନୁବାଦ:
କବି ନିଜ ଶିଶୁକନ୍ୟାଠାରେ ନିଜର ବାଲ୍ୟାବସ୍ଥାକୁ ଫେରି ପାଇଛନ୍ତି । ତାହାର ସୁନ୍ଦର ଗୁଲୁଗୁଲିଆ ଚେହେରା ଦେଖୁ ସତେ ଯେପରି ନୂଆ ଜୀବନ ଫେରି ପାଇଛନ୍ତି ।

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मैं भी उसके साथ खेलती,
खाती हूँ, तुतलाती हूँ,
मिलकर उसके साथ स्वयं,
मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।
ମେଁ ଭୀ ଉସ୍କେ ସାଥ୍ ଖେଲ୍ବତୀ, ଖାତୀ ହୂ, ତୁତ୍‌ତୀ ହୂ,
ମିଲ୍‌କର୍ ଉସ୍କେ ସାଥ୍ ସ୍ଵୟଂ,
ମେଁ ଭୀ ବଢୀ ବନ୍ ଜାତୀ ହୁଁ ।
ଅନୁବାଦ:
କବି ଶିଶୁକନ୍ୟାଟି ସହିତ ଖେଳୁଛନ୍ତି, ଖାଉଛନ୍ତି, ଦରୋଟି କଣ୍ଠରେ କଥା ହେଉଛନ୍ତି । ତାହା ସହିତ ମିଶି କବି ମଧ୍ୟ ନିଜେ ଶିଶୁ ହୋଇ ଯାଇଛନ୍ତି । ତାଙ୍କୁ ଚ୍ଛାଡିଯାଇଥ୍ ବା ପାଲ୍ୟାଣସ୍ଥା ପୁନର୍ବାର ଫେରି ଆସିଚ୍ଛା

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

याद – स्मरण (ସ୍ମରଣ/ସ୍ମୃତି/ମନେରଖ୍)।

मस्त – प्रसन्न, आनंदित (ଖୁସି ଆନନ୍ଦିତ) ।

निर्भय – बिना डर के (ଭୟଶୂନ୍ୟ) ।

चिन्ता रहित – चिन्ता शून्य (ଚିନ୍ତାମୁକ୍ତ)।

स्वच्छंद – आजाद, स्वाधीन, (स्वतंत्र) (ସ୍ଵାଧୀନ) ।

अतुलित – अतुलनीय, बेजोड़ ( ଅତୁଳନୀୟ ) ।

मचल जाना – आग्रह, हठ करना(ଆଗ୍ରହ)।

आँसू – अश्रु ଅଶୁ/ଲୋତକ/ଲୁହ) ।

गीला – भीगा हुआ (ଓଦା)।

व्याकुल – बेचैन (ଅସ୍ଥିର ) ।

प्राकृत विश्रांति – स्वाभाविक सुख चैन (ସ୍ଵାଭାବିକ ସୁଖ ଶାନ୍ତି) ।

निष्पाप – पापरहित, निष्कलंक (ପାପମୁକ୍ତ/କଳଙ୍କମୁକ୍ତ) ।

संताप – गहरी पीड़ा, दुःख (ଦୁଃଖ ) ।

नंदनवन – देवताओं का वन (ଦେବତାମାନଙ୍କ ଉପବନ) ।

कुटिया – कुटीर, झोपड़ी (ଘର, କୁଡ଼ିଆ) ।

मिट्टी – धूलि, भस्म (ଧୂଳି) ।

प्रफुल्लित – बहुत खुश, प्रसन्न (ବହୁତ ଖୁସି/ପ୍ରସନ୍ନ)

मंजुल – सुन्दर, मन को लुभानेवाली (ସୁନ୍ଦର|ମନକୁ ଆକର୍ଷିତ କରିବା) ।

नव जीवन – नया जीवन (ନୂଆ ଜୀବନ) ।

तुतलाना – तुतलाकर बोलना (ଖନେନ ଖନେଇ କହିବା/ଦରୋଟି ଭାଷାରେ କହିବା) ।

स्वंय – खुद (ନିଜେ)।

बरसों – सालों ( ବର୍ଷ ବର୍ଷ) ।

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कवि परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1903 ई. में नागपंचमी के दिन प्रयाग निहलपुर मुहल में हुआ। उनके पिता थे ठाकुर रामनाथ सिंह। उनकी देखरेख में सुभद्राकुमारी की प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में हुई। सन् 1919 ई. में खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से उनका विवाह हुआ था। राष्ट्रीय आन्दोलन में उद्बोधित होकर सुभद्राकुमारी अपने पति के साथ सत्याग्रह में हिस्सा लेने लगीं। इसलिए कई बार उन्हें जेल जाना पड़ा। देश स्वतंत्र होने के बाद वे मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्या चुनी गईं।

साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उन्हें राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी से विशेष प्रोत्साहन मिला था। 12 फरवरी 1948 ई. को मोटर दुर्घटना से उनका देहांत हो गया। सुभद्राकुमारी कवयित्री और कहानीकार दोनों ही थीं। अपनी कविता में राष्ट्रप्रेम की ओजस्विता और मानवीय भावनाओं का सहज रूप बड़ी ही सुन्दरता के साथ व्यक्त होता है। ‘झँसी की रानी’ कविता किसी समय हिन्दी पाठकों की जवानों पर गुँजती रहती थी। इनकी रचनाएँ मुकुल, बिखरे, मोती, उन्मादिनी, त्रिधाराएँ, सभा का खेल और सीधे-साधे चित्र’ हैं। इनमें ‘मुकुल’ उनकी 39 कविताओं का संग्रह है। इसी कविता- पुस्तक पर उन्हें पुरस्कार मिला है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 3 राहुल जननी

Odisha State Board  BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 3 राहुल जननी Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 3 राहुल जननी

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए :
(ଇନ୍ ପ୍ରକ୍ଷ୍ନୌ କେ ଉତ୍ତର୍ ଦୋ-ତୀନ୍ ବାକେଁ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ଏହି ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଦୁଇ-ତିନୋଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) राहुल को चुप कराने के लिए यशोधरा क्या कहती है?
(ରାହୁଲ୍ କୋ ଚୁପ୍ କରାନେ କେ ଲିଏ ୟଶୋଧରା କ୍ୟା କହତୀ ହି ? (ରାହୁଳକୁ ବୋଧ କରିବାପାଇଁ ଯଶେ।ଧରା କପ୍ କିଶ କହିଛନ୍ତି।)
उत्तर:
राहुल को चुप कराने के लिए यशोधरा यह कहती है कि मेरे भाग्य में रोना तो लिखा है। तेरे सारे कष्ट मिटाऊँगी। हमारे जीवन में जो कुछ आएगा, उसे सहना पड़ेगा। मैं तुझे अपना दूध पिलाकर और सारी स्नेह – ममता देकर पालूँगी।

(ख) अबला (दुर्बला नारी) जीवन की कहानी कैसी है?
(ଅୱଲା ଜୀବନ୍ କୀ କାହାନୀ କୈସୀ ହୈ ? (ଦୁର୍ବଳ ସ୍ତ୍ରୀର ଜୀବନର କାହାଣୀ କିପରି ଅଟେ ?)
उत्तर:
अबला जीवन की कहानी हृदय विदारक है। यशोधरा अपने आपको दासी से भी पराधीन मानती है। पतिदेव के बिना पत्नी का जीवन अधुरा होता है। उसे सास्वत प्रेम से बंचित होना पड़ता है।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନ କେ ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କେ ମେଁ ଦୀଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ ।)

(क) यशोधरा किसे अभागा कहती है?
ୟଶୋଧରା କିସେ ଅଭାଗା କହତୀ ହୈ ? (ଯଶୋଧରା କାହାକୁ ହତଭାଗ୍ୟ କହିଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
यशोधरा अपनी पुत्र राहुल को अभागा कहती है।

(ख) ‘मैं तो हूँ रोने को’ यहाँ ‘मैं’ किसकेलिए प्रयुक्त हुआ है?
(ମେଁ ତୋ ହ୍ଁ ରୋଲେ କୋ ୟହାଁ ମେଁ କିସ୍କେ ଲିଏ ପ୍ରଯୁକ୍ତ ହୁଆ ହୈ ?)
(ମୁଁ ତେଣୁ କାନ୍ଦିବାକୁ’ ଏଠାରେ ମୁଁ କାହା ପାଇଁ ବ୍ୟବହୃତ ହୋଇଛି ।)
उत्तर:
यहाँ ‘मैं’ गौतम के पत्नी सहधर्मिणी यशोधरा के लिए प्रयुक्त हुआ है।

(ग) यशोधरा क्या धोने की बात करती है?
(ୟଶୋଧରା କ୍ୟା ଧୋନେ କୀ ବାତ୍ କରତୀ ହୈ ?)
(ୟଶୋଧରା କ୍ୟା ଧୋନେ କୀ ବାତ୍ କରତୀ ହୈ ?)
उत्तर:
यशोधरा अभागे पुत्र राहुल की सारी कष्ट मिटाऊँगी की बात करती है।

(घ) ‘नयन-नीर’ का अर्थ क्या है?
(‘ନୟନ୍-ନୀର୍’ କା ଅର୍ଥ କ୍ୟା ହୈ ? )
(ନୟନ-ନୀରର ଅର୍ଥ କ’ଣ ?)
उत्तर:
‘नयन-नीर’ का अर्थ दुःख की आँसू परन्तु यहाँ अर्थ है कि मातृस्नेह ममता देकर यशोधरा अपने पुत्र को पालूँगी।

(ङ) ‘दानी-प्रभु’ किसके लिए कहा गया है?
(‘ଦାନୀ-ପ୍ରଭୁ’ କିସ୍ କେ ଲିଏ କାହା ଗୟା ହୈ ?)
(ଦାନୀ ପ୍ରଭୁ’ କାହାପାଇଁ କୁହାଯାଇଛି ?)‘
उत्तर:
दानी प्रभु गौतम के लिए कहा गया है।

(च) यशोधरा को कौन छोड़कर चले जाते हैं?
(ଯଶୋଧାରା କୋ କୌନ୍ ଛେ।ଡ଼ି ଚଳେ କାତେ ହିଁ। ଯଶୋଧାରା କୁ କିଏ ଛ।ଡ଼ି ଚାଲି ଯଇଚ୍ଛନ୍ତି)
उत्तर:
यशोधरा को अपने पतिदेव गौतम बुद्ध छोड़कर चले जाते हैं।

(छ) ‘नयन – नीर’ ही उनको दूँगी” – यहाँ यशोधरा नयन-नीर किसे देने की बात करती है?’
(ଦୂଗୀ-ୟହାଁ ୟଶୋଧରା ନୟନ-ନୀର କିସେ ଦେନେ କୀ ବାତ କରତୀ ହୈ ?) (ଆଖୁର ନୀର’ ହୀ ଉନ୍‌ ଲୁହ ହିଁ ତାଙ୍କୁ ଦେବି ଏଠାରେ ଯଶୋଧରା ଆଖର ଲୁହ କାହାକୁ ଦେବାର କଥା କୁହନ୍ତି ?)
उत्तर:
‘नयन नीर’ ही उनको दूँगी’ यहाँ यशोधरा अपनी पुत्र राहुल को देने को बात करती है। उसका अर्थ है कि मातृस्नेह ममता देकर पालुँगी और स्नेह से कभी पक्षपातिनी न करूँगी।

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3. खाली स्थान भरिए।
(ଶୂଳ୍ୟୟନ ସ୍ପରଶ କରା)

(क) …………….., हाय ! तुम्हारी यही कहानी।
उत्तर:
अबला-जीवन

(ख) सोकर हम ………………. ही जागे।
उत्तर:
खोकर

(ग) ……………… भी वह आज कहाँ, कल थी जो
उत्तर:
चेरी, रानी

(घ) मेरा ……………… वह, दूध पिये, परिपुष्ट हो।
उत्तर:
शिशु-संसार

भाषा-ज्ञान (ଭାଷା-ଜ୍ଞାନ)

1. विपरीत शब्द लिखिए: (ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
रोता, सोता, खोकर, अभागा, अबला, रुष्ट
उत्तर:
रोता – हँसता
अभागा – भाग्यवान
सोता – जागता
अबला – सबला
खोकर – पाकर
रुष्ट – तुष्ट

2. ‘दानी प्रभु’ में ‘प्रभु’ संज्ञा है और ‘दानी’ विशेषण। इस प्रकार निम्न वाक्यों में से संज्ञा और विशेषण छाँटिए:
(क) काली गाय का दूध मीठा होता है।
उत्तर:
संज्ञा – गाय, विशेषण – काली

(ख) बड़े बाजार में भीड़ लगी रहती है।
उत्तर:
संज्ञा – बाजार, विशेषण – बड़े

(ग) पिताजी ने मुझे दो उपहार दिये।
उत्तर:
संज्ञा – उपहार, विशेषण – दो

(घ) ऊँचे पेड़ पर दो बंदर बैठे हैं।
उत्तर:
संज्ञा – पेड़, विशेषण – ऊँचे

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 3 राहुल जननी

3. प्रस्तुत पाठ में से तुकान्त शब्दों को छाँटकर लिखिए:
जैसे : अभागे – आगे।
उत्तर:
रोता – सोता
जागे – अभागे
रोने को धोने को
लूँगी – दूँगी
त्यागे – अभागे
रानी – मानी
कहानी – पानी

4. इन शब्दों से वाक्य बनाइए :
भाग्य, नयन, पानी, प्रभु, संसार
उत्तर:
भाग्य – भाग्य में जो लिखा है, उसको भोगना पड़ेगा।
नयन – शरीर में नयन एक अमूल्य रत्न है।
पानी- बिशुद्ध पानी पीना चाहिए।
प्रभु – हे प्रभु! मेरी रक्षा करो।
संसार – संसार में कोई कार्य असम्भव नहीं है।

गृह कार्य :

1. आप की माँ रोते बच्चे को कैसे चुप कराती हैं? लिखिए।
उत्तर:
बच्चो घर की अनुभूति देखकर लिखिए।

2. गुप्त जी की दूसरी कविताओं को पढ़िए।
उत्तर:
बच्चो इस कविताओं को पढ़िए और याद रखना चाहिए।
जयभारत, भारत-भारती, यशोधरा, पंचवटी, साकेत आदि।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘राहुल – जननी’ कविता के कवि का नाम क्या है?
उत्तर:
‘राहुल- जननी’ कविता के कवि का नाम मैथिली शरण गुप्त है।

प्रश्न 2.
कवि गुप्तजी को पैतृक देन के रूप में क्या मिला था?
उत्तर:
राम – भक्ति कवि गुप्तजी को पैतृक देन के रूप में मिला था।

प्रश्न 3.
गुप्तजी कौन से युग के कवि माने जाते हैं?
उत्तर:
गुप्तजी द्विवेदी युग के कवि माने जाते हैं।

प्रश्न 4.
कवि मैथिली शरण गुप्त की रचनाओं में क्या देखने को मिलती है?
उत्तर:
कवि मौथिली शरण गुप्त की रचनाओं में राष्ट्रीय भावनाओं की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।

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प्रश्न 5.
गुप्तजी ने अपनी रचनाओं के जरिए क्या संदेश दिया?
उत्तर:
गुप्तजी ने अपनी रचनाओं के जरिए जनता को अंहिसा, सत्याग्रह, राष्ट्रप्रेम तथा मानवतावाद का संदेश दिया।

प्रश्न 6.
‘राहुल – जननी’ कविता में कवि ने यशोधरा के कौन-कौन से रूप का उद्घाटन किया है?
उत्तर:
‘राहुल- जननी’ कविता में कवि ने यशोधरा के माता और पत्नी रूप का उद्घाटन किया है।

प्रश्न 7.
यशोधरा किसे अभागा कहती है?
उत्तर:
यशोधरा अपने पुत्र राहुल को अभागा कहती है।

प्रश्न 8.
यशोधरा को कौन छोड़कर चले जाते हैं?
उत्तर:
यशोधरा को उनके पति छोड़ कर चले जाते हैं।

प्रश्न 9.
‘नयन – नीर ही उनको दूंगी’ – यह उक्ति किसने किसके लिए कहा है?
उत्तर:
‘नयन-नीर ही उनको दूँगी यह उक्ति यशोधरा ने अपने पति के लिए कहा है।

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प्रश्न 10.
‘राहुल जननी’ कविता कवि के किस खण्ड-काव्य से लिया गया है?
उत्तर:
‘राहुल जननी’ कविता कवि के ‘यशोधरा’ खण्ड-काव्य से लिया गया है।

प्रश्न 11.
राहुल सुबह जागने के बाद क्या करता है?
उत्तर:
राहुल सुबह जागने के बाद अपने पिता को न देख तथा माता के दुःख देखकर रोने लगता है।

प्रश्न 12.
कौन अपने आपको दासी से भी पराधीन मानती है?
उत्तर:
यशोधरा अपने आपको दासी से भी पराधीन मानती है।

प्रश्न 13.
यशोधरा क्या धोने की बात करती है?
उत्तर:
यशोधरा अपने पुत्र राहुल का मल धोने की बात करती है।

प्रश्न 14.
नारी जीवन की वास्तविकता क्या है?
उत्तर:
आँख में आँसू भरकर भी दूसरों के लिए कर्त्तव्य का संपादन करते रहना नारी जीवन की वास्तविकता है।

प्रश्न 15.
अबला जीवन की क्या कहानी है?
उत्तर:
‘आँचल में दूध और आँखों में पानी’ यही अबला जीवन की कहानी है।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘दानी – प्रभु’ किसके लिए कहा गया है?
उत्तर:
गोतम

प्रश्न 2.
यह कविता ‘राहुल – जननी’ किसने लिखी है?
उत्तर:
मैथिलीशरण गुप्त

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प्रश्न 3.
यशोधरा क्या धोने की बात कहती है?
उत्तर:
सारे मल

प्रश्न 4.
यशोधरा को कौन छोड़कर चला गया है?
उत्तर:
गौतम

प्रश्न 5.
किसकी दुःख भरी कहानी यहाँ वर्णित है?
उत्तर:
अबला

प्रश्न 6.
यशोधरा किसे खोने की बात कहती हैं?
उत्तर:
गौतम

प्रश्न 7.
यशोधरा का क्या लौट आएगा?
उत्तर:
भाग्य

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प्रश्न 8.
गौतम किसे छोड़कर चले जाते हैं?
उत्तर:
पत्नी-पुत्र

प्रश्न 9.
कौन सुबह जागने के बाद सोने लगता है?
उत्तर:
राहुल

प्रश्न 10.
‘नयन – नीर’ का अर्थ क्या है?
उत्तर:
आँसू (दु:ख)

प्रश्न 11.
नेपाल राजकुमार कौन है?
उत्तर:
गौतम

प्रश्न 12.
यशोधरा किसे अभागा कहती है?
उत्तर:
राहुल

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
मेरा ……………. वह, दूध पिये, परिपुष्ट हो।
उत्तर:
शिशु-संसार

प्रश्न 2.
राहुल सुबह जागने के वाद ………………… करता है।
उत्तर:
रोने लगता

प्रश्न 3.
सोकर हम ……………….. ही जागे।
उत्तर:
खोकर

प्रश्न 4.
नारी जीवन की वास्तविकता है ………………..
उत्तर:
दूसरों के लिए कर्त्तव्य का संपादन करना

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प्रश्न 5.
‘मैं तो हूँ रोने को।’ यहाँ ‘मैं’ ……………… के लिए प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर:
यशोधरा के लिए

प्रश्न 6.

‘”नयन-नीर ही उनकी दूँगी’ – यहाँ नयन-नीर ………………… देने की बात कि गयि है।
उत्तर:
गौतम को

प्रश्न 7.
जो आज अपने आप को नौकरानी मानती है वह पहले ……………….. थी।
उत्तर:
रानी

प्रश्न 8.
यशोधरा राहुल की …………….. लगती है।
उत्तर:
माता

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प्रश्न 9.
यशोधरा के अनुसार राहुल ………………..।
उत्तर:
अभागा

प्रश्न 10.
‘नयन-नीर ही उनकी दूँगी’ – यहाँ ‘नयन-नीर’ का अर्थ ………………… है।
उत्तर:
आँसू

प्रश्न 11.
पहले …………….. रानी थी जो अब दासी बन गई।
उत्तर:
यशोधरा

प्रश्न 12.
यशोधरा ने दानी प्रभु ……………… से संबोधित किया है।
उत्तर:
गौतम

प्रश्न 13.
“राहुल-जननी”‘ कविता के कवि ………………….. है।
उत्तर:
मैथिलीशरण गुप्त

प्रश्न 14.
‘राहुल-जननी’ कविता में यशोधरा के ……………………. से रूप को वर्णन किया गया है।
उत्तर:
माता और पत्नी

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प्रश्न 15.
यशोधरा ………………… से अभागा कहती है।
उत्तर:
राहुल

प्रश्न 16.
गुप्तजी ………………….. से युग के कवि है।
उत्तर:
द्विवेदी-युग

प्रश्न 17.
‘राहुल जननी’ कविता …………………… खण्ड-काव्य का अंश है।
उत्तर:
यशोधरा

प्रश्न 18.
‘आँचल में दूध और आँखो में पानी’-यह …………………. की जीवन की कहानी है।
उत्तर:
दुर्वला नारी

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘नयन-नीर’ ही उनको दूँगी – यहाँ यशोधरा नयननीर किसे देने की बात करती है?
(A) अपने पति गौतम को
(B) अपने पड़ोसी को
(C) राहुल को
(D) राजा को
उत्तर:
(A) अपने पति गौतम को

2. ‘नयन-नीर’ का अर्थ क्या है ?
(A) खुशी के आसू
(B) दु:ख के आँसू
(C) गम के आँसू
(D) आंखों का पानी
उत्तर:
(B) दु:ख के आँसू

3. ‘दानी प्रभु’ किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(A) गौतम
(B) राहुल
(C) बेटी
(D) राम
उत्तर:
(A) गौतम

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4. यशोधरा को कौन छोड़कर चले जाते हैं?
(A) अपने बेटा
(B) अपनी बेटी
(C) अपने पति गौतम बुद्ध
(D) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(C) अपने पति गौतम बुद्ध

5. मै तो हूँ रोने को-यहाँ में किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(A) जननी
(B) यशोधरा
(C) माता
(D) राहुल
उत्तर:
(B) यशोधरा

6. यशेधरा किसे अभागा कहती है?
(A) अपनी बेटी को
(B) अपने पुत्र राहुल को
(C) अपने पड़ोसी को
(D) अपने दोस्त को
उत्तर:
(B) अपने पुत्र राहुल को

7. मैथिली शरण गुप्त किस युग के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं?
(A) रीति युग के
(B) द्विवेदी-युग के
(C) बैदिक युग के
(D) पुराने युग के
उत्तर:
(B) द्विवेदी-युग के

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8. मैथिली शरण गुप्त ने कौन-सी उम्र में काव्य-रचना शुरु की थी?
(A) 9 वर्ष में
(B) बचपन में
(C) 10 वर्ष में
(D) 8 वर्ष में
उत्तर:
(B) बचपन में

9. मैथिली शरण गुप्त जी को किस सम्मान से सम्मानित किया गया?
(A) राष्ट्रकवि
(B) गीतगोविन्द
(C) सारलादास
(D) राष्ट्रपिता
उत्तर:
(A) राष्ट्रकवि

10. आगरा विश्वविद्यालय तथा काशी हिन्दु विश्वविद्यालय में उन्हें कौन-सी उपाधि दी?
(A) डँक्टर
(B) डी. लिट
(C) अध्यापक
(D) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) डी. लिट

11. वे भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत होकर कहाँ रहे?
(A) लोकसभा सासद
(B) राज्यसभा सांसद
(C) विधानसभा सांसद
(D) भारत के सांसद
उत्तर:
(B) राज्यसभा सांसद

12. उनका निधन कब हुआ था?
(A) 1964 ई
(B) 1965 ई
(C) 1966 ई
(D) 1967 ई
उत्तर:
(A) 1964 ई

दोहे (ତେ।ହେ)

चुप रह, चुप रह, हाय, अभागे!
रोता है अब, किसके आगे?
तुझे देख पाता वे रोता,
मुझे छोड़ जाते क्यों सोता?
अब क्या होगा?
तव कुछ होता,
सोकर हम खोकर ही जागे!
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे!
ଚୁପ୍ ରହ, ଚୁପ୍ ରହ, ହାୟ, ଅଭାଗେ !
ରୋତା ହୈ ଅବ୍, କିସ୍‌ ଆଗେ ?
ତୁଝେ ଦେଖ୍ ପାତା ୱେ ରୋତା,
ମୁଝେ ଛୋଡ଼୍ ଜାତେ କୈ ସୋତା ?
ଅବ୍ କ୍ୟା ହୋଗା ? ତବ୍ କୁଛ୍ ହୋତା,
ସୋକର୍ ହମ୍ ଖୋକର୍ ହୀ ଜାଗେ !
ଚୁପ୍ ରହ, ଚୁପ୍ ରହ, ହାୟ ଅଭାଗେ !
ଅନୁବାଦ:
ଯଶୋଧରା ରାହୁଳକୁ ଚୁପ୍ ରହିବାକୁ କହୁଛନ୍ତି, ହେ ଅଭାଗା, ବର୍ତ୍ତମାନ କାହା ଆଗରେ କାନ୍ଦୁଛୁ । ତୋ ପିତା ଘର ଛାଡ଼ିଯିବା ସମୟରେ ଶୟନରେ ଥିଲୁ । ସେ ମୋତେ ଛାଡ଼ି ସଂସାର ତ୍ୟାଗ କାହିଁକି କରିଛନ୍ତି ? ବର୍ତ୍ତମାନ କ’ଣ ହେବ ? ହେ ହତଭାଗା, ସେତେବେଳେ ଆମ୍ଭେ.ଶୋଇଥିବାରୁ ସବୁ ହରାଇଛୁ ।

बेटा, मैं तो हूँ रोने को;
तेरे सारे मल धोने को;
हँस तु, है सब कुछ होने को,
भाग्य आयेड़े फिर भी भागे,
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे !
तुझको क्षीर पिलाकर लूँगी,
नयन-नीर ही उनको दूँगी,
पर क्या पक्षपातिनी हूँगी?
मैंने अपने सब रस त्यागे।
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे।
ବେଟା, ମେଁ ତୋ ହୂ ରୋନେ କୋ;
ତେରେ ସାରେ ମଲ୍ ଧୋନେ କୋ;
ହଁସ୍ ତୁ, ହୈ ସବ୍ କୁଛ୍ ହୋନେ କୋ,
ଭାଗ୍ୟ ଆୟେଙ୍ଗେ ଫିର୍ ଭୀ ଭାଗେ,
ଚୁପ୍ ରହ, ଚୁପ୍ ରହ, ହାୟ ଅଭାଗେ !
ତୁଝେ କ୍ଷୀର ପିଲାକର୍ ଗୀ, ନୟନ୍ “
ନୀର ହୀ ଉନକୋ ଦୂଗୀ, ପର୍ କ୍ୟା ପକ୍ଷପାତିନୀ ହୂଗୀ ?
ମୈନେ ଅପନେ ସବ୍ ରସ୍ ତ୍ୟାଗେ ।
ଚୁପ୍ ରହ, ଚୁପ୍ ରହ, ହାୟ୍ ଅଭାଗେ ।
ଅନୁବାଦ:
ଯଶୋଧରା ପୁତ୍ର ରାହୁଳକୁ କହୁଛନ୍ତି, ମୋ ଭାଗ୍ୟରେ କାନ୍ଦିବା ଲେଖାଅଛି । ମୁଁ କାନ୍ଦିବି, ତୋର ସମସ୍ତ କଷ୍ଟକୁ ଲାଘବ କରିବି । ଭାଗ୍ୟ ଆସିବ ପୁଣି ମଧ୍ଯ ଫେରିଯିବ । ହେ ନିଧନ ସଙ୍ଖାଳି ମୁଁ ତତେ ସମସ୍ତ ସ୍ନେହ ମମତା ଦେଇ ପାଳିବି । ସ୍ନେହ ମମତାରେ କେବେହେଲେ ପକ୍ଷପାତୀ ହେବ ନାହିଁ । ଯଶୋଧରା କହୁଛନ୍ତି, ସମସ୍ତ ସୁଖ ତ୍ୟାଗ କରି ପତିବ୍ରତା ନାରୀର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ପାଳନ କରିବି ।

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चेरी भी वह आज कहाँ, कल भी जो रानी,
दानी प्रभु ने दिया उसे क्यों मन यह मानी?
अबला-जीवन, हाय ! तुम्हारी यही कहानी
आअल में है दूध और आखों में पानी!
ଚେରୀ ଭୀ ୱହ ଆଜ୍ କର୍ହା, କଲ୍ ଭୀ ଜୋ ରାନୀ,
ଦାନୀ ପ୍ରଭୁ ନେ ଦିୟା ଉସେ ଜ୍ୟୋ ମନ୍ ୟହ ମାନୀ ?
ଅବଲା-ଜୀବନ, ହାୟ ! ତୁମ୍‌ହାରୀ ୟହୀ କହାନୀ
ଆଞ୍ଚଲ୍ ମେଁ ହୈ ଦୁଧ ଔର୍ ଆଖେଁ ମେଁ ପାନୀ !
ଅନୁବାଦ:
ଯିଏ କାଲି ରାଜମହଲର ରାଣୀ ଥିଲା, ସେ ଆଜି ଦାସୀଠାରୁ ପରାଧୀନ ହୋଇଛି । ନାରୀ ଜୀବନର ବାସ୍ତବିକତା ହେଉଛି ନିଜେ ଦୁଃଖ କଷ୍ଟ ସହି ଅନ୍ୟ ପାଇଁ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ସମ୍ପାଦନ କରିବା।

मेरा शिशु-संसार वह
दूध पिये, परिपुष्ट हो।
पानी के ही पात्र तुम प्रभो,
रुष्ट या तुष्ट हो।
ମେରା ଶିଶୁ-ସଂସାର ୱହ୍
ଦୂଧ ପିୟେ, ପରିପୁଷ୍ଟ ହୋ।
ପାନୀ କେ ହୀ ପାତ୍ର ତୁମ୍
ପ୍ରଭୋ ରୁଷ୍ଟ ୟା ତୁଷ୍ଟ ହୋ।
ଅନୁବାଦ:
ଯଶୋଧରା କହୁଛନ୍ତି, ହେ ଶିଶୁ ସଂସାର ରାହୁଳ, କ୍ଷୀର ପାନ କରି ସୁସ୍ଥସବଳ ହୁଅ । ହେ ପ୍ରଭୁ (ପତିଦେବ) ତୁମେ ଅଶ୍ରୁର ପାତ୍ର, ତୁମେ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୁଅ ବା ଅସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୁଅ ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

अभागे – भाग्यहीन (ଭ।ଗମହାନ / ହତଭାଗା)।

मल धोने – दुध (ଦୁଃଖ ଲ।ଘବ କରିବା ପାଇଁ)।

क्षीर – आँसू (ଦୁଟ୍ଧ)।

नयन – नीर (ଅଶ୍ଵା / ଲୋତକ )।

पक्षपातिनी – किसी एक का समर्थन करनेवाली (କୌଶସି ଜଣକୁ ସମର୍ଥିନ କରୁଥ୍ବା ବୀ।କ୍ତି)।

रस-सुख – आराम (ଆରାମ)।

चेरी – नौकरानी, दासी (ଚାକରାଣୀ ଦ।ସ।)।

अबला – कमजोर या दुर्बल स्री (ଦୁର୍ବଳି ସ୍ତ୍ରୀ)।

परिपुष्ट – हृष्टपुष्ट(ସ୍ମସ୍ଥିସବଳ)।

रुष्ट – नाराज (ରାଜିନ ହେବା)।

तुष्ट – खुश, सन्तुष्ट (ଖୁସି/ସ ନ୍ତୁଷ୍ଟ)।

कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।

मैथिली शरण गुप्त का जन्म सन् 1886 ई. में झाँसी के चिरगाँव में हुआ था। उनके पिता सेठ रामचरणजी वैष्णव भक्त एवं अच्छे कवि थे। इसलिए राम – भक्ति गुप्तजी को पैतृक देन के रूप में मिली। बचपन से ही वे काव्य-रचना करने लगे। वे द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। वे गांधीवादी और भक्त कवि हैं। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय भावनाओं की अभिव्यक्ति मिलती है। अपनी रचनाओं के जरिये उन्होंने जनता को अहिंसा, सत्याग्रह, राष्ट्र-प्रेम तथा मानवतावाद का संदेश दिया।

इसलिए उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ सम्मान से सम्मानित किया गया। आगरा विश्वविद्यालय तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट. की मानद उपाधि प्रदान की। वे भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत राज्यसभा सांसद भी रहे। उनका निधन सन् 1964 ई. में हुआ। उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ ये है : जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, जयभारत, विष्णुप्रिया आदि।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

Odisha State Board  BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन Textbook Exercise Questions and Answers.

BSE Odisha Class 9 Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

प्रश्न और अभ्यास (ପ୍ରଶ୍ନ ଔର୍ ଅଭ୍ୟାସ)

1. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक या दो बाक्यों में दीजिए :
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କୋ ର୍ମେ ଦିଜିଏ )।
(ନିମ୍ନଲିଖୂ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ )

(क) कवि ने मनुष्य से क्या बनने को कहा?
ମନୁଷ୍ୟ କୋ କିସ୍ ପ୍ରକାର କା ମନ ମିଲା ହୈ ? ଉସେ ୱହ କ୍ୟା କର ସକତା ହୈ ? (ମନୁଷ୍ୟକୁ କେଉଁ ପ୍ରକାରର ମନ ମିଳଛି ? ସେଥ‌ିରେ ସେ କ’ଣ କରିପାରିବ ?)
उत्तर:
कवि ने मनुष्य से महान / श्रेष्ठ बनने को कहा।

(ख) मनुष्य को किस प्रकार मन मिला है?
(ମହାନ୍ ମନୁଷ୍ କି ସ୍ସେ କହତେ ହେଁ? କେଉଁ ପ୍ରକାର ମନ ମିଳିଛି ?)
उत्तर:
मनुष्य को अपार प्रेम से भरा मन मिला है।

(ग) मनुष्य को महान बनने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
(ମନୁଷ୍ୟ କୋ ମହାନ୍ ବନେ କେ ଲିଏ କ୍ୟା କନା କନା ଚାହିଏ ଔର୍ କ୍ୟା ନେହୀ କର୍‌ନା ଚାହିଏ ? ମନୁଷ୍ୟ କୋ ମହାନ୍ ବନେ କେ ଲିଏ କ୍ୟା)
(ମାନବକୁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ହେବା ପାଇଁ କ’ଣ କରିବା ଉଚିତ୍ ଓ କ’ଣ ନକରିବା ଉଚିତ ?)
उत्तर:
विश्व आज तृषित है।

(घ) कवि मनुष्य से क्या न बनने को कहा है?
(ମନୁଷ୍ୟ କୋ ମହାନ୍ ବନ୍‌ନେ କେ ଲିଏ କବି ନେ କ୍ୟା ପ୍ରେରଣା ଦୀ ହୈ ?)
(ମନୁଷ୍ୟକୁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ହେବାପାଇଁ କବି କ’ଣ ପ୍ରେରଣା ଦେଇଛନ୍ତି ?)
उत्तर:
कवि मनुष्य से कृपण / कंजूस / लोभी न बनने को कहा है?

(ङ) जो शत्रु को क्षमा प्रदान नहीं करता, उसकी जीत किसके समान है?
କିସୀ କୀ ଜୀତ ହାର କେ ସମାନ ଜ୍ୟୋ ହୋନୀ ଚାହିଏ ? (କାହାର ବିଜୟ ପରାଜୟ ସହ ସମାନ ହେବା ଉଚିତ୍)
उत्तर:
उत्तर:
जो मनुष्य शत्रु को क्षमा प्रदान नहीं करते उसकी जीत पराजय के समान है। वे अपने हृदय में विजय का स्वाद जानता है मगर पराजय की पीड़ा जानता नहीं है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक या दो बाक्यों में दीजिए:
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନୋ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କୋ ର୍ମେ ଦିଜିଏ)।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ )

(क) कवि ने मनुष्य से क्या बनने को कहा?
(ନିମ୍ନଲିଖତ ପ୍ରଶ୍ନୋ କା ଉତ୍ତର୍ ଏକ୍ ୟା ଦୋ ବାର୍କୋ ର୍ମେ ଦିଜିଏ) ।
(ନିମ୍ନଲିଖ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଉତ୍ତର ଗୋଟିଏ ବା ଦୁଇଟି ବାକ୍ୟରେ ଦିଅ )
उत्तर:
विजय का सुमन शूल बनता है।

(ख) मनुष्य को किस प्रकार मन मिला है?
(ମନୁଷ୍ୟ କୋ କିସ୍ ପ୍ରକାର ମନ୍ ମିଲା ହୈ ?)
(ମନୁଷ୍ୟକୁ କେଉଁ ପ୍ରକାର ମନ ମିଳିଛି ?)
उत्तर:
पाप से घृणा महान है।

(ज) किस पर सदैव गर्व न करना चाहिए?
(କିସ୍‌ର୍ ସଦୈବ୍ ଗର୍ବ ନ କର୍‌ନା ଚାହିଏ ?)
(କାହାଉପରେ ସର୍ବଦା ଅହଙ୍କାର ନ କରିବା ଉଚିତ୍ ?)
उत्तर:
दर्पशक्ति पर सदैव गर्व न करना चाहिए।

(झ) ‘फिर महान बन’ कविता के कवि का नाम क्या है?
(‘ଫିର୍ ମହାନ ବନ୍’ କବିତା କେ କବି କା ନାମ୍ କ୍ୟା ହୈ ?)
(ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍’ କବିତାର କବିଙ୍କର ନାମ କ’ଣ ?)
उत्तर:
‘फिर महान बन’ कविता के कवि नरेन्द्र शर्मा है।

(अ) ‘फिर महान बन’ कविता का मूल भाब क्या है?
(‘ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍’ କବିତା କା ମୂଲ୍ ଭାୱ କ୍ୟା ହୈ ?)
(‘ଫିର୍ ମହାନ ବନ୍’ କବିତାର ମୂଳ ଭାବ କ’ଣ ?)
उत्तर:
‘फिर महान बन’ कविता का मूल भाव यह है कि अपने कर्त्तब्य पर सचेतन होना चाहिए।

3. पाठ के आधार पर निम्नलिखित रिक्त स्थानो को भरिये
फिर महान ……………. ।
शत्रु को न ………………… सके ………………. प्रदान जो,
जीत क्यों उसे न ………………. के समान हो?
दुष्ट ………….. मानते न दुष्ट ……………… से,
……………… घृणा महान ………………….. न …………….. से।
………….. पर संदैव गर्व करना न, ………………।
उत्तर:
फिर महान बन
शत्रु को न कर सके क्षमा प्रदान जो,
जीत क्यों उसे न हार के समान हो?
दुष्ट हार मानते न दुष्ट नेम से,
पाप से घृणा महान है न प्रेम से।
दर्प-शक्ति पर सदैव गर्व करना न, मन।

1. उदाहरण के अनसार निम्नलिखित शब्दो के समानार्थक शब्द लिखिए:
(ଉଦାହରଣ ଅନୁସାରେ ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ପ୍ରତିଶବ୍ଦ ବା ସମାନାର୍ଥକ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
महान, सुमन, मनुष्य, अपार, प्रेम, प्यास, जीव, वक्ष, नेम, विश्व
उदाहरण:
महान – विशिष्ट, सुमन – पुष्प
उत्तर:
मनुष्य – इनसान, मानव

अपार – असीम

प्रेम – प्यार

प्यास – तृषा

जीव – प्राणी

वक्ष – छाती

नेम – नियम

विश्व – संसार

कृपण – कंजूस

क्षमा – माफी

शत्रु – दुश्मन

हार – पराजय

भूल – तुटि, गलत

दर्प – गर्व

दुष्ट – नटखट

गर्व – घमंड, अहंकार

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

2. उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्दों के विलोम/विपरीत शब्द लिखिए:
(ଉଦାହରଣ ଅନୁସାରେ ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବିପରୀତ ଶବ୍ଦ ଲେଖ : )
उदाहरण: प्रेम – घृणा, शत्रु – मित्र
उत्तर:
महान – तुच्छा
कृपण – दानी

मनुष्य – राक्षस

दुष्ट – शांत

क्षमा – दंड़

प्रदान – आदान

जीत – हार

समान – असमान

विजय – पराजय

पाप – पुण्य

3. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए:
(ନିମ୍ନଲିଖ୍ ଶବ୍ଦଗୁଡ଼ିକର ବଚନ ବଦଳାଅ : )
उदाहरण: मनुष्य – मनुष्य,
तुझे, जीव, शत्रु, कवि
उत्तर:
तुझे – तुम्हें
शत्रु – शत्रु
जीव – जीव
कवि – कवि

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

4. आप भी एक कविता लिखने की कोशिश करें:
उत्तर:
छात्र-छात्रा खुद लिखिए।

अति संक्षिप्त उत्तरमूलक प्रश्नोत्तर

A. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

प्रश्न 1.
‘फिर महान बन’ कविता के कवि का नाम क्या है?
उत्तर:
‘फिर महान बन’ कविता के कवि का नाम नरेंद्र शर्मा है।

प्रश्न 2.
कवि नरेंद्र शर्मा की कविता में क्या देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
कवि नरेंद्र शर्मा की कविता में मानव प्रेम, प्रकृति-सौंदर्य के सरल और सजीव चित्र देखने को मिलते हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य किसकी संतान है?
उत्तर:
मनुष्य अमृत की संतान है।

प्रश्न 4.
मनुष्य श्रेष्ठ प्राणी के रूप में क्यों परिचित है?
उत्तर:
मनुष्य अपनी महानता के कारण श्रेष्ठ प्राणी के रूप में परिचित है।

प्रश्न 5.
मनुष्य आज अपना क्या भूल गया है?
उत्तर:
मनुष्य आज अपना कर्त्तव्य भूल गया है।

प्रश्न 6.
कवि ने इस कविता में क्या सलाह दी हे?
उत्तर:
कवि ने इस कविता में मनुष्य को अपने कर्त्तव्य पर सचेतन होने के लिए सलाह दी है।

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

प्रश्न 7.
कवि की चेतावनी क्या है?
उत्तर:
मनुष्य की मनुष्यता का पाठ पढ़ाने के लिए, संसार को स्वर्ग बनाने के लिए यह कवि की चेतावनी है।

प्रश्न 8.
कवि ने ‘मनुष्य ‘को क्या प्रेरणा दी है?
उत्तर:
कवि ने मनुष्य को फिर महान बनने की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 9.
मनुष्य को किस प्रकार का मन मिला है?
उत्तर:
मनुष्य को अपार प्रेम से भरा मन मिला है।

प्रश्न 10.
विश्व आज क्या है?
उत्तर:
विश्व आज तृषित है।

प्रश्न 11.
किससे घृणा महान है?
उत्तर:
पाप से घृणा महान है।

प्रश्न 12.
किस पर सदैव गर्व नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
दर्प शक्ति पर सदैव गर्व नहीं करना चाहिए।

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
विजय का सुमन क्या बनता है?
उत्तर:

प्रश्न 2.
मनुष्य श्रेष्ठ प्राणी के रूप में क्यों परिचित है?
उत्तर:

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प्रश्न 3.
कवि ने मनुष्य को क्या बनने को कहा है?
उत्तर:

प्रश्न 4.
कवि मनुष्य से क्या न बनने को कहा है?
उत्तर:

प्रश्न 5.
घृणा किससे महान है?
उत्तर:

प्रश्न 6.
सदैव किस पर गर्व न करना चाहिए?
उत्तर:

प्रश्न 7.
आज कौन तृषित है?
उत्तर:

प्रश्न 8.
आज मनुष्य क्या भूल गया है?
उत्तर:

प्रश्न 9.
किसकी जीत हार के समान मानी जाती है?
उत्तर:

BSE Odisha 9th Class Hindi Solutions Poem 4 फिर महान बन

प्रश्न 10.
मानब को किस प्रकार का मन मिला है?
उत्तर:

प्रश्न 11.
‘फिर महान बन’ कविता का मूल भाव क्या है?
उत्तर:

C. रिक्तस्थानों को भरिए।

प्रश्न 1.
……………… अपना कर्त्तव्य भूल गया है।
उत्तर:
मनुष्य

प्रश्न 2.
संसार को ……………. बनाने के लिए शर्मा जी की चेतावनी है।
उत्तर:
स्वर्ग

प्रश्न 3.
विश्व है तृषित, मनुष्य, अब न बन …………….. ।
उत्तर:
कृपण

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प्रश्न 4.
‘फिर महान बन’ कविता …………………. कवि ने लिखी है।
उत्तर:
नरेंद्र शर्मा

प्रश्न 5.
मनुष्य को ……………… प्रकार का मन मिला है।
उत्तर:
अपार प्रेम से भरा

प्रश्न 6.
विश्व आज …………… है।
उत्तर:
प्यासा

प्रश्न 7.
जो शत्रु को क्षमा प्रदान नहीं करता, उसकी जीत के समान है।
उत्तर:
पराजय

प्रश्न 8.
जीत का सुमन बनता है।
उत्तर:
काँटा

प्रश्न 9.
“दर्प शक्ति पर सदैव गर्व कर न, मन” – यह पंक्ति कवि की है।
उत्तर:
नरेंद्र शर्मा

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प्रश्न 10.
पाप से घृणा
उत्तर:
महान

प्रश्न 11.
दर्प-शक्ति पर सदैव करना न मन।
उत्तर:
गर्व

प्रश्न 12.
अपार प्रेम से भरा मन से मिला।
उत्तर:
मनुष्य

प्रश्न 13.
कवि ने मनुष्य को बनने को कहा।
उत्तर:
श्रेष्ठ

प्रश्न 14.
मनुष्य की संतान है।
उत्तर:
अमृत की

D. सही उत्तर चुनिए।

1. ‘फिर महान बन’ कविता के कवि कौन है?
(A) कबिर दास
(B) सूरदास
(C) नरेन्द्र शर्मा
(D) गिरिधर कविराज
उत्तर:
(C) नरेन्द्र शर्मा

2. ‘फिर महान बन’ के कवि का जन्म कब हुआ ?
(A) सन् 1910
(B) सन् 1912
(C) सन् 1911
(D) सन् 1913
उत्तर:
(D) सन् 1913

3. कवि का जन्म कौन से राज्य में हुआ था?
(A) बिहार
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मध्यप्रदेश
(D) झारखंड़
उत्तर:
(B) उत्तर प्रदेश

4. कवि ने किसको फिर महान बनने की प्रेरणा दी है?
(A) पशु को
(B) मनुष्य को
(C) पक्षी को
(D) अपने आपको
उत्तर:
(B) मनुष्य को

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5. किसके कारण मनुष्य श्रेष्ठ प्राणी कहलाता है?
(A) दया
(B) महानता
(C) घृणा
(D) बुद्धि
उत्तर:
(B) महानता

6. किस पर सदैव गर्व न करना चाहिए?
(A) घमंड़
(B) दर्पशक्ति
(C) घृणा
(D) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) दर्पशक्ति

7. संसार को क्या बनाने की कवि की चेष्टा है?
(A) नर्क
(B) धरित्री
(C) स्वर्ग
(D) पवित्र
उत्तर:
(C) स्वर्ग

8. मनुष्य को किस पर सचेतन होना चाहिए?
(A) श्रम
(B) कर्त्तव्य
(C) काम
(D) आलस्य
उत्तर:
(B) कर्त्तव्य

9. मनुष्य किसकी संतान है?
(A) अमृत की
(B) धरणी की
(C) माता की
(D) अंबर की
उत्तर:
(A) अमृत की

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10. किस से घृणा महान है?
(A) हत्या
(B) घृणा
(C) पाप
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) पाप

दोहे (ତେ।ହେ)

फिर महान बन, मनुष्य!
फिर महान बन।
मन मिला अपार प्रेम से भरा तुझे,
इसलिए कि प्यास जीब- मात्र कि बुझे,
बिश्व है तृषित, मनुष्य,
अब न बन कृपण।
फिर महान बन !
ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍, ମନୁଷ୍ୟ !
ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍ ।
ମନ୍ ମିଲା ଅପାର୍ ପ୍ରେମ୍ ସେ ଭରା ତୁଝେ,
ଇସ୍‌ଏ କି ପ୍ୟାସ୍ ଜୀବ୍-ମାତ୍ର କି ବୁଝେ,
ବିଶ୍ଵ ହୈ ତୃଷିତ୍, ମନୁଷ୍ୟ, ଅଚ୍ ନ ବନ୍ କୃପଣ୍।
ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍।
ଅନୁବାଦ:
ପୁନଶ୍ଚ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ହୁଅ ମାନବ । ତୋତେ ଅସୀମ ପ୍ରେମର ମନ ମିଳିଛି ତେଣୁ ଶୋଷିଲା ପ୍ରାଣୀର ତୃଷା ମେଣ୍ଟାଅ । ବର୍ତ୍ତମାନ କୃପଣ ନ ହୋଇ ସଂସାରରେ ଥିବା ତୃଷିତ ମନୁଷ୍ୟର ତୃଷାକୁ ମେଣ୍ଟାଅ ଏବଂ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ମନୁଷ୍ୟ ରୂପେ ସମାଜରେ ପରିଚିତ ହୁଅ।

शत्रु को न कर सके क्षमा प्रदान जो,
जित क्यों उसे न हार के समान हो?
शूल क्यों न बक्ष पर बने विजय-सुमन!
फिर महान बन।
ଶତ୍ରୁ କୋ ନ କର ସକେ କ୍ଷମା
ଜିତ୍ ଜ୍ୟୋ ଉସେ ନ ହାର୍ କେ ସମାନ୍ ହୋ
ଶୁଲ୍ କେଁ ନ ବକ୍ଷ ପର୍ ବନେ ବିଜୟ-ସୁମନ୍!
ଫିର ମହାନ୍ ବନ୍।
ଅନୁବାଦ;
ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଶତ୍ରୁକୁ କ୍ଷମା ପ୍ରଦାନ କରିପାରେନା, ତାହାର ଜୟ ପରାଜୟ ସହ ସମାନ। ଯେପରିକି ଶୂଳ-ବିଦ୍ଧ ହୃଦୟ ବିଜୟକୁ ଫୁଲ ପରି ଗ୍ରହଣ କରିଥାଏ, ତୁ ସେହିପରି ମହାନ୍ ହେବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକର।

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दुष्ट हार मानते न दुष्ट नेम से,
पाप से घृणा महान है, न प्रेम से
दर्प-शक्ति पर सदैब गर्व कर न, मन।
फिर महान बन।
ଦୁଷ୍ଟ ହାର୍ ମା ନ ଦୁଷ୍ଟ ନେମ୍ ସେ,
ପାପ୍ ସେ ଘୃଣା ମହାନ୍ ହୈ, ନ ପ୍ରେମ୍ ସେ
ଦୁର୍ପ-ଶକ୍ତି ପର୍ ସଦୈବ ଗର୍ବ କର୍ ନ, ମନ୍ ।
ଫିର୍ ମହାନ୍ ବନ୍।
ଅନୁବାଦ:
ଦୁଷ୍ଟ ନିୟମରେ ହାର ମାନିବ, ପାପଠାରୁ ଘୃଣା ମହାନ୍ ଅଟେ ନା ପ୍ରେମରୁ । ନିଜର ଶକ୍ତି ବା କ୍ଷମତା ଉପରେ ସର୍ବଦା ଗର୍ବ କର ନାହିଁ । ପୁନଶ୍ଚ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ମନୁଷ୍ୟରେ ପରିଚିତ ହୁଅ ।

शबनार: (ଶରାର୍ଥି)

महान – श्रेष्ठ (ଶ୍ରଷ୍ଠ) ।

अपार – असीम ( ଅସୀମ ବା ସୀମାହୀନ) ।

प्यास – तृषा (ତୃଷା, ଶୋଷ) ।

तृषित – प्यासा (ଶୋଷିଲା) ।

कृपण – कंजूस (କୃପଣ ) ।

विजय सुमन – जीत के फूल (ବିଜୟର ଫୁଲ) ।

शूल – काँटा, पीड़ा (କଣ୍ଟା, ଯନ୍ତ୍ରଣା ବା କଷ୍ଟ) ।

सुमन – पुष्प, फूल, प्रसून, कुसुम (ଫୁଲ, ପୁଷ୍ପ, କୁସୁମ) ।

घृणा – नफरत ( ଘୃଣା) ।

सदैव – सदा, सर्वदा ( ସବୁବେଳେ ) ।

गर्व – घमंड, अभिमान (ଅହଙ୍କାର, ଅଭିମାନ) ।

वक्ष – हृदय (ହୃଦୟ, ଛାତି) ।

नेम – नियम, फायदा, दस्तूर, रीति (ନିୟମ) ।

दर्पशक्ति – घमण्ड (ଗର୍ବ, ଅହଙ୍କାର) ।

कवि परिचय (କବି ପରିଚୟ)।

नरेन्द्र शर्मा का जन्म सन् 1913 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के बुलंदर शहर जनपद के जहाँगीरपुर नामक गाँव में हुआ। सन् 1936 ईस्वी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. पास किया। साहित्य-सृजन के प्रति उनकी पहले सी ही रुचि रही। छात्र – जीवन में ही ‘भूलझूल’ तथा ‘कर्णफूल’ प्रकाशित हुए। फिर उन्होंने स्वतंत्रता- संग्राम में भाग लिया। जेल गए। कुछ दिनों तक अध्यापक हुए। फिर सिनेमा के लिए गीत लिखे। बाद में मुम्बाई आकाशवाणी केन्द्र में नियुक्त हुए। 1988 में आपका देहान्त हो गया। प्रमुख कविता संकलन हैं : प्रभात फेरी, प्रवासी के गीत, प्रीति कथा, कामिनी, अग्नि शस्य, कदली वन, प्यासा निर्झर, उत्तरजय, बहुत रात गए आदि।

नरेन्द्र शर्मा की कविता में मानव – प्रेम, प्रकृति – सौन्दर्य के सरल और सजीव चित्र मिलते हैं। जड़ वस्तुओं में मानवीय चेतना, करुणा की भावधारा बहती है। बाद में वे समाज के दुःख-दर्द के प्रति आकृष्ट हुए और असुविधाओं को दूर करने की आवाज उठाई ।विद्रोह किया। शर्माजी की भाषा सरल, शुद्ध और भावगर्भक होती है।

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BSE Odisha 9th Class History Book Solutions ଇତିହାସ

ପ୍ରଥମ ଅଧ୍ୟାୟ : ବିଶ୍ଵର କେତେକ ଗୁରୁତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ଣ ଅଗ୍ରଗତି

ଦ୍ଵିତୀୟ ଅଧ୍ୟାୟ : ଏକ ନୂତନ ବିଶ୍ଵ ଅଭିମୁଖେ

ତୃତୀୟ ଅଧ୍ୟାୟ : ୧୯୪୫ ପରବର୍ତୀ ପୃଥ‌ିବୀ : କେତେକ ପ୍ରମୁଖ ଘଟଣା ପ୍ରବାହ

ଚତୁର୍ଥ ଅଧ୍ୟାୟ : ଭାରତର ଐତିହ୍ୟ

BSE Odisha 9th Class Political Science Book Solutions ରାଜନୀତି ବିଜ୍ଞାନ

ପ୍ରଥମ ଅଧ୍ୟାୟ: ମୌଳିକ ଅଧୂକାର, ମୌଳିକ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ଓ ରାଷ୍ଟ୍ରନୀତି ନିୟାମକ ନିର୍ଦ୍ଦେଶାବଳୀ

ଦ୍ଵିତୀୟ ଅଧ୍ୟାୟ: ମାନବାଧ୍ୟାକାର, ସୂଚନା ଅଧିକାର, ଭାରତର ସୂଚନା ଅଧିକାର ଆଇନ

ତୃତୀୟ ଅଧ୍ୟାୟ : ଭାରତୀୟ ଜାତୀୟତାବାଦ, ଜାତୀୟ ସଂହତି, ଗଣତାନ୍ତ୍ରିକ ମୂଲ୍ୟବୋଧ

ଚତୁର୍ଥ ଅଧ୍ୟାୟ : ସଂଯୁକ୍ତ ରାଷ୍ଟ୍ରସଂଘ : ଗଠନ ଓ କାର୍ଯ୍ୟାବଳୀ

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BSE Odisha 9th Class Maths Solutions Algebra

Chapter 1 ସେଟ୍ ପ୍ରକ୍ରିୟା ଏବଂ ସେଟ୍‌ର ପ୍ରୟୋଗ

Chapter 2 ବାସ୍ତବ ସଂଖ୍ୟା

Chapter 3 ବୀଜଗାଣିତିକ ପରିପ୍ରକାଶ ଓ ଅଭେଦ

Chapter 4 ବୀଜଗାଣିତିକ ସମୀକରଣ

Chapter 5 ସ୍ଥାନାଙ୍କ ଜ୍ୟାମିତି

Chapter 6 ଅନୁପାତ ଓ ସମାନୁପାତ

Chapter 7 ପରିସଂଖ୍ୟାନ

Chapter 8 ସମ୍ଭାବ୍ୟତା

BSE Odisha 9th Class Maths Solutions Geometry

Chapter 1 ରେଖା ଓ କୋଣ

Chapter 2 ତ୍ରିଭୁଜମାନଙ୍କ ସର୍ବସମତା

Chapter 3 ଚତୁର୍ଭୁଜ

Chapter 4 କ୍ଷେତ୍ରଫଳ

Chapter 5 ପରିମିତି

Chapter 6 ଅଙ୍କନ

Chapter 7 ତ୍ରିକୋଣମିତି

BSE Odisha 9th Class Maths Question Paper Design (Both Algebra & Geometry)

Objective Section

Marks No. of Questions Total Marks
Solutions of the questions (5 Questions) 1 5 5
Only answer of the questions (5 Questions) 1 5 5
Fill in the Blanks (5 Questions) 1 5 5
Find True or False (5 Questions) 1 5 5
Matching the Column (5 Questions) 1 5 5
Total 25 25

Algebra = 25 Marks
Geometry = 25 Marks
Total = 50 Marks

Subjective Section

Algebra Marks
Q.1. Two-bit questions with alternative choice carrying 5 (five marks) each 5 + 5 = 10
Q.2. Three-bit questions with alternative choice carrying 4 (four marks) each 4 + 4 + 4 = 12
Total 22
Geometry
Q.3. One theorem and one construction with alternative choice carrying 5 (five marks) each 5 + 5 = 10
Q.4. Rider and Trigonometry with alternative choice carrying 5 (five marks) each 5 + 5 = 10
Q.5. Two-bit questions of mensuration carrying 4 (Four marks) each 4 + 4 = 8
Total 28

Algebra = 22
Geometry = 28
Total = 50 Marks

Grand Total = = 100 Marks (Part I (50) + Part II (50))

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